Regular practice using DAV Class 7 Hindi Solutions and DAV Class 7 Hindi Chapter 12 Question Answer – दोहे are essential for improving writing and analytical skills.
DAV Class 7 Hindi Chapter 12 Question Answer – दोहे
DAV Class 7 Hindi Ch 12 Question Answer – दोहे
पाठ में से
प्रश्न 1.
संसार को अपना किस प्रकार बनाया जा सकता है?
उत्तर:
मीठे बोल तथा अच्छे व्यवहार द्वारा संसार को अपना बनाया जा सकता है।
प्रश्न 2.
साधु की तुलना किससे की गई है और क्यों?
उत्तर:
साधु की तुलना सूप से की गई है, क्योंकि जिस प्रकार सूप मोटे और काम लायक अनाज को रखकर बेकार की वस्तुएँ और खोखले अनाज उड़ा देता है, उसी प्रकार साधु भी काम की बातें अपनाकर बाकी सबको त्याग देता है।
प्रश्न 3.
दूसरों की भलाई करने वाले ही बड़े लोग होते हैं-रहीम जी ने कौन-सा उदाहरण देकर यह बात बताई है?
उत्तर:
दूसरों की भलाई करने वाले ही बड़े लोग होते हैं- रहीम जी ने श्री कृष्ण और सुदामा का उदाहरण देकर यह बात बताई है।
प्रश्न 4.
अपनी सामर्थ्य के अनुसार कार्य करने से क्या लाभ होता है?
उत्तर:
अपनी सामर्थ्य के अनुरूप कार्य करने से हम किसी संकट या परेशानी में नहीं पड़ते और उपहास का पात्र भी नहीं बनते।
प्रश्न 5.
पाठ के आधार पर नीचे कुछ कथन दिए गए हैं। सही कथनों के सामने सही (✓) का और गलत के सामने गलत (✗) का निशान लगाइए-
(क) जब कोई इच्छा होती है तो चिंता भी लगी रहती है। ( )
(ख) हमें अवसर के अनुकूल बात करनी चाहिए। ( )
(ग) हमें कार्य करने के बाद अपनी सामर्थ्य देखनी चाहिए। ( )
(घ) समय से पूर्व किसी कार्य की पूर्णता के लिए अधीर होना चाहए। ( )
उत्तर:
(क) जब कोई इच्छा होती है तो चिंता भी लगी रहती है। (✓)
(ख) हमें अवसर के अनुकूल बात करनी चाहिए। (✓)
(ग) हमें कार्य करने के बाद अपनी सामर्थ्य देखनी चाहिए। (✓)
(घ) समय से पूर्व किसी कार्य की पूर्णता के लिए अधीर होना चाहए। (✓)
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
तुच्छ व्यक्तियों से बैर और दोस्ती क्यों अच्छी नहीं होती?
उत्तर:
तुच्छ व्यक्तियों से बैर करने पर वे हमें कहीं का नहीं छोड़ेंगे, क्योंकि उनमें मानवता का अभाव होता है और उनसे मित्रता करने पर हमारी गणना भी तुच्छ व्यक्तियों में ही की जाती है।
प्रश्न 2.
रहीम ने शाहों के शाह की किन-किन विशेषताओं को उजागर किया है?
उत्तर:
रहीम ने शाहों के शाह की निम्नलिखित विशेषताओं को उजागर किया है –
- वे अपनी इच्छाओं और कामनाओं को अपने काबू में रखते हैं।
- वे चिंतामुक्त होकर बेफिक्री का जीवन जीते हैं।
प्रश्न 3.
अवसर के अनुसार बात न करने के क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर:
अवसर के अनुकूल बात न करने पर अच्छी बात का भी कोई महत्व नहीं रह जाता और वह महत्वहीन बनकर रह जाती है, जैसे युद्ध के समय श्रृंगारिक कविता अच्छी नहीं लगती है।
प्रश्न 4.
