DAV Class 7 Hindi Chapter 13 Question Answer – साहस को सलाम

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DAV Class 7 Hindi Chapter 13 Question Answer – साहस को सलाम

DAV Class 7 Hindi Ch 13 Question Answer – साहस को सलाम

पाठ में से

प्रश्न 1.
अशोक कक्ष में उद्घोषक ने अरुणिमा सिन्हा का नाम क्यों पुकारा?
उत्तर:
अशोक कक्ष में उद्घोषक ने अरुणिमा सिन्हा का नाम देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री देने के लिए इसलिए पुकारा, क्योंकि उसने विकलांगता के बावजूद विश्व के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की थी।

प्रश्न 2.
पूरा अशोक हॉल करतल ध्वनि से क्यों गूँज उठा ?
उत्तर:
जैसे ही उद्घोषक ने विश्व की प्रथम विकलांग महिला पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा का नाम पद्मश्री के लिए पुकारा. पूरा अशोक हॉल करतल ध्वनि से गूंज उठा।

प्रश्न 3.
राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त करते हुए अरुणिमा अपने आपको कहाँ पाती है ?
उत्तर:
राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त करते हुए अरुणिमा अपने आपको रेल की पटरियों पर पड़ा पाती है, जहाँ उसके ऊपर से एक के बाद एक ट्रेनें धड़धड़ाती हुई गुज़र रही हैं।

प्रश्न 4.
दिल्ली जाते समय ट्रेन में अरुणिमा के साथ क्या घटना घटित हुई ?
उत्तर:
दिल्ली जाते समय ट्रेन में अरुणिमा के साथ बहुत बुरी घटना घटित हुई। 12 अप्रैल 2011 को अरुणिमा पद्मावती एक्सप्रैस से दिल्ली जा रही थी। उसे नोएडा में फुटबॉल मैच खेलना था। जिस डिब्बे में अरुणिमा सफर कर रही थी, उसमें अचानक कुछ लुटेरे घुस आए और लूट-मार करने लगे। जैसे ही एक लुटेरे ने उसकी चेन और पर्स छीनने का प्रयास किया तो अरुणिमा ने उसका विरोध किया।

वह अकेली थी और लुटेरों का पूरा गिरोह था। उन्होंने अरुणिमा को चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया। वह दूसरी पटरी से गुजरती ट्रेन से टकराकर गिर गई। ट्रेनें धड़ाधड़ उसके ऊपर से गुजर रहीं थीं। चूहे उसके कटे पाँव को कुतर रहे थे। उसे अपने जीवन का अंत निकट नज़र आ रहा था। अगली सुबह कुछ ग्रामीणों ने उसे देखा तो अस्पताल पहुँचाया।

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प्रश्न 5.
अस्पताल के बिस्तर पर पड़े हुए अरुणिमा ने क्या संकल्प लिया? और ईश्वर से क्या कहा ?
उत्तर:
अस्पताल के बिस्तर पर पड़े हुए अरुणिमा ने दुनिया के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर चरण अंकित करने का संकल्प लिया और उसने ईश्वर से कहा कि तूने मुझे विकलांग बनाया है। वह इस चुनौती को स्वीकार करती है। अब यह विकलांग विश्व की सबसे ऊँची चोटी पर ही तुझे धन्यवाद देगी।

प्रश्न 6.
अस्पताल से लौटकर अरुणिमा किससे मिली? उन्होंने उससे क्या कहा ?
उत्तर:
अस्पताल से लौटकर अरुणिमा अपने प्रेरणा-स्रोत बचेन्द्रीपाल से मिली। उन्होंने उससे कहा कि एक दिन तुम्हारा लक्ष्य तुम्हारे कदमों में होगा। तुम्हारा हौंसला माउंट एवरेस्ट से कहीं बड़ा

प्रश्न 7.
सफलता का राजमार्ग क्या है?
उत्तर:
खुद पर विश्वास, दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने लक्ष्य के प्रति संपूर्ण समर्पण ही सफलता का राजमार्ग है।

