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DAV Class 5 Hindi Chapter 20 Question Answer – कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
DAV Class 5 Hindi Ch 20 Question Answer – कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
कविता में से (पृष्ठ संख्या – 108)
प्रश्न 1.
कैसा व्यक्ति कभी हार नहीं सकता?
उत्तर:
निरंतर कोशिश करने वाला व्यक्ति कभी हार नहीं सकता।
प्रश्न 2.
नन्हीं चींटी से मनुष्य क्या सीख सकता है?
उत्तर:
नन्हीं चींटी से मनुष्य को यह सीखना चाहिए कि जब तक हमें मंजिल नहीं मिल जाती, हम निरंतर प्रयत्नशील रहेंगे। कभी भी हार नहीं मानेंगे।
प्रश्न 3.
सफलता प्राप्त करने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर:
सफलता प्राप्त करने के लिए हमें अपने अंदर की कमियों को दूर करना पड़ेगा। हमें निरंतर प्रयास करना पड़ेगा। जब तक सफलता मिल नहीं जाती तब तक हमें चैन की नींद नहीं सोनी चाहिए।
प्रश्न 4.
गोताखोर कब सफल होता है?
उत्तर:
गोताखोर समुद्र के अंदर लगातार परिश्रम करने के बाद जब मोती हासिल कर लेता है, तब वह सफल हो जाता है।
प्रश्न 5.
कविता की पंक्तियाँ पूरी कीजिए-
डुबकियाँ सिंधु में _______ लगाता है।
_______ लौट आता है।
मिलते न सहज ही _______
बढ़ता दूना उत्साह _______।
उत्तर:
डुबकियाँ सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा-जाकर खाली हाथ लौट आता है।
मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दूना उत्साह इसी हैरानी में।
बातचीत के लिए (पृष्ठ संख्या – 108)
प्रश्न 1.
चींटी से हम क्या सीख सकते हैं? सोचकर बताइए।
उत्तर:
चींटी से हम लगातार परिश्रम करना सीखते हैं: तथा बार-बार गिर कर उठने संभल जाने और आगे बढ़ जाने की सीख भी लेते हैं।
प्रश्न 2.
नन्हीं सी चींटी भी इतनी मेहनत क्यों करती होगी?
उत्तर:
नन्हीं सी चींटी अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए इतनी मेहनत करती होगी।
प्रश्न 3.
क्या मनुष्य असफल होकर भी सीख सकता है? कैसे?
उत्तर:
अगर मनुष्य के अंदर दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो वह असफल होकर भी सीख सकता है। मनुष्य को अपने अंदर की कमजोरी को सुधार कर निरंतर प्रयास करते रहने से सफलता जरूर मिलती है।
प्रश्न 4.
मोती गहरे पानी में ही मिलता है। इस पंक्ति के माध्यम से क्या कहने की कोशिश की गई है?
उत्तर:
इस पंक्ति के माध्यम से यह कहने की कोशिश की गई है कि जिस प्रकार एक गोताखोर को मोती प्राप्त करने के लिए पानी की गहराई तक जाना पड़ता है उसी प्रकार हमें सफलता प्राप्त करने के लिए हर संघर्ष का सामना धैर्य तथा साहस से करना होगा।
आपकी कल्पना ( पृष्ठ संख्या – 108)
प्रश्न 1.
यदि आप मकड़ी होते तो अपने लिए घर कैसे बनाते?
उत्तर:
यदि हम मकड़ी होते तो अपने लिए घर उसी प्रकार बनाते जैसे मकड़ी बनाती है। हम भी निरंतर प्रयास करते हुए अपने लिए घर बनाते।
प्रश्न 2.
यदि आप गोताखोर होते तो आपका अनुभव कैसा होता?
उत्तर:
यदि हम गोताखोर होते तो हम भी एक गोताखोर की भाँति समुद्र में गोता लगाते और मोती वापस निकालकर लाते।
प्रश्न 3.
यदि चींटी बोल सकती तो आप उससे क्या क्या पूछते? वह क्या – क्या जवाब देती? उत्तर- यदि चींटी बोल सकती तो हम उससे पूछते कि तुम लगातार इतना परिश्रम कैसे कर लेती हो। बार-बार गिरना, बार-बार उठना और मन में किसी तरह का अफसोस न रखना, इतनी हिम्मत तुम्हारे अंदर कहाँ से आती है? चींटी जवाब देती, “मैं अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए इतना परिश्रम करती हूँ। मेरे अंदर विश्वास है और यही विश्वास हमें जीत दिलाती है। तभी तो बार-बार गिर कर भी मैं अपनी मंजिल तक पहुँच जाती हूँ।
भाषा की बात (पृष्ठ संख्या – 109 )
प्रश्न 1.
