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DAV Class 7 Hindi Chapter 2 Question Answer – नाटक में नाटक
DAV Class 7 Hindi Ch 2 Question Answer – नाटक में नाटक
पाठ में से
प्रश्न 1.
राकेश ने नाटक में स्वयं अभिनय क्यों नहीं किया?
उत्तर:
राकेश के हाथ में फुटबॉल खेलते समय चोट लगी थी। उसे पट्टी के द्वारा अपना हाथ गर्दन के सहारे लटकाए रखना पड़ता था, इसलिए वह स्वयं अभिनय नहीं कर रहा था।
प्रश्न 2.
राकेश के साथी अभिनय के मामले में कैसे थे?
उत्तर:
राकेश के साथी अभिनय के मामले में नए, अनुभवहीन और बुद्धू थे। वे तनिक-सी बात पर लड़ने लगते थे।
प्रश्न 3.
राकेश ने प्रदर्शन के दिन सभी को खास-खास हिदायतें फिर से क्यों दीं?
उत्तर:
राकेश ने प्रदर्शन के दिन सभी को खास-खास हिदायतें फिर से इसलिए दीं, ताकि सभी अच्छी तरह अभिनय करें और अपना-अपना पार्ट सही ढंग से अदा करें।
प्रश्न 4.
राकेश ने नाटक को किस प्रकार सँभाला?
उत्तर:
राकेश ने नाटक को रिहर्सल बताया और कहा कि यदि तुमसे गलती हो गई थी, तो वहीं से फिर रिहर्सल शुरू कर देते। चलो अब रिहर्सल फिर से शुरू करते हैं। इस प्रकार उसने नाटक को सँभाल लिया।
प्रश्न 5.
इस कहानी के लिए कोई अन्य शीर्षक बताते हुए उसके चुनाव का कारण भी बताइए।
उत्तर:
कहानी के लिए एक अन्य शीर्षक है-राकेश की बुद्धिमानी। मैंने वह शीर्षक इसलिए चुना क्योंक राकेश अभिनय करने की स्थिति में न होने पर भी मंच पर गया और अपनी बुद्धिमानी से बिगड़े नाटक को सँभाल लिया।
प्रश्न 6.
नीचे दिए गए कथन किससे कहे, किससे कहे –
उत्तर:
कथन | किसने कहा | किससे कहा |
(क) मेरा दिल तो बहुत ज़ोरों से धड़क रहा है। | मोहन ने | राकेश को |
(ख) तुम लोग पानी पियो और मन को साहसी बनाओ। | राकेश ने | मोहन, सोहन को |
(ग) गाजर साहब! आप क्या समझते हैं हमें? | श्याम ने (संगीतकार) | सोहन को (शायर) |
प्रश्न 7.
कहानी के आधार पर नीचे कुछ कथन दिए गए हैं। सही ऊथनों पर सही (✓) का और गलत कथनों पर (✗) का चिह्न लगाइए। गलत कथन को सही करके दोबारा कॉपी में लिखिए –
उत्तर:
(क) राकेश ने नाटक का निर्देशन किया था। (✓)
(ख) राकेश के साथी अभिनय के मामले में नए थे। (✓)
(ग) राकेश को उनके अभिनय पर पूरा भरोसा था। (✗)
(घ) मोहन चित्रकार बना था। (✓)
(ङ) राकेश हाथ पर पट्टी बँधवाने के लिए अस्पताल चला गया था। (✗)
(च) नाटक का नाम था- बड़ा कलाकार। (✓)
(छ) नाटक को बिगड़ता देख दर्शक जोर-जोर से चिल्लाने लगे। (✗)
(ज) नाटक का रिहर्सल ही नाटक था। (✗)
(झ) सोहन अपना संवाद् भूल गया था। (✗)
(अ) राकेश ने मंच पर आकर नाटक को सँभाला। (✓)
सही कथन
(ग) राकेश को उनके अभिनय पर बिलकुल भी विश्वास नहीं था।
(ङ) राकेश हाथ पर पट्टी बँधवाए हुए पर्दे की आड़ से कलाकारों की संवाद बोलने में मदद कर रहा था।
(छ) नाटक को बिगड़ता देख दर्शक ज़ोर से हँस पड़े।
(ज) बिगड़ते नाटक को संभालने के लिए उसे नाटक का रिहर्सल कहा गया।
(झ) श्याम अपना संवाद भूल गया था।
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
राकेश को अपने साथियों के किस बुद्धूपन से डर था?
