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DAV Class 6 Hindi Chapter 18 Question Answer – पंच परमेश्वर
DAV Class 6 Hindi Ch 18 Question Answer – पंच परमेश्वर
पाठ में से
प्रश्न 1.
जुम्मन और अलगू में मित्रता थी-इस बात का पता कैसे चलता है?
उत्तर:
जुम्मन और अलगू एक-दूसरे पर खूब विश्वास करते थे, कहीं आते-जाते समय अपना घर एक-दूसरे के भरोसे छोड़ जाते थे। वे धर्म का भेद भी नहीं मानते थे।
प्रश्न 2.
जुम्मन ने ऐसा क्या किया जिसके कारण मौसी को पंचायत में जाने का फ़ैसला करना पड़ा?
उत्तर:
जुम्मन और उसकी पत्नी मौसी के साथ किए वायदे से मुकर रहे थे और अलग खाना पकाने के लिए पैसा नहीं दे रहे थे, इसलिए मौसी ने पंचायत में जाने की धमकी दी।
प्रश्न 3.
अलगू चौधरी अपना नाम सुनकर असमंजस में क्यों पड़ गया?
उत्तर:
अलगू चौधरी अपना नाम सुनकर इसलिए सकपकाए, क्योंकि वे दुविधाग्रस्त थे कि मित्रता का निर्वाह करें या सही फैसला दें।
प्रश्न 4.
नीचे दिए गए कथन किसने, किससे कहे, लिखिए –
उत्तर:
कथन | किसने कहा | किससे कहा |
(क) बेटा मुझे महीने में कुछ रुपया दे दिया करो, मैं अपना खाना अलग पका लिया करूँगी | जुम्मन की मौसी ने | जुम्मन से |
(ख) क्या दोस्ती के डर से ईमान को भूल जाओगे? | जुम्मन की मौसी ने | अलगू चौधरी से |
(ग) मौसी जिसे चाहे चुन सकती है, मुझे कोई एतराज़ नहीं। | जुम्मन ने | मौसी से |
प्रश्न 5.
इस कहानी से आपको जो बातें सीखने को मिलीं, उन पर सही (✓) का चिह्न लगाइए-
(क) धर्म का भेदभाव नहीं करना चाहिए। ( )
(ख) मित्रता में विश्वास होना ज़रूरी है। ( )
(ग) किसी को धोखा नहीं देना चाहिए। ( )
(घ) अपना खाना अलग पकाना चाहिए। ( )
(ङ) अपना बदला ले लेना चाहिए। ( )
(च) न्याय करते समय दोस्ती को भुला देना चाहिए। ( )
(छ) पशुओं के साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। ( )
(ज) बैलों को खरीदना-बेचना नहीं चाहिए। ( )
(झ) सही न्याय करना चाहिए। ( )
(ज) दूसरों की परेशानियों से दूर रहना चाहिए। ( )
उत्तर:
(क) धर्म का भेदभाव नहीं करना चाहिए। (✓)
(ख) मित्रता में विश्वास होना ज़रूरी है। (✓)
(ग) किसी को धोखा नहीं देना चाहिए। (✓)
(घ) अपना खाना अलग पकाना चाहिए। (✓)
(ङ) अपना बदला ले लेना चाहिए। (✓)
(च) न्याय करते समय दोस्ती को भुला देना चाहिए। (✓)
(छ) पशुओं के साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। (✓)
(ज) बैलों को खरीदना-बेचना नहीं चाहिए। (✓)
(झ) सही न्याय करना चाहिए। (✓)
(ज) दूसरों की परेशानियों से दूर रहना चाहिए। (✓)
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
मौसी की ज़मीन को चालाकी से अपने नाम करवाने से पहले और बाद में जुम्मन और उसकी पत्नी के व्यवहार में क्या अंतर आया?