प्रश्न 8.
नीचे प्रत्येक प्रश्न के चार-चार उत्तर दिए गए हैं। उचित उत्तर पर सही (✓) का चिह्न लगाइए –
उत्तर:
(क) अरुणिमा दिल्ली कब जा रही थी ?
12 जनवरी 2011
12 अप्रैल 2011
12 मई 2011
12 मार्च 2011
उत्तर:
12 अप्रैल 2011

(ख) अरुणिमा को पद्मश्री का सम्मान किस वर्ष में मिला ?
2014 में
2015 में
2012 में
2013 में
उत्तर:
2015 में

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(ग) अरुणिमा लखनऊ से दिल्ली किस ट्रेन में जा रही थी ?
लखनऊ एक्सप्रैस से
पद्मावती एक्सप्रैस से
दिल्ली एक्सप्रैस से
लखनऊ दिल्ली एक्सप्रैस से
उत्तर:
लखनऊ एक्सप्रैस से

(घ) अरुणिमा ने एवरेस्ट पर कब जीत प्राप्त की?
21 जून 2013
21 मई 2013
21 जुलाई 2011
21 अगस्त 2011
उत्तर:
21 जून 2013

बातचीत के लिए

प्रश्न 1.
अरुणिमा की तंद्रा कब भंग हुई?
उत्तर:
अरुणिमा की तंद्रा उद्घोषक द्वारा पद्मश्री के लिए उसका नाम पुकारने पर भंग हुई।

प्रश्न 2.
अरुणिमा के मस्तिष्क में सारी घटनाएँ किस तरह आ-जा रही थीं?
उत्तर:
अरुणिमा के मस्तिष्क में सारी घटनाएँ किसी फ़िल्मी रील की तरह आ-जा रही थीं।

प्रश्न 3.
सभी लोग अरुणिमा का उपहास क्यों उड़ाते थे?
उत्तर:
सभी लोग अरुणिमा का उपहास इसलिए उड़ाते थे, क्योंकि रेल दुर्घटना के बाद डॉक्टरों ने उसका बायाँ पैर घुटने के नीचे से काट दिया था। उसके बाद अरुणिमा ने दुनिया के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का संकल्प लिया, जो इस अवस्था में मुश्किल जरूर था, पर असंभव नहीं। उसके इस संकल्प को जानकर लोग उसका उपहास उड़ाते थे।

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प्रश्न 4.
पर्वतारोहण का अभ्यास करते हुए अरुणिमा हताश क्यों हो जाती थी ?
उत्तर:
पर्वतारोहण का अभ्यास करते हुए अरुणिमा हताश इसलिए हो जाती थी क्योंकि जिस चढ़ाई पर सामान्य पर्वतारोही पंद्रह मिनट में चढ़ जाते थे, उस चढ़ाई पर पहुँचने के लिए उसे दो घंटे से भी अधिक समय लगता था।

प्रश्न 5.
अरुणिमा सारी दुनिया को क्या बताना चाहती थी ?
उत्तर:
अरुणिमा सारी दुनिया को बताना चाहती थी कि उसने उन लुटेरों को जवाब दे दिया है, जिन्होंने उसे एक अबला समझकर ट्रेन से बाहर फेंक दिया था। उसने सारी दुनिया को दिखा दिया कि हाथ-पैर कटने से कोई विकलांग नहीं होता बल्कि विकलांगता तो एक मनोदशा है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
यदि अरुणिमा के जीवन में यह हादसा न हुआ होता तो उसका जीवन कैसा होता?
उत्तर:
यदि अरुणिमा के जीवन में यह हादसा न हुआ होता तो उसका जीवन और अधिक सुखमय होता । वह फुटबॉल की
अच्छी खिलाड़ी थी, वह सही होती तो संभवत: देश की फुटबॉल टीम का नेतृत्व करती। वह लोगों के उपहास का साधन न बनती।

