परिश्रम का सम्मान पर निबन्ध – Dignity Of Labour Essay In Hindi

परिश्रम का सम्मान पर निबन्ध – Essay On Dignity Of Labour In Hindi

संकेत-बिंदु –

  • भूमिका
  • परिश्रम की आवश्यकता
  • परिश्रम-सफलता का मूलमंत्र
  • महापुरुषों की सफलता का राज़
  • विद्यार्थी जीवन और परिश्रम
  • उपसंहार

सफलता का मूलमंत्र-श्रम (Saphalata Ka Moolamantr Shram) – Labor of success

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

भूमिका – यदि हम मनुष्य की उन्नति के सौ-डेढ़ सौ साल पहले और आज की स्थिति पर विचार करें, तो हमें ज़मीन-आसमान का अंतर नज़र आता है। मीलों लंबे पुल, गंगनचुंबी इमारतें, ऊसर को भी हरा-भरा बना देना, ऊँचे-नीचे पहाड़ों का सीना चीरकर रेल की पटरियाँ आदि सब कैसे संभव हुआ, तो हमें इसका एक जवाब मिलता है-श्रम के कारण। निश्चित ही श्रम में असंभव को भी संभव बना देने की शक्ति है।

परिश्रम की आवश्यकता – जीवन में किसी काम को करने के लिए परिश्रम की आवश्यकता होती है। यहाँ तक कि थाली में सामने रखे गए भोजन को मुँह तक ले जाने के लिए परिश्रम की आवश्यकता होती है। शेर जंगल का राजा होता है, पर उसे भी अपने भोजन के लिए श्रम करना होता है। कहा भी गया है –

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
नहि सुप्तस्य सिंहस्य मुखे प्रविशन्ति मृगाः।।

जीवन को सुखमय बनाने के लिए धन की ज़रूरत होती है। ज्ञानवान बनने के लिए विद्या की ज़रूरत होती है। इनको पाने के लिए परिश्रम के अलावा कोई रास्ता नहीं है। थके व्यक्ति को अपना पसीना सुखाने के लिए हवा चाहिए। यह हवा भी बिना परिश्रम नहीं मिलती है तभी तो कबीर दास ने कहा है –

विद्या धन उद्यम बिना कहो जु पावे कौन।।
बिना डुलाए न मिले, ज्यों पंखा की पौन।।

परिश्रम सफलता का मूलमंत्र – धरती पर जितने भी जीव हैं, वे किसी न किसी उद्देश्य के लिए परिश्रम करते दिखाई पड़ते हैं। चिड़िया को अपने चारे और पानी के लिए जंगल में भटकना पड़ता है, तालाब या नदी तक उडान भरनी पड़ती है। चींटी का जीवन परिश्रम का उदाहरण है। वह अपने वजन से अधिक भार लेकर यात्रा करती है और सरदी में जब बरफ़ जम जाती है तो आराम से उसी भोजन पर दिन बिताती है जो उसने बरफ़ पड़ने से पहले एकत्र किया था।

इसी तरह मधुमक्खियाँ पराग की खोज में कई-कई मील का चक्कर काटती हैं। वे बहुत ही मेहनत से छत्ता तैयार करती हैं। उसी छत्ते में अपने द्वारा लाए पराग से शहद तैयार करती हैं। भगवान राम और उनकी सेना ने अथक परिश्रम से समुद्र को बाँधकर पुल बना लिया था। इसी की मदद से उन्होंने लंका को जीता था।

महापुरुषों की सफलता का राज – परिश्रम में सफलता का रहस्य छिपा है। इस बात को हमारे महापुरुष अच्छे से जानते थे। हमारे देश के ऋषिमुनि अपने परिश्रम से जंगल में मंगल कर देते थे। वैज्ञानिकों की सफलता का राज़ उनका अथक परिश्रम ही है। अब्राहम लिंकन, महात्मा गांधी, अब्दुल कलाम आदि अपने परिश्रम के कारण ही जाने-पहचाने जाते हैं। सरदार पटेल ने स्वतंत्रता उपरांत देश की रियासतों के एकीकरण के जो अथक परिश्रम किया उसे कैसे भुलाया जा सकता है।

विद्यार्थी जीवन और परिश्रम – विद्यार्थी जीवन, जीवन के निर्माण का काल होता है। इस समय जो छात्र परिश्रम करने की आदत डाल लेते हैं, वे हर कक्षा में अच्छे ग्रेड हासिल करते हैं और सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते जाते हैं। इसके विपरीत जो छात्र आलस करते हैं, वे हर चीज़ गँवाते जाते हैं। तभी तो कहा गया है –
अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम्
अधनस्य कुतो मित्रम्, अमित्रस्य कुतो सुखम्।

उपसंहार – परिश्रम सफलता का साधन है। परिश्रम से मनोवांछित सफलता प्राप्त की जा सकती है। परिश्रम से मुँह मोड़ने वाला सुखी होने की बात सोच भी नहीं सकता है। विश्व की उन्नति और प्रगति का मूल परिश्रम ही है। अतः हमें भी परिश्रमी बनना चाहिए।