उत्तर:
ज़मीन अपने नाम करवाने से पहले जुम्मन और उसकी पत्नी मौसी का खूब मान-सम्मान करते थे और बाद में जुम्मन की पत्नी रोटियों के साथ गालियाँ भी देने लगी। जुम्मन भी उसका साथ देकर मौसी से जल्द पीछा छुड़ाना चाहते थे।
प्रश्न 2.
मौसी ने पंच के लिए अलगू चौधरी का नाम लिया तो जुम्मन शेख क्यों खुश हुआ?
उत्तर:
मौसी ने पंच के लिए अलगू चौधरी का नाम लिया तो जुम्मन शेख खुश इसलिए हो गया, क्योंकि अलगू चौधरी जुम्मन शेख़ का पक्का मित्र था। जुम्मन शेख को पंच के लिए अलूग चौधरी का नाम सुनते ही पूरा भरोसा हो गया कि अब फ़ैसला मौसी की बजाय उसी के पक्ष में होगा।
प्रश्न 3.
अलगू का फैसला सुनकर जुम्मन को हैरानी क्यों हुई?
उत्तर:
जुम्मन को अलगू से अपने पक्ष में फ़ैसले की उम्मीद थी, जबकि उसने सही फ़ैसला दिया, जो जुम्मन के खिलाफ़ था।
प्रश्न 4.
“पंच परमेश्वर की जय”-अलगू ने पंचों का फ़ैसला सुनकर यह क्यों कहा?
उत्त:
‘पंच परमेश्वर की जय’ अलगू ने पंचों का फ़ैसला सुनकर यह इसलिए कहा क्योंकि सही न्याय हुआ था। गाँव के सभी लोग न्यायसंगत फ़ैसले से सहमत थे। अब उन्हें लगा कि वास्तव में पंच के मुँह में परमेश्वर वास करता है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
यदि अलगू चौधरी और जुम्मन शेख़ पंच बनने के बाद न्याय करने की बजाए मित्रता निभाते तो मौसी का जीवन कैसे बीतता?
उत्तर:
यदि अलगू चौधरी और जम्मुन शेख़ पंच बनने के बाद न्याय करने की बजाए मित्रता निभाते तो मौसी का जीवन कष्टों से भर जाता। वह रोटी-रोटी के लिए मोहताज़ हो जाती। उसका बचा हुआ सारा जीवन दुखों में बीतता। उसका पंचायत के न्याय से भरोसा उठ जाता।
प्रश्न 2.
इस कहानी का शीर्षक ‘पंच परमेश्वर’ रखा गया है।
(क) ‘पंच परमेश्वर’ शीर्षक क्यों रखा गया है?
(ख) आप इस कहानी के कोई दो उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ग) यह भी बताइए कि आपने यह शीर्षक क्यों रखे?
उत्तर:
‘(क) कहानी का नाम पंच परमेश्वर इसलिए रखा गया, क्योंकि पंच में ईश्वर का वास होता है। पंच चुना गया व्यक्ति मित्रता, शत्रुता, अपनापन आदि भूलकर ईश्वर के समान निष्पक्ष फैसला देता है।
(ख) दो अन्य शीर्षक
- सच्चा न्याय
- दुश्मनी बनी दोस्ती
(ग) ये शीर्षक इसलिए रखे गए, क्योंकि कहानी में मित्रता, अपनापन, बदले की भावना आदि होते हुए भी इनसे ऊपर उठकर पंचों ने सच्चा न्याय दिया और दुश्मन बन बैठे दो मित्र अंत में फिर दोस्त बन गए।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
पाठ में आए हुए ‘ज़मीन’, ‘नफ़रत’ शब्दों में नुक्ते वाले अक्षर ‘ज़’ और ‘फ़’ का प्रयोग हुआ है। अब आप पाठ में आए ज़ और फ़ नुक्ता लगे कुछ और शब्दों को लिखिए –
ज़ नुक्ता = ………………………………
फ़ नुक्ता = ………………………………
उत्तर:
ज़ नुक्ता – ज़मीन, ज़िदा, रोज़, ज़रूर, एतराज़, ज़रूरत, ज़हर, कमज़ोर, ज़ुबान, ज़िम्मेदारी।
फ़ नुक्ता – साफ़, फ़ैसला, नफ़रत, फ़िक्र
प्रश्न 2.
