गणतंत्र दिवस निबंध 2020 – Republic Day Essay In Hindi

गणतंत्र दिवस निबंध 2020 – Republic Day Essay In Hindi

ऐतिहासिक दृष्टि से दो तारीखों का विशेष महत्त्व है, जिन्हें हम राष्ट्रीय पर्व के नाम से जानते हैं। एक 15 अगस्त, जिस दिन स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है, दूसरा 26 जनवरी जिस दिन गणतंत्र दिवस मानाया जाता है। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाने का अपना इतिहास है।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

कांग्रेस के वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू ने रावी के तट पर पूर्ण स्वराज्य की घोषणा करते हुए 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाने का आह्वान किया था। आगामी वर्ष में 26 जनवरी, 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। स्वतंत्रता के बाद तय हुआ कि अपना संविधान हो, अपना तंत्र हो।

संविधान सभा के द्वारा अथक प्रयास से 2 वर्ष से अधिक समय में भारतीय संविधान तैयार हुआ और 26 जनवरी, 1930 के स्वतंत्रता दिवस को ध्यान में रखते हुए इसी दिन संविधान लागू किया गया और इस दिन गणतंत्र दिवस मनाने का निश्चय किया गया।

प्रथम गणतंत्र दिवस 26 जनवरी, 1950, अपनी अलग छटा बिखेरता हुआ राष्ट्रपति भवन की नई उमंग की कहानी कहता है। गुरुवार 26 जनवरी, 1950 की सुबह, राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारत को गणतंत्र घोषित किया। उस दिन सी. राजगोपालाचारी ने अपने देश को गणराज्य संबोधित करते हुए कहा-‘इंडिया, दैट इज भारत” तो राष्ट्रपति का दरबार हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इसके बाद 31 तोपों से सलामी दी गई।

उसके बाद राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद जी ने देश के नाम पहला संबोधन किया-‘आज हमारे देश के लंबे और विविधतापूर्ण इतिहास में पहली बार हम उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में केप कोमोरिन और पश्चिम में काठियावाड़ और कच्छ से लेकर पूर्व में कोकोनाड़ा और कामरूप तक एक संविधान के दायरे में है। इस देश में प्राकृतिक संपदा है और उसका इस्तेमाल इस देश के लोगों के लिए किया जाएगा।

हमारे पास यह निबंध लेखन अवसर आया है कि हम अपनी विशाल आबादी को खुशहाल और संपन्न बना सकें और इस तरह दुनिया में शांति के प्रयासों में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकें। राष्ट्रपति बग्घी में बैठकर जनता के बीच से गुजरे। इरविन स्टेडियम पहुँचकर झंडों को सलामी कर सेना की सलामी ली।

राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस को मनाने की अलग परंपरा है। इस दिन भारतीय प्रगति, एकता व शौर्य का प्रदर्शन किया जाता है। भारत की राजधानी नई दिल्ली में इंडिया गेट पर इस उत्सव की पराकाष्ठा देखने को मिलती है। इस दिन इसी स्थान पर महामहिम राष्ट्रपति का आगमन होता है, 21 तोपों से सलामी दी जाती है। तीनों सेनाओं की राष्ट्रपति को सलामी दी जाती है। संपूर्ण देश के लगभग सभी प्रांतों की झाँकियाँ प्रस्तुत की जाती हैं।

सभी झाँकियाँ भारत की विविधता और संपन्नता की कहानी बयाँ करती हैं। मनुष्यों में इतना उत्साह होता है कि इसे देखने के लिए दूर-दराज से भीड़ उमड़ पड़ती है। आकाश से फूल बरसाता हुआ हेलीकॉप्टर, उड़ते हुए, अपनी गड़गड़ाहट से आकाश को गुंजायमान करते हुए विमान, आकाश में शोभा बिखेरते हुए गुब्बारे आदि की मनोहारी छटा, तरहतरह के टैंक और तोपें, अनुशासित मार्च करती हुई सेनाओं की टुकड़ियाँ, विद्यालयों के छात्रों द्वारा प्रस्तुत किए जाते हुए रंगारंग कार्यक्रम आदि भारत की संपन्नता को कहते हुए दिखाई देते हैं।

यह सब यात्राएँ विजय पथ से आती हुई लंबी यात्रा पूरी करके लाल किले तक पहुँच जाती हैं। सब जगह सड़कों, गलियों में चहल-पहल दिखाई नहीं देती है। सभी दूरदर्शन से चिपके गणतंत्र दिवस की झाँकियाँ देख प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।

प्रत्येक जन को अपनी संस्कृति के अनुसार जीने का अधिकार है। जब अपनी संस्कृति को भूल दूसरों का अनुकरण करने लगते हैं। तो अपनी गरिमा धीरे-धीरे भूल जाते हैं। अपनी गरिमा बनी रहे, अपनी पहचान बनी रहे-इसलिए उन्हें याद करने के लिए पर्व मनाए। जाते हैं। प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस हमें यही संदेश देता है कि जिन संघर्षों के बाद घुटन से निकल कर स्वतंत्रता की, राहत की साँस ली है वह अक्षुण्ण बनी रहे, इसके लिए सदैव सचेत रहना चाहिए।

आपसी भेदभाव को भुलाकर एक मंत्र, एक सूत्र में बँधे रहकर एकजुटता बनाए रखने का यह पर्व प्रतिवर्ष संदेश देता है और याद दिलाता है अपनी संस्कृति, अपने देश की गरिमा सदैव बनी रहे।