DAV Class 8 Hindi Chapter 8 Question Answer – दोहे

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DAV Class 8 Hindi Chapter 8 Question Answer – दोहे

DAV Class 8 Hindi Ch 8 Question Answer – दोहे

पाठ में से

प्रश्न 1.
‘तलवार का महत्व होता है म्यान का नहीं’ – इस उदाहरण के द्वारा कवि क्या कहना चाहते हैं ?
उत्तर:
‘तलवार का महत्व होता है म्यान का नहीं’ इस उदाहरण के द्वारा कवि यह कहना चाहते हैं कि हमें व्यक्ति की जाति पूछने के बजाए ज्ञान की बातें पूछ लेनी चाहिए, क्योंकि ज्ञान ही हमारा भला कर सकता है. उसकी जाति नहीं ।

प्रश्न 2.
छोटे-से घास के तिनके की निंदा क्यों नहीं करनी चाहिए?
उत्तर:
घास के छोटे-से तिनके की भी निंदा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यही तिनका यदि हवा के साथ उड़कर आँख में पड़ जाता है तो बहुत पीड़ा देता है।

प्रश्न 3.
कठोर वचनों का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
कठोर वचनों का मनुष्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे वचन व्यक्ति को बहुत बुरे लगते हैं। ये वचन उतने ही दुखदायी होते हैं, जितना कि जले पर नमक कष्टदायी होता है।

DAV Class 8 Hindi Chapter 8 Question Answer - दोहे

प्रश्न 4.
स्वाति नक्षत्र की बूंद केला, सीप तथा सर्प मुख में गिरकर क्या – क्या रूप धारण करती है?
उत्तर:
स्वाति नक्षत्र की बूँद केले के पत्ते पर गिरकर कपूर बन जाती है, सीप में गिरकर मोती बनती है और सर्प के मुख में गिरकर विष बन जाती है।

प्रश्न 5.
सज्जनों को बार-बार क्यों मना लेना चाहिए?
उत्तर:
सज्जनों के रूठ जाने पर उन्हें बार-बार मना लेना चाहिए, क्योंकि सज्जन मोती जैसे होते हैं जो बड़ी कठिनाई से मिलते हैं।

प्रश्न 6.
लाख उपाय करने पर भी बिगड़ी बात नहीं बनती। उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बात बिगड़ जाने पर लाख प्रयास करने पर भी वह पहले की तरह नहीं बनती है, जैसे यदि दूध फट जाए

प्रश्न 7.
पाठ के आधार पर सही कथन के सामने सही (✓) का और गलत कथन के सामने गलत (✗) का निशान लगाइए-
(क) मधुर वचन सब कुछ जलाकर राख कर देते हैं।
(ख) संगति का हम पर असर पड़ता है।
(ग) हमें अपने संबंधियों से अनबन नहीं करनी चाहिए ।
(घ) विपत्ति में अपनी संपत्ति न होने पर भी सभी सहायक होते हैं।
(ङ) बिहारी कवि कृष्ण को अपने हृदय में बसाना चाहते हैं।
(च) सच्चे हृदय में राम बसते हैं।
उत्तर:
(क) मधुर वचन सब कुछ जलाकर राख कर देते हैं। (✗)
(ख) संगति का हम पर असर पड़ता है। (✓)
(ग) हमें अपने संबंधियों से अनबन नहीं करनी चाहिए। (✓)
(घ) विपत्ति में अपनी संपत्ति न होने पर भी सभी सहायक होते हैं। (✗)
(ङ) बिहारी कवि कृष्ण को अपने हृदय में बसाना चाहते हैं। (✓)
(च) सच्चे हृदय में राम बसते हैं। (✓)

बातचीत के लिए

प्रश्न 1.
कवि ने अमृत की धार किसे बताया है और क्यों?
उत्तर:
कवि ने सज्जनों और संतों के वचनों को अमृत की धार के समान बताया है, क्योंकि उनके वचन लोगों को शांति प्रदान करते हैं और सुखकारी सिद्ध होते हैं।

प्रश्न 2.
बिना पानी जलज को कौन नहीं बचा सकता ?
उत्तर:
बिना पानी के जलज (कमल) को सूर्य भी नहीं बचा सकता है।

प्रश्न 3.
कवि बिहारी श्री कृष्ण के किस रूप को मन में बसाना चाहते हैं ?
उत्तर:
कवि बिहारी श्री कृष्ण के उस रूप को मन में बसाना चाहते हैं, जिसमें उनके सिर पर मुकुट, कमर में

DAV Class 8 Hindi Chapter 8 Question Answer - दोहे

प्रश्न 4.
काछनी, हाथ में मुरली और हृदय पर सुंदर माला सुशोभित हो रही है। श्री कृष्ण के श्यामल शरीर पर पीले रंग के वस्त्र कैसे लगते हैं?
उत्तर:
श्री कृष्ण के साँवले शरीर पर पीले रंग के वस्त्र उसी प्रकार सुशोभित हो रहे हैं जैसे नीलमणि पर्वत पर सूर्य

प्रश्न 5.
की किरणें पड़ने से उसका सौंदर्य निखर उठता है। ‘मन काँचे, नाचै वृथा’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘मन काँचे, नाचै वृथा’ से अभिप्राय यह है कि भक्ति का आडंबर करने से मन में सच्ची आस्था नहीं जगती है। इसके बिना कच्चे मन से भक्ति करने से मन व्यर्थ में इधर-उधर भटकता है। इससे प्रभु की प्राप्ति नहीं हो सकती है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
यदि आपका निकट संबंधी या कोई मित्र आपसे रूठ जाए तो आप क्या करेंगे?
उत्तर:
यदि मेरा निकट संबंधी या कोई मित्र मुझसे रूठ जाए तो मैं उसे तुरंत मना लूँगा । यदि मेरी गलती है तो मैं उससे क्षमा माँग लूँगा। यदि उसकी गलती है तो मैं उसे मुद्दा नहीं मनाऊँगा, बल्कि सच्ची मित्रता बनाए रखूँगा।

प्रश्न 2.
विपत्ति के समय आपका मित्र कुछ रुपए माँगने आया और आपने उसे मना कर दिया। कल्पना कीजिए कि वह आपके बारे में क्या सोच रहा होगा।
उत्तर:
विपत्ति के समय मेरा मित्र कुछ रुपये माँगने आया है और मैं उसे मना कर देता हूँ तो वह मुझे अपना सच्चा मित्र नहीं समझेगा। वह ऐसे समय में मुझसे मदद न पाकर संभवतः भविष्य में मित्रता न रखना चाहे । वह मुझे अवसरवादी मित्र समझने का भ्रम कर सकता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए अधूरे दोहों की पंक्तियों को खोजकर उन्हें पूरा कीजिए-
DAV Class 8 Hindi Chapter 8 Question Answer - दोहे 2
उत्तर:
(क) साईं इतना दीजिए, जामै कुटुम्ब समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ साधु न भूखा जाय ॥

(ख) रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहै कोय ॥

(ग) बोली एक अमोल है, जो कोई बोले जानि।
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि॥

DAV Class 8 Hindi Chapter 8 Question Answer - दोहे

प्रश्न 2.
बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है। जैसे- ‘बिगड़ी’ शब्द ‘बिगरी’ बन जाता है, ‘शैल’ सैल हो जाता है। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती है । पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
DAV Class 8 Hindi Chapter 8 Question Answer - दोहे 1

उत्तर:
(क) तैसाई (तैसोई) – वैसे ही
(ख) पायन – पाँव
(ग) गुन – गुण
(घ) कोउ – कोई

जीवन मूल्य

सभी दोहे हमें किसी-न-किसी रूप में जीने का तरीका सिखाते हैं।

प्रश्न 1.
आपको किस दोहे ने सर्वाधिक प्रभावित किया? और क्यों?
उत्तर:
जिस दोहे ने मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया है, वह है-
कदली, सीप, भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन।
जैसी संगति बैठिये, तैसोई फल दीन ।।
इसका कारण यह है कि इस दोहे में सत्संगति का महत्व बताया गया है।
व्यक्ति जिस तरह की संगति में रहता है, उसका स्वभाव भी उसी तरह का होता जाता है।

प्रश्न 2.
हमें अपने मन की व्यथा दूसरों को क्यों नहीं बतानी चाहिए?
उत्तर:
हमें अपने मन की व्यथा दूसरों को इसलिए नहीं बतानी चाहिए, क्योंकि हमारी व्यथा सुनकर कोई मदद तो करता नहीं, उल्टे उससे आनंदित होते हैं क्योंकि उससे लोगों को उपहास करने का अवसर हाथ लग जाता है।

कुछ करने के लिए

प्रश्न 1.
कबीर तथा वृंद कवि के दोहों का कक्षा में अथवा प्रार्थना सभा में सस्वर वाचक कीजिए।
उत्तर:
छात्र कबीर तथा वृंद कवि के दोहों को याद करें तथा कक्षा अथवा प्रार्थना सभा में सस्वर वाचन करें।

प्रश्न 2.
‘संपत्ति के बिना विपत्ति में कोई सहायक नहीं होता’ विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए ।
उत्तर:
‘संपत्ति के बिना विपत्ति में कोई सहायक नहीं होता। ‘ – मानव जीवन में संपत्ति तथा धन- – दौलत का बहुत महत्व है। इस भौतिकवादी युग में इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है। संपत्ति ही व्यक्ति को अब बड़ा या छोटा बताने लगी है। यह व्यक्ति की योग्यता तय करती है कि व्यक्ति आदर का पात्र है या नहीं। धनवान व्यक्ति को समाज आदर देता है। उसके अवगुणों को भूलकर उसका साथ पाने में गौरवान्वित महसूस करता है। धनवान व्यक्ति अपनी संपत्ति के बल पर असंभव को भी संभव बनाकर ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ वाली लोकोक्ति को चरितार्थ करता है। उसकी स्थिति देखकर लोग कहते हैं- ‘समरथ को नहिं दोष गुँसाई ।’ यदि व्यक्ति के पास संपत्ति न हो तो वह उपेक्षा का पात्र बन जाता है और अपने कहलाने वाले भी उससे दूरी बनाकर रहने लगते हैं और विपत्ति में उसकी मदद करना तो दूर, हाल चाल भी नहीं पूछते हैं।

DAV Class 8 Hindi Ch 8 Solutions – दोहे

I. अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पीले वस्त्र धारण किए कृष्ण का सौंदर्य कैसा लग रहा है?
उत्तर:
पीले वस्त्र धारण किए हुए श्री कृष्ण का सौंदर्य ऐसा लग रहा है मानो नीलमणि पर्वत पर सूर्य की किरणें पड़ रही हों।

प्रश्न 2.
साधु की जाति क्यों नहीं पूछनी चाहिए?
उत्तर:
साधु की जाति इसलिए नहीं पूछनी चाहिए, क्योंकि उसकी जाति का पता करके कुछ लाभ नहीं होने वाला। उससे ज्ञान की पूछनी चाहिए।

प्रश्न 3.
मनुष्य के स्वभाव पर किसका असर पड़ता है?
उत्तर:
मनुष्य के स्वभाव पर उसकी संगति का असर पड़ता है।

DAV Class 8 Hindi Chapter 8 Question Answer - दोहे

प्रश्न 4.
मुसीबत में सबसे अधिक मदद किससे मिलती है ?
उत्तर:
मुसीबत में सबसे अधिक मदद अपनी संपत्ति से मिलती है।

प्रश्न 5.
पीले वस्त्र पहने श्री कृष्ण कैसे लग रहे हैं ?
उत्तर:
पीले वस्त्र पहने श्री कृष्ण ऐसे सुंदर लग रहे हैं, मानो नीलमणि पर्वत पर प्रातः कालीन धूप पड़ने से उसका सौंदर्य निखर आया है।

II. लघु उत्तरीय प्रश्न (30-35 शब्दों में)

प्रश्न 1.
संगति का व्यक्ति पर कितना असर पड़ता है? पठित दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी व्यक्ति पर संगति का असर अवश्य पड़ता है। जैसी संगति होती है, व्यक्ति वैसा ही बन जाता है। अच्छी संगति व्यक्ति को अच्छा इनसान बनाती है और बुरी संगति उसका नाश कर देती है। दोहे में स्वाति की बूँद पर संगति का असर बताया गया है। स्वाति नक्षत्र की बूँद कदली की संगति पाकर कपूर बन जाती है। वही बूँद सीप का साथ पाकर बहुमूल्य मोती बन जाती है और वही बूँद सर्प के मुख में पड़कर विष बन जाती है।

III. मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘जैसी संगति कीजिए तैसोई फल दीन’ की सीख को वर्तमान में आप कितना उपयोगी मानते हैं?
उत्तर:
कवि रहीम ने कहा है कि मनुष्य जैसी संगति में उठता – बैठता है, उसका फल उसके स्वभाव पर अवश्य पड़ता है। अतः अच्छे लोगों की ही संगति करनी चाहिए। वर्तमान में इस सीख की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। आज युवा मद्यपान, निरुद्देश्य घूमना, अध्ययन में अरुचि जैसी कुरीतियों और बुराइयों का शिकार हो रहे हैं, ऐसे में सत्संगति की महत्ता तथा सीख और भी उपयोगी बन जाती है।

क्रियाकलाप

प्रश्न 1.
‘सत्संगति के लाभ’ पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

प्रश्न 1.
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान ।
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान ।।

तिनका कबहुँ न निन्दिये, जो पायन तर होय ।
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय ।।

कुटिल वचन सब बुरा, जारि करै सब छार।
साधु वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार।।

शब्दार्थ:

  • तलवार – कृपाण।
  • रहन दो – रहने दो।
  • म्यान – तलवार रखन का खोल।
  • कबहुँ- कभी।
  • निंदिये – निंदा करना।
  • पायन – पाँव।
  • तर – नीचे।
  • आँखिन – आँख में।
  • पीर – पीड़ा।
  • घनेरी – अत्यधिक।
  • कुटिल – कठोर।
  • सबते – सबसे।
  • जारि – जले हुए।
  • छार – नमक।
  • साधु वचन – मधुर वाणी, मीठे बोल।

प्रसंग – प्रस्तुत दोहे ‘ज्ञान सागर’ पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘दोहे’ नामक पाठ से लिए गए हैं।

व्याख्या:
पहले दोहे में जाति को महत्व न देने के लिए कहा गया है कि साधु-संतों की जाति नहीं पूछनी चाहिए। उनकी जाति पूछकर क्या करना है। उनसे ज्ञान की बातें पूछ लेनी चाहिए। ज्ञान की बातें ही हमारे काम आती हैं। हमें तलवार का मोल करना चाहिए, म्यान का नहीं, क्योंक अच्छी तलवार से ही हमारा उद्देश्य पूरा होता है। दूसरे दोहे में उस तिनके की भी निंदा न करने के लिए कहा गया है, जो हमारे पैरों के नीचे पड़ा है। हवा के साथ यदि यही तिनका उड़कर हमारी आँख में चला जाता है तो बड़ी पीड़ा देता है। तीसरे दोहे में मधुर वचनों की महत्ता के बारे में कहा गया है कि कठोर वचन सबसे बुरे होते हैं। ऐसे वचन मनुष्य को उसी तरह दुख देते हैं, जैसे शरीर के जले हुए स्थान पर नमक पड़ने पर पीड़ा होती है। इसके विपरीत मधुर वचन जल के समान शीतलता देने वाले होते हैं। इन्हें सुनने से लगता है जैसे अमृत की धारा बह रही हो।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. कबीर ने किसका मोल करने के लिए कहा है?
(क) ज्ञान का
(ख) साधु का
(ग) तलवार का
(घ) म्यान का
उत्तर:
(ग) तलवार का