पाठ में आए हुए कुछ मुहावरे नीचे दिए गए हैं। इनके अर्थ समझते हुए प्रत्येक मुहावरे से वाक्य बनाइए –
(क) ताक में रहना – ………………………………
(ख) खून का घूँट पीकर रह जाना – ………………………………
(ग) फूला न समाना – ………………………………
उत्तर:
(क) ताक में रहना (मौका ढूँढते रहना) – सोहन तो ताक में ही रहता है कि कब पिताजी को राम की शिकायत करे।
(ख) खून का घूँट पीकर रह जाना (गुस्सा सहन कर लेना) – पंचायत में अपमानित होने पर रमेश खून का घूँट पीकर रह गया।
(ग) फूला न समाना (बहुत खुश होना) – कक्षा में प्रथम स्थान पाकर देवांशी फूली नहीं समा रही।
जीवन मूल्य
जुम्मन और अलगू दोनों मित्र थे, लेकिन पंच बनने के बाद उन्होंने मित्रता से अधिक न्याय को महत्व दिया। यदि आपके जीवन में ऐसी परिस्थिति आए तो-
प्रश्न 1.
आप अपने मित्र के साथ कैसा व्यवहार करेंगे?
उत्तर:
‘न्याय करते समय मैं मित्रता को भूल जाऊँगा। जो सही फ़ैसला होगा, चाहे वह मित्र के पक्ष है या नहीं, वहीं करूँगा। यदि वह मेरा सच्चा मित्र होगा, तो उसे मेरे द्वारा किए गए न्यायसंगत फ़ैसले पर कोई एतराज़ नहीं होगा।
प्रश्न 2.
अपने मित्र से अपने प्रति कैसे व्यवहार की अपेक्षा करेंगे?
उत्तर:
मैं भी अपने मित्र से अपेक्षा करूँगा कि वह भी सही निर्णय करे। गलत को गलत कहे और सही को सही। किसी एक पक्ष को देखकर फ़ैसला न करे, बल्कि दोनों पक्षों की पूरी दलीलें सुनकर फ़ैसला करे। मैं चाहूँगा कि पक्षपातपूर्ण फैसला न हो।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1.
पशु-पक्षियों के कल्याण के लिए सरकार ने कई नियम बनाए हैं। उनके बारे में जानकारी एकत्र कीजिए।
उत्तर:
इंटरनेट की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 2.
प्रेमचंद द्वारा लिखित किन्हीं चार कहानियों के नाम लिखिए।
(क) ………………………………
(ख) ………………………………
(ग) ………………………………
(घ) ………………………………
उत्तर:
(क) कफ़न
(ख) दो बैलों की कथा
(ग) पूस की रात
(घ) बड़े घर की बेटी
प्रश्न 3.
आप अपने बड़े-बुजुर्गों की देखभाल कैसे करते हैं? कोई पाँच बातें लिखिए।
(क) ………………………………
(ख) ………………………………
(ग) ………………………………
(घ) ………………………………
(ङ) ………………………………
उत्तर:
हम अपने बुजुर्गों की देखभाल निम्नलिखित आवश्यकताओं की पूर्ति करके करते हैं-
(क) उनकी आवश्यकताओं को समय पर पूरा करके तथा खाना-पानी देकर।
(ख) उनके कपड़े साफ़ करके।
(ग) उनके बिस्तर पर स्वच्छ चादर बिछाकर।
(घ) उनको समय से दवाएँ देकर।
(ङ) उनको पार्क में घुमाने ले जाकर।
प्रश्न 4.