समय से ही सब कार्य होते हैं। इस बात को समझाने के लिए आप कौन-से उदाहरण देना चाहेंगे?
उत्तर:
समय से ही सब कार्य होते हैं। इस बात को समझने के लिए हम निम्नलिखित उदाहरण देना चाहेंगे-
प्रकृति का ऋतु – चक्र
सूर्य का उदय – अस्त होना
दिन-रात का आना-जाना
स्कूलों का लगना
धार्मिक स्थलों पर सुबह-शाम की प्रार्थनाएँ आदि।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
मान लीजिए कि आपके पिता आपको जेब खर्च के लिए हर महीने सौ रुपए देते हैं। आप उसे किस तरह खर्च करेंगे?
उत्तर:
मैं अपने पिता द्वारा जेब खर्च के लिए हर महीने दिए गए सौ रुपये को अपने दोस्तों की मदद और अन्य गरीब बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए ही खर्च करूँगा।
प्रश्न 2.
बाज़ार से सब्ज़ी खरीदते समय, स्कूल की फीस भरते हुए, नाटक की तैयार करते समय कौन-कौन सी बातें करना अवसर के अनुकूल नहीं होंगी? हर स्थिति के लिए दो-दो बातें बताइए।
उत्तर:
निम्नलिखित बातें अवसर के अनुकूल नहीं होगीं –
बाज़ार में सब्ज़ी खरीदते समय:
- दुकानदार से फलों के भाव पूछना
- स्कूल या घर की बातें करना
स्कूल की फीस भरते हुए:
- परीक्षा के बारे में पूछना
- अध्यापकों के बारे में बातचीत करना
नाटक की तैयारी करते समयः
- दूसरों के रोल के बारे में बातचीत करना
- अपने संवादों व हाव-भावों पर ध्यान न देना
भाषा की बात
1. नीचे दिए गए उदाहरण को पढ़िए और समझिए –
कागा काको धन हरै, कोयल काको देत।
चाह गई चिंता मिटी मनुआ बेपरवाह।
उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में ‘क’ वर्ण का प्रयोग कई बार हुआ है और दूसरी में ‘च’ का प्रयोग। इस प्रकार बार-बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है।
उत्तर:
‘कागा काको’, ‘कोयल काको’-‘क’ वर्ण की आवृत्ति।
‘चाह, चिता’, ‘मिटी मनुशा’-‘च’ और ‘म’ वर्ण की आवृत्ति।
प्रश्न 2.
नीचे दी गई पंक्तियों में से ऐसे शब्दों को छाँटिए, जिनके प्रारंभ में किसी एक वर्ण की आवृत्ति हुई हो। साथ ही यह भी बताइए कि किस वर्ण की आवृत्ति हुई है?
उत्तर:
(क) साधु, सूप, सुभाय-‘स’ वर्ण की आवृत्ति।
(ख) कारज, काहे, होत है-‘क’ और ‘ह’ वर्ण की आवृत्ति
(ग) बिन, बात-‘ब’ वर्ण की आवृत्ति।
प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्दों के हिंदी रूप लिखिए-
उत्तर:
(क) काको – किसे
(ङ) कारज – कार्य
(ख) बिचारि – सोचकर / विचारकर
(च) साह – राजा (शाह)
(ग) सुभाय – स्वभाव
(छ) सुनाय – सुनाकर
(घ) कछु – कुछ
जीवन-मूल्य
प्रश्न 1.
अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए-
(क) जब आपके मधुर व्यवहार के कारण आपकी प्रशंसा हुई हो।
(ख) जब आपके कटु व्यवहार के कारण आपको अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ा हो।
उत्तर:
(क) एक बार मैं अपने परिवार के साथ बस से यात्रा कर रहा था। एक जगह बस रुकी तो उसमें एक वृद्धा चढ़ी। बस में कोई भी सीट खाली नहीं थी। जैसे ही वह मेरी सीट के पास आई तो मैं खुद खड़ा हो गया और उसे अपनी सीट बैठने के लिए दे दी। मेरे इस व्यवहार को देखकर मेरे घर वाले काफी खुश हुए।
(ख) एक बार स्कूल में खेलते वक्त एक सहपाठी से मेरा झगड़ा हो गया। अगले दिन जैसे ही मैं खेलने के लिए गया, सबने मुझे खंलाने से मना कर दिया और मेरे द्वारा किए गए व्यवहार की आलोचना की। अंत में मुझे उनसे माफी माँगनी पड़ी।
प्रश्न 2.
दूसरों की भलाई करने वाले ही वास्तव में बड़े लोग होते हैं। क्या आपको कभी किसी ज़रूरतमंद की सहायता कर खुशी का अनुभव हुआ है? कक्षा में बताइए।
उत्तर:
हाँ, मुझे किसी ज़रूरतमंद की सहायता कर खुशी का अनुभव होता है। एक बार विद्यालय से आते हुए मैंने एक बूढ़ी औरत को एक व्यस्त सड़क के किनारे खड़े देखा। वह सड़क पार करना चाहती थी, लेकिन वाहनों के आवागमन से ऐसा नहीं कर पा रही थी। ऐसे में मैंने उनका हाथ पकड़कर उसे सड़क पार करवा दिया।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1.
‘मीठी वाणी’ तथा ‘मित्रता’ से संबंधित दोहों का संकलन कर चार्ट पर लिखिए और कक्षा में लगाइए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
कबीर, रहीम, वृंद के (पाठ्यपुस्तक के अतिरिक्त) दोहों का संकलन कीजिए तथा सामूहिक रूप से कक्षा में दोहा गायन प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।
उत्तर;
विद्यार्थी स्वयं करें।
DAV Class 7 Hindi Ch 12 Solutions – दोहे
I. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(क) कौआ लोगों का प्रिय क्यों नहीं बन पाता है?
उत्तर:
कौआ कर्कश आवाज़ में बोलने के कारण लोगों का प्रिय नहीं बन पाता है।
(ख) ‘सार-सार को गहि रहे’ का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
‘सार-सार को गहि रहे’ का अर्थ है-काम की वातों, ज्ञान की बातों को अपनाकर उन पर अमल करना।
(ग) दुष्ट लोगों के स्वभाव की तुलना किससे की गई है?
उत्तर:
दुष्ट लोगों के स्वभाव की तुलना स्वान (कुत्ते) से की गई है।
II. लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30 से 35 शब्दों में )
‘मीठे बोल हमेशा लाभकारी होते हैं।’ उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
मीठे बोल हमेशा सुनने वाले पर अच्छा असर डालते हैं। इससे वह हमारे अनुकूल होकर काम करने लगता है। एक बार एक चपरासी मुझे शिक्षा अधिकारी से मिलने नहीं जाने दे रहा था। मैंने उससे अत्यंत मधुर एवं विनम्र शब्दों में निवदेन किया तो उसने मुझे अपने साथ ले जाकर शिक्षा अधिकारी से मिलवा दिया।
