जल जीवन का आधार निबंध – Essay On Jal Jeevan Ka Aadhar In Hindi
रूपरेखा–
- प्रस्तावना,
- जल का जीवन में महत्व,
- जल संरक्षण की आवश्यकता,
- उपसंहार।।
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
जल जीवन का आधार निबंध – Jal Jeevan Ka Aadhar Nibandh
प्रस्तावना–
जल जीव–सृष्टि का आधार है। जहाँ जल है वहाँ जीवन है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि जल के बिना जीवन संभव नहीं। यही कारण है कि प्रकृति ने जीवों के लिए पृथ्वी पर जल के विशाल भण्डार उपलब्ध कराए हैं।
मनुष्य मनुष्येतर जीव–जन्तु, पेड़–पौधे सभी अपने अस्तित्व के लिए जल पर निर्भर हैं। ऐसे जीवनाधार जल की सुरक्षा और सदुपयोग मनुष्य मात्र का कर्तव्य है। किन्तु खेद का विषय है कि भौतिक सुख–सुविधाओं की अन्धी दौड़ में फंसा मनुष्य इस मूल्यवान वस्तु को दुर्लभ बनाए दे रहा है।
जल का जीवन में महत्व–
जल का मानव–जीवन में पग–पग पर महत्त्व है। हमें पीने के लिए जल चाहिए, नहाने के लिए जल चाहिए, भोजन बनाने और स्वच्छता के लिए जल चाहिए। खेतों की सिंचाई के लिए जल चाहिए, दूध–दही, घी और मिठाई . के स्रोत पालतू पशुओं के लिए जल चाहिए। झोंपड़ी और महल बनाने को, भगवान को मनाने को, पुण्य कमाने को, मनोरंजन और व्यापार को भी जल चाहिए। इसीलिए जल का एक नाम जीवन भी कहा जाता है। जल के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। संसार में स्थित मरुस्थल जल के अभाव का परिणाम दिखा रहे हैं। वहाँ रहने वाले लोगों का जीवन कितना कष्टदायक है।
जल संरक्षण की आवश्यकता–
आज जीवन की रक्षा करने वाला जल स्वयं ही अपनी रक्षा के लिए तरस रहा है। सुख–सुविधाएँ सजाने के पागलपन से ग्रस्त आदमी ने जल का इतना दोहन किया है, उसे इतना मलिन बनाया है कि देश में पानी के लिए त्राहि–त्राहि मची हुई है। भूगर्भ में जल का स्तर निरन्तर गिरता जा रहा है।
गहराई से आने वाला जल खारा और अपेय हो गया है। नदियाँ हमारे कुकर्मों से प्रदूषित ही नहीं हुई हैं बल्कि समाप्त होने के कगार पर पहुँच चुकी हैं। प्रदूषण के कारण भूमण्डलीय ताप में वृद्धि हो रही है और ध्रुव प्रदेश की बर्फ तथा ग्लेशियर तेजी पिघल रहे हैं। यह सब महासंकट की चेतावनियाँ हैं जिन्हें मनुष्य अपनी मूढ़ता और स्वार्थवश अनसुनी कर रहा है।
आज जल संरक्षण आवश्यक ही नहीं अनिवार्य हो गया है। जीना है तो जल.को बचाना होगा। उसका सही और नियन्त्रित उपयोग करना होगा। जलाशयों को प्रदूषित होने से बचाना होगा।
उपसंहार–
वन और जल दोनों ही जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं। दुर्भाग्य से आज दोनों ही संकटग्रस्त हैं। केवल सरकारी उपायों से ही इनकी सुरक्षा सम्भव नहीं है, जनता को भी इनके संरक्षण की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। जल और वनों का दुरुपयोग करने वाले उद्योगों पर कठोर नियन्त्रण होना चाहिए।