Regular practice using DAV Class 7 Hindi Book Solutions and DAV Class 7 Hindi Chapter 4 Question Answer – बातूनी are essential for improving writing and analytical skills.
DAV Class 7 Hindi Chapter 4 Question Answer – बातूनी
DAV Class 7 Hindi Ch 4 Question Answer – बातूनी
पाठ में से
प्रश्न 1.
लेखक ने सज्जन को क्या काम करने के लिए कहा और क्यों?
उत्तर:
लेखक ने सज्जन को एक लिफ़ाफ़ा पोस्ट ऑफ़िस में छोड़ने के लिए कहा, क्योंकि पोस्ट ऑफ़िस बंद होने का समय हो रहा था।
प्रश्न 2.
सज्जन ने राजू से लिफ़ाफ़ा क्यों माँगा?
उत्तर:
सज्जन ने राजू से लिफ़ाफ़ा इसलिए माँगा, क्योंकि राजू किताबों का एजेंट था। सज्जन ने सोचा, इसके पास लिफ़ाफ़ा ज़रूर होगा।
प्रश्न 3.
लोग आमतौर पर दूसरों से यह प्रश्न क्यों पूछते हैं कि आप कहाँ जा रहे हैं?
उत्तर:
लोग आमतौर पर दूसरों से यह प्रश्न इसलिए पूछते हैं कि आप कहाँ जा रहे हैं, क्योंकि यह असल में आदमी को रोककर बात करने की भूमिका है।
प्रश्न 4.
लेखक ने घर से बाहर जाने का कौन-सा रास्ता लेने का फैसला किया और क्यों?
उत्तर:
लेखक ने घर से बाहर जाने का सीधा रास्ता छोड़कर करीब आधा मील का चक्कर लगाकर जाने वाला रास्ता लेने का फैसला किया, क्योंकि यदि लेखक सीधा वाला रास्ता लेता तो रास्ते में सज्जन उसे अपनी बातों में उलझा लेता, जिससे न चाहते हुए भी लेखक का ज़्यादा समय खराब हो जाता।
प्रश्न 5.
उचित उत्तर पर सही (✓) का निशान लगाइए –
उत्तर:
(क) साहनी मेडिकल स्टोर से लेखक ने क्या लिया?
उत्तर:
(✓) टिकट
(ख) सज्जन ने चिट्ठी लेकर बॉक्स में डालने का विवरण कितनी देर में दिया?
उत्तर:
(✓) आधा घंटा
(ग) सज्जन के चाचा के बड़े अच्छे दोस्त कौन थे ?
उत्तर:
(✓) डॉ० गुप्ता
प्रश्न 6.
पाठ में से सही शब्द छाँटकर रिक्त स्थान भरिए –
उत्तर:
(क) वे दस-पंद्रह मिनट तक डॉ० गुप्ता से अपने पारिवारिक संबंध बताते।
(ख) कभी मैं कहता-प्रोफेसर तिवारी से मिलने जा रहा हूँ।
(ग) मुझे तो भगवान ने गोद् में खिलाया है।
(घ) एक दिन वे बाज़ार में मिल गए।
(ङ) अच्छा, तो फिर घर पर ही दर्शन करूँगा।
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
लेखक उस सज्जन से क्यों नहीं मिलना चाहता था?
उत्तर:
लेखक उस सज्जन से इसलिए नहीं मिलना चाहता था, क्योंकि वह सज्जन बिना बात के लेखक को अपनी अनावश्यक बातों में उलझाकर उसका ज्यादा समय खराब कर देता था। उन बातों से लेखक का ज़्यादा कुछ सरोकार नहीं होता था।
प्रश्न 2.
अपना काम किसी और से करवाने का क्या-क्या परिणाम हो सकता है, विचार कीजिए।
उत्तर:
अपना काम किसी और से करवाने का परिणाम अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी। कई बार दूसरा काम को अच्छे तरीके से कर देता है तो कई बार उसे हल्के में ले लेता है, जिससे काम बिगड़ जाता है।
प्रश्न 3.
कोई ऐसा किस्सा सुनाइए जब आपकी किसी से लंबी बातचीत हुई हो?
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
यदि आप लेखक की जगह होते तो सज्जन से किस प्रकार बातें करते?
