Regular practice using DAV Class 8 Hindi Solutions and DAV Class 8 Hindi Chapter 17 Question Answer – सोना are essential for improving writing and analytical skills.
DAV Class 8 Hindi Chapter 17 Question Answer – सोना
DAV Class 8 Hindi Ch 17 Question Answer – सोना
पाठ में से
प्रश्न 1.
सुष्मिता कौन है? उसने पत्र के माध्यम से महादेवी वर्मा को क्या लिखा?
उत्तर:
सुष्मिता लेखिका के परिचित स्वर्गीय डॉक्टर धीरेंद्रनाथ वसु की पौत्री थी। उसने पत्र के माध्यम से महादेवी वर्मा को लिखा था, “गत वर्ष उसे अपने पड़ोसी से एक हिरन मिला था। अब वह बड़ा हो गया है। उसे घूमने के लिए विस्तृत स्थान चाहिए। क्या आप उस हिरन को स्वीकार करेंगी। ”
प्रश्न 2.
लेखिका के प्रति स्नेह प्रदर्शित करने के लिए सोना क्या करती थी ?
उत्तर:
लेखिका के प्रति स्नेह प्रदर्शित करने के लिए सोना उस समय उसके ऊपर से छलाँग लगाती थी, जब वह बाहर खड़ी होती थी। आगे या पीछे से सिर के ऊपर से छलांग लगाते समय वह अपने पैरों को इस प्रकार सिकोड़े रहती थी कि चोट लगने की संभावना ही नहीं जाती थी।
प्रश्न 3.
घर, विद्यालय और छात्रवास में सोना के क्रिया-कलाप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सोना के क्रिया-कलाप-
घर में – सोना दिन में गोधूली बिल्ली, कुत्ते – हेमंत और वसंत तथा फ्लोरा नामक कुतिया के साथ खेलती, घास पर लेट जाती और अचानक चौकड़ी भरने लगती तब अन्य जानवर भी उसके पीछे भागने लगते थे। विद्यालय में – सोना विद्यालय के हर कमरे का निरीक्षण करती, प्रार्थना के समय मैदान में आ जाती और प्रार्थना समाप्त हो जाने पर कक्षाओं के भीतर – बाहर चक्कर लगाना आरंभ कर देती। वह बच्चों के साथ घंटों खेलती। छात्रावास में- सोना छात्रावास पहुँचकर प्रत्येक कमरे के भीतर – बाहर निरीक्षण करती। तब कोई छात्रा उसके माथे पर कुमकुम का बड़ा-सा टीका लगा देती, कोई गले में रिबन बाँध देती और कोई पूजा के बताशे खिला देती।
प्रश्न 4.
हिरन शावक से हिरनी बनने पर सोना में शारीरिक रूप से क्या परिवर्तन आए?
उत्तर:
हिरन शावक से हिरनी बनने पर सोना के शरीर के रोएँ ताम्रवर्णी झलक देने लगे। उसकी टाँगें सुडौल हो गईं और कालेपन में चमक आ गई। ग्रीवा अधिक वंकिम और लचीली हो गई। पीठ में भराव वाला उतार-चढ़ाव और स्निग्धता दिखाई देने लगी। आखों को देखकर लगता था कि नीलम के बल्बों में उजली विद्युत का स्फुरण हो।
प्रश्न 5.
उचित उत्तर पर सही (✓) का निशान लगाइए-
(क) सोना कौन है?
शेरनी
हिरनी
हथिनी
ऊँटनी
उत्तर:
(क) हिरनी
(ख) सोना का पसंदीदा खाद्य क्या था?
चावल
कच्ची सब्ज़ी
रोटी
बिस्कुट
उत्तर:
(ख) कच्ची सब्ज़ी
(ग) गरमियों की छुट्टियों में लेखिका ने कहाँ जाने का कार्यक्रम बनाया?
अमरनाथ
सोमनाथ
केदारनाथ
बद्रीनाथ
उत्तर:
(ग) बद्रीनाथ
(घ) लेखिका यात्रा पर अपने साथ किसे ले गईं?