III. मूल्यपरक प्रश्न
‘दोहे’ शीर्षक के अंतर्गत संकलित दोहों से आपको किन मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
पाठ में संकलित हर दोहे से नैतिक मूल्यों के साथ-साथ कोई-न-कोई शिक्षा अवश्य मिलती है। मैं इन दोहों से मीठा बोलने, अच्छी बातें ग्रहण करने, कामनाओं को छोटा करके जीने, गरीबों का भला करने, दुष्टों का साथ न करने, समयानुकूल बातें कहने, सामर्थ्य में र्हकर काम करने तथा धैर्यवान बनन जैसे मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है।
क्रियाकलाप
इन दोहों को कंठस्थ करें तथा कक्षा में सस्वर पाठ करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. कागा काको धन हर, कोयल काको देत।
मीठे बोल सुनाय के, जग अपना कर लेत।।
× × ×
साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहै, थोथा देइ उड़ाय।।
शब्दार्थ –
कागा – कौआ।
काको – किसे।
हरै – छीनता है।
देत – देती है।
बोल – वाणी।
सुनाइ के – सुनाकर।
जग – संसार।
सूप – छाज।
सार – सार-मूल तत्व, काम की बातें।
गहि – ग्रहण करना।
थोथा – बेकार की वस्तु।
प्रसंग:
प्रस्तुत दोहे ‘ज्ञान सागर’ पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘दोहे’ शीर्षक से लिए गए हैं। इमके रचयिता ‘कबीर’ हैं। इन दोहों में कवि ने मीठी वाणी बोलने और सारग्रही स्वभाव बनाने की सीख दी है।
व्याख्या:
कबीर कहते हैं कि न तो कौआ किसी का धन छीनता है और न कोयल किसी को कुछ देती है। कौआ अपनी कर्कश आवाज़ के कारण भगाया जाता है और कोयल अपनी मीठी वाणी के कारण सबको अपना बना लेती है और सबकी और प्रिय बन जाती है। कवि कहता है कि साधु का स्वभाव सूप (छाज) जैसा होना चाहिए। जैसे सूप काम के योग्य अनाज को अपने पास बचाकर खोखले, हल्के और बिना काम वाले सड़े-गले अनाज को उड़ा देता है, उसी प्रकार साधु को ज्ञान की बातें अपनाकर शेष बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कोयल संसार को कैसे अपना बना लेती है?
(क) कौए के साथ रहकर
(ख) कौए जैसी बनकर
(ग) मीठा बोलकर
(घ) कौए जैसा बोलकर
उत्तर:
(ग) मीठा बोलकर
प्रश्न 2.
साधु का स्वभाव कैसा होना चाहिए?
(क) कौए जैसा
(ख) सूप जैसा
(ग) कोयल जैसा
(घ) अनाज जैसा
उत्तर:
(ख) सूप जैसा
प्रश्न 3.
थोथा कौन उड़ा देता है?
(क) सूप
(ख) साधु
(ग) कोयल
(घ) कौआ
उत्तर:
(क) सूप
प्रश्न 4.
‘सार-सार’ को किसे ग्रहण करना चलिए?
(क) साधु को
(ख) कौए को
(ग) कोयल को
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) साधु को
प्रश्न 5.
इन दोहों के रचयिता इनमें से कौन हैं?
(क) रहीम
(ख) तुलसीदास
(ग) वृंद
(घ) कबीर
उत्तर:
(घ) कबीर
2. चाह गई चिंता मिटी मनुआ बेपरवाह।
जिनको कुछ न चहिए, वे साहन के साह।।