2. किसकी निंदा न करने के लिए कहा गया है ?
(क) तिनके की
(ख) पैरों की
(ग) आँखों की
(घ) पीड़ा की
उत्तर:
(क) तिनके की

DAV Class 8 Hindi Chapter 8 Question Answer - दोहे

3. शीतल जल के समान होते हैं-
(क) कुटिल वचन
(ख) साधु वचन
(ग) अमृत
(घ) छार
उत्तर:
(ख) साधु वचन

4. कुटिल वचनों की तुलना की गई है –
(क) बुरे लोगों से
(ख) अमृत से
(ग) घाव पर पड़े नमक से
(घ) शीतल जल से
उत्तर:
(ग) घाव पर पड़े नमक से

5. ‘पीर घनेरी होय’ में ‘घनेरी’ शब्द है-
(क) संज्ञा
(ख) विशेषण
(ग) सर्वनाम
(घ) क्रिया
उत्तर:
(ख) विशेषण

2. कदली, सीप, भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन।
जैसी संगति बैठिये, तैसोई फल दीन।।

रूठे सुजन मनाइये, जो रूठें सौ बार।
रहिमन फिरि-फिरि पोहिये टूटे मुक्ताहार।।

बिगरी बात नै नहीं, लाख करौ किन कोय ।
रहिमन फाटे दूध को मथे न माखन होय ।।

रहिमन निज संपति बिना, कोउ न विपति सहाय ।
बिनु पानी ज्यों जलज को नहिं रवि सकै बचाया।

शब्दार्थ:

  • कदली – केला।
  • भुजंग – साँप।
  • स्वाति – स्वाति नामक नक्षत्र में आसमान से गिरने वाली पानी की बूँदें।
  • तैसोई – उसी प्रकार का।
  • दीन – देता है।
  • रूठे – नाराज़ हुए।
  • सुजन – अच्छे लोग।
  • मनाइये – नाराज़गी दूर कर लेना।
  • पोहिए – गूँथ लेना।
  • मुक्ताहार – मोतियों की माला।
  • बनै – बनना।
  • किन – उपाय।
  • कोय – कोई।
  • फाटे – फटे हुए, खराब हुए।
  • मथे – मथने पर।
  • निज – अपनी।
  • संपति धन-दौलत।
  • कोउ – कोई भी।
  • विपति – संकट के समय।
  • सहाय – सहायक, सहायता करने वाले।
  • जलज कमल।
  • रवि – सूर्य।

प्रसंग – प्रस्तुत दोहे ‘ज्ञान सागर’ पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘दोहे’ नामक पाठ से लिए गए हैं। इनके रचयिता कवि रहीम हैं। इन दोहों में संगति का प्रभाव, सज्जनों को मनाने, बात को बिगड़ने से बचाने और अपनी संपत्ति की उपयोगिता का वर्णन है।

व्याख्या – पहले दोहे में संगति के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा गया है कि व्यक्ति जैसी संगति करता है, वैसा ही बन जाता है। वह संगति के प्रभाव से बच नहीं सकता है। संगति के प्रभाव के कारण ही स्वाति नक्षत्र की बूँद केले के पत्ते पर गिरकर ‘कपूर’, सीप में गिरकर ‘मोती’ और भुजंग के मुख में गिरकर विष बन जाती है। दूसरे दोहे में कवि ने कहा है कि सज्जनों के रूठ जाने पर उन्हें एक नहीं सौ बात मना लेना चाहिए। जिस तरह व्यक्ति मोतियों की टूटी माला के मोतियों को बार-बार गूँथकर माला बना लेता है, उसी प्रकार अच्छे लोगों को सौ बार मना लेना चाहिए।