हेमंत-वसंत
गोधूली
फ्लोरा
सोना
उत्तर:
(घ) फ्लोर
(ङ) ‘अनिर्वचनीय’ का शाब्दिक अर्थ क्या है?
जिसे देखा न जा सके
जिसे सुना ना जा सके
जिसे भुलाया न जा सके
जिसे कहा न जा सके
उत्तर:
(ङ) जिसे कहा न जा सके
प्रश्न 6.
दिए गए अंश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
संभवतः वह सोना के स्नेही और अहिंसक प्रकृति से परिचित हो गई थी । पिल्लों के बड़े होने पर और उनकी आँखें खुल जाने पर उन्हें भी अपने पीछे घूमने वाली सोना में सम्मिलित कर लिया और मानो इस वृद्धि की उपलब्धि में आनंदोत्सव मनाने के लिए अधिक देर तक मेरे सिर पर आर-पार चौकड़ी भरती रही। पर कुछ दिनों के उपरांत जब यह आनंदोत्सव पुराना पड़ गया, तब उसकी शब्दहीन संज्ञाहीन प्रतीक्षा की स्तब्ध घड़ियाँ फिर लौट आईं।
(क) सोना की अहिंसक प्रकृति से कौन परिचित हो गई थी?
(ख) सोना के जीवन में शब्दहीन, संज्ञाहीन प्रतीक्षा की स्तब्ध घड़ियाँ क्यों लौट आईं?
(ग) पाठ व लेखिका का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) सोना की अहिंसक प्रकृत्ति से प्लेरा नाम कुतया पाराचत हा गइ था।
(ख) सोना के युवा होने और वसंत ऋतु आने पर उसके जीवन में शब्दहीन, संज्ञाहीन, प्रतीक्षा की घड़ियाँ लौट आईं।
(ग) पाठ का नाम – सोना, लेखिका – महादेवी वर्मा
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
सोना के शैशवावस्था के रूप सौंदर्य के बारे में बताइए।
उत्तर:
सोना लेखिका की पालतू हिरनी है। उसका शरीर ताँबे के रंग जैसा, रेशम से मुलायम बालों से ढँका था। उसका मुख छोटा, आँखें नीली चमकदार, गर्दन लचीली तथा खुर काले और चमकीले थे।
प्रश्न 2.
सोना के कौन-कौन से नाम उसके परिचय बन गए थे?
उत्तर:
सोना के कई नाम उसके परिचय बन गए, जैसे- सोना, सुवर्णा, सुवर्ण लेखा आदि।
प्रश्न 3.
माली ने सोना को क्यों बाँधना शुरू कर दिया था?
उत्तर:
माली ने सोना को इसलिए बाँधना शुरू कर दिया था ताकि शिकारी उसको मार न दे।
प्रश्न 4.
सोना की मृत्यु कैसे हुई ?
उत्तर:
माली ने सोना को रस्सी से बाँध दिया था। वह अचानक बहुत तेजी से उछली पर रस्सी छोटी होने के कारण मुँह के बल धरती पर आ गिरी और उसकी मृत्यु हो गई ।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
कल्पना कीजिए यदि महादेवी वर्मा फ्लोरा को अपने साथ न ले जाकर सोना को ले जाती तो क्या होता?
उत्तर:
यदि लेखिका फ्लोरा को साथ न ले जाकर सोना को ले जाती तो उसकी इस तरह मृत्यु न होती ।
प्रश्न 2.
यदि सोना की मृत्यु न होती और ग्रीष्मावकाश बिताकर जब लेखिका घर आती तो सोना का लेखिका के प्रति कैसा व्यवहार होता ?
