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DAV Class 8 Hindi Chapter 19 Question Answer – जीवन का सच
DAV Class 8 Hindi Ch 19 Question Answer – जीवन का सच
पाठ में से
प्रश्न 1.
रोहन ने अपना काम कम समय में करने का क्या कारण बताया?
उत्तर:
रोहन द्वारा अपना काम कम समय में करने का कारण था – प्रश्नों के उत्तर का विधिवत ज्ञान होना । उसने अपने दिव्यचक्षु भाई के पाठ ज़ोर से पढ़कर तथा अपने भाई की सहायता से कठिनाइयों का निवारण कर लिया था ।
प्रश्न 2.
अध्यापिका ने लुई ब्रेल और बीथोवन के बारे में क्या बताया ?
उत्तर:
अध्यापिका ने बताया कि लुई ब्रेल जो स्वयं देख नहीं सकते थे, ने दिव्यचक्षु लोगों के लिए ब्रेल लिपि का निर्माण किया। उन्होंने बीथोवन के बारे में यह बताया कि बीथोवन स्वयं सुन नहीं सकते थे, परंतु वे सबसे मधुर संगीत रचना के लिए प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न 3.
बोलने की प्रबल इच्छा-शक्ति के कारण हेलेन क्या-क्या करती थीं?
उत्तर:
बोलने की प्रबल इच्छा शक्ति के कारण हेलेन तरह-तरह की आवाज़ें निकालतीं और ऐसा करते हुए वे अपना एक हाथ गले पर और दूसरा हाथ होंठों के ऊपर रखती थीं ताकि दोनों जगह होने वाले परिवर्तनों को महसूस कर सकें।
प्रश्न 4.
सारह फुलर से हेलेन ने किस प्रकार बोलना सीखा?
उत्तर:
सारह फुलर ने बोलते हुए हेलेन के हाथ को अपने चेहरे पर रखा ताकि वे होठों और जीभ की बनावट और उनमें आ रहे बदलाव को समझ सकें। उनकी नकल करते-करते हेलेन ने पहले अक्षर, फिर शब्द और बाद में वाक्य बोलना सीख लिया।
प्रश्न 5.
हेलेन का जीवन सबको क्या प्रेरणा देता है?
उत्तर:
हेलेन का जीवन सबको अपराजेय इच्छा-शक्ति, आत्मबल, नई शक्ति, नई ऊर्जा और विपरीत परिस्थितियों से हार न मानने की प्रेरणा देता है।
प्रश्न 6.
उचित शब्द द्वारा रिक्त स्थान भरिए-
उत्तर:
(क) गणित की अध्यापिका ने पाँच मुश्किल सवाल हल करने के लिए दिए।
(ख) रोहन की बातें सुनकर हम सब चकित रह गए।
(ग) हेलेन ने कहा कि दुनिया की सबसे अच्छी चीजें देखी व छुई नहीं जा सकती हैं।
(घ) अपना चेहरा सूर्य के प्रकाश की ओर रखें तो कोई परछाईं नज़र नहीं आएगी।
(ङ) मेरे मन में भी कुछ करने का नवीन उत्साह भर गया।
प्रश्न 7.
नीचे दिए गए कथा अंश के वाक्यों को क्रमानुसार क्रम संख्या दीजिए-
उत्तर:
1. हेलेन का जन्म 27 जून, 1880 को हुआ।
2. उनकी इस अवस्था से सब चिंतति हो गए।
3. वे जब डेढ़ साल की थीं तब अचानक बहुत बीमार हो गईं।
4. अपने परिवार व अध्यापिका सुलीवान के सहयोग से उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
5. अपनी कड़ी मेहनत के बल पर उन्होंने अनेक पुस्तकों की रचना भी की।
6. उस बीमारी के कारण उनकी देखने व सुनने की शक्ति चली गई।
उत्तर:
- हेलेन का जन्म 27 जून, 1880 को हुआ।
- वे जब डेढ़ साल की थीं तब अचानक बहुत बीमार हो गईं।
- उस बीमारी के कारण उनकी देखने व सुनने की शक्ति चली गई।
- उनकी इस अवस्था से सब चिंतति हो गए।
- अपने परिवार व अध्यापिका सुलीवान के सहयोग से उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
- अपनी कड़ी मेहनत के बल पर उन्होंने अनेक पुस्तकों की रचना भी की।
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
मेधावी छात्र में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?
