NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 6 खानाबदोश
Class 11 Hindi Chapter 6 Question Answer Antra खानाबदोश
प्रश्न 1.
जसदेव की पिटाई के बाद मजदूरों का समूचा दिन कैसे बीता ?
उत्तर :
जसदेव की पिटाई के बाद मजदूरों का समूचा दिन अदृश्य भय और दहशत में बीता। आज की घटना से मज़दूर डर गए थे। उन्हें लग रहा था कि सूबे सिंह किसी भी वक्त लौटकर आ सकता है। शाम होते ही भट्टे पर सन्नाटा छा गया था। सब अपने-अपने खोल में सिमट गए थे। बूढ़ा बिलसिया, जो अक्सर बाहर पेड़ के नीचे देर रात तक बैठा रहता था आज शाम होते ही अपनी झोपड़ी में जाकर लेट गया था। उसके खाँसने की आवाज़ भी आज कुछ धीमी हो गई थी। किसनी की झोंपड़ी से ट्रांजिस्टर की आवाज़ भी नहीं आ रही थी।
प्रश्न 2.
‘इटों को जोड़कर बनाए गए चूल्हे में जलती लकड़ियों की चिट-पिट जैसे मन में पसरी दुश्चिताओं और तकलीफों की प्रतिध्वनियाँ थीं जहाँ सब कुछ अनिश्चित था।’ यह वाक्य मानो की किस मनोस्थिति को उजागर करती है ?
उत्तर :
सुकिया अर्थात् अपने पति की जिद के कारण मानो को भट्टे पर नौकरी करने आना पड़ा था । उसे भट्टे की जिंदगी रास नहीं आ रही थी। साँझ होते ही सारा माहौल भाँय-भाँय करने लगता था मन में तरह-तरह की दुश्चिंताएं एवं भविष्य के प्रति भय और अनिश्चितता हावी होने लगती थी। यहाँ के पूरे माहौल में मानो की बेब्सी दिखाई देती थी। जंगल के इस जीवन में हर तरह का डर था।
प्रश्न 3.
मानो अभी तक भट्टे की जिंदगी से तालमेल क्यों नहीं बैठा पाई थी ?
उत्तर :
मानो भट्टे पर आने से पहले गॉँव में रहती थी, वहाँ पर पूरा परिवार था परन्तु यहाँ मजदूरों ने ईट जोड़कर छोटे-छोटे दड़ेे बना रखे थे। यहाँ काम करने वाले मजदूर भी भिन्न-भिन्न जगहों से आए थे। वे शाम होते ही अपने-अपने दड़बों में घुस जाते थे। इस कारण वहाँ का वातावरण बड़ा ही भयावह हो जाता था। यही कारण है कि मानो भट्टे की जिंदगी से तालमेल नहीं बैठा पाई थी।
प्रश्न 4.
‘खुद के हाथ पथी ईंटों का रंग ही बदल गया था। उस दिन ईंटों को देखते-देखते मानो के मन में एक ख्याल कौंधा था।’ बह क्या ख्याल था जो मानो के मन में कौंधा ? इस संदर्भ में सुकिया के साथ हुए उसके वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
भट्टे की पकी ईटों के बदले रंग को देखकर मानो के मन में भी आकांक्षा उत्पन्न हुई कि उसका भी एक पक्का घर हो। उसने अपने पति से कहा कि क्या हम अपने लिए इन ईंटों का घर नहीं बना सकते। मानो की बात को सुनकर सुकिया को आश्चर्य हुआ, उसने कहा कि पक्की ईंटों का घर दो चार रुपये में नहीं बनता इसके लिए बहुत पैसा चाहिए। मानो बोली महीने भर में हमने इतनी इटें पाथ दीं क्या इन पर हमारा अधिकार नहीं है। सुकिया ने कहा, ‘यह भट्टा मालिक का है हमारा नहीं। मानो ने कहा हम हर महीने बचत करें और ज्यादा इंटें बनाएँ तब तो हमारा घर बन सकता है। मानो के हृदय में घर की बात को लेकर उथल-पुथल मची हुई थी। वह दिन-रात काम करने की बात कहती है। उसके मन में विचार रह-रह कर उठ रहा था कि वे अपने गाँव में पक्की ईंटों का घर बनायेंगे। मानो के अड़िग विश्वास के चलते दोनों ने मिलकर पक्का घर बनाने का लक्ष्य निर्धारित कर लिया।
प्रश्न 5.
