Engaging with DAV Class 8 Hindi Abhyas Sagar Solution and DAV Class 8 Hindi Chapter 8 Abhyas Sagar – दोहे can significantly boost students’ language confidence.
DAV Class 8 Hindi Abhyas Sagar Solution Chapter 8 दोहे
अलंकार (उत्प्रेक्षा, श्लेष, यमक, अतिशयोक्ति )
प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए-
सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात ।
मनो नीलमणि सैल पर आतप पर्यो प्रभात ।।
ऊपर दी गई पंक्तियों में कहा गया है कि श्री कृष्ण ने अपने श्यामल शरीर पर पीला वस्त्र ओढ़ा हुआ है। यह देखकर ऐसा लगता है मानो नीलमणि पर्वत (श्यामल शरीर ) पर सुबह की धूप ( पीत पट) पड़ रही हो । यहाँ रंग की समानता के कारण श्यामल शरीर में नीलमणि पर्वत तथा पीले वस्त्र में धूप की संभावना की गई है। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
याद रखिए-
- जहाँ रूप, गुण आदि की समानता के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए, वहाँ ‘उत्प्रेक्षा अलंकार‘ होता है। उत्प्रेक्षा अलंकार में मानो, मनो, जनु, जानो, जनहुँ, ज्यों, मनु आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों में उत्प्रेक्षा अलंकार स्पष्ट कीजिए-
(क) उस वक्त मारे क्रोध के तनु काँपने लगा।
मानो हवा के शोर से सोता हुआ सागर जगा ।।
उत्तर:
क्रोध की अधिकता में अर्जुन के काँपते शरीर में हवा के शोर से जागे हुए सागर की संभावना की गई है, अतः उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(ख) पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के ।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के ।।
उत्तर:
गाँव में बादलों के आने में सज-धजकर आने वाले शहरी मेहमान (दामाद) की संभावना की गई है। अतः उत्प्रेक्षा अलंकार है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित को ध्यान से पढ़िए-
(क) मधुबन की छाती को देखो, सूखी इसकी कितनी कलियाँ।
उपर्युक्त पंक्ति में ‘कली’ शब्द का प्रयोग एक बार हुआ है, परंतु अर्थ दो हैं।
- खिलने से पूर्व फूल की स्थिति
- यौवन पूर्व की अवस्था
(ख) रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून।
यहाँ ‘पानी’ शब्द में श्लेष अलंकार है तथा मोती, मानुष और चून के संदर्भ में इसके क्रमशः तीन अर्थ हैं- चमक, सम्मान और जल।
याद रखिए-
- जहाँ शब्द तो एक ही बार प्रयुक्त किया जाए, पर उसके एक से अधिक अर्थ हों, वहाँ ‘श्लेष अलंकार‘ होता है।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों में से श्लेष अलंकार छाँटकर उनका स्पष्टीकरण लिखिए-
(क) लूट लिया माली ने उपवन।
उत्तर:
स पंक्ति में ‘माली’ शब्द के दो अर्थ हैं-
- उपवन की देखभाल करने वाला
- जाना-पहचाना कोई व्यक्ति। अतः श्लेष अलंकार है
(ख) मंगन को देखि पट देत बार – बार है।
उत्तर:
यहाँ ‘पट’ शब्द में श्लेष अलंकार है तथा मंगन के संदर्भ में इसके क्रमशः दो अर्थ है- वस्त्र और दरवाज़ा।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित को ध्यान से पढ़िए-
(क) काली घटा का घमंड घटा
उत्तर:
यहाँ ‘घटा’ शब्द दो बार प्रयुक्त हुआ है, पर दोनों बार उसके भिन्न-भिन्न अर्थ हैं। पहली बार ‘घटा’ का अर्थ है ‘काले बादल’ और दूसरी बार ‘घटा’ का अर्थ है ‘कम हो जाना’।
(ख) तीन बेर खाती थीं वे तीन बेर खाती हैं।
उत्तर:
यहाँ ‘तीन बेर’ के दो अर्थ हैं- बेर के तीन दाने तथा तीन बार । अतः यहाँ यमक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
याद रखिए-
- जब एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उसका अर्थ हर बार भिन्न हो, वहाँ ‘यमक अलंकार‘ होता है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित पंक्तियों में से यमक अलंकार छाँटकर उनका स्पष्टीकरण लिखिए-
(क) कनक-कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय।
वा खाए बौराए जग, या पाए बौराए।।
उत्तर:
यहाँ ‘कनक’ शब्द दो बार आया है। एक ‘कनक’ का अर्थ- ‘धतूरा’ (एक मादक फल) तथा दूसरे ‘कनक’ का अर्थ- ‘सोना’ है। अतः यहाँ ‘यमक अलंकार’ है।
