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DAV Class 6 Hindi Chapter 14 Question Answer – एक रोमांचक यात्रा
DAV Class 6 Hindi Ch 14 Question Answer – एक रोमांचक यात्रा
पाठ में से
प्रश्न 1.
पहाड़ों में घूमते हुए नेहरू जी किसके साथ कहाँ तक पहुँच गए?
उत्तर:
पहाड़ों पर घूमते हुए नेहरू जी अपने चचेरे भाई के साथ लद्दाख की जोजी-ला घाटी से आगे महायन तक पहुँच गए।
प्रश्न 2.
नेहरू जी एवं उनके साथी यात्रियों ने बर्फ़ीली नदियों को किसकी सहायता से और किस प्रकार पार किया उत्तर नेहरू जी एवं उनके साथी यात्रियों ने बर्फ़ीली नदियों को वहाँ के एक गड़रिये की सहायता से पार किया। उन्होंने बर्फ़ीली नदियों को पार करते समय एक-दूसरे को रस्सियों की साँकल से बाँध लिया ताकि मुसीबत में फंसने पर एक-दूसरे की सहायता की जा सके।
प्रश्न 3.
अमरनाथ की गुफा अनदेखी क्यों रह गई?
उत्तर:
जहाँ नेहरू जी और उसके साथी खड़े थे वहां से आधा मील की दूरी पर अमरनाथ गुफ़ा थी। लेकिन जैसे वे गुफ़ा की तरफ बढ़ने लगे। रास्ते में बहुत सी दरारें थी। ताज़ा गिरने वाली बर्फ़ ने उन दरारों को ढक लिया था, जिससे दरारों का पता नहीं चल रहा था। एक जगह पर तो नेहरू जी का पैर फ़िसलने से वे एक बड़ी दरार में गिर गए।
बाद में उसे निकाल लिया। आगे के खतरों को पार करने का कोई भी साधन नहीं था। इसलिए वे अमरनाथ की गुफ़ा के देखे बिना वापिस लौट आए।
प्रश्न 4.
उचित उत्तर पर सही (✓) का निशान लगाइए-
(क) यात्रा में नेहरू जी को कैसा अनुभव हुआ।
दिल लुभाने वाल
दिल दहला देने वाला
दिल बहलाने वाला
दिल बुझाने वाला
उत्तर:
दिल बहलाने वाला
(ख) मटायन से अमरनाथ की गुफा कितनी दूर थी?
आठ मील
दस मील
पाँच मील
सात मील
उत्तर:
आठ मील
(ग) लगातार चढ़ते रहने के बाद नेहरू जी और उनके साथियों को क्या पुरस्कार मिला?
हिम-पिंड देखने का
हिम-वृष्टि देखने का
हिम-सरोवर देखने का
हिम-कुंड देखने का
उत्तर:
हिम-सरोवर देखने का
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
यात्रियों को साँस लेने में कठिनाई क्यों होने लगी होगी?
उत्तर:
पहाड़ों पर जैसे-जैसे ऊँचाई की तरफ बढ़ते है, तो वहाँ ऑक्सीज़न की कमी होती चली जाती है, इसलिए साँस लेने में कठिनाई होने लगती है।
प्रश्न 2.
“इस नई बर्फ़ ने ही मेरा करीब-करीब खात्मा कर दिया होता”-ऐसा नेहरूजी ने क्यों कहा?
उत्तर:
नेहरू जी ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उन्होंने जैसे ही बर्फ पर अपना पैर आगे रखा, वह नीचे की तरफ़ खिसक गई और वे धम्म से एक बड़ी खाई (दरार) में जा गिरे, जहाँ से उनके साथियों ने बड़ी मुश्किल से उन्हें वहाँ से बाहर निकाला।
प्रश्न 3.
क्या कारण होगा कि थके होने पर भी सभी ने यात्रा तय करनी शुरू की?
उत्तर:
ताज़ा बर्फ़ पड़ने लगी और बर्फ़ीली नदियाँ भयानक रूप से रपटीली हो गईं। इसलिए वे नहीं चाहते थे किसी बड़ी समस्या का सामना करना पड़े। वे जल्दी-से-जल्दी अपनी मंजिल पर पहुंचना चाहते थे। इस कारण उन्होंने बर्फ़ होने के बावजूद भी अपनी यात्रा जारी रखी।
प्रश्न 4.
हिम-सरोवर का दृश्य कैसा था?
