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DAV Class 7 Hindi Chapter 15 Question Answer – अन्नदाता कृषक
DAV Class 7 Hindi Ch 15 Question Answer – अन्नदाता कृषक
कविता में से
प्रश्न 1.
सुबह की हवा कैसी होती है? वह किसान को क्या कहकर जगाती है ?
उत्तर:
सुबह की हवा अत्यंत शीतल और मंद-मंद बहने वाली होती है। वह किसान को ‘उठो! सवेरा हो चुका है!’ कहकर जगाती है।
प्रश्न 2.
किसान अपने कर्मक्षेत्र में किसके साथ और कब पहुँचता है ?
उत्तर:
किसान अपने कर्मक्षेत्र में कंधे पर हल रखकर अपने साथी बैल के साथ आसमान में लाली फैलने से पहले पहुँचता है।
प्रश्न 3.
कविता में किसान को किसके समान कहा गया है?
उत्तर:
कविता में किसान को देवता संत, संन्यासी, गुरु और ईश्वर के समान बताया गया है।
प्रश्न 4.
किसान को अन्नदाता क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
किसान को अन्नदाता इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह अपने खेतों में मेहनत करके दूसरों के लिए अनाज उगाता है। यदि वह अन्न न उगाए तो दूसरे भूखे मर जाएँगे। वह अपना सारा जीवन दूसरों का पेट भरने में लगा देता है।
प्रश्न 5.
किसान स्वर्ग के द्वार कब प्राप्त करता है?
उत्तर:
जब किसान अपने अथक परिश्रम से खेतों में उगी फ़सलों में बालियाँ देखता है तो उसको ये बालियाँ स्वर्ग के द्वार जैसी दिखती हैं।
प्रश्न 6.
उचित उत्तर पर सही (✓) का चिह्न लगाइए-
(क) किसान अपने भगवान को कहाँ प्राप्त करता है?
तीर्थ स्थानों में
खेतों की मिट्टी में
खेतों के फ़सलों
हल और बैलों में
उत्तर:
खेतों की मिट्टी में
(ख) नर रूप में किसान को क्या कहा गया है?
भगवान
अन्नदाता
नारायण
परमात्मा
उत्तर:
अन्नदाता
(ग) कविता में ‘ धन्य’ किसे कहा गया है ?
किसान को
मानवता को
पंचतत्व को
कर्मक्षेत्र को
उत्तर:
किसान को
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
पौ फटते ही कौन शेर मचाता है ?
उत्तर:
पौ फटते ही पक्षी डाल पर शोर मचाते हैं।
प्रश्न 2.
कर्मभूमि के यज्ञ में किसान का साथ कौन – कौन देता है?
उत्तर:
कर्मभूमि के यज्ञ में किसान का साथ उसकी मेहनत, कंधे पर रखा हल और उसका साथी बैल देता है।
प्रश्न 3.
किसान को मानवता का मसीहा क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
किसान को मानवता का मसीहा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि किसान अनाज उगाकर दूसरों का पेट भरता है। यदि वह अन्न न उगाए तो मनुष्य भूखे मर जाएँगे।
प्रश्न 4.
‘तुझे नमन शत्-शत् मेरा’ में कौन किसे प्रणाम कर रहा है?
उत्तर:
‘तुझे नमन शत्-शत् मेरा’ में कवि नर के रूप में नारायण किसान को नमन और प्रणाम कर रहा है।
प्रश्न 5.
‘आराध्य’ से क्या तात्पर्य है? किसान को जगत का आराध्य क्यों कहा गया ?
उत्तर:
‘आराध्य’ से तात्पर्य उस व्यक्ति, देवता या काल्पनिक सत्ता से है, जिसकी पूजा की जाती है। किसान अपना जीवन मिटाकर दूसरों को जीवन देता है, वह खुद भूखा रहकर दूसरों की भूख शांत करता है। इसीलिए उसे अन्नदाता या जगत का आराध्य कहते हैं।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
यदि किसान अन्न, बीज न बोता तो क्या होता?
उत्तर:
यदि किसान अन्न, बीज न बोता तो फसल उत्पन्न नहीं होती । और जब फसल उत्पन्न नहीं होती तो लोगों को खाने के लिए अनाज नहीं मिलता। यदि अनाज नहीं उगता तो लोग भूखे मर जाते ।
प्रश्न 2.