समान अर्थ वाले शब्दों का मिलान कीजिए-
उत्तर:
कोशिश | प्रयास |
नौका | नाव |
मोती | माणिक |
रंगों | नसों |
प्रश्न 2.
ध्यानपूर्वक पढ़िए-
1. स् + व = स्व
2. ट् + ठ – ट्ठ
कविता में ऐसे शब्द छाँटकर लिखिए जहाँ ‘स्व’, ‘ट्ठ’ संयुक्त व्यंजनों का प्रयोग हुआ है-
उत्तर:
स्व-स्वीकार
ट्ठ- मुट्ठी
प्रश्न 3.
चार-चार शब्द लिखिए-
उत्तर:
संज्ञा | सर्वनाम | क्रिया | विशेषण |
नौका | उसकी | हारना | नन्हीं |
चींटी | तुम | फिसलना | गहरा |
पानी | कुछ | सुधारना | खाली |
सिंधु | इसी | त्यागना | असफलता |
जीवन मूल्य (पृष्ठ संख्या – 109 )
प्रश्न 1.
कविता में कहा गया है कि असफलताओं को चुनौती की तरह स्वीकार करना चाहिए। इससे क्या लाभ होगा?
उत्तर:
असफलताओं को चुनौती की तरह स्वीकार करने से व्यक्ति अपनी कमजोरियों को दूर करेगा और कठिन से कठिन कार्य को आसानी से कर सकेगा। असफल होने पर भी उसकी हिम्मत नहीं टूटेगी और उसकी संकल्प शक्ति बढ़ जाएगी। अंततः व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेगा।
प्रश्न 2.
आप अपनी किस असफलता को चुनौती की तरह स्वीकार करेंगे?
उत्तर:
अगर हम अपनी कक्षा की वार्षिक परीक्षा में असफल हो जाएंगे तो उससे हम हार नहीं मानेंगे बल्कि पुनः परिश्रम करने के पश्चात् उसमें सफलता पाएंगे।
प्रश्न 3.
ऐसा करने से आपको क्या लाभ होगा?
उत्तर:
ऐसा करने से हम दुनिया के सामने अपनी सफलता को सिद्ध कर सकेंगे तथा चारों ओर मेरा गुणगान हो सकेगा।
कुछ करने के लिए (पृष्ठ संख्या – 110 )
प्रश्न 1.
ऐसी ही कोई अन्य प्रेरणा देने वाली कविता याद करके कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
सदा परिश्रम करना सीखो।
मातृभूमि हित मरना सीखो।।
कभी न दुख में डरना सीखो।
कष्ट सभी का हरना सीखो।।
अपने पथ पर बढ़ना सीखो।
गौरव – गिरी पर चढ़ना सीखो।।
अच्छी पुस्तक पढ़ना सीखो।
चरित समुज्ज्वल गढ़ना सीखो।।
प्रश्न 2.
अँगूठे या अंगुलियों के निशान, काला पैन आदि की सहायता से कुछ चींटियाँ बनाइए।
उत्तर:
छात्र / छात्राएँ स्वयं करें।
DAV Class 5 Hindi Ch 20 Solutions – कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
I. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
नन्हीं चींटी अपनी मंजिल की तलाश में कितनी बार गिरती है?
उत्तर:
नन्हीं चींटी अपनी मंजिल की तलाश में अनगिनत बार गिरती है।
प्रश्न 2.
नौका पार कैसे नहीं हो पाती?
उत्तर:
लहरों से अगर नाविक डर जाता है तब नौका पार नहीं हो पाती है।
प्रश्न 3.
कैसे व्यक्ति की हार नहीं होती?
उत्तर:
लगातार कोशिश करने वाले व्यक्ति की कभी हार नहीं होती।
II. लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
इस कविता में कवि असफलता को एक चुनौती के रूप में स्वीकार करता है। कैसे?