उत्तर:
हिम-सरोवर का दृश्य बहुत सुंदर था। उसके चारों ओर बर्फ़ से ढ़की पहाड़ियाँ थी।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
यदि आपको पहाड़ पर रहना पड़ता है तो किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता?
उत्तर:
यदि हमें पहाड़ पर रहना पड़े तो निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं। जैसे –
ऊँचाई के कारण आक्सीजन कम मिलती है, जिससे साँस लेने में कठिनाई महसूस होती है।
तेज बर्फीली हवाओं से अपने आप को बचाना पड़ता है क्योंकि हो सकता है बीमार होने पर जल्दी कोई सहायता न मिले।
जंगली-जानवरों व रास्ता भूलने का भी भय बना रहता है।
प्रश्न 2.
क्या होता अगर यात्रियों ने एक दूसरे को रस्सियों से न बाँधा होता?
उत्तर:
अगर यात्रियों ने एक-दूसरे को रस्सियों में न बाँधा होता तो नेहरू जी दरार में गिरकर इतने नीचे चले जाते, जहाँ से निकल पाना असंभव था।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए उदाहरण के अनुसार वाक्य बनाइए –
उदाहरण-हिम-सरोवर के चारों ओर बर्फ़ से ढकी पर्वत-चोटियाँ थीं, मानो देवताओं का मुकुट अथवा अर्धचंद्र हो।
उत्तर:
(क) उपवन में चारों तरफ़ रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे मानो ज़मीन पर सुंदर रंग-बिरंगा गलीचा बिछा दिया गया हो।
(ख) आकाश में काले-काले बादल छाए हुए थे मानो तंबू लगा विया गया हो।
(ग) गहरे काले आसमान में अनेक तारे चमक रहे थे मानो सितारों जड़ी काली साड़ी हो।
(घ) तेज़ ठंडी हवा के कारण पेड़ हिल रहे थे मानो बच्चे झूम-झूमकर अपनी खुशी प्रकट कर रहे हों।
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए वाक्यों को दिए गए मुहावरों द्वारा पूरा कीजिए- दिल दहलना, आँखों से ओझल होना, होश उड़ना
(दिल दहलना, आँखों से ओझल होना, होश उड़ना)
उत्तर:
(क) जब मैंने अपनी खाली जेब देखी तो मेरे होश उड़ गए।
(ख) पहाड़ के ऊपर से नीचे गहरी खाई को देखा तो में दहल गया।
(ग) बगीचे से आम तोड़कर अनिल माली की आँखों में ओझल हो गया।
जीवन मूल्य
प्रश्न 1.
किसी भी कार्य को करने के लिए जोश भी ज़रूरी है और अनुभव भी। अपने विचार बताइए।
उत्तर:
मेरे विचार से किसी भी कार्य को करने के लिए जोश के साथ-साथ अनुभव भी ज़रूरी है। अकेले जोश या अनुभव के आधार पर काम तो कर सकते हैं लेकिन हो सकता है उतना अच्छा न बने जितना आपकी उम्मीद हो। इसलिए जोश काम करने की शक्ति देता है तो अनुभव उस कार्य को करने का तरीका। इसलिए किसी कार्य को बहुत अच्छा करने के लिए जोश और अनुभव दोनों की आवश्यकता है।
प्रश्न 2.
सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। आप क्या सोचते हैं?
उत्तर:
जी, बिल्कुल। हम जानते है कि सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। बिना मेहनत किए तो सामने रखा खाना भी मुँह तक नहीं पहुँचता। यदि हम सफल होना चाहते है, अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं तो लगातार मेहनत तो करनी ही होगी। जितने भी प्रसिद्ध व्यक्ति हुए हैं, उनको आप देख सकते हैं। उन्होंने यह मुकाम पाने के लिए कितनी मेहनत की होगी। इसलिए मेरे विचार से मेहनत और सफलता का चोली-दामन का साथ है।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1.
पहाड़ी यात्रा पर जाने से पहले क्या-क्या तैयारियाँ करनी चाहिए? उनकी एक सूची बनाइए।
उत्तर:
स्वयं करें
प्रश्न 2.
धीरे-धीरे धरनी का तापमान बढ़ता जा रहा है, जिसे हम ‘ग्लोबल वार्मिंग’ कहते हैं। विज्ञान, सामाजिक विज्ञान की शिक्षिका या किसी अन्य व्यक्ति की सहायता से पता कीजिए कि तापमान क्यों बढ़ रहा है? तापमान ने बढ़े इसके लिए हम क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
स्वयं करें
DAV Class 6 Hindi Ch 14 Solutions – एक रोमांचक यात्रा
I. बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
नेहरू जी ने विवाह के बाद कुछ महीने कहाँ बिताए थे?