प्रश्न 2.
यदि शारीरिक रूप से विकलांग सभी व्यक्ति अरुणिमा सिन्हा जितनी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प से संपन्न हो जाएँ तो उनके जीवन में क्या परिवर्तन आ सकता है?
उत्तर:
यदि शारीरिक रूप से विकलांग सभी व्यक्ति अरुणिमा सिन्हा जितनी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प से संपन्न हो जाएँ तो उनके जीवन में भी बहुत अधिक परिवर्तन आ सकता है। वे यदि अपनी शक्ति को अरुणिमा की तरह पहचान लेते हैं तो कोई भी साहसिक कारनामा करके अपना नाम विश्व पटल पर अंकित कर सकते हैं। उन्हें ज़िदगी में निराश होने की बजाय साहस के साथ आगे बढ़कर सफलता को पाना चाहिए।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
पाठ में आए हुए शब्दों से उपसर्ग-प्रत्यय व मूल शब्द अलग कीजिए-
DAV Class 7 Hindi Chapter 13 Question Answer - साहस को सलाम - 1
उत्तर:

शब्द उपसर्ग प्रत्यय मूल शब्द
(क) सुसज्जित सु इत सज्जा
(ख) विकलांगता ता विकलांग
(ग) दुर्घटना दुर ना घट
(घ) सफलता ता फल
(ङ) विशिष्ट वि प्रत्यय शिष्ट

प्रश्न 2.
पाठ में आए हुए कोई चार अनुस्वार और चार अनुनासिक शब्दों को लिखिए-
DAV Class 7 Hindi Chapter 13 Question Answer - साहस को सलाम - 2
उत्तर:

अनुस्वार अनुनासिक
(क) माउंट (क) बाँई
(ख) संकल्प (ख) ऊँची
(ग) अंत (ग) गँवाए
(घ) विकलांग (घ) पहुँची

प्रश्न 3.
पाठ में आए मुहावरों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
DAV Class 7 Hindi Chapter 13 Question Answer - साहस को सलाम - 3
उत्तर:
(क) उपहास उड़ाना हमें कभी किसी का उपहास नहीं उड़ाना चाहिए ।
(ख) सपनों को साकार करना राधा ने अपनी मेहनत द्वारा अपने सपनों को साकार किया ।

जीवन मूल्य

प्रश्न 1.
दुनिया के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर अपने चरण- चिह्न अंकित करने का मैंने ( अरुणिमा ने ) संकल्प लिया – (क) जीवन में आगे बढ़ने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
जीवन में आगे बढ़ने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना बहुत आवश्यक है। लक्ष्य के बिना जीवन नीरस और निरर्थक है। लक्ष्य निर्धारित करने के बाद ही मनुष्य सही दिशा में आगे बढ़ सकता है। लक्ष्य ही उसे विभिन्न कठिनाइयों और चुनौतियों से लड़ने का हौसला और साहस प्रदान करता है। लक्ष्य प्राप्ति के बाद जो आनंद की अनुभूति होती है, उसे शब्दों में बयाँ करना मुश्किल है।

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प्रश्न 2.
खुद पर विश्वास, दृढ़ इच्छाशक्ति और लक्ष्य के प्रति समर्पण यही सफलता का राजमार्ग है –

(क) आपके जीवन का क्या लक्ष्य है?
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

(ख) इन गुणों को अपनाकर आप अपने जीवन में किस प्रकार सफलता प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

कुछ करने के लिए

1. गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति कुछ विशिष्ट सम्मान प्रदान करते हैं। जैसे- पद्मश्री । उनकी सूची बनाइए ।
2. ऐसे किन्हीं दो महापुरुषों के बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए, जिन्होंने आत्मविश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति से समाज को बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है।
3. एवरेस्ट चोटी पर विजय प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला ‘बचेन्द्रीपाल’ के जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए ।
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प्रश्न 1.
गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति कुछ विशिष्ट सम्मान प्रदान करते हैं। जैसे- पद्मश्री । उनकी सूची बनाइए ।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
ऐसे किन्हीं दो महापुरुषों के बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए, जिन्होंने आत्मविश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति से समाज को बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
एवरेस्ट चोटी पर विजय प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला ‘बचेन्द्रीपाल’ के जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए ।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

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DAV Class 7 Hindi Ch 13 Solutions – साहस को सलाम

I. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अरुणिमा सिन्हा, विश्व की कौन-सी महिला पर्वतारोही है, जिसने विकलांगता के बावजूद एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की?
(क) प्रथम
(ख) द्वितीय
(ग) तृतीय
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) प्रथम

