मेरा प्यारा भारत – My Lovely India Essay In Hindi

My Lovely India In Hindi

भारत पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Essay on India in Hindi)

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा – Our good Hindustan from all over the world

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना,
  • भारत का भूगोल और प्रकृति,
  • इतिहास, सभ्यता और संस्कृति,
  • विभिन्नता में एकता,
  • आधुनिक भारत,
  • उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना-ये मेरा इण्डिया।
अच्छा न लगे तो कहिए यह मेरा प्यारा भारत। हम इसको हिन्दुस्तान भी कहते हैं। इतिहास के पन्नों में इसके आर्यावर्त और ब्रह्मवर्त नाम भी दर्ज हैं। मगर नाम में क्या रखा है? है तो यह हमारा प्यारा देश भारत ही। संसार के समस्त देशों में अनुपम! इसकी विशेषताओं पर मुग्ध होकर ही कवि इकबाल ने लिखा था

‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।’

भारत का भूगोल और प्रकृति-हमारा हिन्दोस्तां दुनिया के सभी देशों में सर्वोत्तम है। कम से कम भारतवासियों को तो ऐसा ही लगता है। लगे भी क्यों न? जब-

ध्रुववासी जो हिम में, तम में, जी लेता है काँप-काँपकर
रखता है अनुराग अलौकिक वह भी अपनी मातृभूमि पर।

हमारा देश भारत तो प्राकृतिक सुषमा से भरापूरा है। इसकी भौगोलिक स्थिति ने इसको सुखदायक देश का गौरव दिया है। यहाँ न ध्रुव प्रदेश जैसी सर्दी पड़ती है और न विषुवत् रेखा के प्रदेश जैसी भीषण गर्मी। इसकी ऋतुएँ परम आनन्ददायिनी हैं। इसकी वर्षा जीवनदायिनी होती है और भारत को शस्य-श्यामला बनाती है। भारत एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है।

अपनी विशालता तथा विविधता के कारण यह उपमहाद्वीप की संज्ञा से जाना जाता है। इसके उत्तर में संसार का सर्वोच्च पर्वत हिमालय है। यह पर्वतराज हिमालय भारत की उत्तरी सीमा का प्रहरी है। यह बर्फीली हवाओं से भी भारत को बचाता है। इसके दक्षिण में हिन्द महासागर स्थित है जो भारत के चरण धोता है।

भारत में गंगा-यमुना, सिंधु, सतलज, व्यास, घाघरा आदि नदियाँ हैं, जिन्होंने उत्तर के मैदान को बनाया है। इसमें विभिन्न प्रकार के अन्न और खाद्य पदार्थ उत्पन्न होते हैं। भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य के सम्बन्ध में कवि सोम ठाकुर ने लिखा है-

सागर चरन पखारे, गंगा शीश चढ़ावे नीर।
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर॥

भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य पर मुग्ध होकर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने इसे ईश्वर की साकार प्रतिमा बताया है-

नीलाम्बर परिधान हरित-पट पर सुन्दर है।
सूर्यचन्द्र युग-मुकुट मेखला रत्नाकर है।
करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस देश की।
हे मातृभूमि तू सत्य ही सगुण मूर्ति सर्वेश की!

इतिहास, सभ्यता और संस्कृति-
भारत का इतिहास बहुत पुराना तथा गौरवशाली है। ऋग्वेद विश्व का सबसे पुराना ग्रन्थ है। जब आज का सभ्य यरोप जंगली जातियों का घर था तब भारत में सभ्यता विकसित हो चकी थी। शतपथ ब्राह्मण तथा बाइबिल में देवजाति की जिस जल प्रलय का उल्लेख मिलता है, उसका घटना स्थल हिमालय के उत्तर-पश्चिम का क्षेत्र था।

उस जल प्रलय में देवजाति नष्ट हो गई। केवल मनु बचे थे। उनकी नौका हिमालय पर अटक गई थी। जल उतरने पर मनु हिमालय से नीचे उतरे। उनकी सन्तान ही मनुज या मानव है। महाकवि जयशंकर प्रसाद ने भारत को ही आर्यों का आदि देश माना है। आर्य कहीं बाहर से आये थे, वह इस मत के समर्थक नहीं हैं-

