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DAV Class 5 Hindi Chapter 17 Question Answer – हार की जीत
DAV Class 5 Hindi Ch 17 Question Answer – हार की जीत
पाठ में से (पृष्ठ संख्या – 96 )
प्रश्न 1.
खड्गसिंह बाबा भारती के पास क्यों आया?
उत्तर:
खड्गसिंह बाबा भारती के पास उनका घोड़ा देखने के लिए आया।
प्रश्न 2.
बाबा भारती ने खड्गसिंह से क्या प्रार्थना की और क्यों?
उत्तर:
बाबा भारती ने खड्गसिंह से यह प्रार्थना की कि इस घटना का ज़िक्र किसी से मत करना। क्योंकि अगर लोगों को इस घटना का पता लग गया तो वे किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे।
प्रश्न 3.
बाबा भारती खड्गसिंह के जाने के बाद क्यों डर गए?
उत्तर:
खड्गसिंह एक डाकू था। उसके नाम से ही लोग डरते थे। उनका घोड़ा देखकर उसके हृदय पर साँप लोट गया और यह कहते हुए गया कि बाबाजी यह घोड़ा आपके पास नहीं रहने दूँगा। अतः वे अपने घोड़े के अलग हो जाने की बात से डर गए।
प्रश्न 4.
उचित उत्तर पर सही (✓) का निशान लगाइए-
(क) बाबा भारती के घोड़े का क्या नाम था?
(a) राजा
(b) सुलतान
(c) चेतक
उत्तर:
(b) सुलतान
(ख) घोड़ा दिखने में कैसा था?
(a) बाँका
(b) काला
(c) मोटा
उत्तर:
(a) बाँका
प्रश्न 5.
किसने कहे, किससे कहे, लिखिए-
उत्तर:
कथन | किसने कहा | किससे कहा |
(क) “मैं बिलकुल ठीक हूँ।” | खड्गसिंह ने | बाबा भारती से। |
(ख) “उसकी चाल तुम्हारा मन मोह लेगी।” | बाबा भारती ने | खड्गसिंह से। |
(ग) “कहते हैं, देखने” में भी बड़ा सुंदर है।” | खड्गसिंह ने | बाबा भारती से। |
(घ) “अब कोई गरीब की सहायता से मुँह न मोड़ेगा।” | बाबा भारती ने | खड्गसिंह से। |
बातचीत के लिए (पृष्ठ संख्या – 96)
प्रश्न 1.
खड्गसिंह से सब क्यों डरते थे?
उत्तर:
खड्गसिंह उस इलाके का डाकू था। इसलिए सभी उससे डरते थे।
प्रश्न 2.
क्या सबका खड्गसिंह से डरना ठीक था?
उत्तर:
नहीं, सबका खड्गसिंह से डरना ठीक नहीं था।
प्रश्न 3.
अगर आप खड्गसिंह से मिलते तो आप उसके साथ कैसा व्यवहार करते?
उत्तर:
अगर हम खड्गसिंह से मिलते तो हम भी वैसा ही व्यवहार करते जैसा कि बाबा भारती ने किया था।
प्रश्न 4.
किसी ऐसी घटना के बारे में बताइए जब आपने किसी की तारीफ़ की हो या किसी ने आपकी तारीफ़ की हो?
उत्तर:
छात्र / छात्राएँ स्वयं करें।
अनुमान और कल्पना ( पृष्ठ संख्या-97)
प्रश्न 1.
खड्गसिंह अगर घोड़ा वापस नहीं करता तो क्या होता?
उत्तर:
खड्गसिंह अगर घोड़ा वापस नहीं करता तो बाबा भारती को गरीब लोगों पर से विश्वास उठ जाता।
प्रश्न 2.
बाबा भारती यदि अपाहिज को घोड़े पर नहीं बिठाते तो कहानी में क्या बदलाव होता?
