Regular practice using DAV Class 8 Hindi Solutions and DAV Class 8 Hindi Chapter 15 Question Answer – कामचोर are essential for improving writing and analytical skills.
DAV Class 8 Hindi Chapter 15 Question Answer – कामचोर
DAV Class 8 Hindi Ch 15 Question Answer – कामचोर
प्रश्न 1.
अब्बा मियाँ ने बच्चों को किन कामों को करने के बदले में तनख्वाह देने की बात कही?
उत्तर:
अब्बा मियाँ ने बच्चों को जिन कामों को करने के बदले में तनख्वाह देने की बात कही, वे काम हैं-
- मैली दरी की सफाई
- पेड़-पौधों को पानी देना
- आँगन की सफाई
- कुछ अन्य काम भी बताए
प्रश्न 2.
बच्चों को ऐसा क्यों लगा कि मुर्गियों को भी किसी ने उनके विरुद्ध भड़का रखा है?
उत्तर:
मुर्गियों को भी किसी ने उनके विरुद्ध भड़का रखा है, ऐसा बच्चों ने इस लिए कहा, क्योंकि बच्चे जब
प्रश्न 3.
मुर्गियों को दड़बे की ओर ले जाने के लिए हाँकने लगे तो वे दड़बे में जाने की बजाय ऊट-पटांग इधर-उधर कूदने-फाँदने लगीं। वे खीर के प्यालों, पानदान, मोरी आदि से होकर भागने लगीं। एक भी मुर्गी दड़बे में जाने को राजी न हुई।
क्या देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो घर में तूफ़ान आया था ?
उत्तर:
मेंगनों का छिड़काव करती भेड़ों का झुंड गुजर जाने के बाद ऐसा लग रहा था, मानो घर में तूफान आया था।
प्रश्न 4.
अम्मा ने मायके जाने की बात क्यों कही?
उत्तर:
अम्मा ने मायके जाने की बात इसलिए कही क्योंकि बच्चों ने काम करने के नाम पर खूब ऊधम मचाया था, लड़ाई-झगड़ा किया था और घर भर का सामान बिखराकर रख दिया था। इससे एक ओर घर के लोग परेशान हो उठे तो दूसरी ओर घर भर में जगह- जगह कीचड़ टूटे-बिखरे बर्तन, भेड़ों के मेंगने कीचड़ से सनी दरी, गंदे कपड़े आदि बिखरे पड़े थे।
प्रश्न 5.
उचित उत्तर पर सही (✓ ) का निशान लगाइए-
(क) पाठ के आधार पर बताइए कि अपना काम खुद करने की आदत किसे होनी चाहिए?
(a) बच्चों को
(b) बानी दीदी को
(c) अब्बा को
(d) अम्मा को
उत्तर:
(a) बच्चों को
(ख) सब मज़दूर कहाँ से मार-मारकर निकाले गए?
(a) मैदान
(b) स्कूल
(c) आँगन
(d) छत
उत्तर:
(c) आँगन
(ग) भेड़ों को क्या खिलाने की बात हो रही थी?
(a) दाना
(b) रोटी
(c) फल
(d) गाजर
उत्तर:
(a) दाना
(घ) किसको भागता देखकर चाचा जी को लगा कि जैसे कोई सपना देख रहे हैं?
(a) गाय
(b) भैंस
(c) कुत्ता
(d) गिलहरी
उत्तर:
(b) भैंस
6. पाठ के आधार पर कुछ कथन नीचे दिए गए हैं। सही कथनों के सामने (✓) का तथा गलत कथनों के सामने गलत (✗) का निशान लगाइए-
(क) झाड़ू लगाने के लिए सबने एक-एक झाड़ू हाथ में ले लिया।
(ख) पानी पड़ते ही सारी धूल कीचड़ बन गई।
(ग) तय हुआ कि पेड़ों को पानी दिया जाए।
(घ) बच्चे पेड़ों को पानी देते हुए नहाने लगे।
(ङ) हज्जन माँ एक पलंग पर दुपट्टे से मुँह ढाँके बैठी हुई थीं।
(च) झूले की रस्सी उतारकर भैंस के पैर बाँध दिए गए।
उत्तर:
(क) झाड़ू लगाने के लिए सबने एक-एक झाड़ू हाथ में ले लिया। (✗)
(ख) पानी पड़ते ही सारी धूल कीचड़ बन गई। (✓)
(ग) तय हुआ कि पेड़ों को पानी दिया जाए। (✓)
(घ) बच्चे पेड़ों को पानी देते हुए नहाने लगे। (✗)
(ङ) हज्जन माँ एक पलंग पर दुपट्टे से मुँह ढाँके बैठी हुई थीं। (✗)
(च) झूले की रस्सी उतारकर भैंस के पैर बाँध दिए गए। (✓)
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
बच्चों ने पहला काम किया – हिल – हिलकर पानी पीना। इसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
बच्चों ने पहला काम किया – हिल-हिलकर पानी पीना। इसका परिणाम यह हुआ कि पानी के मटकों के पास ही घमासान युद्ध शुरू हो गया। सुराहियाँ उधर लुढ़कीं, मटके इधर गए और बच्चों के कपड़े भीग गए।
प्रश्न 2.
क्या अंत में बच्चों को डाँटने पर घर के बड़े सदस्यों से उनकी नाराज़गी ठीक थी? क्यों?
उत्तर:
अंत में बच्चों को डाँटने पर घर के बड़े सदस्यों से उनकी नाराज़गी बिल्कुल भी उचित नहीं थी, क्योंकि बच्चों ने एक भी काम ढंग से नहीं किया, उल्टे घर भर में कीचड़ तथा गंदगी फैलाकर घरवालों का काम बढ़ा दिया था। ऐसा करके अपनी नाराज़गी दिखाकर वे उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे वाली कहावत सिद्ध कर रहे थे।
प्रश्न 3.
