NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 7 नए की जन्म कुंडली : एक
Class 11 Hindi Chapter 7 Question Answer Antra नए की जन्म कुंडली : एक
प्रश्न 1.
लेखक ने उस व्यक्ति को हमारी भारतीय परंपरा का विचित्र परिणाम क्यों कहा है?
उत्तर :
वह व्यक्ति भारतीय परंपरा का प्रबल समर्थक था वह अपने विचारों को बहुत गंभीरता से लेता था। वे उसके लिए धूप और हवा जैसे प्राकृतिक तत्त्व थे । दरअसल उसके लिए न वे विचार थे न अनुभूति। वे उसके मानसिक भूगोल, पहाड़, चट्टान, खाइयाँ, ज़मीन, नदियाँ, झरने, जंगल और रेगिस्तान थे। लेखक को लगता था कि वह अपने को प्रकट करते समय, स्वयं की सभी इंद्रियों से काम लेते हुए एक आंतरिक यात्रा कर रहा है। वह अपने विचारों भावों को केवल प्रकट ही नहीं करता था, बल्कि उन्हें स्पर्श करता था। इसलिए लेखक ने उस व्यक्ति को भारतीय परंपरा का विचित्र परिणाम कहा है।
प्रश्न 2.
‘सौंदर्य में रहस्य न हो तो वह एक खूबसूरत चौखटा है।’ व्यक्ति के व्यक्ति के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
वह व्यक्ति भी किसी जमाने में आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक था। बाहरी सौंदर्य रहस्य के बिना केवल खूबसूरत चौखटा मात्र साबित होता है। यह व्यक्ति बहुत ही रहस्यमय व्यक्तित्व का मालिक था। इसके लिए बाह्य सौंदर्य का विशेष अर्थ नहीं था। उसके बाल सफेद हो गए थे फिर भी वह भूतपूर्व नौजवान तो था ही। प्रभाव उसके वर्तमान रंगरूप का न होकर भूतपूर्व रंग रूप का था। लेखक को वह इस अवस्था में भी कम सुंदर नहीं लग रहा था। उसके माथे पर पड़ी लकीरें लेखक को अच्छी लगती थीं। जिस तरह से कोरे कागज का कोई महत्त्व नहीं इसी प्रकार ऐसे सौंदर्य का कोई महत्त्व नहीं जिसमें रहस्य न हो। इस व्यक्ति का रहस्यमय व्यक्तित्व उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रहा था।
प्रश्न 3.
अभिधार्थ एक होते हुए भी ध्वन्यार्थ और व्यंग्यार्थ अलग-अलग हो जाते हैं-इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए?
उत्तर :
लेखक और उसका मित्र एक ही भाषा का उपयोग करते हैं लेखक जो कहता है वह उसको व्यंजना शक्ति में कहता है? परन्तु लेखक का मित्र जो कुछ कहता है उसका सीधा अर्थ होता है। वह किसी बात को घुमा-फिरा कर नहीं कहता। अभिघा शक्ति में किसी बात का सीधा अर्थ होता है जबकि व्यंजना शक्ति में किसी भी बत का एकदम उल्टा अर्थ हो जाता है। लेखक का वह मित्र जो कुछ कहता था दो टूक भाषा में कहता था। वह बहुत ही स्पष्टवादी था।
प्रश्न 4.
सामान्य-असामान्य तथा साधारण-असाधारण के अंतर को व्यक्ति और लेखक के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक उस व्यक्ति को असामान्य और असाधारण इसलिए मानता है क्योंकि वह व्यक्ति अपनी धुन और विचार में मग्न रहकर किसी कार्य के लिए स्वयं का त्याग करने में बिल्कुल भी नहीं हिचकता था। वह किसी की बिल्कुल भी परवाह नहीं करता था। कोई क्या सोचता है उसे इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। वह कोई भी सांसारिक समझौता नहीं करता था। उसके मार्ग में जितनी जबरदस्त बाधा होती थी वह उतनी ही कड़ी लड़ाई के लिए तैयार रहता था। लेखक अपने आपको सामान्य और साधारण समझता है क्योंकि उनके असामान्य के उग्र आदेश का पालन करने का मनोबल नहीं था। वह व्यक्ति अक्सर लेखक के भीतर बैठे असामान्य को उकसा देता है इसलिए असामान्य की रोशनी में लेखक स्वयं को हीन समझने लगता है।
प्रश्न 5.