असगर केकेदार के साथ जसदेव को आता देखकर सूबेसिंह क्यों बिफर पड़ और जसदेव को मारने का क्या कारण था ?
उत्तर :
भट्टा मालिक के लड़के सूबे सिंह ने मानो को दफ्तर में बुलाया था। जसदेव सूेसेंह को अच्छी तरह जानता था इसलिए उसने मानो को जाने से मना कर दिया और स्वयं असगर ठेकेदार के साथ चल पड़ा। सूबेसिंह जसदेव को देखकर आग-बबूला हो गया। उसने आव देखा न ताव वह जसदेव को भद्दी-भद्दी गालियाँ देने लगा। उसके विरोध करने पर सूबेसिंह ने जसदेव की पिटाई कर दी और लात घूसों से मार-माकर अधमरा कर दिया।
प्रश्न 6.
मानो किसनी क्यों नहीं बनना चाहती थी ?
उत्तर :
किसनी जिस राह पर चल पड़ी थी वह राह पतन की ओर जाती है। स्त्री का स्त्रील्य ही उसकी सबसे बड़ी धरोहर होती है। किसनी ने वह धरोहर सूबे सिंह के हाथों लुटा दी थी। वह सूबे सिंह के साथ कई-कई दिन शहर होकर आती थी। सूबे सिंह ने मानो को भी अपने जाल में फँसाना चाहा। मानो के लिए उसका चरित्र सब कुछ था। वह अपनी इज्जत को गैरों के हाथों न बिकने देने के लिए अडिग थी। उसने निश्चय कर लिया था कि वह किसनी की राह नहीं अपनाएगी भले ही यह भट्टा छोड़ना पड़े।
प्रश्न 7.
‘सुकिया ने मानो की आँखों से बहते तेज़ अँधड़ों को देखा और उनकी किरकिराहट अपने अंतर्मन में महसूस की। सपनों के टूट जाने की आवाज़ उसके कानों को फाड़ रही थी।’ प्रस्तुत पंक्तियों का सदंर्भ बताते हुए आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
मानो ने अपने मन में अपना पक्का घर बनने का स्वप्न पालकर भट्टे पर दिन दूनी मेहनत करनी शुरू की थी परन्तु सूलेसिंह ने जो कुछ किया उससे उसके सारे अरमान धूल में मिल गए। इतनी मेहनत से उन्होंने जो ईटें पाथी थीं वे सारी-की-सारी सूबेसिंह ने तुड़वा दी थीं । टूटी हुई ईंटों को देखकर वह दहाड़ मारकर रोने लगी। उसको लगा कि उसका हृदय फटा जा रहा है और उसके सारे अरमान इन टूटी हुई ईंटों की तरह ही चकना चूर हो गए। खुम्बिया ने मानो की आँखों में जो स्वप्न देखे थे वे एक तेज आँधी बनकर उड़ गए केवल उनकी किरकिराहट बाकी रह गई।
प्रश्न 8.
‘खानाबदोश’ कहानी में आज के समाज की किन-किन समस्याओं को रेखांकित किया गया है ? इन समस्याओं के प्रति कहानीकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस कहानी में लेखक ने निम्नलिखित समस्याओं को रेखांकित किया है-
- गाँवों कस्बों से रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन।
- मजदूरों की खानाबदोश स्थिति।
- मजदूरों का शोषण।
- जातिवाद की समस्या।
लेखक का कहना है कि गाँबों से शहरों की ओर रोजगार की तलाश में रोज अनेक लोग आते हैं। गाँवों में उनको रोजगार नहीं मिलता। वे अपना घर-बार छोड़कर शहरों में मजदूरी करने लगते हैं। उनकी स्थिति खानाबदोश जैसी रहती है वे अपने पूरे जीवन काल में अपने लिए एक झोपड़ी नहीं बना सकते जबकि उनके परिश्रम से लोगों की अट्टालिकाएँ खड़ी हो जाती हैं। मजदूरों का मान-सम्मान भी सुरिक्षत नहीं है। सूबे सिंह जैसे व्यक्ति मजदूर स्त्रियों को अपनी कामवासना का शिकार बनाते हैं। शिकार न बनने की स्थिति में वे उनको तरह-तरह से प्रताड़ित करते हैं। वे जी भरकर उनक़ा शोषण करते हैं। मजदूरों में भी आपस में जातिगत भेदभाव है। जसदेव ब्राह्मण होने के कारण मानो के हाथ की रोटी नहीं खाता।
प्रश्न 9.