उत्तर:
यदि में लेखक की जगह होता तो सज्जन से काम की बातें करने का आग्रह करता। उससे समय का ध्यान रखकर बातें करने के लिए कहता। उससे यह भी निवेदन करता कि कृपया वे बातें न करे. जिससे हमें ज्यादा कुछ सरोकार न हो।
प्रश्न 2.
मान लीजिए कि सज्जन लेखक का काम नहीं कर पाते तो कहानी में क्या बदलाव आता?
उत्तर:
सज्जन लेखक का काम नहीं कर पाते तो कहानी में काफी बदलाव आता। लेखक का लिफ़ाफ़ा न डालने से काम बिगड़ जाता। हो सकता है, लेखक और सज्जन की आपस में कहा-सुनी भी हो जाती। सही पता न लिखने पर लिफ़ाफ़ा अपनी सही जगह नहीं पहुँच पाता।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
पाठ में से कोई दस संयुक्त अक्षरों को ढूँढ़कर उन्हें शब्द-कोश के क्रमानुसार लिखिए-
उत्तर:
- अच्छा
- उन्होंने
- क्या
- चिट्ठी
- ज़ल्दी
- ज्यादा
- दोस्त
- वक्त
- सज्जन
- स्टेशन
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द पाठ में से ढूँढ़कर लिखिए –
उत्तर:
(क) अंद्र – बाहर
(ख) पाताल – आकाश
(ग) विस्तार – संक्षेप
(घ) पुण्य – पाप
प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्द समहों में से विशेषण व विशेष्य शब्द अलग-अलग करके लिखिए –
उत्तर:
(क) अच्छे दोस्त | विशेषण | विशष्य |
(ख) आपकी चिट्ठी | अच्छे | दोस्त |
(ग) हमारे चाचा | आपकी | चिट्ठी |
(घ) इतनी बात | हमारे | चाचा |
(ङ) भला आदमी | इतनी | बात |
जीवन-मूल्य
यह मैंने बहुत संक्षेप में लिखा है। उन्होंने लगभग आधा घंटा इस विवरण में लिया।
प्रश्न 1.
ज़रूरत से ज्यादा बोलने के क्या परिणाम हो सकते हैं? बताइए।
उत्तर:
ज़रूरत से ज़्यादा बोलने के दुष्परिणाम हो सकतें हैं। जो बात हम कहना चाहते हैं या सामने वाले को जो समझाना चाहते हैं, ज़्यादा बोलने से उसका महत्व खत्म हो जाता है। समाज में ज़्यादा बोलने वाले की छवि अच्छी नहीं होती। लोग उससे बात करना भी पसंद् नहीं करते. उससे बचकर निकलना चाहते हैं।
प्रश्न 2.
बातचीत या बोलना भी एक कला है-इस विषय पर अपने विचार बताइए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
कुछ करने के लिए –
प्रश्न 1.
कहानी ‘बातूनी’ को नाटक रूप में लिखकर उसका कक्षा में मंचन कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
व्यंग्य कथाएँ पढ़िए और अपनी मनपसंद व्यंग्य कथा कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
DAV Class 7 Hindi Ch 4 Solutions – बातूनी
I. बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पाठ – बातूनी के लेखक का क्या नाम है?
(क) हरिशंकर परसाई
(ख) हरिशंकर प्रसाद
(ग) हरिशंकर वर्मा
(घ) हरिशंकर शर्मा
उत्तर:
(क) हरिशंकर परसाई
प्रश्न 2.
लेखक ने सज्जन को क्या दिया?
(क) उपहार
(ख) काग़ज़
(ग) पुस्तक
(घ) पेन
उत्तर:
(ख) काग़ज़
प्रश्न 3.
सज्जन किसके मेडिकल स्टोर पर लिफ़ाफ़ा लेने गया?
(क) राजू के
(ख) राम के
(ग) साहनी के
(घ) तिवारी के
उत्तर:
(ग) साहनी के
प्रश्न 4.
सज्जन को लिफ़्फ़ा किसने विया?
(क) साहनी ने
(ख) तिवारी ने
(ग) लेखक ने
(घ) राजू ने
उत्तर:
(घ) राजू ने
प्रश्न 5.
लेखक के अनुसार सम्जन ने बात बताने में कितना समय लिया?
(क) दो घंटे
(ख) एक घंटा
(ग) आधा घंटा
(घ) एक मिनट
उत्तर:
(ग) आधा घंटा
प्रश्न 6.