(ख) माला फेरत जुग गया, मिटा न मन का फेर।
कर का मनका डारि कर, मन का मनका फेरा।।
उत्तर:
यहाँ ‘मनका’ शब्द दो बार आया है- एक ‘मनका’ का अर्थ है- ‘माला की मोतियाँ’ और दूसरे ‘मनका’ का अर्थ है- ‘मन या हृदय का ।’ अतः यहाँ ‘यमक अलंकार’ है।
(ग) वह पाकर एक धोती, प्रतिदिन उसे धोती
उत्तर:
यहाँ ‘धोती’ शब्द के दो अर्थ हैं- एक ‘धोती’ का अर्थ है- ‘वस्त्र’ और दूसरे ‘धोती’ का अर्थ है- ‘धोने की क्रिया’। अतः यहाँ ‘यमक अलंकार’ है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए-
हनुमान की पूँछ में लग न पाई आग।
लंका सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग ।।
ऊपर दी गई पंक्तियों में कहा गया है कि अभी हनुमान की पूँछ में आग लगी भी नहीं थी कि सारी लंका जल गई और सारे निशाचर भाग गए। यहाँ लंका दहन का वर्णन बढ़ा-चढ़ाकर किया गया है। पूँछ में आग लगने से पहले लंका का जलना अतिशयोक्ति है। इसीलिए यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
याद रखिए-
- जहाँ किसी बात को इतना बढ़ चढ़ाकर कहा जाए अथवा किसी की प्रशंसा इतनी बढ़ा-चढ़ाकर की जाए कि वह लोक सीमा के बाहर हो तो, वहाँ ‘अतिशयोक्ति अलंकार‘ होता है।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित उदाहरणों में अतिशयोक्ति अलंकार स्पष्ट कीजिए-
(क) आगे नदिया पड़ी अपार, घोड़ा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार ।।
उत्तर:
इन पंक्तियों में कहा गया है कि अत्यंत चौड़ी नदी को देखकर राणा प्रताप सोच रहे थे कि चेतक नदी कैसे पार करेगा। राणा प्रताप अभी यह सोच ही रहे थे कि चेतक छलांग लगाकर उस पार पहुँच चुका था। अत्यंत चौड़ी नदी को सोचने मात्र के समय में छलाँग लगाकर पार करने की बात कहना अतिशयोक्ति पूर्ण है। अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
(ख) कढ़त साथ ही म्यान तें, असि रिपु तन ते प्रान
उत्तर:
इस पंक्ति में कहा गया है कि म्यान से तलवार निकलने के साथ ही शत्रु के शरीर से प्राण निकल जाते थे। तलवार से वार किए बिना शत्रु के प्राण निकलने की बात करना अतिशयोक्ति पूर्ण वर्णन है। अतः अतिशयोक्ति अलंकार है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उचित विकल्प पर सही (✓) का निशान लगाइए-
जन्म लेते हैं जगह में एक ही
एक ही पौधा उन्हें है पालता
रात में उन पर चमकता चाँद भी,
एक ही-सी चाँदनी है डालता।
मेघ उन पर है बरसता एक-सा
एक-सी उन पर हवाएँ हैं बहीं।
पर सदा ही यह दिखाता है हमें,
ढंग उन के एक-से होते नहीं।
छेद कर काँटा किसी की उँगलियाँ,
फाड़ देता है किसी का वर-वसन।
फूल निज सुगंध औ निराले रंग से।
है सदा देता कली को जो खिला।
है खटकता एक सब की आँख में,
दूसरा है सोहता सुर शीश पर।
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे।
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर।
(क) यहाँ पौधे के किन-किन अवयवों की बात हो रही है?
(a) फूल और फल की
(b) फूल और काँटे की
(c) फूल और पत्तियों की
(d) पत्तियों और काँटे की
उत्तर:
(b) फूल और काँटे की
(ख) प्रकृति किस प्रकार दोनों को समान भाव से पालती है?
(a) चाँदनी सभी पर चमकती है।
(b) चाँदनी, मेघ और हवा दोनों को समान रूप से प्राप्त होते हैं।
(c) चाँद, बादल और वर्षा समान व्यवहार करते हैं।
(d) हवा दोनों को समान रूप से सहलाती है।
उत्तर:
(b) चाँदनी, मेघ और हवा दोनों को समान रूप से प्राप्त होते हैं।
(ग) काँटे की प्रवृत्ति क्या होती है?
(a) उसका कोई उपयोग नहीं होता।
(b) वह सभी को आहत करता है।
(c) वह फूल की सुरक्षा करता है।
(d) वह उँगली को छेद देता है।
उत्तर:
(d) वह उँगली को छेद देता है।
(घ) फूल सभी को प्यारा क्यों लगता है?
(a) उसकी कोमल पंखुड़ियों के कारण
(b) उसकी खुशबू और निराले रंगों के कारण
(c) उसकी मधुरता के कारण
(d) उसकी आकर्षक छवि के कारण
उत्तर:
(b) उसकी खुशबू और निराले रंगों के कारण
(ङ) कुल की बड़ाई कब काम आती है?