उत्तर:
मेधावी छात्र में दृढ़ इच्छाशक्ति, निरंतर परिश्रम करने की लगन, प्रतिकूल परिस्थितियों में हार न मानने का हौंसला आदि गुण होने चाहिए।
प्रश्न 2.
दृढ़ विश्वास ही वह परम शक्ति है, जिससे हम अपने भीतर प्रकाश भर लेते हैं। चर्चा कीजिए । उत्तर दृढ़ विश्वास के कारण ही मनुष्य असंभव कार्य को करने की ठान लेता है और उसे पूरा करके ही दम लेता है। इससे हमारे मन में ऐसा आलोक उत्पन्न होता है, जिससे आलोकित पथ पर हम सहजता से आगे बढ़ते जाते हैं और लक्ष्य प्राप्त करने में सफल होते हैं।
प्रश्न 3.
हम सीमाओं को अच्छे अवसरों में किस प्रकार बदल सकते हैं?
उत्तर:
हम जीवन में नकारात्मकता का त्याग करके सकारात्मकता का दृष्टिकोण अपना सकें। हम अपने अभावों पर रोने के बजाए जो कुछ ईश्वर प्रदत्त है, उसका उपयोग करें और विपरीत परिस्थितियों से हार न माने तो सीमाओं को अवसरों में बदल सकते हैं।
प्रश्न 4.
आपको कब-कब लगता है कि आपके आस-पास सारी प्रकृति खुशनुमा है ?
उत्तर:
जब हम खुश होते है, हमारे इष्ट मित्र, परिवार के सदस्य तथा अन्य निकट संबंधी खुश होते हैं तब हमें अपने आस-पास की प्रकृति खुशनुमा लगती है।
प्रश्न 5.
हेलेन में बोलने की प्रबल इच्छा थी। आप में क्या करने की प्रबल इच्छा है?
उत्तर:
जिस तरह हेलेन में बोलने की प्रबल इच्छा थी, उसी तरह मुझमें अपने लक्ष्य को पाने की प्रबल इच्छा है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
यदि आपका कोई मित्र दिव्यांग बच्चा है तो आप उसके लिए क्या करेंगे?
उत्तर:
यदि मेरा कोई मित्र दिव्यांग बच्चा है तो मैं उसकी यथासंभव मदद करने का प्रयास करूँगा। उसे पढ़ाए गए पाठ को ज़ोर से बोलकर सुनाऊँगा ताकि वह उसे भी याद हो जाए। उसका हाथ पकड़कर लिखवाऊँगा। उसे अपने साथ खेल के मैदान और बगीचे में घूमाने ले जाऊँगा।
प्रश्न 2.
अगर आप हेलेन केलर से मिलते तो आप उनसे क्या बातचीत करते?
उत्तर:
अगर मैं हेलेन केलर से मिलता तो उनसे कहता कि आपका जीवन हम सबके लिए प्रेरणा-स्रोत है। हम आपके जीवन से कठिनाइयों पर विजय पाने की प्रेरणा और साहस मिलता है। हमें आपका जीवन अनुकरणीय लगता है। आप और आपकी दृढ़ इच्छाशक्ति धन्य है।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए शब्दों में से मूल शब्द और प्रत्यय अलग-अलग करके लिखिए-
उत्तर:
शब्द | मूल शब्द | प्रत्यय |
(क) कठिनाई | कठिन | आई |
(ख) सफलता | सफल | ता |
(ग) व्यक्तित्व | व्यक्ति | त्व |
(घ) बोलकर | बोल | कर |
(ङ) प्रेरणादायी | प्रेरणा | दायी |
प्रश्न 2.
दिए गए शब्दों के सामने उचित विशेषण या विशेष्य भरिए-
उत्तर:
विशेषण | विशेष्य |
(क) मेधावी | छात्र |
(ख) मुश्किल | सवाल |
(ग) मधुर | संगीत |
(घ) अद्भुत | व्यक्तित्व |
जीवन मूल्य
प्रश्न 1.