डॉ० गुप्ता का बँगला कहाँ था?
(क) साहनपुर
(ख) नागपुर
(ग) शोलापुर
(घ) भिलाई
उत्तर:
(ख) नागपुर
प्रश्न 7.
डॉ० गुप्ता क्या थे?
(क) अध्यापक
(ख) लेखक
(ग) सिविल सर्जन
(घ) पत्रकार
उत्तर:
(ग) सिविल सर्जन
प्रश्न 8.
किसके फ़ादर और सज्जन के फ़ादर बड़े अच्छे दोस्त थे?
(क) डॉ० गुप्ता के
(ख) प्रो० तिवारी के
(ग) राजू के
(घ) साहनी के
उत्तर:
(घ) साहनी के
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(क) लेखक ने काग़ज़ किसको दिया?
उत्तर:
लेखक ने काग़ज़ साइकिल पर जाते सज्जन को रोककर दिया।
(ख) सज्जन सबसे पहले लिफ़ाफ़ा लेने के लिए कहाँ गया?
उत्तर:
सज्जन सबसे पहले लिफ़ाफ़ा लेने के लिए साहनी मेडिकल स्टोर पर गया।
(ग) आज-कल किस बीमारी का बड़ा फैशन चल रहा है?
उत्तर:
आज-कल दिल की बीमारी का बड़ा फैशन चल रहा है।
(घ) राजू ने सज्जन को लिफ़ाफ़े के बारे में क्या कहा?
उत्तर:
राजू ने सज्जन को लिफ़ाफ़े के बारे में कहा कि लिफ़ाफ़े पर उसकी फ़र्म का नाम छपा है।
(घ) सज्जन के फ़ादर-इन-लॉ के बड़े पुराने दोस्त कौन हैं?
उत्तर:
सज्जन के फ़ादर-इन-लॉ के बड़े पुराने दोस्त प्रोफेसर तिवारी हैं।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30 से 35 शब्दों में )
(क) लेखक ने सज्जन को रोककर क्या कहा और क्यों?
उत्तर:
लेखक ने सज्जन को रोककर कहा कि आप ज़रा एक लिफ़ाफ़ा लेकर इस काग़ज़ को उसमें रखकर यह पता लिखकर डाक में छोड़ दीजिए। उन्होंने ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि यदि लेखक स्वयं वहाँ तक जाता तो तब तक पोस्ट ऑफ़िस बंद हो चुका होता।
(ख) लेखक ने दोबारा सज्जन के घर के सामने से निकलना शुरू क्यों कर दिया?
उत्तर:
लेखक ने दुबारा सज्जन के घर के सामने से निकलना इसलिए शुरू कर दिया, क्योंक एक बार सज्जन ने लेखक से दिखाई न देने का कारण पूछा, तब लेखक ने कहा- वह बाहर नहीं निकलता है। फिर सज्जन ने लेखक के घर आकर दर्शन करने के लिए कहा। लेखक को लगा यदि वह घर दर्शन करने पहुँचा, तो घंटों बैठेगा और लेखक का समय बर्बाद करेगा।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( 70 से 80 शब्दों में )\
लेखक द्वारा चिट्ठी संबंधी प्रश्न पूछने पर सज्जन ने क्या जवाब दिया?