उत्तर:
राकेश के साथी अपने को दूसरे से अधिक समझदार मानते थे और बिना सोचे-समझे मूर्खतापूर्ण बातें कह जाते थे। राकेश को उनके इसी बुद्धूपन से डर था।
प्रश्न 2.
क्या आपने कभी नाटक में हिस्सा लिया है। नाटक के मंचन से जुड़ी कोई रोचक घटना बताइए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
अग़र श्याम अपना संवाद नहीं भूलता तो कहानी कैसे आगे बढ़ती, बताइए।
उत्तर:
श्याम अपना संवाद नहीं भूलता तो नाटक बिना बाधा के चलता रहता और किसी को लड़ने-झगड़ने का मौका न मिलता।
प्रश्न 2.
राकेश की जगह यदि आप होते तो नाटक कैसे साभालते?
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए शब्दों को शब्द-कोश के क्रमानुसार लिखिए –
उत्तर:
त्रुटि, पट्टी, पर्दा, पूर्वाभ्यास, प्रशंसा, मंच, संवाद, सप्ताह, सार्वजनिक, स्वयं
प्रश्न 2.
पाठ में आए इन युग्म-शब्दों को पूरा कीजिए-
उत्तर:
(क) स्वर – लहरी
(ख) फूल – पौधे
(ग) जैसे – तैसे
(घ) साज – सज्जा
(ङ) लोट – पोट
(च) पशु – पक्षी
प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्दों में से नए शब्द बनाकर लिखिए-
उत्तर:
(क) मूर्खतापूर्ण | मूर्ख | मूर्खता | पूर्ण |
(ख) साधारण | साधा | धार | धारण |
(ग) संगीतकार | संगीत | गीत | गीतकार |
(घ) बनाकर | बना | नाक | कर |
(ङ) कलाकार | लार | कला | कार |
जीवन-मूल्य
राकेश अपने साथियों की मूर्खता के कारण घबरा रहा था। उसे गुस्सा भी आ रहा था और रोना भी।
प्रश्न 1.
क्या हम रोकर, घबराकर या गुस्से में किसी मुश्किल परिस्थिति का सामना कर सकते हैं? क्यों?
उत्तर:
नहीं, हम रोकर, धबराकर या गुस्से में किसी मुश्किल परिस्थिति का सामना नहीं कर सकते हैं, क्योंकि ऐसा करने पर परिस्थिति और अधिक बिगड़ जाएगी। वह हल होने की बजाय हमारे लिए और अधिक विकट बन जाएगी।
प्रश्न 2.
गुस्से या क्रोध को शांत करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:
गुस्से या क्रोध को शांत करने के लिए हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिए-
- हमें ठंडा पानी पीना चाहिए।
- हमें गुस्से वाले स्थान को तुरंत बदल लेना चाहिए।
- हमें कोई हास्यपूर्ण नाटक, फिल्म या हास्य रस की पुस्तकें पढ़नी चाहिए।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए संवादों को अभिनय के साथ बोलिए-
(क) देख, मुँह सँभालकर बोल।
(ख) ओफ! मेरे सिर पर क्यों चढ़े आ रहे हो?
(ग) हे भगवान! न जाने मेरी बेटी कब ठीक होगी?
(घ) भई वाह! यह तो अच्छी रही।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
कहानी ‘नाटक में नाटक’ को नाटक रूप में खेलने के लिए किस-किस सामान की ज़रूरत होगी? उस सामान की एक सूची बनाइए।
उत्तर:
‘नाटक में नाटक’ को नाटक रूप में खेलने के लिए निम्नलिखित सामानों की आवश्यकता होगी-मंच, पर्द, ब्रश, वायलिन, कुर्सी. कलाकारों का उचित परिधान, माइक, कुछ कागज़ तथा साज-सज्जा के अन्य सामान।
प्रश्न 3.
‘नाटक में नाटक’ शीर्षक कहानी का विद्यालय मंच पर मंचन कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
DAV Class 7 Hindi Ch 2 Solutions – नाटक में नाटक
I. बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
इनमें से नाटक में कौन शामिल नहीं था?
(क) मोहन
(ख) राम
(ग) सोहन
(घ) श्याम
उत्तर:
(ख) राम
प्रश्न 2.
राकेश को चोट कैसे लगी थी?
(क) वालीबॉल खेलते समय
(ख) कबड्डी खेलते समय
(ग) क्रिकेट खेलते समय
(घ) फुटबॉल खेलते समय
उत्तर:
(घ) फुटबॉल खेलते समय
प्रश्न 3.