उत्तर:
बाबा भारती यदि अपाहिज को घोड़े पर नहीं बिठाते तो कहानी की दिशा दूसरा मोड़ ले लेती। तब यूँ कहा जाता कि बाबा भारती निर्दयी थे तथा अपाहिजों की सहायता में विश्वास नहीं करते थे। तब खड़गसिंह जैसे व्यक्ति के व्यक्तित्व में बदलाव नहीं आ पाता । अतः बाबा भारती के कारण ही खड्गसिंह के व्यक्तित्व में बदलाव आया।
आपकी बात (पृष्ठ संख्या – 97)
प्रश्न 1.
आपको रोज़-रोज़ कौन-से काम करने पसंद हैं? उन पर चर्चा कीजिए और लिखिए-
उत्तर:
(क) खेलना
(ख) बाज़ार जाना
(ग) टी०वी० देखना
(घ) कहानी सुनना चर्चा स्वयं करें।
भाषा की बात (पृष्ठ संख्या – 97 – 98)
प्रश्न 1.
पाठ में आए निम्नलिखित युग्म शब्द पूरे कीजिए-
(क) आस – ______
(ख) आठ – ______
(ग) वायु – ______
(ङ) देख – ______
(घ) जाते – ______
(च) कहते – ______
उत्तर:
(क) आस-पास
(ख) आठ-दस
(ग) वायु-वेग
(घ) जाते-जाते
(ङ) देख-रेख
(च) कहते-कहते
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए शब्द कोश में किस क्रम में आएँगे? इन शब्दों को उसी क्रम में रेलगाड़ी के डिब्बों में लिखिए-
मनुष्य, वृक्ष, फाटक, घोड़ा, अस्तबल, गाँव, साधु
उत्तर:
प्रश्न 3.
नीचे दिए गए वाक्यों को बोल-बोलकर पढ़िए और इनमें आए विराम चिन्हों पर ध्यान दीजिए-
(क) “ज़रा ठहर जाओ, खड्गसिंह ! ”
(ख) “बाबाजी, इसमें आपको क्या डर है?”
(ग) “कहो, मेरे पास कैसे आए?”
(घ) “मैं बिलकुल ठीक हूँ।”
(ङ) “बाबा, मुझ पर दया करो।”
उत्तर:
छात्र / छात्राएँ स्वयं करें।
जीवन मूल्य (पृष्ठ संख्या – 98)
‘इस घटना का किसी के सामने जिक्र न करना। लोगों को यदि इस घटना का पता लग गया तो वे किसी गरीब पर विश्वास न करेंगें।”
प्रश्न 1.
बाबा भारती के कथन सुनकर डाकू खड्गसिंह का भी मन बदल गया, क्यों?
उत्तर:
खड्गसिंह को लगा कि बाबा भारती मानवता के हितैषी हैं। उन्हें अपने घोड़े की नहीं बल्कि दूसरों की चिंता है। इन्हीं बातों से खड्गसिंह का मन बदल गया।
प्रश्न 2.
क्या हमें भी बाबा भारती की तरह सब पर विश्वास करने वाला और सबकी मदद करने वाला होना चाहिए? क्यों?
उत्तर:
हमें भी बाबा भारती की तरह सब पर विश्वास कुछ करने वाला होना चाहिए। क्योंकि दूसरों की भलाई अवश्य करनी चाहिए। अगर हम दूसरों के बारे में अच्छा सोचेंगे तभी अपना भी अच्छा होगा।
करने के लिए (पृष्ठ संख्या – 98 )
प्रश्न 1.
जिस प्रकार बाबा भारती को सुलतान पसंद था, उसी प्रकार आपको जो कोई बहुत विशेषताएँ बताइए। प्रिय है, उसकी कुछ विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
छात्र / छात्राएँ स्वयं करें।
प्रश्न 2.