(क) अमरनाथ
(ख) मटायन
(ग) लद्दाख
(घ) कश्मीर
उत्तर:
(घ) कश्मीर
प्रश्न 2.
नेहरू जी हफ़्तों पहाड़ों में घूमते रहे। इस अवधि में उनका परिवार कहाँ था?
(क) कश्मीर में
(ख) श्रीनगर में
(ग) अमरनाथ में
(घ) लद्दाख में
उत्तर:
(ख) श्रीनगर में
प्रश्न 3.
अमरनाथ की गुफा से मटायन सिर्फ ………. दूर है।
(क) छह मील
(ख) सात मील
(ग) आठ मील
(घ) दस मील
उत्तर:
(ग) आठ मील
प्रश्न 4.
नेहरू जी और उनके साथियों में जोश तो खूब था पर नदारत।
(क) धन
(ख) पथ-प्रदर्शक
(ग) अनुभव
(घ) उत्साह
उत्तर:
(ग) अनुभव
प्रश्न 5.
यात्री दल में गड़रिया क्या काम कर रहा था?
(क) बकरियाँ गिन रहा था
(ख) रास्ता बता रहा था
(ग) सामान उठा रहा था
(घ) तंबू, डेरा लगाने का काम कर रहा था
उत्तर:
(ख) रास्ता बता रहा था
प्रश्न 6.
इनमें से किस कारण से बक्रीली नदियाँ रपटीली हो गई थीं?
(क) ताज़ा बर्फ़ पड़ने के कारण
(ख) तेज़ बहाव के कारण
(ग) बर्फ़ पिघल जाने के कारण
(घ) बहुत समय से बर्फ़ न पड़ने के कारण
उत्तर:
(क) ताज़ा बर्फ़ पड़ने के कारण
प्रश्न 7.
प्रात: चार बजे से बारह बजे तक चलने पर यात्री दल को क्या पुरस्कार मिला?
(क) अमरनाथ गुफा देखने का
(ख) हिम सरोवर देखने का
(ग) बर्फ़ीली नदी पार करने का
(घ) हरा-भरा मैदान देखने का
उत्तर:
(ख) हिम सरोवर देखने का
प्रश्न 8.
बर्फ़ से ढकी ऊँची चोटियाँ कैसी लग रही थीं?
(क) सफ़ेद चादर जैसी
(ख) पूर्णिमा के चाँद जैसी
(ग) दूज के चाँद जैसी
(घ) आधा गोल चाँद जैसी
उत्तर:
(घ) आधा गोल चाँद जैसी
प्रश्न 9.
इनमें से आधा मील लंबा था-
(क) सरोवर
(ख) सुरंग
(ग) नदी
(घ) दरार
उत्तर:
(क) सरोवर
प्रश्न 10.
नेहरू जी के जीवन का खात्मा किससे हो सकता था?
(क) नदी की फिसलन से
(ख) चट्टानें फिसलने से
(ग) रस्सी टूटने से
(घ) ताज़ा बर्फ़ गिरने से
उत्तर:
(घ) ताज़ा बर्फ़ गिरने से
प्रश्न 11.
दरारों की संख्या और उनकी चौड़ाई
(क) घटती ही जा रही थी
(ख) पहले जैसी ही थी
(ग) बढ़ती ही जा रही थी
(घ) समाप्त हो चुकी थी
उत्तर:
(ग) बढ़ती ही जा रही थी
प्रश्न 12.
नेहरू जी और उनके साथी इनमें से कौन-सा स्थान नहीं देख सके?
(क) मटायन
(ख) अमरनाथ
(ग) हिम सरोवर
(घ) लद्दाख।
उत्तर:
(ख) अमरनाथ
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(क) अमरनाथ और मटायन के बीच का रास्ता कैसा था?
उत्तर:
अमरनाथ और मटायन के बीच बर्फ़ से ढका एक बड़ा-सा पहाड़ पार करना था।
(ख) ताज़ा बर्फ़ का बक़्रीली नदियों पर क्या असर हुआ?
उत्तर:
ताज़ा बर्फ़ पड़ने से रास्ते में पड़ने वाली नदियाँ भयानक फिसलन भरी हो गई थीं।
(ग) रास्ते में भी भीषण चढ़ाई के बाद यात्री दल को क्या पुरस्कार मिला?
