अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – Renewable Sources Of Energy Essay In Hindi

Renewable Sources Of Energy Essay In Hindi

अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – Essay On Renewable Sources Of Energy In Hindi

रूपरेखा–

  1. प्रस्तावना,
  2. अक्षय ऊर्जा के स्रोत–
    • (क) सौर ऊर्जा,
    • (ख) पवन ऊर्जा,
    • (ग) जल ऊर्जा,
    • (घ) भू–तापीय ऊर्जा,
    • (ङ) बायोमास एवं जैव ईंधन,
    • (च) परमाणु ऊर्जा,
  3. अक्षय ऊर्जा और हमारा राष्ट्र,
  4. उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – Akshay Oorja : Sambhaavanaen Aur Neetiyaan Nibandh

प्रस्तावना–
पेट्रोल, डीजल, कोयला, गैस आदि की दिनोदिन घटती मात्रा ने हमें यह सोचने पर विवश कर दिया है कि हमें अपनी कल की ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए ऐसे संसाधनों को खोजना होगा, जो कभी समाप्त न हों और हमारा जीवन सुचारु रूप से बिना किसी ऊर्जा संकट के चलता रहे। ऊर्जा के कभी न समाप्त होनेवाले संसाधनों को ही हम अक्षय ऊर्जा के स्रोत के रूप में जानते हैं।

अक्षय ऊर्जा के स्त्रोत–
मानव एक विकासशील प्राणी है। उसने ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों की खोज की, जो आधुनिक जीवन शैली का अभिन्न अंग बन गए हैं। सबसे पहले मानव ने ऊर्जा के परम्परागत साधनों–कोयला, गैस, पेट्रोलियम आदि का प्रयोग किया, जो सीमित मात्रा में होने के साथ–साथ पर्यावरण के लिए हानिकारक भी हैं।

अक्षय ऊर्जा के स्रोत न केवल ऊर्जा के संकट मिटाने में सक्षम हैं, पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। भारत में अक्षय ऊर्जा के अनेक स्रोत उपलब्ध हैं; जैसे–सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भू–तापीय ऊर्जा, बायोमास एवं जैव ईंधन आदि। इनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है-

(क) सौर ऊर्जा–भारत में सौर ऊर्जा की काफी सम्भावनाएँ हैं; क्योंकि देश के अधिकतर भागों में वर्ष में 250–300 दिन सूर्य अपनी किरणें बिखेरता है। सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए फोटोवोल्टेइक सेल प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। फोटोवोल्टेइक सेल सूर्य से प्राप्त होनेवाली किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है। हमारे देश में सौर ऊर्जा के रूप में प्रतिवर्ष लगभग 5 हजार खरब यूनिट बिजली बनाने की सम्भावना मौजूद है, जिसके लिए पर्याप्त तीव्रगति से कार्य किए जाने की आवश्यकता है। भारत में विगत 25–30 वर्षों से सौर ऊर्जा पर कार्य हो रहा है।

वर्ष 2010 ई० में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन की शुरूआत की थी, जिसका उद्देश्य वर्ष 2022 तक सौर ऊर्जा के माध्यम से देश को ऊर्जा के संकट से मुक्ति दिलाना है। आज देश के टेलीकॉम टॉवर प्रतिवर्ष 5 हजार करोड़ लीटर डीजल का प्रयोग कर रहे हैं, सौर ऊर्जा के प्रयोग द्वारा इस डीजल को बचाया जा सकता है।

सौर ऊर्जा अभी महँगी है, इसलिए इसकी उपयोगिता का ज्ञान होते हुए भी लोग इसका प्रयोग करने से बचते हैं। अब सोलर कूकर, सोलर बैटरी चालित वाहन और मोबाइल फोन भी प्रयोग में लाए जा रहे हैं। लोग धीरे–धीरे इसकी महत्ता समझ रहे हैं। कर्नाटक के लगभग एक हजार गाँवों में सौर ऊर्जा के प्रयोग का अभियान चल रहा है। आनेवाले समय में सौर ऊर्जा निश्चित ही भारत को प्रगति के मार्ग पर ले जाने में सहायक होगी।

(ख) पवन ऊर्जा–पवन या वायु ऊर्जा अक्षय ऊर्जा का दूसरा महत्त्वपूर्ण स्रोत है। प्राचीन काल में पवन ऊर्जा का प्रयोग नाव चलाने में किया जाता था। लगभग 2 हजार वर्ष पूर्व सिंचाई और अनाज कूटने आदि में पवन ऊर्जा के प्रयोग का प्रणाम मिलता है। चीन, अफगानिस्तान, पर्शिया, डेनमार्क, कैलिफोर्निया में पवन ऊर्जा का उपयोग बिजली बनाने में किया जा रहा है।

भारत में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान आदि प्रदेशों में पवन ऊर्जा के विद्युत् उत्पादन का कार्य चल रहा है। भारत में पवन ऊर्जा की काफी सम्भावनाएँ हैं। इस समय भारत में पवन ऊर्जा का नवीन और ऊर्जा मन्त्रालय के अनुसार भारत में वायु द्वारा 48,500 मेगावॉट विद्युत् उत्पादन की क्षमता है, अभी तक 12,800 मेगावॉट की क्षमता ही प्राप्त की जा सकी है।

पिछले दो दशकों में विद्युत् उत्पादक पवनचक्कियों (टरबाइनों) की रूपरेखा, स्थल का चयन, स्थापना, कार्यकलाप और रख–रखाव में तकनीकी रूप से भारी प्रगति हुई है और विद्युत् उत्पादन की लागत कम हुई है। पवन ऊर्जा द्वारा पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता; क्योंकि इसमें अपशिष्ट का उत्पादन नहीं के बराबर होता है विकिरण की समस्या भी नहीं होती है। आनेवाले समय में पवन ऊर्जा के सशक्त माध्यम बनने की पूरी सम्भावनाएँ हैं।

(ग) जल ऊर्जा–जल अक्षय ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों में से एक है। इसमें नदियों पर बाँध बनाकर उनके जल से टरबाइनों द्वारा विद्युत् उत्पादन किया जाता है। भारत में बाँध बनाकर जल विद्युत् का उत्पादन दीर्घकाल से हो रहा है। इसके अलावा समुद्र में उत्पन्न होनेवाले ज्वार–भाटा की लहरों से भी विद्युत् उत्पादन किया जा सकता . है। भारत की सीमाएँ तीन–तीन ओर से समुद्रों से घिरी हैं; अतः अक्षय ऊर्जा स्त्रोत का प्रयोग बड़े पैमाने पर कर सकता है।

(घ) भू–तापीय ऊर्जा–यह पृथ्वी से प्राप्त होनेवाली ऊर्जा है। भू–तापीय ऊर्जा का जन्म पृथ्वी की गहराई में गर्म, पिघली चट्टानों से होता है। इस स्रोत से ऐसे स्थानों पर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पृथ्वी के गर्म क्षेत्र तक एक सुरंग खोदी जाती है, जिनके द्वारा पानी को वहाँ पहुँचाकर उसकी भाप बनाकर टरबाइन चलाकर बिजली बनाई जाती है।

भारत में लगभग 113 संकेत मिले हैं, जिनसे लगभग 10 हजार मेगावॉट बिजली उत्पादन होने की सम्भावना है। भू–तापीय ऊर्जा से विद्युत् उत्पादन लागत जल ऊर्जा से उत्पन्न विद्युत् जितनी ही है। भारत को भू–तापीय ऊर्जा को प्रयोग में लाने के लिए बड़ी मात्रा में आवश्यक संसाधन जुटाने पड़ेंगे, तभी इस ऊर्जा का लाभ उठाया जा सकेगा।

(ङ) बायोमास एवं जैव ईंधन–कृषि एवं वानिकी अवशेषों (बायोमास / जैव पदार्थों) का प्रयोग भी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है। भारत की लगभग 90 प्रतिशत जनसंख्या जैव पदार्थों का प्रयोग खाना बनाने के लिए ईंधन के रूप में करती है। लकड़ी, गोबर और खरपतवार प्रमुख जैव–पदार्थ हैं, जिनसे बायोगैस उत्पन्न की जाती है। गन्ने, महुए, आलू, चावल, जौ, मकई और चुकन्दर जैसे शर्करायुक्त पदार्थों से एथेनॉल बनाया जाता है।

इसे पेट्रोल में मिलाकर ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। भारत सरकार इसका 10 प्रतिशत तक पेट्रोल में मिश्रण करना चाहती है, जिसके लिए प्रतिवर्ष 266 करोड़ लीटर एथेनॉल की जरूरत होगी, किन्तु एथेनॉल बनाने वाली चीनी मिलों ने अभी 140 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति की पेशकश ही सरकार से की है।

इसके अतिरिक्त कृषि से निकलनेवाले व्यर्थ पदार्थों; जैसे खाली भुट्टे, फसलों के डंठल, भूसी आदि और शहरों एवं उद्योगों के ठोस कचरे से भी बिजली बनाई जा सकती है। भारतवर्ष में उनसे लगभग 23,700 मेगावॉट बिजली प्रतिवर्ष बन सकती है, परन्तु अभी इनसे 2,500 मेगावॉट बिजली का ही उत्पादन हो रहा है।

(च) परमाणु ऊर्जा–भारत के डॉ. होमी भाभा को भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास का जनक माना जाता है। भारत में पाँच परमाणु ऊर्जा केन्द्रों पर 10 परमाणु रिएक्टर हैं, जो देश की कुल दो प्रतिशत बिजली का उत्पादन करते हैं। यद्यपि परमाणु ऊर्जा पर्यावरण के लिए घातक नहीं है, लेकिन इससे सम्बन्धित कोई भी दुर्घटना अवश्य ही मानव–जीवन के लिए घातक सिद्ध होती है।

इसका सबसे अधिक खतरा उत्पादन के पश्चात् निकलनेवाला रेडियोधर्मी अपशिष्ट कचरा है, जिसे समाप्त करना दुष्कर होता जा रहा है; अत: यह अक्षय ऊर्जा का स्रोत होते हुए भी इसका प्रयोग दीर्घकाल तक नहीं किया जा सकता है। अक्षय ऊर्जा और हमारा राष्ट्र–अक्षय ऊर्जा वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए श्रेष्ठ साधन है; क्योंकि इससे हमारा पर्यावरण स्वच्छता के साथ बड़ी मात्रा में ऊर्जा भी प्राप्त होती है।