उत्तर:
सज्जन ने जवाब दिया कि जैसे ही मैं पोस्ट ऑफ़िस पहुँचा तो देखा कि वह बंद हो चुका है। लेकिन मैं आपका काम हर हालत में करना चाहता था। जैसे ही बाहर निकला तो मेरी नज़र साहनी मेडिकल स्टोर पर बैठे साहनी पर पड़ी। वहाँ पहुँचकर मैंने लिफ़ाफ़ा माँगा, तो उसने लिफ़ाफ़े की जगह टिकट दे दी। फिर मैं बाहर खड़ा-खड़ा सोचने लगा कि लिफ़ाफ़ा कहाँ से लाऊँ। इसी उधेड़बुन में था कि मेरी नज़र किताबों के एजेंट राजू पर पड़ी, उसके हाथ में बस्ता था।
मैंने वहाँ जाकर उसकी फ़र्म के नाम का लिफ़ाफ़ा ले लिया। जैसे ही पता लिखने के लिए जेब में पेन के लिए हाथ डाला तो पेन भी नहीं था। फिर राजू से ही पेन लेकर लिफ़ाफ़े पर फ़र्म का पता काटकर आपके द्वारा दिया पता लिखा और पोस्ट ऑफ़िस की तरफ़ सरपट भागा। जैसे ही पोस्ट ऑफ़िस पहुँच्ग, डाकिया चिद्ठियाँ निकाल रहा था। मैंने उससे चिट्ठी लेने की प्रार्थना की तो उसने वह चिट्ठी ले ली। तब जाकर मेरा मन हल्का हुआ।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. आदमी सुभीता खोजने में मारा जाता है। उस शाम अगर में खुद जाकर लिफ़ाफ़ा पोस्ट ऑफ़िस में छाड़ देता तो वह कष्ट न होता जो तभी से भुगत रहा हूँ। उस शाम मुझे एक लिफ़ाफ़ा ज़रूरी छोड़ना था। मैं बाहर निकला। पोस्ट ऑफ़िस बंद होने का समय हो रहा था। सामने से एक सज्जन (बाद में इन्हें मैने कभी ‘सज्जन’ नहीं कहा) साइकिल पर जाते दिखे। मैंने उन्हें रोककर कहा, “ज़रा एक लिफ़ाफ़ा लेकर इस काग़ज़ को उसमें रखकर यह पता लिखकर डाक में छोड़ दीजिए।” उन्होंने कहा, “सहर्ष।” बस उनके सहर्ष ने मेरा हर्ष तभी से जो छीना है, वह तो आज तक वापस नहीं मिला। दूसरे दिन वे दिख गए, तो मैंने पूछा, “वह चिट्ठी डाल दी थी?”
प्रश्न –
(क) लेखक के अनुसार आदमी किसे खोजने में मारा जाता है?
(ख) लेखक के अनुसार किसके बंद होने का समय हो रहा था?
(ग) लेखक ने किसे रोककर क्या कहा?
(घ) दूसरे दिन लेखक ने सज्जन से क्या पूछा?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) लेखक के अनुसार आदमी सुभीता (सुविधा) खोजने में मारा जाता है।
(ख) लेखक के अनुसार पोस्ट ऑफ़िस बंद हाने का समय हो रहा था।
(ग) लेखक ने साइकिल पर जाते सज्जन को रोंकर कहा कि आप इस काग़ज़ को लिफ़ाफ़े में डालकर डाक में छोड़ देना।
(घ) दूसरे दिन लेखक ने सज्जन से चिट्ठी डालने के बारे में पूछा।
(ङ) पाठ का नाम – ‘बातूनी’
2. मैंने कहा, “यार राजू, एक लिफ़ाफ़ा दे।” उसने कहा, “यार लिफ़ाफ़ा तो है पर उस पर फ़र्म का नाम छपा है।” मैंने कहा, “कोई बात नहीं। मैं उसे काट दूँगा।” मैंने लिफ़ाफ़ा ले लिया। जेब में हाथ लगाया तो कलम नहीं था। मैंने कहा, अजीब बेवकूफ़ हूँ। काम ले लिया और कलम लाया नहीं। भाग्य से राजू के पास पेन था। मैंने कहा, “यार पेन दे।” और उसने साब, फ़ौरन निकालकर दे दिया। राजू में इतनी बात अच्छी है। उसके पास कोई चीज़ हो, तो फ़ौरन दे देता है।
अब मैं कहूँ कि काहे पर रखकर लिखूँ। मैंन झट उसका बस्ता लिया। उस पर लिफ़ाफ़ा रखा, उसकी फ़र्म का नाम काटा और पता लिखा और साब, मैं भागा, पोस्ट ऑफ़स की तरफ़। अब संयोग देखिए साब, कि पहुँचा हूँ कि डाकिया चिट्ठियाँ निकालकर लेटर बाक्स बंद् कर रहा था। मैंने कहा. “भाई साब, यह चिट्ठी भी ज़रूरी है। इसे डाक में शामिल कर लीजिए।” वह भला आदमी था। उसने लिफ़ाफ़ा ले लिया। तब साब, मेरा मन हल्का हुआ।”
प्रश्न –
(क) प्रस्तुत पाठ के लंखक का नाम क्या है?
(ख) राजू द्वारा दिए गए लिफ़ाफ़े पर किसका नाम छपा है?
(ग) सज्जन ने राजू से पेन लेकर क्या किया?