‘चल उठ हो गई भोर’, यह कहकर ‘हवा’ किसान को जगाती है। यदि आपको अपने छोटे भाई या बहन को जगाना हो तो कैसे जगाएँगे?
उत्तर:
हम भी अपने छोटे भाई या बहन को जगाने के लिए कोई न कोई गाना, पक्षियों की आवाज़ें आदि निकालेंगे।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को ध्यान से पढ़कर इन्हें उदाहरण के अनुसार हिंदी की वाक्य रचना के अनुसार लिखिए –
उदाहरण – मानवता का तू है मसीहा
तू मानवता का मसीहा है।
(क) कांधे रख हल चल पड़ा वह
…………………………………
(ख) जा पहुँचा निज कर्मक्षेत्र में
…………………………………
(ग) यदि न बोता अन्न बीज तू
…………………………………
(घ) तुझे नमन शत्-शत् मेरा।
…………………………………
उत्तर:
(क) वह कांधे पर हल रख चल पड़ा।
(ख) निज कर्म क्षेत्र में जा पहुँचा।
(ग) यदि तू अन्न-बीज न बोता।
(घ) तुझे मेरा शत्-शत् नमन।
प्रश्न 2.
कविता में से ऐसी पाँच पंक्तियाँ छाँटिए, जिनमें एक ही वर्ण की आवृत्ति के कारण विशेष प्रकार का सौंदर्य उत्पन्न हुआ है। यह भी बताइए कि किस वर्ण की आवृत्ति हुई है?
उत्तर:
(क) ‘सुत, वित बनिता और परिवार’, सुत, वित, बनिता ( ‘त’ वर्ण की आवृत्ति )
(ख) ‘मानवता का तू है मसीहा’, मानवता, मसीहा (‘म’ वर्ण की आवृत्ति )
(ग) ‘प्रात: लालिमा से पहले’, लालिमा, पहले (‘ल’ वर्ण की आवृत्ति )
(घ) ‘नर रूप नारायण है तू’, नर, नारायण (‘न’ वर्ण की आवृत्ति)
(ङ) ‘यदि न बोता अन्न बीज तू’, बोता, बीज, न, अन्न (‘ब’ और ‘न’ वर्ण की आवृत्ति )
जीवन मूल्य
किसान का कर्मक्षेत्र उसके खेत हैं और वह परिश्रम कर सबकी भूख मिटाता है।
प्रश्न 1.
किसान देश के लिए अन्न उगाता है। आप अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
मैं देश के हित के लिए कभी अपने देश की बुराई नहीं करता । कभी ऐसे कर्म नहीं करता, जिससे देश की शान को धक्का लगे। मैं कूड़ा-करकट इधर-उधर नहीं फैलाता तथा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुँचाता हूँ और न ही उनका सौंदर्य नष्ट करता हूँ। मैं राष्ट्रध्वज तथा अन्य राष्ट्रीय प्रतीकों का आदर करता हूँ ।
प्रश्न 2.
किसान का कर्मक्षेत्र है- उसके खेत । आपका कर्मक्षेत्र क्या है?
उत्तर:
मेरा कर्म क्षेत्र विद्यालय है। मैं विद्यार्थी हूँ। विद्यालय मेरा मंदिर, पढ़ाई मेरी पूजा, गुरुजन ईश्वर तुल्य और पूजा से मिलने वाला फल, ज्ञान है।
कुछ करने के लिए
1. फसल उगाने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है? क्रम से बताइए।
2. ‘किसान’ पर आधारित अन्य कविताओं का संकलन कीजिए तथा उनमें से कोई एक कक्षा में सुनाइए।
3. निम्नलिखित फ़सलें किन-किन राज्यों में बहुत अधिक मात्रा में होती हैं? लिखिए-
प्रश्न 1.
फसल उगाने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है? क्रम से बताइए।
उत्तर:
‘फसल उगाने के लिए मिट्टी को मुलायम बनाने के लिए जुताई करना, बीज बोना, उनकी सिंचाई, देखभाल, निराई-गुड़ाई करना, कीट-पतंगों से बचाने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव फसल की कटाई आदि काम करना पड़ता है।
प्रश्न 2.