पाठ के आधार पर तर्क सहित बताइए कि ‘कामचोर’ एक संयुक्त परिवार की कहानी है?
उत्तर:
‘कामचोर’ एक संयुक्त परिवार की कहानी है। कहानी में बच्चों की संख्या अधिक होने के अलावा बड़े भाइयों, बहनों, मामियों, फूफियों, मौसियों के साथ चाचा का भी उल्लेख हुआ है। रिश्तों की डोर में बँधे इतने सगे-संबंधी संयुक्त परिवार में ही हो सकते हैं।
प्रश्न 4.
इस कहानी के बच्चे कामचोर थे? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
इस कहानी के बच्चे कामचोर थे। वे काम करना तो दूर हिलकर पानी भी नहीं पीते थे। जब उनसे काम करने के लिए कहा गया तो उन्होंने काम को इस तरह खराब किया ताकि दुबारा उनसे काम करने को कहा ही न जाए।
प्रश्न 5.
क्या बच्चों को घर के कामों में माता-पिता का साथ देना चाहिए? कारण बताइए।
उत्तर:
हाँ बच्चों को घर के कामों में माता-पिता का साथ देना चाहिए। ऐसा करने से उनमें कामचोरी, आलस्य और निकम्मेपन की प्रवृत्ति पनपने नहीं पाती है। काम करने वाले बच्चो में स्वावलंबन की आदत विकसित होती जाती है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
अगर बच्चे आपस में एक-एक काम बाँटकर करते तो क्या होता?
उत्तर:
अगर बच्चे आपस में एक-एक काम बाँटकर करते तो काम करने के लिए धक्का-मुक्की न होती, झगड़ा और हाथापाई न होती और काम भी ठीक ढंग से पूरा हो जाता।
प्रश्न 2.
भेड़ों और भैंस के भागने से यदि किसी को चोट लग जाती तो कहानी किस दिशा में आगे बढ़ती?
उत्तर:
भेड़ों और भैंस के भागने से यदि किसी को चोट लग जाती तो कहानी अस्पताल की दिशा की ओर बढ़ जाती। वहाँ घायल की सुई-दवाई होती, प्लास्टर बँधता और घायल को छोड़कर अन्य बच्चों की अच्छी तरह मरम्मत कर दी जाती।
प्रश्न 3.
कल्पना कीजिए कि आप सब ‘कामचोर’ कहानी के बच्चों में से ही एक हैं। अब अपने नज़रिए से इस कहानी को कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
‘कामचोर’ कहानी के बच्चों में से एक होकर कहानी सुनाने पर कहानी इस तरह शुरू होगी- एक बार हमारे परिवार में घर वालों को ऐसा लगा कि हम बच्चे कोई काम नहीं करते हैं। हममें काम की आदत डालने के लिए नौकरों को निकालने का निश्चय किया गया, तब हम बच्चों को भी लगा कि हमें काम करना चाहिए। हमने अपने अम्मी अब्बू से काम पूछे। उन्होंने कई काम बताए। पहले तो उन्होंने काम न करने पर रात का खाना न दिए जाने के लिए धमकाया, फिर काम के बदले तनख्वाह का लालच दिया। उन्होंने पौधों में पानी डालने का काम बताया। यह सुनकर अम्मा ने कहा, ” अरे नहीं! खुदा के लिए नहीं । घर में बाढ़ आ जाएगी। ” इसी तरह बच्चे स्वयं कहानी को आगे बढ़ाकर सुनाएँ ।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
‘ज़’ और ‘फ़’ में नुक्ता लगा हुआ है । पाठ में से ‘ज़’ और ‘फ़’ वाले चार चार शब्द छाँटकर लिखिए-
उत्तर:
ज़ | फ़ |
(क) हरगिज़ | फ़रमान |
(ख) मज़दूर | फ़ौरन |
(ग) चीजें | तूफ़ान |
(घ) गुज़रा | फ़ौज |
प्रश्न 2.
पाठ में आए कोई छह युग्म शब्द नीचे दी गई जगह में लिखिए-
उत्तर:
(क) वाद-विवाद
(ख) उट-पटांग
(ग) धुली-बेधुली
(ङ) दौड़ती-फड़फड़ाती
(घ) ढूठम-ढास
(च) आँधी-तूफ़ान
जीवन मूल्य
• सारा घर धूल से अट गया।
• सब लोग नल पर टूट पड़े।
• कुछ बच्चे कीचड़ में लथपथ हो गए।
• घर में तूफ़ान उठ खड़ा हुआ ।
प्रश्न 1.
बच्चों के काम करने का तरीका ठीक था या नहीं?
उत्तर:
बच्चों के काम करने तरीका बिल्कुल भी ठीक नहीं था । इस तरह काम करने से काम बनने के बजाय उल्टे और खराब हो गया।
प्रश्न 2.
काम को सफलतापूर्वक करने का क्या तरीका होना चाहिए?
उत्तर:
काम को सफलतापूर्वक करने का तरीका यह होना चाहिए कि काम को बच्चों की योग्यता के अनुसार बाँट देना चाहिए। एक काम करने की ज़िम्मेदारी एक या दो बच्चों को दी जानी चाहिए ताकि बच्चे उस काम के प्रति जिम्मेदारी महसूस करते हुए कार्य के सुचारु रूप से करें।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1.
कक्षा में समूह बनाकर बच्चों द्वारा किए गए कामों का अलग-अलग दृश्यों में मंचन कीजिए।
उत्तर:
छात्र समूह बनाकर अलग-अलग दृश्यों का मंचन करें।
प्रश्न 2.
अपने पुस्तकालय में जाकर बाल साहित्य पढ़िए और उनमें से किसी एक कहानीकार और उसकी कहानियों पर परियोजना कार्य तैयार कीजिए ।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 3.