उत्तर:
यदि सोना की मृत्यु न होती और ग्रीष्मावकाश बिताकर जब लेखिका घर आती तो सोना अपने पैर सिकोड़कर लेखिका के सिर के ऊपर से छलाँग लगाकर अपना प्रेम प्रदर्शित करती तथा अपना शरीर लेखिका के पैरों से रगड़ती।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
पाठ में आए हुए ‘ईय’ और ‘इक’ प्रत्यय लगे शब्द छाँटकर लिखिए तथा एक-एक नया शब्द भी लिखिए-
उत्तर:
प्रत्यय | पाठ में आए हुए शब्द | नया शब्द |
(क) ईय | अनिर्वचनीय | दर्शनीय |
(ख) इक | स्वाभाविक | भौतिक |
प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों के निर्देशानुसार उत्तर लिखिए-
(क) भक्तिन को बोतल साफ़ करते देख वह दौड़ आती। (व्यक्तिवाचक संज्ञा छाँटकर लिखिए)
उत्तर:
भक्तिन
(ख) गत वर्ष अपने पड़ोसी से मुझे एक हिरन मिला। (सर्वनाम छाँटकर लिखिए)
उत्तर:
अपने मुझे
(ग) ग्रीवा अधिक बंकिम और लचीली हो गई थी। (विशेषण छाँटकर लिखिए )
उत्तर:
बंकिम, लचीली
(घ) टाँगें अधिक सुडौल और खुरों के कालेपन में चमक आ गई थी। (प्रविशेषण छाँटकर लिखिए )
उत्तर:
अधिक
(ङ) भीतर आने पर वह मेरे पैरों से अपना शरीर रगड़ने लगती। (क्रिया का भेद् लिखिए)
उत्तर:
सकर्मक क्रिया
जीवन मूल्य
प्रश्न 1.
‘इतनी बड़ी हिरणी को पालने वाले तो कम थे परंतु उसमें खाद्य और स्वाद प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्तियों का बाहुल्य था’ – पशु-पक्षियों के प्रति हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
पशु-पक्षियों के प्रति हमारा स्नेह अत्यंत प्रेमपूर्ण और संवेदनशील होना चाहिए। पशु-पक्षी भी प्यार के भूखे होते हैं। वे हमारे जीवन में चहल-पहल लाते हैं, प्रकृति की शोभा और संतुलन बढ़ाते हैं। वे अप्रत्यक्ष रूप से हमें लाभ पहुँचाते हैं। हमें पशु-पक्षियों के प्रति सदैव सदय होकर उनकी रक्षा करनी चाहिए।
प्रश्न 2.
प्रस्तुत पाठ के आधार पर महादेवी वर्मा की स्वभावगत विशेषताओं का वर्णन कीजिए। आज के संदर्भ में इसकी उपयोगिता के बारे में बताइए।
उत्तर:
पाठ से ज्ञात होता है कि महादेवी वर्मा पशु-पक्षियों से घनिष्ठ लगाव रखती थीं। वे उनके प्रति अत्यधिक संवदेनशील, दयालु, सहनशील तथा सदय थीं। वे पशु-पक्षियों के साथ घर के सदस्यों जैसा व्यवहार करती थीं।
आज के संदर्भ में जब विभिन्न कारणों से अनेक पशु-पक्षियों की विभिन्न जातियाँ लुप्त हो गई हैं और अनेक लुप्त होने की कगार पर है तब पशु-पक्षियों के प्रति सदय होने की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1.
डिस्कवरी चैनल पर वन्य पशुओं के जीवन पर आधारित कार्यक्रम देखिए और कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2.
ऐसी संस्थाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए जो पशु-पक्षी संरक्षण का अनूठा कार्य कर रही हों।
उत्तर:
छात्र इस बारे में स्वयं पता करें।
प्रश्न 3.
‘पर्यावरण की दृष्टि से पशु-पक्षियों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?’ इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र उक्त विषय पर कक्षा में अवश्य चर्चा करें।
DAV Class 8 Hindi Ch 17 Solutions – सोना
I. बहुविकल्पीय प्रश्न
1. ‘सोना’ की स्मृति का कारण इनमें से क्या था?
(क) उसकी यादें
(ख) हिरन पालने की अभिलाषा
(ग) बसु की पौत्री द्वारा लिखा पत्र
(घ) माली द्वारा ‘सोना’ की याद दिलाना
उत्तर:
(ग) बसु की पौत्री द्वारा लिखा पत्र
2. आज उस नियम को भंग किए बिना इस ‘कोमल प्राणजीव’ की रक्षा संभव नहीं है। यहाँ कोमल प्राणजीव कौन है?