‘किसान’ पर आधारित अन्य कविताओं का संकलन कीजिए तथा उनमें से कोई एक कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
किसान पर आधारित कविताएँ –
(क) यदि होते तुम दीन कृषक तो आँख तुम्हारी खुल जाती,
जेठ माह के तप्त धूप में अस्थि तुम्हारी घुल जाती।
दाने बिना तरसते रहते, हरदम दुखड़े गाते तुम,
मुख से बात न आती कैसे बढ़-बढ़ बात बनाते तुम।
(ख) हे ग्राम देवता! नमस्कार।
सोने-चाँदी से नहीं किंतु
मिट्टी से तुमने किया प्यार।
हे ग्राम देवता! नमस्कार।
जन कोलाहल से दूर
कहीं एकाकी सिमटा-सा निवास,
रवि शशि का उतना नहीं
कि जितना प्राणों का होता प्रकाश
श्रम वैभव के बल पर करते हो
जड़ में चेतन का विकास
दानों-दानों में फूट रहे
सौ-सौ दानों के हरे हास,
यह है न पसीने की धारा,
यह गंगा की धवल धार!
हे ग्राम द्वता। नमस्कार।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित फ़सलें किन-किन राज्यों में बहुत अधिक मात्रा में होती हैं? लिखिए-
उत्तर:
फसल | राज्यों के नाम |
धान | हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, प० बंगाल |
गेहूँ | हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश |
गन्ना | उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र |
DAV Class 7 Hindi Ch 15 Solutions – अन्नदाता कृषक
I. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(क) किसान किसके साथ खेत की ओर चल पड़ा?
उत्तर:
किसान अपने बैलों के साथ खेत की ओर चल पड़ा।
(ख) किसान का मंदिर कहाँ है?
उत्तर:
किसान का मंदिर उसके खलिहान में है।
(ग) किसान किस प्रकार सबकी भूख मिटाता है ?
उत्तर:
किसान अन्न उगाकर सभी की भूख मिटाता है।
II. लघु उत्तरीय प्रश्न (30 से 35 शब्दों में)
किसान अपना जीवन किस प्रकार मिटा देता है ?
उत्तर:
किसान सर्दी, गर्मी, धूप, वर्षा आदि की परवाह किए बिना खेत में आजीवन काम करता है। उसका शरीर हड्डियों का ढाँचा मात्र रह जाता है। इस प्रकार वह समय से पहले ही बुड्ढा हो जाता है। प्रकृति की मार का उसे हमेशा भय बना रहता है, फिर भी वह परिश्रम कर अपना जीवन बिता देता है।
III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (70 से 80 शब्दों में)
यदि किसान अपना काम न करे तो इसका दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
यदि कोई मनुष्य काम नहीं करता तो उससे केवल उसी पर प्रभाव पड़ता है, पर यदि किसान अपना काम नहीं करता तो इसका असर सभी मनुष्यों पर पड़ता है। वह अपनी उगाई फ़सलों से केवल अपना ही भरण-पोषण नहीं करता बल्कि उससे दूसरे मनुष्यों का भी भरण-पोषण करता है।
कोई भी व्यक्ति आजीविका का चाहे जो साधन अपनाए, पर उसे पेट भरने के लिए अन्न पर ही निर्भर रहना पड़ता है। अन्न खाकर मनुष्य पलता बढ़ता है। किसान के काम न करने से अन्न का उत्पादन नहीं होगा। परिणामस्वरूप लोगों को भूख का सामना करना पड़ेगा और इसका असर संपूर्ण मानवता पर पड़ेगा।
IV. मूल्यपरक प्रश्न
किसान के चरित्र से आप क्या प्रेरणा ले सकते हैं?
उत्तर:
किसान सर्दी-गर्मी की परवाह किए बिना परिश्रम करता है, बिना किसी के कहे अपना कर्म-धर्म निभाता है तथा दूसरों का कल्याण करता है, यह सब हमारे लिए अनुकरणीय है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि किसान के चरित्र से हम परिश्रमी बनने, अपना कर्म-धर्म निभाने, परोपकारी बनने की प्रेरणा ले सकते हैं।
क्रियाकलाप
किसी किसान से मिलकर उसकी दिनचर्या के बारे में जानने का प्रयास करें तथा उसकी दिनचर्या से अपनी दिनचर्या की तुलना करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. पौ फटते ही ज्यों मचाए.
विहग डाल पर शोर,
शीतल मंद बयार जगाती.
