DAV Class 6 Hindi Chapter 16 Question Answer – धान का महत्व

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DAV Class 6 Hindi Chapter 16 Question Answer – धान का महत्व

DAV Class 6 Hindi Ch 16 Solutions – धान का महत्व

पृष्ठ संख्या-71.
निखरना – सुंदर लगना।
दूजा – दूसरा।
बेरंग – रंगहीन।
आलीशान – शानदार।
समस्त – सारा।
विश्व – संसार।

पृष्ठ संख्या-72.
पाताल – निचली जगह।
उत्पत्ति – जन्म, पैदाइश।
अनगिनत – बहुत सी।
उपजे – उगे।
उदास – दुखी।
सूदख़ोर – ब्याज से जीविका चलाने वाला।
जुल्म – अत्याचार।
सुनहरा – सोने के रंग का।
अंजुरी – दोनों हथेलियों को जोड़ने से बना गड्ढा।
बिखरना – फैल जाना।
सिलसिला – क्रम।

DAV Class 6 Hindi Chapter 16 Question Answer - धान का महत्व

पृष्ठ संख्या-73.
प्राचीन – पुराना।
स्थल – जगह।
रोपाधान – लगाया हुआ धान का पौधा।
महिमा – महत्त्व, बड़प्पन।

पृष्ठ संख्या-74.
लहूलुहान – घायल।
गति – दशा।
चूक – कमी, भूल।
वट वृक्ष – बरगद का पेड़।
तप – तपस्या।
बोध – ज्ञान।

धान का महत्व Summary in Hindi

पाठ-परिचय

‘धान का महत्त्व’ नामक पाठ धान के महत्त्व को प्रतिपादित करता है। इसके बिना त्योहार फीके लगते हैं। यह लोगों का प्रमुख खाद्यान्न है। इसकी उत्पत्ति के बारे में अनेक मत हैं। विभिन्न संस्कृतियों में इसका वर्णन है। यह भारत से विश्व के अनेक देशों में फैला।

पाठ का सार

धान चावल, अक्षत, तंदुल जैसे अनेक नामों से पुकारा जाता है। पूजा की थाली और दीपावली के बताशे इसके बिना फीके लगते हैं। संपूर्ण विश्व में इसे चाव से खाया जाता है। एशिया के दो सौ करोड़ लोग तथा अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के करोड़ों लोग चावल खाते हैं। दुनिया का 90% चावल एशिया में उगाया जाता है। यह नेपाल, भूटान जैसी ऊँची जगहों के साथ-साथ केरल जैसे समुद्रतटीय भागों में भी उगाया जाता है।

DAV Class 6 Hindi Chapter 16 Question Answer - धान का महत्व

इसकी उत्पत्ति के बारे में अनेक कहानियाँ प्रचलित हैं। जापानी मान्यता के अनुसार स्वर्ग में उड़ता हुआ हंस सूर्य देवी को धान के दाने दे गया। उन्होंने धान को स्वर्ग में बोया और धान की पहली बालियाँ जापान के राजकुमार निनिगी को देते हुए जापान ले जाने का आदेश दिया। फिलिपींस की कहानी के अनुसार अग्मे नामक लड़की का परिवार बंधुआ मज़दूरी करता था।

वह सूदखोर मालिक के अत्याचार से दुखी हो पहाड़ी के झरने में पाँव डाले दुखी बैठी थी तभी उसे कुछ बहता नज़र आया। उसने अपनी अंजुरी में उसे उठाया और किनारे की गीली मिट्टी में दबा दिया। पौधे उगे, बालियाँ फूटीं। अग्मे ने फिर इनके दाने बोए। मौसम दर मौसम ऐसा करने से उसकी झोंपड़ी धान से भर गई।

उसके पिता का कर्ज़ उतर गया और वे आज़ादी से जीने लगे। भारतीय धान का वैज्ञानिक नाम ओराइजा इंडिका है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल में खुदाई से धान-प्रध न संस्कृति का पता चलता है। धान को लैटिन भाषा में ‘ओराइजा’, अंग्रेज़ी में ‘राइस’-ये दोनों नाम तमिल के ‘अरिसि’ शब्द से उपजे हैं।

अरबी भाषा में ‘अल-रुज़’ या ‘अरुज़’, स्पैनिश में ‘अरोज़’, इटेलियन में ‘राइसो’, फ्रेंच में ‘रिज़’, जर्मन में ‘रीइस’, रूसी में ‘रीस’ और अग्रेंज़ी में ‘राइस’ बन गया। कौटिल्य ने अपने संस्कृत ग्रंथ अर्थशास्त्र में साठ दिनों में पकने वाले ‘षष्टिक’ धान का वर्णन किया है। इसे साठी धान भी कहते हैं। कहते हैं कि गौतमबुद्ध के एक शिष्य ‘नागार्जुन’ रसायन विद्या में बड़े कुशल थे।

एक बार वे महात्मा को पैरों में वह लेप लगाते देखा, जिससे वह गायब हो जाते थे। वे उनके शिष्य बन वैसा ही लेप बनाने का प्रयास करने लगे। जब लेप बन गया तो उन्होंने अपने तलवों में मला और वे भी गायब हो गए, परंतु थोड़ी ही देर बाद गिर गए। ऐसा कई बार हुआ। उन्होंने महात्मा से क्षमा माँगकर सच्चाई बता दी।

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महात्मा ने वह लेप सूँघा और बताया तुमने इसमें साठी चावल पीस कर नहीं मिलाया। बौद्ध संस्कृति में भी धान का विशेष महत्त्व है। बुद्ध को चावल की बनी खीर खाने के बाद बोध प्राप्त हुआ और वे बुद्ध कहलाए। बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के साथ यह विश्व के अनेक देशों में फैला। धान भारत का ही दान है।