क्या आपको भी लगता है कि आत्मदया हमारी सबसे बड़ी शत्रु है? कैसे?
उत्तर:
हाँ हमें भी लगता है कि आत्मदया हमारी सबसे बड़ी शत्रु है। इसका कारण यह है कि आत्मदया हमारा ध्यान हमारी सीमाओं की ओर ले जाती है। ये सीमाएँ हमारे मनोबल को कमज़ोर करती हैं तथा लक्ष्य की ओर बढ़ते हमारे कदमों के लिए बाधक सिद्ध होती है। इससे हम लक्ष्य विमुख होकर अपने अभावों के लिए रोने-धोने और ईश्वर को कोसने लगते हैं।
प्रश्न 2.
जीवन के प्रति उत्साह बनाए रखना और स्वयं को मिली खुशियों को पहचानना ज़रूरी है? क्यों?
उत्तर:
जीवन के लिए उत्साह बनाए रखना और स्वयं को मिली खुशियों को पहचानना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि ये खुशियाँ हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। ये मन में नवऊर्जा का संचार करती हैं तथा पुनर्बल एवं संबल प्रदान करती हैं। इनके सहारे हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते ही जाते हैं।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1.
हेलेन केलर की आत्मकथा – ‘द स्टोरी ऑफ माइ लाइफ़’ पढ़िए।
उत्तर:
छात्र हेलेन केलर की आत्मकथा – ‘द स्टोरी ऑफ माइ लाइफ’ स्वयं पढ़ें।
प्रश्न 2.
हिंदी फ़िल्म ‘ब्लैक’ देखिए।
उत्तर:
छात्र हिंदी फ़िल्म ब्लैक स्वयं देखें।
DAV Class 8 Hindi Ch 19 Solutions – जीवन का सच
I. बहुविकल्पीय प्रश्न
1. लेखिका द्वारा पत्र लिखने का उद्देश्य था-
(क) अनुभव हासिल करना
(ख) अनुभव ताज़ा करना
(ग) अनुभव साझा करना
(घ) रोहन के विषय में बताना
उत्तर:
(ग) अनुभव साझा करना
2. रोहन ने सारे सवाल हल कर लिए-
(क) पंद्रह मिनट में
(ख) दस मिनट में
(ग) पच्चीस मिनट में
(घ) बीस मिनट में
उत्तर:
(क) पंद्रह मिनट में
3. हमारी ……………. देखते हुए अध्यापिका ने दिव्यांग लोगों के जीवन से अनेक उदाहरण दिए।
(क) रुचि
(ख) मेहनत
(ग) लगन
(घ) जिज्ञासा
उत्तर:
(घ) जिज्ञासा
4. ब्रेल लिपि के आविष्कारक हैं-
(क) हेलेन केलर
(ख) बीथोवन
(ग) लुई ब्रेल
(घ) सुलीवान
उत्तर:
(ग) लुई ब्रेल
5. हेलेन केलर थीं-
(क) लेखिका
(ख) व्याख्याता
(ग) राजनीतिक कार्यकर्ता
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
6. हेलेन केलर का जन्म में हुआ था।
(क) 27 जून, 1880
(ख) 27 जून 1885
(ग) 27 जून, 1875
(घ) 27 जून 1890
उत्तर:
(क) 27 जून, 1880
7. हेलेन ने आत्मदया को अपना सबसे बड़ा ………… माना।
(क) हितकर
(ख) शत्रु
(ग) मित्र
(घ) उपकारी
उत्तर:
(ख) शत्रु
8. हेलेन की कहानी ………….. इच्छा शक्ति और आत्मबल की कथा है।
(क) अपराजेय
(ख) पराजित
(ग) साधारण
(घ) दुर्बल
उत्तर:
(क) अपराजेय
9. सारह फुलर इनमें से क्या थीं?
(क) अध्यापिका
(ख) संगीतज्ञ
(ग) प्राचार्या
(घ) हेलेन केलर की सहेली
उत्तर:
(ग) प्राचार्या
10. हेलेन ने सबसे पहले ………….. का उच्चारण किया।
(क) अक्षर
(ख) शब्द
(ग) वाक्य
(घ) अनुच्छेद
उत्तर:
(क) अक्षर
11. हेलेन का जीवन सबको …………… देता है।
(क) सहारा
(ख) मनोबल
(ग) प्रेरणा
(घ) सुख
उत्तर:
(ग) प्रेरणा
II. लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30-35 शब्दों में )
प्रश्न 1.