चल उठ हो गई भांर।
कांधे रख हल चल पड़ा वह,
वृषभ सखा संग ले अपने.
जा पहुँचा निज कर्मक्षेत्र में,
प्रात: लालिमा से पहले।
शब्दार्थ –
पौ फटना – बड़े तड़के।
विहग – पक्षी।
शीतल – ठंडी।
मंद – धीमी।
बयार – हवा।
वृषभ – बैल।
निज – अपना।
कर्मक्षेत्र – खेत।
लालिमा – सूर्योदय के समय दिखाई देने वाली लाली।
प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश ‘ज्ञान सागर’ पाठ्यपुस्तक में संकलित कविता ‘अन्नदाता कृषक’ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘पूरन चंद्र काण्डपाल’ हैं। इस अंश में कवि ने किसान के परिश्रमी स्वभाव का वर्णन किया है।
व्याख्या – किसान की परिश्रमशीलता को देख कवि कहता है कि बड़े सवेरे ज्यों ही पक्षी डाल पर शोर मचाते हैं, उसी समय ठंडी सुंगधित हवा बहकर सवेरा होने का संदेश देती है और लोगों को जगाती है कि उठो! सवंरा हो चुका है। मनोरम प्रभातबेला में किसान अपने कंधे पर हल रखकर खेत की ओर चल पड़ता है। उसके साथ उसके साथी बैल होते हैं। वह आसमान में लाली फैलने से पहले ही अपने कर्मक्षेत्र खेत में जा पहुँचता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पौ फटते ही पक्षी क्या करते हैं?
(क) दाना चुगते हैं
(ख) बच्चों के लिए दाना लाते हैं।
(ग) शोर मचाते हैं
(घ) खेत में चले जाते हैं
उत्तर:
(ग) शोर मचाते हैं
प्रश्न 2.
सोए जनों को इनमें से कौन जगाती है?
(क) भोर
(ख) शोर
(ग) हवा
(घ) किसान
उत्तर:
(ग) हवा
प्रश्न 3.
किसान का साथी कौन है?
(क) खेत
(ख) फसल
(ग) पक्षी
(घ) बैल
उत्तर:
(घ) बैल
प्रश्न 4.
उसका कर्मक्षेत्र कहाँ है?
(क) बाग़-बगीचे में
(ख) खेत में
(ग) हल के पास
(घ) शीतल हवा में
उत्तर:
(ख) खेत में
प्रश्न 5.
कृषक खेत में कब पहुँच जाता है ?
(क) शीतल हवा बहते ही
(ग) चाँद छिपते ही
(ख) बैलों के जगने पर
(घ) सवेरे लाली दिखने से पहले
उत्तर:
(घ) सवेरे लाली दिखने से पहले
2. परिश्रम मेरा दीन-धरम है,
मंदिर हैं मेरे खलिहान,
पूजा – वंदना खेत है मेरी,
माटी में पाऊँ भगवान।
कर्मभूमि के यज्ञ में संग हैं, सुत,
वित बनिता और परिवार,
अन्न की बाली का दर्शन कर,
पा जाता मैं स्वर्ग का द्वार।
शब्दार्थ –
खलिहान – जहाँ कटी फ़सल एकत्र की जाती है।
माटी – मिट्टी।
संग – साथ।
सुत – बेटा।
वित – धन।
बनिता – पत्नी।
बाली – अनाज की बालियाँ।
प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश ‘ज्ञान – सागर’ पाठ्यपुस्तक में संकलित कविता ‘अन्नदाता कृषक’ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘पूरन चंद्र काण्डपाल’ हैं। इस अंश में कवि ने किसान की दशा उसी के मुँह से कहलवाया है।
व्याख्या – कवि किसान के शब्दों में कहता है कि मेहनत ही मेरा धर्म और विश्वास है । मेरा खलिहान ही मेरा मंदिर है, जहाँ मैं उपासना करता हूँ। खेती करना ही मेरी पूजा – वंदना है। मैं अपने खेत की मिट्टी में ही भगवान के दर्शन कर लेता हूँ।
इस कर्मभूमि के यज्ञ में अर्थात् खेत में अन्न उपजाते समय मेरी पत्नी, बेटा, मेरा परिवार और मेरे पास जो भी धन है, वह मेरा साथ देकर सहयोग करता है। खेत में उगी फ़सलों की बालियों का दर्शन कर मुझे लगता है कि मुझे स्वर्ग का द्वार मिल गया है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
किसका दीन-धरम परिश्रम है?