घोड़े के साथ बहुत सारे शब्द जुड़े हैं; जैसे- अस्तबल, दाना आदि। इसी तरह बाबा, डाकू से जुड़े शब्दों की सूची बनाइए-
उत्तर:
बाबा – साधु मनुष्य, विश्वास, संतोष खड्गसिंह – डाकू, काँपना, अपाहिज लगाम।
DAV Class 5 Hindi Ch 17 Solutions – हार की जीत
1. बहुविकल्पीय प्रश्न
1. बाबा भारती एक
(क) चोर थे
(ख) डाकू थे
(ग) साधु थे
(घ) मुखिया थे।
उत्तर:
(ग) साधु थे
2. घोड़े का क्या नाम था?
(क) सुलतान
(ख) चेतक
(ग) मोती
(घ) खड्गसिंह।
उत्तर:
(क) सुलतान
3. शाम को बाबा भारती घोड़े पर सवार होकर कितने मील का चक्कर लगाते थे?
(क) पाँच-छह मील
(ख) सात-आठ मील
(ग) आठ-दस मील
(घ) दो-तीन मील।
उत्तर:
(ख) सात-आठ मील
4. डाकू का नाम क्या था?
(क) खड्गसिंह
(ख) अंगुलीमाल
(ग) भारती
(घ) सुलतान
उत्तर:
(क) खड्गसिंह
5. खड्गसिंह कौन था?
(क) चोर
(ख) डाकू
(घ) पुलिस
(ग) साधु
उत्तर:
(ख) डाकू
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. बाबा भारती कहाँ रहते थे?
उत्तर:
बाबा भारती गाँव से बाहर मंदिर में रहते थे।
प्रश्न 2.
खड्गसिंह बाबा भारती के पास क्यों गया था?
उत्तर:
खड्गसिंह बाबा भारती के पास उनका घोड़ा देखने गया था।
प्रश्न 3.
इस कहानी के लेखक कौन हैं?
उत्तर:
इस कहानी के लेखक सुदर्शन हैं।
प्रश्न 4.
खड्गसिंह का मुँह आश्चर्य से खुला क्यों रह गया?
उत्तर:
बाबा भारती की महान सोच को सुनकर खड्गसिंह का मुँह आश्चर्य से खुला रह गया।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बाबा भारती खड्गसिंह को अस्तबल में क्यों ले गए?
उत्तर:
सुलतान देखने में बड़ा सुंदर था जिसे देखने के लिए खड्गसिंह काफी अधीर हो रहा था। इसलिए बाबा भारती उसे सुलतान को दिखाने के लिए अस्तबल में ले गए।
प्रश्न 2.
खड्गसिंह ने घोड़े को क्यों वापस अस्तबल में पहुँचा दिया?
उत्तर:
बाबा भारती के महान विचार से खड्गसिंह काफी प्रभावित हुआ। उनके शब्द उसके कानों में गूँज रहे थे। वह एक डाकू था फिर भी छल से लिए गए घोड़े को अपने पास रख पाना उसे सही नहीं लगा। यही कारण है कि उसने घोड़ा अस्तबल में पहुँचा दिया।
प्रश्न 3.
इस कहानी का भाव क्या है?
उत्तर:
इस कहानी का भाव यह है कि कभी भी कोई कार्य छल या कपट से नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से एक-दूसरे पर से विश्वास उठ जाता है।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बाबा भारती हार कर भी जीत गए। कैसे?