उत्तर:
रास्ते की भीषण चढ़ाई के बाद यात्री दल को एक सुंदर-सा हिम-सरोवर देखने को मिला। यही उनके लिए पुरस्कार के समान था।
(घ) नेहरू जी दरार में कैसे गिरे?
उत्तर:
ताज़ा बर्फ़ ने दरार के मुँह को ढँक दिया था। नेहरू जी ने जैसे ही ताज़ा बर्फ़ पर पैर रखा वह दरार में खिसक गई और वे भी दरार में जा गिरे।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30 से 35 शब्दों में )
(क) ताज़ा गिरने वाली बऱ्फ यात्रियों के रास्ते में क्या-क्या बाधाएँ पैदा कर रही थीं?
उत्तर:
ताज़ा गिरने वाली बर्फ़ जब बर्फ़ीली नदियों पर गिरती तो वहाँ की फिसलन को कई गुना बढ़ा देती थी, जिससे उसे पार करना कठिन हो जाता है। यही ताज़ा बर्फ़ पहाड़ की दरारों का मुँह बंद कर देती थी जिस पर पैर पड़ने पर यात्री अंदर जाकर मृत्यु को प्राप्त कर लेता था।
(ख) यदि दरारों की संख्या कम और चौड़ाई कम होती तो क्या होता?
उत्तर:
अमरनाथ की गुफा के मार्ग में यदि दरारों की संख्या कम होती और वे उतनी चौड़ी भी न होतीं तो साधन के बिना भी उनको पार किया जा सकता था और अमरनाथ गुफा के दर्शन किए जा सकते थे। इस प्रकार यह यात्रा सफल हो जाती।
IV. मूल्यपरक प्रश्न
एक सफल रोमांचक यात्रा के लिए आप किन-किन गुणों को आवश्यक मानते हैं?
उत्तर:
रोमांचक यात्रा में यात्री को जगह-जगह अनेक खतरों का सामना करना पड़ता है, जिससे वह हतोत्साहित होता है। ऐसी यात्रा को सफल बनाने के लिए साहस, धैर्य, परिश्रम, सहनशीलता और अदम्य उत्साह जैसे गुणों की आवश्यकता होती है। इसके अलावा यदि अनुभव भी हो तो यात्रा की सफलता में संदेह नहीं रह जाता है।
क्रियाकलाप
- अपनी किसी यात्रा के अनुभवों को 100-150 शब्दों के अनुच्छेद में लिखिए और कक्षा में पढ़कर सुनाइए।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. 1916 में अपने विवाह के पश्चात् हमने कुछ महीने कश्मीर में बिताए। मैंने अपने परिवार को तो श्रीनगर की घाटी में छोड़ दिया। परंतु मैं अपने एक चचेरे भाई के साथ कई हफ़्तों तक पहाड़ों में घूमता रहा और घूमते हुए लद्दाख तक पहुँच गया। इस यात्रा में मुझे एक दिल दहला देने वाला अनुभव हुआ। जोजी-ला घाटी से आगे सफ़र करते हुए हम एक जगह पहुँचे। मेरे ख्याल से वह मटायन कहलाती थी।
प्रश्न –
(क) ‘मैंने’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है?
(ख) लेखक ने अपने परिवार को क्यों छोड़ दिया?
(ग) मटायन क्या है?
(घ) उसके साथ और कौन था?
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) ‘मैंने’ शब्द का प्रयोग हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री और इस पाठ के लेखक पं. जवाहर लाल नेहरू के लिए किया गया है।
(ख) वे पहाड़ों की यात्रा करते हुए अमरनाथ जाना चाहते थे, इसलिए परिवार को घाटी में छोड़ दिया।
(ग) मटायन एक जगह है जो जोजी-ला घाटी से आगे है।
(घ) इस यात्रा में उनके साथ उनके चचेरे भाई थे।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम है-‘एक रोमांचक यात्रा’।
2. हम सभी में जोश खूब था। किंतु अनुभव नदारद! हमने अपने डेरे-तंबू, जो ग्यारह हज़ार पाँच सौ फुट की ऊँचाई पर थे, छोड़ दिए। हम एक छोटे से दल के साथ पहाड़ पर चढ़ने लगे। रास्ता दिखाने के लिए हमारे साथ यहीं का एक गड़रिया था। हम लोगों ने रस्सियों की साँकल में एक-दूसरे को बाँध लिया। ऐसे ही बँधे हुए हमने कई बर्फ़ीली नदियों को पार किया। हमारी मुश्किलें बढ़ती गई तथा साँस लेने में भी कठिनाई होने लगी।
प्रश्न –
(क) ‘हम सभी’ का प्रयोग किनके लिए हुआ है?