हमारी जन्मभूमि है यही। कहीं से हम आये थे नहीं।

हजारों वर्षों में भारत ने सभ्यता के अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। भारत की सभ्यता और संस्कृति अत्यन्त पुरानी है। वह निरन्तर परिवर्तित और विकसित होती रही है। भारतीय संस्कृति, त्याग, प्रेम और शांति की संस्कृति है। बौद्ध, जैन, सिख आदि भारतीय मत तथा पारसी, यहूदी, ईसाई, इस्लाम आदि विदेशी मतों को भी यहाँ रहकर अपना विकास करने की स्वतन्त्रता प्राप्त हुई है। सर्वधर्म समन्वय तथा सहिष्णुता भारत की सभ्यता और संस्कृति की दृढ़ मान्यताएँ हैं-

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा।

विभिन्नता में एकता-
भारत की सर्वप्रमुख विशेषता विभिन्नता में एकता है। यहाँ अनेक धर्म, मत, जाति के लोग रहते हैं। उनका खान-पान तथा पहनावा भी भिन्न-भिन्न है परन्तु वे सभी भारतीय हैं।

भारत की यह विविधता उसके भूगोल तथा जलवायु में भी दिखाई देती है। भारत के निवासियों के शारीरिक गठन तथा रूप-रंग में भी भिन्नता है परन्तु उनकी भारतीयता में भिन्नता नहीं है।

भारत में अनेक प्रकार की वनस्पतियाँ उगती हैं, तरह-तरह के रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं, भाँति-भाँति के पशु-पक्षी यहाँ पाये जाते हैं। इन सबकी एकरूपता ही भारत है। भारत ने हरेक को अपनाया है और शरण दी है, शरणागत वत्सलता भारत की संस्कृति का प्रमुख गुण है। कवि जयशंकर प्रसाद ने लिखा है-

लघु सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे।
उड़ते खग जिस ओर मुँह किये, समझ नीड़ निज प्यारा
अरुण यह मधुमय देश हमारा।

आधुनिक भारत-
भारत विश्व का प्राचीनतम देश है। लम्बी दासता से मुक्त होकर आज भारत नवनिर्माण के पथ पर तेजी से बढ़ रहा है। सुभद्रा कुमारी चौहान के शब्दों में कहें तो “बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी”। एक सौ बीस करोड़ की जनसंख्या वाला भारत आज संसार का सबसे बड़ा गणतन्त्र है। भारतीयों ने प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के झण्डे गाड़े हैं।

आगामी दशाब्दियों में ही हमारा भारत विश्व की आर्थिक और सामरिक महाशक्ति बनने को तैयार है। स्वतन्त्रता और समानता का संदेश विश्व को देते हुए हम स्वयं भी इसी पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। रहा है और भविष्य उज्ज्वल है। हमें अपने मतभेद भुलाकर देश को विश्व में उसका उचित स्थान दिलाना है।

जियें तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष।
निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना: ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म आवेदन फॉर्म – Beti Bachao Beti Padhao Essay In Hindi

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध (Short and Long Essay on Beti Bachao Beti Padhao In Hindi)

कन्या भ्रूण हत्या : महापाप संकेत बिन्दु – Female Feticide Causality Point

  • घोर पाप
  • कन्या-भ्रूण हत्या के कारण
  • कन्या-भ्रूण हत्या के दुष्परिणाम
  • कन्या-भ्रूण हत्या रोकने के उपाय।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

घोर पाप-
हमारी भारतीय संस्कृति में कन्या को देवी का स्वरूप माना जाता है। नवरात्रि और देवी जागरण के समय कन्या-पूजन की परम्परा से सभी परिचित हैं। हमारे धर्मग्रन्थ भी नारी की महिमा का गुणगान करते हैं। आज उसी भारत में कन्या को माँ के गर्भ में ही समाप्त कर देने की लज्जाजनक परम्परा चल रही है। इस घोर पाप ने सभ्य जगत के सामने हमारे मस्तक को झुका दिया है।