‘चल! ये लोग म्हारा घर ना बढ़ाने देगे।’-सुकिया के इस कथन के आधार पर कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘खानाबदोश’ कहानी की मूल संवेदना गरीबी एवं शोषण है। मजदूर अपना पेट भरने के लिए काम की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं। वे जी तोड़ मेहनत करते हैं फिर भी उनको इतना पैसा नहीं मिलतi की वे अपना जीवन ठीक प्रकार से जी सकें। उनको जानवरों की तरह रहना पड़ता है। उनका हर तरह से शोषण किया जाता है। आर्थिक शोषण तो होता ही है उनका शारीरिक शोषण भी किया जाता है। सूबे सिंह जैसे लोगों की नज़र जब किसी मजदूर स्त्री पर पड़ती है तो वह अपनी भोग लिप्सा के लिए उनको अपने जाल में फँसाने का पूरा प्रयत्न करता है। प्रयत्न में असफल होने पर वह अनेक प्रकार से उनको प्रताड़ित करता है। खानाबदोश कहानी के माध्यम से लेखक ने मानवीय संवेदनाओं को जगाने का प्रयत्न किया है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
(क) अपने देश की सूखी रोटी भी परदेस के पकवानों से अच्छी होती है।
(ख) इत्ते ढेर-से नोट लगे हैं पर बणाने में। गाँठ में नहीं है पैसा चले हाथी खरीदने।
(ग) उसे एक घर चाहिए था पक्की ईंटों का। जहाँ बह अपनी गृहस्थी और परिवार के सपने देखती थी।
(घ) फिर तुम तो दिन-रात साथ काम करते हो…. मेरी खातिर पिटे…. फिर यह बामन हमारे बीच कहौं से आया …… ?
(ङ) सपनों के काँच उसकी आँखों में किरकिरा रहे थे।
उत्तर :
(क) आशय : अपने घर पर अपने परिश्रम से यदि थोड़ा भी मिल जाए वह भी बहुत होता है। व्यक्ति थोड़े में भी गुजारा कर सकता है। वहाँ वह स्वाभिमान के साथ अपना जीवन यापन कर सकता है।
(ख) आशय : मकान बनाने के लिए बहुत पैसे की आवश्यकता होती है। मकान बनाना आसान काम नहीं है वह भी एक मजदूर के लिए जो मुश्किल से अपना पेट भरता हो।
(ग) आशय : सभी का ख्वाब होता है कि उसका एक घर हो मानो का भी यही ख्याब था कि वह अपना एक घर बनाए जिसमें वह अपने परिवार के साथ सुखपूर्वक रह सके।
(घ) आशय : जसदेव मानो के लिए सूबे सिंह से पिटा परन्तु वही जसदेव मानो के हाथ की रोटी नहीं खाता। सारा दिन काम एक साथ करते हैं परन्तु जातिवाद की बू फिर भी नहीं जाती। मजदूर-मजदूर एक समान। परन्तु वहाँ भी कहीं से ब्राह्मण और अछूत का प्रश्न खड़ा हो गया। मानो का एक ही स्वप्न था कि उसका भी अपना घर हो परन्तु जब सुबह-सुबह उसने अपंने द्वारा पाथी गई इंटें चकनाचूर देखीं तो उसका मकान बनाने का स्वप्न भी चकनाचूर हो गया और ऐसा लगता है जैसे टूटे हुए मकान का काँच उसकी आँखों में किरकिरा रहा हो।
(ङ) आशय : मानो का एक ही सपना था पक्की ईंटों का घर बनाना। इसके लिए वह बहुत परिथ्रिम भी करती थी। मानो की पाथी हुई ईंटों को गिराकर चकनाचूर कर दिया गया। मानो को टूटी हुर्ई इंटें ऐसा अहसास करा रही थीं जैसे उसकी आँखों में टूटा हुआ काँच किरकिरा रहा हो।
प्रश्न 11.