प्रश्न 2.
अरुणिमा सिन्हा को किसने पुरस्कार प्रदान किया?
(क) प्रधानमंत्री ने
(ख) राज्यपाल ने
(ग) पंजाब
(घ) राष्ट्रपति ने
उत्तर:
(घ) राष्ट्रपति ने

प्रश्न 3.
अरुणिमा सिन्हा पद्मावती एक्सप्रैस से कहाँ जा रही थी ?
(क) नोएडा
(ख) दिल्ली
(ग) पंजाब
(घ) मुंबई
उत्तर:
(ख) दिल्ली

प्रश्न 4.
अरुणिमा सिन्हा के भाई का क्या नाम था ?
(क) सूरजभान
(ख) जयप्रकाश
(ग) ओमप्रकाश
(घ) सूर्यप्रताप
उत्तर:
(ग) ओमप्रकाश

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प्रश्न 5.
अरुणिमा सिन्हा किसे अपना प्रेरणा स्रोत मानती थी?
(क) बचेन्द्रीपाल
(ख) पी०टी० उषा
(ग) मल्लेश्वरी
(घ) साइना नेहवाल
उत्तर:
(क) बचेन्द्रीपाल

प्रश्न 6.
अरुणिमा सिन्हा का संकल्प किस तिथि को साकार हुआ?
(क) 20 मई, 2012
(ख) 21 मई, 2013
(ग) 13 जुलाई, 2014
(घ) 15 अगस्त, 2015
उत्तर:
(ख) 21 मई, 2013

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न

(क) अरुणिमा सिन्हा को कहाँ और किसके द्वारा सम्मानित किया गया ?
उत्तर:
अरुणिमा सिन्हा को राष्ट्रपति भवन के अशोक हाल में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया।

(ख) अरुणिमा के साथ किस दिन रेल दुर्घटना घटित हुई ?
उत्तर:
अरुणिमा के साथ 12 अप्रैल 2011 को रेल दुर्घटना घटित हुई।

(ग) अरुणिमा से लुटेरे ने क्या छीनने का प्रयास किया?
उत्तर:
अरुणिमा से लुटेरे ने उसकी चेन और पर्स छीनने का प्रयास किया।

(घ) अरुणिमा कौन-कौन सा खेल खेलती थी?
उत्तर:
अरुणिमा फुटबॉल और बॉलीबॉल खेलती थी।

(ङ) अरुणिमा ने किसे विकलांगता माना है?
उत्तर:
अरुणिमा ने मनोदशा को विकलांगता माना है।

(घ) अरुणिमा कौन – कौन सा खेल खेलती थी ?
उत्तर:
अरुणिमा फुटबॉल और बॉलीबॉल खेलती थी।

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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (30 से 35 शब्दों में )

(क) राष्ट्रपति भवन में क्या हो रहा था ?
उत्तर:
राष्ट्रपति भवन का अशोक हॉल देश के गणमान्य विशिष्ट अतिथियों से भरा था । माननीय राष्ट्रपति द्वारा उन्हें उनके अदम्य साहस व अद्भुत प्रदर्शन के आधार पर देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया जा रहा था। जैसे ही उद्घोषक नाम पुकारता, पूरा हॉल करतल ध्वनि से गूँज उठता।

(ख) अरुणिमा सिन्हा को अपने जीवन का अंत निकट क्यों नज़र आ रहा था ?
उत्तर:
अरुणिमा सिन्हा को अपने जीवन का अंत निकट इसलिए नज़र आ रहा था क्योंकि पिछले सात घंटों से वह रेल की पटरी पर असहाय पड़ी थी। उसकी सहायता करने वाला कोई नज़र नहीं आ रहा था। चूहे उसके कटे पाँव को कुतर रहे थे। मानसिक रूप से जागृत होते हुए भी पूरा शरीर निर्जीव लग रहा था। वह चलने-फिरने की स्थिति में नहीं थी।