तनया पत्र लिखने के लिए विवश हो उठी क्यों?
उत्तर:
तनया ने आज कक्षा में अपनी अध्यापिका से अनेक प्रेरणादायी बातें सुनीं, इनसे उसे विलक्षण अनुभव हुआ।
प्रश्न 2.
इसी अनुभव को साझा करने के लिए वह पत्र लिखने को विवश हो उठी। छात्र क्या जानने के लिए उत्सुक थे?
उत्तर:
छात्र यह जानने के लिए उत्सुक थे कि अध्यापिका द्वारा दिए गए पाँचों मुश्किल सवालों को रोहन ने पंद्रह मिनट में किस तरह हल कर लिया।
प्रश्न 3.
हेलेन केलर कौन थीं?
उत्तर:
हेलेन केलर प्रसिद्ध अमेरिकी लेखिका, राजनीतिक कार्यकर्ता और व्याख्याता थीं। वे प्रज्ञाचक्षु होकर भी अद्भुत व्यक्तित्व की धनी थीं।
प्रश्न 4.
हेलेन केलर का क्या मानना था ?
उत्तर:
हेलेन केलर का यह मानना था कि जब खुशियों का एक दरवाज़ा बंद होता है तो दूसरा खुल जाता है, लेकिन काफ़ी बार हम उस बंद दरवाजे को देखकर पछताते रहते हैं, जिससे नए खुले दरवाज़े को नहीं देख पाते हैं।
प्रश्न 5.
हेलेन जीवन में किस प्रकार का दृष्टिकोण रखती थीं?
उत्तर:
हेलेन जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखती थीं। नकारात्मक दृष्टिकोण के लिए उनके मन में कोई स्थान न था। इसी दृष्टिकोण के कारण उन्होंने अपनी सीमाओं को अच्छे अवसरों में बदल लिया।
III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( 70-80 शब्दों में )
प्रश्न 1.
रोहन का उत्तर छात्रों के लिए चौंकाने वाला क्यों था?
उत्तर:
रोहन ने बताया कि उसका बड़ा भाई दिव्यचक्षु कॉलेज में गणित विशेष पढ़ रहा है। वह अपने बड़े भाई के सारे पाठ ज़ोर-ज़ोर से बोलकर पढ़ता है। ऐसा करने से उसका बड़ा भाई सीख जाता है और उसका (रोहन) अभ्यास हो जाता है। कठिनाई आने पर वह भाई की मदद से विषय को समझ लेता है। रोहन का यह उत्तर छात्रों को चौंकाने वाला था ।
प्रश्न 2.
हेलेन केलर बोलने में किस तरह सफल हो गईं?
उत्तर:
हेलेन केलर प्राचार्या सारह फुलर के चेहरे पर हाथ रखकर बोलते समय होने वाले परिवर्तनों को समझने का प्रयास करती थीं। उनकी नकल करते-करते उन्होंने पहले अक्षर बोलना सीखा और फिर धीरे-धीरे पूरा वाक्य बोलने का प्रयास करने लगीं। उन्होंने जब पहला वाक्य बोला तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा । इस तरह हेलेन ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति, लगन, अथक परिश्रम और अभ्यास से बोलना सीख लिया।
IV. जीवन मूल्य
प्रश्न 1.
हेलेन केलर के जीवन से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
हेलेन केलर के जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हम कठिनाइयों को देखकर घबराएँ नहीं। हम अपना साहस बनाए रखें और उन पर विजय पाने का प्रयास करें। असफल होने पर भी हम अपना धैर्य, लगन, दृढ़, इच्छाशक्ति और उत्साह बनाए रखें तथा सफलता पाने का सतत प्रयास जारी रखें।
क्रियाकलाप
प्रश्न 1.