नीचे दिए गद्यांश की सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
“भट्टे से उठते काले धुएँ ने आकाश तले एक काली चादर फैला दी थी। सब कुछ छोड़कर मानो और सुखिया चल पड़े थे एक खानाबदोश की तरह, जिन्हें एक घर चाहिए था रहने के लिए। पीठे छूट गए थे कुछ बेतरतीव पल, पसीने के अक्स जो कभी इतिहास नहीं बन सकेंगे। खानाबदोश जिन्दगी का एक पड़ाव था, यह भट्टा”। संदर्भ : प्रस्तुत गद्यांश ‘ओमप्रकाश वाल्मीकि’ द्वारा रचित कहानी ‘खानाबदोश’ से लिया गया है। यहाँ सुखिया और मानो के भह्टा छोड़कर जाने की बात का मार्मिक चित्रण किया गया है।
उत्तर :
ब्याख्या : भट्टे से काला-काला धुआँ सारे आकाश में छाया हुआ था। ऐसा लगता था मानो आकाश पर काली चादर ढक दी गई हो। मानो और सुखिया इस भट्टे पर जिस अवस्था में आए थे वैसे ही खाली हाथ आगे के सफर के लिए चल पड़े। एक ऐसे सफर की ओर जिसका कोई निश्चित पड़ाव ही न हो। घर बनाने का स्वप्न काँच के टुकड़ों की तरह बिखर चुका था। लगता था उनका कभी घर बन ही नहीं पाएगा इस स्वप्न को पूरा करने के लिए जो पसीना बहाया था वह सब व्यर्थ गया। अब यह कभी इतिहास नहीं बन पाएगा। यह स्वप्न सिर्फ स्वप्न ही रहेगा। यह इटों का भट्टा भी इसी सफर का एक पड़ाव था।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
अपने आस-पास के क्षेत्र में इंटों के भट्टे का निरीक्षण कीजिए तथा इंें बनाने एवं उसे पकाने की प्रक्रिया का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
ईंटे बनाने के लिए सबसे पहले मिट्टी का चुनाव किया जाता है फिर उस क्षेत्र में भट्टे के लिए थोड़ी खुदाई करके भूमि को समतल किया जाता है उसमें पानी मिलाकर गारे को खूब मुलायम बिना दिया जाता है। फिर उस गारे को एक निश्चित साँचे में भर कर ईटे पाथी जाती हैं। जब इंटें थोड़ी सूख जाती हैं तब उनसे जालीदार दीवार बनाई जाती है जिससे ईटें अच्छी प्रकार सूख जाएं। ईंटों के सूखने पर उन्हें भट्टे में लगाया जाता है। भट्टे को चारों ओर से बंद करके उसमें आग जलाई जाती है। इस प्रकार कई दिन बाद इंटे पक जाती हैं।
प्रश्न 2.
भट्टा-्मज़दूरों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।
उत्तर :
भट्टा मजदूर दूर दराज के गाँवों से आते हैं वे अक्सर भूमिहीन मजदूर होते हैं जो रोजग़ार की तलाश में भटे पर काम करने के लिए आते हैं उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती है। वे भट्टे पर आकर इंटे पाथते हैं। उनको प्रति हजार ईंटों के हिसाब से पैसा मिलता है। कभी-कभी उनके साथ नाइंसाफी भी होती है। उनको सवसे अधिक कुदरत की मार झेलनी पड़ती है। बारिश होने पर उनकी पाथी हुई सारी इंटें खराब हो जाती हैं जिनकी उनको मजदूरी भी नहीं मिलती।
भट्टा मजदूरों के ऊपर सदा ही किस्मत की तलवार भी लटकती रहती है। भटा मजदूर एक ठेकेदार के अंडर काम करते हैं जो सदा उनका शोषण करता रहता है। वह कभी भी उनको उभरने नहीं देता। उनकी आर्थिक स्थिति खराब रहती है। वह उनको मोटे ब्याज पर उधार पैसा देता रहता है। इस प्रकार उनकी सारी कमाई ठेकेदार खाता रहता है। वे सदा गरीबी से जूझते रहते हैं।
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प्रश्न 1.