(ख) उन्होंने अपने डेरे कहाँ छोड़े थे?
(ग) उनका पथ प्रदर्शक कौन था?
(घ) किसी आकस्मिक दुर्घटना से बचने का उन्होंने क्या उपाय किया था?
(ङ) उनके रास्ते में क्या कठिनाइयाँ थीं?
उत्तर:
(क) हम सभी का प्रयोग यहाँ नेहरू जी और उनके साथियों के लिए किया गया है।
(ख) उन्होंने अपने डेरे ग्यारह हज़ार पाँच सौ फीट ऊँचाई पर छोड़े थे।
(ग) उनका पथ-प्रदर्शक वहीं आस-पास का गड़रिया था।
(घ) किसी आकस्मिक दुर्घटना से बचने के लिए उन्होंने एक लंबी मज़बूत रस्सी को साँकल रूप में कमर में बाँध रखा था।
(ङ) लगातार चढ़ाई, फिसलन भरी बऱ्फ़ीली नदियाँ, हवा की कमी से साँस लेने में कठिनाई आदि उनकी परेशानियाँ थीं।
3. वहाँ का दृश्य बहुत ही सुंदर था। उसके चारों ओर बर्फ़ से ढकी पर्वत-चोटियाँ थीं, मानो देवताओं का मुकुट अथवा अर्धचंद्र हो। परंतु ताज़ा बर्फ़ और कुहरे ने शीघ्र ही इस दृश्य को हमारी आँखों से ओझल कर दिया। पता नहीं हम कितनी ऊँचाई पर थे। लेकिन मेरा ख़्याल है कि हम लोग कोई पंद्रह-सोलह हज़ार फुट ऊँचाई पर ज़रूर रहे होंगे, क्योंकि हम अमरनाथ की गुफा से बहुत ऊँचे थे।
प्रश्न –
(क) उस स्थान की सुंदरता का क्या कारण था?
(ख) चोटियाँ कैसी प्रतीत हो रही थीं?
(ग) मनोरम दृश्य अधिक देर तक क्यों नहीं देखा जा सका?
(घ) वे कितनी ऊँचाई पर रहे होंगे?
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) उस स्थान की सुंदरता का कारण था-उसके चारों ओर बर्फ़ से ढकी ऊँची-ऊँची चोटियाँ होना।
(ख) बर्फ़ से ढकी चोटियाँ देवताओं का मुकुट या अर्धचंद्र जैसी प्रतीत हो रही थीं।
(ग) उस मनोरम दृश्य को अधिक देर तक इसलिए नहीं देखा जा सका क्योंकि ताज़ा बर्फ़ और कोहरा गिरना शुरू हो गया था।
(घ) नेहरू जी और उनके साथी पंद्रह-सोलह हज़ार फीट ऊँचाई पर रहे होंगे।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम है-‘एक रोमांचक यात्रा’।
4. इस नयी बर्फ़ ने ही मेरा करीब-करीब खात्मा कर दिया होता, क्योंकि मैंने ज्यों ही उसके ऊपर पैर रखा, वह नीचे को खिसक गई और मैं धम्म-से एक बड़ी दरार में जा गिरा। यह दरार बहुत बड़ी थी और कोई भी चीज़ उसमें बिलकुल नीचे पहुँच सकती थी। लेकिन मेरे हाथ से रस्सी नहीं छूटी। मैं दरार की बाजू को पकड़े रहा और ऊपर खींच लिया गया। इस घटना से हम लोगों के होश तो उड़ गए थे, फिर भी हम लोग आगे चलते गए।
प्रश्न –
(क) बर्फ़ उसका खात्मा कैसे कर देती?
(ख) इस गद्यांश के लेखक कौन हैं?
(ग) दरार किस प्रकार खतरनाक थी?
(घ) वे दुर्घटना से किस प्रकार बचे?
(ङ) दुर्घटना के बाद भी वे चलते गए क्यों?