(a) व्यवहार में बड़प्पन होने पर
(b) बड़प्पन का भाव न रहने पर
(c) स्वभाव में अंकार होने पर
(d) बड़प्पन में कसर रहने पर
उत्तर:
(a) व्यवहार में बड़प्पन होने पर
प्रश्न 10.
निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए-
उत्तर:
(क) जो सबके साथ समान व्यवहार करे
(ख) अच्छे चरित्र वाला
(ग) जो अपने पैरों पर खड़ा हो
(घ) किसी वस्तु का बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन करना
(ङ) जो कड़वा बोलता हो
प्रश्न 11.
नीचे लिखे वाक्यों को शुद्ध रूप में लिखिए-
(क) पंचों ने जो निर्णय लिया वह सभी को मान्य था।
उत्तर:
पंचों ने जो फैसला दिया, वह सभी को मान्य था।
(ख) वह गुनगुने गरम पानी से स्नान करता है।
उत्तर:
वह गुनगुने पानी से स्नान करता है।
(ग) उसके तो सारे इरादों पर पानी बह गया।
उत्तर:
उसके तो सारे इरादों पर पानी फिर गया।
(घ) वसंत ऋतु अच्छा लगता है।
उत्तर:
वसंत ऋतु अच्छी लगती है।
(ङ) उसका प्राण निकल रहा है।
उत्तर:
उसके प्राण निकल रहे हैं।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग बदलिए-
उत्तर:
(क) डिबिया – डिब्वा
(ग) सुता – सुत
(ख) सेठ – सेठानी
(घ) रूपवती – रूपवान
प्रश्न 13.
नीचे लिखे वाक्यों से जिस काल का पता चलता है, उसके सामने उस काल का नाम लिखिए-
उत्तर:
वाक्य | काल |
(क) भारत ने नया उपग्रह छोड़ा। | भूत काल |
(ख) अध्यापक विद्यार्थियों को पाठ पढ़ाएँगे। | भविष्यत काल |
(ग) ममता खाना पका रही है। | वर्तमान काल |
(घ) अनेक चित्रकारों ने सुंदर चित्र बनाए । | भूत काल |
(ङ) उसने मुझे पुस्तक दी थी। | भूत काल |
आओ लिखें
प्रश्न 14.
पाठ ‘दोहे’ में जो दोहा आपको बहुत अच्छा लगा हो, उसके मुख्य भाव पर आधारित कहानी लिखिए-
उत्तर:
मेरी पसंद का दोहा है-
कदली, सीप, भुजंग- मुख स्वाति एक गुन तीन ।
जैसी संगति कीजिए, तैसोई फल दीन ।।
इसका मुख्य भाव यह है कि मनुष्य के आचार-विचार और व्यवहार पर संगति का असर ज़रूर पड़ता है।
इससे संबंधित कहानी निम्नलिखित है:
किसी वन में एक पुराने वृक्ष पर घोंसले में तोते के दो बच्चे रहते थे। वे अभी बोल नहीं सकते थे। एक दिन इतना भीषण तूफ़ान आया कि घोंसला उड़कर दूर जा गिरा और तूफ़ान से दोनों बच्चे भी अलग-अलग स्थानों पर जा गिरे। उनमें से एक बच्चा ऋषि के आश्रम में गिरा, जहाँ वह बड़ा होने के साथ-साथ ‘राम-राम’ और कुछ दोहे सीख गया। दूसरा बच्चा उस जगह पर जा गिरा, जहाँ डाकुओं का दल रहता था। डाकुओं के सरदार ने उसे पिंजरे में रखा और पाल लिया, जहाँ वह डाकुओं से ‘मारो, पकड़ो, लूटो’ जैसी कई प्रकार की गालियाँ सीखते हुए बड़ा हुआ।
संयोग से एक बार दोनों तोते अपने-अपने पिंजरे से जंगल की ओर उड़ चले और बहेलिए के जाल में फँस गए। बहेलिए ने दोनों तोतों को अच्छे दाम पर राजा के दरबार में बेच दिया। उन्हें अलग-अलग पिंजरों में रखकर उनके चारे – पानी का प्रबंध कर दिया गया। अगली सुबह एक तोता ‘राम-राम’ कहते हुए, दोहा पढ़कर राजा को जगाने लगा तो दूसरा तोता ‘पकड़ो, मारो, लूटो’ जैसी गालियाँ देने लगा। यह सुन राजा क्रोधित हुआ।
उसने दूसरे तोते की गर्दन मरोड़ने के लिए हाथ बढ़ाया, तभी पहले तोते ने बताया, “ राजन! यह मेरा सगा भाई है, किंतु मैं एक ऋषि की और यह डाकुओं की संगति में रहते हुए बड़े हुए हैं। संगति के प्रभाव के कारण मैं ‘राम-राम’ कहना और यह गालियाँ देना सीख गया। महाराज! आप इसे जीवनदान देने की कृपा करें। ” यह सुनकर राजा ने दूसरे तोते को भगा दिया और पहले तोते को शाही उपवन में उड़ने-फिरने के लिए आज़ाद कर दिया।