कन्या-भ्रूण हत्या के कारण-
कन्या-भ्रूण को समाप्त करा देने के पीछे अनेक कारण हैं। कुछ राजवंशों और सामन्त परिवारों में विवाह के समय वर-पक्ष के सामने न झुकने के झूठे अहंकार ने कन्याओं की बलि ली। पुत्री की अपेक्षा पुत्र को महत्व दिया जाना, धन लोलुपता, दहेज प्रथा तथा कन्या के लालन-पालन और सुरक्षा में आ रही समस्याओं ने भी इस निन्दनीय कार्य को बढ़ावा दिया है। दहेज लोभियों ने भी इस समस्या को विकट बना दिया हैं। झूठी शान के प्रदर्शन के कारण कन्या का विवाह सामान्य परिवारों के लिए बोझ बन गया है।

कन्या-भ्रूण हत्या के दुष्परिणाम-
चिकित्सा विज्ञान को प्रगति के कारण आज गर्भ में ही संतान के लिंग का पता लगाना सम्भव हो गया है। अल्ट्रासाउण्ड मशीन से पता लग जाता है कि गर्भ में लड़की है या लड़का। यदि गर्भ में लड़की है, तो कुबुद्धि-लोग उसे डॉक्टरों की सहायता से नष्ट करा देते हैं। इस निन्दनीय आचरण के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं।

देश के अनेक राज्यों में लड़कियों और लड़कों के अनुपात में चिन्ताजनक गिरावट आ गई है। लड़कियों की कमी हो जाने से अनेक युवक कुँवारे घूम रहे हैं। अगर ‘ सभी लोग पुत्र ही पुत्र चाहेंगे तो पुत्रियाँ कहाँ से आएँगी। विवाह कहाँ से होंगे ? वंश कैसे चलेंगे ? इस महापाप में नारियों का भी सहमत होना बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है।

कन्या-भ्रूण हत्या रोकने के उपाय-
कन्या-भ्रूण हत्या को रोकने के लिए जनता और सरकार ने लिंग परीक्षण को अपराध घोषित करके कठोर दण्ड का प्रावधान किया है फिर भी चोरी छिपे यह काम चल रहा है। इसमें डॉक्टरों तथा परिवारीजन दोनों का सहयोग रहता है। इस समस्या का हल तभी सम्भव है जब लोगों में लड़कियों के लिए हीन भावना समाप्त हो। पुत्र और पुत्री में कोई भेद नहीं किया जाय।।

कन्या-भ्रूण हत्या भारतीय समाज के मस्तक पर कलंक है। इस महापाप में किसी भी प्रकार का सहयोग करने वालों को समाज से बाहर कर दिया जाना चाहिए और कठोर कानून बनाकर दण्डित किया जाना चाहिए। कन्या भ्रूण हत्या मानवता के विरुद्ध अपराध है।।

बेटी बचाओ-
बेटियाँ देश की सम्पत्ति हैं। उनको बचाना सभी भारतवासियों का कर्तव्य है। वे बेटों से कम महत्वपूर्ण नहीं हैं। परिवार तथा देश के उत्थान में उनका योगदान बेटों से भी अधिक है। उसके लिए उनकी सुरक्षा के साथ ही उनको सुशिक्षित बनाना भी जरूरी है। हमारे प्रधानमंत्री ने यह सोचकर ही ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया है।

बाल मजदूरी पर निबंध – Child Labour Essay In Hindi

Child Labour Essay In Hindi

बाल मजदूरी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Child Labour in Hindi)

बाल श्रमिक और शोषण – Child Labour and Exploitation

संकेत बिंदु –

  • बाल श्रमिक कौन
  • बाल श्रमिक की दिनचर्या
  • गृहस्वामियों व उद्यमियों द्वारा शोषण
  • सुधार हेतु सामाजिक एवं कानूनी प्रयास।।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

बाल श्रमिक कौन –
14 वर्ष से कम आयु के मजदूरी या उद्योगों में काम करने वाले बालक आते हैं। खेलने-कूदने और पढ़ने की उम्र में मेहनत-मजदूरी की चक्की में पिसता देश का बचपन समाज की सोच पर एक कलंक है। हाबों, कारखानों और घरों में अत्यन्त दयनीय स्थितियों में काम करने वाले ये बाल-श्रमिक देश की तथाकथित प्रगति के गाल पर एक तमाचा हैं। इनकी संख्या लाखों में है।