x x x
जे गरीब परहित करें, ते रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग।।
x x x
रहीम ओछे नरन सौं, बैर भली न प्रीति।
काटे चाटे स्वान के, दोऊ भाँति विपरीत।।
शब्दार्थ –
चाह – इच्छा।
मनुआ – मन।
बेपरवाह – चितामुक्त।
कछु – कुछ।
साहन के साह – राजाओं के राजा।
परहित – भलाई।
बड़ लोग – बड़े आदमी।
बापुरो – बेचारा, अत्यंत गरीब।
मिताई – मित्रता।
जोग – योग्य।
ओछे – नीच स्वभाव वाले, दुष्ट।
नरन – मनुष्य।
बैर – दुश्मनी।
स्वान – कुत्ता।
दोऊ – दोनों।
भाँति – तरह।
प्रसंग:
प्रस्तुत दोहे ‘ज्ञान सागर’ पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘दोहे’ शीर्षक से लिए गए हैं। इनके रचयिता ‘रहीम’ हैं। इन दोहों में कवि ने चितामुक्त रहने, बड़ा बनने के लिए दूसरों की भलाई करने और दुष्टों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार न रखने की सीख दी है।
व्याख्या:
कत्रि रहीम कहते हैं कि मनुष्य की इच्छाएँ, कामनाएँ समाप्त होते ही वह चिता मुक्त हो जाता है, क्योंकि उसकी इच्छाएँ भी समाप्त हो जाती हैं। इस संसार में जिस व्यक्ति को कुछ नहीं चाहिए, वह राजाओं का राजा है। रहीम का कहना है कि इस संसार में वही लोग महान हैं जो दूसरों की भलाई करते हैं। श्री कृष्ण और सुदामा की स्थिति में ज़मीन और आसमान का अंतर था, परंतु श्री कृष्ण ने उनकी भलाई कर अर्थात् धन देकर अपनी मित्रता के योग्य बना दिया और श्री कृष्ण महान बन गए।
अर्थात् सुदामा की भलाई करने के कारण ही श्री कृष्ण महान बने। इस दोहे में रहीम कहते हैं कि हमें दुष्ट लोग से न मित्रता करनी चाहिए और न शत्रुता। अर्थात् उनके साथ कोई व्यवहार न करके उनसे दूरी ही बनाकर रखनी चाहिए, क्योंकि वे उन कुत्तों के समान होते हैं, जिनका प्रेम से चाटना भी अपवित्र करता है और काटने से पेट में इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं। अर्थात् उनका साथ दुखदायी होता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
चिंतामुक्त कौन हो जाते हैं?
(क) जो राजा होते हैं
(ख) जो घर त्याग देते हैं
(ग) जिनकी इच्छाएँ समाप्त हो चुकी होती हैं
(घ) जिनकी कामनाएँ अधिक होती हैं
उत्तर:
(ग) जिनकी इच्छाएँ समाप्त हो चुकी होती हैं
प्रश्न 2.
बड़े लोग कौन होते हैं?
(क) बहुत धनवान
(ख) गरीबों के हितकर
(ग) धनवानों के साथ रहने वाले
(घ) श्री कृष्ण की पूजा करने वाले
उत्तर:
(ख) गरीबों के हितकर
प्रश्न 3.
सुदामा को मित्रता के योग्य किसने बनाया?
(क) श्री कृष्ण ने
(ख) धनवान ने
(ग) गरीब ने
(घ) स्वयं सुदामा ने
उत्तर:
(क) श्री कृष्ण ने
प्रश्न 4.
किसकी मित्रता और शत्रुता दोनों ही अच्छी नहीं होती?
(क) दुष्टों की
(ख) कुत्तों की
(ग) गरीबों की
(घ) धनवानों की
उत्तर:
(क) दुष्टों की
प्रश्न 5.
इन दोहों के रचयिता कौन हैं?