(क) पक्षियों का
(ख) बैलों का
(ग) किसान का
(घ) शीतल पवन का
उत्तर:
(ग) किसान का
प्रश्न 2.
किसान अपना भगवान कहाँ पा जाता है?
(क) मिट्टी में
(ख) फसल में
(ग) बालियों में
(घ) मंदिर में
उत्तर:
(क) मिट्टी में
प्रश्न 3.
कर्मभूमि के यज्ञ में उसके साथ कौन नहीं होता है?
(क) उसकी पत्नी
(ख) उसका परिवार
(ग) उसका पुत्र
(घ) उसका मित्र
उत्तर:
(घ) उसका मित्र
प्रश्न 4.
अन्न की बाली के रूप में वह क्या पा लेता है?
(क) भगवान
(ख) धन
(ग) यज्ञ के पुण्य
(घ) स्वर्ग जैसा सुख
उत्तर:
(घ) स्वर्ग जैसा सुख
प्रश्न 5.
किसान खलिहान को अपना क्या मानता है?
(क) मंदिर
(ख) ईश्वर
(ग) पूजा – वंदना
(घ) दीन-धरम
उत्तर:
(क) मंदिर
3. मानवता का तू है मसीहा,
सबकी भूख मिटाता है,
अवतारी तू इस मही पर,
परमेश्वर अन्नदाता है।
कृषक तेरी ऋणी रहेगी,
सकल जगत की मानवता,
यदि न बोता अन्न बीज तू,
क्या मानव कहीं टिक पाता ?
शब्दार्थ –
मानवता – मनुष्यता।
मसीहा – स्वामी, मालिक।
अवतारी – अवतार लिया हुआ।
मही – पृथ्वी।
अन्नदाता – अन्न देने वाला।
ऋणी – कर्ज़दार।
सकल – संपूर्ण।
जगत् – दुनिया।
प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश ‘ज्ञान सागर’ पाठ्यपुस्तक में संकलित कविता ‘अन्नदाता कृषक’ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘ पूरन चंद्र काण्डपाल’ हैं। इन पंक्तियों में कृषक की महिमा का वर्णन है।
व्याख्या – कवि किसान को ईश्वर के समान मानते हुए कहता है कि हे किसान। तू मानवता का स्वामी और उसे बनाए रखने वाला है। तू परिश्रम से फ़सल उगाकर धरती के प्राणियों की भूख शांत करता है। तू इस पृथ्वी पर ईश्वर का अवतार है, तू अन्न देने वाला ईश्वर है।
हे किसान। तुम्हारे अथक परिश्रम से उगाए अनाज़ को खाकर संपूर्ण संसार की मानवता तुम्हारा कर्ज़दार रहेगी। अगर तुम अनाज़ के बीज न बोते तो धरती पर मानवता न बचती। अर्थात् अनाज़ के अभाव में भूख से लोग मर जाते।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मानवता का मसीहा किसे कहा गया है ?
(क) कवि को
(ख) ईश्वर को
(ग) किसान को
(घ) मंदिर के देवताओं को
उत्तर:
(ग) किसान को
प्रश्न 2.
कृषक के लिए किस शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है?
(क) अवतारी
(ख) परमेश्वर
(ग) अन्नदाता
(घ) वृषभ सखा
उत्तर:
(घ) वृषभ सखा
प्रश्न 3.
किसान की ऋणी कौन रहेगी?
(क) मसीहा
(ख) मानवता
(ग) दीनता
(घ) दयालुता
उत्तर:
(ख) मानवता
प्रश्न 4.
मनुष्य कब टिक नहीं पाता ?
(क) किसान द्वारा कर्ज़ न देने पर
(ख) मसीहा न बनने पर
(ग) अनाज़ न उगाने पर
(घ) किसान के परमेश्वर बन जाने पर
उत्तर:
(ग) अनाज़ न उगाने पर
प्रश्न 5.