‘उसकी पूरी जिंदगी भूल का एक नक्शा है।’ इस कथन द्वारा लेखक व्यक्ति के बारे में क्या कहना चाहता है?
उत्तर :
लेखक कहना चाहता है कि उसका मित्र सारी जिंदगी बाधाओं से टकराता रहा। उसने कभी नाम.की कामना नहीं की। वह भी जिंदगी में छोटी-मोटी सफलताएं चाहता था परन्तु उसका असामान्य और असाधारण व्यक्तित्व सदा उसकी सफलताओं में आड़े आता रहा। उसके हिस्से में सदा असफलताएँ ही आई । मनुष्य के लिए यह स्वाभाविक ही है कि वह भी थोड़ी बहुत सांसारिक सफलता की कामना करे। अपनी जिंदगी में असफल रहने को ही उसने भूल का एक नक्शा बताया।
प्रश्न 6.
पिछले बीस वर्षों की सबसे महान घटना संयुक्त परिवार का हास है क्यों और कैसे ?
उत्तर :
संयुक्त परिवारों के ह्ला के कारण हमारे समाज में बहुत अशांति है। संयुक्त परिवारों के दिघटन के कारण मनुष्य तनाव का शिकार हो रहा है। वह अपने को बंधा-बंधा सा महसूस करता है। संयुक्त परिवार के विघटन का सबसे बुरा असर बच्चों पर पड़ रहा है। उनमें वे संस्कार नहीं आ पा रहे हैं जिनकी हम उनसे अपेक्षा रखते हैं। एकल परिवार अपने काम-काज में व्यस्त रहता है जिसके कारण अनेक घरों के बच्चे बिगड़ जाते हैं। उनके मन में एक असुरक्षा की भावना का उदय होता है। बच्चों पर अनावश्यक रूप से बंधन पड़ जाता है, या वे उच्छूंखल.हो जाते हैं। समाज से इस तरह के लोग कटते जा रहे हैं।
प्रश्न 7.
इन वर्षों में सबसे बड़ी भूल है, ‘राजनीति के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम न होना’ इस संदर्भ में आप अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
हमारे राजनेता देश के विकास की बात तो करते हैं परन्तु वे समाज के विकास की बात नहीं करते । समाज में तरह-तरह के अंधविश्वास व कुप्रथाएँ पहले की अपेक्षा बढ़ती ही जा रही हैं। हम अपने आप को शिक्षित जरूर कहते हैं परन्तु यह शिक्षा किस काम की जो समाज से जातिवाद को दूर न कर सके। हमारे समाज में जातिदाद और धार्मिक विद्वेष बढ़ता ही जा रहा है और इसके पीछे कहीं न कहीं राजनीति ही जिम्मेदार है। हमारे नेता जातिवाद और धर्म की राजनीति करके ही चुनाव रूपी वैतरणी पार करते हैं। वे नहीं चाहते कि समाज से जातिवाद दूर हो। वे जाति और धर्म के नाम पर समाज को विभक्त कर रहे हैं। उनके पास कोई ऐसा कार्यक्रम नहीं है कि वे समाज को एकजुट कर सकें वे इसे अपने हित में नहीं मानते।
प्रश्न 8.
अन्यायपूर्ण व्यवस्था को चुनौती घर में नहीं घर के बाहर दी गई।’ इससे लेखक का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
लोग बाहर तो सुधार की बतें करते रहे, समाज को बदल देने की बाते करते रहे, परन्तु उन्होंने अपने घर को सुधारने की कभी कोशिश नहीं की। वहाँ उनको आपसी टकराव का डर था। उन्होंने घर में कोई संघर्ष नहीं किया भला वे अपनों के प्रति संघर्ष कैसे कर सकते थे। यदि वे व्यवस्था को चुनौती पहले अपने घर में ही देते तो बाहर चुनौती देने की नौबत ही नहीं आती। दूसरों को सुधारने से पहले अपने आप को सुधारना चाहिए, दूसरे तो स्वयं ही सुधर जाएंगे।
प्रश्न 9.