(क) गिलहरी का बच्चा
(ख) गाय का बच्चा
(ग) कुत्ते का बच्चा
(घ) हिरन का बच्चा
उत्तर:
(घ) हिरन का बच्चा
3. सोना भक्तिन के पास कब आती थी?
(क) दूध देखकर
(ग) बोतल साफ़ करते देखकर
(ख) सब्ज़ियाँ देखकर
(घ) लेखिका के पास भक्तिन को बैठा देखक
उत्तर:
(ग) बोतल साफ़ करते देखकर
4. सोना को इनमें से मेस में क्या खाना सर्वाधिक पसंद था?
(क) बिस्कुट
(ख) रोटियाँ
(ग) चावल
(घ) पकी सब्ज़ियाँ
उत्तर:
(क) बिस्कुट
5. इनमें से गोधूली किसका नाम है?
(क) हिरनी
(ख) गिलहरी
(ग) बिल्ली
(घ) गाय
उत्तर:
(ग) बिल्ली
6. लेखिका द्वारा पाले गए अन्य जानवर सोना को पहली बार देखकर …………….. हुए।
(क) संतुष्ट
(ख) रुष्ट
(ग) परिपुष्ट
(घ) आकृष्ट
उत्तर:
(ख) रुष्ट
7. लेखिका ने इनमें से कौन-सा पशु/पक्षी नहीं पाला था ?
(क) कुत्ता
(ख) हिरण
(ग) कबूतर
(घ) बिल्ली
उत्तर:
(ग) कबूतर
8. सोना की मूक प्रतीक्षा कब अधिक मार्मिक हो उठती थी ?
(क) शीतल हवा बहने पर
(ग) सर्द हवा बहने पर
(ख) गर्म हवा बहने पर
(घ) वासंती हवा बहने पर
उत्तर:
(घ) वासंती हवा बहने पर
9. फ्लोरा किसके संरक्षण में बच्चों को छोड़कर आश्वस्त हो जाती थी ?
(क) हेमंत
(ख) गोधूली
(ग) सोना
(घ) वसंत
उत्तर:
(ग) सोना
10. लेखिका प्रवास में कम ही रहती है। इसका कारण है……………..।
(क) उसके द्वारा पाले हुए जीव-जंतु
(ख) छात्रावास की जिम्मेदारियाँ
(घ) उसकी वृद्धावस्था
(ग) नौकरों पर अविश्वास
उत्तर:
(क) उसके द्वारा पाले हुए जीव-जंतु
11. सोना की मृत्यु की खबर लेखिका को इनमें से किसने दी थी?
(क) चौकीदार ने
(ख) माली ने
(ग) चपरासी ने
(घ) छात्राओं ने
उत्तर:
(ख) माली ने
12. सोना की मृत्यु की खबर सुनकर लेखिका ने क्या निश्चय किया?
(क) तीर्थ यात्रा पर न जाने का
(ग) हिरन न पालने का
(ख) पालतू जानवरों को अपने साथ ले जाने का
(घ) कोई भी जीव-जंतु न पालने का
उत्तर:
(ग) हिरन न पालने का
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
लेखिका अपना नियम भंग क्यों करने जा रही थी?
उत्तर:
लेखिका के सामने एक हिरण का जीवन बचाने की बात थी, इसलिए वह अपना नियम भंग करने जा रही थी।
प्रश्न 2.
लेखिका को सोना किस अवस्था में मिली?
उत्तर:
लेखिका को सोना शैशवावस्था अर्थात् नवजात शावक के रूप में मिली थी।
प्रश्न 3.
सोना को छोटे बच्चे अधिक पसंद थे? क्यों?
उत्तर:
सोना को छोटे बच्चे इसलिए अधिक पसंद थे क्योंकि उसे बच्चों के साथ खेलने के लिए अधिक समय मिल जाता था।
प्रश्न 4.
फ्लोरा ने कितने बच्चों का कहाँ जन्म दिया?