(ग) अरुणिमा ने अपना लक्ष्य कैसे प्राप्त किया?
उत्तर:
अरुणिमा ने लोगों के उपहास की परवाह न करते हुए अपनी कमज़ोरी को ही अपनी शक्ति बना लिया। उसने पर्वतारोहण के अभ्यास के दौरान उत्पन्न चुनौतियों को भी दरकिनार करते हुए अपना अभ्यास जारी रखा। वह अपनी निराशा को भी आशा में बदलकर आगे बढ़ती चली गई। प्रत्येक बाधा ने उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति के सामने दम तोड़ दिया। अंत में उसकी मेहनत रंग लाई और वह अपने लक्ष्य तक पहुँचने में कामयाब हो गई। इस प्रकार अरुणिमा ने अपना लक्ष्य प्राप्त किया।

मूल्यपरक प्रश्न

‘साहस को सलाम’ पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
‘साहस को सलाम’ पाठ से हमें साहसी बनने, कठिनाइयों में हौसला बनाए रखने, अन्याय न सहने, खुद पर विश्वास रखने, दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण भाव की शिक्षा मिलती है। इसके अलावा लक्ष्य की राह में आने वाली चुनौतियों की परवाह न करते हुए आगे बढ़ते जाने की भी शिक्षा मिलती है।

क्रियाकलाप

पुस्तकालय से किसी साहसिक व्यक्ति की आत्मकथा लेकर पढ़िए और उसे अपनी कक्षा सुनाइए ।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

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अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

प्रश्न 1.
अरुणिमा सिन्हा, विश्व की प्रथम महिला पर्वतारोही जिन्होंने अदम्य साहस का परिचय देते हुए विकलांगता के बावजूद विश्व के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की। पूरा अशोक हॉल करतल ध्वनि से गूँज रहा है। मैं माननीय राष्ट्रपति जी से पद्मश्री प्राप्त कर रही हूँ। पर मैं स्वयं को रेल की पटरियों पर पड़ा पाती हूँ। मेरी बाँईं टाँग घुटने के नीचे से कट गई। दूसरी टाँग भी जख्मी है। मेरे ऊपर से एक के बाद एक ट्रेन धड़धड़ाती हुई गुज़र रही हैं। रीढ़ की हड्डी में भयानक पीड़ा हो रही है। वह भी कई जगह से टूट गई है। मेरे मस्तिष्क में सारी घटनाएँ किसी फ़िल्मी रील की तरह आ-जा रही हैं।

प्रश्न –
(क) अरुणिमा सिन्हा कौन है?
(ख) विकलांगता के बावजूद अरुणिमा सिन्हा ने किस पर विजय प्राप्त की?
(ग) कौन किससे, क्या प्राप्त कर रही है?
(घ) अरुणिमा सिन्हा को कहाँ भयानक पीड़ा हो रही है?
(ङ) अरुणिमा सिन्हा के मस्तिष्क में क्या चल रहा है?
उत्तर:
(क) अरुणिमा सिन्हा विश्व की प्रथम विकलांग महिला पर्वतारोही है।
(ख) विकलांगता के बावजूद अरुणिमा सिन्हा ने माउंट एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की ।
(ग) अरुणिमा सिन्हा राष्ट्रपति से पद्मश्री सम्मान प्राप्त कर रही है।
(घ) अरुणिमा सिन्हा को रीढ़ की हड्डी, जो कई जगह से टूट गई है, में भयानक पीड़ा हो रही है।
(ङ) अरुणिमा सिन्हा के मस्तिष्क में उसके साथ घटित सारी घटनाएँ फ़िल्मी रील की तरह चल रही हैं।

2. 12 अप्रैल 2011 का अभागा दिन- मैं लखनऊ से पद्मावती एक्सप्रैस से दिल्ली जा रही थी। मुझे नोएडा में फुटबॉल मैच खेलना था। रेल के सामान्य श्रेणी के इस डिब्बे में अचानक कुछ लुटेरे घुस आए और लूटमार करने लगे। जैसे ही एक लुटेरे ने मेरी चेन और पर्स छीनने की कोशिश की, मैं उनसे भिड़ गई। मैं अकेली और लुटेरों का पूरा गिरोह।