इसी कारण विभिन्न देशों में अपने–अपने अक्षय ऊर्जा स्रोत बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा दिखाई देने लगी है। वैश्विक रुझानों को देखते हुए भारत अक्षय की प्रतिस्पर्धा का सक्रिय भागीदार है। वह निरन्तर अक्षय ऊर्जा स्रोतों की अपनी श्रेणियाँ विस्तृत करने के प्रयास में जुटा है। भारत ने 2022 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता 74 गीगावॉट तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें 2020 तक सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ाकर 20 GW करने और बिजली की कुल खपत का 15 प्रतिशत हिस्सा अक्षय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।

वर्तमान में भारत की संस्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता लगभग 30 गीगावॉट है और भारत इस क्षेत्र में अग्रणी है। भारत की अक्षय ऊर्जा विकास योजना में घरेलू ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करना भी शामिल है। इस योजना से जहाँ क्षेत्रीय विकास होगा, वहीं रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। पर्यावरण सुरक्षा भी इसके माध्यम से हो सकेगा और ग्लोबल वार्मिंग के अन्तर्गत अधिक कार्बन डाइ–ऑक्साइड उत्सर्जन के अन्तरराष्ट्रीय दबाव से भी हम मुक्त हो सकेंगे।

उपसंहार–
अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा जो योजनाएँ चलाई जा रही हैं; उनसे यह आशा बँधती है कि हम निकट भविष्य में अपनी ऊर्जा–प्राप्ति और पर्यावरण–सुरक्षा की समस्या का समाधान खोजने में अवश्य ही सफल होंगे। हम इस क्षेत्र में अन्य विकासशील देशों को सहयोग करके न केवल विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकेंगे, वरन् विश्व–समुदाय के मध्य स्वयं को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में भी सफल होंगे।

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सच्चा धर्म पर निबंध – True Religion Essay In Hindi

True Religion Essay In Hindi

सच्चा धर्म पर निबंध – (Essay On True Religion In Hindi)

बैर नहीं मैत्री करना सिखाते हैं धर्म – Religion Teaches Friendship Not Friendship

रूपरेखा–

  • प्रस्तावना,
  • धर्म के तत्व,
  • धर्म और सम्प्रदाय,
  • भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या,
  • सन्तों, फकीरों और साहित्यकारों के उपदेश,
  • सच्चा धर्म और उसकी शिक्षा,
  • उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

सच्चा धर्म पर निबंध – Sachcha Dharm Par Nibandh

प्रस्तावना–
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने भारत भूमि की उदार और सहिष्णु छवि को अपनी पंक्तियों में उतारते हए कहा है

भारत माता का मन्दिर यह, समता का सम्वाद यहाँ।
सबका शिव कल्याण यहाँ, हैं पावें सभी प्रसाद यहाँ।।

भारत–भूमि
की महानता उसकी विशाल जनसंख्या अथवा भू–क्षेत्र के कारण नहीं, अपितु उसकी भव्य और अनुकरणीय उदार परम्पराओं के कारण रही है। आचार, विचार, चिन्तन, भाषा और वेशभूषा की विविधताओं को राष्ट्रीयता के सूत्र में पिरोकर भारत ने मानवीय एकता का आदर्श उपस्थित किया है।

धर्म के तत्व–
भारतीय मान्यता के अनुसार धैर्य, क्षमा, आत्मसंयम, चोरी न करना, पवित्र भावना, इन्द्रियों पर नियन्त्रण बुद्धिमत्ता, विद्या, सत्य और क्रोध न करना ये धर्म के दस लक्षण हैं।

सभी धर्म इनको अपना आदर्श और अपना अंग मानते हैं। महाभारत में कहा गया है कि जो सब धर्मों को सम्मान नहीं देता, वह धर्म नहीं अधर्म है। मनुष्य को मनुष्य का गला काटने की दुष्प्रेरणा, दूसरों का घर जलाने की और नारियों के अपमान की कु–शिक्षा अधर्म है और ईश्वर का घोर अपमान है।

धर्म और सम्प्रदाय–
धर्म अत्यन्त व्यापक विचार है। इसमें मानवता के श्रेष्ठ विचार और भाव निहित हैं। धर्म किसी एक व्यक्ति के उपदेश या शिक्षाओं को नहीं कहते। किसी एक ही महापुरुष, पैगम्बर या अवतार के उपदेशों से सम्प्रदाय बनते हैं, धर्म नहीं।

भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या–
वैदिक धर्म या सनातन धर्म संसार का आदि धर्म है। यह किसी पुरुष विशेष के उपदेशों, शिक्षाओं या संदेशों पर आधारित नहीं है। इसकी अनेक शाखाएँ तथा उपशाखाएँ हैं। बौद्ध, जैन, सिख आदि सम्प्रदाय इसी से विकसित हुए हैं। विदेशी आक्रमणकारियों के साथ भारत में इस्लाम तथा ईसाई धर्मों (सम्प्रदायों) का आगमन हुआ है।

भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या भारत के मूल सनातन धर्म तथा अन्य सम्प्रदायों के वैचारिक अन्तर से सम्बन्धित है। साम्प्रदायिक कटुता के कारण अपने ही सम्प्रदाय को अच्छा मानना, दूसरों को बलपूर्वक अपना धर्म अपनाने को बाध्य करना आदि साम्प्रदायिकता के मूल कारण हैं। भारत में यह समस्या मूलतः हिन्दू और इस्लाम धर्म के बीच है।

साम्प्रदायिक द्वेष के जहर को इस देश ने शताब्दियों से झेला है। 1947 में देश के विभाजन के समय खून की जो होली खेली गई थी वह आज भी कोढ़ के रूप में चाहे जब फूट निकलती है। इसका परिणाम होता है–हत्या, आगजनी, लूट, बलात्कार और अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में देश की बदनामी।

करोड़ों रुपयों की सम्पत्ति का विनाश होता है, द्वेष की खाइयाँ और गहरी हो जाती हैं। इस साम्प्रदायिक दुराग्रह ने ही तो सुकरात को जहर परोसा, ईसा को सूली पर चढ़ाया और गांधी के जिगर में गोली उतारी है।

सन्तों, फकीरों और साहित्यकारों के उपदेश–
भारत के सन्तों, फकीरों तथा साहित्यकारों ने सदा साम्प्रदायिक एकता का संदेश तथा उपदेश दिया है। सबसे पहले सन्त कबीर हैं जिन्होंने हिन्दुओं तथा मुसलमानों को धर्म का मर्म न समझने के लिए फटकारा है–

हिन्दू कहै मोहि राम पियारा, तुरक कहै रहिमाना।
आपस में दोऊ लरि–लरि मुए, मरम न काहू जाना।

इसी प्रकार साम्प्रदायिक एकता का उपदेश देने वाले सन्तों की एक लम्बी श्रृंखला है। इस एकता के सर्वश्रेष्ठ पक्षधर महात्मा गांधी को कौन नहीं जानता ? इकबाल ने कहा है कि मजहब कभी आपस में बैर करना नहीं सिखाता-

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा।

अकबर इलाहाबादी तो दशहरा और मुहर्रम साथ–साथ मनाने की कामना करते हैं-

मुहर्रम और दशहरा साथ होगा
निबह उसका हमारे हाथ होगा।
खुदा की ही तरफ से है यह संजोग……इत्यादि।

सच्चा धर्म और उसकी शिक्षा–
सच्चा धर्म मानवता है। धर्म बैर नहीं सिखाता। वह तो एकता की शिक्षा देता है क्योंकि सभी मनुष्य एक ही ईश्वर की सन्तान हैं। धर्म मित्रता की शिक्षा देता है, शत्रुता की नहीं।

उपसंहार–
आज देश को साम्प्रदायिक सद्भाव की अत्यन्त आवश्यकता है। अन्तर्राष्ट्रीय शक्तियाँ और द्वेषी पड़ोसी हमें कमजोर बनाने और विखण्डित करने पर तुले हुए हैं। ऐसे समय में देशवासियों को परस्पर मिल–जुलकर रहने की परम आवश्यकता है।

मन्दिर–मस्जिद के नाम पर लड़ते रहने का परिणाम देश के लिए बड़ा घातक हो सकता है। अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में बदनामी होती है। अर्थतन्त्र पर भारी बोझ पड़ता है। अतः हम प्रेम और सद्भाव से रहें तो कितना अच्छा है।

नवयुवकों के प्रति Summary in Hindi

भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – Problem Of Unemployment In India Essay In Hindi

Problem Of Unemployment In India Essay In Hindi

भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – Essay On Problem Of Unemployment In India In Hindi

रूपरेखा–

  • प्रस्तावना,
  • समस्या की व्यापकता,
  • समस्या के कारण,
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली,
  • समस्या का समाधान,
  • उपसंहार।।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – Bhaarat Mein Berojagaaree Kee Samasya Par Nibandh

तड़प रही है भूखी जनता, विकल मनुजता सारी।
भटक रहे नवयुवक देश के, लिए उपाधियाँ भारी॥
काम नहीं, हो रहे निकम्मे, भारत के नर–नारी।
हो कैसे उद्धार देश का, फैल रही बेकारी॥

भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – Bhaarat Mein Berojagaaree Kee Samasya Par Nibandh

प्रस्तावना–
हजारों वर्षों की परतन्त्रता के बाद सन् 1947 में भारत स्वतन्त्रता हुआ। गुलामी के इस लम्बे समय में विदेशियों ने देश को चूस लिया था और जनता प्राय: निष्प्राण और पीड़ित थी। हम आजाद हुए परन्तु अनेक भयानक समस्याएँ हमारे सामने मुँह बाये खड़ी थीं जिनमें से एक भीषणतम समस्या थी–’बेकारी की समस्या’।

देश की आधे से अधिक जनता बेकार थी। काम न मिलने की दशा में खाद्य समस्या और विकराल होती जा रही थी। स्वतन्त्र भारत की सरकार ने इस समस्या को हल करने का प्रयत्न किया परन्तु आज भी यह समस्या इस देश के लिए अभिशाप बनी हुई है।

