वर्षा ऋतु निबंध – Rainy Season Essay in Hindi

वर्षा ऋतु पर छोटे तथा बड़े निबंध (Essay on Rainy Season in Hindi)

बरसात का एक दिन। – A Rainy Day

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना,
  • वर्षा का आगमन,
  • वर्षा के विविध दृश्य,
  • एक दिन की घटना,
  • उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना-
भारतवर्ष प्रकृति की रमणीय क्रीड़ास्थली है। प्रकृति के जैसे मनोरम दृश्य भारत में देखने को मिलते हैं, वे संसार के किसी अन्य देश में दुर्लभ हैं। यहाँ छ: ऋतुएँ क्रमश: आती और जाती हैं, जबकि संसार के अन्य किसी भी देश में छः ऋतुएँ नहीं होती हैं। इन छ: ऋतुओं में वर्षा ऋतु अपना विशेष स्थान रखती है। दिनकर जी के शब्दों में-

“है बसन्त ऋतुओं का राजा।
वर्षा ऋतुओं की रानी॥”

Rainy Season Essay in Hindi

सन्त वर्षा का आगमन-
जेठ का महीना बीत रहा था। ग्रीष्म ऋतु अपने पूर्ण उत्कर्ष पर थी। जेठ की दोपहरी ऐसी तपती थी कि संसार के सभी जीव-जन्तु वृक्षों की छाया में हाँपते हुए समय काटते थे। मनुष्य लूओं से बचने के लिए कहीं अँधेरे घरों में छिप जाना चाहते थे। धीरे-धीरे आया आषाढ़ का पहला दिन, आकाश में बादल दिखाई दिया।

यह वही दिन था जिस दिन कालिदास के प्रिया-विरह से संतप्त यक्ष ने मेघ को अपना दूत बनाया था। धीरे-धीरे आकाश बादलों से ढक गया। किसानों की जान में जान आ गयी। बादलो को देखकर उनकी आँखें ठंडी होने लगीं। एक-दो दिन तक बादल जमते गये।

आखिर बादलों ने धरती की प्यास बुझाई। संसार को चैन मिला। चींटी से लेकर हाथी तक, जड़ से लेकर चेतन तक सभी प्राणिय और वनस्पतियों में नवजीवन का संचार हो गया। चारों ओर हर्षोल्लास छा गया।

Essay on Rainy Season in Hindi

वर्षा के विविध दृश्य-
वर्षा के विविध दृश्य भी कैसे विचित्र होते हैं? आकाश बादलों से ढका रहता है। कभी-कभी तो कई-कई दिन तक सूर्य के दर्शन नहीं होते। शस्यश्यामला धरती का सौन्दर्य देखते ही बनता है। बादलों को देखकर वन-उपवन में मोर आनन्दमग्न होकर नाचते हैं। नदी-नालों में उफान आ जाता है।

पोखर और सरोवर का पानी सीमा लाँघ जाता है। नदियाँ जल से तटों को डुबाकर घमंड से इतराने लगती हैं। सब ओर पानी ही पानी दिखाई देता है। मेंढकों की टर्र-टर्र और झींगुरियों की झनकार एक विचित्र समा बाँध देती है।

एक दिन की घटना-
वर्षा ऋतु अपने चरम उत्कर्ष पर थी। एक दिन एक विचित्र दृश्य उपस्थित हुआ। यह था-श्रावण का एक दिन! आकाश बादलों से ढका हुआ था। रात बीती, प्रभात हुआ। सूर्य के तो कई दिनों से दर्शन न हुए थे। प्रभात हो जाने पर भी अंधेरा बढ़ता चला आ रहा था।

घड़ी साढ़े छ: बजा रही थी। हम लोग स्कूल जाने की तैयारी में थे कि अचानक वर्षा आरम्भ हो गयी। मूसलाधार वर्षा, रुकने का नाम नहीं। थोड़ी देर में सब ओर पानी ही पानी हो गया। गलियों और सड़कों पर पानी की नदियाँ सी बह रही थीं। कुछ देर बाद तो हमारे घर में भी पानी भर आया।

सहन में पानी, बरामदे में पानी और फिर कमरों में भी पानी। सारे मुहल्ले में शोर मचा था। लगता था जैसे प्रलय आ जायेगी। तीन घंटे की लगातार वर्षा ने सब ओर त्राहि-त्राहि मचा दी। उस दिन स्कूल जाने की किसी में हिम्मत न थी।

सुबह को जलपान हुआ था तत्पश्चात पोखर की तरह जलपूर्ण रसोई में भोजन बनने का प्रश्न ही नही था। उस दिन लाचारी का व्रत हुआ। दिनभर घरों का पानी उलीचते रहे, घरों की सफाई करते रहे। हाँ, वर्षा रुकने पर हम लोग घर से बाहर निकले और पानी में छप-छप करते फिरे।

बाग में गये, आमों के ढेर लगे थे। खूब छक कर आम खाये। तीसरे पहर घर लौट कर आये। उस समय पानी साफ हो गया था। धूप निकल आयी थी। भोजन तैयार था और मम्मी-पापा मेरी ही प्रतीक्षा कर रहे थे। सबने भोजन किया। धीरे धीरे सूर्य अस्ताचल पर पहुँच गया। इस प्रकार यह बरसात का दिन बीता। आज भी वह दिन मुझे जब याद आता है, देर तक सोचता रहता हूँ।

उपसंहार-
वर्षा भारत के लिए वरदान बनकर आती है। कभी-कभी बाढ़ और तूफानों से यह प्रलय का दृश्य भी उपस्थित कर देती है। प्राय: धन-जन की भी क्षति हो जाती है, तथापि वर्षा के द्वारा ही उस विनाश की क्षतिपूर्ति भी हो जाती है। वर्षा अन्न और जल देने वाली शक्ति है। यह जीवनदायिनी सुन्दर ऋतु है। यही मानव जीवन का आधार है। इसके आते ही बच्चे गा उठते हैं-

“जीवन-धन-सूखदाई लाई। वर्षा आई, वर्षा आई॥
पशु-पक्षी मानव हरषाने। जड़-चेतन की प्यास बुझाने॥
सघन घटाएँ संग में लाई। वर्षा आई, वर्षा आई॥”