DAV Class 6 Hindi Chapter 17 Question Answer – यात्रा और यात्री

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DAV Class 6 Hindi Chapter 17 Question Answer – यात्रा और यात्री

DAV Class 6 Hindi Ch 17 Question Answer – यात्रा और यात्री

कविता में से

प्रश्न 1.
कवि ने मुसाफ़िर किसे कहा है?
उत्तर:
कवि ने संसार के हर प्राणी विशेषतः मनुष्य को मुसाफ़िर कहा है, क्योंकि वह इस संसार में कुछ दिन रहकर पुन: यात्रा पर निकल जाता है।

प्रश्न 2.
मुसाफ़िर को किस यात्रा पर चलना पड़ेगा?
उत्तर:
मनुष्य को यात्री की भाँति जीवन में निरंतर चलना पड़ेगा। एक जगह ठहरने से वह जड़ता का शिकार बन जाएगा। इसलिए उसे अपनी मंजिल प्राप्त करने के लिए लगातार यात्रा (चलना) करनी होगी। यहाँ ‘यात्रा’ का अर्थ आगे बढ़ने से है। यदि वह यात्रा नहीं करेगा तो उसका जीवन निरर्थक हो जाएगा।

प्रश्न 3.
‘अचला’ पृथ्वी को ‘चंचला’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:
‘चंचला’ शब्द का प्रयोग ‘प्रचला’ पृथ्वी के लिए किया गया है, क्योंकि वह निरंतर गति करती रहती है।

प्रश्न 4.
‘शक्तियाँ गति की तुझे’ पंक्ति में ‘तुझे’ सर्वनाम का प्रयोग किसके लिए हुआ है?
उत्तर:
‘शक्तियाँ गति की तुझे’ पंक्ति में तुझे सर्वनाम का प्रयोग सभी मनुष्य विशेष रूप से पाठकों के लिए किया गया है।

DAV Class 6 Hindi Chapter 17 Question Answer - यात्रा और यात्री

बातचीत के लिए

प्रश्न 1.
“साँस चलती है”-से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर:
“साँस चलती है” से कवि कहना चाहता है कि जब तक साँस है तब तक आस है। जीवन में कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा।

प्रश्न 2.
मनुष्य को चारों ओर से कौन घेरे हुए हैं?
उत्तर:
मनुष्य को चारों ओर से गतिमान शक्तियाँ घेरे हुए हैं। इसलिए उसे भी गतिमान रहना पड़ेगा।

प्रश्न 3.
‘टलना पड़ेगा ही मुसाफ़ि, चलना पड़ेगा ही मुसाफ़िर’-इस वाक्य में ही’ का प्रयोग कवि ने क्यों किया है?
उत्तर:
इस वाक्य में ही प्रयोग कवि ने इसलिए किया है क्योंकि वह चलने के लिए मुसाफिर को बाध्य करता है कि जीवन है तो चलना है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
कल्पना कीजिए कि यदि नदी बहना छोड़ दे और मनुष्य चलना छोड़ दे तो क्या होगा?
उत्तर:
नदी बहना छोड़ दे तो पानी एक जगह ठहर जाएगा। उसमें उपस्थित गंदगी के कारण वह सड़ जाएगा और उसकी उपयोगिता समाप्त हो जाएगी। मनुष्य चलना छोड़ दे तो वह जड़ता का शिकार हो जाएगा। वह पत्थर जैसा किसी एक जगह का होकर रह जाएगा। यातायात के सारे साधन व्यर्थ हो जाएँगे। विकास संबंधी सारे काम रुक जाएँगे।

प्रश्न 2.
कवि ने अपने तरीके से मनुष्य को कार्य करते रहने के लिए प्रेरित किया है। आप अपने मित्र को कार्य करने की प्रेरणा कैसे देंगे?
उत्तर:
स्वयं करें।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
कविता ‘यात्रा और यात्री’ में से तीन संज्ञा शब्द छाँटकर लिखिए।
(क) ………………….
(ख) ………………….
(ग) ………………….
उत्तर:
(क) मुसाफ़िर
(ख) गीत
(ग) आकाश

प्रश्न 2.
नीचे दी गई पंक्तियों को उदाहरण की तरह लिखिए।
उदाहरण – चल रहा आकाश भी है
शून्य में भ्रमता-भ्रमाता
उत्तर:
आकाश भी शून्य में भ्रमता-भ्रमाता चल रहा है।

(क) चल रहा है तारकों का
दल गगन में गीत गाता,
…………………………………………..