बच्यों ने नाटक कहाँ खेला था?
(क) हॉल में
(ख) स्कूल के बरामदे में
(ग) मैदान में
(घ) सुंद्र सभागार में
उत्तर:
(ग) मैदान में
प्रश्न 4.
“मेरा दिल तो बहुत ज़ोरों से धड़क रहा है।” ऐसा किसने कहा था?
(क) मोहन
(ख) श्याम
(ग) सोहन
(घ) राकेश
उत्तर:
(क) मोहन
प्रश्न 5.
सोहन कौन-सी भूमिका निभा रहा था?
(क) शायर
(ख) संगीतकार
(ग) चित्रकार
(घ) निर्देशक
उत्तर:
(क) शायर
प्रश्न 6.
इनमें संगीतकार की भूमिका कौन निभा रहा था?
(क) राकेश
(ख) सोहन
(ग) मोहन
(घ) श्याम
उत्तर:
(घ) श्याम
प्रश्न 7.
नाटक खराब करने की शुरुआत अभिनेता ने किस तरह की?
(क) गलत वेशभूषा पहनकर
(ख) संवाद भूलकर
(ग) दूसरे से झगड़ा करके
(घ) गलत समय पर मंच पर आकर
उत्तर:
(ख) संवाद भूलकर
प्रश्न 8.
राकेश के हाथ में इनमें से क्या था?
(क) वायलिन
(ख) ब्रश
(ग) लिखा हुआ नाटक
(घ) वह खाली हाथ था
उत्तर:
(ग) लिखा हुआ नाटक
प्रश्न 9.
इनमें से किसने कहा था- “तुम्हारा सर! गाजर साहब हूँ मैं?”
(क) शायर साहब ने
(ख) चित्रकार ने
(ग) संगीतकार ने
(घ) निर्देशक ने
उत्तर:
(क) शायर साहब ने
प्रश्न 10.
शायर ने चित्रकार की चित्रकला को इनमें से क्या बताया था?
(क) झाड़ फेरना
(ख) पॉलिश करना
(ग) झख मारना
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 11.
चमगादड़ इनमें से किसे कहा गया है?
(क) चित्रकार को
(ख) निर्देशक को
(ग) शायर को
(घ) संगीतकार को
उत्तर:
(ग) शायर को
प्रश्न 12.
बिगड़े नाटक को अचानक किसने सँभाल लिया?
(क) श्याम ने
(ख) राकंश ने
(ग) मोहन ने
(घ) सोहन ने
उत्तर:
(ख) राकंश ने
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(क) नाटक खेलना क्यों ज़रूरी था?
उत्तर:
नाटक खेलना इसलिए ज़रूरी था क्योंकि इससे मोहल्ले की इज़्ज़त जुड़ी थी।
(ख) नाटक से पहले अभ्यास का क्या परिणाम रहा?
उत्तर:
नाटक से पहले अभ्यास का यह परिणाम रहा कि मोहन, सोहन और श्याम अच्छी तरह अभिनय करने लगे थे।
(ग) श्याम के चुप होते ही और कौन-कौन चुप हो गए?
उत्तर:
श्याम के चुप होते ही चित्रकार और शायर महोदय भी चुप हो गए।
(घ) शायर महोदय करमकल्ले और आलूबुखारे किसे कह रहे थे?
उत्तर:
शायर महोदय करमकल्ले और आलूबुखारे चित्रकार को कह रहे थे।
(ङ) राकेश ने अपने नाटक का क्या नाम बताया?
उत्तर:
राकेश ने अपने नाटक का नाम बड़ा कलाकार बताया।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30 से 35 शब्दों में )
घबराए संगीतकार ने क्या संवाद बोला? उन्हें क्या बोलना चाहिए था?
उत्तर:
घबराए संगीतकार ने संवाद् यों बोला-“जब संगीत की स्वर-लहरी गूँजती है तो पशु-पक्षी तक मुँह की खा जाते हैं, गाजर साहब! आप क्या समझते हैं हमें?” जबकि उन्हें बोलना था-जब संगीत की स्वरलहरी गूँजती है तो पशु-पक्षी तक मुभ्ध हो जाते हैं।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( 70 से 80 शब्दों में )
इस कहानी का यह शीर्षक ‘नाटक में नाटक’ क्यों रखा गया होगा?
