Lankapuri Story Summary in English and Hindi by Krishna Kumar

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Lankapuri Story Summary in English and Hindi by Krishna Kumar

Lankapuri Story by Krishna Kumar About the Author

Krishna Kumar was born in 1951. He was a professor of education at the University of Delhi. He is presently working as director, NCERT. He has published books and papers in English on education. He has written both for children and the teaches. Among his publications for children are “Neelee Ankhowala Bagule” and “Aaj Nahin Parhoonga”.

Lankapuri Story Written by Krishna Kumar Introduction to the Story

Introduction to the Story: The present short story “Lankapuri” has been translated from Hindi written by Arun Prabha Mukharjee.

Lankapuri Story Summary in English

The present story “Lankapuri” is a revealing study of adolescence – The sudden changes that the adolescence brings with it. In this short story, the narrator and Manno were childhood friends. They were both very friendly, but sometimes used to quarrel with each other on the simplest matter. They were neighbours. Manno lived opposite his house. Fathers of both the narrator and Manno taught in a school. They were also very good friends. But according to the narrator, the friendship between he and Manno was far stronger and deeper. Manno had no mother. She was one year elder than the narrator. He had a very special place for Manno in his heart.

The narrator praises Manno many times. Once Manno played a character role in a long red skirt that was signing in the stage light. The narrator was so charmed with her role that he could not meet manno for a week due to her stage personality. Her dance on the stage was unforgettable. His songs were charming.

The narrator says that Manno always managed to keep her school books and copies brand new. Every evening the narrator and Manno used to play “Nagin Tapu” on their rooftop. From the rooftop, a large portion of the town could be seen. There was a big lake at one end of the town. One day during their play, the narrator asked Manno as to what was there in the middle of the lake. Manno told him that that was “Lankapuri”. Manno said that only on Dussehra people burnt the effigy of Ravan and the rest of the year it lay vacant. The narrator did not believe it.

That night the narrator dreamed that there was a school in “Lankapuri” where only Manno and he got to study. Next morning when he and Manno were going to school. the narrator told Manno that they must go to Lankapuri one day. Manno did not agree to his proposal because it took a long walking.

It was true. The lake was very big and Lankapuri was at the other end of the lake.

At last Manno was persuaded that one morning they would get out early and go upto Lankapuri. They did not disclose that plan to any one at home because their parents could not allow them to go there, since it was quite a lonely place. The narrator practised to get-up early in the morning for a week because they had decided to reach Lankapuri before sunrise and after seeing Lankapuri, they would attend their school so that their parents could not doubt.

At last, one morning they started for Lankapur much before sunrise. They reached the end of the lake in right time. From there they had to leave the road and get into the fields. They crossed a jungle. Then they reached “Lankapuri”. There was sand all around. It was an isolated place. Lankapuri was like a very old House. It was totally deserted. There were only walls on all sides. On many walls some letters were written and naked picture of a girl was found there. Manno was sitting outside. He went there and saw that Manno was dozing. with her head on her knees. The narrator could not dare to speak. Suddenly he raised his head and looked towards the shore. He saw that some unknown people were taking bath in the lake and they were staring at Manno and him. The narrator was afraid of the people. He felt as though his head had a fissure and the tip of a knife was pointed straight at his eyes. It was out of fear that he and Manno had some social obligations to maintain. Both of them were of opposite sex.

Lankapuri Story Summary in Hindi

1. I did not always ………………………………… all the trouble.
अनुवाद : मुझे यह सदा याद न रहता था कि मन्नो मुझ से कुछ बड़ी थी। परन्तु अब मैं जानता हूँ कि उसे यह चेतना सदा रहती थी। वह छोटी-छोटी बातों पर मुझे सताती थी। साधारण सी मेरी इच्छा पूरी करने को राजी होने से पहले वह मुझसे उस का मूल्य चुकवाती थी। हम दोनों को.रेडियो पर फिल्मी गीत सुनने का शौक है। मुझे गीत के सही शब्द कभी याद न रहते थे जबकि मन्नो को पूरा गीत एक बार सुनने पर ही याद हो जाता था। कभी-कभी मैं गीत को ठीक ढंग से समझ भी न सकता था, ‘यूँ तो हमने लाख हसीं देखे हैं जो उस समय मेरा मनपसन्द गाना था, मेरे कानों से गलत सुनाई पड़ता था ‘यू’ तो हमने ढाक वहीं देखे हैं।’ जब मेरा मस्तिष्क इन शब्दों का अर्थ निकालने में थक जाता था तो मैं मन्नो के पास सही अर्थ पूछने के लिए जाता था। ऐसे अवसरों पर मन्नो पहले तो मुझे लज्जित करने के लिए जोर से हँसती थी, फिर वह हर गाने की प्रत्येक पंक्ति के लिए मुझसे सौदा करती थी। जो काम वह मुझसे कराती थी वह भले ही आसान होता था-जैसे उसके लिए पानी का गिलास लेकर आना, या उसकी पुस्तक पर कागज चढ़ाना, या पैसिल छीलना-परन्तु मुझे गाने को प्रत्येक पक्ति के लिए इस प्रकार काम करना भारी मूल्य प्रतीत होता था। फिर भी मैं यह सब कार्य चुपचाप कर देता था क्योंकि गाने का आकर्षण बहुत शक्तिशाली होता था। किसी गाने को सम्पूर्णतः जानना और सही जानना यह सब कष्ट झेलने कोई बड़ा मूल्य न था।

