भारत पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Essay on India in Hindi)
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा – Our good Hindustan from all over the world
रूपरेखा-
- प्रस्तावना,
- भारत का भूगोल और प्रकृति,
- इतिहास, सभ्यता और संस्कृति,
- विभिन्नता में एकता,
- आधुनिक भारत,
- उपसंहार।
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
प्रस्तावना-ये मेरा इण्डिया।
अच्छा न लगे तो कहिए यह मेरा प्यारा भारत। हम इसको हिन्दुस्तान भी कहते हैं। इतिहास के पन्नों में इसके आर्यावर्त और ब्रह्मवर्त नाम भी दर्ज हैं। मगर नाम में क्या रखा है? है तो यह हमारा प्यारा देश भारत ही। संसार के समस्त देशों में अनुपम! इसकी विशेषताओं पर मुग्ध होकर ही कवि इकबाल ने लिखा था
‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।’
भारत का भूगोल और प्रकृति-हमारा हिन्दोस्तां दुनिया के सभी देशों में सर्वोत्तम है। कम से कम भारतवासियों को तो ऐसा ही लगता है। लगे भी क्यों न? जब-
ध्रुववासी जो हिम में, तम में, जी लेता है काँप-काँपकर
रखता है अनुराग अलौकिक वह भी अपनी मातृभूमि पर।
हमारा देश भारत तो प्राकृतिक सुषमा से भरापूरा है। इसकी भौगोलिक स्थिति ने इसको सुखदायक देश का गौरव दिया है। यहाँ न ध्रुव प्रदेश जैसी सर्दी पड़ती है और न विषुवत् रेखा के प्रदेश जैसी भीषण गर्मी। इसकी ऋतुएँ परम आनन्ददायिनी हैं। इसकी वर्षा जीवनदायिनी होती है और भारत को शस्य-श्यामला बनाती है। भारत एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है।
अपनी विशालता तथा विविधता के कारण यह उपमहाद्वीप की संज्ञा से जाना जाता है। इसके उत्तर में संसार का सर्वोच्च पर्वत हिमालय है। यह पर्वतराज हिमालय भारत की उत्तरी सीमा का प्रहरी है। यह बर्फीली हवाओं से भी भारत को बचाता है। इसके दक्षिण में हिन्द महासागर स्थित है जो भारत के चरण धोता है।
भारत में गंगा-यमुना, सिंधु, सतलज, व्यास, घाघरा आदि नदियाँ हैं, जिन्होंने उत्तर के मैदान को बनाया है। इसमें विभिन्न प्रकार के अन्न और खाद्य पदार्थ उत्पन्न होते हैं। भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य के सम्बन्ध में कवि सोम ठाकुर ने लिखा है-
सागर चरन पखारे, गंगा शीश चढ़ावे नीर।
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर॥
भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य पर मुग्ध होकर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने इसे ईश्वर की साकार प्रतिमा बताया है-
नीलाम्बर परिधान हरित-पट पर सुन्दर है।
सूर्यचन्द्र युग-मुकुट मेखला रत्नाकर है।
करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस देश की।
हे मातृभूमि तू सत्य ही सगुण मूर्ति सर्वेश की!
इतिहास, सभ्यता और संस्कृति-
भारत का इतिहास बहुत पुराना तथा गौरवशाली है। ऋग्वेद विश्व का सबसे पुराना ग्रन्थ है। जब आज का सभ्य यरोप जंगली जातियों का घर था तब भारत में सभ्यता विकसित हो चकी थी। शतपथ ब्राह्मण तथा बाइबिल में देवजाति की जिस जल प्रलय का उल्लेख मिलता है, उसका घटना स्थल हिमालय के उत्तर-पश्चिम का क्षेत्र था।
उस जल प्रलय में देवजाति नष्ट हो गई। केवल मनु बचे थे। उनकी नौका हिमालय पर अटक गई थी। जल उतरने पर मनु हिमालय से नीचे उतरे। उनकी सन्तान ही मनुज या मानव है। महाकवि जयशंकर प्रसाद ने भारत को ही आर्यों का आदि देश माना है। आर्य कहीं बाहर से आये थे, वह इस मत के समर्थक नहीं हैं-
हमारी जन्मभूमि है यही। कहीं से हम आये थे नहीं।
हजारों वर्षों में भारत ने सभ्यता के अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। भारत की सभ्यता और संस्कृति अत्यन्त पुरानी है। वह निरन्तर परिवर्तित और विकसित होती रही है। भारतीय संस्कृति, त्याग, प्रेम और शांति की संस्कृति है। बौद्ध, जैन, सिख आदि भारतीय मत तथा पारसी, यहूदी, ईसाई, इस्लाम आदि विदेशी मतों को भी यहाँ रहकर अपना विकास करने की स्वतन्त्रता प्राप्त हुई है। सर्वधर्म समन्वय तथा सहिष्णुता भारत की सभ्यता और संस्कृति की दृढ़ मान्यताएँ हैं-
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा।
विभिन्नता में एकता-
भारत की सर्वप्रमुख विशेषता विभिन्नता में एकता है। यहाँ अनेक धर्म, मत, जाति के लोग रहते हैं। उनका खान-पान तथा पहनावा भी भिन्न-भिन्न है परन्तु वे सभी भारतीय हैं।
भारत की यह विविधता उसके भूगोल तथा जलवायु में भी दिखाई देती है। भारत के निवासियों के शारीरिक गठन तथा रूप-रंग में भी भिन्नता है परन्तु उनकी भारतीयता में भिन्नता नहीं है।
भारत में अनेक प्रकार की वनस्पतियाँ उगती हैं, तरह-तरह के रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं, भाँति-भाँति के पशु-पक्षी यहाँ पाये जाते हैं। इन सबकी एकरूपता ही भारत है। भारत ने हरेक को अपनाया है और शरण दी है, शरणागत वत्सलता भारत की संस्कृति का प्रमुख गुण है। कवि जयशंकर प्रसाद ने लिखा है-
लघु सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे।
उड़ते खग जिस ओर मुँह किये, समझ नीड़ निज प्यारा
अरुण यह मधुमय देश हमारा।
आधुनिक भारत-
भारत विश्व का प्राचीनतम देश है। लम्बी दासता से मुक्त होकर आज भारत नवनिर्माण के पथ पर तेजी से बढ़ रहा है। सुभद्रा कुमारी चौहान के शब्दों में कहें तो “बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी”। एक सौ बीस करोड़ की जनसंख्या वाला भारत आज संसार का सबसे बड़ा गणतन्त्र है। भारतीयों ने प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के झण्डे गाड़े हैं।
आगामी दशाब्दियों में ही हमारा भारत विश्व की आर्थिक और सामरिक महाशक्ति बनने को तैयार है। स्वतन्त्रता और समानता का संदेश विश्व को देते हुए हम स्वयं भी इसी पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। रहा है और भविष्य उज्ज्वल है। हमें अपने मतभेद भुलाकर देश को विश्व में उसका उचित स्थान दिलाना है।
जियें तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष।
निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष।