Regular practice using DAV Class 8 Hindi Book Solutions and DAV Class 8 Hindi Chapter 7 Question Answer – अन्याय के खिलाफ लड़ाई are essential for improving writing and analytical skills.
DAV Class 8 Hindi Chapter 7 Question Answer – अन्याय के खिलाफ लड़ाई
DAV Class 8 Hindi Ch 7 Question Answer – अन्याय के खिलाफ लड़ाई
पाठ में से
प्रश्न 1.
किस बात से पता चलता है कि बेस्टीयन स्वभाव से बहुत क्रूर और अक्खड़ था?
उत्तर:
बेस्टीयन के क्रूर और अक्खड़ स्वभाव का पता हमें तब लगता है, जब उसने गाँववासियों के बीच जाकर घमंड और अकड़ से चिल्ला-चिल्ला कर बोला, “ दो दिन में जंगल में सड़क बनाने का काम शुरू होगा।
तुम सब लोगों को इस काम पर पहुँचना है। अगर नहीं पहुँचे तो ठीक नहीं होगा। अंग्रेज़ सरकार का हुक्म है, यह जान लो । ”
प्रश्न 2.
श्रीराम राजू का पूरा नाम क्या था ? आदिवासियों से उसका परिचय किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
श्रीराम राजू का पूरा नाम अल्लूरी श्रीराम राजू था। वे साधु बनकर उसी जंगल में रहने आए, जहाँ आदिवासी रहते थे। जंगल में रहते हुए वे आदिवासी लोगों से घुल-मिल गए। लोग उनसे अपने दुख-दर्द के बारे में बताते और कष्टों से छुटकारा पाने का उपाय पूछते। इस तरह उनका आदिवासी से परिचय हुआ ।
प्रश्न 3.
श्रीराम राजू की किस बात को सुनकर आदिवासियों में हिम्मत आई ?
उत्तर:
श्रीराम राजू ने आदिवासियों से कहा, ” अत्याचार के सामने दबना नहीं चाहिए। तुम लोगों को काम पर जाने से मना कर देना चाहिए ।” यह बात सुनकर आदिवासियों में हिम्मत आई।
प्रश्न 4.
कोया आदिवासी भारतीय सिपाहियों का ध्यान किस प्रकार रखते थे?
उत्तर:
जंगल की सँकरी पगडंडियों से जब सेना की टुकड़ी गुज़र रही होती तो जंगल में छिपे आदिवासी भारतीय सिपहियों को गुज़र जाने देते और जैसे ही अंग्रेज़ सारजेंट या कमांडर नज़र आते उन पर अचूक निशाना लगाते और मार देते। इस प्रकार कोया आदिवासी भारतीय सिपहियों का ध्यान रखते थे।
प्रश्न 5.
श्रीराम राजू ने अंग्रेज़ों के सामने समर्पण क्यों किया?
उत्तर:
आदिवासियों को जीत पाने में विफल अंग्रेज़ों ने गाँव के सारे रास्ते बंद कर दिए। इससे वहाँ भोजन और कारतूस की कमी हो गई। फिर अंग्रेज़ों ने आदिवासियों को तरह-तरह से सताना शुरू कर दिया। दिन-पर-दिन आदिवासियों की हालत बद से बदतर होती जा रही थी। उनकी यह दशा देख श्रीराम राजू ने आत्मसमर्पण कर दिया ताकि अंग्रेज़ उन पर अत्याचार न करें।
प्रश्न 6.
उचित शब्दों से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
उत्तर:
(क) ‘अन्याय के खिलाफ लड़ाई’ की घटना सन् 1922 की है?
(ख) श्रीराम राजू ने हाईस्कूल तक की पढ़ाई की थी ?
(ग) मेजर गुडॉल मंपा गाँव में डेरा डाले हुआ था।
(घ) श्रीराम राजू को कुंचू मेनन ने गोली मारी ।
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
अंग्रेज़ों की क्या योजना थी?
उत्तर:
अंग्रेज़ों की योजना यह थी कि घने जंगलों और पहाड़ों को चीरती हुई एक सड़क बनवाई जाए।
प्रश्न 2.
सड़क बनवाने का काम किसे सौंपा गया?
उत्तर:
सड़क बनवाने का काम बेस्टीयन नामक एक अंग्रेज़ तहसीलदार को सौंपा गया। अन्याय के खिलाफ लड़ाई
प्रश्न 3.
श्रीराम राजू ने आदिवासियों को गाँधी जी के बारे में क्या बताया ?
उत्तर:
श्रीराम राजू ने आदिवासियों को गांधी जी के बारे में यह बताया कि गाँधी जी अंग्रेज़ों के अत्याचार के खिलाफ़ लड़ने वाले नेता हैं। उनका कहना है कि भारत के लोगों को अंग्रेज़ सरकार का सहयोग नहीं करना चाहिए और उनका काम बंद कर देना चाहिए। अगर कोई अंग्रेज़ अन्याय करेगा तो हम अन्याय सहने से इनकार कर देंगे।
प्रश्न 4.
किस इलाके के आदिवासी लोग अन्याय के खिलाफ संघर्ष में कूद पड़े?
उत्तर:
भद्राचलम से परवथीपुरम तक पूरे इलाके के आदिवासी लोग अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए संघर्ष में कूद पड़े।
प्रश्न 5.
श्रीराम राजू की शहादत ने अंग्रेज़ों को कौन-सा पाठ पढ़ा दिया था ?
उत्तर:
श्रीराम राजू की शहादत ने अंग्रेज़ों को यह पाठ पढ़ा दिया था कि आदिवासियों के साथ मनमानी नहीं की जा सकती।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
यदि श्रीराम राजू की जगह आप होते तो क्या करते?
उत्तर:
यदि मैं श्रीराम राजू की जगह होता तो आदिवासियों को अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध लड़ते रहने का हौसला देता । मैं किसी भी स्थिति में अंग्रेज़ों के सामने समर्पण न करता । मैं आदिवासियों से कहता कि अपनी सारी शक्ति बटोरकर उन अंग्रेज़ों पर टूट पड़ो जो उन रास्तों को रोके बैठे हैं, जिनके कारण अन्य स्थानों से संपर्क टूट गया है।
प्रश्न 2.
यदि श्रीराम राजू अंग्रेज़ों के सामने आत्मसमपर्ण न करता तो क्या होता ?
उत्तर:
यदि श्रीराम राजू अंग्रेज़ों के सामने आत्म समर्पण न करता तो अंग्रेजों द्वारा आदिवासियों पर और अत्याचार बढ़ा दिया जात। इससे क्रुद्ध होकर आदिवासी अपनी पूरी शक्ति से अंग्रेज़ों से लड़ते और उनसे मुक्ति पाने का आंदोलन जारी रखते।
प्रश्न 3.
अगर श्रीराम राजू को कचहरी में पेश किया जाता तो क्या होता?
उत्तर:
अगर श्रीराम राजू को कचहरी में पेश किया जाता तो उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर मिलता। ‘वे अंग्रेज़ों के खिलाफ़ योजना बनाने में शामिल थे, हमला करने में नहीं’; अतः वे मृत्युदंड पाने से बच जाते या चेतावनी देकर छोड़ दिए जाते।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
पाठ में आए हुए दो-दो अनुस्वार (∸) अनुनासिक ( ं) तथा नुक्ता (.) लगे शब्द छाँटकर दिए गए स्थान में लिखिए-
उत्तर:
अनुस्वार | अनुनासिक | नुक्ता |
(क) जंगल | गाँव | मज़दूर |
(ख) संदेश | गोलियाँ | गिरफ़्तार |
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयोग किए गए मोटे काले विराम चिह्न पहचानिए तथा उनके नाम लिखिए-
उत्तर:
पंक्ति | चिह्न | नाम |
(क) आदिवासियों की हिम्मत जवाब देने लगी | । | पूर्ण विराम |
(ख) हुक्म बजाना नौकर का काम है। | “ ” | दोहरा उद्धरण चिह्न |
(ग) वह उन्हें सुन-सुनकर फूला न समाता। | – | योजक चिद्न |
(घ) सड़क के निमार्ण के लिए मज़दूर कहाँ से आएँगे? | ? | प्रश्नवाचक चिह्न |
जीवन मूल्य
प्रश्न 1.
‘जीवन अनमोल है’ इस बात को ध्यान में रखते हुए बताइए कि अपनी भीषण समस्या का समाधान करने के लिए आप क्या करेंगे?
उत्तर:
‘जीवन अनमोल है’ इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं अपनी भीषण समस्या का समाधान सोचते हु सबसे पहले अपना जीवन बचाने का प्रयास करूँगा । कारण यह है कि जीवन बचा रहने पर ही किसी समस्या का समाधान सोचा और किया जा सकता है। जीवन रहने पर ही किसी की मदद लेकर समस्या पर विजय पाई जा सकती है।
प्रश्न 2.
किसी ऐसी घटना के बारे में बताइए जब आपने किसी अत्याचार या अन्याय का विरोध किया हो । उसका परिणाम क्या रहा?
उत्तर:
मेरे विद्यालय की एक घटना है। हमारे गणित के अध्यापक घर ट्यूशन पढ़ाते थे। कक्षा के आठ-दस छात्र उनके पास पढ़ते थे। उन्होंने मुझसे भी पढ़ने के लिए कहा, पर मुझे पिता जी घर पर ही पढ़ा दिया करते थे। वार्षिक परीक्षा में मुझे मात्र 40% अंक मिले, जबकि ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों के अंक 70% से अधिक थे मैंने यह बात जब गणित के अध्यापक को बताई तो उन्होंने मुझे डाँट दिया। मैं अपने मित्र को लेकर प्रधानाचार्या महोदया को सारी बात बताई। उन्होंने चुपचाप मेरी कॉपी निकलवाकर अन्य अध्यापिका से मूल्यांकित कराया तो 88% अंक आए। फिर तो उस कक्षा की कापियाँ दुबारा जाँची गईं तो ट्यूशन पढ़ने वाले चार छात्र फेल हो गए तथा बाकियों के अंक कम ही आए । अब कक्षा में मेरा दूसरा स्थान था ।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1.
अपने आस-पास के किसी ऐसे व्यक्ति का साक्षात्कार लीजिए जो आपके विचार से संघर्ष कर रहे हैं।
उत्तर:
छात्र अपने आस-पास के किसी ऐसे व्यक्ति का स्वयं साक्षात्कार लें जो संघर्ष कर हे हैं।
प्रश्न 2.
हमारे देश में आज भी कई आदिवासी जनजातियाँ हैं। उनके बारे में पता कीजिए और कक्षा में बताइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 3.
आज़ादी के बाद भी हमारे देश में किस तरह की समस्याएँ व्याप्त हैं? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हमारा देश 1947 में आज़ाद हो गया। आज़ादी मिले हुए लगभग 70 साले होने को भी आ रहे हैं, परंतु आज भी अनेक समस्याएँ ऐसी हैं, जिनसे आज भी आज़ादी मिलना बाकी है। बेरोज़गारी, जनसंख्या वृद्धि, नशाखोरी, आतंकवाद, दहेज प्रथा, गरीबी, कुपोषण आदि ऐसी ही समस्याएँ हैं, जिनको हल करने के लिए सरकार जो भी कदम उठाती है, वे अपर्याप्त सिद्ध हो रहे हैं। इनमें से कई समस्याएँ मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं से जुड़ी हैं, जिन्हें अविलंब हल करने की आवश्यकता है। रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत समस्या को हल करके मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति होने की राह देखती मानवता को कलंकित होने से बचाने की ज़रूरत है।
DAV Class 8 Hindi Ch 7 Solutions – अन्याय के खिलाफ लड़ाई
I. बहुविकल्पीय प्रश्न
1. कोया आदिवासी इनमें से किस राज्य से संबंधित थे?
(क) तमिलनाडु
(ख) केरल
(ग) आंध्र प्रदेश
(घ) उड़ीसा
उत्तर:
(ग) आंध्र प्रदेश
2. आदिवासियों की रोजी-रोटी का साधन क्या था ?
(क) मज़दूरी
(ख) खेती-बारी
(ग) नौकरी
(घ) व्यवसाय
उत्तर:
(ख) खेती-बारी
3. बेस्टीयन इनमें से क्या था ?
(क) आदिवासी नेता
(ख) तहसीलदार
(ग) सैनिक
(घ) कमांडर
उत्तर:
(ख) तहसीलदार
4. श्रीराम राजू किस उम्र
(क) 16 वर्ष
(ख) 17 वर्ष
(ग) 18 वर्ष
(घ) 20 वर्ष
उत्तर:
(ग) 18 वर्ष
5. अंग्रेजों को सहयोग न देने संबंधी आंदोलन इनमें से कौन था?
(क) अंग्रेज़ों भारत छोड़ो
(ख) स्वराज आंदोलन
(ग) डांडी यात्रा
(घ) असहयोग आंदोलन
उत्तर:
(घ) असहयोग आंदोलन
6. भोले-भाले आदिवासियों के मन में अंग्रेज़ों के प्रति क्या भरा था ?
(क) अपमान
(ख) दुख
(ग) क्रोध
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
7. अंग्रेज़ी सेना आदिवासी विद्रोह को कितने समय तक न दबा सकी?
(क) दो साल
(ख) तीन साल
(ग) चार साल
(घ) पाँच साल
उत्तर:
(क) दो साल
8. आदिवासियों को विश्वास था कि राजू के चमत्कार से अंग्रेज़ों की …………. पानी बन जाएँगी।
(क) हथकड़ियाँ
(ख) बंदूकें
(ग) गोलियाँ
(घ) मिसाइलें
उत्तर:
(ग) गोलियाँ
9. इनमें से अंग्रेज़ों ने कौन-सा काम नहीं किया?
(क) आदिवासियों की फ़सलें जलाईं
(ख) आदिवासियों के गाँव के रास्ते बंद कर दिए
(ग) आदिवासियों के क्षेत्र में रेलवे लाइनें बिछाईं
(घ) पाँच साल पानी बन जाएँगी।
उत्तर:
(ग) आदिवासियों के क्षेत्र में रेलवे लाइनें बिछाईं
10. मेजर गुडॉल की खुशी का कारण था-
(क) आदिवासियों की हार
(ख) राजू का भूमिगत हो जाना
(ग) राजू की मौत होना
(घ) राजू द्वारा आत्मसमर्पण करना
उत्तर:
(घ) राजू द्वारा आत्मसमर्पण करना
11. राजू के शहीद होने के बाद कोया आदिवासी आंदोलन-
(क) उग्र रूप धारण कर लिया
(ख) अंग्रेज़ वहाँ से चले गए
(ग) टूट गया
(घ) अनेक अंग्रंज़ मौत के घाट उतारे गए
उत्तर:
(ग) टूट गया
12. इस पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
(क) आत्मसमर्पण करने की
(ख) राजू की तरह साधु बनने की
(ग) साधु की बातें ध्यान से सुनने की
(घ) अन्याय के विरुद्ध कभी न झुकने की
उत्तर:
(घ) अन्याय के विरुद्ध कभी न झुकने की
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कोया आदिवासियों के आंदोलन के नेता कौन थे?
उत्तर:
कोया आदिवासियों के आंदोलन के नेता अल्लूरी श्रीराम राजू थे।
प्रश्न 2.
अंग्रेज़ों की योजना क्या थी?
उत्तर:
अंग्रेज़ों की योजना जंगल और पहाड़ को चीरती सड़क बनाने की थी ।
प्रश्न 3.
श्रीराम राजू ने आदिवासियों की मदद कैसे की ?
उत्तर:
श्रीराम राजू ने आदिवासियों का उत्साहवर्धन और नेतृत्व करते हुए उनकी मदद की।
प्रश्न 4.
अपनी बात कहने के लिए राजू ने किसका उदाहरण दिया?
उत्तर:
अपनी बात कहने के लिए राजू ने महात्मा गांधी का उदाहरण दिया।
प्रश्न 5.
राजू ने आत्मसमर्पण क्यों किया?
उत्तर:
राजू ने आदिवासियों को अंग्रेज़ों के कहर से बचाने के लिए आत्मसमर्पण किया।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30-35 शब्दों में )
प्रश्न 1.
आदिवासियों का मनोबल बढ़ने का क्या परिणाम हुआ ?
उत्तर:
आदिवासियों का मनोबल बढ़ने से अंग्रेज़ों के प्रति विद्रोह की आग भड़क उठी । उनके मन में भरा अपमान, भय, दुख और क्रोध फूटकर बाहर निकल पड़ा। भद्राचलम से परवथीपुरम के पूरे इलाके में आदिवासी
विद्रोह फैल गया। इसे दबाने के लिए अंग्रेज़ों को सेना बुलानी पड़ी।
प्रश्न 2.
राजू की आदिवासी सेना भारतीय सिपाहियों का ध्यान किस प्रकार रखती थी?
उत्तर:
राजू ने आदिवासी सेना को आदेश दे रखा था कि भारतीय सैनिकों को हानि न पहुँचाई जाए। इसको ध्यान में रखते हुए आदिवासी सैनिक भारतीय सैनिकों के निकल जाने के बाद अंग्रेज़ कमांडर को अपना निशाना बनाते थे। इससे भारतीय सैनिक आदिवासियों का शिकार होने से बच जाते थे।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( 70-80 शब्दों में )
प्रश्न 1.
अल्लूरी श्रीराम राजू ने आदिवासी लोगों का उत्साह किस प्रकार बढ़ाया ?
उत्तर:
अल्लूरी श्रीराम राजू हाईस्कूल की पढ़ाई के बाद ही 18 वर्ष की उम्र में साधु बन गए और कोया आदिवासियों के साथ जंगल में रहने लगे। अंग्रेज़ों से परेशान आदिवासी राजू के पास आकर दुख-दर्द सुनाते और छुटकारा पाने का उपाय पूछते। उन्होंने आदिवासियों से कहा, अत्याचार के सामने दबना नहीं चाहिए। तुम लोगों को काम पर जाने से मना करना चाहिए।” वे गांधी जी का उदाहरण देकर आदिवासियों को यह समझाने में सफल हुए कि अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाना हमारा परम कर्तव्य है । इस प्रकार से श्री राम राजू ने आदिवासियों का उत्साह बढ़ाया।
V. मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1.
श्रीराम राजू . के चरित्र से आप कौन-कौन से मूल्य अपनाना चाहेंगे?
उत्तर:
श्रीराम राजू के चरित्र से मैं स्वाभिमानी बनने, अन्याय न सहने, अन्यायी का साथ न देने, अत्याचार का मुकाबला करने, अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए त्याग एवं बलिदान देने, देशभक्तों की मदद करने जैसे मूल्य अपनाना चाहूँगा ।
क्रियाकलाप
प्रश्न 1.
चंद्रशेखर आज़ाद की जीवनी पुस्तकालय से लेकर पढ़िए और श्रीराम राजू की जीवनी से तुलना कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
प्रश्न 1.
आंध्र के घने जंगलों के बीच रहने वाले कोया आदिवासी सीधी-सादी खेती के माध्यम से अपनी रोजी-रोटी जुटाया करते थे। पर जब से अंग्रेज़ों ने उनके बीच आकर अपना हक जमाया, उनका जीवन मुश्किल हो गया। अंग्रेज़ों की योजना थी कि घने जंगलों और पहाड़ों को चीरती हुई एक सड़क बिछाई जाए। पर सड़क के निर्माण कार्य के लिए मज़दूर कहाँ से आएँगे? यह सवाल जब तहसीलदार महोदय के सामने आया तो उनकी निगाह कोया आदिवासियों पर पड़ी।
प्रश्न (क) कोया आदिवासियों की आजीविका का साधन क्या था ?