उत्तर:
इस कहानी का शीर्षक ‘नाटक में नाटक’ इसलिए रखा गया होगा. क्योंकि यह एक नाटक न होकर नाटक की कहानी मात्र है, और यह जिस नाटक की कहानी है, उस नाटक में ही एक और नाटक देखने को मिलता है। वस्तव में, पूर्व तैयारी के अनुसार जो नाटक खेला जाना था, वह तो पूर्व तैयारी के अनुसार खेला जाता, परंतु अभिनयकर्ता उस नाटक से हटकर अपने-अपने संवाद बोलने लगे। वे जिन संवादों को अपने मन से बोले जा रहे थे, उनका मूल नाटक से कोई लेना-देना न था, परंतु मंच पर अभिनेताओं द्वारा बोले जाने के कारण सारा दृश्य नाटक जैसा ही लग रहा था।
V. मूल्यपरक प्रश्न
श्याम की जगह आप होते तो क्या करते?
उत्तर:
यदि मैं श्याम की जगह अभिनय कर रहा होता और अपना संवाद भूल जाता तो मैं साहस न खोता। मैं निर्देशक (राकेश) द्वारा धीमी आवाज़ में बताया जा रहा संवाद् सुनता और मंच पर हाव-भाव के साथ बोलता। यदि कुछ गलत होता और दूसरा पात्र क्रोध में कुछ कहता तो भी मैं ऊटपटाँग संवाद न बोलता।
क्रियाकलाप
लोमड़ी और कौए की कहानी को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. राकेश का मन तो कह रहा था कि बिना पूरी तैयारी के नाटक नहीं खेलना चाहिए और जब नाटक में अभिनय करने वाले कलाकार भी नए हों, मंच पर आकर डर जाते हों, घबरा जाते हों और कुछ-कुछ बुद्धू भी हों तब तो अधूरी तैयारी से खेलना ही नहीं च्महिए। उसके साथी मोहन, सोहन और श्याम ऐसे ही थे। राकेश को उनके अभिनय पर बिलकुल भी विश्वास नहीं था। वह स्वयं अभिनय इसलिए नहीं कर रहा था, क्योंकि फुटबाल खेलते हुए वह अचानक गिर पड़ा था। उसके हाथ में चोट लग गई थी।
प्रश्न –
(क) नाटक खेलने के लिए क्या आवश्यक है?
(ख) नाटक कब नहीं खेलना चाहिए?
(ग) राकेश को किस पर विश्वास नहीं था?
(घ) राकेश अभिनय क्यों नहीं कर रहा था?
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) नाटक खेलने के लिए पूरी तैयारी और अभ्यास आवश्यक है।
(ख) जब नाटक में अधूरी तैयारी. अनुभवहीन कलाकार, घबरा जाने वाले तथा बुद्धू अभिनेता हों, तब नाटक नहीं खेलना चाहिए।
(ग) राकेश को नए कलाकारों के अभिनय पर भरोसा नहीं था।
(घ) राकेश फुटबाल खेलते समय गिर गया था। उसके हाथ में चोट लगी थी, इसलिए वह अभिनय नहीं कर रहा था।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम है-‘नाटक में नाटक’।
2. समय था-केवल एक सप्ताह का। सात दिन ऐसे निकल गए कि पता भी नहीं लगा! मोहन, सोहन और श्याम यूँ तो अच्छी तरह अभिनय करने लगे थे, पर राकेश को उनके बुद्धूपन से डर था। हर एक अपने को दूसरे से अधिक समझदार मानता था। इसलिए यह भूल जाता था कि वह कहाँ क्या कर रहा है-बस कहने से मतलब! दूसरे चाहे उनकी मूर्खतापूर्ण बातों पर हँस रहे हों, मगर वे पागलों की तरह आपस में उलझने लगते थे।
प्रश्न –
(क) नाटक खेले जाने में कितना समय बाकी था?
(ख) राकेश को किससे डर था?
(ग) अपनी बातें कहते समय वे क्या नहीं समझते थे?
(घ) वे क्यों भूल जाते थे कि वे कहाँ क्या कर रहे हैं?