उपर्युक्त काव्यांश के कवि का नाम है-
(क) पूरन चंद्र काण्डपाल
(ख) विष्णु ‘कविरत्न’
(ग) नारायण लाल
(घ) डॉ. राम कुमार वर्मा
उत्तर:
(क) पूरन चंद्र काण्डपाल
4. जीवन अपना मिटा के देता,
है तू जीवन औरों को,
सुर, संत, संन्यासी, गुरु सम,
है आराध्य तू इस जग को।
धन्य है तेरे पंचतत्त्व को,
जिससे रचा है तन तेरा,
नर रूप नारायण है तू,
तुझे नमन शत-शत मेरा।
शब्दार्थ –
औरों – दूसरों।
सुर – देवता।
संत – साधु।
संन्यासी – घर र-गृहस्थी से दूर रहने वाले।
सम – समान।
आराध्य – जिसकी पूजा की जाए।
जग – संसार
पंच तत्त्व – पाँचों तत्त्वों (धरती, जल, आकाश, अग्नि और हवा) से मिलकर बना शरीर।
तन – शरीर।
नर – मनुष्य।
नारायण – ईश्वर।
शत शत – सैकड़ों बार।
प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश ‘ज्ञान – सागर’ पाठ्यपुस्तक में संकलित कविता ‘अन्नदाता कृषक’ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘पूरन चंद्र काण्डपाल’ हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने किसान को आराध्य मानते हुए उसे नमन किया है।
व्याख्या – कवि किसान को देखकर कहता है कि हे कृषक । तू अपना जीवन मिटाकर दूसरों को जीवन देता है। अर्थात् खेत में तू इतना परिश्रम करता है कि तू अपने शरीर की परवाह नहीं करता है। तुम देवताओं, संतों, संन्यासियों और गुरुओं के समान ही इस संसार के द्वारा पूजे जाने योग्य हो। तेरा पाँच तत्त्वों (धरती, आकाश, जल, आग और वायु) से बना शरीर धन्य है। तू अपनी इन महानताओं के कारण नर के रूप में नारायण अर्थात् ईश्वर है। ऐसे नर रूपी नारायण को मैं सैकड़ों बार प्रणाम करता हूँ।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कौन अपना जीवन मिटा देता है?
(क) मनुष्य
(ख) किसान
(ग) संत
(घ) संन्यासी
उत्तर:
(ख) किसान
प्रश्न 2.
किसान किसके समान पूजनीय है ?
(क) देवताओं के
(ख) गुरुओं के
(ग) संतों के
(घ) उपर्युक्त सभी कं
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी कं
प्रश्न 3.
पंच तत्त्व में इनमें से कौन-सा तत्व शामिल नहीं है?
(क) आग
(ख) आकाश
(ग) प्रकाश
(घ) पृथ्वी
उत्तर:
(ग) प्रकाश
प्रश्न 4.
कवि इनमें से किसे सैकड़ों बार नमस्कार करता है?
(क) देवताओं को
(ख) किसान को
(ग) गुरुओं को
(घ) सभी मनुष्यों को
उत्तर:
(ख) किसान को
प्रश्न 5.
इन पंक्तियों के रचयिता का नाम क्या है?
(क) नारायण लाल
(ख) रहीम
(ग) पूरन चंद्र काण्डपाल
(घ) तुलसीदास
उत्तर:
(ग) पूरन चंद्र काण्डपाल
अन्नदाता कृषक Summary in Hindi
कविता-परिचय –
अन्नदाता कृषक’ नामक पाठ में किसान की महत्ता का वर्णन है। उसे मानवता का मसीहा तथा धरती का अवतारी पुरुष कहा गया है, जिसका ऋणी सारा विश्व है। वह फसल न उपजाता तो संपूर्ण विश्व भूखा रह जाता। कवि उसे नर के रूप में नारायण मानकर शत-शत नमन करता है।
कविता का सार –
‘अन्नदाता कृषक’ कविता में परिश्रमी किसान का वर्णन है। वह प्रात:काल बैलों के साथ खेत पर चला जाता है। परिश्रम ही किसान का दीन-धरम और खलिहान उसका मंदिर है। वह मिट्टी में भगवान का दर्शन करना है। खेतों में उगी अन्न की बाली का दर्शन कर उसे लगता है कि वह स्वर्ग के दरवाज़े पर आ गया है। किसान सबकी भूख मिटाता है। ऐसे परिश्रमी किसान की सारी मानवता ऋणी रहेगी। वह संत, संन्यासी और गुरु के समान ही आराध्य और उपास्य है। कवि उसे ईश्वर मानकर नमस्कार करता है।