तीसरे दोहे में कवि ने कहा है कि मनुष्य को यह प्रयास करना चाहिए कि बात को बिगड़ने न दिया जाए। बात बिगड़ जाने पर बनती नहीं है। उसके लिए कोई कितना भी प्रयास क्यों न कर ले। बिगड़ी बात पहली-सी नहीं हो पाती है, जैसे फटे दूध को बार-बार मथने से भी मक्खन नहीं निकलता है। अंतिम दोहे में कवि ने अपनी संपत्ति की महत्ता बताते हुए कहा है कि अपने पास धन-दौलत न होने पर कोई कितनी भी सहायता क्यों न करें, पर काम पूरी तरह सफल नहीं होता है, जैसे पानी के बिना अकेले पड़े कमल को सूरज बचाना चाहता है, पर चाहकर भी कमल की मदद नहीं कर पाता है और अंततः कमल सूख जाता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. संगति का प्रभाव बताने के लिए इनमें से किसके तीन गुण हो जाते हैं ?
(क) कदली
(ख) सीप
(ग) स्वाति
(घ) भुजंग
उत्तर:
(ग) स्वाति

2. रूठे हुए अच्छे लोगों को मना लेना चाहिए-
(क) पुष्पहार की तरह
(ख) मुक्ताहार की तरह
(ग) कठंहार की तरह
(घ) स्वर्णहार की तरह
उत्तर:
(ख) मुक्ताहार की तरह

DAV Class 8 Hindi Chapter 8 Question Answer - दोहे

3. मक्खन नहीं निकलता है-
(क) गरम दूध से
(ख) ठंडे दूध से
(ग) महँगे दूध से
(घ) फटे दूध से
उत्तर:
(घ) फटे दूध से

4. पानी से हीन कमल को कौन नहीं बचा पाता है ?
(क) सूरज
(ख) चाँद
(ग) माली
(घ) धरती
उत्तर:
(क) सूरज

5. ‘कदली’ का अर्थ है-
(क) कपूर
(ग) छोटा कंबल
(ख) केला
(घ) पानी की बूँद
उत्तर:
(ख) केला

3. सीस मुकुट, कटि काछनी, कर मुरली उर माल।
यहि बानिक मो मन बसौ, सदा बिहारी लाल।।

सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात।
मनौ नीलमनि सैल पर, आतप पर्यो प्रभात।।

जप माला छापै तिलक, संरै॰ एकौ काम।
मन काँचे नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु।।

शब्दार्थ:

  • सीस – सिर।
  • कटि – कमर।
  • काछनी – काले धागे में पिरोए हुए मोती।
  • उर – हृद्य।
  • माल – माला।
  • बानिक – रूप।
  • बिहारी लाल – श्री कृष्णा।
  • सोहत – सुशोभित होते हैं।
  • पीत पट – पीला वस्त्र।
  • स्याम – श्री कृष्ण।
  • गात – शरीर।
  • सैल – पर्वत।
  • आतप – धूप।
  • प्रभात – सवेरा।
  • जपमाला – माला का जाप करना।
  • सरै – पूर्ण होना।
  • एकौ – एक भी।
  • वृथा – व्यर्थ।

प्रसंग – प्रस्तुत दोहे ‘ज्ञान सागर’ पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘दोहे’ नामक पाठ से लिए गए हैं। इनके रचयिता

व्याख्या – श्री कृष्ण के रूप-सौंदर्य पर मुग्ध कवि बिहारी कहते हैं कि श्री कृष्ण के सिर पर मुकुट, कमर में काले धागे में बँधी मोतियाँ, हाथ में मुरली और हृदय पर माला सुशोभित हो रही है। कवि चाहता है कि श्री कृष्ण उसी मनोहारी रूप में उसके हृदय में बस जाएँ।