(ख) स्थान से अपने तुझे
टलना पड़ेगा ही, मुसाफ़िर
…………………………………………..
उत्तर:
(क) तारकों का दल गगन में गीत गाता चल रहा है।
(ख) मुसाफ़िर तुझे अपने स्थान से टलना ही पड़ेगा।

जीवन मूल्य

  • संसार में पृथ्वी, चाँद, तारे सभी नियमानुसार चलते हैं।

प्रश्न 1.
इससे आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
इससे हमें अकर्मण्यता एवं आलस्य को त्याग कर निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।

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प्रश्न 2.
जीवन में नियमों का पालन करने का क्या महत्व है?
उत्तर:
यदि जीवन में हम नियमों का पालन नहीं करेंगे तो सारी चीजें अव्यवस्थित हो जाएँगी। जो कुछ हमारे पास है उसका कोई महत्व नहीं रहेगा। जीवन में नियमों का पालन करने से सारी चीजें व्यवस्थित हो जाएँगी। हरेक कार्य को करने की समय सारिणी होगी। कब, क्या करना है, हमें मालूम रहेगा। जीवन में निरंतर आगे बढ़ते रहने में जो वस्तु काम करती है, उनमें से एक है नियम। इसलिए जीवन में नियमों का पालन करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

प्रश्न 3.
प्रकृति का अनुसरण कर आप जीवन में क्या प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर:
प्रकृति स्वभाव से प्राणियों की सहचरी रही है। प्रकृति का शुद्ध, सात्विक और संतुलित संसर्ग पाकर हम जीवन में बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं। हम अपने जीवन में धरती जैसी सहनशीलता, आकाश जैसी विशालता, सूर्य जैसी चमक, चाँद जैसी शीतलता, पानी जैसी निरंतरता प्राप्त कर सकते हैं। प्रकृति की चीजें ही हमारी सारी नीरसता को सोख लेती हैं और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।

कुछ करने के लिए

प्रश्न 1.
कवि ‘हरिवंशराय बच्चन’ की कोई एक कविता कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
स्वयं करें।

प्रश्न 2.
कोई एक प्रेरणादायक ‘स्वरचित’ कविता लिखिए।
उत्तर:
स्वयं करें।

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DAV Class 6 Hindi Ch 17 Solutions – यात्रा और यात्री

I. अति लघुउत्तरीय प्रश्न

(क) ‘अचला’ किसे कहा गया है?
उत्तर:
अचला का अर्थ है-जो अपने स्थान पर स्थिर रहे। पृथ्वी को अचला कहा जाता है।

(ख) पृथ्वी कहाँ पड़ी है?
उत्तर;
पृथ्वी मनुष्य के पैरों में पड़ी है।

(ग) मनुष्य को कौन-सी शक्तियाँ चारों ओर से घेरे हुए हैं।
उत्तर:
गतिमान शक्तियाँ मनुष्य को चारों ओर से घेरे हुए हैं।

II. लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30 से 35 शब्दों में)

पृथ्वी को चंचला क्यों कहा गया है?
उत्तर:
पृथ्वी हमें अचल प्रतीत होती है, जबकि यह अपनी धूरी पर निरंतर घूम रही है, जिसके कारण दिन और रात होते हैं। इसके अलावा यह अपनी कक्षा में घूमती हुई सूर्य के चारों और गति करती है, अतः इसे चंचला कहा गया है।

III. मूल्यपरक प्रश्न

‘यात्रा और यात्री’ पाठ से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
‘यात्रा और यात्री’ पाठ से हमें अकर्मण्यता एवं आलस्य त्यागकर निरंतर चलने की प्रेरणा मिलती है। चलने से ही मनुष्य अपनी मंज़िल तक पहुँचता है, अतः हमें भी चलना चाहिए।

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क्रियाकलाप

‘नर हो न निराश करो मन को ‘……..।’ मैथिलीशरण गुप्त की यह कविता पढ़ें और इसका संदेश कक्षा में बताएँ।

व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. साँस चलती है तुझे
चलना पड़ेगा ही, मुसाफ़िर।
चल रहा है तारकों का
दल गगन में गीत गाता,
चल रहा आकाश भी है
शून्य में भ्रमता-भ्रमाता,

शब्दार्थ –
मुसाफ़िर – यात्री।
तारक – तारा।
गगन – आकाश।
शून्य – ब्रह्मांड
भ्रमता-भ्रमाता – घूमता-घुमाता।

प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश ‘ज्ञान सागर’ पाठ्यपुस्तक में संकलित कविता ‘यात्रा और यात्री’ पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता हरिवंशराय ‘बच्चन’ हैं। इन पंक्तियों में कवि ने निरंतर चलने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या – कवि मनुष्य को निरंतर चलते रहने की प्रेरणा देते हुए कहता है कि हे मनुष्य तुम्हारी साँसें निरंतर चल रही हैं, अत: तुझे भी चलते ही रहना है। कवि प्रकृति की गतिशीलता का उदाहरण देते हुए कहता है कि आकाश में तारों का दल चल रहा है और कोई गीत गुनगुनाता जा रहा है। स्वयं आकाश भी शून्य (ब्रह्मांड) में अनजानी राहों पर घूमता रहता है। अतः हे मनुष्य! तुझे भी चलते जाना है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उपर्युक्त काव्यांश के कवि कौन हैं?
(क) हरदान हर्ष
(ख) विनोद चंद्र पांडेय
(ग) हरिवंश राय ‘बच्चन’
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर:
(ग) हरिवंश राय ‘बच्चन’

प्रश्न 2.
साँसें क्या करती हैं?
(क) जीवन देती हैं
(ख) दिखाई नहीं देती हैं
(ग) मौत से बचाती हैं
(घ) हमेशा चलती रहती हैं
उत्तर:
(घ) हमेशा चलती रहती हैं

