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DAV Class 8 Hindi Chapter 6 Question Answer – आश्रम के अतिथि और संस्मरण
DAV Class 8 Hindi Ch 6 Question Answer – आश्रम के अतिथि और संस्मरण
पाठ में से
प्रश्न 1.
गाँधी जी ने सिला हुआ कपड़ा पहनना क्यों छोड़ दिया ?
उत्तर:
गाँधी जी ने सिला हुआ कपड़ा इसलिए पहनना छोड़ दिया, क्योंकि कपड़े सिलने में प्रयोग की जाने वाली सुई, सिलाई मशीन और कैंची विदेशों में बनती थीं, जबकि गाँधी जी मात्र स्वदेशी वस्तुएँ ही प्रयोग करना चाहते थे।
प्रश्न 2.
गाँधी जी ने नौजवान को क्या समझाया ?
उत्तर:
गाँधी जी ने नौजवान को समझाया कि मनुष्य से प्रेम और उसकी सेवा बहुत अच्छी बातें हैं, पर मनुष्य ईश्वर का स्थान नहीं ले सकता है। हर मनुष्य में ईश्वर है। यह मानना ही ईश्वर पर सच्चा विश्वास रखना है। प्रेम या अहिंसा में ही भगवान हैं।
प्रश्न 3.
गाँधी जी काग़ज़ का अपव्यय किस प्रकार रोकते थे ?
उत्तर;
गाँधी जी पत्र, तार के कागज़, लिफ़ाफ़ों आदि के कोरे हिस्सों को काटकर अपने पास रख लेते थे ताकि उसका बाद में प्रयोग किया जा सके। इस प्रकार वे कागज़ का अपव्यय रोकते थे।
प्रश्न 4.
आत्मशुद्धि के लिए लेख लिखने का क्या कारण था ?
उत्तर:
आत्मशुद्धि के लिए लेख लिखने के दो कारण थे
- छगनलाल जोशी द्वारा अनाज के कोठार में हुई गड़बड़ी को छिपाकर रखना।
- उपहार के रूप में मिले चार रुपयों को कस्तूरबा गाँधी द्वारा आश्रम के दफ्तर में न जमा कराया जाना।
प्रश्न 5.
रिक्त स्थान भरिए-
उत्तर:
(क) गाँधी जी की कुटी में हिंदुस्तानी प्रचार सभा की बैठक होने वाली थी।
(ख) मिट्टी का सकोरा एक राखदानी था।
(ग) गाँधी जी से डोरा खो गया था।
(घ) कस्तूरबा को चार रुपए उपहार में मिले थे।
प्रश्न 6.
उचित उत्तर पर सही (✓) का निशान लगाइए-
(क) कद्दू के विषय पर गीत किसने लिखा था ?
(a) कस्तूरबा
(b) नरहरि भाई
(c) मणि बहन
(d) छगनलाल जोशी
उत्तर:
(क) मणि बहन
(ख) गाँधी जी ने कृष्णचंद से क्या लाने के लिए कहा ?
(a) मेज़
(b) कटोरा
(c) कुर्सी
(d) तिपाई
उत्तर:
(ख) कुर्सी
(ग) गाँधी जी का लेख पढ़कर किसे बुरा लगा ?
(a) सरोजिनी नायडु
(b) कृष्णचंद
(c) कस्तूरबा
(d) नरहरि भाई
उत्तर:
(ग) सरोजिनी नायडु
(घ) मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को किस पर बैठने की आदत नहीं थी ?
(a) कुर्सी
(b) ज़मीन
(c) चारपाई
(d) चटाई
उत्तर:
(घ) ज़मीन
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
‘गाँधी जी केवल उपदेशक नहीं थे। कर्मयोगी थे।’ चर्चा कीजिए
उत्तर:
गाँधी जी दूसरों को अच्छा काम करने का मात्र उपदेश नहीं दिया करते थे, बल्कि उस काम को पहले वे स्वयं
प्रश्न 2.
करके समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत करते थे। वे परोपकार, अहिंसा, सत्यवादिता, स्वदेश-प्रेम की केवल कोरी बातें ही नहीं करते थे, बल्कि उन्हें स्वयं अपनाए हुए थे तथा कर्म करने में विश्वास रखने वाले थे। भ्रष्टाचार हमारे जीवन को किस प्रकार नष्ट करता है? तर्क सम्मत विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
भ्रष्टाचार हमारे जीवन में बहुत छोटे से स्तर पर शुरू होता है और बढ़ते-बढ़ते हमारे जीवन को घेर लेता है। एक बार भ्रष्टाचार की आदत पड़ जाती है तो बड़ी कठिनाई से छूटती है । यह धीरे-धीरे जीवन को नष्ट करके रख देता है।
प्रश्न 3.
‘प्रेम या अहिंसा में ही भगवान है।’ इस कथन के पक्ष और विपक्ष में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
यदि गाँधी जी सब्ज़ी में बघार लगाने की अनुमति न देते, तो क्या होता?
उत्तर:
यदि गाँधी जी सब्ज़ी में बघार लगाने की अनुमति न देते तो आश्रम की महिलाओं को कद्दू की ही उबली सब्ज़ी खानी पड़ती। जब ऐसी बेस्वाद सब्ज़ी उनसे खाना मुश्किल हो जाता तो यही बात वे कस्तूरबा से न कहकर गांधी जी से कहतीं और इस बारे में अपनी बात उनके सामने रखकर उनसे मनवाने का प्रयास करतीं।
प्रश्न 2.
यदि आपके घर अचानक मेहमान आ जाएँ, तो आप उनकी सुविधा का ध्यान कैसे रखेंगे?
उत्तर:
यदि मेरे घर अचानक मेहमान आ जाएँ तो मैं घर में उपलब्ध सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए उनकी सेवा का भरपूर प्रबंध करूँगा । उनको अन्य सुविधाएँ देने के लिए बाज़ार से उनकी रुचि का सामान लाऊँगा । जब यह खर्च मेरी जेब से बाहर होने लगेगा तो मैं उनसे अपनी असमर्थता जाहिर कर दूँगा।
प्रश्न 3.
कल्पना कीजिए कि आप गाँधी जी के आश्रम में हैं। आप अपना वहाँ का अनुभव बताइए।
उत्तर:
गांधी जी के आश्रम में पहुँचकर मैंने अनेक नए अनुभव किए। आश्रम में हर व्यक्ति निःस्वार्थ भाव से अपना-अपना काम करता है। सब लोग गांधी जी की बातों को मानते हैं। गांधी जी यहाँ अत्यंत साधारण – सी वेशभूषा में रहते हैं। वे अपना काम स्वयं करते हैं और दूसरे भी अपना काम स्वयं करें, ऐसी अपेक्षा रखते हैं। आश्रम में ही उगने वाले कद्दू की उबली सब्ज़ी खाने को मिलती है, जिसमें मसाला नहीं मिला होता है। बच्चे भी ऐसी ही सब्ज़ी खाते हैं। यहाँ कभी-कभी गाँधी जी और कस्तूरबा की नोंक-झोंक देखने-सुनने को मिल जाती है।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
कोष्ठक में दिए गए शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए-
(क) उनके लिए यह …………. प्रबंध कर रहा हूँ। (इंतज़ाम)
(ख) कस्तूरबा को किसी ने चार रुपए …………… भेंट में दिए। (उपहार)
(ग) इसमें वे पत्नी, पुत्र, मित्र किसी को ……………… माफ़ नहीं करते थे। (क्षमा)
उत्तर:
(क) उनके लिए यह इंतज़ाम प्रबंध कर रहा हूँ।
(ख) कस्तूरबा को किसी ने चार रुपए उपहार भेंट में दिए।
(ग) इसमें वे पत्नी, पुत्र, मित्र किसी को क्षमा माफ़ नहीं करते थे।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों में मोटे काले शब्दों के उचित लिंग-भेद पर घेरा लगाइए-
(क) गाँधी जी एक कुटी में रहते थे। पुल्लिंग/(स्त्रीलिंग)
(ख) उन्होंने एक मिट्टी का सकोरा रख दिया। (पुल्लिंग) / स्त्रीलिंग
(ग) वह पुराने ढंग की धोती और चादर पहनते थे। पुल्लिंग / (स्त्रीलिंग)
(घ) गाँधी जी के आश्रम का नाम सेवाग्राम था। (पुल्लिंग) / स्त्रीलिंग
उत्तर:
(क) गाँधी जी एक कुटी में रहते थे। – स्त्रीलिंग
(ख) उन्होंने एक मिट्टी का सकोरा रख दिया। – पुल्लिंग
(ग) वह पुराने ढंग की धोती और चादर पहनते थे। – स्त्रीलिंग
(घ) गाँधी जी के आश्रम का नाम सेवाग्राम था। – पुल्लिंग
प्रश्न 3.
नीचे दिए गए वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए-
उत्तर:
(क) जिसे बहुत थोड़ा ज्ञान हो – अल्पज्ञ
(ख) किसी के पीछे चलने वाला – अनुगामी
(ग) जो कहा जा सके – कथनीय
(घ) जिसका कोई आकार हो – साकार
(ङ) ईश्वर में विश्वास रखने वाला – आस्तिक
(च) जो किए गए उपकार को मानता हो – कृतज्ञ
जीवन मूल्य
गाँधी जी का जीवन ‘सादा जीवन उच्च विचार’ का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण रहा है।
प्रश्न 1.
आप अपने जीवन में सादगी को किस प्रकार अपनाते हैं?
उत्तर:
गांधी जी की जीवन शैली ‘सादा जीवन उच्च विचार’ से प्रेरणा लेकर मैं अपने जीवन में कदम-कदम पर सादगी अपनाने की कोशिश करता हूँ। मैं आज भी नीम की दातून करता हूँ तथा नाश्ते में कम मसाले वाला खाद्य पदार्थ लेता हूँ। मैं सूती कपड़े पहना हूँ। मेरे कपड़े भले ही सस्ते हों, पर स्वच्छ होते हैं। मैं कॉपियों के बचे-खुचे कागज़ तक को प्रयोग में लाता हूँ। मैं झूठ नहीं बोलता तथा दीन-दुखियों की मदद के लिए अपने जेब खर्च के रुपये भी दे देता हूँ। मैं अपना काम स्वयं करता हूँ तथा काम को कल पर नहीं छोड़ता हूँ ।
प्रश्न 2.
सादा जीवन सुदृढ़ चरित्र को आधार प्रदान करता है। कैसे?
उत्तर:
‘सादा जीवन’ मन में आत्मविश्वास जगाता है। इससे हमारा खर्च हमारे नियंत्रण में रहता है। इस कारण हम दूसरों से कर्ज़ माँगने से बचते हैं तथा सम्मान से सिर उठाकर जीते हैं। सादा जीवन हमें त्याग, सद्भाव परोपकार करने तथा मितव्ययी बनने की प्रेरणा देता है। इससे हमारे सुदृढ़ चरित्र का आधार तैयार होता है।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1.
गाँधी जी हर छोटी-से-छोटी चीज़ का ध्यान रखते थे। आप अपनी छोटी तथा महत्वपूर्ण वस्तुओं कैसे सँभालते हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मैं अपनी छोटी-छोटी चीज़ों को फाइलों, कागज के लिफ़ाफ़ों, कपड़े के थैलों आदि में सँभालकर रखता हूँ ताकि काम के समय खोजना या परेशान न होना पड़े।
प्रश्न 2.
श्रीमती पारीख ने उबले कद्दू पर कविता बनाई और सुनाई। आपको भी जो सब्ज़ी पसंद नहीं हो, उस पर कविता बनाइए और कक्षा में
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 3.
गाँधी जी पर आधारित चलचित्र ‘गाँधी’ तथा ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ देखिए।
उत्तर:
छात्र अपने माता-पिता के साथ या उनकी मदद से ये चलचित्र स्वयं देखें।
DAV Class 8 Hindi Ch 6 Solutions – आश्रम के अतिथि और संस्मरण
I. बहुविकल्पीय प्रश्न
1. हिंदुस्तानी प्रचार सभा की बैठक इनमें से कहाँ होनी थी?
(क) कार्यालय में
(ख) कुटी में
(ग) भवन में
(घ) मंदिर में
उत्तर:
(क) कार्यालय में
2. बैठक कक्ष में इनमें से क्या था ?
(क) मेज़
(ख) कुर्सी
(ग) चटाई
(घ) सोफ़ा
उत्तर:
(ग) चटाई
3. तिपाई पर सकोरा क्यों रखा गया था ?
(क) पीक के लिए
(ख) राख के लिए
(ग) कलमदान के लिए
(घ) रद्दी कागज़ के लिए
उत्तर:
(ख) राख के लिए
4. गाँधी जी ने कुर्सी इनमें से किसके लिए मँगवाई ?
(क) अबुल कलाम आजाद के लिए
(ख) स्वयं अपने लिए
(ग) कस्तूरबा गाँधी के लिए
(घ) सेवाग्राम में आए नौजवान के लिए
उत्तर:
(क) अबुल कलाम आजाद के लिए
5. डोरे के खोने पर गाँधी ने कहा, “अगर डोरा मेरे हाथ में गुम होने लगे तो ………………. भी गुम होने में देर नहीं लगेगी।”
(क) रामराज्य
(ख) राजतंत्र
(ग) नौकरशाही
(घ) स्वराज
उत्तर:
(घ) स्वराज
6. गाँधी जी लिफ़ाफ़े, चिट्ठियों के कोरे भाग काटकर रख लेते थे। इसके पीछे उनकी मानसिकता क्या थी?
(क) कंजूसी करना
(ग) कागज़ का अपव्यय रोकना
ख) छोटे-छोटे टुकड़े एकत्र करना
(घ) कागज़ एकत्र करना
उत्तर:
(ग) कागज़ का अपव्यय रोकना
7. गाँधी जी किस प्रकार की वस्तुएँ प्रयोग किया करते थे ?
(क) स्वेदशी
(ग) महँगी
(ख) विदेशी
(घ) अत्यंत सुंदर एवं विदेशी
उत्तर:
(क) स्वेदशी
8. छगनलाल जोशी से किस काम में गड़बड़ी हुई थी ?
(क) कपड़ों के काम में
(ख) आश्रम के सामानों में
(ग) खेती के काम में
(घ) आश्रम के कोठार के काम में
उत्तर:
(घ) आश्रम के कोठार के काम में
9. कस्तूरबा को उपहारस्वरूप कितने रुपये मिले थे ?
(क) तीन
(ख) चार
(ग) पाँच
(घ) छह
उत्तर:
(ख) चार
10. इनमें से किसने गाँधी जी से अपना गुस्सा प्रकट किया?
(क) सरोजिनी नायडू ने
(ख) कस्तूरबा गाँधी ने
(ग) आश्रम की महिलाओं ने
(घ) नौजवान ने
उत्तर:
(क) सरोजिनी नायडू ने
11. गाँधी जी के अनुसार अपने नजदीकी रिश्तेदारों के दोष न बताने पर बात आश्रम में फैलती और धीरे-धीरे ………… हमारे जीवन को खा जाता।
(क) भ्रष्टाचार
(ख) अत्याचार
(ग) शिष्टाचार
(घ) लोकाच्चार
उत्तर:.
(क) भ्रष्टाचार
12. गाँधी जी पहले काम को खुद करते थे, फिर कहते थे, इसलिए वे सच्चे ………. थे।
(क) संतयोगी
(ख) कर्मयोगी
(ग) उपदेशक
(घ) पथप्रदर्शक
उत्तर:
(ख) कर्मयोगी
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बैठक में आए लोग कहाँ बैठते थे?
उत्तर:
बैठक में आए लोग मिट्टी – गोबर से लिपे फ़र्श और चटाई पर बैठते थे।
प्रश्न 2.
गाँधी जी ने कुर्सी क्यों मँगवाई ?
उत्तर:
गाँधी जी ने कुर्सी अब्दुल कलाम आजाद के लिए मँगवाई क्योंकि उन्हें जमीन पर बैठने की आदत नहीं थी।
प्रश्न 3.
गाँधी जी ने कृष्णचंद्र द्वारा लाए गए बढ़ई के औज़ारों का प्रयोग क्यों नहीं किया?
उत्तर:
गाँधी जी ने बढ़ई के औज़ारों का प्रयोग इसलिए नहीं किया क्योंकि वे सब विदेशी थे। अर्थात् विदेश में बने थे।
प्रश्न 4.
गाँधी जी ने कस्तूरबा की आलोचना क्यों की?
उत्तर:
गाँधी जी ने कस्तूरबा की आलोचना इसलिए की क्योंकि उन्होंने उपहार में मिले चार रुपयों को आश्रम के दफ्तर में जमा नहीं करवाया था ।
5. गाँधी जी ने नया कवि किसे कहा था?
उत्तर:
आश्रम में नरहरि भाई पारीख की पत्नी ने कद्दू की सब्ज़ी पर गीत लिखा था। गाँधी जी ने उन्हें ही नया कवि कहा था।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30-35 शब्दों में )
प्रश्न 1.
गाँधी जी ने सरोजिनी नायडू का गुस्सा कैसे शांत किया ?
उत्तर:
कस्तूरबा के अपमान से दुखी सरोजिनी नायडू ने जब गाँधी जी से अपना गुस्सा व्यक्त किया तो उन्होंने कहा कि आज मैं यदि अपने नजदीकी रिश्तेदारों के दोष नहीं बताता, तो कल सारे आश्रम में यह बात फैल जाती और धीरे-धीरे भ्रष्टाचार हमारे जीवन को खा जाता।
प्रश्न 2.
गाँधी जी छगनलाल जोशी से क्यों नाराज हुए?
उत्तर:
छगनलाल जोशी गाँधी के ही भतीजे थे। वे आश्रम के कोठार के मंत्री थे। एक बार आश्रम के कोठार के हिसाब में कुछ गड़बड़ी हो गई, जिसे छगनलाल ने छिपाए रखा। यह बात जब गाँधी जी को पता चली तो वे बहुत नाराज हुए और
उपवास करने की बात कहने लगे।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( 70-80 शब्दों में )
प्रश्न 1.
कस्तूरबा गाँधी ने कद्दू की सब्ज़ी का हल कैसे निकाला?
उत्तर:
साबरमती आश्रम में यह नियम था कि वहाँ पैदा होने वाली सब्ज़ियों से ही काम चलाया जाता था। आश्रम में कद्दू खूब होते थे, जिन्हें काटकर, उबालकर रख दिया जाता और जिसे ज़रूरत होती वह ऊपर से नमक ले सकता था। ऐसी बेस्वाद सब्ज़ी पर आश्रम की एक महिला ने गीत लिख डाला साथ-साथ अन्य महिलाओं ने कद्दू की सब्ज़ी से होने वाली परेशानियों को बा के माध्यम से गाँधी जी तक पहुँचाया और सब्ज़ी में मेथी का बघार, गर्म मसाला आदि डालकर बनाने की बात कही। गाँधी जी ने आश्रम की महिलाओं की समस्या को ध्यान में रखकर उनकी बात मान ली। इस प्रकार उन्होंने कद्दू की सब्ज़ी का हल निकाला।
V. मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1.
गाँधी जी के व्यक्तित्व से आप किन-किन मूल्यों को अपनाना चाहेंगे?
उत्तर:
गाँधी जी के व्यक्तित्व से अतिथियों का आदर करने और उनकी रुचि-अरुचि का ध्यान रखने, किसी वस्तु का अपव्यय न करने, अपने देश में बनी वस्तुओं से प्रेम करने, अहिंसा की भावना बनाए रखने, भ्रष्टाचार से दूर रहने, उपदेशक के बजाए कर्मयोगी बनने जैसे मूल्यों को अपनाना चाहूँगा।
क्रियाकलाप
प्रश्न 1.
आप काग़ज़ बचाने के लिए क्या-क्या करना चाहेंगे? लिखिए और कक्षा में पढ़कर सुनाइए। उत्तर छात्र स्वयं करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
प्रश्न 1.
गाँधी जी यह भी चाहते थे कि सब चीजें जो काम में लाई जाएँ वे स्वदेशी हों। एक बार उन्होंने आश्रम में कृष्णचंद्र से कहा कि बढ़ई के सब औज़ार ले आओ। वे बाज़ार से खरीदकर ले आए। गाँधी जी ने कहा – “ ये तो विदेश के बने हुए हैं। ये सब तभी मैं काम में लाऊँगा जब वे स्वदेश में बने हुए हों। ” इसी कारण से सिला हुआ कपड़ा पहनना उन्होंने छोड़ दिया था, चूंकि तब ” सूई” भी हिंदुस्तान में नहीं बनती थी, न सिलाई की मशीन, न कैंची।
प्रश्न (क) गाँधी जी किस प्रकार की चीजें उपयोग करना चाहते थे?
(ख) गाँधी जी ने औज़ारों का प्रयोग क्यों नहीं किया?
(ग) वे सिले कपड़े क्यों नहीं पहनते थे?
(घ) बढ़ई के औज़ार कौन और कहाँ से लाया ?
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) गाँधी जी केवल उन्हीं चीज़ों का प्रयोग करना चाहते थे जो अपने देश में बनी हुई हों।
(ख) गाँधी जी ने बढ़ई के औज़ारों का प्रयोग इसलिए नहीं किया क्योंकि वे सब विदेश में बने हुए थे।
(ग) वे सिले कपड़े इसलिए नहीं पहनते थे क्योंकि उनको सिलने में जिस सिलाई मशीन, कैंची और सुई का प्रयोग होता था, वे सब विदेश में बनती थीं।
(घ) बढ़ई के औज़ार कृष्णचंद्र बाज़ार से खरीदकर लाए।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम
प्रश्न 2.
एक दिन आश्रम के उस समय के ‘आश्रम के अतिथि और संस्मरण’। मंत्री छगनलाल जोशी ने कहा कि आश्रम में कोठार के काम में, हिसाब में कुछ गड़बड़ी हो गई है। उस दिन शाम की प्रार्थना में उन्होंने कहा – ” छगनलाल भाई ने इस सत्य को छिपाकर रखा, यह बहुत बुरी बात हुई है। हम इस आश्रम को ‘सत्याग्रह आश्रम’ कैसे कहें ? ” छगनलाल जोशी गाँधी जी के ही भतीजे थे। गाँधी जी आत्मशुद्धि के लिए उपवास की बात करने लगे ।
प्रश्न
(क) छगनलाल जोशी कौन थे ?
(ख) वे क्या काम करते थे?
(ग) उन्होंने कौन-सा तथ्य छिपाया था?
(घ) गाँधी जी क्या चाहते थे ?
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) छगनलाल जोशी गाँधी जी के भतीजे थे।
(ख) वे उस समय के मंत्री थे जो अनाज के भंडार की देख-रेख और हिसाब-किताब किया करते थे। भंडार में हुई गड़बड़ी जैसे गंभीर तथ्य को छिपाया था।
(ग) उन्होंने अनाज के भंडार में हुई गड़बड़ी जैसे गंभीर तथ्य को छिपाया था।
(घ) गाँधी जी चाहते थे कि छगनलाल अपनी भूल के प्रायश्चित एवं आत्मशुद्धि के लिए उपवास रखें।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम है – ‘आश्रम के अतिथि और संस्मरण । ‘
प्रश्न 3.
कस्तूरबा को किसी ने चार रुपये उपहार में दिए थे। वह आश्रम के दफ्तर में जमा नहीं किए गए। गाँधी जी को इस बात का भी बहुत बुरा लगा। वे रात के तीन बजे तक आत्मशुद्धि पर लेख लिखते रहे। उसमें उन्होंने बड़ी सख्ती के साथ छगनलाल और कस्तूरबा की आलोचना की! हैदराबाद में सरोजिनी नायडू ने यह लेख पढ़ा और उन्हें बहुत बुरा लगा कि गाँधी जी ने अपनी पत्नी का इस तरह सबके सामने अपने लेख में, अपमान किया। आश्रम में आकर उन्होंने गाँधी जी से अपना गुस्सा व्यक्त किया।
प्रश्न (क) कस्तूरबा को रुपये कहाँ से मिले थे?
(ख) कस्तूरबा ने क्या भूल की ?
(ग) गाँधी जी ने अपना गुस्सा कैसे प्रकट किया?
(घ) सरोजिनी नायडू को क्या बुरा लगा ?
(ङ) सरोजिनी नायडू गाँधी जी के पास क्यों आई?
उत्तर:
(क) कस्तूरबा को चार रुपये किसी ने उपहार में दिए थे।
(ख) कस्तूरबा ने यह भूल की कि उन्होंने उपहारस्वरूप मिले रुपयों को आश्रम के दफ्तर में जमा नहीं कराया।
(ग) गाँधी जी ने अपना गुस्सा प्रकट करने के लिए रात तीन बजे तक आत्मशुद्धि पर लेख लिखा और छगनलाल एवं कस्तूरबा की आलोचना की ।
(घ) सरोजिनी नायडू को गाँधी जी द्वारा अपने लेख में सार्वजनिक तौर पर कस्तूरबा का अपमान करना बुरा लगा।
(ङ) सरोजिनी नायडू गाँधी जी के पास अपना गुस्सा प्रकट करने आईं क्योंकि गाँधी जी ने कस्तूरबा गाँधी का अपमान किया था।
प्रश्न 4.
श्री नरहरि भाई पारीख की पत्नी ने कद्दू की सब्ज़ी पर एक गीत ही लिख डाला। बा ने यह गीत सुना तो गाँधी जी के पास शिकायत लेकर पहुँचीं और उन्हें गीत की बात सुनाती हुई बोलीं ” आपकी कद्दू की सब्ज़ी भी अच्छी मुसीबत है। एक बहन को बादी हो गई, दूसरी के सिर में चक्कर आते हैं और तीसरी को डकारों के मारे चैन नहीं है। कद्दू का साग क्या कभी सिर्फ़ उबालकर बनाया जाता है? उसमें मैथी का बघार लगाना चाहिए, गर्म मसाला चाहिए, तब तो ठीक रहता है, वरना तो नुकसान करेगा ही।”
प्रश्न (क) कद्दू की सब्ज़ी पर गीत किसने लिखा ?
(ख) कद्दू की सब्ज़ी पर गीत क्यों लिखा गया ?
(ग) बा गाँधी जी के पास क्यों गईं?
(घ) बा ने कद्दू की सब्ज़ी को मुसीबत क्यों बताया ?
(ङ) आश्रम में कद्दू की सब्ज़ी कैसे बनाई जाती थी ?
उत्तर:
(क) कद्दू की सब्ज़ी पर गीत नरहरि भाई पारीख की पत्नी ने लिखा था।
(ख) कद्दू की सब्ज़ी पर गीत लिखने का उद्देश्य था – उसके प्रति अपनी अरुचि प्रकट करना तथा बेस्वाद बताना।
(ग) बा गाँधी जी के पास आश्रम में रहने वाली बहनों की शिकायत पहुँचाने गईं।
(घ) बा ने कद्दू की सब्ज़ी को इसलिए मुसीबत बताया क्योंकि यह किसी के लिए बादी थी तो किसी को इसे खाने से सिर चकराता था और किसी को डकारें आती थीं।
(ङ) आश्रम में कद्दू की सब्ज़ी बिना मसालों के तथा बिना छौंके-बघारे बनाई जाती थी।
शब्दार्थ
- संस्मरण – यादगार, यादें।
- सकोरा – मिट्टी का कटोरानुमा बर्तन।
- अचरज – आश्चर्य।
- राखदानी जिसमें सिगरेट आदि की राख रखी जाए।
- गुमना – खों जाना।
- अपव्यय – बर्बादी।
- दशक – दस सालों का समय।
- अधूरापन – पूरा न होना।
- प्रतिकृति – रूप, आकार।
- कोठार – भंडार।
- प्रायश्चित – पछतावा भरा दुख।
- बादी – वात संबंधी उदर की बीमारी।
- इजाज़त – अनुमति।
- पूरन पोली – एक प्रकार का मीठा स्वदिष्ट व्यंजन।
- पोल खोलना – गुप्त बातें सभी को बताना, रहस्य बताना।
- उपदेशक – उपदेश देने वाला।
- कर्मयोगी – कर्म में विश्वास रखने वाला।
आश्रम के अतिथि और संस्मरण Summary in Hindi
पाठ-परिचय:
‘आश्रम के अतिथि और संस्मरण’ नामक पाठ के नाम से स्पष्ट है कि यह एक संस्मरण है। इस संस्मरण में गाँधी जी के आश्रम में आने वाले अतिथियों के बारे में बताया गया है। साथ ही गाँधी जी उन अतिथियों की रुचियों का कितना ध्यान रखते थे यह भी जाना जा सकता है।
पाठ का सार:
डॉ. प्रभाकर माचवे ने अपने संस्मरण में गाँधी जी और उनके आश्रम में आने वाले अतिथियों के बारे लिखा है कि गाँधी जी के आश्रम में हिंदुस्तानी प्रसार सभा की बैठक होने वाली थी। जिसमें लोगों के लिए ज़मीन पर ही बैठने की व्यवस्था थी । उस दिन लोगों को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि गाँधी जी ने मिट्टी का सकोरा, एक कुर्सी और एक तिपाई की व्यवस्था की। पूछने पर पता चला कि मौलाना अबुल कलाम आज़ाद आने वाले हैं। इससे पता चलता है कि गाँधी जी अपने अतिथियों का कितना ध्यान रखते थे। वे अपने आचार-विचार दूसरों पर जबर्दस्ती नहीं लादना चाहते थे। गाँधी जी छोटी-छोटी चीज़ों का बहुत ध्यान रखते थे। एक बार गाँधी जी पूनियाँ लपेटने का दूसरा डोरा लेने से यह कहकर इनकार कर दिया कि यदि उनके हाथ से डोरा गुम होने लगे तो स्वराज भी गुम होने में देर नहीं लगेगी। उसके अलावा गाँधी जी लिफ़ाफ़े, चिट्ठियों के कोरे भाग को काटकर रख लेते थे ताकि बाद में उसे प्रयोग में लाया जा सके।
गाँधी जी चाहते थे कि काम में लाई जाने वाली सभी चीजें विदेशी न होकर स्वदेशी हों। एक बार उनके कहने पर कृष्णचंद ने बढ़ई के औज़ार खरीदकर लाए पर गाँधी जी ने उनका प्रयोग नहीं किया क्योंकि वे विदेश में बनी थीं। उस समय भारत में सूई भी नहीं बनती थी, इसलिए गाँधी जी ने सिला हुआ वस्त्र पहनना छोड़ दिया। इसे वे जीवन के अंतिम दिनों तक पालन करते रहे। एक बार एक नौजवान सेवा – ग्राम आया। वह गाँधी जी की सहायता करना चाहता था और सलाह लेना चाहता था, पर ईश्वर में विश्वास नहीं रखता था। गाँधी जी ने उसे बताया कि प्रेम या अहिंसा में ही भगवान है । अत: जब तक यह विश्वास न पैदा हो तब तक वह आश्रम में ही रहे।
गाँधी जी भ्रष्टाचार को समूल खत्म करना चाहते थे। एक बार उनके भतीजे छगन लाल जोशी से आश्रम में कोठार के काम गड़बड़ी हो गई। उन्होंने इस गलती को छिपाने के लिए प्रार्थना में सभी के सामने गलत बताया। कस्तूरबा को किसी ने चार रुपये उपहारस्वरूप दिए जिसे उन्होंने आश्रम के दफ्तर में जमा नहीं करवाए। इसके लिए गाँधी जी ने कस्तूरबा की खूब आलोचना की। उन्होंने आत्मशुद्धि पर लेख लिखा जिसे पढ़कर प्रतिक्रियास्वरूप सरोजिनी नायडू ने गाँधी जी से अपना गुस्सा व्यक्त किया। गाँधी जी ने कस्तूरबा से कहा कि आज मैं अपने नज़दीकी रिश्तेदारों के दोष नहीं बताता तो कल सारे आश्रम में यह बात फैल जाती और धीरे-धीरे भ्रष्टाचार हमारे जीवन को खा जाता।
साबरमती आश्रम के खेत में खूब कद्दू पैदा होते थे। इसलिए रोज़ उसकी सब्ज़ी उबालकर बना दी जाती थी। जिसमें लोग ज़रूरत के अनुसार नमक लेकर काम चलाते थे। ऐसी सब्ज़ी की गाँधी जी से कोई शिकायत भी नहीं कर पाता था। नरहरि भाई की पत्नी ने कद्दू की सब्ज़ी पर एक गीत लिख डाला। बा ने यह गीत सुना तो गाँधी जी के पास शिकायत लेकर पहुँचीं और उन्हें बताया कि ऐसी सब्ज़ी खाने से लोगों को कैसी-कैसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गाँधी जी ने अगले दिन प्रार्थना में वह गीत सभी को नरहरि भाई की पत्नी मणि बहन से गवाकर सुनवाया और वह शिकायत मंजूर कर ली। गाँधी जी के आदेशानुसार जिन-जिन बहनों को सब्ज़ी पसंद नहीं थी उन लोगों ने बा को अपने-अपने नाम लिखकर दे दिए और मसालेदार सब्ज़ी खाने लगीं। गाँधी जी ने जब चटपटी सब्ज़ी के लिए उनको ताना मारा तो बा ने उनसे कहा कि पूरन पोली और पकौड़ियाँ बनवाकर हर रविवार चट जाने वाले आप ही थे। अपनी पोल खुलती देख गाँधी जी चुप हो गए। गाँधी जी सच्चे कर्मयोगी थे। वे पहले खुद करते थे फिर कहते थे। वे मात्र उपदेशक नहीं कर्मयोगी भी थे।