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) नाटक खेले जाने में एक सप्ताह का समय शेष था।
(ख) राकेश को नए कलाकारों के बुद्धूपन से डर था।
(ग) अपनी बातें कहते समय कलाकार यह नहीं समझते थे कि उनकी मूर्खतापूर्ण बातों पर लोग हँस रहे हैं।
(घ) वे ऐसा इसलिए भूल जाते थे, क्योंक वे अपने को एक-दूसरे से अधिक समझदार मानते थे।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम है-‘नाटक में नाटक’।
3. मगर श्याम घबरा गया। वह सहसा चुप हो गया। उसके चुप होने से चित्रकार और शायर महोदय भी चुप हो गए। होना यह चाहिए था कि वे दोनों कोई बात मन से ही बनाकर बात आगे बढ़ा देते, पर वे घबराकर राकेश की तरफ़ देखने लगे। संगीतकार महोदय भी पलटकर राकेश की ओर देखने लगे। राकेश बार-बार संगीतकार जी का संवाद बोल रहा था मगर आवाज़ तेज़ होकर ‘माइक’ से सबको न सुनाई दे जाए, इसलिए धीरे-धीरे फुसफुमाकर बोल रहा था।
प्रश्न –
(क) श्याम क्यों घबरा गया था?
(ख) श्याम के चुप होने का अन्य अभिनेताओं पर क्या असर हुआ?
(ग) अन्य दोनों कलाकारों को क्या करना चाहिए था?
(घ) संवाद कौन बता रहा था?
(ङ) राकेश फुसफुसाकर क्यों बोल रहा था?
उत्तर:
(क) श्याम अपना पार्ट भृल गया था। ‘वह क्या बोले’ यह याद नहीं आ रहा था. इसलिए वह घबरा गया।
(ख) श्याम के चुप होने से चित्रकार और शायर की भूमिका कर रहे कलाकार भी चुप हो गए।
(ग) अन्य दोनों कलाकारों को अपने मन से ही कोई बात कहकर नाटक जारी रखना चाहिए था।
(घ) राकेश संवाद बता रहा था।
(ङ) उसकी आवाज़ तेज़ होकर माइक से दर्शकों को न सुनाई दे, इसलिए वह धीरे-धीरे फुसफुसाकर बोल रहा था।
4. बात राकेश ने बहुत सँभाल ली थी। पर्दे की आड़ में खड़े अन्य साथी मन-ही-मन राकेश की तुरंत-बुद्धि की प्रशंसा कर रहे थे। सब दर्शक शांत थे, भौंचक्के थे। वे सोच रहे थे यह क्या हो गया! वे तो समझ रहे थे कि नाटक बिगड़ गया, मगर यहाँ तो नाटक में ही नाटक था। उसका रिहर्सल ही नाटक था। मानो इस नाटक में नाटक की तैयारी की कठिनाइयों और कमज़ोरियों को ही दिखाया गया था!
प्रश्न –
(क) राकेश ने कौन-सी बात सँभाल ली थी?
(ख) अन्य साथी राकेश की प्रशंसा क्यों कर रहे थे?
(ग) दर्शक क्या समझ रहे थे?
(घ) नाटक में क्या दिखाया गया था?
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) राकेश ने बिगड़ते जा रहे नाटक की बात सँभाल ली।
(ख) अन्य साथी राकेश की प्रशंसा इसलिए कर रहे थे क्योंकि उसने अकेले ही खराब हुए नाटक को सँभाल लिया था।
(ग) दर्शक यह समझ रहे थे कि नाटक बिगड़ चुका है, मगर यहाँ तो नाटक में ही नाटक था।
(घ) नाटक में नाटक की तैयारी की कठिनाइयों और कमज़ोरियों को दिखाया गया था।
(ङ) गदयांश के पाठ का नाम है-‘नाटक में नाटक’।
पृष्ठ संख्या-6.
अचानक – एकाएक।
फालतू – अनुपयोगी।
दूब – एक प्रकार की घास।
बुद्धूपन – बेवकूफ़ी।
पृष्ठ संख्या – 7.
पूर्वाभ्यास – पहले किया गया अभ्यास।
प्रदर्शन – मंच पर प्रदर्शित करना।
हिदायत – निर्देश।
अभिनेता – अभिनय करने वाला।
मधुर – मीठा।
पार्ट – भाग, भृमिका।
पृष्ठ संख्या – 8.
आड़ – पीछे।
सहसा – अचानक।
टठाकर – हँसना-ज़ोर से हँसना।
झट – तुरंत।
मुग्ध – प्रसन्न।
पृष्ठ संख्या-9.
तपाक – झट से।
सूझ – दृष्टि।
अक्लमंदी – समझदरी।
दाँत पीसना – क्रोधित होना।
मेहनत पर पानी फिरना – मेहनत बेकार जाना।
झख मारना – बेकार समय व्यतीत करना।
तरकीब – उपाय।
पृष्ठ संख्या-10.