उत्तर:
बाबा भारती एक संत प्रकृति के व्यक्ति थे। उनके अंदर दया, करुणा, संतोष और विश्वास विद्यमान था। जब खड्गसिंह छल से घोड़ा लेकर भागा तब उन्होंने बड़ी सरलता से कहा – ” यह घोड़ा अब तुम्हारा है। लेकिन मेरी एक विनती है, इस घटना की चर्चा किसी से मत करना।” उनकी इस महान सोच से खड्गसिंह काफी प्रभावित हुआ। वह छल से लिए गए घोड़े को अपने पास न रख सका और घोड़े को दबे पाँव अस्तबल में पहुँचा दिया। उनका घोड़ा उन्हें मिल गया। यही कारण है कि बाबा भारती हार कर भी जीत गए। अंदर गए और घोड़े के गले से लिपट गए। फिर बोले, “अब कोई भी गरीब की सहायता करने से मुँह नहीं मोड़ेगा। ”
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. गाँव के बाहर के मंदिर में बाबा भारती नाम के एक साधु रहते थे। उनके पास एक बढ़िया घोड़ा था, जिसे वे ‘सुलतान’ कहते थे। वैसा घोड़ा आस-पास के किसी गाँव में न था। बाबा भारती अपने हाथ से सुलतान को दाना खिलाते थे। जब तक बाबा शाम को सुलतान पर आठ-दस मील का चक्कर न लगा लेते, उन्हें चैन न आता।
प्रश्न 1.
बाबा भारती कहाँ रहते थे?
उत्तर:
बाबा भारती गाँव के बाहर मंदिर में रहते थे।
प्रश्न 2.
बाबा भारती के पास क्या था?
उत्तर:
बाबा भारती के पास एक सुंदर घोड़ा था।
प्रश्न 3.
बाबा भारती के घोड़े का नाम क्या था?
उत्तर:
बाबा भारती के घोड़े का नाम ‘सुलतान’ था।
प्रश्न 4.
बाबा भारती शाम को घोड़े पर बैठकर कितने मील का चक्कर लगाते थे?
उत्तर:
बाबा भारती शाम को घोड़े पर बैठकर आठ-दस मील का चक्कर लगाते थे।
प्रश्न 5.
मंदिर कहाँ था?
उत्तर:
मंदिर गाँव के बाहर था।
II. बाबा भारती खड्गसिंह को अस्तबल में ले गए। बाबा ने घोड़ा दिखाया घमंड से। खड्गसिंह ने घोड़ा देखा आश्चर्य से ऐसा बाँका घोड़ा उसने कभी न देखा था। बालकों की सी अधीरता से बोला, “बाबाजी इसकी चाल न देखी तो क्या !” बाबाजी भी मनुष्य ही थे। अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरे के मुख से सुनने के लिए उनका हृदय अधीर हो उठा। घोड़े को खोलकर बाहर ले गए। घोड़ा वायु-वेग से उड़ने लगा। उसकी चाल देखकर खड्गसिंह के हृदय पर साँप लोट गया। जाते-जाते उसने कहा, ” बाबाजी, मैं यह घोड़ा आपके पास रहने न दूँगा। ”
प्रश्न 1.
बाबा भारती ने खड्गसिंह को घोड़ा कैसे दिखाया?
उत्तर:
बाबा भारती ने खड्गसिंह को घोड़ा घमंड से दिखाया।
प्रश्न 2.
बाबा भारती का हृदय क्यों अधीर हो उठा?
उत्तर:
अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरे के मुख से सुनने के लिए बाबा भारती का हृदय अधीर हो उठा।
प्रश्न 3.
‘हृदय पर साँप लोटने’ का अर्थ क्या होता है?
उत्तर:
हृदय पर साँप लोटने का अर्थ है – ईर्ष्या करना।
प्रश्न 4.
ऐसा बाँका घोड़ा उसने कभी न देखा था? यहाँ उसने किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
उत्तर:
इस वाक्य में उसने खड्गसिंह के लिए प्रयुक्त हुआ है।
प्रश्न 5.
किसने कहा- “ बाबाजी, मैं यह घोड़ा आपके पास रहने न दूँगा?