(घ) डाकिया चिट्ठियाँ निकालकर क्या बंद् कर रहा था?
(ङ) सज्जन ने डाकिए से क्या आग्रह किया?
उत्तर:
(क) प्रस्तुत पाठ के लेखक का नाम ‘हरिशंकर परसाई’ है।
(ख) राजू द्वारा दिए गए लिफ़फ़़े पर फ़र्म का नाम छपा है।
(ग) सज्जन ने राजू से पेन लेकर लिफ़ाफ़े पर से फ़र्म का नाम काटकर लेखक द्वारा दिया पता लिखा।
(घ) डाकिया चिट्ठियाँ निकालकर लेटर बाक्स बंद् कर रहा था।
(ङ) सज्जन ने डाकिए से उसकी चिट्ठी को डाक में शामिल करने का आग्रह किया।
3. अब अपनी यह हालत है कि उस रास्ते को छोड़कर करीब आधा मील का चक्कर लगाकर जाता हूँ। एक दिन वे बाज़ार में मिल गए। कहले लगे, “आजकल आप दिखाई नहीं देते।” मैंने कहा, “बाहर निकलता ही नहीं। घर में ही रहता हूँ।” उन्होंने कहा, “अच्छा, तो फिर घर पर ही दर्शन करूँगा।” मैं कहकर फँस गया। अगर वे घर पर दर्शन करने आ पहुँचे, तो घंटों बैठेंगे।
सोच-विचार के बाद यह तय किया कि मैं फिर उनके घर के सामने से निकलना शुरू कर दूँ। वहीं दर्शन दे दूँ. ताकि वे घर पर दर्शन करने ना आ पहुँचें। उन सज्जन से मुझे डर लगता है। वे मुझे दूर से देखते हैं, तो चेहरा खिल उठता है। मैं काँप जाता हूँ। वे घंटे-भर से कम में नहीं छोड़ते।
प्रश्न –
(क) लेखक को बाज़ार में कौन मिला?
(ख) सज्जन ने लेखक से क्या कहा?
(ग) सज्जन लेखक के दर्शन करने के लिए कहाँ आना चाहता था?
(घ) लेखक क्या सोच-विचारकर पुनः सज्जन के घर के सामने से निकलने लगे?
(ङ) कौन, किससे डरता था और कौन किससे मिलकर खुश होता था?
उत्तर:
(क) लेखक को बाज़ार में वह सज्जन मिला, जिसे लेखक ने अपनी चिट्ठी डालने के लिए कहा था।
(ख) सज्जन ने लेखक से कहा कि आजकल आप दिखाई नहीं देते।
(ग) सज्जन लेखक के दर्शन करने के लिए लेखक के घर आना चाहता था।
(घ) यदि सज्जन घर पर आ गए, तो यहाँ घंटों बैठेंगे, यह सब सोचकर लेख पुन: सज्जन के घर के सामने से निकलने लगे।
(ङ) लेखक सज्जन से डरता था और सज्जन लेखक से मिलकर खुश होता था।
शब्दार्थ
पृष्ठ संख्या-24.
भुगतना – भोगना/सहना।
ज़रूरी – आवश्यक।
सहर्ष – खुशी से।
हर्ष – चैन, खुशी।
चिट्ठी – पत्र।
परेशान – दुखी।
मौका – अवसर।
दोस्त – मित्र।
पृष्ठ संख्या-25.
वक्त – समय।
भगवान – ईश्वर।
अचानक – एकदम।
बेवकूफ़ – मूख।
फ़ौरन – तुरंत।
झट – उसी क्षण।
संयोग – सुअवसर।
आमतौर – सामान्यतया।
होशियारी – चालाकी।
जवाब – उत्तर।
संक्षेप – थोड़े या कम में
विवरण – विस्तार से वर्णन।
पृष्ठ संख्या-26.