(ख) उनका जीना कठिन क्यों हो गया ?
(ग) अंग्रेज़ों की योजना क्या थी?
(घ) अंग्रेज़ों के सामने क्या समस्या थी?
(ङ) तहसीलदार को समस्या का हल कहाँ नज़र आया ?
उत्तर:
(क) कोया आदिवासियों की आजीविका का साधन सीधी-सादी खेती थी।
(ख) आदिवासियों का जीना इसलिए कठिन हो गया क्योंकि अंग्रेज़ों ने उनके संसाधनों पर अपना अधिकार कर लिया था ।
(ग) अंग्रेज़ों की योजना सड़क बनाने की थी ।
(घ) अंग्रेज़ों के सामने सड़क बनाने के लिए मज़दूरों की समस्या थी।
(ङ) तहसीलदार को अपनी समस्या का हल कोया आदिवासियों में नज़र आया ।
प्रश्न 2.
यह सब सुनकर कोया आदिवासियों का दिल मज़बूत हुआ। फिर क्या था, विद्रोह की ऐसी आग भड़की कि अंग्रेज़ों के होश उड़ गए। भोले-भाले आदिवासियों के मन में भरा सारा अपमान, दुख और क्रोध फूट कर निकल पड़ा। भद्राचलम से परवथीपुरम तक पूरे इलाके के आदिवासी लोग अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए संघर्ष में कूद पड़े। अंग्रेज़ सरकार के ऐसे छक्के छूटे कि आस-पास के राज्यों से सेना बुलानी पड़ी।
प्रश्न
(क) क्या सुनकर आदिवासियों का साहस बढ़ा ?
(ख) अंग्रेज़ों के होश उड़ने के क्या कारण थे?
(ग) लोग अंग्रेज़ों के खिलाफ संघर्ष में क्यों कूद पड़े?
(घ) संघर्ष का क्या परिणाम हुआ?
(ङ) आदिवासी किस स्थिति में जी रहे थे?
उत्तर:
(क) संत और नेता श्रीराम राजू की अन्याय न सहने की बातें, अत्याचार का मुकाबला करने की बातें सुनकर आदिवासियों का साहस बढ़ा।
(ख) आदिवासियों में अपने विरुद्ध फैली विद्रोह की आग को देख कर अंग्रेज़ों के होश उड़ गए।
(ग) अंग्रेज़ लोगों को तरह-तरह से सताते थे और उन पर घोर अत्याचार करते थे, इसलिए लोग अंग्रेज़ों के खिलाफ संघर्ष में कूद पड़े।
(घ) आदिवासियों के संघर्ष के कारण अंग्रेज़ पराजित हुए । उन्हें अन्य राज्यों से सेना बुलानी पड़ी।
(ङ) आदिवासी अपमान, दुख और भय की स्थिति में जी रहे थे।
प्रश्न 3.
श्रीराम राजू ने आदिवासियों से कह रखा था कि अंग्रेज़ों से लड़ो पर एक भी भारतीय सैनिक का बाल बाँका न होने पाए। अंग्रेज़ों की सेना में बहुत से भारतीय सिपाही भी थे। राजू के आदेश का सख्ती से पालन हुआ। वह जब पहाड़ों से कूच करता था, तो ऐसा लगता था मानो उसे किसी का भय न हो। आदिवासी लोग ऐसा मानते थे कि श्रीराम राजू के चमत्कार से अंग्रेज़ों की गोलियाँ पानी बन जाएँगी।
प्रश्न (क) श्रीराम राजू ने भारतीय सैनिकों का किस तरह ध्यान रखा?
(ख) राजू के किस आदेश का पालन हुआ ?
(ग) आदिवासियों को क्या विश्वास था ?