उत्तर:
यह वाक्य खड्गसिंह ने कहा।
III. सहसा उन्हें एक झटका सा लगा और लगाम हाथ से छूट गई। उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा, जब उन्होंने देखा कि अपाहिज घोड़े की पीठ पर तनकर बैठा है और घोड़े को दौड़ाए लिए जा रहा है। बाबा भारती थोड़ी देर देखते रहे, फिर चिल्लाकर बोले, “ज़रा ठहर जाओ, खड्गसिंह! खड्गसिंह ने घोड़ा रोक दिया और बाबा से कहा, “बाबाजी, मैं यह घोड़ा अब न दूँगा। ” बाबा ने कहा, “भाई, मुझे घोड़ा न चाहिए। यह तुम्हारा है। मेरी प्रार्थना है कि इस घटना का किसी के सामने जिक्र न करना। ” खड्गसिंह का मुँह आश्चर्य से खुला रह गया। उसने पूछा, “बाबाजी इसमें आपको क्या डर है?” सुनकर बाबा भारती ने उत्तर दिया- ” लोगों को यदि इस घटना का पता लग गया तो वे किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे।”
प्रश्न 1.
बाबा भारती ने खड्गसिंह से क्या प्रार्थना की?
उत्तर:
बाबा भारती ने खड्गसिंह से यह प्रार्थना की कि वह इस घटना का जिक्र किसी के सामने मत करे।
प्रश्न 2.
खड्गसिंह का मुँह आश्चर्य से क्यों खुला रह गया?
उत्तर:
बाबा भारती की बातों को सुनकर खड्गसिंह का मुँह आश्चर्य से खुला रह गया।
प्रश्न 3.
बाबा भारती को किस बात का डर था?
उत्तर:
बाबा भारती को डर था कि यदि लोगों को इस घटना का पता लग गया तो वे किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे।
प्रश्न 4.
ज़िक्र का अर्थ क्या है?
उत्तर:
जिक्र का अर्थ है – चर्चा करना।
प्रश्न 5.
किसने, किससे कहा – “यदि लोगों को इस घटना का पता लग गया तो वे किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे।”
उत्तर:
बाबा भारती ने यह बात खड्गसिंह से कही।
IV. सुबह स्नान करने के बाद बाबा भारती के पाँव रोज़ की तरह अस्तबल की ओर बढ़ गए। फाटक पर पहुँचकर उन्हें अपनी भूल का पता चला। वे वहीं रुक गए। सुलतान ने बाबा भारती के पैरों की आवाज़ पहचान ली और वह हिनहिनाया। वे खुशी से दौड़ते हुए अंदर घुसे और घोड़े के गले से लिपट गए। फिर वे संतोष से बोले, ” अब कोई गरीब की सहायता से मुँह न मोड़ेगा।”
प्रश्न 1.
सुबह स्नान करने के बाद बाबा भारती कहाँ गए ?
उत्तर:
सुबह स्नान करने के बाद बाबा भारती अस्तबल की ओर गए।
प्रश्न 2.
घोड़ा क्यों हिनहिनाने लगा?
उत्तर:
घोड़ा बाबा भारती के पैरों की आवाज़ पहचान कर हिनहिनाने लगा।
प्रश्न 3.
घोड़े को देखकर बाबाजी ने क्या किया? घोड़े को देखकर बाबाजी उसके गले से लिपटगए।
उत्तर:
प्रश्न 4.
‘गरीब’ का विलोम शब्द क्या होता है?
उत्तर:
‘गरीब’ का विलोम ‘अमीर’ होता है।
प्रश्न 5.