इंटरनेट से लुई ब्रेल के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें तथा उन्हें उत्तर पुस्तिका में लिखें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
उसका एक बड़ा भाई है, जो दिव्यचक्षु है। वह कॉलेज में गणित विशेष पढ़ रहा है। मैं उसके लिए सारे पाठ ज़ोर-ज़ोर से बोलकर पढ़ता हूँ। ऐसा करने से मैं बहुत कुछ सीख जाता हूँ और मेरा भी अभ्यास हो जाता है, जहाँ मुझे कठिनाई आती है वहाँ मैं अपने भाई की मदद से विषय को समझ लेता हूँ। रोहन की बातें सुनकर हम सब चकित रह गए। हमारी कल्पना में भी न था कि कोई प्रज्ञाचक्षु छात्र शिक्षा के इन शिखरों तक पहुँच सकता है।
प्रश्न (क) वह अपने भाई की सहायता किस तरह करता था और क्यों ?
(ख) वह गणित में मेधावी था? ऐसे कैसे हो सका ?
(ग) छात्र किस बात की कल्पना भी नहीं कर रहे थे?
(घ) दिव्यचक्षु किन्हें कहा जाता है ?
(ङ) इस गद्यांश से मिलने वाली शिक्षा का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(क) वह अपने दिव्यचक्षु भाई के पाठों को ज़ोर-ज़ोर से बोलकर पढ़ता था। इससे उसके भाई को पाठ याद हो जाता था। इस तरह वह अपने भाई की सहायता करता था।
(ख) वह गणित को अपने भाई के लिए ज़ोर-ज़ोर से बोलकर पढ़ता था । इससे वह बहुत कुछ सीख जाता था। इसके अलावा कठिनाई आने पर वह अपने भाई से उनका निवारण करवा लेता था । इस तरह वह गणित में मेधावी बन गया ।
(ग) कोई दिव्यचक्षु छात्र गणित जैसे कठिन विषय में इतनी ऊँचाई छू सकता है, छात्र इसकी कल्पना भी नहीं कर पा रहे थे।
(घ) दिव्यचक्षु उन्हें कहा जाता है जो देखने में असमर्थ होते हैं।
(ङ) इस गद्यांश से हमें यह शिक्षा मिलती है कि विपरीत परिस्थितियों में हार माने बिना हमें निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास करते रहना चाहिए ।
प्रश्न 2.
वे जीवन में बहुत कुछ करना चाहते हैं। उनका दृढ़ विश्वास ही वह परम शक्ति है, जिससे वे अपने भीतर प्रकाश भर लेते हैं और अपने जीवन लक्ष्य में सफलता प्राप्त करने के लिए आगे कदम बढ़ाते हैं। लुई ब्रेल, जो स्वयं देख नहीं सकते थे, उन्होंने सब दिव्यचक्षु लोगों के लिए ब्रेल लिपि का निर्माण किया। संगीतज्ञ बीथोवन, जो स्वयं सुन नहीं सकते थे, वे सबसे मधुर संगीत रचना करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न (क) ‘वे जीवन में बहुत कुछ करना चाहते हैं।’ यहाँ ‘वे’ का प्रयोग किनके लिए किया गया है?
(ख) वे किस शक्ति से आगे बढ़ते हैं?
(ग) लुई ब्रेल क्यों प्रसिद्ध हैं?
(घ) बीथोवन कौन थे?
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए ।
उत्तर:
(क) ‘वे जीवन में बहुत कुछ करना चाहते हैं। यहाँ ‘वे’ का प्रयोग उन लोगों के लिए किया गया है जो देख पाने में असमर्थ हैं।
(ख) वे अपने दृढ़ विश्वास रूपी परमशक्ति से अपने भीतर प्रकाश भर लेते हैं, जिसके सहारे वे सफलता पाने के लिए कदम बढ़ाते हैं।
(ग) लुई ब्रेल इसलिए प्रसिद्ध हैं, क्योंकि उन्होंने दिव्यचक्षु लोगों के लिए ब्रेल लिपि का निर्माण किया, जबकि वे स्वयं दिव्यचक्षु थे।
(घ) बीथोवन प्रसिद्ध संगीतकार थे जो स्वयं सुन नहीं सकते थे, परंतु वे सबसे मधुर संगीत रचना किया करते थे।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम है- ‘जीवन का सच’।
प्रश्न 3.