उन्होंने मुझे चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया। मैं दूसरी पटरी से गुजरती हुई ट्रेन से टकराकर गिर गई। पूरे सात घंटों तक मैं पटरी पर ही असहाय पड़ी रही। मेरा पूरा शरीर निर्जीव हो चुका था। पर मानसिक रूप से मैं जागृत थी। मुझे लगा कि जीवन का अंत अब निकट है। चूहे मेरे कटे पाँव को कुतर रहे थे। पर उन्हें भगाने की शक्ति मुझमें नहीं थी। सुबह कुछ ग्रामीणों ने मुझे देखा तो मुझे अस्पताल पहुँचाया।

प्रश्न –
(क) कौन, कहाँ जा रही थी?
(ख) अरुणिमा सिन्हा नोएडा क्या करने जा रही थी ?
(ग) अरुणिमा सिन्हा लुटेरे से क्यों भिड़ गई ? (घ) लुटेरों के गिरोह ने क्या किया ?
(ङ) अरुणिमा की हालत कैसी थी ?
उत्तर:
(क) अरुणिमा सिन्हा लखनऊ से पद्मावती एक्सप्रैस से दिल्ली जा रही थी ।
(ख) अरुणिमा सिन्हा नोएडा फुटबॉल मैच खेलने जा रही थी।
(ग) अरुणिमा सिन्हा लुटेरे से इसलिए भिड़ गई क्योंकि लुटेरे ने उसकी चेन और पर्स छीनने की कोशिश की। (घ) लुटेरों के गिरोह ने अरुणिमा सिन्हा को चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया।
(ङ) अरुणिमा की हालत बड़ी दयनीय थी। ट्रेनें उसके ऊपर से गुज़र रही थीं। उसकी सहायता करने वाला कोई नहीं था। चूहे उसके कटे पाँव को कुतर रहे थे।

DAV Class 7 Hindi Chapter 13 Question Answer - साहस को सलाम

3. डॉक्टरों ने मेरी जान बचाने के लिए मेरी बाँईं टाँग को काटकर अलग कर दिया। बरेली के स्थानीय अस्पताल से लखनऊ मेडिकल कॉलेज होते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पहुँच गई थी। मुझे चारों ओर अँधेरा ही अँधेरा दिखाई दे रहा था। फुटबॉल और बॉलीबाल की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी का ऐसा भयानक अंत। मुझे मंजूर नहीं था । ऐसी स्थिति में बिस्तर पर पड़े हुए मैंने संकल्प लिया- “दुनिया के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर अपने चरण- चिह्न अंकित करने का। मैंने ईश्वर से कहा- तूने मुझे विकलांग बनाया है। मैं यह चुनौती स्वीकार करती हूँ। अब यह विकलांग विश्व की सबसे ऊँची चीटी पर ही तुझे धन्यवाद देगी । “

प्रश्न –
(क) डॉक्टरों ने अरुणिमा सिन्हा की जान बचाने के लिए क्या किया?
(ख) अरुणिमा सिन्हा को बरेली के स्थानीय अस्पताल से कहाँ भेजा गया?
(ग) अरुणिमा सिन्हा फुटबॉल के अलावा और कौन-सा खेल खेलती थी ? (घ) अरुणिमा सिन्हा ने क्या संकल्प लिया?
(ङ) अरुणिमा सिन्हा ने ईश्वर को क्या कहा ?
उत्तर:
(क) डॉक्टरों ने अरुणिमा सिन्हा की जान बचाने के लिए उसकी बाँईं टाँग को काटकर अलग कर दिया।
(ख) अरुणिमा सिन्हा को बरेली के स्थानीय अस्पताल से लखनऊ मेडिकल कॉलेज होते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भेजा गया।
(ग) अरुणिमा सिन्हा फुटबॉल के अलावा बॉलीबॉल खेलती थी।
(घ) अरुणिमा सिन्हा ने संकल्प लिया कि एक दिन वह दुनिया के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर पहुँचेगी।
(ङ) अरुणिमा सिन्हा ने ईश्वर को कहा कि वह विकलांगता की चुनौती को स्वीकार करते हुए उसे विश्व की सबसे ऊँची चोटी पर धन्यवाद देगी।