किसने कहा, “अब कोई गरीब की सहायता से मुँह नहीं मोड़ेगा।”
उत्तर:
बाबा भारती ने कहा।
शब्दार्थ :
- बढ़िया – सुन्दर, अच्छा।
- काँपना – डरना।
- प्रशंसा – बड़ाई।
- अस्तबल – घोड़े के रहने का स्थान।
- घमंड – गर्व।
- अधीर – बेचैन।
- वायु – वेग तेज गति।
- हृदय पर साँप लोटना – ईर्ष्या होना।
- मास – महीना।
- ज़िक्र – चर्चा।
- बाँका – सुंदर।
- प्रार्थना- विनती।
- पाँव – पैर।
- हिनहिनाया – घोड़े की बोली।
हार की जीत Summary in Hindi
पाठ- परिचय:
‘हार की जीत’ एक अत्यंत प्रेरणादायक कहानी है। इस कहानी में दो अलग-अलग व्यक्तित्वों की चर्चा की गई है। इन दोनों व्यक्तित्वों के माध्यम से लेखक ने यह बताने की कोशिश की है कि कभी-कभी व्यक्ति जीत कर भी हार जाता है और कभी-कभी हार कर भी जीत जाता है।
पाठ का सारांश:
बाबा भारती गाँव के बाहर मंदिर में रहते थे। उनके पास एक बड़ा ही सुन्दर और बलवान घोड़ा था। बाबा भारती उसे ‘सुलतान’ कहकर पुकारते थे। वैसा घोड़ा आस -पास के गाँव में नहीं था। वे अपने हाथों से सुलतान को दाना खिलाते और देख-देखकर प्रसन्न होते थे। वह जब तक संध्या समय सुलतान पर सवार होकर आठ-दस मील का चक्कर न लगा लेते उन्हें चैन नहीं आता था।
खड्गसिंह उस इलाके का डाकू था। लोग उसके नाम से काँपते थे। धीरे-धीरे उसे सुलतान के बारे में पता चला। वह उसे देखने के लिए बेचैन हो गया। एक दिन वह बाबा भारती के पास हालचाल पूछने के बहाने पहुँच गया। बाबा भारती ने उसके आने का कारण पूछा। खड्गसिंह ने बताया कि सुलतान की प्रशंसा सुनकर उसे देखने चला आया।
बाबा भारती उसे अस्तबल में ले गए। उन्होंने घमंड से घोड़ा दिखाया और खड्गसिंह ने आश्चर्य से घोड़ा देखा। वैसा घोड़ा उसने कभी नहीं देखा था। अतः वह उसकी चाल देखने के लिए बेचैन हो गया। बाबा जी घोड़ा खोलकर बाहर ले आए। घोड़ा वायु- वेग से भागने लगा। उसकी चाल देखकर खड्गसिंह के हृदय पर साँप लोट गया। जाते-जाते यह कहते गया कि बाबा जी यह घोड़ा आपके पास नहीं रहने दूँगा।
बाबा भारती डर गए। उन्हें रात को नींद नहीं आती थी। इस तरह कई महीने बीत गए। बाबा भारती इस बात को भूल गए। एक शाम घोड़े पर सवार होकर बाबा भारती घूमने जा रहे थे। तभी खड्गसिंह एक अपाहिज के रूप में हाथ जोड़कर कहने लगा, ‘बाबा! मुझ पर दया करो। मुझे तीन मील दूर जाना है, घोड़े पर चढ़ा लो। ” बाबा भारती ने अपाहिज को घोड़े पर सवार कर स्वयं उसकी लगाम पकड़कर चलने लगे। अचानक उन्हें एक झटका सा लगा।
लगाम उनके हाथ से छूट गई। अपाहिज घोड़े की पीठ पर तनकर बैठ गया और लगाम पकड़कर घोड़े को दौड़ाकर ले जाने लगा। कुछ देर तो बाबा भारती चुप रहे, फिर चिल्लाकर बोले अब यह घोड़ा तुम्हारा हैं, बस मेरी एक विनती है, इस घटना का जिक्र किसी से मत करना वरना लोग किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे। बाबा भारती चले गए। किंतु खड्गसिंह के कानों में बाबा की वही बात गूँज रही थी। अंत में उसने घोड़े को उनके अस्तबल में बाँध दिया और वहाँ से चला गया। सुलतान ने बाबा के पैरों की आवाज़ पहचान कर हिनहिनाना शुरू किया। वे खुशी से