(क) वृंद
(ख) रहीम
(ग) कबीर
(घ) तुलसी
उत्तर:
(ख) रहीम
3. नीकी पै फीकी लगै, बिन अवसर की बात।
जैसे बसत युद्ध में, रस शृंगार न सुहात।।
x x x
अपनी पहुँचि बिचारि कै, करतब करिए दौर।
तेते पाँव पसारिए, जेती लांबी सौर।।
x x x
कारज धीरे होतु है, काहे होत अधीर।
समय पाय तरुवर फलै, केतक सींचौ नीर।।
शब्दार्थ –
नीकी – अच्छी।
फीकी – बेकार, स्वादहीन।
बखत – समय।
सुहात – अच्छा लगता है।
पहुँचि – सामर्थ्य, पहुँच।
करतब – कर्तव्य।
तेते – उतना।
पसारिए – फैलाइए।
जेतो – जितनी।
लांबी – लंबी।
सौर – चादर।
कारज – कार्य।
काहे – क्यों।
अधीर – बेसब्र।
तरुवर – वृक्ष।
केतक – कितना भी।
नीर – पानी।
प्रसंग –
ये दोहे ‘ज्ञान सागर’ पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘दोहे’ शीर्षक से लिए गए हैं। इनके रचयिता कवि ‘वृंद’ हैं। इन दोहों में कवि ने समयानुकूल बात कहने, अपनी सामर्थ्य के अनुसार काम करने तथा फल के लिए धैर्य बनाए रखने की सीख दी है।
व्याख्या –
कवि वृंद कहते हैं कि अवसर के अनुसार ही हर बात शोभा देती है, अन्यथा अच्छी बात भी बेकार लगने लगती है। युद्ध के समय यदि कोई श्रृंगार रस की कविताएँ सुनाता है तो वे अच्छी नहीं लगतीं। ऐसे में वीर रस की कविता ही अच्छी लगती है। कवि वृंद कहते हैं कि मनुष्य को अपनी सामर्थ्य के अनुसार ही काम करना चाहिए।
उसे अपना पैर उतना ही फैलाना चाहिए, जितनी लंबी उसकी चादर हो अन्यथा उसके पैर को सर्दी-गर्मी जैसे कष्ट झेलने पड़ेंगे। अंतिम दोहे में कवि वृंद कहते हैं कि हे मनुष्य! अच्छे कार्य धीरे-धीरे ही होते हैं, इसलिए तू इतना अधीर मत बन, व्याकुल न हो। पेड़ में फल उचित समय पर ही आएँगे, चाहे उनमें कितना भी पानी डालो। इसी प्रकार समय आने पर ही काम पूरे होते हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
अच्छी बात भी कब बेकार लगने लगती है?
(क) युद्ध के समय
(ख) अवसर बीत जाने पर
(ग) अवसर पर कहने से
(घ) बढ़ा-चढ़ाकर कहने से
उत्तर:
(ख) अवसर बीत जाने पर
प्रश्न 2.
शृंगार रस कब अच्छा नहीं लगता?
(क) संयोग के समय
(ख) युद्ध के समय
(ग) उचित अवसर पर कहने से
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) युद्ध के समय
प्रश्न 3.
मनुष्य को अपनी देखकर काम करना चाहिए।
(क) बुद्धि
(ख) सामर्थ्य
(ग) प्रतिभा
(घ) संगति
उत्तर:
(ख) सामर्थ्य
प्रश्न 4.
मनुष्य को अधीर नहीं होना चाहिए क्योंकि समय आने पर ही
(क) सिंचाई करना चाहिए
(ख) फल खाना चाहिए
(ग) काम होते हैं
(घ) वृक्ष फल खाते हैं
उत्तर:
(ग) काम होते हैं
प्रश्न 5.
इन दोहों के रचयिता इनमें से कौन हैं?
(क) रहीम
(ख) तुलसी
(ग) कबीर
(घ) वृंद
उत्तर:
(घ) वृंद
दोहे Summary in Hindi
कविता-परिचय
‘दोहे’ नामक पाठ में कबीर, रहीम और वृंद द्वारा रचित कुल आठ दोहों का संकलन है। इन दोहों के माध्यम से जीवन के लिए उपयोगी शिक्षा दी गई है।
कविता का सार
‘दोहे’ नामक पाठ में कुल आठ दोहे हैं। इन दोहों में कोयल और कौए के उदाहरण से मीठा बोलने, अच्छी बातें ग्रहण करने के लिए साधु जैसा स्वभाव बनाने, इच्छा की समाप्ति से चितामुक्त होने वालों की स्थिति राजाओं जैसी, ऊँच-नीच का भेद त्याग मित्रता करने, दुष्ट व्यक्तियों की मित्रता-शत्रुता से दूर रहने, अवसर के अनुसार सब कुछ अच्छा लगने, अपनी सामर्थ्य के अनुसार काम करने और फल पाने के लिए मन में धैर्य बनाए रखने की शिक्षा दी गई है।