4. बचेन्द्रीपाल से मिलकर मैं आत्मविश्वास से भर उठी। मैं बिना समय गँवाए उनसे पर्वतारोहण के सारे गुर सीख लेना चाहती थी। उनके मार्गदर्शन में मैंने पर्वतारोहण का अभ्यास शुरू किया। प्रारंभ में मेरी शारीरिक चुनौतियों ने कई बार मुझे निराश किया। सामान्य पर्वतारोही पंद्रह मिनट में जितनी चढ़ाई कर लेते हैं मुझे उसमें दो घंटे से भी अधिक समय लग जाता था।

कई बार मेरे मन में हताशा भी पैदा हुई लेकिन अंत में जीत मेरे हौसले की ही हुई। 21 मई 2013 को सुबह के दस बजकर पचपन मिनट पर आखिर वह घड़ी आ पहुँची जब मेरा संकल्प साकार हो गया। मैं अरुणिमा सिन्हा, एक विकलांग, अपने संकल्प और दृढ़ निश्चय के बल पर दुनिया की छत पर खड़ी होकर तिरंगे का आलिंगन कर रही हूँ।

प्रश्न –
(क) अरुणिमा सिन्हा किससे मिलकर आत्मविश्वास से भर उठी?
(ख) अरुणिमा सिन्हा ने किसके मार्गदर्शन में पर्वतारोहण का अभ्यास शुरू किया ?
(ग) अरुणिमा सिन्हा की निराशा किस कारण थी और क्यों?
(घ) 21 मई 2013 की सुबह क्या हुआ ?
(ङ) दुनिया की छत पर खड़ी अरुणिमा सिन्हा क्या कर रही है?
उत्तर:
(क) अरुणिमा सिन्हा बचेन्द्रीपाल से मिलकर आत्मविश्वास से भर उठी।
(ख) अरुणिमा सिन्हा ने बचेन्द्रीपाल के मार्गदर्शन में पर्वतारोहण का अभ्यास शुरू किया।
(ग) अरुणिमा सिन्हा की निराशा उसकी शारीरिक चुनौतियों के कारण थी, क्योंकि सामान्य पर्वतारोही पंद्रह मिनट में जितनी चढ़ाई कर लेते थे, उतने में वह दो घंटे से भी अधिक समय लेती थी।
(घ) 21 मई 2013 की सुबह अरुणिमा सिन्हा का माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का संकल्प साकार हो गया।
(ङ) दुनिया की छत पर खड़ी अरुणिमा सिन्हा तिरंगे का आलिंगन कर रही है।

DAV Class 7 Hindi Chapter 13 Question Answer - साहस को सलाम

शब्दार्थ
पृष्ठ संख्या – 76.
विश्व – संसार।
शिखर – चोटी।
करतल – ताली।
भयानक – बहुत अधिक।
मस्तिष्क – दिमाग।
अभागा – बुरा।
अचानक – एकदम।
कोशिश – प्रयास।

पृष्ठ संख्या – 77.
जीवन का अंत – मृत्यु।
निकट- नजदीक।
ग्रामीण – गाँव के लोग
मंजूर – स्वीकार।
अटल – पक्का ।
पल-क्षण सामान्य – आम।

पृष्ठ संख्या-78.
अधभरे – आधे भरे हुए।
साकार – पूरा।
पीठ थपथपाना – शाबाशी देना।
लक्ष्य – मंज़िल।
बाधा – कठिनाई।

साहस को सलाम Summary in Hindi

पाठ-परिचय

‘साहस को सलाम’ नामक पाठ एक ऐसी लड़की के अदम्य साहस की गाथा है, जिसने अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बनाकर अपना वह संकल्प पूरा किया, जिसका सब उपहास उड़ाते थे। यह पाठ हमें खुद पर विश्वास, दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण भावना की प्रेरणा देता है।

पाठ का सार

राष्ट्रपति भवन का अशोक कक्ष देश के गणमान्य विशिष्ट व्यक्तियों से भरा है। उद्घोषक देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री के लिए एक-एक व्यक्ति का नाम पुकार रहा है। फिर नाम आता है अरुणिमा सिन्हा का जिन्होंने अदम्य साहस का परिचय देते हुए विकलांगता के बावजूद विश्व के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। नाम सुनते ही यादों में खांई अरुणिमा सिन्हा वास्तविकता में लौटती है और करतल ध्वनि से सारा कक्ष गूँज उठता है।