दूसरे दोहे में पीत वस्त्रधारी श्री कृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन है। कवि कहता है कि श्री कृष्ण के साँवले शरीर पर पीले वस्त्र उसी प्रकार सुंदरता बढ़ा रहे हैं जैसे नीलमणि पर्वत पर प्रातःकालीन सूर्य की पीली किरणें पड़ने से उसका रूप-सौंदर्य निखर उठता है।

अंतिम दोहे में दिखावे की भक्ति पर व्यंग्य करते हुए कहा गया है कि हाथ में जपमाला लेकर राम-राम का जाप करने, रामनामी वस्त्र ओढ़ने, तिलक लगाने से एक भी काम सफल नहीं होते। इस तरह की दिखावापूर्ण भक्ति करने से प्रभु प्रसन्न नहीं होते हैं। इस तरह की कच्ची भक्ति से मन व्यर्थ में नाचता-फिरता है। प्रभु तो सच्ची भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. कवि जिस रूप में श्री कृष्ण को अपने में बसाना चाहता है, उस रूप में श्री कृष्ण के हाथ में है-
(क) चक्र
(ख) मुरली
(ग) बैजंती माला
(घ) मुकुट
उत्तर:
(ख) मुरली

2. ‘यहि बानिक मो मन बसौ, सदा बिहारी लाल’ यहाँ रेखांकित शब्द का अर्थ है-
(क) कवि बिहारी
(ख) श्रीराम
(ग) शिव जी
(घ) श्री कृष्ण
उत्तर:
(घ) श्री कृष्ण

3. श्री कृष्ण के शरीर पर किस रंग का वस्त्र सुशोभित हो रहा है?
(क) नीला
(ख) लाल
(ग) पीला
(घ) गुलाबी
उत्तर:
(ग) पीला

DAV Class 8 Hindi Chapter 8 Question Answer - दोहे

4. दोहे में ‘नीलमणि’ नाम है-
(क) एक पर्वत का
(ख) एक रत्न का
(ग) एक व्यक्ति का
(घ) एक देवता का
उत्तर:
(क) एक पर्वत का

5. इन दोहों के रचयिता है-
(क) कबीर
(ख) तुलसीदास
(ग) रहीम
(घ) सूरदास
उत्तर:
(ग) रहीम

दोहे Summary in Hindi

पाठ – परिचय:

‘दोहे’ नामक इस पाठ में ‘कबीर,’ रहीम एवं बिहारी द्वारा रचित दस दोहों का संकलन है। इन दोहों में ज्ञान का महत्व, मधुर वचन का महत्व, सत्संगति की महत्ता, प्रभु की सच्ची भक्ति के साथ ही नैतिक एवं जीवनोपयोगी तथ्य मुखरित हुए हैं।

पाठ का सार:

पाठ में शुरू के तीन दोहे कबीर द्वारा तथा अन्य दोहे रहीम एवं बिहारी द्वारा रचित हैं। इनका सार इस प्रकार है-

  • पहले दोहे में म्यान और तलवार के माध्यम से जाति न पूछने तथा ज्ञान की बात जानने के लिए कहा गया है।
  • दूसरे दोहों में तिनके की भी निंदा न करने की सीख दी गई है।
  • तीसरे दोहे में कुटिल वचनों का दुष्प्रभाव तथा सज्जनों के वचनों को अमृत की धार के समान बताया गया है।
  • अगले दोहे में स्वाति नक्षत्र की बूँद के माध्यम से सत्संगति का महत्व बताया गया है।
  • अगले दोहे में रूठे सज्जनों को मनाने की बात कही गई है।
  • अगले दोहे में बात को बिगड़ने से बचाए रखने की बात दूध का उदाहरण देते हुए कही गई है।
  • अगले दोहे में अपनी धन-संपत्ति की महत्ता बताई गई है।
  • अगले दो दोहों में श्री कृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन है।
  • अंतिम दोहे में प्रभु की सच्ची भक्ति करने तथा भक्ति का आडंबर त्यागने के लिए प्रेरित किया गया है।