Problem Of Unemployment In India Essay In Hindi

समस्या की व्यापकता–
बेकारी की समस्या केवल भारत में ही नहीं है, अन्य देशों में भी यह समस्या व्याप्त है। मशीनों के आविष्कार ने मनुष्यों को बेकार और पंगु बना डाला है। एक मशीन हजारों आदमियों को बेकार कर बैठती है। श्रमिकों से भी बढ़कर यह समस्या शिक्षित वर्ग के लिए भयानक हो रही है। श्रमिक की आवश्यकता सीमित होती है, उसका जीवन–स्तर नीचा होता है, कोई भी अच्छा या बुरा काम करने में उसे शर्म नहीं आती।

श्रमिक तो किसी न किसी तरह जीवन निर्वाह कर लेता है परन्तु मध्यम श्रेणी के लोग इस समस्या से अधिक पिस रहे हैं। मध्यम श्रेणी के लोग शारीरिक परिश्रम नहीं कर पाते हैं, छोटा काम करने में उन्हें शर्म आती है और अपने अनुकूल काम उन्हें मिलता नहीं। समस्याएँ पूँजीपतियों और मजदूरों की भी हैं, पर इन दोनों के बीच में जो वर्ग है वह नितान्त पीड़ित और बेकार है।

बेकारी ने भारत को दरिद्र बना दिया है। देशवासियों का जीवन दु:खी और भुखमरी से पूर्ण है। इस समस्या के कारण ही भिक्षुओं और भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गयी है, लूटमार और चोरी की भावना बढ़ती जा रही है, नैतिक पतन हो रहा है और सामाजिक जीवन अस्त–व्यस्त होता जा रहा है। रोजगार दिलाने वाले दफ्तरों के सामने बेकारों की भीड़ बढ़ती जा रही है। जब तक इस समस्या का समाधान नहीं होता तब तक देश सुखी और सम्पन्न नहीं हो सकता।

Essay On Problem Of Unemployment In India In Hindi

समस्या के कारण–
देश की दिनों दिन बढ़ती हुई जनसंख्या, निर्धनता तथा हजारों वर्ष की गुलामी इस समस्या के बढ़ने में सहायक हुई है। विदेशियों ने भारत के उद्योगों को समाप्त कर दिया था जिससे इस देश में बेकारी फैलना स्वाभाविक ही था। जाति–पाँति के भेद–भाव ने भी बहुत से लोगों को बेकार कर दिया है। ऊँची जाति के लोग बेकार रहना भले ही स्वीकार करें किन्तु छोटी–छोटी जातियों वाले रोजगार करना वे पसन्द नहीं करते हैं। छोटे–छोटे उद्योग ठप्प हो गये हैं।

बड़ी–बड़ी मशीनों और कारखानों को तो इस समस्या का मूल कारण ही कह सकते हैं। बड़ी–बड़ी मशीनों ने जहाँ एक ओर उत्पादन बढ़ाया तथा श्रम की बचत की, वहीं दूसरी ओर हजारों भारतीयों को भूखों मरने के लिए विवश कर दिया है। इसलिए मशीनों का विरोध करते हुए गांधी जी ने कहा था “Men go on saving labour till thousands are without work and thrown on the open streets to die of starvation.”

वर्तमान शिक्षा प्रणाली–
भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली भी बेकारी की समस्या का एक प्रमुख कारण है। यह शिक्षा प्रणाली विदेशियों की देन है जिसका उद्देश्य क्लर्क बनाना था। आज की शिक्षा नवयुवकों को आत्मनिर्भर न बनाकर उनमें श्रम के प्रति अवज्ञा और नौकरी की भावना पैदा करती है। यही कारण है कि देश में जैसे–तैसे शिक्षा का प्रचार हो रहा है, बेकारी की समस्या और विकराल रूप धारण करती जा रही है। नारी शिक्षा का प्रचार होने पर अब स्त्रियाँ भी नौकरी के लिए निकल पड़ी हैं। इससे समस्या और भी जटिल हो गयी है।

आज के विद्यार्थी व्यावहारिक ज्ञान से शून्य तथा परिश्रम करने में असमर्थ होकर. समाज में प्रवेश करते हैं। नौकरशाही भारत से चली गयी परन्तु नौकरशाही की भावना उत्पन्न करने वाली शिक्षा प्रणाली आज भी देश में विद्यमान है। आज का विद्यार्थी केवल एक भावना लेकर कालेज से निकलता है कि वह कहीं नौकरी करेगा।

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने ‘भारत–भारती’ में इस शिक्षा प्रणाली से खिन्न होकर कहा था “शिक्षे, तुम्हारा नाश हो, जो नौकरी के हित बनी’ आज के शिक्षित नौजवान बड़ी–बड़ी उपाधियाँ लेकर काम दिलाऊ दफ्तरों के चक्कर काटते हैं या समाचार–पत्रों के ‘आवश्यकता’ कालम पर मक्खियों की तरह मँडराते दिखाई पड़ते हैं।

समस्या का समाधान–
इस जटिल समस्या को सुलझाने के लिए इसके कारणों को मिटाना होगा। सबसे पहले हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि मशीनों का बढ़ता हुआ प्रभाव किस प्रकार रोका जाये। मशीनों को होना चाहिए किन्तु मनुष्य का दास–उसे स्वामी नहीं बनना चाहिए। कुटीर उद्योगों का विकास होना चाहिए। छोटे–छोटे उद्योग जैसे बान बँटना, टोकरी बनाना आदि विकसित हों।

महात्मा गांधी के अनुसार सूत कातने, कपड़ा बुनने का काम यदि घर–घर में होने लगे तो उससे एक ओर तो बेकारी की समस्या हल होगी और उसके साथ ही दूसरी ओर गरीबी और भूखमरी की समस्या भी हल हो जायेगी। इसके अतिरिक्त शिक्षा प्रणाली में सुधार करना होगा। शिक्षा केवल किताबी न होकर व्यावहारिक होना चाहिए।

कालिजों में पढ़कर नवयुवक केवल क्लर्क होकर ही नहीं निकलने चाहिए बल्कि अच्छे दस्तकार, कलाकार तथा श्रेष्ठ किसान होकर निकलने चाहिए। हमारा देश कृषि–प्रधान है किन्तु देश के पढ़े–लिखे लोग खेती से घृणा करते हैं। शिक्षा में कृषि और श्रम के प्रति आदर और महत्त्व की भावना पैदा करने की क्षमता होनी चाहिए। . समाज में देश को वही प्राचीन भावना जगानी होगी “उत्तम खेती मध्यम बान, निषिध चाकरी भीख–निदान।”

उपसंहार–
हमारे देश की राष्ट्रीय सरकार इस समस्या को सुलझाने के लिए निरन्तर प्रयत्न कर रही है किन्तु समस्या सुलझने के बजाय उलझती जा रही है। वास्तव में समस्या का मूल शिक्षा में है। जब तक शिक्षा प्रणाली में आमूल परिवर्तन न होगा तब तक समस्या का समाधान होना कठिन है। सरकार और जनता, दोनों को ही इस ओर ध्यान देना चाहिए।

वर्षा ऋतु निबंध – Rainy Season Essay in Hindi

Rainy Season Essay in Hindi

वर्षा ऋतु पर छोटे तथा बड़े निबंध (Essay on Rainy Season in Hindi)

बरसात का एक दिन। – A Rainy Day

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना,
  • वर्षा का आगमन,
  • वर्षा के विविध दृश्य,
  • एक दिन की घटना,
  • उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना-
भारतवर्ष प्रकृति की रमणीय क्रीड़ास्थली है। प्रकृति के जैसे मनोरम दृश्य भारत में देखने को मिलते हैं, वे संसार के किसी अन्य देश में दुर्लभ हैं। यहाँ छ: ऋतुएँ क्रमश: आती और जाती हैं, जबकि संसार के अन्य किसी भी देश में छः ऋतुएँ नहीं होती हैं। इन छ: ऋतुओं में वर्षा ऋतु अपना विशेष स्थान रखती है। दिनकर जी के शब्दों में-

“है बसन्त ऋतुओं का राजा।
वर्षा ऋतुओं की रानी॥”

Rainy Season Essay in Hindi

सन्त वर्षा का आगमन-
जेठ का महीना बीत रहा था। ग्रीष्म ऋतु अपने पूर्ण उत्कर्ष पर थी। जेठ की दोपहरी ऐसी तपती थी कि संसार के सभी जीव-जन्तु वृक्षों की छाया में हाँपते हुए समय काटते थे। मनुष्य लूओं से बचने के लिए कहीं अँधेरे घरों में छिप जाना चाहते थे। धीरे-धीरे आया आषाढ़ का पहला दिन, आकाश में बादल दिखाई दिया।

यह वही दिन था जिस दिन कालिदास के प्रिया-विरह से संतप्त यक्ष ने मेघ को अपना दूत बनाया था। धीरे-धीरे आकाश बादलों से ढक गया। किसानों की जान में जान आ गयी। बादलो को देखकर उनकी आँखें ठंडी होने लगीं। एक-दो दिन तक बादल जमते गये।

आखिर बादलों ने धरती की प्यास बुझाई। संसार को चैन मिला। चींटी से लेकर हाथी तक, जड़ से लेकर चेतन तक सभी प्राणिय और वनस्पतियों में नवजीवन का संचार हो गया। चारों ओर हर्षोल्लास छा गया।

Essay on Rainy Season in Hindi

वर्षा के विविध दृश्य-
वर्षा के विविध दृश्य भी कैसे विचित्र होते हैं? आकाश बादलों से ढका रहता है। कभी-कभी तो कई-कई दिन तक सूर्य के दर्शन नहीं होते। शस्यश्यामला धरती का सौन्दर्य देखते ही बनता है। बादलों को देखकर वन-उपवन में मोर आनन्दमग्न होकर नाचते हैं। नदी-नालों में उफान आ जाता है।

पोखर और सरोवर का पानी सीमा लाँघ जाता है। नदियाँ जल से तटों को डुबाकर घमंड से इतराने लगती हैं। सब ओर पानी ही पानी दिखाई देता है। मेंढकों की टर्र-टर्र और झींगुरियों की झनकार एक विचित्र समा बाँध देती है।