भट्टे का सबसे खतरनाक काम कौन-सा है और क्यों ?
उत्तर :
भट्टे का सबसे खतरनाक काम मोरी का है। मोरी से कभी-कभी ऐसी गैस निकलती है कि आदमी की मौत तक हो जाती है।
प्रश्न 2.
रात्रि के समय भहे का माहौल केसा हो जाता था ?
उत्तर :
साँझ होते ही भटे का सारा माहौल भाँय-भाँय करने लगता था। थके-हारे मजदूर अपनी दड़बनेनुमा झोपड़ी में घुस जाते थे। वहाँ साँप, बिच्छु का डर भी खूब रहता था।ऐसा लगता था जैसे समूचा जंगल झोपड़ी के दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया है।
प्रश्न 3.
भहे पर सुखिया और मानो की जिन्दगी केसे व्यतीत हो रही थी ?
उत्तर :
सुखिया और मानो की जिन्दरी एक निश्चित दर्रे पर चलने लगी थी। दोनों मिलकर पहले तगारी बनाते, फिर मानो तैयार मिट्टी लाकर देती। इस काम में उनके साथ एक तीसरा मजदूर भी आ गया था। नाम था जसदेव छोटी उम्र का लड़का था। असगर ठेकेदार ने उसे भी उनके साथ काम पर लगा दिया था। इससे काम में गति आ गई थी। सुखिया भी अब फुर्ती से साँचे में इंटें डालने लगा था, जिससे उनकी दिहाड़ी बढ़ गई थी।
प्रश्न 4.
मुख्तार सिंह का बेटा सूबे सिंह कैसा व्यक्ति था ?
उत्तर :
मुख्तार सिंह का बेटा सूबे सिंह बहुत ही दुष्ट व्यक्ति था। उसके सामने सभी भीगी बिल्ली बन जाते थे। वह एक विलासी किस्म का व्यक्ति था। भट्टे की मजदूर स्त्रियों को वह वासना की दृष्टि से देखता था।
प्रश्न 5.
सुखिया और मानो का क्या लक्ष्य था ? वे उस लक्ष्य को पाने के प्रति कितने सजग थे ?
उत्तर :
सुखिया और मानो का एक ही लक्ष्य था पक्की ईंटों का घर बनाना। वे अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सुबह होते ही काम पर लग जाते थे और अँधेरा होने तक काम में जुटे रहते थे।
प्रश्न 6.
मानो के प्रति जसदेव के ब्यवहार में अचानक क्यों परिवर्तन आ गया ?
उत्तर :
जसदेव की सूबे सिंह से पिटाई होने के बाद उसने सोचा की तुम क्यों किसी के पचड़े में रहते हो। वह अगले दिन असगर ठेकेदार से मिला। असगर ठेकेदार ने भी उसको यही समझाया कि तुम अपने काम से काम रखो क्यों किसी के चक्कर में पड़ते हो। इसके बाद जसदेव के व्यवहार में परिवर्तन आ गया वह मानो एवं सुखिया से किनारा करने लगा।
प्रश्न 7.
चूल्हे में जलती लकड़ियों की चिट-चिट से लेखक को क्या भान होता है ?
उत्तर :
चूल्हे की जलती लकड़ियों की चिट-चिट से लेखक को मजदूरों के मन में पसरी दुश्चिन्ताओं और उनकी तकलीफों का भान हो रहा था। कुछ भी निश्चित नहीं था कि भविष्य में क्या हो सकता है।
प्रश्न 8.
सुखिया के मन में कौन-सी बात बैठ गई थी ?
उत्तर :
सुखिया के मन में यह बात पूरी तरह से बैठ गई थी कि गाँव की नर्क की जिन्दगी से निकलना है इसके लिए चाहे कुछ भी छोड़ना पड़े।
प्रश्न 9.
भटे की जिन्दगी कैसी थी ?
उत्तर :
भट्टे की ज़िन्दगी भी अंजीब थी। गाँव-बस्ती का माहौल बन रहा था। झोपड़ी के बाहर जलते चूल्हे और पकते खाने की महक से भट्टे की नीरस ज़िंदगी में कुछ देर के लिए ही सही, ताज़गी का अहसास होता था। ज़्यादातर लोग रोटी के साथ गुड़ या फिर लाल मिर्च की चटनी ही खाते थे। दाल-सब्जी तो कभी-कभार ही बनती थी।
प्रश्न 10.