‘आज की ज़रूरत : एकल परिवार या संयुक्त परिवार?’ इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र उक्त विषय पर स्वयं चर्चा करें।
DAV Class 8 Hindi Ch 15 Solutions – कामचोर
I. बहुविकल्पीय प्रश्न
1. ‘कामचोर’ नामक कहानी का कहानीकार निम्नलिखित में से कौन है?
(क) जयशंकर प्रसाद
(ग) प्रेमचंद
(ख) इस्मत चुगताई
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) इस्मत चुगताई
2. नौकरों को निकालने का फैसला किनके बीच वाद-विवाद के बाद लिया गया?
(क) अम्मा और अब्बा
(ख) दादा और दादी
(ग) चाचा एवं पिता
(घ) बुआ और दादी
उत्तर:
(क) अम्मा और अब्बा
3. अब्बा ने बच्चों को करने के लिए कई काम बताए पर उन्होंने निम्नलिखित में से कौन-सा नहीं बताया था?
(क) दरी साफ़ करना
(ग) आँगन का कूड़ा साफ़ करना
(ख) पेड़ों में पानी देना
(घ) भैंसों का दूध निकालना
उत्तर:
(घ) भैंसों का दूध निकालना
4. नल पर घमासान मची थी। वे नल से पानी भरकर कहाँ ले जाने की जल्दी में थे?
(क) खाना बनाने के लिए
(ग) पीने के लिए
(ख) पौधों में पानी डालने के लिए
(घ) नहाने के लिए
उत्तर:
(ख) पौधों में पानी डालने के लिए
5. कीचड़ में लथपथ बच्चों को नहलाने के के लिए कहाँ से और नौकर आए ?
(क) पास के बँगलों से
(ग) शहर से
(ख) गाँव से
(घ) लेबर चौक अर्थात् बाज़ार
उत्तर:
(क) पास के बँगलों से
6. नौकरों ने बच्चों को नहलाने के लिए किस हिसाब से पैसे लिए?
(क) आठ आने
(ख) चार आने
(ग) बानी दीदी के
(घ) बड़ी दीदी के
उत्तर:
(ख) चार आने
7. मुर्गी के मोरी में फिसलने से मोरी की कीचड़ निम्नलिखित में से किसके मुँह पर पड़ी?
(क) मौसी जी के
(ख) हज्जन माँ के
(ग) बानी दीदी के
(घ) बड़ी दीदी के
उत्तर:
(क) मौसी जी के
8. दाने के सूप के पीछे भागती भेड़ें तख्त पर चढ़ गईं। उस समय तख्त पर किसका दुपट्टा फैला हुआ था?
(क) हज्जन माँ का
(ख) बड़ी दीदी का
(ग) चाची का
(घ) बानी दीदी का
उत्तर:
(घ) बानी दीदी का
9. तरकारीवाली की टोकरी पर जब भेड़ें टूट पड़ीं थीं उस समय वह क्या तौल कर दे रही थी?
(क) मटर की फलियों
(ख) आलू तथा प्याज
(ग) सेम की फलियाँ
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) मटर की फलियों
10. दूध निकालने की जल्दबाजी में भैंस के चार थनों पर कितने हाथ पिल पड़े?
(क) दो हाथ
(ख) आठ हाथ
(ग) चार हाथ
(घ) बारह हाथ
उत्तर:
(ख) आठ हाथ
11. भैंस के पैर बाँधने के लिए उन्होंने रस्सी का प्रबंध कहाँ से किया था?
(क) दालान से खोलकर
(ख) आँगन में बँधी रस्सी खोलकर
(ग) झूले की रस्सी खोलकर
(घ) पेड़ में बँधी रस्सी खोलकर
उत्तर:
(ग) झूले की रस्सी खोलकर
12. बच्चों द्वारा बिखराए काम को देखकर अम्मा कहाँ जाने की तैयारी करने लगीं?
(क) आगरा
(ख) अलीगढ़
(ग) मथुरा
(घ) मुरादाबाद
उत्तर:
(क) आगरा
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कुछ समृद्ध परिवारों के बच्चे काम से जी क्यों चुराते हैं ?
उत्तर:
कुछ समृद्ध परिवार के बच्चे काम से इसलिए जी चुराते हैं कि माता-पिता उनमें काम करने की आदत नहीं डालते हैं।
प्रश्न 2.
कभी हाथ से काम न छूने वाले बच्चों में काम करने की होड़ मचने के दो कारण कौन-कौन थे?
उत्तर:
(क) काम न करने पर रात का खाना न मिलने की धमकी।
(ख) काम करने पर तनख्वाह का लालच !
प्रश्न 3.
झाडू के पुरजे- पुरजे किस तरह अलग-अलग हो गए?
उत्तर:
तनख्वाह मिलने के लालच में काम करने की बढ़ी उत्सुकता से प्रेरित होकर बच्चों ने झाडू लगाकर सफ़ाई करने का फैसला किया। छीना-झपटी में झाडू के पुरजे अलग-अलग हो गए।
प्रश्न 4.
‘कामचोर’ कहानी में भागती भेड़ों की तुलना किससे की गई है?
उत्तर:
कामचोर कहानी में सूप के पीछे भागती भेड़ों की तुलना जर्मनी की टैकों और बमबारों युक्त सेना से की गई है।
प्रश्न 5.
भागती भैंस अचानक कैसे रुक गई?
उत्तर:
बच्चों के अचानक दूध निकालने से परेशान भैंस भागने लगी। अचानक किसी ने उसका बच्चा खोल दिया। अपने बच्चे को देखते ही भैंस रुक गई।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30-35 शब्दों में )
प्रश्न 1.
बच्चों ने फ़र्शी दरी को साफ़ करते-करते उसे और गंदा किस तरह कर दिया ?