एक दिन की घटना-
वर्षा ऋतु अपने चरम उत्कर्ष पर थी। एक दिन एक विचित्र दृश्य उपस्थित हुआ। यह था-श्रावण का एक दिन! आकाश बादलों से ढका हुआ था। रात बीती, प्रभात हुआ। सूर्य के तो कई दिनों से दर्शन न हुए थे। प्रभात हो जाने पर भी अंधेरा बढ़ता चला आ रहा था।

घड़ी साढ़े छ: बजा रही थी। हम लोग स्कूल जाने की तैयारी में थे कि अचानक वर्षा आरम्भ हो गयी। मूसलाधार वर्षा, रुकने का नाम नहीं। थोड़ी देर में सब ओर पानी ही पानी हो गया। गलियों और सड़कों पर पानी की नदियाँ सी बह रही थीं। कुछ देर बाद तो हमारे घर में भी पानी भर आया।

सहन में पानी, बरामदे में पानी और फिर कमरों में भी पानी। सारे मुहल्ले में शोर मचा था। लगता था जैसे प्रलय आ जायेगी। तीन घंटे की लगातार वर्षा ने सब ओर त्राहि-त्राहि मचा दी। उस दिन स्कूल जाने की किसी में हिम्मत न थी।

सुबह को जलपान हुआ था तत्पश्चात पोखर की तरह जलपूर्ण रसोई में भोजन बनने का प्रश्न ही नही था। उस दिन लाचारी का व्रत हुआ। दिनभर घरों का पानी उलीचते रहे, घरों की सफाई करते रहे। हाँ, वर्षा रुकने पर हम लोग घर से बाहर निकले और पानी में छप-छप करते फिरे।

बाग में गये, आमों के ढेर लगे थे। खूब छक कर आम खाये। तीसरे पहर घर लौट कर आये। उस समय पानी साफ हो गया था। धूप निकल आयी थी। भोजन तैयार था और मम्मी-पापा मेरी ही प्रतीक्षा कर रहे थे। सबने भोजन किया। धीरे धीरे सूर्य अस्ताचल पर पहुँच गया। इस प्रकार यह बरसात का दिन बीता। आज भी वह दिन मुझे जब याद आता है, देर तक सोचता रहता हूँ।

उपसंहार-
वर्षा भारत के लिए वरदान बनकर आती है। कभी-कभी बाढ़ और तूफानों से यह प्रलय का दृश्य भी उपस्थित कर देती है। प्राय: धन-जन की भी क्षति हो जाती है, तथापि वर्षा के द्वारा ही उस विनाश की क्षतिपूर्ति भी हो जाती है। वर्षा अन्न और जल देने वाली शक्ति है। यह जीवनदायिनी सुन्दर ऋतु है। यही मानव जीवन का आधार है। इसके आते ही बच्चे गा उठते हैं-

“जीवन-धन-सूखदाई लाई। वर्षा आई, वर्षा आई॥
पशु-पक्षी मानव हरषाने। जड़-चेतन की प्यास बुझाने॥
सघन घटाएँ संग में लाई। वर्षा आई, वर्षा आई॥”

वर्तमान शिक्षा प्रणाली – Modern Education System Essay In Hindi

Modern Education System Essay In Hindi

वर्तमान शिक्षा प्रणाली – Essay On Modern Education System In Hindi

मानव जीवन में शिक्षा का विशेष महत्त्व है। शिक्षा ही वह आभूषण है जो मनुष्य को सभ्य एवं ज्ञानवान बनाता है, अन्यथा शिक्षा के बगैर मनुष्य को पशु के समान माना गया है। शिक्षा के महत्व को समझते हुए ही प्रायः शैक्षणिक गतिविधियों को वरीयता दी जाती है। भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली स्कूल, कॉलेजों पर केंद्रित एक व्यवस्थित प्रणाली है।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

भारत की जो वर्तमान शिक्षा प्रणाली है, वह प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली से मेल नहीं खाती है। भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली का ढाँचा औपनिवेशिक है, जब कि प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली गुरुकुल आधारित थी। वर्तमान शिक्षा प्रणाली एक संशोधित एवं अद्यतन शिक्षा प्रणाली तो है ही यह ज्ञान-विज्ञान के नए-नए विषयों को भी समाहित करती है। कंप्यूटर शिक्षा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है जिसने मानव जीवन को सहज, सुंदर एवं सुविधाजनक बनाया है।

इस शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत देश में नए-नए विश्वविद्यालयों, कॉलेजों एवं स्कूलों की स्थापना की गई और यह प्रक्रिया अनवरत जारी है। इसमें शिक्षा का प्रचार-प्रसार बढ़ाने के साथ-साथ साक्षरता दर में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2011 की जनगणना के आकड़ों के अनुसार इस समय देश की कुल साक्षरता दर 73.0 प्रतिशत है।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें महिला साक्षरता की तरफ विशेष ध्यान दिया गया है। महिला साक्षरता बढ़ने से आज समाज में महिलाओं की स्थिति सुदृढ़ हुई है। वर्तमान में महिलाओं की साक्षरता दर 64.6 प्रतिशत है।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली की खूबियों एवं विशेषताओं के साथ-साथ इसकी कुछ कमजोरियाँ भी हैं जिसका हमारे समाज एवं देश पर बुरा प्रभाव दिखाई पड़ रहा है। जैसे-आज संयुक्त परिवार टूटकर एकाकी परिवारों में और एकाकी परिवार नैनो फेमिली के रूप में विभाजित हो रहे हैं।

अब परिवारों में बड़े बुजुर्गों का स्थान घटता जा रहा है जो बच्चों को कहानियों एवं किस्सों द्वारा नैतिक शिक्षा देते थे। दादी, नानी की कहानियों का स्थान टी. वी., कार्टून, इंटरनेट और सिनेमा ने ले लिया है। जहाँ से मानवीय मूल्यों की शिक्षा की उम्मीद करना बेमानी बात है।

विद्यालयों में ऐसी शिक्षा जो बच्चों के चरित्र का निर्माण कर उनमें सामाजिक सरोकार विकसित करे उसका स्थान व्यावसायिक शिक्षा ने ले लिया है, जिसके अंतर्गत हम एक आत्मकेंद्रित, सामाजिक सरोकारों और मूल्यों से कटे हुए एक इंसान का निर्माण कर रहे हैं, जिससे समाज में बिखराव की स्थिति पैदा हो रही है।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली का एक बड़ा दोष यह भी है कि यह रोजगारोन्मुख नहीं है अर्थात इसमें कौशल और हुनर का अभाव है। स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय डिग्रियाँ बाँटने वाली एजेंसियाँ बन गई हैं।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली को व्यावहारिक, सफल, एवं आदर्श स्वरूप प्रदान करने के लिए इसमें बदलाव एवं सुधार की आवश्यकता है। जिससे यह जीवन को सार्थकता प्रदान करने एवं आजीविका जुटाने में सक्षम हो सके।

Essay On Modern Education System

गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay In Hindi

The Good Of The Country Cleaning The Ganges Essay In Hindi

गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – Essay On The good of the country: cleaning the Ganges In Hindi

“यदि गंगा रहती है तो भारत रहता है। गंगा की मृत्यु हो जाती है तो भारत भी मर जाता है।”

–डॉ० वन्दनाशिवाजी (प्रसिद्ध पर्यावरणविद्)

रूपरेखा–

  1. प्रस्तावना,
  2. गंगा की उपयोगिता,
  3. गंगा नदी के प्रदूषण के कारण–
    • (क) अपर्याप्त जल–प्रवाह,
    • (ख) गन्दे नालों का गिरना,
    • (ग) उद्योगों के अपशिष्ट और अशोधित जल का गंगा में गिरना,
    • (घ) शवों एवं पूजा–सामग्री का विसर्जन,
  4. गंगा नदी के शुद्धि के उपाय,
  5. विभिन्न परियोजनाएँ,
  6. नमामि गंगे,
  7. उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – Ganga Kee Saphaee Desh Kee Bhalaee Par Nibandh

प्रस्तावना–
गंगा भारतीय जनमानस की आस्था का जीवन्त प्रतीक है। गंगा सदियों से हमारी सभ्यता–संस्कृति एवं आध्यात्मिकता का केन्द्र रही है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता का विकास गंगा–यमुना जैसी पवित्र नदियों के तट पर या उनके आस–पास ही हुआ। इसीलिए गंगा–किनारे पर बसे तीर्थस्थानों में गंगा की महिमा के गीत गाए जाते हैं, जिनमें गंगा को मुक्तिदायिनी मानकर कहा गया है-

“मुक्तिदा मानी गई है, स्वर्गदा गंगा नदी।
जल नहीं, जल है सुधासम, सर्वथा सर्वत्र ही॥”

गंगा का जल वर्षों तक बोतलों, डिब्बों में बन्द रहने के बाद भी खराब नहीं होता है, लेकिन भारत की मातृवत् पूज्या गंगा आज पर्याप्त सीमा तक प्रदूषित हो चुकी है। अनेक स्थानों पर तो इसका जल अब स्नान करने योग्य भी नहीं रह गया है। इसलिए आज हम सबका कर्त्तव्य है कि गंगा नदी की अविरलता और पवित्रता बनाए रखें; क्योंकि गंगा की सफाई और उसके अस्तित्व में ही देश की भलाई निहित है।

गंगा की उपयोगिता–गंगा नदी का अविरल–निर्मल प्रवाह हमारे देश के जीवन के लिए बहूपयोगी है-

  • गंगा लगभग 2071 किमी की लम्बी यात्रा करते हुए भारत के विशाल भू–भाग को सींचती है। यह देश के पाँच महत्त्वपूर्ण राज्यों–उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल को हरा–भरा बनाती हुई देश के लगभग 26% भू–भाग को लाभान्वित करती है।
  • गंगा के निर्मल जल में अनेक जलीय जीव–जन्तु पाए जाते हैं, जो पर्यावरण को सन्तुलित बनाए रखने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। गंगा–जल उनका पोषण करता है।
  • गंगा नदी के किनारे बसे कई प्रमुख शहरों को एवं उद्योगों को जल की आपूर्ति इसी के जल से होती है।
  • गंगा नदी पर बने बाँधों और इससे निकाली गई अनेक बड़ी नहरों पर बिजलीघरों की स्थापना करके प्रचुर मात्रा में बिजली का उत्पादन किया जाता है।
  • गंगा नदी के जल में ‘बैक्टीरियोफेज’ नामक विषाणु पाया जाता है, जो हानिकारक जीवाणुओं और सूक्ष्म जीवों को जीवित नहीं रहने देता है।
  • गंगा नदी के जल में पर्याप्त घुलनशील ऑक्सीजन होती है, जो जलीय जीवन के लिए अत्यावश्यक होती है।

गंगा नदी के प्रदूषण के कारण–पतित पावनी गंगा नदी के प्रदूषित होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

(क) अपर्याप्त जल–प्रवाह–टिहरी बाँध बनाकर गंगा के अविरल जल प्रवाह को अत्यन्त धीमा कर दिया गया है। गर्मियों में तो उसमें जल का प्रवाह इतना कम हो जाता है कि उसे देखकर लगता है कि यह कोई नदी नहीं वरन् नाला है। इसके अतिरिक्त गंगा पर अनेक स्थानों पर बैराज बनाकर उसके जल को बड़ी–बड़ी नहरों में भेजकर उसके प्रवाह को और भी धीमा कर दिया गया है।

इस प्रकार जल का प्रवाह कम हो जाने के कारण गंगा–जल में अशुद्धियों की मात्रा बढ़ती जा रही है। प्राचीनकाल में इसका तीव्र प्रवाह इसकी अशुद्धियों को अपने साथ बहा ले जाता था और इसकी पवित्रता बनी रहती थी। अत्यधिक प्रदूषण के कारण गंगा नदी के जल से ऑक्सीजन की मात्रा लगातार कम होती जा रही है।

(ख) गन्दे नालों का गिरना–भारत के अनेक प्रमुख नगर और हजारों गाँव गंगा–किनारे और उसके आस–पास बसे हैं। नगरों में आबादी का दबाव पर्याप्त सीमा तक बढ़ता जा रहा है। वहाँ के मल–मूत्र और गन्दा पानी नालों के माध्यम से गंगा में डाल दिया गया है। फलत: कभी खराब न होनेवाला गंगा–जल आज बहुत बुरी तरह से प्रदूषित हो गया है।

(ग) उद्योगों के अपशिष्ट और अशोधित जल का गंगा में गिरना–औद्योगीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति भी गंगा नदी को प्रदूषित करने का बड़ा कारण बनी है। कोलकाता, बनारस, कानपुर आदि अनेक औद्योगिक नगर गंगा–तट पर ही बसे हैं। यहाँ लगे छोटे–बड़े कारखानों से निकलनेवाला रासायनिक, प्रदूषित पानी, कचरा आदि गन्दे नालों तथा अन्य माध्यमों से होता हुआ गंगा में मिल जाता है, गंगा–जल अत्यधिक विषैला हो गया है।

(घ) शवों एवं पूजा–सामग्री का विजर्सन–सदियों से आध्यात्मिक एवं धार्मिक मान्यताओं से अनुप्राणित होकर गंगा की निर्मलधारा में मृतकों की अस्थियाँ, अवशिष्ट राख तथा अनेक लावारिस शव बहा दिए जाते हैं। बाढ़ आदि के समय मृत पशु भी इसकी धारा में आ मिलते हैं। प्रतिदिन हजारों की संख्या में होते दाह–संस्कारों की राख और उनसे सम्बन्धित सामग्री सब गंगा में विसर्जित कर मोक्ष पाने की कामना गंगा जल को प्रतिक्षण दूषित करती जा रही है। बड़ी मात्रा में किए जानेवाले मूर्ति–विसर्जन एवं पूजा–सामग्री के विसर्जन ने भी गंगा के जल को अत्यधिक प्रदूषित किया है।

गंगा नदी की शुद्धि के उपाय–उपर्युक्त समस्याओं से निपटने और गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण उपाय अपनाए जाने चाहिए–

  • जल–प्रवाह का अविरल सन्तुलन बनाए रखना चाहिए, जिससे गंगा में मिलनेवाली गन्दगी एक स्थान पर रुककर उसके जल को प्रदूषित न करे।
  • उद्योगों द्वारा उत्सर्जित अपशिष्ट पदार्थों के गंगा में गिराए जाने पर रोक लगानी चाहिए। जो मानक इन औद्योगिक इकाइयों के लिए निर्धारित हैं, उन्हें लागू करवाने के लिए कठोर नियम–कानून होने चाहिए।
  • जो भी नदी परियोजनाएँ चालू हैं अथवा भविष्य में चालू होंगी, उनके द्वारा होनेवाले पारिस्थितिकीय असन्तुलन सम्बन्धी नुकसान की भरपाई व समाधान होना चाहिए।
  • धार्मिक स्थलों के पास अनुपयुक्त एवं अपशिष्ट पदार्थों के निपटान हेतु उचित व्यवस्था होनी चाहिए। लगन्दे नालों को सीधे नदी में नहीं जोड़ना चाहिए, अपितु उपचार संयन्त्रों के द्वारा संशोधन करके ही पानी को नदी में छोड़ना चाहिए।
  • शहरों–गाँवों द्वारा निकले मल–मूत्र व घरेलू अपशिष्ट पदार्थों का उचित निस्तारण करना चाहिए।
  • जैविक विधि से नदी को स्वच्छ करना चाहिए।

The Good Of The Country Cleaning The Ganges Essay

विभिन्न परियोजनाएँ–
गंगा को स्वच्छ करने के लिए सरकार द्वारा कई परियोजनाएँ चलाई गई हैं, जो अपने उद्देश्य में पूर्णरूपेण सफलता प्राप्त नहीं कर पाईं। सन् 1985 ई० में ‘गंगा कार्य योजना’ (GAP) का शुभारम्भ किया गया, जिसका उद्देश्य गंगा को शीघ्रातिशीघ्र स्वच्छ और परिष्कृत बनाना था। इस महत्त्वपूर्ण परियोजना में विश्व बैंक ने भी सहयोग किया था, लेकिन 15 वर्षों में करोड़ों रुपये व्यय करके भी गंगा की स्थिति में सुधार नहीं हुआ।

31 मार्च, 2000 ई० में इस कार्यक्रम को बन्द कर दिया गया। इसके पश्चात् राष्ट्रीय नदी संरक्षण प्राधिकरण की परिचालन समिति द्वारा ‘गंगा कार्य योजना–2 (GAP–2) के अन्तर्गत गंगा को स्वच्छ करने का अभियान चलाया गया। इस योजना के अन्तर्गत गंगा में गिरनेवाले दस लाख लीटर मल–जल को रोकने, हटाने और उपचारित करने का लक्ष्य था।

Essay On The good of the country cleaning the Ganges

नमामि गंगे–7
जुलाई, 2014 ई० को गंगा की सफाई के उद्देश्य से प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदीजी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल की बैठक में ‘नमामि गंगे’ योजना स्वीकृत की गई। इस योजना के अन्तर्गत गंगा को पूर्ण रूप से संरक्षित और स्वच्छ बनाने के उपाय करने का संकल्प लिया गया है। इस योजना पर लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की जाएगी।

सरकार को इस कार्य में गंगा नदी घाटी प्रबन्धन योजना के अन्तर्गत सात आई० आई० टी० समूह के सदस्यों को गंगा के जल–प्रवाह को प्रदूषणरहित बनाने की तकनीक विकसित करने का दायित्व सौंपा गया है। इस योजना के अन्तर्गत भारत सरकार ने गंगा के किनारे स्थित 48 औद्योगिक इकाइयों को बन्द करने का आदेश दे दिया है।

उपसंहार–
आज केन्द्र सरकार गंगा की सफाई के प्रति सजग, सक्रिय और दृढ़–प्रतिज्ञ है। हमें भी अपने तन–मन–धन द्वारा इस अमूल्य राष्ट्रीय सम्पदा के संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए। बनारस के ‘स्वच्छ गंगा अभियान’ के संचालक प्रोफेसर वीरभद्र मिश्र के अनुसार–“गंगा दुनिया की एकमात्र नदी है, जिस पर चालीस करोड़ लोगों का अस्तित्व निर्भर है।” अपने सांस्कृतिक अस्तित्व और देश की भलाई के लिए हमें गंगा को स्वच्छ बनाना ही होगा, जिससे एक बार फिर से गंगा–दर्शन और गंगा–स्पर्श गोस्वामी तुलसीदास की इस मान्यता की कसौटी पर खरा उतर सके-

“दरस परस अरु मज्जन पाना।
कटहिं पाप कहँ बेद–पुराना।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – Narendra Modi Essay In Hindi

Narendra Modi Essay In Hindi

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – Essay On Narendra Modi In Hindi

रूपरेखा–

  • प्रस्तावना.
  • जीवन–परिचय–
    • (क) प्रारम्भिक शिक्षा
    • (ख) वैवाहिक स्थिति.
    • (ग) उच्च–शिक्षा,
    • (घ) प्रारम्भिक राजनैतिक सक्रियता,
  • मोदीजी की भूमिका–
    • (क) मुख्यमन्त्री के रूप में,
    • (ख) प्रधानमन्त्री के रूप में,
    • (ग) कुशल नेतृत्वकर्ता के रूप में,
    • (घ) कवि के रूप में,
  • सम्पूर्ण व्यक्तित्व : एक दृष्टि में,
  • युवाओं के आदर्श एवं प्रेरणास्रोत,
  • उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – Pradhaanamantree Narendr Modee Par Hindee Nibandh

प्रस्तावना–
भारतीय संविधान के अनुसार प्रधानमन्त्री का पद बहुत ही महत्त्वपूर्ण पद है। वह भारत सरकार का मुखिया, भारत के राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार, मन्त्रिपरिषद् तथा बहुमतवाले दल का नेतृत्वकर्ता होता है। वर्तमान में इस अतिमहत्त्वपूर्ण पद को माननीय श्री नरेन्द्र मोदीजी सुशोभित कर रहे हैं, जिन्होंने 26 मई, 2014 ई० को देश के 15वें प्रधानमन्त्री के रूप में पदभार ग्रहण किया। मोदीजी प्रधानमन्त्री के रूप में संसद में प्रथम प्रवेश के समय माथा टेककर उसे मन्दिर की–सी गरिमा प्रदान करनेवाले प्रथम प्रधानमन्त्री हैं।

अत्यन्त ऊर्जावान्, समर्पित और दृढ़निश्चयी मोदीजी एक अरब से भी अधिक भारतीयों की आकांक्षाओं और आशाओं के सम्बल हैं। उन्होंने भारतवासियों के हृदय में सुशासन के द्वारा ‘अच्छे दिन आने’ की अलख जगाई और अपनी सरकार द्वारा राष्ट्र को आन्तरिक एकता, बेहतरीन विकास और आत्मविश्वास के साथ विश्वफलक पर सुदृढ़ राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित करने का संकल्प लिया। वे निरन्तर इसी दिशा में प्रयासरत हैं।

उन्होंने भारत की स्थिति को वैश्विक स्तर पर अत्यन्त सुदृढ़ बनाया है। इसलिए सादा जीवन उच्च विचार के मूर्तरूप नैतिक मूल्यों के पोषक, व्यवहार कुशल, प्रतिभावान् तथा बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी नरेन्द्र मोदीजी के प्रति भारतीय जनमानस में अटूट विश्वास उत्पन्न हुआ है। वे ‘अन्त्योदय’ अर्थात् राष्ट्र के अन्तिम व्यक्ति तक सेवा पहुँचाने के सिद्धान्त से प्रेरित होकर कार्य करते हैं। उनका प्रधानमन्त्री पद के दायित्वों को सँभालना प्रत्येक भारतीय के लिए हर्ष का विषय है।

Narendra Modi Essay In Hindi

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जीवन परिचय–

माननीय नरेन्द्र मोदीजी का पूरा नाम नरेन्द्र दामोदरदास मूलचन्द मोदी है। उनका जन्म 17 सितम्बर, 1950 ई० को गुजरात (तत्कालीन बॉम्बे राज्य) के महसाणा जिला स्थित वाडनगर ग्राम के अन्य पिछड़ा वर्ग के एक निर्धन परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम दामोदरदास मूलचन्द मोदी एवं माता का नाम हीराबेन मोदी है।

बाल्यकाल से किशोरावस्था तक मोदीजी वाडनगर बस–स्टैण्ड के पास अपने पिता की चाय की दुकान पर उनका हाथ बँटाते थे। मोदीजी को बाल्यकाल में अनेक विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, परन्तु उन्होंने हार न मानते हुए अपने उदात्त चरित्र–बल और साहस से न केवल सभी बाधाओं को पार किया, वरन् सफलता के चरमशिखर तक भी पहुंचे।

(क) प्रारम्भिक शिक्षा नरेन्द्र मोदीजी ने अपनी प्रारम्भिक स्कूली शिक्षा वाडनगर से ही सन् 1967 ई० में पूर्ण की।

(ख) वैवाहिक स्थिति नरेन्द्र मोदीजी की 13 वर्ष की आयु में ही जसोदा बेन चमनलाल के साथ सगाई और मात्र 17 वर्ष की आयु में विवाह कर दिया गया। विवाह के कुछ समय पश्चात् ही मोदीजी घर–परिवार छोड़कर देश–सेवा के मार्ग पर निकल पड़े।

(ग) उच्च शिक्षा–अपने दृढ़ संकल्प और परिश्रम का परिचय देते हुए नरेन्द्र मोदीजी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का प्रचारक रहते हुए सन् 1983 ई० में गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की।

(घ) प्रारम्भिक राजनैतिक सक्रियता–किशोरावस्था से ही नरेन्द्र मोदीजी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आर० एस० एस०) से प्रभावित थे और नियमित रूप से शाखा में जाते थे। भारत–पाक द्वितीय युद्ध के समय उन्होंने स्वेच्छा से रेलवे स्टेशनों पर सफर कर रहे भारतीय सैनिकों की सेवा की, वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से भी जुड़े।

सन् 1971 ई० में आधिकारिक रूप से नरेन्द्र मोदी ने आर० एस० एस० की सदस्यता प्राप्त की और नागपुर शिविर से प्रशिक्षण लिया। शीघ्र ही संघ परिवार में उन्होंने अपनी विशेष पहचान बनाई और उच्चपद पर पहुँचे। सन् 1975–77 ई० में आपात्काल के समय नरेन्द्र मोदीजी ने गुजरात क्षेत्र में भूमिगत होकर आपात्काल के विरुद्ध एक सिक्ख, सन्त और प्रौढ़ व्यक्ति के वेष बनाकर सक्रिय कार्य किया। मोदीजी ने जयप्रकाश नारायण आन्दोलन में भी सक्रिय भागीदारी की।

सन् 1987 ई० में मोदीजी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और राजनीति की मुख्यधारा में प्रवेश किया। एक वर्ष में ही उन्हें पार्टी की गुजरात इकाई का महामन्त्री नियुक्त किया गया। उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं को सक्रिय बनाने का चुनौतीपूर्ण कार्य सफलतापूर्वक किया।

मोदीजी की भूमिका–मोदीजी विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्ति हैं। इन्होंने समय–समय पर विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया है, जिसका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है-

(क) मुख्यमन्त्री के रूप में–7 अक्टूबर, 2001 ई० में मोदीजी गुजरात के मुख्यमन्त्री के रूप में नियुक्त हुए। उस समय गुजरात जनवरी 2001 ई० में आए विनाशक भूकम्प सहित अन्य विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं की त्रासदी से जूझ रहा था। ऐसी विकट परिस्थिति में उन्होंने सर्वांगीण सामाजिक–आर्थिक विकास के लिए उपयुक्त ढंग से सामाजिक क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रितकर राज्य के विकास हेतु अनेक कार्य किए। इसी के फलस्वरूप मोदीजी सन् 2002, 2007 तथा 2012 ई० के आम चुनावों में भारी मतों से विजयी हुए।

26 दिसम्बर, 2012 ई० को मोदीजी लगातार चौथी बार गुजरात के मुख्यमन्त्री बने। उन्होंने गुजरात के चहुंमुखी विकास के लिए ‘पंचामृत योजना’, ‘सुजलाम्–सुफलाम् योजना’, “कृषि महोत्सव’, ‘चिरंजीवी योजना’, ‘मातृ–वन्दना’, ‘बेटी बचाओ’, ‘ज्योतिग्राम योजना’, ‘कर्मयोगी अभियान’, ‘कन्या कलावाणी योजना’, ‘बालभोग योजना’ आदि अनेक सराहनीय कार्य किए। इन्होंने सरकार के नौकरशाही तन्त्र को नया स्वरूप प्रदान किया और उसको सरल बनाया, जिससे वह कुशलतापूर्वक, ईमानदारी तथा मानवीय भावना से कार्य कर सके।

(ख) प्रधानमन्त्री के रूप में मोदीजी की प्रसिद्धि और कार्यशैली को देखकर भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2014 ई० के आम चुनाव में उन्हें प्रधानमन्त्री पद का प्रत्याशी घोषित किया। उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई। 21 मई, 2014 ई० को मोदीजी ने गुजरात के मुख्यमन्त्री पद और वडोदरा विधानसभा सीट से त्यागपत्र देकर उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने का निर्णय लिया।

उन्होंने यह भी घोषणा की कि वह गंगा की सेवा के साथ–साथ इस प्राचीन नगरी का भी विकास करेंगे। 26 मई, 2014 को भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में श्री नरेन्द्र मोदीजी को भारत के 15वें प्रधानमन्त्री के रूप में शपथ ग्रहण कराई।

प्रधानमन्त्री मोदीजी ने देश की प्रगति में तेजी लाने और प्रत्येक नागरिक तक विकास का लाभ पहुँचाने हेतु निम्नलिखित मुख्य योजनाओं की शुरूआत की प्रधानमन्त्री जन–धन योजना–इस योजना का उद्देश्य देश के सभी नागरिकों को वित्तीय तन्त्र में शामिल करना है।

Essay On Narendra Modi In Hindi

मेक इन इण्डिया–
यह भारतीय व्यापार को सरल बनाने की एक महत्त्वपूर्ण योजना है, जिसके अन्तर्गत निवेशकों, उद्यमियों और उपभोक्ताओं को लाभ मिलना निश्चित है। 6 श्रमेव जयते–यह योजना श्रम सुधारों और श्रम की गरिमा से लघु और मध्यम उद्योगों में लगे श्रमिकों के सशक्तीकरण हेतु बनाई गई है। डिजिटल इण्डिया मिशन–इस योजना का उद्देश्य प्रौद्योगिकी के माध्यम से लोगों के जीवन–स्तर को सुधारना और उच्च–स्तर प्रदान करना है। 6 स्वच्छ भारत अभियान–यह योजना सन् 2019 ई० तक भारत को गन्दगीरहित बनाने की है।

इनके अतिरिक्त प्रधानमन्त्री आवास योजना, प्रधानमन्त्री सुरक्षा बीमा योजना, जीवन ज्योति बीमा योजना, सुकन्या समृद्धि एकाउण्ट, अटल पेंशन योजना, कौशल विकास योजना, मुद्रा बैंक योजना, डिगी–लोकर, गोल्ड मोनेटीजेशन स्कीम, गरीब कल्याण योजना, जन औषधि योजना, कृषि सिंचाई योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, नई मंजिल योजना, सुरक्षा बन्धन योजना, स्मार्ट सिटी आदि योजनाएँ प्रधानमन्त्री द्वारा चलाई जा रही हैं।

इन सभी योजनाओं की विशेषता यह है कि इनकी घोषणा के साथ ही इनका क्रियान्वयन आरम्भ हो गया। इन सभी पर एक साथ तेजी के साथ कार्य हो रहा है। जैसे–जैसे ये योजनाएँ अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ेगी, देश के विकास को नई ऊँचाइयाँ प्राप्त होगी। इसमें कोई सन्देह नहीं है।

(ग) कुशल नेतृत्वकर्ता के रूप में माननीय नरेन्द्र मोदीजी अपने कुशल और सधे हुए नेतृत्व के लिए जाने जाते हैं। इसका प्रथम परिचय उन्होंने अपने प्रधानमन्त्री पद के शपथ–ग्रहण–समारोह में विभिन्न राज्यों और राजनैतिक पार्टियों के प्रमुखोंसहित सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमन्त्रित करके दिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गए उनके भाषण को दुनियाभर में प्रशंसा मिली।