‘खानाबदोश’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
‘खानाबदोश’ कहानी का यह शीर्षक उपयुक्त एवं सार्थक है। मजदूर अपने घर से काम-काज की तलाश में निकलते हैं। वे जहाँ पर भी काम करते हैं बस इतना ही कमाते हैं कि किसी तरह अपना पेट भर सकें। उनका कोई आशियाना नहीं होता। थोड़ी-सी बात पर ही उनको काम से हटा दिया जाता है। फिर वे कोई दूसरा ठिकाना ढूँढते हैं। इस प्रकार उनकी जिन्दगी कहीं भी स्थिर नहीं रहती। उनका सारा जीवन इसी प्रकार बीत जाता है। आज यहाँ तो कल वहौं उनका कोई स्थाई निवास कभी नहीं बन पाता। अतः इस कहानी का शीर्पक ‘खानाबदोश’ एकदम सटीक एवं सार्थक है।
प्रश्न 11.
पाठ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यों का अर्थ अपने शब्दों में लिखिए।
(क) भट्टे का सबसे खतरेवाला काम था मोरी पर काम करना।
(ख) दिनभर की गहमा-गहमी के बाद यह भट्टा अँधेरे की गोद में समा जाता था।
(ग) अब कपड़े-लत्तों की कमी नहीं थी।
(घ) नहीं…………..ट्टा नहीं छोड़ना है।
(ङ) एक शीत-युद्ध जारी था उनके बीच।
(च) उसे लगने लगा था, जैसे तमाम लोग उसके खिलाफ हैं।
उत्तर :
(क) भट्टे में जब आग जलाई जाती है तो मोरी से गैस निकलती है वहाँ काम करने वाले के लिए बहुत खतरा रहता है।
(ख) दिन भर मजदूर काम करते हैं तो चहल-पहल रहती है। उनका भट्टा बस्ती से दूर सुनसान जगह पर होता है। बिजली आदि की व्यवस्था वहाँ नहीं होती इसलिए दिन छिपने के बाद वहाँ केवल अँधेरा होता है।
(ग) सूबे सिंह किसनी की सारी जरूरतें पूरी करने लगा था अब उसके पास किसी चीज की कोई कमी न थी।
(घ) भट्टा छोड़कर मकान कैसे बनेगा इसलिए भट्टा छोड़कर नहीं जाएंगे। जो होगा उसका मुकावला करेंगे।
(ङ) सूबे सिंह, मानो एवं सुखिया को आराम से जीने नहीं दे रहा था। वह उनको परेशान करने के रोज़ नए बहाने दूँढता था।
(च) सूबे सिंह ने धीरे-धीरे अन्य मजदूरों को भी मानो व सुखिया के खिलाफ कर दिया था। कोई भी उनके पक्ष में बोलने वाला नहीं था।
प्रश्न 12.
भट्टे की पक्की ईंटों को देखकर मानो के हृदय में कौन-सी आकांक्षा ने जन्म लिया ?
उत्तर :
भट्टे की पक्की ईंटों को देखकर मानो के हृदय में रह-रहकर एक आकांक्षा जन्म ले रही थी कि उनका भी एक पक्का घर हो। इसके लिए जितनी भी मेहनत करनी पड़े करेंगे परन्तु लाल-लाल पक्की ईंटों का एक घर अपना भी होना चाहिए।
प्रश्न 13.
मानो के दिलो-दिमाग पर इंटों का लाल रंग क्यों छा गया था ?
उत्तर :
सभी का स्वप्न होता है कि उनका भी घर हो। मानो ने जब अपनी हाथ की पथी हुई लाल इंें देखीं तो मानो के मन में भी यह विचार हिलोरें लेने लगा कि उनका भी अपना एक घर हो। मानो को घर के विचार के अलावा और कुछ सूझ ही नहीं रहा था। वह सुखिया के साथ इन्हीं ख्यालों में डूबी हुई चल रही थी। वह रात भर सो न सकी। मानो अपने इस विचार को मूर्त रूप देने के लिए कठोर से कठोर परिश्रम करने के लिए तैयार थी।