हेलेन का जन्म 27 जून, 1880 को हुआ। वे जब डेढ़ साल की थीं तब अचानक बहुत बीमार हो गईं। उस बीमारी के कारण उनकी देखने व सुनने की शक्ति चली गई। उनकी इस अवस्था से सब चिंतित हो गए । उन्हें लगा कि अब उनके जीवन में अँधेरा छा जाएगा। वे कभी कुछ नहीं कर पाएँगी, लेकिन हेलेन ने अपनी दृढ़ संकल्प शक्ति के सहारे ऐसी सब दुश्चिंताओं को निर्मूल कर दिया। अपने परिवार व अध्यापिका सुलीवान के सहयोग से उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने सदा आत्मदया को अपना सबसे बड़ा शत्रु माना। अपनी कड़ी मेहनत के बल पर उन्होंने अनेक पुस्तकों की रचना भी की।
प्रश्न (क) हेलेन कौन थीं? उनका जन्म कब हुआ था?
(ख) हेलेन के घरवाले चिंतित क्यों हो गए?
(ग) हेलेन ने विपरीत परिस्थितियों पर किस तरह विजय हासिल की?
(घ) सुलीवान कौन थीं? गद्यांश में उनका उल्लेख क्यों हुआ है?
(ङ) हेलेन अपना शत्रु किसे मानती हैं?
उत्तर:
(क) हेलेन अत्यंत परिश्रमी दिव्यचक्षु महिला थीं। उनका जन्म 27 जून, 1880 को हुआ था।
(ख) हेलेन के घरवाले इसलिए चिंतित हो उठे, क्योंकि हेलेन अचानक बीमार पड़ी और अपनी देखने एवं सुनने की शक्ति खो बैठी ।
(ग) हेलेन ने विपरीत परिस्थितियों पर अपनी संकल्यशक्ति से विजय हासिल की।
(घ) सुलीवान हेलेन की अध्यापिका थीं। हेलेन ने उनकी मदद से स्नातक की डिग्री प्राप्त की, इसलिए गद्यांश में उनका उल्लेख हुआ है।
(ङ) हेलेन अपना सबसे बड़ा शत्रु आत्मदया को मानती हैं।
प्रश्न 4.
हेलेन का जीवन ऐसे प्रेरक प्रसंगों से भरा पड़ा है, जिन्हें समझने से हम अपने भीतर नई शक्ति, नई ऊर्जा प्राप्त करते हैं। सारी कहानी अपराजेय इच्छा-शक्ति और आत्मबल की कथा है। अपनी देखने व सुनने की शक्ति छिन जाने पर उन्होंने बोलना भी बंद कर दिया मानो बोलना भूल गई हों लेकिन बोलने की प्रबल इच्छा उन्हें बार-बार उद्वेलित करती। वे तरह-तरह की आवाजें निकालतीं और ऐसा करते हुए, अपना एक हाथ गले पर और दूसरा हाथ होठों के ऊपर रखती थीं ताकि दोनों जगह होने वाले परिवर्तनों को महसूस कर सकें लेकिन कभी-कभी प्रयास करने पर भी वे बोलने में असमर्थ रहतीं। इससे उनका गुस्सा व तनाव बढ़ जाता।
प्रश्न (क) हेलेन का जीवन अनुकरणीय क्यों है?
(ख) हेलेन के उद्वेलित होने का कारण क्या था?
(ग) हेलेन बोलने के लिए क्या-क्या प्रयास करती थीं?
(घ) हेलेन का गुस्सा एवं तनाव बढ़ने का कारण क्या था ?
(ङ) हेलेन की कहानी को अपराजेय इच्छा-शक्ति की कथा क्यों कहा गया है?