उत्तर:
फ्लोरा ने चार बच्चों को भक्तिन की अँधेरी कोठरी के कोने में जन्म दिया।
प्रश्न 5.
फ्लोरा को सोना की प्रकृति कैसी लगी?
उत्तर:
फ्लोरा को सोना की प्रकृति स्नेही एवं अहिंसक लगी।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30-35 शब्दों में )
प्रश्न 1.
डॉ. बसु की पौत्री ने लेखिका को पत्र क्यों लिखा?
उत्तर:
डॉ. बसु की पौत्री को एक साल पहले अपने पड़ोसी से एक हिरन मिला था। सभी लोग उससे स्नेह करते थे परंतु बसु की पौत्री को लगता था कि जंगल से जुड़ा और बड़ा हो जाने के कारण उसे खुली जगह चाहिए। उसे विश्वास था कि लेखिका के पास उसकी देखभाल हो जाएगी। उस हिरन को लेखिका को देने के लिए उसने पत्र लिखा।
प्रश्न 2.
सोना लेखिका के साथ अपना स्नेह कैसे प्रकट करती?
उत्तर:
सोना लेखिका के साथ अपने प्रेम का प्रदर्शन कई तरह से करती थी। जब लेखिका बाहर खड़ी होती तो सोना सामने या पीछे से लेखिका के सिर के ऊपर से छलाँग लगाती और अपने पैरों को मोड़े रखती ताकि लेखिका को चोट न लगे। इसके अलावा वह लेखिका के पैरों से अपना शरीर रगड़कर या उसकी साड़ी को अपने मुँह में दबा लेती थी।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( 70-80 शब्दों में )
प्रश्न 1.
साल भर बीतते-बीतते सोना में क्या-क्या बदलाव आए?
उत्तर:
एक साल बीतते-बीतते हिरण शावक से सोना हिरनी बन गई। उसके शरीर के रोओं का रंग ताँबे जैसा हो गया। उसके पैर सुडौल और खुरों के कालेपन में चमक आ गई थी। उसकी गर्दन अधिक लचीली हो गई थी। पीठ में उतार-चढ़ाव और स्निग्धता दिखने लगी । इससे भी अधिक बदलाव उसकी आँखों में आया। उसकी आँखों के चारों ओर खिची कज्जल कोर में नीले गोलक और दृष्टि देखकर लगता था कि मानो नीलम के बल्बों में उजली बिजली कँपकँपाने लगी थी। इसके अलावा उसे वन और अपनी जाति याद आने लगी थी।
V. मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘सोना’ पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
‘सोना’ पाठ से हमें जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशील होने, उन्हें क्षति न पहुँचाने, उनके प्रति दयाभाव रखने, उनके प्रति स्नेह रखने की शिक्षा मिलती है। इसके अलावा उन्हें बंधन में न रखने की भी सीख मिलती है। क्रियाकलाप
प्रश्न 2.
अपनी पसंद के पशु/पक्षी का वर्णन एक अनुच्छेद ( एक सौ शब्दों) में कीजिए और अपने मित्र को पढ़कर सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
प्रश्न 1.
उसका मुख इतना छोटा-सा था कि उसमें शीशी का निप्पल समाता ही नहीं था – उस पर उसे पीना भी नहीं आता था। फिर धीरे-धीरे उसे पीना ही नहीं, दूध की बोतल पहचानना भी आ गया। आँगन में कूदते-फाँदते हुए भी भक्तिन को बोतल साफ़ करते देखकर वह दौड़ आती और अपनी तरल चकित आँखों से उसे ऐसे देखने लगती मानो वह कोई सजीव मित्र हो।
प्रश्न (क) गद्यांश में किसके मुख का वर्णन है?
(ख) उसे पीना क्यों नहीं आता था?
(ग) धीरे – धीरे उसमें क्या बदलाव आ गए?
(घ) वह भक्तिन के पास क्यों आती थी?