बाल श्रमिक की दिनचर्या –
इन बाल श्रमिकों की दिनचर्या पूरी तरह इनके मालिकों या नियोजकों पर निर्भर होती है। गमी हो, वो या शीत इनको सबेरे जल्दी उठकर काम पर जाना होता है। इनको भोजन साथ ले जाना पड़ता हैं या फिर मालिकों की दया पर निर्भर रहना पड़ता है। इनके काम के घंटे नियत नहीं होते। बारह से चौदह घण्टे तक भी काम करना पड़ता है। कुछ तो चौबीस घण्टे के बँधुआ मजदूर होते हैं। बीमारी या किसी अन्य कारण से अनुपस्थित होने पर इनसे कठोर व्यवहार यहाँ तक कि निर्मम पिटाई भी होती है।

गृहस्वामियों व उद्यमियों द्वारा शोषण –
घरों में या कारखानों में काम करने वाले इन बालकों का तरह-तरह से शोषण होता है। इनको बहुत कम वेतन दिया जाता है। काम के घण्टे नियत नहीं होते। बीमार होने या अन्य कारण से अनुपस्थित होने पर वेतन काट लिया जाता है। इनकी कार्य-स्थल पर बड़ी दयनीय दशा होती है।

सोने और खाने की कोई व्यवस्था नहीं होती है। नंगी भूमि पर खुले आसमान या कहीं कौने में सोने को मजबूर होते हैं। रूखा-सूखा या झूठन खाने को दी जाती है। बात-बात पर डाँट-फटकार, पिटाई, काम से निकाल देना तो रोज की कहानी है।

यदि दुर्भाग्य से कोई नुकसान हो गया तो पिटाई या वेतन काट लेना आदि साधारण बातें हैं। वयस्क मजदूरों की तो यूनियनें हैं जिनके द्वारा वह अन्याय और अत्याचार का विरोध कर पाते हैं किन्तु इन बेचारों की सुनने वाला कोई नहीं। केवल इतना ही नहीं मालिकों और दलालों द्वारा इनका शारीरिक शोषण भी होता है।

सुध तु सामाजिक एवं कानूनी प्रयास –
बाल श्रमिकों की समस्या बहुत पुरानी है। इसके पीछे गरीबी के साथ ही माँ बाप का लोभ और पारिवारिक परिस्थिति कारण होती है। इस समस्या से निपटने के लिए सामाजिक और शासन के स्तर पर प्रयास आवश्यक हैं।

सामाजिक स्तर पर माँ-बाप को बालकों को शिक्षित बनाने के लिए समझाया जाना आवश्यक है। इस दिशा में स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। सरकारी स्तर पर बाल श्रम रोकने को कठोर कानून बनाए गए हैं।

लेकिन उनका परिपालन भी सही ढंग से होना आवश्यक है। विद्यालयों में पोषाहार एवं छात्रवृत्ति आदि की सुविध गएँ दिया जाना, बाल श्रमिकों के माता-पिता की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जाना आदि प्रयासों से यह समस्या समाप्त हो सकती है।

डिजिटल इंडिया पर निबंध – Digital India Essay In Hindi

Digital India Essay In Hindi

डिजिटल इंडिया पर निबंध – Essay on Digital India in Hindi

भारत : डिजिटलीकरण की ओर – India: Towards Digitization

परिचय-
‘डिजिटल इंडिया’ भारतीय समाज को अंतर्राष्ट्रीय रीति-नीतियों से कदम मिलाकर चलने की प्रेरणा देने वाला एक प्रशंसनीय और साहसिक प्रयास है। यह भारत सरकार की एक नई पहल है। भारत के भावी स्वरूप को ध्यान में रखकर की गई एक दूरदर्शितापूर्ण संकल्पना है।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

उद्देश्य-
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भारत को डिजिटल दृष्टि से सशक्त समाज और ज्ञानाधारित अर्थव्यवस्था में बदलना है। इस संकल्प के अंतर्गत भारतीय प्रतिभा को सूचना प्रौद्योगिकी से जोड़कर कल के भारत की रचना करना है। इस दृष्टि से “डिजिटल इंडिया’ के तीन प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं

  • हर नागरिक के लिए एक उपयोगी डिजिटल ढाँचा तैयार करना।
  • जनता की माँग पर आधारित डिजिटल सेवाओं का संचालन तथा उन्हें लोगों को उपलब्ध कराना।
  • लोगों को डिजिटल उपकरणों के प्रयोग में दक्षता प्रदान करना।