करमकल्ला – पत्ता गोभी।
सकपका जाना – घबरा जाना।
पृष्ठ संख्या-11
तुरंत-बुद्धि – तत्काल समझ लेने वाला।
प्रशंसा – बड़ाई।
भौचक्का – हैरान।
त्रुटि-भूल – चूक।
भूरि-भूरि – बहुत-बहुत।
नाटक में नाटक Summary in Hindi
पाठ-परिचय –
‘नाटक में नाटक’ पाठ में नाटक की तैयारी की कठिनाइयों और कमज़ोरियों की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया है। नाटक के अनुभवहीन कलाकार और उनकी अधूरी तैयारी से नाटक लगभग बिगड़ चुका था, पर अचानक निर्देशक उसे सँभाल लेता है।
पाठ का स्रार –
मोहन, सोहन, श्याम और राकेश नाटक खेलने की तैयारी कर रहे थे, पर उनकी तैयारी अधूरी थी। अभिनय के क्षेत्र में ये नए भी थे। राकेश को अचानक हाथ में चोट लग गई। वह हाथ में पट्टी बँधी होने के कारण स्वयं अभिनय नहीं कर रहा था। हालाँकि नाटक खेलना मुहल्ले की इज़्ज़त से जुड़ा था। इसलिए उन लोगों ने एक मैदान में दूब व फूल-पौधे लगाए और वहीं मंच बना लिया। सात दिन बाद ही नाटक खेलना था। नाटक के कलाकार अच्छी तरह अभिनय करने लगे थे, पर वे किसी की ज़रा-सी गलती पर पागलों की तरह आपस में उलझने लगते थे। राकेश ने उन्हें अच्छी तरह निर्देशित कर दिया था। खैर प्रदर्शन के लिए अभिनेता मंच पर आए और पर्दा उठा।
नाटक में मोहन-चित्रकार, सोहन-उर्दू का शायर और श्याम-संगीतकार बना था। नाटक में चित्रकार और शायर दोस्त थे और अपनी-अपनी कला को महान कह रहे थे। इसी बीच श्याम यानी संगीतकार उनसे मिलने आता है और कहता है कि संगीतकार की कला महान! सब कुछ सही चल रहा था कि अचानक श्याम अपना पार्ट भूल गया। वह घबराकर राकेश की ओर देखने लगा जो पर्दे के पीछे संवाद बोल रहा था। उसे चुप देख चित्रकार और शायर भी चुप हो गए। राकेश का धीरे से संवाद बोलना श्याम को सुनाई नहीं दे रहा था। वह राकेश की ओर आया कि दर्शक हँस पड़े। अब उसे जो भी सुनाई दिया, वही बिना समझे बोलने लगा।
उसने कहा, “जब संगीत की स्वर लहरी गूँजती है तो पशु-पक्षी तक मुँह की खा जाते हैं, गाजर साहब! आप क्या समझते हैं हमें?” शायर साहब कहाँ चुप बैठने वाले थे। बोल पड़े, “तुम्हारा सर! गाजर साहब हूँ मैं?” दर्शक हँसने लगे। चित्रकार महोदय ने अक्लमंदी दिखाते हुए कहा-” इनका मतलब है आपकी शायरी गाजर-मूली है और आप गाजर साहब हैं।” यह सुनकर क्रोधित शायर साहब ने उनकी चित्रकला को झाड़ फेरना, पोतना, पालिश करना, झख मारना तक कह दिया। चित्रकार महोदय ने शायर साहब को ‘चमगादड़’ तक कह दिया।
दोनों यूँ लड़े जा रहे थे कि राकेश मंच पर आया और कुर्सी पर बैठते हुए बोला कि मुझे आज अस्पताल में पट्टी बँधवाने में देर हो गई और तुमने इस तरह रिहर्सल की। अरे! कहीं गड़बड़ हो गई थी तो दुबारा रिहर्सल शुरू कर लेते। दर्शक शांत और भौंचक्के थे। वे नाटक बिगड़ने की सोच रहे थे, पर यहाँ तो नाटक में ही नाटक था। अब राकेश कह रहा था, “देखिए हमारे नाटक का नाम है-‘बड़ा कलाकार’ और बड़ा कलाकार अपनी कमियों को देखता और सुधारता है। आइए, फिर से रिहर्सल शुरू करते हैं। इसी के साथ पर्दा गिर जाता है और दर्शक अपने घर चले जाते हैं।