2. The promises were ……………………………… I remembered the oath.
अनुवाद : और वचन निभाने भी बिल्कुल आसान थे-कि मैं कभी उसके बाल न खीचूँगा, या उसकी शिकायत न करूगा, और इसी प्रकार की अन्य बातें। और जब मैं कसमें उठाता था तो मैं अपने मन में संकल्प भी करता था कि वैसा ही करूँगा जो मैं वचन दे रहा हूँ और वह काम कभी न करूंगा। यह बात नहीं है कि मैं सदा इसमें सफल हो जाता था। कई बार उसके बाल न खींचना असम्भव हो जाता था और वह भी मेरी कसमों की अस्थिरता के बारे में जानती थी और उनके तुरन्त उल्लंघन होने के लिए तैयार रहती थी। परन्तु, मैं कहूँगा कि मैं अपने वचनों को गम्भीरता से न लेने का अभ्यस्त हो गया था। यद्यपि कसमों के बारे में बात यह न थी। कभी-कभी मन्नो मुझे विद्या या ईश्वर की कसम दिला देती थी कि मैं उसे इस प्रकार तंग न करूंगा, और तब मैं एक-दो दिन के लिए वश में रहता था। अगले दिन तक न मुझे न मन्नो को कसम याद रहती थी।

3. Manno used to ……………………………………. to say of an injury.
अनुवादः मन्नो मेरे घर के सामने रहती थी और उसका पिता मेरे पिताजी की भांति स्कूल में पढ़ाता था। एक मात्र अन्तर यह था कि उसका पिता ऐनक लगाता था और धोती-कुर्ता पहनता था जबकि मेरे पिताजी पाजामा-कुर्ता पहनते थे और ऐनक न लगाते थे। वे अच्छे मित्र थे, परन्तु मेरा मत है कि मेरी और मन्नो की मित्रता अधिक पक्की व गहरी थी। मन्नो की माँ न थी। उसकी केवल एक बड़ी बहन थी जो कभी-कभी उनसे मिलने आती रहती थी। मैं अपने घर में अकेला था और मन्नो अपने घर में। परन्तु इस से कोई अन्तर न पड़ता था क्योंकि हम मुश्किल से ही अलग-अलग रहते थे। सिवाए परीक्षा के दिनों के हम मुश्किल से ही अलग होते थे। मन्नो मुझसे एक वर्ष आगे थी, और इसलिए उसे अधिक पढ़ना पड़ता था। देखने में भी वह मुझसे श्रेष्ठ थी। उसकी रंग बिरंगी फ्राक व रिबन से तुलना करने के लिए मेरे पास क्या था? मै अपनी ब्राउन या नीली या खाकी निक्कारों और पीले या सफेद या हरे कमीजों के साथ मन्नो का सुन्दर पोशाक में तुलना करने का क्या साहस कर सकता था। और फिर, मेरे कपड़े साफ भी कब होते थे? मेरे कमीजों के कालरों पर सदा मैल के बड़े-बड़े काले घेरे रहते थे और अगले भाग पर स्याही या चिकनाई के धब्बे दिखाई देते थे। मेरे बाल मेरे माथे पर बेतरतीब ढंग से लटके रहते थे जबकि मन्नो के चमकीले बाल साफ सुथरे ढंग से चोटियों में गुथे होते थे। मेरे घुटने सदा मक्खियों से सुसज्जित रहते थे या उन पर एक बड़ी पट्टी बंधी रहती थी। मेरे विचार में मन्नो के एक छोटी फुन्सी भी न होती थी, चोट का तो कहना ही क्या।