प्रेमचंद की ‘ईदगाह’ कहानी का कक्षा में मंचन कीजिए।
उत्तर:
स्वयं करें।
DAV Class 6 Hindi Ch 18 Solutions – पंच परमेश्वर
I. बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
जुम्मन और अलगू कब से मित्र थे?
(क) कुछ दिन पहले से
(ख) बचपन से
(ग) किशोरावस्था से
(घ) कुछ साल पहले से
उत्तर:
(ख) बचपन से
प्रश्न 2.
वे तीर्थ और पर जाते हुए अपना घर-बार एक-दूसरे के भरोसे छोड़ जाते थे।
(क) मक्का
(ख) अजमेर शरीफ़
(ग) काबा
(घ) हज़
उत्तर:
(घ) हज़
प्रश्न 3.
जुम्मन शेख ने मौसी से जमीन अपने नाम कैसे करवा ली?
(क) पैसे देकर
(ख) भविष्य में पैसे देने का वायदा करके
(ग) चालाकी से
(घ) अलगू की राय से
उत्तर:
(ग) चालाकी से
प्रश्न 4.
जुम्मन की पत्नी का नाम क्या था?
(क) करीमन
(ख) शबनम
(ग) अफ़साना
(घ) बतूलन
उत्तर:
(क) करीमन
प्रश्न 5.
मौसी ने इनमें से किसे पंच चुना?
(क) जुम्मन को
(ख) अलगू को
(ग) समझू को
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) जुम्मन को
प्रश्न 6.
अलगू ने बटेसर से क्या खरीदा?
(क) गाय और बछड़ा
(ख) भैंस और उसका बच्चा
(ग) बैलों की जोड़ी
(घ) भेड़ और बकरी
उत्तर:
(ग) बैलों की जोड़ी
प्रश्न 7.
समझू ने गाड़ी में क्या लाद रखा था?
(क) गेहूँ और चना के बोरे
(ख) चना और मटर के बोरे
(ग) नमक और तेल के पीपे
(घ) तेल के पीपे और चावल के बोरे
उत्तर:
(ग) नमक और तेल के पीपे
प्रश्न 8.
समझू को रास्ते में रात क्यों बितानी पड़ी?
(क) बैल के मर जाने से
(ख) बैल के बीमार पड़ने से
(ग) सड़क खराब हो जाने से
(घ) वर्षा शुरू हो जाने से
उत्तर:
(क) बैल के मर जाने से
प्रश्न 9.
समझू से अपने रुपये पाने के लिए अलगू ने ………..।
(क) पुलिस को बुलाया
(ख) पंचायत बिठायी
(ग) उसे धमकाया
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) पंचायत बिठायी
प्रश्न 10.
समझू ने अपना फ़ैसला देने के लिए पंच किसे चुना?
(क) अलगू
(ख) जुम्मन को
(ग) खाला को
(घ) जुम्मन और खाला दोनों को
उत्तर:
(ख) जुम्मन को
प्रश्न 11.
पंचों के मुँह में कौन वास करता है?
(क) बटेसर
(ख) परमेश्वर
(ग) गोपेश्वर
(घ) योगेश्वर
उत्तर:
(ख) परमेश्वर
प्रश्न 12.
जुम्मन का फ़ैसला सुनकर गाँव के लोग जुम्मन की करने लगे।
(क) स्तुति
(ख) निंदा
(ग) प्रशंसा
(घ) बुराई
उत्तर:
(ग) प्रशंसा
II. अति लघुउत्तरीय प्रश्न
(क) कौन बहुत पुराने मित्र थे?
उत्तर:
जुम्मन शेख़ और अलगू चौधरी बहुत पुराने मित्र थे।
(ख) उनकी मित्रता कब से थी?
उत्तर:
उनकी मित्रता बचपन से थी।
(ग) जुम्मन ने किससे ज़मीन अपने नाम करवा ली?