उत्तर:
च्चों ने अपना पहला कार्य फ़र्शी दरी को साफ़ करते हुए किया। उन्होंने दरी को झाड़ना शुरू किया। इससे सारे घर में धूल फैल गई। अचानक उन्हें याद आया कि पानी छिड़क देने से धूल कम हो जाएगी। पानी छिड़कते ही धूल कीचड़ में बदल गई और उसी कीचड़ में दरी सनकर और गंदी हो गई।
प्रश्न 2.
बच्चों का काम करना चैन से सोए चाचा पर किस तरह भारी पड़ गया ?
उत्तर:
बच्चों ने काम करने के क्रम में भैंस का दूध निकालना चाहा। उन्होंने भैंस की पिछली टाँग को उस चारपाई से बाँध दिया, जिस पर चाचा सो रहे थे। वे अगला पैर बाँधने की कोशिश कर रहे थे कि भैंस चौकन्नी हो कर चाचा की
चारपाई को घसीटते हुए भागने लगी । चारपाई पानी से भरे टब से टकराई, जिससे छलके पानी से चाचा भीगकर बुरा-भला कहने लगे ।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( 70-80 शब्दों में )
प्रश्न 1.
भरा-पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दुखद? कामचोर कहानी के आधार पर निर्णय कीजिए।
उत्तर:
भरा-पूरा परिवार निम्नलिखित स्थितियों में सुखद बन सकता है- घर का प्रत्येक सदस्य काम को बिना बोझ समझे मन लगाकर करे । काम को पूरी तरह निष्ठा तथा ईमानदारी से करे। यदि उसका काम अन्य सदस्यों से अधिक है तो उसकी तुलना कम काम करने वाले व्यक्ति से बिलकुल भी न करे। इसके अलावा कामचोर कहानी के आधार पर यह भी कह सकते हैं कि बच्चों में शुरू से ही काम करने की आदत पैदा करनी चाहिए अन्यथा उन पर अचानक जिम्मेदारी डालने से वे काम को सही तरीके से नहीं करेंगे। उनको शुरू से ही अपने साथ काम पर लगाकर घर को सुखद बनाया जा सकता है।
भरा-पूरा परिवार दुखद तब बन सकता है; जब- घर के सदस्य कार्य करने में आना-कानी करें। वे काम से जी चुराएँ। प्रलोभन आदि के बल पर काम कराना भी चाहें तो काम को गलत ढंग से करने का प्रयास करते हुए काम को और खराब कर दें। साथ-साथ अपने काम के लिए जिस घर के सदस्य नौकरों पर निर्भर रहने लगे तो घर दुखद बन जाता है।
प्रश्न 2.
बड़े होते बच्चे किस प्रकार माता-पिता के सहयोगी बन सकते हैं और किस प्रकार भार?
कामचोर कहानी के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
‘कामचोर’ कहानी के आधार पर पता चलता है कि बड़े होते बच्चे माता-पिता के काम में सहयोगी बन सकते हैं यदि वे स्वेच्छा से उनके कार्यों में हाथ बटाएँ। अपने हिस्से के काम के प्रति उत्तरदायी हों तथा काम को पूरी जिम्मेदारी से निभाएँ। हैं।
बड़े होते बच्चे माता – पिता पर भार बन जाते हैं जब वे प्रत्येक काम के लिए माँ-बाप पर निर्भर हो जाते ‘कामचोर’ कहानी में बच्चे अपने-आप पानी भी नहीं पीते थे। वे प्रत्येक काम के लिए नौकरों पर निर्भर थे। वे आलसी तथा निकम्मे बन गए थे। उनमें बचपन से काम करने की आदत नहीं डाली गई। वे खा-खाकर मोटे हो गए थे और परिवार के लिए भार बन गए थे।
V. मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘कामचोर’ कहानी आज के युवाओं के लिए क्या संदेश छोड़ जाती है? कहानी की प्रासंगिकता बताते हुए स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘कामचोर’ कहानी एक समृद्ध परिवार के आलसी तथा कामचोर बच्चों की कहानी है। यह कहानी आज की परिस्थितियों में और भी प्रासंगिक हो जाती है। आज का युवा वर्ग भी परिश्रम का मार्ग नहीं अपनाना चाहता है । यह शारीरिक श्रम से बचना चाहता है। माँ-बाप के अर्जित धन से सुखमय जीवन बिताना चाहता है। ऐसे में यह कहानी युवाओं के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण संदेश छोड़ जाती है कि वे बचपन से काम करने की आदत डालें तथा माँ-बाप के काम में हाथ बँटाकर काम में निपुणता प्राप्त करें तथा परिवार पर बोझ न बनें।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
प्रश्न 1.
बड़ी देर के वाद-विवाद के बाद यह तय हुआ कि सचमुच नौकरों को निकाल दिया जाए। आखिर, ये मोटे-मोटे बच्चे किस काम के हैं! हिलकर पानी नहीं पीते । इन्हें अपना काम खुद करने की आदत होनी चाहिए। कामचोर कहीं के!
” तुम लोग कुछ नहीं। इतने सारे हो और सारा दिन ऊधम मचाने के सिवा कुछ नहीं करते। ”
प्रश्न (क) वाद-विवाद किनके बीच हो रहा था ?
(ख) वाद-विवाद का निर्णय होने में काफ़ी देर क्यों लगी?
(ग) नौकरों को निकालने का निर्णय क्यों लिया गया?
(घ) कामचोर किसे कहा गया है और क्यों ?
(ङ) गद्यांश में किस बाल मनोविज्ञान की ओर संकेत किया गया है ?