उत्तर:
(क) हेलेन का जीवन इसलिए अनुकरणीय है क्योंकि हेलेन के जीवन से जुड़े प्रसंगों से हम अपने भीतर नई शक्ति और नई ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
(ख) बीमारी के कारण हेलेन की देखने एवं सुनने की शक्ति छिन गई थी परंतु उनके मन में बोलने की प्रबल इच्छा शक्ति थी। इसी इच्छाशक्ति के कारण के बार-बार उद्वेलित होती थीं।
(ग) हेलेन बोलने के लिए तरह-तरह की आवाज़ें निकालतीं और अपना एक हाथ गले पर तथा दूसरा होंठों पर रखतीं ताकि दोनों जगह होने वाले परिवर्तनों को महूसस कर सकें।
(घ) बार-बार अथक प्रयास करने पर भी हेलेन बोलने में सफल नहीं हो पा रही थीं। इससे उनका गुस्सा एवं तनाव बढ़ जाता था।
(ङ) हेलेन की कहानी को अपराजेय इच्छाशक्ति की कथा इसलिए कहा गया है, क्योंकि हेलेन ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर विषम परिस्थितियों पर विजय पाई और दिव्यचक्षु लोगों के लिए ही नहीं वरन सबके लिए प्रेरणा स्रोत बन गईं।
प्रश्न 5.
सर्वप्रथम सारह जी ने बोलते हुए हेलेन के हाथ को अपने चेहरे पर रखा ताकि वे होठों व जीभ की बनावट और उनमें आ रहे परिवर्तनों को समझ सकें। उनकी नकल करते-करते वे पहले कुछ अक्षर बोलना सीखीं और धीरे-धीरे पूरे वाक्य बोलने लगीं। जब उन्होंने पहला वाक्या बोला तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। धीरे-धीरे, कठिन परिश्रम व अथक अभ्यास द्वारा वे खूब अच्छी तरह बोलने लगीं। हेलेन को बोलते देखकर उनका परिवार व अन्य साथी, सब बहुत खुश हुए।
प्रश्न (क) सारह ने हेलेन की मदद किस तरह की ?
(ख) सारह की मदद और हेलेन के अथक प्रयास का परिणाम क्या रहा?
(ग) हेलेन की खुशी का ठिकाना कब न रहा?
(घ) लोगों के खुश होने का क्या कारण था ?
(ङ) सारह कौन थीं?
उत्तर:
(क) सारह ने बोलते हुए हेलेन के हाथ को अपने चेहरे पर रखा ताकि होठों और जीभ की बनावट तथा बोलते समय उनमें आने वाले परिवर्तनों को समझ सकें।
(ख) सारह की मदद और हेलेन के अथक प्रयास का परिणाम यह रहा कि हेलेन ने पहले कुछ अक्षर, फिर शब्द और बाद में वाक्य बोलना सीख लिया।
(ग) हेलेन ने जब पहला वाक्य बोला तब उसकी खुशी का ठिकाना न रहा।
(घ) लोगों के खुश होने कारण था, हेलेन द्वारा बोलने में सफलता प्राप्त कर लेना। यह सफलता किसी ईश्वरीय वरदान से कम न थी।
(ङ) सारह होरेस मान स्कूल की प्राचार्या थीं, जिनके धैर्यपूर्ण प्रयासों से हेलेन केलर ने बोलना सीखा था।
शब्दार्थ:
- विलक्षण – अद्भुत, अत्यंत विशिष्ट लक्षणों वाला।
- साझा करना – बाँटना।
- मेधावी – अत्यंत तेज़, प्रतिभावान।
- दिव्यचक्षु – ऐसा व्यक्ति जो देखने में असमर्थ हो।
- शिखर – चोटी।
- जिज्ञासा – जानने की इच्छा।
- संगीतज्ञ – संगीत का विशेष ज्ञान रखने वाले।
- व्याख्याता – व्याख्यान देने वाला।
- प्रेरणादायी – प्रेरणा देने वाला।
- दृढ़ – मज़बूत।
- दुशिंचता – बुरी चिंता।
- निर्मूल – बेबुनियाद, पूरी तरह से नष्ट।
- प्रेरक – प्रेरणा देने वाला।
- अपराजेय – जिसे हराया न जा सके।
- आत्मबल – अपना बल।
- प्रबल – ज़ोरदार।
- उद्वेलित अशांत, आवेशित।
- असमर्थ – सफल न होना।
- अनुरोध – निवेदन।
- खुशी का ठिकाना न रहना – बहुत खुश होना।