उत्तर:
जुम्मन ने बूढ़ी मौसी से ज़मीन अपने नाम करवा ली।
(घ) जुम्मन किसे, क्या देने से मना कर गए?
उत्तर:
जुम्मन ने बूढ़ी मौसी को हर महीने कुछ रुपये देने से मना कर गए।
(ङ) अलगू ने अपना अकेला बचा बैल किसके हाथ बेचा?
उत्तर:
अलगू ने अपना अकेला बचा बैल समझू बनिए के हाथ बेचा।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30 से 35 शब्दों में)
(क) जुम्मन ने ऐसा क्यों कहा कि मौसी जिसे चाहे पंच चुन सकती हैं?
उत्तर:
जुम्मन को इस बात पर विश्वास था कि पंच चाहे जो हो निर्णय उसी के पक्ष में होगा, क्योंकि जुम्मन का गाँव में मान-सम्मान था। ऐसे में जुम्मन को छोड़ एक बूढ़ी विधवा के पक्ष में कौन फ़ैसला सुनाएगा, इसलिए उसने ऐसा कहा।
(ख) सरपंच की जगह बैठते ही अलगू के मन में क्या विचार आए?
उत्तर:
मौसी द्वारा सरपंच चुने जाने के बाद अलगू को सरपंच के दायित्व का बोध हुआ। उसने सोचा कि पंच के मुँह में परमेश्वर का वास होता है। उसके फैसले में मित्रता, शत्रुता जैसे रिश्ते भुला देने चाहिए तथा वह फ़ैसला देना चाहिए जो पूरी तरह से न्यायसंगत हो।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( 70-80 शब्दों में )
अलगू और जुम्मन की दुश्मनी दोस्ती में कैसे बदल गई?
उत्तर:
अलगू चौधरी ने जो फ़ैसला सुनाया था, उससे जुम्मन अलगू के दुश्मन बन बैठे थे। जुम्मन ने अलगू के बैल को विष देकर मार दिया। पंचायत में जब समझू ने अलगू के विरुद्ध जुम्मन को सरपंच चुना तो सरपंच का आसन ग्रहण करते ही जिम्मेदारी का भाव आ गया। उसने निश्चय किया कि वह अपनी शत्रुता को छोड़ सही न्याय करेगा। इस विचार के बाद जब जुम्मन ने फ़ैसला सुनाया तो वह अलगू के पक्ष में था। फ़ैसला सुनाकर और सुनकर अलगू और जुम्मन एक-दूसरे के गले लगकर रोने लगे। उनके दिलों का मैल साफ़ हुआ और दोनों की दुश्मनी दोस्ती में बदल गई।
V. मूल्यपरक प्रश्न
अलगू के चरित्र से आप किन-किन मूल्यों को ग्रहण करना चाहेंगे?
उत्तर:
‘अलगू के चरित्र से मैं सच्चा मित्र बनकर मित्रता निभाने का गुण ग्रहण करूँगा। इसके अलावा धर्म की दीवार को बाधा न मानकर सभी को समान समझना, न्याय के लिए मित्रता की परवाह न करना तथा सत्य और निष्पक्ष बोलने का गुण जैसे मूल्य ग्रहण करना चाहूँगा।
क्रियाकलाप
- पाठ में आए मुहावरों का संकलन करें। उनका अर्थ लिखकर अपने वाक्यों में प्रयोग भी करें।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. जब तक ज़मीन उसके नाम न हो गई तब तक मौसी का खूब आदर-सत्कार हुआ, लेकिन जब ज़मीन जुम्मन शेख़ के नाम हो गई, सारा आदर धरा का धरा रह गया। जुम्मन की पत्नी करीमन उसे रोटियों के साथ गालियाँ भी खूब देती। जुम्मन पत्नी को कुछ न कहता। वह भी चाहता था कि बुढ़िया से जल्दी पीछा छूटे। इस रोज़-रोज़ की कलह से ऊबकर मौसी ने जुम्मन से कहा, “बेटा मुझे महीने में कुछ रुपया दे दिया करो, मैं अपना खाना अलग पका लिया करूँगी।”
प्रश्न –
(क) मौसी ने ज़मीन जुम्मन के नाम क्यों की?