डिजिटल होने का अर्थ-
आम आदमी के लिए डिजिटल बनने का आशय है कि नकद लेन-देन से बचकर आनलाइन (मोबाइल, पेटीएम, डेविट कार्ड आदि) लेन-देन का प्रयोग करना, कागजी काम को कम से कम किया जाना। सरकारी तथा बैंकिंग कार्यों में और व्यापारिक गतिविधियों में पारदर्शिता आना। ठगी और रिश्वत से बचाव होना आदि हैं।

डिजिटल अभियान के लाभ-
यह अभियान समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुँचाने वाला है-

  1. यह व्यवस्था गृहणियों को पारवारिक आय-व्यय, खरीददारी, मासिक और वार्षिक प्रबंधन आदि में सहायक है।
  2. छात्रों के लिए उपयुक्त विद्यालय के चयन, अध्ययन सामग्री की सहज उपलब्धता, छात्रवृत्ति आदि के लिए आन लाइन प्रार्थना-पत्र भेजने में, पुस्तकों के बोझ को कम करने में सहायक होगा।
  3. बेरोजगार नौजवान उपयुक्त नौकरियों की तलाश सरलता से कर पाएँगे तथा डिजिटल प्रार्थना-पत्रों के प्रयोग से पारदर्शी चयन प्रणाली का लाभ उठाएँगे। आनलाइन प्रमाण-पत्र जमा कर सकेंगे।
  4. व्यापारी और उद्योगी भी इससे लाभान्वित होंगे, नकद लेन-देन के झंझट से बचाव होगा। ग्राहक संतुष्ट रहेंगे। सरकारी कामों, आयकर, ट्रांसपोर्ट तथा व्यापार के विस्तार में पारदर्शिता आएगी।
  5. अभिलेखों की सुरक्षा, ई-हस्ताक्षर, मोबाइल बैंकिंग, सरकारी कामों में दलालों से मुक्ति, जमीन-जायदाद के क्रय-विक्रय में पारदर्शिता, ई-पंजीकरण आदि ‘डिजिटल इंडिया’ के अनेक लाभ हैं। .

चुनौतियाँ-
डिजिटल प्रणाली को लागू करने के अभियान में अनेक चुनौतियाँ भी हैं। सबसे प्रमुख चुनौती है- जनता को इसके प्रति आश्वस्त करके इसमें भागीदार बनाना। नगरवासियों को भले ही डिजिटल उपकरणों का प्रयोग आसान लगता हो, लेकिन करोड़ों ग्रामवासियों, अशिक्षितों को इसके प्रयोग में सक्षम बनाना एक लम्बी और धैर्यशाली प्रक्रिया है। इसके अतिरिक्त कर चोरी के प्रेमियों को यह प्रणाली रास नहीं आएगी। इलेक्ट्रानिक सुरक्षा के प्रति लोगों में भरोसा जमाना होगा। साइबर अपराधों, हैकिंग और ठगों से जनता को सुरक्षा प्रदान करनी होगी।

आगे बढ़ें- चुनौतियाँ, शंकाएँ और बाधाएँ तो हर नए और हितकारी काम में आती रही हैं। शासकीय ईमानदारी और जन-सहयोग से, इस प्रणाली को स्वीकार्य और सफल बनाना, देशहित की दृष्टि से बड़ा आवश्यक है। आशा है, हम सफल होंगे।

स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध – Swachh Bharat Abhiyan Essay In Hindi

Swachh Bharat Abhiyan Essay In Hindi

स्वच्छ भारत अभियान पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Swachh Bharat Abhiyan in Hindi)

स्वच्छ भारत : स्वस्थ भारत – Swachh Bharat : Svasth Bharat in Hindi

संकेत बिन्दुः-

  • स्वच्छता क्या है?
  • स्वच्छता के प्रकार
  • स्वच्छता के लाभ
  • स्वच्छता: हमारा योगदान
  • उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

स्वच्छता क्या है? – What is the Swachh?