‘जो पुराना है, अब वह लौटकर आ नहीं सकता। लेकिन नए ने पुराने का स्थान नहीं लिया।’ इस नए और पुराने के अंतर्द्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पहले हमारा समाज में धार्मिक विश्वास बहुत था लोग प्रत्येक कार्य को धर्म से जोड़कर देखते हैं। परन्तु आज वैज्ञानिक युग है लोग अपने को प्रगतिशील मानते हैं। इस प्रगतिशीलता के कारण वे धर्म से भी हाथ धो बैठे। उनकी धर्म भावना विलुप्त हो गई उन्होंने पुराने को छोड़ दिया परन्तु नए को पूरी तरह अपनाया नहीं, ‘धोबी का कुत्ता घर का न घाट का’ यह कहावत आज के मनुष्य पर पूरी तरह फिट बैठती है। पहले धर्म हमारे जीवन के प्रत्येक पक्ष को अनुशासित किया करता था परन्तु वैज्ञानिक मानवीय दर्शन ने, वैज्ञानिक मानवीय दृष्टि ने, धर्म का स्थान नहीं लिया इसलिए केवल हम अपनी अंतः प्रवृत्तियों के यंत्र से चालित हो उठे। हम नया-नया चिल्लाने लगे परन्तु हमने कभी यह नहीं जाना कि नया क्या है। नए के चक्कर में मान मूल्य नया इंसान परिभाषाहीन और निराकार हो गए। वे मानसिक सत्ता व अनुशासन का रूप धारण न कर सके और पुराने से भी दूर हो गए।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए –
(क) इस भीषण संघर्ष की हुदयभेदक ………………. इसलिए वह असामान्य था।
(ख) लड़के बाहर राजनीति या साहित्य के मैदान में ………….. घर के बाहर दी गई।
(ग) इसलिए पुराने सामन्ती अवशेष बड़े मज़े …………… शिक्षित परिवारों की बात कर रहा हूँ।
(घ) नया जीवन, नए मान-मूल्य, नया इन्साफ़ ……………. वे धर्म और दर्शन का स्थान न ले सके।
उत्तर :
व्याख्या : (क) लेखक अपने मित्र के बारे में बताता है कि उसके इस मित्र ने जीवन में बहुत संघर्ष किया। वह परिस्थितियों के सामने कभी नहीं झुका। उसे चाहे कितने भी कष्ट या नुकसान उठाने पड़े हों। इस संघर्षमयी हुदय-भेदक परिस्थितियों के कारण उसको अपना बहुत नुकसान उठाना पड़ा परन्तु वह विचलित नहों हुआ। उसका जीवन जैसा होना चाहिए था नहीं हो पाया वह अपनी योग्यता एवं सामर्थ्य से कहीं नीचे रह गया। सबसे बड़ी बात यह थी कि इन भीषण परिस्थितियों से गुजरने के बाद भी उसका उत्साह कम नहीं पड़ा। उसके बाजुओं में संघर्ष करने की शक्ति यथावत् थी। लेखक उसको असामान्य मानता है क्योंकि सामान्य व्यक्ति इतने भीषण संघर्ष को नहीं झेल सकता।
ब्याख्या : (ख) लेखक का कहना है कि समाज का जिम्मेदार युवा वर्ग राजनीति या साहित्य के क्षेत्र में उलझा रहा। वे घर से बाहर संघर्ष करते रहे परन्तु घर में आकर वैसा नहीं किया जैसा कि वे बाहर करते रहे। घर में यदि ऐसा करते तो वह अशिष्टता मानी जाती। वह शील के बाहर की बात थी। अन्यायपूर्ण व्यवस्था को हम बाहर तो चुनौती देते रहे परन्तु अपने घर में हो रही अन्यायपूर्ण-ब्यवस्था को हमने चुनौती नहीं दी। समाज सुधार तभी सम्भव था यदि हम अन्यायपूर्ण व्यवस्था को अपने घर में भी चुनौती देते, क्योंकि इस व्यवस्था की शुरुआत परिवार से ही होती है। हमने इस संघर्ष को टालकर अजीब ढंग से समझःता कर लिया।
ब्याख्या : (ग) लेखक का मित्र कहता है कि अभी हमारे मध्यमवर्गीय परिवारों में सामंती विचारधारा के अवशेष विद्यमान हैं। पुराने विचारों और नए विचारों के प्रति बहुत ही अवसरादी दृष्टि अपनाई गई। कोई भी वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार इन प्रश्नों के उत्तर खोजना नहीं चाहता। यह आज भी एक प्रश्न ही है इसका उत्तर अभी तक नहीं खोजा गया। न किसी को खोजने की जल्दी है न किसी की नीयत ही है। आजकल मध्यमवर्गीय परिवारों में ऐसा ही कुछ घटित हो रहा है।