प्रश्न 3.
तारे क्या कर रहे हैं?
(क) चमक रहे हैं
(ख) निरंतर चल रहे हैं
(ग) चाँद का इंतज़ार
(घ) छिपते जा रहे हैं
उत्तर:
(ख) निरंतर चल रहे हैं

प्रश्न 4.
भ्रमता-भ्रमाता आकाश क्या प्रेरणा देता है?
(क) बड़ा बनने की
(ख) नीले रंग में रंग जाने की
(ग) चाँद जैसा चमकने की
(घ) निरंतर चलते जाने की
उत्तर:
(घ) निरंतर चलते जाने की

प्रश्न 5.
कवि ने मनुष्य को किसके समान बताया है?
(क) यात्री
(ख) चाँद
(ग) तारे
(घ) आकाश
उत्तर:
(क) यात्री

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2. पाँव के नीचे पड़ी
अचला नहीं, यह चंचला है,
एक कण भी, एक क्षण भी
एक थल पर टिक न पाता,
शक्तियाँ गति की तुझे
सब ओर से घेरे हुए हैं,
स्थान से अपने तुझे
टलना पड़ेगा ही, मुसाफ़िर।
साँस चलती है तुझे
चलना पड़ेगा ही, मुसाफ़िर।

शब्दार्थ –
पाँव – पैर।
अचला – धरती, स्थिर, न चलने वाली।
चंचला – गतिमान, एक स्थान पर न टिकने वाली।
थल – पृथ्वी।
टलना – हटना।

प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश ‘ज्ञान सागर’ पाठ्यपुस्तक में संकलित कविता ‘यात्रा और यात्री’ से लिया गया है। इसके रचयिता हरिवंशराय ‘बच्चन’ हैं। इन पंक्तियों में कवि ने निरंतर चलते रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या – कवि कहता है कि हे मनुष्य! तुम्हारे पैरों के नीचे पृथ्वी पड़ी है, जिसे तुम अचला अर्थात कभी न चलने वाली कहते हो, पर वह और उसका एक-एक कण निरंतर गतिमान है। उसका एक-एक कण एक स्थान पर कभी नहीं टिक पाता है। तुझे सृष्टि की गतिशील शक्तियाँ चारों ओर से घेरे हुए हैं, इसलिए तुझे अपने स्थान से हटना ही होगा। हे मुसाफ़िर! तू एक स्थान पर टिक कर नहीं बैठ सकता है। हे यात्री! तेरी साँसें निरंतर चल रही हैं। उन साँसों से प्रेरणा लेकर तुझे भी निरंतर चलते जाना है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अचला किसे कहा गया है?
(क) पृथ्वी को
(ख) बिजली को
(ग) चंद्रमा को
(घ) लताओं को
उत्तर:
(क) पृथ्वी को

प्रश्न 2.
धरती का एक-एक कण-
(क) चमकदार है
(ख) स्थिर है
(ग) गतिमान है
(घ) ऊर्जा से भरा है।
उत्तर:
(ग) गतिमान है

प्रश्न 3.
मनुष्य चारों ओर से घिरा है।
(क) स्थिर शक्तियों
(ख) गतिमान शक्तियों
(ग) स्थिर पर्वतों
(घ) अचल प्रकृति से
उत्तर:
(ख) गतिमान शक्तियों

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प्रश्न 4.
यात्री को अपने स्थान से क्या करना होगा?
(क) टलना
(ख) जमना
(ग) फिसलना
(घ) पाँव ज़माना
उत्तर:
(क) टलना

प्रश्न 5.
काव्यांश में निहित संदेश क्या है?
(क) अचल बनने का
(ख) थल पर टिकने का
(ग) शक्तिशाली बनने का
(घ) निरंतर चलने रहने का
उत्तर:
(घ) निरंतर चलने रहने का

यात्रा और यात्री Summary in Hindi

पाठ-परिचय

‘यात्रा और यात्री’ नामक पाठ में मनुष्य को अकर्मण्यता छोड़ निरंतर चलते जाने का संदेश दिया गया है। इसके लिए सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी, तारों आदि का उदाहरण दिया गया है। मनुष्य की स्थिति इस संसार में एक यात्री जैसी है, अत: उसे चलते रहना है।

कविता का सार

‘यात्रा और यात्री’ पाठ में कवि ने मनुष्य को यात्री की भाँति बताते हुए निरंतर चलने रहने की प्रेरणा दी है। इसके लिए वह मनुष्य की साँसों का उदाहरण देता है, जो निरंतर चलती रहती हैं। इसके अलावा प्रकृति के विभिन्न अंग जैसे तारों का समूह आकाश में चलता है, आकाश शून्य में अनजानी राह पर घूमता है। हमारे पैरों की नीचे की पृथ्वी को अचला कहते हैं। इसका एक-एक कण हर क्षण गतिमान है। चारों ओर सृष्टि की गतिशीलता है और तू इससे घिरा है। तू अपने स्थान पर बैठ नहीं सकता, अतः तुझे भी चलना होगा।