(ङ) गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) गद्यांश में हिरण शावक के मुख का वर्णन है जो अभी बहुत छोटा है।
(ख) हिरण अपनी शैशवावस्था में है। उसे दूध पीने की कला का ज्ञान नहीं है।
(ग) धीरे – धीरे वह दूध पीना सीख गई और अपनी बोतल भी पहचानने लगी।
(घ) वह भक्तिन के पास अपनी बोतल पहचानकर आ जाया करती थी।
(ङ) गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
प्रश्न 2.
उसे छोटे बच्चे अधिक प्रिय थे, क्योंकि उनके साथ खेलने का अधिक अवकाश रहता था। वे पंक्तिबद्ध खड़े होकर सोना – सोना पुकारते और वह उनके ऊपर से छलाँग लगाकर एक ओर से दूसरी ओर कूदती रहती। यह सरकस जैसा खेल कभी-कभी घंटों चलता, क्योंकि खेल के घंटों में बच्चों की एक कक्षा के उपरांत दूसरी आती रहती।
प्रश्न (क) उपर्युक्त गद्यांश में ‘उसे’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(ख) सोना को कौन अधिक प्रिय थे?
(ग) बच्चों का खेल कैसा था?
(घ) गद्यांश से पुनरुक्त शब्द छाँटकर लिखिए।
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) उपर्युक्त गद्यांश में ‘उसे’ शब्द सोना नामक हिरण शावक के लिए प्रयुक्त हुआ है।
(ख) सोना को छोटे बच्चे अधिक प्रिय थे।
(ग) बच्चों को यह खेल सरकस जैसा था, जो घंटों चलता रहता था।
(घ) गद्यांश में आने वाले पुनरुक्त शब्द सोना- सोना, कभी-कभी।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम है ‘सोना’।
प्रश्न 3.
मेरी बिल्ली गोधूली, कुत्ते हेमंत – वसंत कुत्ती फ्लोरा सब पहले इस नए अतिथि को देखकर रुष्ट हुए, परंतु सोना ने थोड़ी ही दिनों में सबसे सख्य स्थापित कर लिया। फिर तो वह घास पर लेट जाती और कुत्ते-बिल्ली उस पर उछलते-कूदते रहते। कोई उसके कान खींचता कोई पैर। और जब वे इस खेल में तन्मय हो जाते, तब वह अचानक चौकड़ी भर कर भागती और वे गिरते पड़ते उसके पीछे दौड़ लगाते!
प्रश्न (क) गोधूली, हेमंत, वसंत आदि कौन हैं?
(ख) कुछ समय बाद क्या बदलाव आया?
(ग) सोना उनके साथ किस प्रकार खेला करती थी?
(घ) सोना अचानक क्या करती थी?
(ङ) गद्यांश के पाठ और उसकी लेखिका का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) यहाँ गोधूली, हेमंत, वसंत, फ्लोरा आदि लेखिका द्वारा पाले गए बिल्ली, कुत्ते, कुतिया हैं।
(ख) कुछ समय बाद सोना और लेखिका की बिल्ली, कुत्ते और कुतिया में दोस्ती हो गई। वे मिल-जुलकर रहने लगे।
(ग) सोना घास पर लेट जाती और कुत्ते-बिल्ली सोना पर उछल-कूद करते। कोई उसका कान खींचता और उनमें से कोई पैर।
(घ) अचानक सोना तेज़ी से भागती तथा बाकी जानवर भी उसके पीछे भागने लगते।
(ङ) पाठ का नाम – सोना, लेखिका का नाम – महादेवी वर्मा।
प्रश्न 4.
संभवतः अब उसमें वन तथा स्वजाति का स्मृति-संसार जागने लगा था। प्रायः सूने मैदान में वह गर्दन ऊँची करके किसी की आहट की प्रतीक्षा में खड़ी रहती। वासंती हवा बहने पर यह मूक प्रतीक्षा और अधिक मार्मिक हो उठती। शैशव के साथियों और उनकी उछल-कूद से अब उसका पहले जैसा मनोरंजन नहीं होता था, अतः उसकी प्रतीक्षा के क्षण कुछ अधिक हो जाते थे।
प्रश्न (क) उपर्युक्त गद्यांश में ‘उसमें’ शब्द किसके लिए आया है?
