DAV Class 7 Hindi Chapter 5 Question Answer – राजू का सपना

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DAV Class 7 Hindi Chapter 5 Question Answer – राजू का सपना

DAV Class 7 Hindi Ch 5 Solutions – राजू का सपना

शब्दार्थ –

पृष्ठ संख्या-29.
निर्मल – स्वच्छ।
पुष्प – फूल।
व्यतीत करना – बिताना।
भाया – अच्छा लगा।
करुण कथा – दयाभरी कहानी।
उद्यान – बगीचा।
याचना – प्रार्थना।
चारा न था -उपाय न था।
सपरिवार – परिवार सहित

DAV Class 7 Hindi Chapter 5 Question Answer - राजू का सपना

पृष्ठ संख्या-30.
दाखिला – प्रवेश।
यथा-बुद्धि – बुद्धि के अनुसार।
सहपाठी – साथ पढ़ने वाला।
वनस्पति – पेड़-पौधे।
सद्भाव – शुभ भाव।
वेग-प्रवाह।

पृष्ठ संख्या-31.
दुर्व्यवहार – बुरा बर्ताव।
रौंदना – कुचलना।
व्यतीत होना – बीतना।

राजू का सपना Summary in Hindi

पाठ-परिचय

पेड़-पौधे धरती के प्राणियों को जीवन देते रहे हैं, पर मनुष्य की उपेक्षा के कारण पेड़-पौधे दिन-पर-दिन दयनीय हालत में पहुँचते जा रहे हैं। इस पाठ के अंतर्गत शहरों में पेड़-पौधों के खतरे में पड़ते जीवन को बचाने एवं उनके प्रति संवेदना रखने की आवश्यकता प्रकट हुई है।

पाठ का सार

बारहु वर्षीय राजू अपने परिवार के साथ दिल्ली आया है। इससे पहले वह पर्वतीय प्रदेश के छोटे से शहर में रहता था। वहाँ चीड़ के घने वृक्ष तथा स्वच्छ निर्मल धारा थी। खिले फूलों से खुशबू आती रहती थी। बादलों के नीचे उतरने पर ऐसा लगता था, मानो परियों के देश में आ गए हों। दिल्ली में सब कुछ इसके विपरीत था।

यहाँ के पेड़ और घास-फूस मुरझा रहे थे। फूलों की जगह कूड़े का ढेर लगा था। विकल्पहीनता की वजह से राजू को यह सब सहना पड़ रहा था। राजू के मकान के अहाते में एक छोटा बगीचा भी था, पर घर के बाहर शोर और भीड़ थी। इससे राजू उदास रहता था। वह धीरे-धीरे अभ्यस्त हो गया। उसको एक अच्छे स्कूल में प्रवेश दिला दिया गया।

DAV Class 7 Hindi Chapter 5 Question Answer - राजू का सपना

एक दिन अध्यापिका ने बच्चों से पूछा, “तुम्हें कौन-सी चीज़ प्रिय है?” बच्चों न अपनी बुद्धां क अनुसार जवाब देना शुरू किया, “खिलौना, आइसक्रीम, चॉकलेट, घूमना-फिरना।” पर राजू ने कहा, “मुझे बाग-बगीचे, पेड़-पौधे और फूल अच्छे लगते हैं। उनमें खेलते पक्षी और गाती कोयल बहुत पसंद है।”

उसके इस जवाब से कुछ बच्चे हँस पड़े परंतु इस जवाब से अध्यापिका खुश हुईं। रात को सोते समय राजू ने एक सपना देखा, जिसमें एक पेड़ उससे कह रहा था कि पहले वह इस घर के लोगों को छाया, फल-फूल आदि देता था, पर वे दुर्व्यवहार करते हुए उसकी शाखाएँ काट कर जला देते थे।

अंत में इस मकान से जाते-जाते वे मेरे पूरे तने को काटकर लकड़हारे को बेच गए। तुम्हारे पानी देने से मैं फिर से हरा-भरा हो जाऊँगा। प्रात: काल जब राजू उठकर घर के पीछे गया तो सचमुच कटे हुए पेड़ के तने को देखा। उसे पेड़ की बात याद हो आई। उसने पेड़ को पानी दिया और खाद भी डाला। कुछ ही समय में उसमें शाखाएँ फूट पड़ीं। बसंत ऋतु में उस पर बहार आ गई। तेरह वर्षीय राजू अपने जन्मदिन की सुबह पेड़ में पानी डालने गया तो देखा उसमें पीले-पीले फूल लटक रहे थे तथा पक्षी चहचहा रहे थे। राजू को जन्मदिन का सुंदर उपहार मिल चुका था।