व्याख्या : (घ) लेखक का कहना है कि हम पुराने को भुला बैठे, पुराना चला गया वह कभी लौटकर नहीं आ सकता। सबसे बड़ी विडम्बना यह रही कि नया भी पुराने के स्थान को नहीं ले सका। धर्म की भावना तो चली गई परन्तु वैज्ञानिक दृष्टि भी नहीं आई जिससे हम नए को कुछ समझते। प्राचीन काल में धर्म हमारे प्रत्येक पक्ष को अनुशासित करता था चाहे वह राजनैतिक पक्ष हो या सामाजिक, वैज्ञानिक मानवीय दर्शन ने और दृष्टि ने धर्म का स्थान नहीं लिया इसलिए हमारी अंतः प्रवृत्तियाँ हमें जिस प्रकार चालित करती हैं हम उसी प्रकार चलते रहते हैं।
हम अपने आपको अनुशासित किए बिना नया-नया चिल्लाने लगे परन्तु बिना आत्म-अनुशासन के नया क्या है यह हम नहीं जान सके आखिर ऐसा क्यों हुआ ? हमारे सभी मान मूल्यों को धर्म परिभाषित करता था। अब ये सभी मूल्य परिभाषाहीन हो गए। अब इनका कोई निश्चित स्वरूप नहीं रहा ये निराकार हो गए। वे दृढ़ और नया जीवन नए व्यापक मानसिक सत्ता के अनुशासन का रूप धारण नहीं कर सके। जिस अनुशासन की परिवार और समाज को आवश्यकता थी वह नहीं रहा। नए मान मूल्य, धर्म दर्शन का स्थान नहीं ले सके।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) सांसारिक समझौते से ज़्यादा विनाशक कोई चीज़ नहीं।
(ख) बुलबुल भी यह चाहती है कि वह उल्लू क्यों न हुई ?
(ग) में परिवर्तन के परिणामों को देखने का आदी था, परिवर्तन की प्रक्रिया को नहीं।
(घ) जो पुराना है, वह अब लौटकर आ नहीं सकता।
उत्तर :
(क) आशय : जो व्यक्ति संघर्ष के समय आने वाली बाधाओं को सुलझाने के लिए समझौता करता है वह समझौता निम्नतर होता है उसमें हानि उसी की होती है। यह समझौता बहुत ही हानिकारक सिद्ध होता है।
(ख) आशय : हर व्यक्ति अपने जीवन में कुछ न कुछ यश की कामना करता है। थोड़ा बहुत मान-सम्मान सभी को चाहिए। हर व्यक्ति अपनी स्थिति में परिवर्तन चाहता है।
(ग) आशय : समाज में परिवर्तन आया लोग पुराने को भूल गए परन्तु नए को अपना नहीं पाए। लेखक समाज में हुए परिवर्तन को देखना चाहता है। यह परिवर्तन किस प्रकार आया इससे उन्हें कोई मतलब नहीं।
(घ) आशय : जो बीत गया वह लौटकर नहीं आ सकता अब नए के साथ ही सामंजस्य स्थापित करना चाहिए।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
‘विकास की ओर बढ़ते चरण और बिखरते मानव-मूल्य’ विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2.
आधुनिकता की इस दौड़ में हमने क्या खोया है और क्या पाया है ?’-अपने विद्यालय की पत्रिका के लिए इस विषय पर अध्यापकों का साक्षात्कार लीजिए।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 3.
‘सौंदर्य में रहस्य न हो तो वह एक खूबसूरत चौखटा है।’ लेखक के इस वाक्य को केंद्र में रखते हुए ‘सौन्दर्य क्या है’ इस पर चर्चा करें।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।
Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 7 नए की जन्म कुंडली : एक
प्रश्न 1.
‘नए की जन्म कुन्डली : एक’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस पाठ में लेखक ने व्यक्ति और समाज के बाहरी तथा आन्तरिक परिवर्तन के फलस्वरूप प्राप्त चेतना को ‘नए’ के रूप में देखने का प्रयास किया है। लेखक का कहना है कि जब चारों ओर परिवर्तन हो रहा हो तो हमें यधार्थ की वैज्ञानिक-मानसिक चेतना को ही ‘नया’ मानना चाहिए। ‘संघर्ष और विरोध’ के निष्कर्ष को व्यावहारिकता में न जीने के कारण हम पुराने को छोड़ देते हैं और नए को ठीक ढंग से अपना नहीं पाते।
प्रश्न 2.