(ख) अब उसमें क्या परिवर्तन आने लगे थे?
(ग) वह अपनी मनोदशा कैसे अभिव्यक्त करती थी?
(घ) वासंती हवा उस पर क्या प्रभाव डालती थी?
(ङ) उसकी इस दशा को कैसे पहचाना जा सकता था?
उत्तर:
(क) उपर्युक्त गद्यांश में ‘उसमें’ शब्द लेखिका द्वारा पाली गई उस हिरणी के लिए आया है, जिसका नाम सोना था।
(ख) सोना अब शावक से हिरनी बन गई थी।
(ग) वह अपनी मनोदशा को अभिव्यक्त करने के लिए प्रायः सूने मैदान में गर्दन ऊँची करके किसी आहट की प्रतीक्षा करती।
(घ) वासंती हवा से उसकी मूक प्रतीक्षा अधिक मर्मस्पर्शी हो जाती थी।
(ङ) सोना इस दशा में अपने शैशव के साथियों के साथ खेल – कूदकर मनोरंजन नहीं कर पाती और अधिक देर तक किसी के आने की प्रतीक्षा करती रहती थी।
शब्दार्थ:
- स्मृति – याद।
- सघन – घना।
- संबद्ध – संबंधित।
- विस्तृत – बड़ा।
- शैशवावस्था – शैशवा अवस्था, बचपन।
- सुवर्णा – अच्छे रंग वाली।
- कौतुक – कुतूहल।
- संकुल – संकुचित।
- उपरांत – बाद में।
- स्नेह-प्रदर्शन – प्रेम प्रदर्शित करना।
- अनिर्वचनीय – जिसे कहा न जा सके।
- जिज्ञासा – जानने की इच्छा।
- अभिव्यक्ति बताना, कहना।
- सभीत – डरी हुई।
- दयनीय – दया करने योग्य।
- विस्मय – आश्चर्य।
- रुष्ट – नाराज।
- सख्य – मित्रता।
- तन्मय – तल्लीन।
- शावक – बच्चा।
- ताम्रवर्णी – ताँबे के रंग की।
- ग्रीवा – गर्दन।
- स्निग्धता – कोमलता।
- स्फुरण – कंपन।
- स्वजाति – अपनी जाति।
- मूक – चुपचाप।
- मार्मिक – हृदय को छू लेने वाली।
- एकांत – सूना।
- सृष्टि – संसार।
- संरक्षण – देखभाल।
- उदर – पेट।
- आश्वस्त – निश्चित।
- अहिंसक – जो हिंसा न करे।
- आनंदोत्सव – आनंद का उत्सव।
- स्तब्ध – जड़ता, शून्य।
- प्रवास – कुछ समय के लिए अन्यत्र रहना।
- नैमित्तिक – नियमपूर्वक।
- कोलाहल – शोर।
- अस्थिर – बेचैन।
- बाहुल्य – अधिकता।
- प्रवाहित करना – बहा देना।
- निर्जन – सुनसान।
सोना Summary in Hindi
पाठ – परिचय:
‘सोना’ नामक इस पाठ में लेखिका ने अपनी पालतू हिरणी का सजीव चित्रण किया है। सोना अपनी चंचलता से सभी को अपनी ओर आकर्षित कर लेती थी। इस पाठ के माध्यम से लेखिका ने जीव-जंतुओं के प्रति दया भाव बनाए रखने का संदेश दिया है।
पाठ का सार:
लेखिका को ‘सोना’ नामक हिरनी की अचानक याद आने का कारण है. उसके एक परिचित की पौत्री द्वारा किसी हिरण का उल्लेख करना। यह लड़की अपने बड़े होते हिरन को किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं देना चाहती थी, जो उसके साथ बुरा व्यवहार करे। उसने लेखिका से यह प्रार्थना भी की थी कि वह हिरण को अपना ले। सोना भी इसी प्रकार अचानक शैशवावस्था में लेखिका को मिली थी। वह बहुत सुंदर थी। सभी उसकी सुंदरता से इतने प्रभावित हुए कि सोना, सुवर्णा, सुवर्णलेखा जैसे नाम उसका परिचय बन गए।