4. Whilte I did give ………………………………… Woman’s life is a story.
अनुवादः जबकि मैं मन्नो को खेल में एक दो मुक्का मार देता था या उसकी चोटियों को खींच देता था, मेरे मन में मन्नो के लिए विशेष स्थान था, अपने माता-पिता से भी ऊपर। एक बार जब मैंने मन्नो को उसके स्कूल में एक नाटक में देखा तो मुझे विश्वास न हुआ वह वही मन्नो थी जिसे मैं जानता था। उसने एक लम्बा लाल स्कर्ट पहन रखा था जो रंग मंच के तेज प्रकाश में झिलमिला रहा था। और उसकी गालें रूज (कुंकुमी) से लाल थीं। उस सायं के पश्चात् दो तीन दिनों तक मैं उसके समीप जाने का साहस न कर सका। मुझे अपने सब कपड़े फटीचर प्रतीत होते थे, और मेरी सब पुस्तकों व कापियाँ बेकार प्रतीत होती थीं। चार पाँच दिन पश्चात् जब मन्नो का रंगमंच वाला व्यक्तित्व कुछ धुंधला पड़ गया, तो मैंने उससे वह गीत लिखवाया जिस पर वह मंच पर नाची थी। गर्मियों के दिन थे और एक पंक्ति के पश्चात् उसने मुझे दौड़कर बाजार से अपने लिए बर्फ लाने के लिए भेजा। मैंने उस से पूरा गीत उसके पश्चात् ही प्राप्त किया। मुझे, उसकी पहली पंक्ति अब भी याद है-गुड़िया औरत एक कहानी।

5. Oh yes, I forget ……………………………… On almost every page.
अनुवादः हाँ, मैं यह कहना भूल गया कि मन्नो अपनी स्कूल की पुस्तकें व कापियाँ बिल्कुल नई जैसी रखती थी। और उसका लेख इतना सुन्दर था जैसे शब्द छपे हुए प्रतीत होते थे। इसके विपरीत, मेरी सभी पुस्तकों के कोने मुड़े रहते थे और मेरी कापियों के सभी पन्नों पर स्याही की छींटों के धब्बे पड़े रहते थे।

6. Every evening …………………………………. middle of the lake?”
अनुवादः प्रत्येक सायं हम नागिन टापू अपनी छत पर खेलते थे। वहाँ से हमारे नगर का बड़ा भाग दिखाई पड़ता था। हमारे नगर के एक सिरे पर बड़ी झील थी। एक दिन खेल के समय मैंने झील को देखकर उससे पूछा, “मन्नो, झील के मध्य में वह क्या है?”

7-17. ‘Lankapuri……….. …………..what do you think?’
अनुवादः ‘लंकापुरी’, उसने झील की ओर देखे बिना उत्तर दिया।
“वहाँ लोग क्या करते हैं?’ ‘कुछ नहीं’ ‘वहाँ कुछ नहीं होता?’ ‘कभी-कभी’
‘क्या?’ मैंने खेल के बीच रुक कर पूछा। अब मैं नागिन टापू से पूरी तरह बाहर हो गया था। मैं उड़कर लंकापुरी पहुंच चुका था।
‘वहाँ दशहरा पर रावण का पुतला जलाते हैं और फिर उसे वहीं डुबो देते हैं। “शेष वर्ष में क्या होता है?’ ‘कुछ’ नहीं।’ ‘क्या वह सदा खाली पड़ी रहती है?’ ‘तुम क्या सोचते हो?’

18-20. I was not satisfied……………..I got to study.
अनुवादः मैं इस उत्तर से संतुष्ट न था। मुझे यह बात बड़ी विचित्र लगती थी कि लंकापुरी जैसी जगह खाली पड़ी रहे। कम से कम वे वहाँ रावण का कुछ सामान तो छोड़ सकते हैं। मन्नो ने यह कह कर चकती मेरे हाथ से ले ली, ‘चौथे घर में चकती फैंकने से तुम्हारी बारी चली गई।’ जहाँ तक मेरी बात थी, नागिन टापू डूब गया था, केवल लंकापुरी शेष थी।
उस रात मैंने सपना देखा कि लंकापुरी में एक स्कूल है जिसमें केवल मन्नो और मैं पढ़ते हैं।