(ख) मौसी का कब तक आदर किया गया?
(ग) जुम्मन पत्नी का साथ किस तरह देता था?
(घ) जुम्मन क्या चाहता था?
(ङ) मौसी ने रुपये क्यों माँगे?
उत्तर:
(क) मौसी अकेली थी। जुम्मन के अलावा उसका कोई और न था। इसलिए उन्होंने जुम्मन के नाम ज़मीन कर दी।
(ख) जब तक मौसी ने ज़मीन जुम्मन के नाम नहीं की थी, तब तक उनका आदर-सत्कार हुआ।
(ग) जब जुम्मन की पत्नी मौसी को गालियाँ देती थी तब जुम्मन चुप रहकर उसका साथ देता था।
(घ) जुम्मन चाहता था कि मौसी से जल्दी पीछा छूटे।
(ङ) मौसी ने अलग खाना पकाने के लिए जुम्मन से रुपये की माँग की।
2. अलगू चौधरी असमंजस में पड़ गया; लेकिन सरपंच की जगह पर बैठकर उसने मन-ही-मन सोचा, पंच के मुँह में ईश्वर बसता है। मुझे न्याय के समय दोस्ती को भुला देना चाहिए। फ़िर उसने मौसी की बात को ग़रर से सुना। गाँव वाले फ़ैसला सुनने के लिए तत्पर बैठे थे। अलगू ने अपना फ़ैसला सुनाया, “जुम्मन शेख़! यही उचित है कि तुम माहवार मौसी को खर्च देते रहो, अगर तुम्हें खर्च देना मंज़ूर न हो तो पंचों के सामने उसकी ज़मीन के सारे कागज़ात लौटा दो।”
प्रश्न –
(क) अलगू ने क्या सोचा?
(ख) न्याय के समय किसे भूल जाना चाहिए?
(ग) अलगू ने क्या फैसला सुनाया?
(घ) अलगू ने न्याय का साथ कैसे दिया?
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) अलगू ने सोचा कि मुझे सही फ़ैसला देना है, क्योंकि पंच के मुँह में ईश्वर बसता है।
(ख) न्याय के समय अपना-पराया, मित्रता-शत्रुता आदि भुला देना चाहिए।
(ग) अलगू ने फ़ैसला सुनाया कि जुम्मन मौसी को मासिक खर्च दें अन्यथा ज़मीन के कागज़ वापस करें।
(घ) अलगू ने न्यायपूर्ण फ़ैसला देकर न्याय का साथ दिया।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम है-‘पंच परमेश्वर’।
3. उसने बटेसर नाम के एक व्यक्ति से बैलों की एक जोड़ी खरीद ली। बैल बहुत ही सुंदर और हृष्ट-पुष्ट थे। जुम्मन अलगू के इन बैलों से भी ईर्ष्या करने लगा। एक रात जब सारा गाँव सो रहा था, तब जुम्मन ने एक बैल को ज़हर दिया। सुबह मरे हुए बैल को देखकर अलगू समझ गया कि जुम्मन के सिवा और कोई नहीं कर सकता। वह खून का घूँट पीकर रह गया।
प्रश्न –
(क) किसने बटेसर से बैलों की जोड़ी खरीदी?
(ख) जुम्मन ने बैल को ज़हर कब दिया?
(ग) अलगू ने बैल के बारे में क्या अनुमान लगाया?
(घ) जुम्मन बैलों से ईर्ष्या क्यों करता था?