भारत को वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने के प्रयास हेतु नरेन्द्र मोदीजी ने जहाँ स्वयं अनेक यात्राएँ की, वहाँ अन्य देशों के शिखर पुरुषों को देश में आने का आमन्त्रण भी दिया। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमन्त्री टोनी अबॉट, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन एवं जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केलसहित विश्व के कई अन्य नेताओं ने भारत का दौरा किया, जिससे इन देशों के बीच सहयोग बढ़ाने तथा तकनीकी सम्बन्धों को विकसित करने में सफलता मिली।

इस प्रकार प्रधानमन्त्री मोदीजी ने अपने कुशल नेतृत्व से भारत को पूरी दुनिया से न केवल जोड़ा, अपितु उसकी मान–प्रतिष्ठा को एक नया आयाम प्रदान किया। उनकी इस कूटनीति का परिणाम यह हुआ है कि आज विश्व भारत को एक उभरती हुई शक्ति के रूप में देख रहा है। वह दिन दूर नहीं जब मोदीजी के नेतृत्व में सम्पूर्ण विश्व अपने मार्ग–निर्देशन के लिए भारत की ओर देखने के लिए विवश होगा।

(घ) कवि के रूप में कुशल राजनीतिज्ञ के अतिरिक्त नरेन्द्र मोदीजी एक संवेदनशील कवि भी हैं। उन्होंने गुजराती भाषा में अनेक कविताएँ लिखीं हैं। उनकी श्रेष्ठ कविताओं का संकलन ‘आँख आ धन्य छे’ नाम से वर्ष 2007 ई० में प्रकाशित हो चुका है, जिसका अनुवाद डॉ० अंजना सन्धीर द्वारा हिन्दी में ‘आँख ये धन्य है’ के नाम से किया, एक अंश प्रस्तुत है-

“इतने सारे शब्दों के बीच मैं बचाता हूँ
अपना एकान्त तथा मौन के गर्भ में प्रवेश कर
लेता हूँ आनन्द किसी सनातन मौसम का।”

‘आँख ये धन्य है’ से सम्पूर्ण व्यक्तित्व : एक दृष्टि में नरेन्द्र मोदीजी को एक कुशल प्रशासक और कठोर अनुशासक के रूप में जाना जाता है। आन्तरिक रूप से वह एक सहज–सरल, मृदुल व्यक्तित्व के स्वामी हैं। वह शुद्ध शाकाहारी, अन्तर्मुखी, सतत क्रियाशील और कर्म के प्रति समर्पित व्यक्ति हैं। प्रधानमन्त्री होते हुए भी वे 18 से 20 घण्टे कार्य करते हैं। वह एक असाधारण वक्ता हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनकी विशेष अभिरुचि है। वह यथार्थवादी होने के साथ–साथ आशावादी भी हैं।

उनका मानना है कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के लिए स्पष्ट दृष्टि, उद्देश्य या लक्ष्य की जानकारी और कठोर श्रम अत्यन्त आवश्यक हैं। उनकी दिनचर्या का आरम्भ योग से होता है। मोदीजी मितव्ययी और मिताहारी हैं। उनका ऐसी शिक्षा व्यवस्था में विश्वास है, जो मनुष्य के आन्तरिक विकास और उन्नति का माध्यम बने एवं समाज को अँधेरे, मायूसी और गरीबी के दुश्चक्र से मुक्ति प्रदान कर सके। मोदीजी का जनशक्ति में अखण्ड विश्वास है।

युवाओं के आदर्श एवं प्रेरणास्त्रोत–माननीय मोदीजी की प्रत्येक योजना का लक्ष्य युवाओं को प्रोत्साहित करके उनकी शक्ति को देश के विकास में लगाना है। उन्होंने जिस ईमानदारी से देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने और युवाओं को पूरी पारदर्शिता के साथ रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है, उससे देश के युवा उनके मुरीद हो गए हैं। वे देश के युवाओं की आशा के अनुरूप केवल योजनाओं की घोषणा में विश्वास नहीं करते, वरन् उनके क्रियान्वयन द्वारा ठोस परिणाम प्राप्त करके देश को प्रगति के पथ पर ले जाना चाहते हैं।

देश के युवा स्वयं देख चुक हैं कि वे जिन योजनाओं की घोषणा करते हैं, उनका क्रियान्वयन भी उसी क्षण से आरम्भ हो जाता है, जिससे युवाओं का उनके प्रति विश्वास तथा श्रद्धा और अधिक सुदृढ़ होती है। उनकी सुकन्या समृद्धि योजना, अटल पेंशन योजना, नई मंजिल योजना, मेक इन इण्डिया, मुद्रा बैंक योजना आदि अधिकांश योजनाएँ युवाओं को दृष्टिगत रखते हुए ही आरम्भ की गई हैं। युवाओं को समर्पित ‘स्किल इण्डिया’ योजना ने तो युवाओं की आशाओं को मानो पंख ही लगा दिए हैं।

इस योजना के शुभारम्भ के अवसर पर उनके इस कथन ने युवाओं को नए जोश और आत्मविश्वास से भर दिया–”सरकार ने गरीबी के विरुद्ध युद्ध घोषित किया है और इसमें जीत के लिए वह प्रतिबद्ध है प्रत्येक गरीब और वंचित युवा इस युद्ध में एक सिपाही है।” उनके ‘मन की बात’ कार्यक्रम से देश के युवा प्रत्यक्ष रूप से जुड़कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

इसके अतिरिक्त मोदीजी ने विश्व स्तर पर अपनी कूटनीति से भारत की मान–प्रतिष्ठा को जो नए आयाम प्रदान किए हैं, उनसे युवाओं का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। आज सम्पूर्ण विश्व भारत को जिस विश्वास की दृष्टि से देख रहा है और भारत के नेतृत्व में जिस सुनहरे कल के सपने सँजो रहा है, उससे भारत के युवाओं को एक नई प्रेरणा मिलती है।

वे जब अपने प्रधानमन्त्री को 18 से 20 घण्टे तक काम करते देखते हैं तो उनका अन्तःकरण भी उनके नक्शे–कदम पर चलने के लिए उन्हें उद्वेलित करता है। मोदीजी का ऊर्जावान्, ओजस्वी और प्रतिभाशाली व्यक्तित्व आज देश के युवाओं का आदर्श और प्रेरणास्रोत बनकर सम्पूर्ण विश्व को नई ऊर्जा प्रदान कर रहा है।

उपसंहार–
प्रधानमन्त्री के रूप में माननीय मोदीजी ने देश की जनता को यह विश्वास दिलाया है कि उन्हें जो दायित्व सौंपा गया है, उसे वह पूरी निष्ठा और प्राणपण से निभाएँगे। कर्मठ, समर्पित और दृढ़–निश्चयी नरेन्द्र मोदीजी सवा अरब भारतीयों के सपनों और आकांक्षाओं के लिए आशा की एक किरण बनकर आए हैं। उनकी यह वचनबद्धता सभी भारतीयों को उनके प्रति श्रद्धावनत कर आनन्द से अभिभूत कर देती है-

“सौगन्ध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं मिटने दूंगा।
मैं देश नहीं रुकने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा।”

सर्वधर्म समभाव निबंध – All Religions Are Equal Essay In Hindi

All Religions Are Equal Essay In Hindi

सर्वधर्म समभाव निबंध – Essay On All Religions Are Equal In Hindi

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना – Religion Does Not Teach To Hate Each Other

रूपरेखा–

  • प्रस्तावना,
  • संसार में प्रचलित धर्म,
  • सच्चे धर्म के लक्षण,
  • धार्मिक उन्माद,
  • सर्वधर्म समभाव
  • उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

सर्वधर्म समभाव निबंध – Sarvadharm Samabhaav Nibandh

प्रस्तावना–
संसार में जब से मनुष्य ने होश सँभाला है, तभी से कुछ अलौकिक और अतिमानवीय शक्तियों में उसका विश्वास रहा है। उसने इस शक्ति को ईश्वर नाम दिया है। ईश्वर की शक्ति को चुनौती से परे माना है तथा उसे इस विश्व का नियंता कहा है। इन विषयों से सम्बन्धित विचार ही धर्म है। धर्म से मनुष्य का सम्बन्ध बहत गहरा तथा पुराना है।

All Religions Are Equal Essay In Hindi

संसार में प्रचलित धर्म–
संसार में आज अनेक धर्म प्रचलित हैं अथवा वैदिक धर्म को प्राचीनतम माना जाता है। इसके पश्चात् ईसाई और इस्लाम धर्म आते हैं। पश्चिम में पारसी और यहूदी धर्म भी चलते हैं। हिन्दू धर्म से निकले सिख, जैन, बौद्ध धर्म भी हैं। ईसाई धर्म के मानने वालों की संख्या विश्व में सर्वाधिक है। उसके बाद क्रमशः इस्लाम, बौद्ध और हिन्दू ६ गर्म के मानने वाले आते हैं।

Essay On All Religions Are Equal In Hindi

सच्चे धर्म के लक्षण–
जिसको धारण किया जाय वह धर्म है। सच्चा धर्म वही है जो मानवता का पाठ पढ़ाए। मनुष्यों के बीच एकता, प्रेम और सद्भाव को स्थापित करने वाला धर्म ही सच्चा धर्म है। धर्म पूजा–पद्धति मात्र नहीं है। वह जीवन जीने की एक पद्धति अवश्य है। भारत में धर्म के दस लक्षण बताए गए हैं, वे हैं–धैर्य, क्षमा, आत्मसंयम, अस्तेय, पवित्रता, इन्द्रिय–निग्रह, बुद्धिमता, विद्या, सत्य और अक्रोध। ये लक्षण प्रायः प्रत्येक धर्म में मान्य हैं। ये लक्षण मानवता की पहचान हैं।

अत: मानवता को ही सच्चा धर्म कहा जा सकता है।

धार्मिक उन्माद–
प्रत्येक धर्म में कुछ लोग होते हैं जो धर्म के इस रूप को नहीं मानते। उनको अपना धर्म ही सर्वश्रेष्ठ लगता है। दूसरे धर्मों की अच्छी बातें भी उनको ठीक नहीं लगती। सब मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान हैं–