(घ) राजू किस प्रकार कूच करता था ?
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) श्रीराम राजू ने आदिवासियों से भारतीय सैनिकों को न मारने की बात कहकर उनका ध्यान रखा।
(ख) राजू के उस आदेश का पालन हुआ, जिसमें अंग्रेज़ों से लड़ने तथा भारतीय सैनिकों को न मारने का निर्देश था।
(ग) आदिवासियों को राजू की चमत्कारी शक्तियों पर विश्वास था ।
(घ) राजू अत्यंत निर्भयता से कूच करता था।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम है ‘अन्याय के खिलाफ लड़ाई।
प्रश्न 4.
मेजर गुडॉल मन-ही-म – मन बहुत अधिक खुश हो रहा था। उसे कहाँ उम्मीद थी कि उसका शिकार खुद जाल में फँसने चला आएगा। राजू माँग कर रहा था कि उसे कचहरी में पेश किया जाए और कानून के हिसाब से उसके साथ बर्ताव हो। पर गुडॉल का कोई इरादा नहीं था कि कोर्ट-कचहरी के चक्कर में राजू को अपनी जान बचाने का ज़रा भी मौका मिले।
प्रश्न (क) मेजर गुडॉल क्यों खुश था ?
(ख) उसकी आशा के विपरीत क्या काम हो गया था ?
(ग) राजू क्या माँग कर रहा था ?
(घ) गुडॉल ने राजू को कचहरी में पेश होने का मौका क्यों नहीं दिया ?
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) मेजर गुडॉल राजू को बंदी बनाए जाने से खुश था।
(ख) गुडॉल को जिसे पकड़ पाने के लिए नाकों चने चबाने पड़ रहे थे वही अपने-आप आत्मसमर्पण करने
आ पहुँचा। यह उसकी आशा के विपरीत काम था।
(ग) राजू स्वयं को कचहरी में पेश करने की माँग कर रहा था ताकि कानून के अनुरूप उसके साथ व्यवहार हो। (घ) गुडॉल नहीं चाहता था कि राजू को किसी प्रकार जान बचाने का अवसर मिले, इसलिए उसने राजू को मौका नहीं दिया।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम है ‘ अन्याय के खिलाफ लड़ाई।
शब्दार्थ
- स्वार्थ – अपना मतलब।
- हक – अधिकार।
- अक्खड़ – अभद्र। क्रूर – निर्दयी।
- तमतमाना – गुस्से से लाल होना।
- हुक्म बजाना – आदेश मानना।
- सहम जाना – डर जाना।
- अपमान – बेइज्ज़ती।
- सहयोग – साथ देना।
- अन्याय – जुुल्म, न्याय के विरुद्ध।
- छक्के छूटना – हार जाना।
- संकरी – कम चौड़ी।
- पगडंडी – पैदल चलने का रास्ता।
- अचूक – न चूकने वाला।
- बाल बाँका होना – नुकसान होना।
- दाँतों तले उँगली दबा लेना आश्चर्यचकित रह जाना।
- तरकीब – उपाय।
- राशन – खाने-पीने की वस्तुएँ।
- कारतूस – गोलियाँ।
- गिरफ्त – पकड़।
- जख्मी – घायल।
- आत्मसमर्पण – अपने को सौंप देना।
- काम तमाम करना – मार देना।
- हित – भलाई।
- मिसाल – उदाहरण।
अन्याय के खिलाफ लड़ाई Summary in Hindi
पाठ- परिचय:
प्रस्तुत पाठ में आंध्र प्रदेश के कोया आदिवासियों के संघर्ष की गाथा है। इस संघर्ष के नायक थे जिन्होंने आदिवासियों को गांधी जी की तरह संघर्ष करने की सीख दी और अंग्रेज़ों के शोषण का विरोध करते हुए शहीद हो गए पर इस आंदोलन को एक नयी दिशा प्रदान कर गए।
पाठ का सार:
1922 की बात है, जब देश पर अंग्रेज़ों का शासन हुआ करता था। भारतीयों को तरह-तरह के अत्याचार सहने पड़ते थे। इस अत्याचार का विरोध करने वालों में आंध्र के कोया आदिवासी और उनके नेता श्रीराम थे। राजू आंध्र के ये कोया आदिवासी घने जंगलों के बीच रहते थे और खेती के द्वारा अपना जीविकोपार्जन करते थे। अंग्रेज़ों की योजना थी कि घने जंगलों और पहाड़ों को चीरती सड़क बनवाई जाए, जिसके लिए आदिवासियों को काम पर लगाने की योजना अंग्रेज़ तहसीलदार बेस्टीयन ने बनाई । उसने आदिवासियों को बिना किसी पारिश्रमिक के काम पर आने का कठोर आदेश दिया। आदिवासी इसका विरोध नहीं कर सकते थे। वे अपमानित और क्रोधित होकर भी काम पर आने के लिए विवश थे।
उन्हीं दिनों एक साधु अल्लूरी श्रीराम राजू जंगल में आकर रहने लगा था। साथ रहने से वह आदिवासियों से अच्छी तरह घुल-मिल गया था। लोग उसे अपनी दशा बताकर कष्ट से छुटकारा पाने का उपाय पूछते । श्रीराम राजू ने उन्हें अन्याय के आगे न झुकने और काम पर न जाने की राय दी। उसने अपनी बात के समर्थन में गांधी जी का उदाहरण दिया। इससे आदिवासियों की हिम्मत कुछ बढ़ी। अब वहाँ विद्रोह की ऐसी ज्वाला फैली कि भद्राचलम से परवथीपुरम तक के आदिवासी अन्याय के खिलाफ़ संघर्ष में कूद पड़े। अंग्रेज़ सरकार को यह आंदोलन दबाने में दो साल लग गए।
जब जंगल की पगडंडियों से अंग्रेज़ सेना गुज़र रही होती तो जंगल में छिपे आदिवासी भारतीय सिपाहियों के गुज़र जाने के बाद सार्जेंट या कमांडर को अपना शिकार बना लेते। राजू ने आदिवासियों को भारतीय सिपाहियों का बाल बाँका भी न करने का आदेश दे रखा था। आदिवासी राजू पर अत्यधिक विश्वास करते थे, जिसकी वजह से वे पुलिस चौकियों या सेना पर हमला कर देते थे और अस्त्र-शस्त्र लूटकर भाग जाते थे। राजू ने गुप्तचरों का ऐसा जाल फैला रखा था कि अंग्रेज़ भी हैरान थे। उन्होंने आदिवासियों को हटाने के लिए जंगल के अंदर गाँवों में राशन लाने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए। इससे भोजन और कारतूस खत्म हो गए। यह स्थिति असहय थी। राजू के कई साथी पुलिस की पकड़ में आ गए थे। एक बार राजू भी पुलिस की पकड़ में आने से जख्मी हो चुका था।
लोग परेशान होकर राजू के पास पहुँचने लगे। राजू ने सोचा कि उसके आत्मसमर्पण करने से हो सकता है कि अंग्रेज़ आदिवासियों को सताना बंद कर दें। यह सोचकर वह अंग्रेज़ों के सामने आत्मसमर्पण करने चला । उसे गिरफ्तार कर मेजर के सामने पेश किया गया। इस खबर को सुनकर करोड़ों लोग वहाँ इकट्ठा हो गए। राजू ने कचहरी में पेश होकर कानून के हिसाब से बर्ताव की माँग की पर अंग्रेज़ मौका नहीं देना चाहते थे। मेजर गुडॉल के एक इशारे पर एक सिपाही ने गोली चलाकर राजू की हत्या कर दी। श्रीराम राजू के शहीद होने से कोया आदिवासियों का आंदोलन टूट ज़रूर गया पर इससे अंग्रेज़ सरकार को अच्छा सबक मिल चुका था। वे समझ चुके थे कि अब आदिवासियों के साथ मनमर्जी नहीं की जा सकती है।