वन जीवन का आधार निबंध – Forest Essay in Hindi

वन जीवन का आधार निबंध – Essay on Forest in Hindi

रूपरेखा–

  • प्रस्तावना,
  • वनों का महत्त्व,
  • वन–संरक्षण की आवश्यकता,
  • उपसंहार।।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

वन जीवन का आधार निबंध – Van Jeevan Ka Aadhar Nibandh

प्रस्तावना–
वनों जीव–सृष्टि का आधार है। जहाँ जल है वहाँ जीवन है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि जल के बिना जीवन संभव नहीं। यही कारण है कि प्रकृति ने जीवों के लिए पृथ्वी पर वनों के विशाल भण्डार उपलब्ध कराए हैं।

मनुष्य मनुष्येतर जीव–जन्तु, पेड़–पौधे सभी अपने अस्तित्व के लिए जल पर निर्भर हैं। ऐसे जीवनाधार जल की सुरक्षा और सदुपयोग मनुष्य मात्र का कर्तव्य है। किन्तु खेद का विषय है कि भौतिक सुख–सुविधाओं की अन्धी दौड़ में फंसा मनुष्य इस मूल्यवान वस्तु को दुर्लभ बनाए दे रहा है।

वनों का महत्त्व–
वनों का मानव जीवन में आदिकाल से बड़ा महत्वपूर्ण स्थान रहा है। मानव–संस्कृति का शैशवकाल वनों में ही बीता है। वन मनुष्य के लिए प्रकृति की अमूल्य देन है। भारतीय वन तो ऋषि–मुनियों की साधनास्थली और संस्कृति के प्रेरणा स्रोत रहे हैं। वनों का उपयोगिता की दृष्टि से भी मानव–जीवन के लिए अत्यन्त महत्त्व है। अनेक उद्योग वन सम्पदा पर ही निर्भर हैं।

फर्नीचर उद्योग, कागज निर्माण, गृह निर्माण, दियासलाई उद्योग आदि वनों पर ही निर्भर हैं। वनों से ही हमें नाना प्रकार की औषधियाँ प्राप्त होती हैं। ईंधन, गोंद, मसाले, पशुचर्म, हाथी दाँत आदि उपयोगी वस्तुएँ भी वनों से ही प्राप्त होती हैं। वन वर्षा को आकर्षित करते हैं, बाढ़ों को नियन्त्रित करते हैं। उपजाऊ मिट्टी का क्षरण और रेगिस्तान का बढ़ना रोकते हैं।

वन–संरक्षण की आवश्यकता–
आज वनों पर भी संकट आया हुआ है। विकास के नाम पर वनों का विनाश हो रहा है, वनों को नष्ट करके नगर बसाए जा रहे हैं। कारखाने लगाए जा रहे हैं। पृथ्वी पर वनों का क्षेत्रफल निरन्तर घटता जा रहा है। वन वायुमंडल और ऋतुचक्र को प्रभावित करते हैं। जैव विविधता और प्राकृतिक संतुलन को सुरक्षित रखते हैं। वनों का विनाश होने से वर्षा का क्रम कुप्रभावित होता है।

बाढ़ें आती हैं और जन–धन का विनाश होता है। वन भूमि के तापक्रम को नियन्त्रित करके जलधाराओं के उद्गम स्थलों पर बर्फ को तेजी से पिघलने नहीं देते। वन आक्सीजन देकर और कार्बन डाई आक्साइड का शोषण करके वातावरण को शुद्ध बनाते हैं।

अतः वनों का संरक्षण अत्यन्त आवश्यक है। सरकारों की ओर से अभयारण्य और आरक्षित पार्क आदि बनाकर वनों और वन्य जीवों का संरक्षण किया जाता है। वन विभाग भी वनों की सुरक्षा और वृद्धि के कार्यक्रम चलाता है।

उपसंहार–
वन और जल दोनों ही जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं। दुर्भाग्य से आज दोनों ही संकटग्रस्त हैं। केवल सरकारी उपायों से ही इनकी सुरक्षा सम्भव नहीं है, जनता को भी इनके संरक्षण की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। जल और वनों का दुरुपयोग करने वाले उद्योगों पर कठोर नियन्त्रण होना चाहिए।