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) अलगू ने बटेसर से बैलों की जोड़ी खरीदी।
(ख) जुम्मन ने बैल को ज़हर रात में दिया।
(ग) अलगू ने अनुमान लगाया कि जुम्मन ने बैल को ज़हर दिया है।
(घ) बैल बहुत सुंदर व हृष्ट-पुष्ट थे। ऐसे बैल उसके दुश्मन के पास थे। अतः उनसे ईर्ष्या करने लगा।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम है-पंच परमेश्वर।
4. बहुत देर तक पंच सलाह-मशविरा करते रहे। अंत में जुम्मन ने अपना फ़ैसला सुनाया, “समझू! तुम्हें बैल की पूरी कीमत चुकानी चाहिए। जिस समय तुम्हें अलगू ने बैल दिया था, वह बीमार नहीं था। उसकी मृत्यु तुम्हारी लापरवाही से हुई है। अगर तुम अलगू को पैसा पहले ही दे चुके होते तो क्या तुम्हें पैसा वापस मिलता?”
प्रश्न –
(क) पंच क्या करते रहे?
(ख) जब अलगू ने बैल बेचा तब वह कैसा था?
(ग) बैल की मृत्यु कैसे हुई थी?
(घ) पंच बनकर जुम्मन ने क्या अपना बदला लिया?
(ङ) उपर्युक्त पाठ के गद्यांश का नाम क्या है?
उत्तर:
(क) पंच फ़ैसला सुनाने से पहले देर तक सलाह-मशविरा करते रहे।
(ख) जब अलगू ने बैल बेचा था तब वह स्वस्थ था।
(ग) बैल की मृत्यु अधिक काम लेने तथा चारे-पानी में लापरवाही से हुई थी।
(घ) नहीं, पंच बनकर जुम्मन ने बदला नहीं लिया और उचित न्याय दिया।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम है-‘पंच परमेश्वर’।
शब्दार्थ –
पृष्ठ संख्या-78.
पंच – पंचायत में फ़ैसला देने के लिए चुने गए पाँच लोगों का समुदाय।
परमेश्वर – भगवान।
आदर-सत्कार-मान – सम्मान।
धरा का धरा रह जाना – किसी काम न आना।
कलह – झगड़ा।
पृष्ठ संख्या-78.
खटपट-झगड़ा – झंझट।
सचेत – सावधान।
कुटिल – कपट भरी।
निपटारा – फैसला करना।
एतराज़ – आपत्ति।
खुशी का ठिकाना न रहना – बहुत खुश होना।
असमंजस – दुविधा।
ग़रर-सोच – विचार।
तत्पर – तैयार।
माहवार – हर महीने।
न्यायसंगत – न्याय के अनुसार।
पृष्ठ संख्या-80.
नफ़रत – घृणा।
ताक – प्रतीक्षा।
हृष्ट-पुष्ट – मज़बूत।
ईष्य्या-जलन।
पीपा – कनस्तर जिसमें तेल या घी रखा जाता है।
प्राण त्याग दिए – मर गया।
सिर पीटना – शोक प्रकट करना।
हृदय धड़कना – संदेह होना।
तनिक – थोड़ी सी।
पृष्ठ संख्या-81.