उत्तर:
(क) वाद-विवाद बच्चों के माता-पिता के बीच हो रहा था।
(ख) वाद-विवाद में अधिक समय इसलिए लगा क्योंकि नौकरों को निकाल दिया जाए या रहने दिया जाए, इस पर फैसला नहीं हो पा रहा था।
(ग) नौकरों को निकालने का फैसला इसलिए लिया गया कि बच्चे अपना काम स्वयं करें और उनमें काम करने की आदत का विकास हो सके।
(घ) घर के मोटे-मोटे बच्चों को कामचोर कहा गया है, क्योंकि वे कुछ भी काम नहीं करते थे। यहाँ तक वे अपने-आप पानी भी नहीं पीते थे।
(ङ) गद्यांश में उस बाल मनोविज्ञान की ओर संकेत किया गया है, जिसके अनुसार वे काम करने के बजाए खेलना और ऊधम मचाना पसंद करते हैं।
प्रश्न 2.
” हम काम करने को तैयार हैं, काम बताए जाएँ,” हमने दुहाई दी। ” बहुत से काम हैं जो तुम कर सकते हो। मिसाल के लिए, यह दरी कितनी मैली हो रही है । आँगने में कितना कूड़ा पड़ा है। पेड़ों में पानी देना है और भाई मुफ्त तो यह काम करवाए नहीं जाएँगे। तुम सबको तनख्वाह भी मिलेगी।” अब्बा मियाँ ने कुछ काम बताए और दूसरे कामों का हवाला भी दिया तनख्वाह मिलती है। अगर सब बच्चे मिलकर पानी डालें, तो… ‘ऐ हे ! खुदा के लिए नहीं। घर में बाढ़ आ जाएगी।’ अम्मा ने याचना की। फिर भी तनख्वाह के सपने देखते हुए हम लोग काम पर तुल गए।
(क) आलसी बच्चे भी काम करने को क्यों तैयार हो गए?
(ख) उनको क्या-क्या काम करने के लिए बताए गए ?
(ग) काम करवाने के लिए उन्हें क्या प्रलोभन दिया गया ?
(घ) अम्मा ने याचना क्यों की?
(ङ) अम्मा के मना करने पर भी बच्चे काम के लिए क्यों तत्पर हो गए ?
उत्तर:
(क) काम न करने पर आलसी बच्चों को यह धमकी दी गई थी कि उन्हें रात का खाना नहीं मिलेगा।
(ख) उनके अब्बा ने उन्हें मैली दरी साफ़ करने, आँगन में पड़ा कूड़ा हटाने, पेड़ों में पानी डालने का काम करने के लिए कहा।
(ग) बच्चे आलस्य तथा ऊधम बंदकर काम में जुट जाएँ इसके लिए उन्हें तनख्वाह का प्रलोभन दिया गया।
(घ) अम्मा को यह पता था कि ये आलसी बच्चे काम करने वाले नहीं हैं। ये किसी काम को हाथ लगाएँगे भी तो और खराब कर देंगे, इसलिए उन्होंने याचना की।
(ङ) अम्मा के मना करने पर भी बच्चे काम करने के लिए तत्पर हो गए क्योंकि वे तनख्वाह के सपने देख रहे थे।
प्रश्न 3.
सारा घर धूल से अट गया। खाँसते – खाँसते सब बेदम हो गए। सारी धूल जो दरी पर थी, जो फ़र्श पर थी, सबके सिरों पर जम गई। नाकों और आँखों में घुस गई। बुरा हाल हो गया सबका। हम लोगों को मार-मार कर तुरंत आँगन में निकाला गया। वहाँ हम लोगों ने फ़ौरन झाडू देने का फैसला किया। झाडू क्योंकि एक थी और तनख्वाह लेने वाले उम्मीदवार बहुत, इसलिए क्षण-भर में झाडू के पुर्जे उड़ गए। जितनी सींकें जिसके हाथ पड़ीं, वह उनसे ही उलटे सीधे हाथ मारने लगा।
प्रश्न (क) बच्चे सफ़ाई कर रहे थे, फिर घर धूल से क्यों अट गया ?
(ख) उड़ती धूल से क्या-क्या परिवर्तन हुआ?
(ग) झाडू के पुर्जे क्यों उड़ गए ?
(घ) अम्मा ने सिर क्यों पीट लिया ?
(ङ) गद्यांश से एक मुहावरा चुनकर अर्थ लिखते हुए वाक्य बनाइए ।
उत्तर:
(क) बच्चे फ़र्श की दरी साफ़ करना चाह रहे थे, इसके लिए उन्होंने दरी पकड़ कर झाड़ना और लकड़ियों से पीटना शुरू कर दिया, इससे घर भर में धूल भर गई।
(ख) धूल के कारण सब खाँसने लगे। दरी की धूल सिरों पर जम गई तथा नाकों और आँखों में घुस गई।
(ग) झाडू एक थी और बच्चे अनेक। इसके अलावा उन्हें काम करने पर तनख्वाह का प्रलोभन भी दिया गया था, इसलिए झाडू की खींचतान में उसके पुर्जे उड़ गए।
(घ) अम्मा ने देखा कि बच्चों ने कोई काम ढंग से तो किया नहीं उल्टे बना काम बिगाड़ दिया तथा झाडू का सत्यानाश कर दिया, इसलिए उन्होंने सिर पीट लिया।
(ङ) मुहावरा : उल्टे-सीधे हाथ मारना।
अर्थ : अव्यवस्थित ढंग से काम करने का प्रयास करना।
वाक्य प्रयोग : चूने की पुताई करने वाले मज़दूर को काम नहीं आता था पर पेंट के काम में उल्टे-सीधे हाथ मारने लगा।
प्रश्न 4.