- ईश्वरीय – ईश्वर से संबंधित।
- संतुष्टता – संतुष्ट होने का भाव।
- निरंतर – लगातार।
- नवीन – नया।
- उत्साह – उमंग।
जीवन का सच Summary in Hindi
पाठ – परिचय:
प्रस्तुत पाठ पत्र शैली में लिखा गया है, जिसमें एक विलक्षण अनुभव को तनया ने अपनी सखी रेखा से साझा किया है। पाठ का आरंभ गणित की अध्यापिका द्वारा सवाल पूछने, उसका उत्तर किसी छात्र द्वारा बहुत जल्दी दे दिए जाने, छात्र द्वारा इसका कारण अपने दिव्यचक्षु भाई की मदद करने से होता है । फिर तो अध्यापिका ने लुई ब्रेल, बीथोवन, हेलेन केलर आदि के विषय में विस्तारपूर्वक बताया।
पाठ का सार:
आज गणित की कक्षा में तनया को जो कुछ अनुभव हुआ, उसका उसके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस अनुभव को उसने पत्र के माध्यम से रेखा को बताया है। गणित की अध्यापिका द्वारा आज कक्षा में पूछे गए पाँच सवालों को रोहन ने पंद्रह मिनट में कर दिखाया। इसे इतने कम समय में उसने कैसे कर दिखाया, यह सबकी जिज्ञासा बन गई। उसने बताया कि वह गणित विशेष पढ़ रहे अपने भाई के पाठ ज़ोर-ज़ोर से बोलकर पढ़ता है। इससे अन्य छात्र चकित रह गए कि कोई प्रज्ञाचक्षु छात्र शिक्षा के इन शिखरों तक पहुँच सकता है।
छात्रों की जिज्ञासा देखकर अध्यापिका ने न बोल पाने वाले और न देख पाने वाले के उदाहरण दिए कि ऐसे लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं होती और वे अपने दृढ़ विश्वास से सफलता प्राप्त कर लेते हैं। इसके बाद उन्होंने ब्रेल लिपि का निर्माण करने वाले लुई ब्रेल. संगीतज्ञ वीथोवन के बारे में बताते हुए हेलेन केलर के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। हेलेन केलर प्रज्ञाचक्षु होते हुए भी अद्भुत व्यक्तित्व की धनी महिला थीं। उनका जन्म 27 जून, 1880 को हुआ था। जब वे डेढ़ साल की थीं, तभी बीमार हो गईं, जिससे उनके देखने एवं सुनने की शक्ति चली गई । उन्होंने कठिनाइयों पर विजय पाते हुए अपने परिवार एवं अध्यापिका की मदद से स्नातक की डिग्री हासिल की और अनेक पुस्तकों की रचना की।
हेलेन केलर के जीवन से हम अपने भीतर नई शक्ति तथा नई ऊर्जा महसूस करते हैं। अपनी देखने एवं सुनने की शक्ति छिन जाने के कारण हेलेन मानो बोलना ही भूल गईं, पर बोलने की प्रबल इच्छा के कारण वे उद्वेलित होती रहीं। वे तरह- तरह की आवाजें निकालती हुई अपने गले और होठों के ऊपर हाथ रखतीं। इससे भी वे बोलने में असमर्थ रहीं। एक दिन वे अपनी अध्यापिका के साथ प्राचार्या सारह फुलर से मिलने गईं। उन्होंने हेलेन को पढ़ाने तथा बोलना सिखाने का जिम्मा उठाया। सारह के प्रयास से हेलेन पहले कुछ शब्द और फिर धीरे-धीरे वाक्य बोलने लगीं। धीरे-धीरे कठिन अभ्यास और परिश्रम द्वारा वे अच्छी तरह बोलने लगीं। यह उनके लिए ईश्वरीय वरदान था, जिसने उनके आस-पास सारी प्रकृति को खुशनुमा कर दिया।
हेलेन ने अपने जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया। इससे नकारात्मकता का अस्तित्व समाप्त हो गया। इससे सीमाएँ अवसरों में बदल गईं और वे जीवन में पूर्णता एवं संतुष्टता का अनुभव करने लगीं। उनके जीवन से हमें सच्ची लगन, निष्ठा, दृढ़ता एवं निरंतर प्रयत्न से लक्ष्य पाने की प्रेरणा मिलती है।