फूला न समाया – बहुत खुश हुआ।
वास करना – बसना, रहना।
जुबान – वाणी।
पंच परमेश्वर Summary in Hindi
पाठ-परिचय
‘पंच परमेश्वर’ नामक कहानी प्रेमचंद की चुनी हुई कहानियों में एक है। इस कहानी में बताया गया है कि पंचों का स्थान परमेश्वर के समान होता है। ‘पंच’ की जगह पाकर व्यक्ति मित्रता, शत्रुता, अपना-पराया भूलकर सच्चा निर्णय देता है।
पाठ का सार
जुम्मन शेख़ और अलगू चौधरी में घनिष्ठ मित्रता थी। यह मित्रता बचपन से चली आ रही थी। वे एक-दूसरे पर अटूट विश्वास करते थे। उनके बीच धर्म की कोई दीवार न थी। जुम्मन शेख़ की एक बूढ़ी मौसी थी, जिनका जुम्मन के अलावा कोई और न था। जुम्मन ने मौसी से वायदा किया कि वे आजीवन उन्हें खाना-कपड़ा देंगे और ज़मीन अपने नाम कराने तक मौसी की खूब सेवा की, परंतु जैसे ही मौसी ने अपनी ज़मीन जुम्मन के नाम की, उनकी अवहेलना शुरू हो गई।
जुम्मन की पत्नी करीमन मौसी को रोटियों के साथ गालियाँ देने लगीं। दोनों पति-पत्नी मौसी से छुटकारा पाना चाहते थे। रोज़-रोज़ की कलह से परेशान मौसी ने जुम्मन से अलग से खाना पकाने के लिए माँग की। जुम्मन ने पैसा देने से साफ़ मना कर दिया और पंचायत बिठाने के लिए कहा। मौसी ने अन्य लोगों के साथ-साथ अलगू को भी आने के लिए कहा।
पंचायत बैठी। गाँव के लोग एकत्र हुए। जुम्मन ने अपने मित्र अलगू को पंच चुना। मौसी ने सारी बात पंचों के सामने रखी और न्याय की माँग की। अब अलगू को पंच के पद का दायित्वबोध हुआ। उसने फ़ैसला सुनाया कि जुम्मन शेख़ मौसी को माहवार खर्च दें अन्यथा पंचों के सामने ज़मीन के सारे कागज़ वापस कर दें।
फैसला सुनकर जुम्मन परेशान हो गया। उसने सोचा कि अलगू ने मित्रता की लाज भी नहीं रखी। वह अलगू से बदला लेने का अवसर खोजने लगा। अलगू ने खेती करने के लिए बटेसर से बैलों की जोड़ी खरीदी। बैल बड़े सुंदर और हृष्ट-पुष्ट थे। ईर्ष्यावश जुम्मन ने एक रात एक बैल को ज़हर दे दिया।
इससे बैल मर गया। अलगू सारी बात समझ गया। एक बैल से खेती करना संभव न था, अत: उसने दूसरा बैल समझू बनिए को बेच दिया। समझू ने एक महीने बाद पैसा देने का वायदा किया। नया बैल पाकर समझू बड़ा खुश हुआ। वह मंडी से गाँव के कई-कई चक्कर लगाने लगा।
उसने बैल के चारे-पानी का उचित ध्यान नहीं रखा, जिससे बैल कमज़ोर हो गया। एक दिन मंडी से आते समय रास्ते में बैल ने दम तोड़ दिया। समझू रात भर बैलगाड़ी के पास सोया पर चोर उसका पैसा और माल चुरा चुके थे। इधर अलगू ने जब पैसों की माँग की तो उसने बैल मरने की बात कहकर पैसा देने से साफ़ मना कर दिया।
एक बार फिर पंचायत बैठी। इस बार समझू ने अलगू से बदला लेने के उद्देश्य से जुम्मन को पंच चुना। पंच के रूप में जुम्मन का नाम सुनते ही अलगू निराश हो गया। पंच का स्थान ग्रहण करते ही जुम्मन को अपनी जिम्मेदारी का बोध हुआ।
सलाह-मशविरा और सारी बात जानने के बाद जुम्मन ने फ़ैसला दिया कि समझू बैल का पूरा दाम अलगू को दें, क्योंकि जब बैल बेचा गया था तब वह पूर्ण स्वस्थ था। फ़ैसला सुनकर अलगू फूले न समाए। उन्होंने ‘पंच परमेश्वर की जय’ के नारे लगाए। जुम्मन अलगू के पास आए। दोनों मिलकर रो रहे थे। अब दोनों के दिलों का मैल साफ़ हो गया था।