निरंतर प्रयोग में आने पर या वातावरण के प्रभाव से वस्तु या स्थान मलिन होता रहता है। धूल, पानी, धूप, कूड़ा-करकट की पर्त को साफ करना, धोना, मैल और गंदगी को हटाना ही स्वच्छता कही जाती है। अपने शरीर, वस्त्रों, घरों, गलियों, नालियों, यहाँ तक कि अपने मोहल्लों और नगरों को स्वच्छ रखना हम सभी का दायित्व है।

स्वच्छता के प्रकार-
स्वच्छता को मोटे रूप में दो प्रकार से देखा जा सकता है- व्यक्तिगत स्वच्छता और सार्वजनिक स्वच्छता। व्यक्तिगत स्वच्छता में अपने शरीर को स्नान आदि से स्वच्छ बनाना, घरों में झाडू-पोंछा लगाना, स्नानगृह तथा शौचालय को विसंक्रामक पदार्थों द्वारा स्वच्छ रखना। घर और घर के सामने से बहने वाली नालियों की सफाई, ये सभी व्यक्तिगत स्वच्छता के अंतर्गत आते हैं। सार्वजनिक स्वच्छता में मोहल्ले और नगर की स्वच्छता आती है जो प्रायः नगर पालिकाओं और ग्राम पंचायतों पर निर्भर रहती है। सार्वजनिक स्वच्छता भी व्यक्तिगत सहयोग के बिना पूर्ण नहीं हो सकती।

स्वच्छता के लाभ-
‘कहा गया है कि स्वच्छता ईश्वर को भी प्रिय है।’ ईश्वर का कृपापात्र बनने की दृष्टि से ही नहीं अपितु अपने मानव जीवन को सुखी, सुरक्षित और तनावमुक्त बनाए रखने के लिए भी स्वच्छता आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है। मलिनता या गंदगी न केवल आँखों को बुरी लगती है, बल्कि इसका हमारे स्वास्थ्य से भी सीधा संबंध है। गंदगी रोगों को जन्म देती है। प्रदूषण की जननी है और हमारी असभ्यता की निशानी है। अत: व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्वच्छता बनाए रखने में योगदान करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।

स्वच्छता के उपर्युक्त प्रत्यक्ष लाभों के अतिरिक्त इसके कुछ अप्रत्यक्ष और दूरगामी लाभ भी हैं। सार्वजनिक स्वच्छता से व्यक्ति और शासन दोनों लाभान्वित होते हैं। बीमारियों पर होने वाले खर्च में कमी आती है तथा स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यय होने वाले सरकारी खर्च में भी कमी आती है। इस बचत को अन्य सेवाओं में उपयोग किया जा सकता है।

स्वच्छता :
हमारा योगदान- स्वच्छता केवल प्रशासनिक उपायों के बलबूते नहीं चल सकती। इसमें प्रत्येक नागरिक की सक्रिय भागीदारी परम आवश्यक होती है। हम अनेक प्रकार से स्वच्छता से योगदान कर सकते हैं, जो निम्नलिखित हो सकते हैं।

घर का कूड़ा-करकट गली या सड़क पर न फेंकें। उसे सफाईकर्मी के आने पर उसकी ठेल या वाहन में ही डालें। कूड़े-कचरे को नालियों में न बहाएँ। इससे नालियाँ अवरुद्ध हो जाती हैं। गंदा पानी सड़कों पर बहने लगता है।

पालीथिन का बिल्कुल प्रयोग न करें। यह गंदगी बढ़ाने वाली वस्तु तो है ही, पशुओं के लिए भी बहुत घातक है। घरों के शौचालयों की गंदगी नालियों में न बहाएँ। खुले में शौच न करें तथा बच्चों को नालियों या गलियों में शौच न कराएँ। नगर पालिका के सफाईकर्मियों का सहयोग करें।

उपसंहार-
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया है। इसका प्रचार-प्रसार मीडिया के माध्यम से निरंतर किया जा रहा है। अनेक जन प्रतिनिधि, अधिकारी-कर्मचारी, सेलेब्रिटीज (प्रसिद्ध लोग) इसमें भाग ले रहे हैं। जनता को इसमें अपने स्तर से पूरा सहयोग देना चाहिए। इसके साथ गाँवों में खुले में शौच करने की प्रथा को समाप्त करने के लिए लोगों को घरों में शौचालय बनवाने के प्रेरित किया जा रहा है। उसके लिए आर्थिक सहायता भी प्रदान की जा रही है। इन अभियानों में समाज के प्रत्येक वर्ग को पूरा सहयोग करना चाहिए।