अब सब लोग नल पर टूट पड़े। यहाँ भी वह घमासान मची कि क्या मजाल जो एक बूँद पानी भी किसी के बर्तन में आ सके। ठूसम – ठास ! किसी बालटी पर पतीला और पतीले पर लोटा और भगोने और डोंगे। पहले तो धक्के चले। फिर कुहनियाँ और उसके बाद बरतनों से ही एक-दूसरे पर हमला कर दिया गया। स्पष्ट है कि भारी बरतन वाले तो हथियार उठाते रह गए। कटोरों और डोंगों वाली फ़ौज ने गोमड़े डाल दिए सिरों पर । फ़ौरन बड़े भाइयों, बहनों, मामुओं और दमदार मौसियों, फूफियों की कुमक भेजी गई, जिन्होंने पतली-पतली नीम की छड़ियों से ऐसे सड़ाके लगाए कि फ़ौज मैदान में हथियार फेंककर पीठ दिखा गई। इस धींगामुश्ती में कुछ बच्चे कीचड़ में लथपथ हो गए, जिन्हें नहलाकर कपड़े बदलवाने के लिए नौकरों की वर्तमान संख्या काफ़ी नहीं थी। पास के बंगलों से नौकर आए और चार आना प्रति बच्चा के हिसाब से नहलवाए गए।
प्रश्न (क) गद्यांश में ‘सब लोग’ किनके लिए प्रयुक्त है? वे नल पर क्यों टूट पड़े?
(ख) नल पर क्या दृश्य उपस्थित हो गया ?
(ग) नल पर बर्तनों की क्या दशा हो रही थी ?
(घ) धींगामुश्ती में बच्चों ने क्या हालत बना ली ?
(ङ) पड़ोस के नौकर क्यों आए ? उन्होंने कितने पैसे लिए?
उत्तर:
(क) गद्यांश में ‘सब लोग’ उन बच्चों के लिए प्रयुक्त है, जो तनख्वाह की लालच में काम करते हुए नल पर आ गए थे। वे पौधों में पानी देने के लिए नल पर टूट पड़े थे।
(ख) नल पर बच्चों ने पहले धक्का-मुक्की की। फिर कुहनियाँ चलाईं और बाद में बरतनों को हथियार बनाकर झगड़ने लगे।
(ग) नल के नीचे बरतनों की ठूसम – ठास थी। बाल्टी पर पतीला, पतीले पर लोटा, भगोने और डोंगें इकट्ठे हो रहे थे।
(घ) धींगामस्ती में बच्चे कीचड़ में सन गए थे।
(ङ) कीचड़ में सने बच्चों को नहलाने के लिए पड़ोस से नौकर आए क्योंकि इतने बच्चों को नहलाने के लिए घर के नौकर कम पड़ गए। उन्होंने चार आने ( पच्चीस पैसे) प्रति बच्चा की दर से पैसे लिए।
प्रश्न 5.
इतने में भेड़ें सूप को भूलकर तरकारीवाली की टोकरी पर टूट पड़ीं। वह दालान में बैठी मटर की फलियाँ तोड़-तोड़ कर रसोइए को दे रही थी। वह अपनी तरकारी का बचाव करने के लिए सीना तान कर उठ गई। आपने कभी भेड़ों को मारा होगा, तो अच्छी तरह देखा होगा कि बस, ऐसा लगता है, जैसे रुई के तकिए को कूट रहे हों। भेड़ को चोट ही नहीं लगती। बिलकुल यह समझकर कि आप उससे मज़ाक कर रहे हैं। वह आप ही पर चढ़ बैठेगी। ज़रा-सी देर में भेड़ों ने तरकारी छिलकों समेत अपने पेट की कड़ाही में झोंक दी।
प्रश्न (क) उस सूप में क्या था, जिसका गद्यांश में वर्णन है ?
(ख) भेड़ें कहाँ टूट पड़ीं और क्यों ?
(ग) तरकारीवाली कहाँ थी? वह क्या कर रही थी ?
(घ) भेड़ों को चोट क्यों नहीं लगती है?
(ङ) तरकारीवाली तथा भेड़ों में कौन भारी पड़ा? इसका क्या परिणाम रहा?
उत्तर:
(क) गद्यांश में जिस सूप का वर्णन है उसमें भेड़ों के खाने के लिए दाना था।
(ख) भेड़ें तरकारीवाली की सब्ज़ियों से भरी टोकरी पर टूट पड़ीं। वे दाने को भूलकर तरकारी खाना चाहती थीं।
(ग) तरकारीवाली दालान में थी । वह सब्ज़ियाँ को तौल – तौलकर रसोइए को दे रही थी ।
(घ) भेड़ों के शरीर पर ऊन की मोटी परत होती है, जो उन्हें चोट से बचाता है, इस कारण उन्हें चोट नहीं लगती है।
(ङ) तरकारीवाली तथा भेड़ों के संघर्ष में भेड़ें भारी पड़ीं। उन्होंने सारी सब्ज़ियाँ खाकर ही चैन लिया।
प्रश्न 6.
तय हुआ कि भैंस की आगाड़ी – पिछड़ी बाँध दी जाए और फिर काबू में लाकर दूध दुह लिया जाए। बस, झूले की रस्सी उतारकर भैंस के पैर बाँध दिए गए। पिछले दो पैर चाचा जी की चारपाई के पायों से बाँध, अगले दो पैरों को बाँधने की कोशिश जारी थी कि भैंस चौकन्नी हो गई। छूटकर जो भागी तो पहले चाचा जी समझे कि शायद कोई सपना देख रहे हैं। फिर जब चारपाई पानी के ड्रम से टकराई और पानी छलककर गिरा तो समझे कि आँधी-तूफ़ान में फँसे हैं। साथ में भूचाल भी आया हुआ है। फिर जल्दी ही उन्हें असली बात का पता चल गया और वह पलंग की दोनों पटियाँ पकड़े, बच्चों को साँड़ की तरह छोड़ देने वालों को बुरा-भला सुनाने लगे।
प्रश्न (क) किनके द्वारा क्या काम करने का निश्चय किया गया?
(ख) बच्चों ने भैंस का दूध निकालने के लिए क्या किया?