संबंध – रिश्ता।
हालत – स्थिति।
डर – भय।
चेहरा खिल उठना – प्रसन्न होना।
सुरसा – रामायण की राक्षसी पात्र।
बकना – व्यर्थ की बातें करना/बकवास करना।
बातूनी Summary in Hindi
पाठ-परिचय –
‘बातूनी’ पाठ एक ऐसे बातूनी व्यक्ति के बारे में बताता है, जो अपनी बातों से लेखक का जीना दूभर कर देता है। यह पाठ बातूनी व्यक्तियों के लिए लेखक की करारी सीख भी है।
पाठ का सार –
एक शाम लेखक को पोस्ट ऑफ़िस में एक लिफ़ाफ़ा छोड़ना ज़रूरी था। जैसे ही वह वाहर निकला, तो उसे लगा, जब तक वह पोस्ट ऑफ़िस पहुँचेगा, तब तक वह बंद हो चुका होगा। सामने से साइकिल पर आते हुए एक सज्जन को रोककर लेखक ने उसे एक काग़ाज़ दिया और कहा कि इस काग़ज़ को लिफ़ाफ़े में डालकर डाक में छोड़ दे।
उस व्यक्ति ने वह काग़़़ लेखक से ले लिया और चला गया। दूसरे दिन लेखक ने उस व्यक्ति से अपनी चि््ठी वाली बात पूछी, तो उस व्यक्ति ने लेखक को जो विवरण सुनाया वह इस प्रकार है। वह सज्जन बोला- जैसे ही वह पोस्ट ऑफ़िस पहुँचा, तो देखता है वह बंद हो चुका है।
इस स्थिति में उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। पर वह आपके काम को हर कीमत पर करना चाहता था, क्योंकि आपने उसे पहली बार कोई काम बताया था। सबसे पहले वह लिफ़ाफ़ा लेने के लिए साहनी मेडिकल स्टोर पर गया। वहाँ उसे लिफ़ाफ़ा तो नहीं, पर टिकट मिला।
उसे लेकर वह खड़ा-खड़ा सोच ही रहा था कि उसे राजू, जो किताबों का एजेंट है, दिखाई दिया। फिर वह उसके पास जाकर लिफ़ाफ़ा माँगने लगा। राजू ने कहा, लिफ़ाफ़ा तो उसके पास है, पर उस पर फ़र्म का नाम लिखा है। सज्जन ने फ़र्म का नाम काटकर उसे प्रयोग करने के लिए ले लिया। जैसे ही उस पर पता लिखने के लिए पेन देखा, तो वह भी नहीं मिला।
सज्जन ने तुरंत राजू से पेन लेकर उस पर फ़र्म का नाम काटकर पता लिखा। फिर वह पोस्ट ऑफ़िस की तरफ लिफ़ाफ़ा डालने के लिए भागा। जब वह वहाँ पहुँचा, तो डाकिया चिट्ठियाँ निकालकर लेटर बॉक्स बंद कर रहा था। उसने डाकिए से आग्रह किया तो उसने वह लिफ़ाफ़ा ले लिया। इस प्रकार उसने उनका काम किया।
इस बात को बताने में सज्जन ने लेखक का आधा घंटा ले लिया। उसके बाद लेखक ने कसम खाई कि उससे कभी आगे कोई काम नहीं कराएगा। लेखक का काम करके उसने हमेशा के लिए लेखक पर अधिकार जमा लिया था। जब भी लेखक उसके घर के सामने से निकलता, तो वह लेखक से ज़रूर पूछता – आप कहाँ जा रहे हैं? लेखक ने बताया कि इस प्रकार के प्रश्न लोग फालतू में पूछते हैं, ताकि सामने से बात करने की भूमिका बने।
परतु सामने वाला भी चालाकी से उसका जवाब कहीं नहीं में दे देता है। जब लेखक रूककर कह देता कि ज़रा सिविल सर्जन, प्रोफेसर तिवारी आदि से मिलने जा रहे हैं, तो सज्जन उनसे कोई-न-कोई रिश्ता निकाल लेता, जो लेखक को पसंद नहीं था। लेखक ने सोचा यदि वह डाकू जालिम सिंह या भगवान से भी मिलने की बात कहेगा तो यह वहाँ भी रिश्ता निकाल लेगा।
एक दिन बाज़ार में वह लेखक को मिल गया और पूछा- आज-कल आप दिखाई नहीं देते। लेखक ने कहा- वह आज-कल बाहर नहीं निकलता, बल्कि घर पर ही रहता है। उसने तुरंत घर आकर मिलने की बात कही। लेकिन लेखक डर गया कि यदि यह सज्जन घर आ गया, तो घंटों बैठकर सारा समय बर्बाद कर देगा। इसलिए बहुत सोच-विचार के बाद लेखक पुन: उसके घर के सामने से निकलने लगा, जो उसने पहले छोड़ दिया था।