“नदी की दो धाराओं के बीच बड़े-बड़े पहाड़ों” के आने से लेखक का क्या आशय है ?
उत्तर :
यहाँ लेखक के कहने का आशय यह है कि समय के साथ-साथ बैचारिक असमानता का बढ़ जाना। लेखक एवं उसके मित्र के विचारों में बहुत अन्तर आ गया था इसलिए लेखक ने ऐसा कहा है।
प्रश्न 3.
लेखक को जब अपने व अपने मित्र के बीच दूरियों का भान होता है तो उसे अच्छा भी लगता है और बुरा भी, क्यों ?
उत्तर :
लेखक को दूरियों में अन्तर बढ़ जाना अच्छा इसलिए लगता है कि दूरी उनकी गति के लिए एक चुनौती है बुरा इसलिए लगता है कि मित्रों के बीच दूरी खटकती रहती है।
प्रश्न 4.
लेखक अपने मित्र को भूल जाने को अच्छा क्यों मानता है ?
उत्तर :
लेखक का मित्र एक असामान्य और असाधारण व्यक्ति था । लेखक उसके प्रभाव से इतना आच्छन्न हो जाता है कि उसका उबरना मुश्किल हो जाता। इसलिए लेखक को इस बात की खुशी थी कि वह अपने मित्र को भूल गया है।
प्रश्न 5.
लेखक के अनुसार सामान्य कौन है ?
उत्तर :
लेखक के अनुसार सामान्य वह है जिसमें अपने भीतर के असामान्य के उग्र आदेश का पालन करने का मनोबल न हो।
प्रश्न 6.
लेखक के मित्र के अनुसार पिछले बीस वर्षों की सबसे महान घटना कौन-सी है ?
उत्तर :
लेखक के मित्र के अनुसार पिछले बीस वर्षों की सबसे महान घटना संयुक्त परिवारों का ह्नास है।
प्रश्न 7.
लेखक के मित्र ने इन वर्षों की सबसे बड़ी भूल किसे कहा ?
उत्तर :
लेखक के मित्र ने राजनीति और साहित्य के पास समाज सुधार के किसी कार्यक्रम के न होने को सबसे बड़ी भूल कहा है।
प्रश्न 8.
‘सांसारिक समझौते’ से लेखक का क्या आशय है ?
उत्तर :
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहकर उसको कभी-कभी विषम परिस्थितियों से जूझना पड़ता है। कभी-कभी रास्ते में बड़ी-बड़ी बाधाएँ खड़ी हो जाती हैं। जो शक्तिशाली है वह तो इन बाधाओं से टकराकर इन पर विजय पाता है, परन्तु सुविधाभोगी या संघर्षहीन व्यक्ति इन कठिनाइयों के साथ समझौता कर लेता है। यह समझौता विनाशक सिद्ध होता है क्योंकि समझौते के प्रस्ताव रखने वाले को हमेशा दबाकर ही समझौता किया जाता है।
प्रश्न 9.
लेखक ने ‘व्यावहारिक सामान्य बुद्धि’ किसे माना है ?
उत्तर :
लेखक ने व्यावहारिक सामान्य बुद्धि वाला अपने आप को माना है। लेखक व्यवहार कुशल था। वह किसी भी कार्य को हाथ में इसलिए लेता था कि लोग उसके कायों से खुश होंगे। वह किसी को नाराज करके कोई कार्य नहीं करना चाहता था। इसलिए वह अपने कार्यों से यश प्राप्त करता था।
प्रश्न 10.
लेखक के मित्र ने यह क्यों कहा कि उसकी सारी जिंदगी भूल का एक नक्शा है ?
उत्तर :
लेखक का मित्र सारी जिंदगी बाधाओं से टकराता रहा। उसने कभी नाम की कामना नहीं की। वह भी जिन्दगी में छोटी-मोटी सफलताएँ चाहता था। उसे जीवन में असफलताएँ ही मिलीं। मनुष्य के लिए यह स्वाभाविक ही है कि वह थोड़ी बहुत सांसारिक सफलता की इच्छा रखे। अपनी जिन्दगी में असफल रहने को ही उसने भूल का एक नक्शा बताया।
प्रश्न 11.
व्यक्ति ने तैश में आकर समांज और परिवार के बारे में जो विचार रखे, उससे आप कहाँ तक सहमत हैं ?
उत्तर :
समाज के बारे में उस व्यक्ति ने जो विचार रखे वे बिल्कुल ठीक हैं। परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई है। समाज को सुधारने के लिए परिवार को सुधारना आवश्यक है। हम सभी किसी न किसी परिवार के सदस्य हैं। हम अच्छी और बुरी दोनों ही तरह की बातें परिवार से ही सीखते हैं। मनुष्य के चरित्र का विकास परिवार में ही होता है। सांस्कृतिक शिक्षा भी वहीं से मिलती है। हमारे साहित्य और हमारी राजनीति की दृष्टि परिवार पर केन्द्रित रहनी चाहिए। परिवार सुधरेगा तो समाज स्वयं ही सुधर जाएगा।
प्रश्न 12.
लेखक ने शैले की ‘ओड टु वैस्ट बिंड’ और ‘स्कोअर रूट ऑफ माइनस वन’ का प्रयोग किस संदर्भ में किया और क्यों ?
उत्तर :
लेखक और उसके मित्र के विचारों में बहुत अन्तर था, इस अन्तर को दर्शाने के लिए ही लेखक ने ऐसा कहा है। उन दोनों में काफी दूरी आ गई थी। लेखक मूलतः कवि है वह किसी भी बात को अलग नज़रिये से देखता है परन्तु उसका मित्र दो टूक कहने वाला है। जिस प्रकार गणित के सूत्र में कल्पना की कोई गुंजाइश नहीं होती इसी प्रकार लेखक के मित्र के विचार यथार्थ अधिक होते हैं उनमें कल्पना का कोई स्थान नहीं।
प्रश्न 13.
लेखक को अपने मित्र की जिन्दगी के किस बुनियादी तथ्य से सदा बैर रहा और क्यों ?
उत्तर :
लेखक के अनुसार उनका यह मित्र असाधारण और असामान्य था। एक असाधारणता और क्रूरता भी उसमें थी। निर्दयता भी उसमें थी। वह अपनी एक धुन, अपने एक विचार या एक कार्य पर सबसे पहले खुद को और उसके साथ लोगों को कुर्बान कर सकता था। इस भीषण त्याग के कारण, उसके अपने आत्मीयों का उसके विरुद्ध युद्ध होता, तो वह उसकी क्षति भी बरदाश्त कर लेता। उसकी ज़िन्दगी के इस बुनियादी तथ्य से मैंने हमेशा वैर किया।
प्रश्न 14.
ख्वयं और अप़ने मित्र के बीच लेखक दो ध्रुवों का भेद क्यों मानता है ?
उत्तर :
लेखक ने स्वयं और अपने मित्र के बीच दो ध्रुवों का भेद इसलिए बताया क्योंकि लेखक की गति और दृष्टि कुछ और थी। जब लेखक कोई काम करता, तो इसलिए कि उससे लोग खुश होते हैं। वह काम करता तो सिर्फ इसलिए कि एक बार कोई काम हाथ में लेने पर उसे अधिकारी ढंग से भली-भाँति कर ही डालना चाहिए। लेखक की व्यावहारिक सामान्य-बुद्धि थी। उसकी कार्य-शक्ति, आत्मप्रकटीकरण की एक निर्द्व शैली। उन दोनों में दो ध्रुवों का भेद था। ज़िन्दगी में लेखक सफल हुआ या असफल। प्रतिष्ठित, भद्र और यशस्वी लेखक कहलाया। वह नामहीन और आकारहीन रह गया। लेकिन अपनी इस हालत की उसे कतई परवाह नहीं थी।
प्रश्न 15.
वैज्ञानिक पद्धति का अवलंबन करके उत्तर खोजने की न जल्दी है, न तवीयत है”-यह वाक्य किसके लिए कहा गया है और क्यों ?
उत्तर :
यह वाक्य मध्यम वर्गीय शिक्षित परिवारों के बारे में कहा गया है। अपने को शिक्षित समझने वाले परिवारों ने धर्म को छोड़ दिया। धर्म के कारण परिवार में अनुशासन रहता था। अब वह अनुशासन देखने को नहीं मिलता। वे नए को अपना नहीं पाए परन्तु पुराने को पहले ही छोड़ बैठे। धर्म भावना भी चली गई परन्तु वैज्ञानिक बुद्धि नहीं आई। वैज्ञानिक मानवीय दर्शन ने धर्म का स्थान नहीं लिया। इसलिए नए ने पुराने का स्थान नहीं लिया।