उत्तर:
(क) ताज़ा बर्फ़ से दरारों का मुँह ढक गया था। ऐसे ही चलते समय वे एक दरार में जा गिरे और मरते-मरते बचे।
(ख) इस गद्यांश के लेखक पंडित जवाहर लाल नेहरू हैं।
(ग) दरार बहुत बड़ी, गहरी और चौड़े मुँह की थी, जिसमें गिरने पर कोई भी सीधे नीचे पहुँचता।
(घ) नेहरू जी ने एक हाथ से दरार का किनारा पकड़े रखा तथा कमर में बँधी रस्सी से उनके साथियों ने ऊपर खींच लिया। इस प्रकार वे बच निकले।
(ङ) दुर्घटना के बाद भी वे इसलिए चलते गए क्योंकि उनमें कूट-कूटकर जोश भरा था।
शब्दार्थ –
पृष्ठ संख्या-58.
दिल दहला देने वाला – डरा देने वाला।
हिम – बर्फ़।
जोश – उत्साह।
नदारत – गायब।
डेरा – रहने या आराम करने की अस्थायी जगह।
गड़रिया – भेड़-बकरियाँ पालने वाली जाति।
साँकल – शृंखला, जंजीर।
रपटीली – तेज़ फिसलने वाली।
पृष्ठ संख्या-59.
खेमा – तंबू।
विशाल – बड़ा।
हिम-सरोवर – बर्फ़ से ढका बड़ा तालाब।
अर्धचंद्र – आधा चाँद।
ओझल – अदृश्य।
मुश्किल – कठिनाई।
दरार – चट्टानों के बीच की खाली जगह।
खात्मा – जीवन का अंत।
बाजू – किनारा।
होश उड़ाना – घबरा जाना।
तादाद – संख्या।
हताश – निराश।
अनदेखी – बिना देखी।
एक रोमांचक यात्रा Summary in Hindi
पाठ-परिचय
‘एक रोमांचक यात्रा’ नामक पाठ एक यात्रा-वृतांत है। यह यात्रा हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने 1916 में की थी। वे लद्दाख होते हुए अमरनाथ जाना चाह रहे थे, किंतु एक दुर्घटना के कारण वह यात्रा अधूरी रह गई। उसी यात्रा का रोमांचक वर्णन इस पाठ में किया गया है।
पाठ का सार
नेहरू जी ने 1916 में अपने विवाह के पश्चात् कुछ समय कश्मीर में बिताया। वे अपना परिवार घाटी में छोड़ चचेरे भाई के साथ पहाड़ों में घूमते हुए लद्दाख पहुँच गए। जोजी-ला घाटी से आगे चलकर मटायन पहुँचे जहाँ से अमरनाथ मात्र आठ मील दूर था। बीच में हिम से ढका एक पहाड़ था। नेहरू जी और उनके साथियों में जोश तो था, पर अनुभव की कमी थी।
वे अपने डेरे-तंबू ग्यारह हज़ार पाँच सौ फीट ऊपर छोड़ चुके थे। उनका मार्गदर्शक एक स्थानीय गड़रिया था। सभी रस्सियों की साँकल में बँधे यात्रा कर रहे थे। बर्फ़ीली नदियों को पार करने के बाद साँस लेने में कठिनाई होने लगी थी। बर्फीली नदियाँ ताज़ा बर्फ़ के कारण फिसलन भरी हो गईं थीं।
सवेरे चार बजे से बारह बजे तक लगातार चढ़ाई करने के बाद उन्हें एक विशाल हिम सरोवर देखने को मिला। हिम-सरोवर बहुत ही सुंदर था जिसके चारों ओर बर्फ से ढकी पर्वत चोटियाँ थीं पर ताजी बर्फ और कोहरे के कारण इसे देर तक न देख सके। इसी सरोवर को पार कर गुफा की ओर जाना था।
लगा कि चढ़ाई खत्म होने से कठिनाइयाँ खत्म हो गई पर यह धोखा था। ताज़ा गिरी बर्फ़ से ढकी दरार दिखाई नहीं देती थी। उसकी गहराई और चौड़ाई का पता नहीं लग पाता था। ऐसे ही जब उन्होंने पैर आगे बढ़ाया तो एक दरार में नेहरू जी धम्म से जा गिरे। वे दरार के किनारे को हाथ से पकड़े रहे।
मज़बूत रस्सी के कारण वे नीचे नहीं गिरे और साथियों ने उन्हें ऊपर खींच लिया और वे बाल-बाल बच गए। अब आगे जाने पर दरारें चौड़ी होती गईं और उनकी संख्या भी बढ़ती जा रही थी। इनको पार करने के साधन उनके पास न थे इसलिए थके-हारे, हताश वे वापस लौट आए। इस प्रकार वे अमरनाथ की गुफ़ा न देख सके।