21. Next morning………………………………………Seeastretch of sand.
अनुवादः अगले दिन प्रातः जब हम स्कूल जा रहे थे, तो मैंने मन्नो से कहा कि हमें एक दिन लंकापुरी अवश्य जाना चाहिए। पहली बार उसने पूर्णतः मना कर दिया यह बहाना बना कर उसमें चलना बहुत पड़ेगा और यह बात बिल्कुल सच थी। लंकापूरी पहुँचने के लिए झील का चक्कर लगाना पड़ता था और वह कोई साधारण झील न थी। वह हमारे नगर के दो महत्त्वपूर्ण स्थानों को छूती थी। शिवजी का मन्दिर व पशुओं का अस्पताल। नगर के सारे घर भी इतना स्थान न घेर सकते थे जितना झील ने घेर रखा था। लंकापुरी झील के दूसरे किनारे पर था। परन्तु दूर से देखने पर बिल्कुल मध्य में प्रतीत होता था। उसके दोनों ओर कुछ खजूर के पेड़ थे, और सामने की ओर रेतीली भूमि थी।

22. At last, Manno was ……………………………………….about it at all.
अनुवादः अन्त में मन्नो इस बात के लिए मान गई कि हम एक दिन प्रातः निकल पड़ेंगे और लंकापुरी तक जाएंगे। हमने घर पर किसी को यह योजना प्रकट न की। निःसन्देह समस्याएँ खड़ी होती यदि हम उन्हें बता देते। सम्भवत: वे हमें वहाँ जाने से मना कर देते। सर्वप्रथम तो लंकापुरी बहुत दूर थी। दूसरे, वह अलग-थलग थी। उस सप्ताह मैंने अपने घर की छत से लंकापुरी को कई बार देखा। मुझे वहाँ कोई दिखाई न पड़ा। मन्नो वह मुझे वहाँ जाने की आज्ञा कैसे दी जाती जहाँ कोई न जाता था? इसलिए सबसे अच्छी बात यही थी कि इसके बारे में किसी से बात . की जाए।

23. I started practising ……………………………….. bells of the temple.
अनुवादः मैंने प्रातः जल्दी उठने का अभ्यास करना शुरू कर दिया, परन्तु पहले कुछ दिन यह सफल न हुआ। जब हम झील के किनारे तक पहुंचेंगे, सूर्य ऊपर चढ़ आएगा और हमें स्कूल समय पर जाने के लिए जल्दी चलना पड़ेगा फिर अगली प्रात: ज्यों ही मैं बिस्तर से उठा मेरी नाड़ी तेज चलने लगी। परन्तु मुझे यह देख कर बड़ी निराशा हुई कि चलने के लिए पहले ही देर हो चुकी थी। किनारे पर चलते समय मैं अपनी आँखें लंकापुरी पर जमा कर रखता था। झील मेरे अन्दर आ जाती और लंकापुरी मेरे सामने होती। मुझे गोताखोरों को छपछपाने की ध्वनि और मन्दिर की घंटियाँ भी सुनाई न पड़ती थी।

24. Atlast, one morning………………….as light chill.
अनुवादः अंत में एक दिन प्रातः हमने देखा कि हमारे पास लंकापुरी जाने का समय है। हम सूर्योदय से बहुत पहले सड़क पर पहुँच गए। पूर्व में झील के पार बहुत मध्यम उजाला था और स्पष्ट रूप से कुछ भी देखना कठिन था। हमारे सिरों के ऊपर तारे थे-ऐसे तारे जो झाँकते हैं, न कि ऐसे जो कि रात के आकाश में टांके हुए रहते हैं। हल्की सी पवन चल रही थी जिसमें हल्की सी ठंडक थी।

25. We made the end ………………………….children on swings.
अनुवादः हम झील के छोर पर अति शीघ्र पहुँच गए। वहाँ से आगे हमें सड़क छोड़ कर खेतों में से जाना पड़ा। मेरे पाँव हवा में थे और खेत गीले साबुन की भाँति फिसलने थे। मन्नो आगे आगे बच-बच कर चल रही थी। मैं पक्षी की भाँति फुदक रहा था, मेरे पाँव मुश्किल से धरती को छूते थे। ज्यों ही हम सड़क से हटे थे मुझे लगा था कि मैं विचित्र स्थान पर आ गया हूँ। मैंने रेलगाड़ी में केवल एक बार यात्रा की थी। नहीं तो मैं नगर से बाहर कभी न गया था। जंगल मेरे लिए सपनो की धरती थी। जहाँ खरगोश कोमल घास पर घूमते हैं और पक्षी घने ऊँचे पेड़ों में चहचहाते हैं, गाँव मेरी तीसरी कक्षा की पुस्तक में चित्र के समान था: महिलाएँ कुएँ से पानी खींच रही हैं, उपवन हैं, लोग पेड़ों के नीचे बैठे हैं, छोटी-छोटी कुटियाँ हैं, और बच्चे झूल रहे हैं।

26-32. There. That is………………………………….No, I’m very tired.’
अनुवाद : वह रही लंकापुरी। जब हम लंकापुरी पहुँचे तो पूर्व लान दहक रहा था। सब ओर रेत था और उजाड़ था। किनारों पर की आवाजें बहुत दूर प्रतीत हो रही थीं।
लंकापुरी एक पुराने घर की भाँति था। दीवारों से सीलन थी और पौधे कोनों में से बाहर आ रहे थे।
‘हम पहुँच गए हैं’, मन्नो ने पहले सोपान पर पांव रख कर कहा। ‘पहले हम अन्दर चलें’ मैं बोला और अन्दर जाने लगा।
‘पहले थोड़ा सुस्ता लें।’ .. ‘नहीं, मैं पहले अन्दर जाना चाहता हूँ।’
‘नहीं, मैं बहुत थकी हुइ हूँ।’

33. And Manno sat ………………………………….. entered Lankapuri.
अनुवादः और मन्नो सोपान पर बैठ गई। मुझे उसका इस प्रकार बैठना बिल्कुल अच्छा न लगा। मैंने क्रोध भरी आवाजा में कहा, “तुम चाहो तो सारा दिन बैठी रहो।”
मैं एक साथ दो-दो पौड़ियाँ छलांग लगाकर चढ़ता हुआ लंकापुरी के अन्दर गया।

34. I saw that……………………………………………. she had nothing on.
अनुवादः मैंने देखा कि लंकापुरी पूर्णतः सुनसान थी। वहाँ चारों ओर दीवारों के अतिरिक्त कुछ न था। अचानक मैंने प्रातः के प्रकाश में देखा कि दीवारों पर कुछ घसीटकर लिखा हुआ है। मैंने सामने की दीवार पर जाकर उसे पढ़ने का प्रयास किया बड़े-बड़े अक्षरों में ‘सुशीला’ नाम निक्षारित था और उससे आगे ऐसे शब्द थे जो मैंने स्कूल की दीवार के पीछे, झील के सड़क पर और अनेक स्थानों पर देखे थे। शब्दों के समीप एक लड़की का चित्र था और उसने कुछ न पहन रखा था।

35. My glance penetrated ……………………….. glared in my eyes.
अनुवादः मेरी दृष्टि अंधरे में घुसी। मैंने देखा अन्य सब दीवारों पर वही शब्द लिखे थे। जब मैं उनको देखता चला तो मेरे पांव ठंडे होने लगे। मेरे हाथ जेबों में चले गए और मुझे उस स्थान का कोई बोध न रहा। फिर भी मैं आगे बढ़ता गया और खिड़की तक पहुँचा व और धूप से मेरी आँखें चुधियाँ गई।

36. I recalled that Manno was …….. ……………at the waves.
अनुवादः मुझे याद आया कि मन्नो बाहर बैठी है। मैं दबे पांव सोपान पर पहुँचा और देखा कि मन्नो अपना सिर घुटनों पर रखकर ऊंघ रही है। आदत के अनुसार मेरा हाथ मन्नो की चोटी की ओर बढ़ा, परन्तु रुक गया । मैंने उसे जेब में रख लिया और लहरों को देखने लगा। कुछ देर के पश्चात् मेरा मन उसकी कमर पर मारने को किया। परन्तु इस बार मेरा हाथ जेब से बाहर ही न आया। मैं फिर से लहरों को देखने लगा।

37. Suddenly I raised …………………………………….. Manno and me.
अनुवादः अचानक मैंने सिर उठा कर किनारे की ओर देखा। समस्त झील पर प्रकाश था और किनारे पर हलचल थी। जब मैंने सोचा कि किनारे पर नहाते हुए लोग मेरे और मन्नो की ओर देख रहे होंगे, तो मुझे लगा कि मेरा सिर फट गया है और छरे की नोक सीधी मेरी आँखों की ओर है।