International Trade Fair Essay In Hindi | अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले पर निबन्ध

International Trade Fair Essay In Hindi अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले पर निबन्ध
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले संकेत बिंदु:

  • मेलों के प्रकार और महत्व
  • मेले का स्थान
  • मेले का भ्रमण
  • उपयोगिता

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले पर निबन्ध | International Trade Fair Essay In Hindi

मेले और प्रदर्शनियाँ सभ्यता के विकास और संस्कृति की झलक दर्शाते हैं। मेले कई प्रकार के होते हैं। कुछ मेले सामाजिक होते हैं। कुछ मेले धार्मिक होते है। इसी प्रकार प्रदर्शनियाँ भी कई प्रकार की होती हैं। पुस्तक-प्रदर्शनी, वस्त्र प्रदर्शनी, कला-प्रदर्शनी, औद्योगिक प्रदर्शनी आदि प्रदर्शनियाँ समाज के विभिन्न रूपों की झलक दिखाती हैं। भारत में मेलों और प्रदर्शनियों की भरमार लगी रहती है। इनका आयोजन गाँवों से लेकर महानगरों तक होता है। भारत की सबसे बड़ी प्रदर्शनी नई दिल्ली के प्रगति मैदान में लगती है। इसका आयोजन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के रूप में होता है। मैं इस मेले को देखने गया था।

यह मेला 14 से 27 नवंबर तक लगा। मैं इसे देखने के लिए रविवार को गया। प्रगति मैदान में भारत के विभिन्न राज्यों के स्थायी मंडप बने हुए हैं। ये सभी मंडप नई दुल्हन के समान सजे हुए थे। इनके अतिरिक्त अन्य देशों के मंडप भी थे। अमेरिका, रूस, श्रीलंका, जापान, जर्मनी, चीन, नेपाल आदि अनेक देशों के मंडप दर्शकों को विशेष रूप से आकर्षित कर रहे थे। इनके अतिरिक्त भारतीय सेना, दूर संचार विभाग, मानव संसाधन मंत्रालय, खादी ग्रामोद्योग आदि के मंडप भी थे।

मैं इस प्रदर्शनी को देखने कैथल से आया था। मेरे चाचा जी दिल्ली में रहते हैं। मैं परिवार के साथ मेला देखने गया था। मैंने सबसे पहले हरियाणा का मंडप देखा। स्वयं हरियाणा में रहने के कारण मेरी उत्सुकता इसे देखने की थी। मैं इसे देखकर दंग रह गया। ऐसा लग रहा था मानो इस मंडप में पूरा हरियाणा ही समा गया था। इसमें हरियाणा के कृषि क्षेत्र में हो रहे कार्य दिखाए जा रहे थे। खेतों में कार्य कर रहे किसान और स्त्रियाँ फसल काट रहे थे। इसमें हरियाणा के प्रसिद्ध औद्योगिक संस्थानों के उत्पादों को दर्शाया गया था। इन्हें देखकर मुझे सुखद आश्चर्य हुआ कुरुक्षेत्र के धार्मिक स्थल भी दर्शनीय थे। हरियाणा के लोकगीत गाते पुरुष और नृत्य करती युवतियों को देखने के लिए भीड़ उमड़ी पड़ी थी।

चाचा जी ने बताया कि एक दिन में पूरा व्यापार मेला देखना संभव नहीं है। अतः हमने पंजाब, राजस्थान, कर्नाटक और महाराष्ट्र के मंडपों में अधिक समय बिताया। इनमें इन प्रांतों की संस्कृति के साक्षात् दर्शन हुए। कर्नाटक के मंडप में बंगलुरु कंप्यूटर नगर को देखकर मैं दंग रह गया। कंप्यूटरों द्वारा किए जाने वाले अद्भुत कार्यों ने तो मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया। हम इसके पश्चात् भारतीय सुरक्षा सेनाओं के मंडप में आए। यहाँ वायुयानों और मिसाइलों के अतिरिक्त विभिन्न टैंकों को देखने का अवसर मिला। बर्फीली. चोटियों पर देश की रक्षा करते सैनिकों को देखकर गर्व का अनुभव हुआ।

दोपहर हो गई थी। वहाँ खाने-पीने के अनेक स्टॉल थे। हमने पंजाब मंडप के विशेष स्टॉल से मक्के की रोटी और सरसों के साग का आनंद लिया। भोजनोपरांत हम विदेशी मंडप देखने गए। अमेरिकी मंडप में रोबोटों द्वारा किए जा रहे कार्य देखकर सभी दंग थे। चीन के मंडप में जहाँ चीन की औद्योगिक प्रगति की झलक मिल रही थी वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आकर्षक थे।

भारतीय मंडपों में हस्तशिल्प के मंडप में बहुत भीड़ थी। इसमें लेह-लद्दाख से लेकर अंडमान-निकोबार तक में बनी वस्तुएँ देखकर मन प्रसन्न हो उठा। इन मंडपों में शिल्पी अपने हाथों से भाँति-भाँति की सजावटी तथा दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएँ बना रहे थे। सीपों से बने टेबल लैंप और सजावटी शंख अद्भुत थे। महात्मा बुद्ध की छोटी-छोटी मूर्तियाँ और मथुरा के पत्थरों से बनी कृष्ण की मूर्तियाँ सजीव-सी लग रही थीं।

चाचा जी ने बताया कि इन्हें देखने विदेशों से व्यापारी भी आए हुए हैं। वे भारतीय वस्तुओं को देखकर उन्हें खरीदते हैं। इस मेले में करोड़ों रुपयों का व्यापार होता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों के उद्योगपतियों, व्यापारियों, कारीगरों को यह मेला मंच प्रदान करता है। इसके माध्यम से भारत को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। यहाँ देशवासी अपने देश की विभिन्न क्षेत्रों में हो रही औद्योगिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों की झलक तो पाते ही हैं इसके साथ-साथ विश्व के अन्य देशों में हो रहे कार्यों को भी प्रत्यक्ष रूप से देखते हैं।

प्रगति मैदान में शाकुंतलम सभागार में सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे थे। हमने कोरियाई नर्तकियों का नृत्य देखा। इसके पश्चात् पंजाब का प्रसिद्ध भांगड़ा नृत्य हुआ। प्रसिद्ध पंजाबी गायकों ने अपनी मंडली के साथ गीत सुनाए।

यह व्यापार मेला भारतीय संस्कृति का दर्पण था। इससे भारत की एकता के दर्शन हुए। भारत विविध संस्कृतियों का सम्मिश्रण है। ये सभी संस्कृतियाँ मिलकर एक संस्कृति को जन्म देती हैं, वह है भारतीय संस्कृति। इस व्यापार मेले द्वारा विश्व भारत की इस औद्योगिक संस्कृति की झलक पाता है। ऐसे मेलों का आयोजन महानगरों के अतिरिक्त अन्य छोटे-छोटे नगरों में भी होना चाहिए। इतना विशाल आयोजन चाहे न भी हो, इसका लघु रूप ही दर्शाया जाए। ऐसी प्रदर्शनियाँ और मेले भारत की एकता को और सुदृढ़ करेंगे।