(ग) चाचा जी को ऐसा क्यों लगा कि वे सपना देख रहे हैं?
(घ) चाचा जी को वास्तविकता का पता कब चला?
(ङ) उन्होंने अपनी इस दशा के लिए किसे जिम्मेदार माना और क्यों ?
उत्तर:
(क) घर के कामचोर बच्चों ने तनख्वाह की लालच में भैंस का दूध निकालने का निश्चय किया।
(ख) बच्चों ने भैंस का दूध निकालने के लिए झूले की रस्सी उतारकर भैंस के अगला और पिछला पैर बाँधा और भैंस को काबूकर उसका दूध निकालना चाहा ।
(ग) बच्चों ने भैंस के दोनों पैर बाँधकर चाचा की चारपाई से रस्सी बाँध दी। वे दोनों अगले पैर बाँधना ही चाहते थे कि भैंस चारपाई सहित भागने लगी। ऐसे में चारपाई पर सोए चाचा को लगा कि वे सपना देख रहे हैं।
(घ) चारपाई पानी भरे ड्रम से टकराई और पानी छलककर चाचा के ऊपर गिरा। पहले तो उन्हें आँधी-पानी और भूचाल में फँसे होने जैसा लगा पर बाद में वे वास्तविकता को समझ गए।
(ङ) चाचा जी ने अपनी इस दशा के लिए बच्चों के माँ-बाप को दोषी माना क्योंकि वे बच्चों को न छोड़ते तो उनकी यह दशा न होती ।
प्रश्न 7.
घर में तूफ़ान उठ खड़ा हुआ। ऐसा लगता था, जैसे सारे घर में मुर्गियाँ, भेड़ें, टूटे हुए तसले, बाल्टियाँ, लोटे, कटोरे और बच्चे थे। बच्चे बाहर किए गए। मुर्गियाँ बाग़ में हँकाई गईं। मातम – सा मनाती तरकारीवाली के आँसू पोंछे गए और अम्मा आगरा जाने के लिए सामान बाँधने लगीं। ‘या तो बच्चा – राज कायम कर लो या मुझे ही रख लो। नहीं तो मैं चली मायके,” अम्मा ने चुनौती दे दी।
प्रश्न ( क) घर में तूफ़ान क्यों उठ खड़ा हुआ?
(ख) तूफ़ान के बाद घर की कैसी दशा हो गई थी?
(ग) घर को पहले जैसी हालत में लाने के लिए क्या-क्या करना पड़ा?
(घ) तरकारीवाली को किस प्रकार मनाया गया?
(ङ) ऐसी स्थिति में अम्मा ने अपनी प्रतिक्रिया किस प्रकार व्यक्त की?
उत्तर:
(क) घर में तूफ़ान इसलिए मचा था कि तनख्वाह के लोभ में बच्चों ने जैसे-तैसे काम करना शुरू किया। परिणामस्वरूप घर के सारे सामान जहाँ-तहाँ फैल गए, मानो तूफ़ान उठ खड़ा हुआ हो ।
(ख) घर में उठे तुफ़ान के बाद पूरे घर में कीचड़, बर्तन, मुर्गियाँ, भेड़ें, टूटे तसले, बाल्टियाँ, लोटे, कटोरे तथा बर्तन इधर-उधर फैले थे।
(ग) घर को पहले जैसी दशा में लाने के लिए मुर्गियों को बाग में तथा भेड़ और बच्चों को बाहर किया गया ताकि आवश्यक साफ़ सफ़ाई की जा सके।
(घ) तरकारीवाली को उसका हर्ज़ाना देकर नुकसान पूरा करने की कोशिश करके उसे मनाया गया।
(ङ) घर में उठे तूफ़ान के फलस्वरूप बिखरे सामान को देखकर अम्मा क्रोधित हो गई और उन्होंने बच्चों का काम में हाथ न लगाने तथा ऐसा न होने पर मायके जाने की धमकी दे दी।
शब्दार्थ:
- वाद-विवाद – तर्क-वितर्क, बहस।
- कामचोर – काम से जी चुराने वाला।
- ऊधम – शैतानी।
- दबैल – दबने वाला।
- मटके – घड़े।
- हरगिज़ – किसी हालत में।
- शाही फरमान – राजपत्र पर लिखा हुआ, राजसी आदेश।
- दुहाई देना – दीनतापूर्वक याचना करना।
- मिसाल – उदाहरण।
- तनख्वाह – वेतन, पारिश्रमिक।
- याचना – प्रार्थना।
- तुल जाना – जुट जाना।
- फर्शी – फर्श पर बिछाई जाने वाली।
- धुआँधार – ताबड़तोड़।
- अट गया – सन गया।
- उम्मीदवार – प्रतिभागी।
- बुजुर्ग – बड़े-बूढ़े लोग।
- सिर पीट लेना – दुख प्रकट करना।
- अटी होना – भरी हुई।
- ठूसम-ठास – दबा-दबाकर रखना।
- दमदार – मज़बूत।
- कुमक – अतिरिक्त सेना।
- धींगामुस्ती – धक्का-मुक्की।
- लथपथ – तरबतर या गीला होना।
- आना – छह पैसे से कुछ अधिक, पुराने समय में प्रयुक्त पैसों की इकाई।
- कायल होना – मान जाना, स्वीकार कर लेना।
- हाँकना – भगाना।
- दड़बा मुर्गियों को रात में रखने की जगह।
- ऊट-पटाँग – अव्यवस्थित, इधर-उधर।
- कामदानी के दुपट्टे – हाथ की कढ़ाई युक्त दुपट्टा।
- लुथड़े हुए – सने हुए।
- छापे मारता – निशान बनाता हुआ।
- मोरी – गंदे पानी की नाली।
- सूझना – दिमाग में आना।
- लगे हाथ – तत्काल, इसी समय।
- सूप – छाज, अनाज साफ़ करने का पात्र।
- लश्टम-पश्टम – जैसे-तैसे।
- मेंगना – गोली के आकार का मल।
- बमबार – बम गिराने वाले।