उत्तर:
इस कविता में कवि का कहना है कि असफलता एक चुनौती है। इस सच्चाई को स्वीकार करनी चाहिए। असफल होने पर हमें हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठना चाहिए, अपितु दुगुने उत्साह से अपने कार्य में लग जाना चाहिए। सफलता हमारे दरवाजे पर जरूर दस्तक देगी।
III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
इस कविता के माध्यम से कवि लोगों को क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर:
इस कविता के माध्यम से कवि लोगों को यह संदेश देना चाहता है कि हमें सफल होने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। क्योंकि प्रयास करने वालों की कभी हार नहीं होती है। इसके लिए हमें चींटियों से सीख लेनी चाहिए। चींटियाँ इतनी छोटी होती हैं, वे अपनी मंजिल पाने के लिए अनगिनत बार गिरती हैं, फिर संभलती हैं, लेकिन अपना इरादा और आत्म-विश्वास नहीं छोड़ती हैं। अंत में वे अपनी मंजिल पाने में सफल हो जाती हैं। उसी प्रकार गोताखोर भी समुद्र में सैकड़ों बार डुबकी लगाने के बाद ही मोती हासिल करता है। इस कविता का यही संदेश है कि हमें अपने लक्ष्य के प्रति कृत संकल्प होना चाहिए।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती। कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है। मन का विश्वास रगों में साहस भरता है, चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है। आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
शब्दार्थ:
- कोशिश – प्रयास,
- फिसलना – गिरना,
- विश्वास – भरोसा,
- साहस- हिम्मत।
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक भाषा माधुरी में संकलित ‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ शीर्षक पाठ से ली गई हैं। इसके कवि डॉ० हरिवंश राय ‘बच्चन’ जी हैं। इन पंक्तियों में यह बताया गया है कि कोशिश करने वाले कभी हारते नहीं। उनका विश्वास ही उन्हें जीत दिलाता है।
व्याख्या: समुद्र की लहरों को देखकर नाविक अगर डर जाए तो नौका कभी पार नहीं होगी। जिस प्रकार एक नन्हीं चींटी अपनी मंजिल की तलाश में बार-बार गिरती है, उठती है और अंत में उसे सफलता मिल ही जाती है। उसे बार- बार गिरने चढ़ने का थोड़ा भी अफसोस नहीं होता। उसी प्रकार व्यक्ति के मन में जीत का विश्वास ही उसे जीत दिलाता है और अंत में उसे सफलता मिल ही जाती है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. कठिनाइयों से डरने वाले से …………. जाती है।
(क) सफलता
(ख) असफलता
(ग) साहस
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(क) सफलता
2. कौन बार – बार गिरती और चढ़ती है?
(क) छिपकली
(ग) मकड़ी
(ख) चींटी
(घ) उपर्युक्त तीनों।
उत्तर:
(ख) चींटी
3. ‘विश्वास’ का विलोम शब्द क्या होता है?
(क) भरोसा
(ग) साहस
(ख) हिम्मत
(घ) अविश्वास
उत्तर:
(घ) अविश्वास
4. ‘कठिनाई’ का वचन बदलिए।
(क) कठिनाइयाँ
(ग) कठिनाइयों
(ख) कठिन
(घ) कोई नहीं।
उत्तर:
(क) कठिनाइयाँ
5. उपरोक्त पद्यांश के कवि कौन हैं?
(क) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
(ख) गोपाल सिंह ‘नेपाली’
(ग) डॉ० हरिवंश राय ‘बच्चन’
(घ) कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) डॉ० हरिवंश राय ‘बच्चन’
II. डुबकियाँ सिंधु में गोताखोर लगाता है, जा जाकर खाली हाथ लौट आता है। मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी में, बढ़ता दूना उत्साह इसी हैरानी में। मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
शब्दार्थ : सिंधु- समुद्र, दूना – दुगुना।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘भाषा माधुरी’ में संकलित ‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ शीर्षक पाठ से ली गई हैं। इसके कवि डॉ० हरिवंश राय ‘बच्चन’ जी हैं।
व्याख्या – गोताखोर समुद्र के अंदर लगातार परिश्रम कर गहरे पानी में मोती की खोज करता है। बहुत कठिनाइयों के बाद उसे मोती हासिल होता है और उसका उत्साह दोगुना होता जाता है। कोशिश करने से उसे सफलता मिलती है और उसकी संकल्प शक्ति बढ़ जाती है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. इस पद्यांश के कवि हैं-
(क) डॉ० हरिवंशराय ‘बच्चन’
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) श्री विजय गुप्त
(घ) सुमित्रानंदन पंत
उत्तर:
(क) डॉ० हरिवंशराय ‘बच्चन’
2. समुद्र में मोती की खोज कौन करता है?
(क) गोताखोर
(ग) चींटी
(ख) मछुआरा
(घ) कोई नहीं।
उत्तर:
(क) गोताखोर
3. मोती की खोज कहाँ होती है?
(क) कम पानी में
(ग) मैदान
(ख) गहरे पानी में
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ख) गहरे पानी में
4. इनमें से कौन से शब्द ‘पानी’ के पर्याय हैं?