यह बात उनको ठीक नहीं लगती। गांधी जी के कथन–ईश्वर, अल्लाह एक ही नाम भी उनको प्रिय नहीं हैं। ऐसे व्यक्ति धार्मिक समभाव का समर्थन नहीं करते। वे दूसरे धर्म के अनुयायियों को सताते हैं और उनके पूजागृहों को नष्ट करते हैं। वे धार्मिक उन्माद फैलाकर समाज की शांति को भंग करते हैं और देश को संकट में डाल देते हैं।

सर्वधर्म समभाव–
सच्चे धर्मात्मा सर्वधर्म समभाव में विश्वास करते हैं। उनके मत में सभी धर्म समान रूप से सम्मान के पात्र हैं। धर्म अलग होने के कारण झगड़ा करना, रक्तपात करना, हिंसा फैलाना, सम्पत्ति नष्ट करना और स्त्री–पुरुष–बच्चों की हत्या करना, न धर्म है, न यह उचित ही है।

सब से प्रेम करना और हिलमिलकर रहना ही मनुष्यता की पहचान है। अपने धर्म को मानना किन्तु अन्य धर्मों का आदर करना ही सर्वधर्म समभाव है। यही विश्व की समृद्धि का रास्ता है।

उपसंहार–
शायर इकबाल ने कहा है–’मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’। धर्म शत्रुता की नहीं प्रेम की शिक्षा देता है। हर धर्म भाईचारे की बात कहता है। धर्म के नाम पर लड़ना पागलपन है। इस पागलपन से बचना ही मानवता के लिये श्रेयष्कर है।

ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – T20 Cricket Essay In Hindi

T20 Cricket Essay In Hindi

ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – Essay On T20 Cricket In Hindi

संकेत बिंदु –

  • प्रस्तावना
  • टेस्ट क्रिकेट
  • टी-ट्वेंटी प्रारूप
  • उपसंहार
  • क्रिकेट के विभिन्न प्रारूप
  • एक दिवसीय क्रिकेट
  • टी-ट्वेंटी का रोमांच एवं सफलता

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना – यूँ तो मनुष्य का खेलों से बहुत ही पुराना नाता है, पर मनुष्य ने शायद ही कभी यह सोचा हो कि ये खेल एक दिन उसे यश, धन और प्रतिष्ठा दिलाने का साधन सिद्ध होंगे। जिन खेलों को वह मात्र मनोरंजन के लिए खेला करता था, वही खेल अब खराब नहीं नवाब बना रहे हैं। खेलों में आज लोकप्रियता के शिखर पर क्रिकेट का स्थान है। इसकी लोकप्रियता के कारण आज हर बच्चा क्रिकेट का खिलाड़ी बनना चाहता है। वर्तमान में क्रिकेट का ट्वेंटी-ट्वेंटी रूप बहुत ही लोकप्रिय है।

T20 Cricket Essay In Hindi

क्रिकेट के विभिन्न प्रारूप – भारत में क्रिकेट की शुरुआत अंग्रेज़ों के समय हुई। अंग्रेज़ों का यह राष्ट्रीय खेल था, जिसे वे अपने साथ यहाँ लाए। कालांतर में यह विभिन्न देशों में फैला। उस समय क्रिकेट को मुख्यतया टेस्ट क्रिकेट के रूप में खेलते थे। समय की व्यस्तता और रुचि में आए बदलाव के साथ ही क्रिकेट का प्रारूप बदलता गया। एक दिवसीय क्रिकेट और टी-ट्वेंटी इसका लोकप्रिय रूप है।

Essay On T20 Cricket In Hindi

टेस्ट क्रिकेट – टेस्ट क्रिकेट पाँच दिनों तक खेला जाने वाला रूप है। इसमें पाँचों दिन 90-90 ओवर की प्रतिदिन गेंदबाजी की जाती है। दोनों टीमें दो-दो बार बल्लेबाज़ी करती हैं। विपक्षी टीम को दोबार आल आउट करना होता है। ऐसा ही दूसरी टीम करती है, परंतु प्राय; पाँच दिन तक मैच चलने के बाद भी खेल का परिणाम नहीं निकलता है और मैच ड्रा कर दिया जाता है। यह प्रारूप धीरे-धीरे अपनी लोकप्रियता खोता जा रहा है।

एक दिवसीय क्रिकेट – यह क्रिकेट का दूसरा प्रारूप है, जिसे एक दिन में एक सौ ओवर अर्थात छह सौ आधिकारिक गेंदें खेलकर पूरा किया जाता है। प्रत्येक टीम 50-50 ओवर खेलती है। पहले बल्लेबाज़ी करने वाली टीम जितने रन बनाती है उससे एक रन अधिक बनाकर दूसरी टीम को मैच जीतना होता है। जो टीम ऐसा कर पाती है, वही विजयी होती है। यह क्रिकेट का बेहद रोमांचक प्रारूप है, जिसे दर्शक खूब पसंद करते हैं। एक ही दिन में प्रायः मैच का परिणाम निकलने और पूरा हो जाने के कारण क्रिकेट स्टेडियमों में दर्शकों की भीड़ देखने लायक होती है।

टी-ट्वेंटी प्रारूप – यह क्रिकेट का सर्वाधिक लोकप्रिय प्रारूप है जिसे चालीस ओवरों में पूरा कर लिया जाता है। प्रत्येक टीम बीस- . बीस ओवर खेलती है। इधर सात-आठ साल पहले ही शुरू हुए उस प्रारूप को फटाफट क्रिकेट कहा जाता है जिसकी लोकप्रियता ने अन्य प्रारूपों को पीछे छोड़ दिया है। यह प्रारूप अधिक रोमांचक एवं मनोरंजक है।

इसे देखकर दर्शकों का पूरा पैसा वसूल हो जाता है। यह क्रिकेट सामान्यतया सायं चार बजे के बाद ही शुरू होता है और आठ-साढ़े आठ बजे तक खत्म हो जाता है। इसमें परिणाम और मनोरंजन के लिए दर्शकों को पूरे दिन स्टेडियम में नहीं बैठना पड़ता है। भारत में शुरू हुई आई०पी०एल० लीग में इसी प्रारूप से खेला जाता है जो भविष्य के खिलाड़ियों के लिए एक नया प्लेटफॉर्म तथा नवोदित खिलाड़ियों के लिए कमाई का साधन बन गया है। अब तो आलम यह है कि इस प्रारूप में चार सौ से अधिक रन तक बन जाते हैं।

टी-ट्वेंटी का रोमांच एवं सफलता- क्रिकेट का यह नया प्रारूप अत्यंत रोमांचक है। 20 ओवरों के मैच में 200 से अधिक रन बन जाते हैं। ट्वेंटी-ट्वेंटी प्रारूप का रोमांच तब देखने को मिला जब युवराज ने अंग्रेज़ गेंदबाज़ किस ब्राड के एक ही ओवर में छह छक्कों को दर्शकों के बीच पहुँचा दिया। ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी ही इस प्रारूप की सफलता का रहस्य है।

उपसंहार – हमारे देश में क्रिकेट अत्यंत लोकप्रिय है। खेल के इस नए प्रारूप ने इसे और भी लोकप्रिय बना दिया है। आस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ शेनवान और सचिन तेंदुलकर की रिटायर्ड खिलाड़ियों की टीमों ने अमेरिका में तीन मैचों की सीरीज खेलकर दर्शकों की खूब वाह-वाही लूटी। क्रिकेट का यह नया प्रारूप टी-ट्वेंटी दिनोंदिन लोकप्रिय होता जा रहा है।

Dussehra Essay In Hindi | दशहरा पर निबन्ध

Dussehra Essay In Hindi दशहरा पर निबन्ध

Dussehra Essay In Hindi | दशहरा पर निबन्ध
दशहराविजयदशमी संकेत बिंदु:

  • महत्व
  • आयोजन और मनाया जाना
  • प्रभाव

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

दशहरा पर निबन्ध | Essay on Dussehra In Hindi

बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है-दशहरा। इस दिन सचमुच ऐसा लगता है कि सतयुग का रामराज्य पुनः लौट आया है। इस पर्व का धार्मिक महत्व रामायण की कथा पर आधारित है। इस दिन अयोध्या के राजा राम ने लंका के अत्याचारी राजा रावण को पराजित कर विजय प्राप्त की थी। उसी विजय की स्मृति में इस पर्व को विजयदशमी भी कहते हैं। सहस्रों वर्षों की घटना को हिंदुओं के दृढ़ विश्वास ने इसे सजीव बना दिया है।

हिंदू इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। दस दिन पहले ही हर नगर, हर गली में रामलीला आरंभ हो जाती है। श्री राम के जीवन को चित्रित करने वाली झाँकियाँ निकाली जाती हैं, जिसे राम जी की सवारी कहते हैं। राजधानी दिल्ली की रामलीलाएँ विशेष रूप से दर्शनीय होती हैं।

इस पर्व के दिन बाजारों में विशेष चहल-पहल होती है। बाजारों में बिक रहे रामलीला के पात्रों के मुखौटे, धनुष-बाण और गदा आदि खिलौने बच्चे बड़े चाव से खरीदते हैं। शाम होते ही सभी दशहरा मैदान की तरफ चल पड़ते हैं। इस दिन सवारी की शोभा भी निहारने योग्य होती है।

सवारी के दशहरा मैदान पहुँचते ही राम-रावण युद्ध दिखाया जाता है। रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले मैदान में पहले ही खड़े कर दिए जाते हैं। इनमें बारूद, पटाखे और आतिशबाजी भर दी जाती है। शाम होते ही इन पुतलों को कागज़ की लंका सहित अग्नि की भेंट कर दिया जाता है।

आकाश में उड़ती फुलझड़ियों और आतिशबाज़ी की रंगबिरंगी रोशनी बड़ी भली लगती है। रावण का दाह संस्कार कर सब लोग प्रसन्नतापूर्वक घर लौटते हैं। इस अवसर पर शक्ति की देवी, पापियों का नाश करने वाली दुर्गा की भी पूजा होती है। शाम को प्रतिमा को धूमधाम से जल में विसर्जित कर दिया जाता है। यह पर्व भारतीय समाज में बहुत ही शुभ माना जाता है।

यह पर्व हमारे जीवन में नई स्फूर्ति, नए जीवन और नए उत्साह का संचार करता है। इस पर्व से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सदा सत्य की विजय और असत्य की पराजय होती है।

Essay on Dussehra In Hindi