सोना का मुँह इतना छोटा था कि शीशी के निप्पल से उसे दूध पिलाने में भी परेशानी होती थी। धीरे-धीरे वह दूध पीना और बोतल पहचानना भी सीख गई। रात में वह लेखिका के पास आकर बैठ जाती । कुछ दिनों में वह उस स्थान को गंदा न करना भी सीख गई। अपने कार्यकलाप के कारण वह छात्रावास की छात्राओं की साथिन बन गई थी। सवेरे दूध पीकर और भीगे चने खाकर वह कंपाउंड में चारों ओर चौकड़ी भरती फिर मेस में नाश्ता करने पहुँच जाती। उसे बिस्कुट खाना ही पसंद था। वह कुछ देर दूब चरती और उस पर लोटकर लेखिका के भोजन के ठीक समय पर आ जाती और कुछ रोटी और चावल खाती पर उसे कच्ची सब्ज़ियाँ ही अधिक पसंद थीं। सोना को छोटे बच्चे अधिक पसंद थे, जिनके साथ वह घंटों खेला करती थी।
सोना जब लेखिका के पास आई तो उसके कुत्ते, बिल्ली, कुतिया सभी रुष्ट हुए परंतु सोना कुछ ही समय में सभी की सहेली बन गई। वह लेट जाती और कुत्ते-बिल्ली उस पर उछलते-कूदते, उसके पीछे दौड़ लगाते थे । साल भर में ही सोना शावक से हिरणी में परिवर्तित होने लगी। उसका वर्ण ताँबे जैसा, टाँगें सुडौल और खुरों के कालेपन में चमक, ग्रीवा अधिक लचीली आँखों में नीलम के बल्बों सी उजली विद्युत चमक उठी। अब उसे जंगल और अपनी जाति की याद सताने लगी। वह सूने मैदान में गर्दन ऊँची कर किसी की प्रतीक्षा करती। ऐसे में उसका मन शैशव के साथियों और उछल-कूद में न लगता था।
इसी बीच फ्लोरा नामक कुतिया ने भक्तिन की अंधेरी कोठरी में चार पिल्लों को जन्म दिया। वह उनकी देखभाल में लगी रही। जब सोना ने फ्लोरा को इन छोटे जीवों से घिरा देखा तो वह चकित रह गई। तब से वह उन पिल्लों के बीच जाकर लेट जाती और फ्लोरा निश्चित होकर बाहर चली जाती। वह सोना के स्नेही और अहिंसक स्वभाव से परिचित हो चुकी थी। कुछ बड़े होते ही बच्चे भी सोना के साथ-साथ घूमने लगे। समय बीतने के साथ ही सोना की शब्दहीन, संज्ञाहीन प्रतीक्षा की घड़ियाँ लौट आईं।
उसी साल लेखिका का बद्रीनाथ जाने का कार्यक्रम बना। वह भक्तिन, अनुरूप (नौकर) और फ्लोरा को अपने साथ ले गई। छात्रावास बंद होने के कारण उसकी (सोना) गतिविधियों में बाधा पड़ गई। पैदल आने-जाने में ही गर्मी की छुट्टियाँ बीत गई थीं। ऐसे में 2 जुलाई को जब लेखिका लौटी तो सारे जीव-जंतुओं के बीच सोना नज़र नहीं आई। माली की आँसुओं से भरी आँखों से लेखिका ने सब कुछ जान लिया। लेखिका के जाने के बाद, छुट्टी पड़ जाने से माली ने उसे रस्सी में बाँधना शुरू कर दिया था। एक दिन वह बंधन की सीमा भूलकर इतना ज़ोर से उछली की कि रस्सी के कारण मुख के बल धरती पर आ गिरी। यह उसकी अंतिम साँस और उछाल थी। सब उसके मृत शरीर को गंगा में प्रवाहित कर आए। इसके बाद लेखिका ने हिरन न पालने का निश्चय किया पर उसे फिर हिरन पालना पड़ा।