(क) नीर
(ग) नभ
(ख) नीड़
(घ) समुद्र
उत्तर:
(क) नीर
5. इस कविता में ‘हार’ का मतलब किससे है?
(क) हारना
(ग) सोने का हार
(ख) गले का हार
(घ) मोती का हार
उत्तर:
(क) हारना
III. असफलता एक चुनौती है – स्वीकार करो, क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो। जब तक न सफल हो नींद चैन की त्यागो तुम, संघर्षों का मैदान छोड़कर मत भागो तुम। कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
शब्दार्थ : संघर्ष – युद्ध, जय जयकार – गुणगान।
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ शीर्षक पाठ से ली गई हैं। इसके कवि डॉ० हरिवंश राय ‘बच्चन’ जी हैं। इन पंक्तियों में कवि ने बताया है कि बिना किसी सफलता के आदमी का गुणगान नहीं होता। जो कोशिश करने में लगे रहते हैं उनकी कभी हार नहीं होती है।
व्याख्या: हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि सफलता पाने के लिए हर जगह चुनौती का सामना करना पड़ता है। असफल होने पर हमें अपने अंदर झांकना चाहिए और अपनी कमजोरियों को दूर करना चाहिए। जब तक हमें सफलता प्राप्त नहीं हो जाती तब तक चैन की नींद नहीं सोना चाहिए। युद्ध के मैदान में हमें वीरता दिखानी चाहिए। क्योंकि बिना सफलता हासिल किए गुणगान नहीं हो सकता। इसके लिए हमें निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए, हमें हार कभी नहीं माननी चाहिए।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. हमें हर जगह किस चीज़ का सामना करना पड़ता है?
(क) सफलता
(ख) असफलता
(ग) चुनौती
(घ) गुणगान
उत्तर:
(ग) चुनौती
2. हमें अपनी कमजोरी को किस चीज़ में बदलनी चाहिए?
(क) सफलता
(ख) ताकत
(ग) युद्ध
(घ) चुनौती
उत्तर:
(क) सफलता
3. ‘संघर्ष’ का अर्थ इनमें से कौन-सा है?
(क) युद्ध
(ख) भूमि
(ग) ताकत
(घ) चुनौती
उत्तर:
(ख) भूमि
4. ‘कायर’ का विलोम शब्द क्या है?
(क) युद्ध
(ख) भूमि
(ग) निडर
(घ) ताकत
उत्तर:
(क) युद्ध
5. इनमें से ‘भूमि’ का पर्याय कौन नहीं है?
(क) धरती
(ग) धरा
(ख) युद्ध
(घ) पृथ्वी
उत्तर:
(क) धरती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती Summary in Hindi
पाठ-परिचय:
‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ शीर्षक पाठ में यह बताया गया है कि व्यक्ति को प्रयत्नशील होना चाहिए। अगर हम प्रयत्नशील रहेंगे, और संकल्प शक्ति मज़बूत होगी तो हमारी कभी भी हार नहीं होगी और हम अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेंगे।
पाठ का सारांश:
‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ शीर्षक कविता में यह बताया गया है कि समुद्र की लहरों को देखकर नाविक अगर डर जाए तो नाव कभी पार नहीं होगी। तात्पर्य यह है कि कठिनाइयों से डरनेवालों से सफलता बहुत दूर चली जाती है। एक नन्हीं चींटी अपनी मंजिल की तलाश में कितनी बार गिरती है, चढ़ती है; किंतु उसे जरा भी अफसोस नहीं होता। वह बार-बार प्रयास करती है। इसी प्रयास के कारण उसके अंदर साहस और विश्वास भर जाता है और उसे सफलता मिल जाती है।
गोताखोर समुद्र के अंदर लगातार गोते लगाता रहता है। मोती की खोज में बहुत कठिन मेहनत करने के बाद उसे मोती हासिल होता है। असफल होने पर भी उसकी हिम्मत नहीं टूटती बल्कि उसकी संकल्प शक्ति बढ़ जाती है।हमें असफलताओं को भी एक चुनौती के रूप में स्वीकार करना चाहिए और इसे स्वीकार कर हमें अपने अंदर की कमजोरी को ताकत में बदलना चाहिए। कवि हमें संदेश देता है कि जब तक हमें सफलता नहीं मिल जाती हमें आराम से नहीं बैठना चाहिए। युद्ध में संघर्ष करते हुए अपनी वीरता दिखानी चाहिए, कायरों की तरह युद्ध भूमि छोड़कर नहीं भागना चाहिए। व्यक्ति का गुणगान उसकी सफलता पर निर्भर होता है।