राष्ट्रपति जी से पद्मश्री प्राप्त करते हुए, वह फिर उन यादों में खो जाती है, जिन्होंने उसके जीवन को पूरे तरीके से झकझोर कर रख दिया। घटना है 12 अप्रैल 2011 की, जब अरुणिमा सिन्हा नोएडा में फुटबॉल मैच खेलने के लिए लखनऊ से पद्मावती एक्सप्रैस से दिल्ली जा रही थी। अचानक कुछ लुटेरे लूट-मार करने के लिए ट्रेन में घुसे।

DAV Class 7 Hindi Chapter 13 Question Answer - साहस को सलाम

एक लुटेरे ने अरुणिमा सिन्हा की चेन और पर्स छीनने की कोशिश की, लेकिन अरुणिमा ने इसका विरोध किया। फिर पूरे गिरोह ने मिलकर उसे चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया। सारी रात वह रेल की पटरी पर असहाय पड़ी रही। ट्रेनें ऊपर से गुजरती रहीं। चूहे उसके कटे पाँव को कुतरते रहे।

उसे लग रहा था जैसे उसके जीवन का अंत हो जाएगा। सुबह कुछ ग्रामीणों ने उसे देखा और अस्पताल पहुँचाया। डॉक्टरों ने उसकी जान बचाने के लिए उसकी बाँईं टाँग घुटने के नीचे से काट दी। उस राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी ने कभी अपने इस अंजाम के बारे में सोचा भी नहीं था। परंतु उसने हार नहीं मानी।

अस्पताल में बिस्तर पर पड़े पड़े उसने संकल्प लिया कि वह एक न एक दिन माउंट एवरेस्ट, जो विश्व का सर्वोच्च शिखर है, पर तिरंगा जरूर फहराएगी। पर उसके संकल्प को जानकर सभी लोग उसका उपहास उड़ाते थे। लेकिन उसका भाई ओम प्रकाश सिन्हा और उसके पूरे परिवार ने उसका हौसला बढ़ाया।

अस्पताल से निकलने के बाद वह अपनी प्रेरणा स्रोत बचेन्द्रीपाल से मिली। उन्होंने उसकी पीठ थपथपाकर कहा- एक दिन तुम्हारा लक्ष्य तुम्हारे कदमों में होगा। बचेन्द्रीपाल के मार्गदर्शन में उसने पर्वतारोहण का अभ्यास शुरू किया। कई बार अरुणिमा को उसकी शारीरिक चुनौतियों ने निराश भी किया, लेकिन उसने हार नहीं मानी।

आखिरकार 21 मई, 2013 को सुबह दस बजकर पचपन मिनट पर वह पल आ गया, जब उसका संकल्प साकार हो गया। दुनिया की छत पर खड़ी होकर तिरंगे का आलिंगन करते हुए वह दुनिया को बताना चाहती हैं कि जिन लुटेरों ने उसे अबला समझकर ट्रेन से बाहर फेंक दिया था, उनका जवाब आज उसने दे दिया है।

DAV Class 7 Hindi Chapter 13 Question Answer - साहस को सलाम

वह कहती है कि उसने विश्व को दिखा दिया है कि हाथ-पैर कटने से कोई विकलांग नहीं होता, वास्तव में विकलांगता तो एक मनोदशा है। अंत में वह कहती है- जो लोग अपनी कमजोरी को ताकत बनाकर आगे बढ़ते हैं, हमेशा अपने लक्ष्य पर ध्यान रखते हैं, लोगों की परवाह नहीं करते उनका बाधाएँ भी रास्ता नहीं रोक सकतीं। वही लोग अपने सपने साकार कर सकते हैं जो आत्मविश्वास, दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने लक्ष्य के प्रति संपूर्ण समर्पण भाव लेकर आगे बढ़ते हैं। यही सफलता का राजमार्ग है । उसका जीवन इस बात का जीवंत प्रमाण है।