- लापरवाह – असावधान।
- बेधुली – बिना धुली, गंदी।
- काबू – नियंत्रण।
- पटियाँ – पलंग या चारपाई की लंबाई में लगी लकड़ियाँ।
- व्याकुल – बेचैन।
- ब्रेक लगाना – रोक लेना।
- मातम – दुख।
- बच्चा-राज – बच्चों की सत्ता।
- बटालियन फौज़ की टुकड़ी। कोर्ट मार्शल – फौज़ी अदालत की तरह सज़ा सुनाना।
पाठ में प्रयुक्त मुहावरे
- ऊधम मचाना – शोर-शराबा करना।
- शाही फ़रमान ज़ारी होना – मानने को विवश करने वाला आदेश जारी होना।
- बेदम होना – परेशान होना।
- उल्टे-सीधे हाथ मारना – बेढंगे काम करने का प्रयास करना।
- सिर पीट लेना – अफसोस प्रकट करना।
- टूट पड़ना – अचानक झपट पड़ना।
- पीठ दिखा जाना – रणक्षेत्र से भाग जाना।
- कायल होना – स्वीकार कर लेना।
- बेनकेल का ऊँट होना – अनियंत्रित होकर इधर-उधर भागना।
- राजी होना – तैयार होना।
- भेड़-चाल होना – बिना सोचे-समझे अनुसरण करना।
- सीना तानकर उठना – मुकाबले के लिए उतरना।
- चढ़ बैठना – दबाव में लाने की कोशिश करना।
- पेट की कड़ाही में झौंकना – जल्दी-जल्दी खा लेना।
- प्रलय मचना – हाहाकार मचना।
- तीर निशाने पर बैठना – अनुमान सही होना।
- बागी होना – बगावत कर देना।
- आँसू पोछना – हर्ज़ाना देकर नुकसान पूरा करना।
- कोर्ट मार्शल करना – सज़ा सुनाना।
कामचोर Summary in Hindi
पाठ-परिचय:
यह पाठ हास्य-व्यंग्य से भरपूर है। इसमें अमीर घर के उन बच्चों की शरारतों का वर्णन है, जिनमें बचपन से काम करने की आदत नहीं डाली गई है। इससे वे आलसी और निकम्मे हो गए हैं। उनकी आदतों को देखकर उनके माता-पिता जब उन्हें काम करने के लिए प्रलोभन सहित आदेश देते हैं तो वे सब इतना ऊधम मचाते हैं कि उन्हें दुबारा किसी काम को हाथ न लगाने की चेतावनी देनी पड़ती है। इससे वे फिर पहले जैसे ही निकम्मे और आलसी हो जाते हैं।
पाठ का सार:
बिगड़े बच्चों की शरारतों एवं आलस्य से परेशान होकर घर के बड़े फैसला करते हैं कि घर के नौकरों को निकाल दिया जाए ताकि ये बच्चे कुछ तो काम करें। दिन भर ये यूँ ही पड़े रहते हैं। इन्हें भी तो काम करने की आदत होनी चाहिए। ये अपना भी काम नहीं करते हैं, कामचोर कहीं के! सारा दिन ऊधम मचाना एवं शरारत करना यही इनका काम रह गया है। इतना सुनने के बाद बच्चों को भी ध्यान आया कि उन्हें कुछ काम करना चाहिए। सबसे पहले उन्हें स्वयं पानी पीने का ख्याल आया, क्योंकि वे अब तक नौकरों के हाथ से पानी पीते थे।
पानी पीने के लिए सुराहियों, मटकों के पास ही घमासान शुरू हो गया। पानी के बर्तन इधर-उधर लुढ़ककर गिरे। वे सब पानी से गीले हो गए। अम्मा को उन बच्चों की आदतों के बारे में पता था कि वे कोई काम ढंग से नहीं करने वाले थे पर पिता जी ने फरमान जारी किया ” जो काम नहीं करेगा उसे रात का खाना नहीं मिलेगा । ” बच्चों द्वारा काम के बारे में पूछने पर उन्होंने फर्शी दरी साफ़ करने, पौधों में पानी डालने, आँगन का कूड़ा साफ़ करने का काम बताया और बच्चों को तनख्वाह का प्रलोभन भी दिया। अम्मा ने पिता जी से कहा कि बच्चों के बस के ये काम नहीं हैं, पर बच्चे तनख्वाह की लालच पाते ही काम पर टूट पड़े।
बच्चों ने फर्शी दरी उठा लिया और उसे झटकना शुरू कर दिया। दो-चार बच्चे लकड़ियाँ लेकर दरी पीटने लगे। इससे सारा घर धूल से भर गया। फर्श और दरी की धूल सिर पर जम गई। धूल नाक और आँख में घुस गई। खाँसते – खाँसते बुरा हाल हो रहा था। सब बच्चे बाहर निकाले गए। अब उन्होंने आँगन में झाडू लगाने का फैसला किया। तनख्वाह की लालच में बच्चे काम में जुटे थे। एक झाडू उनके बीच में टूट-टूटकर बँटने लगी। झाडू टूटकर सीकें बन गई। अचानक उन्हें ध्यान आया कि पानी छिड़क देने से धूल कम हो जाएगी, उन्होंने तुरंत दरी पर पानी छिड़का । पानी और धूल के मिलने से दरी कीचड़ में सन चुकी थी। सभी बच्चे आँगन से निकाले गए।
अब सब बच्चों को पौधों में पानी देने का ध्यान आया। वे घर की सारी बाल्टियाँ, लोटे, तसले, भगोने तथा पतीलियाँ उठाकर नल की ओर भागे। जिन्हें ये बर्तन न मिले वे कटोरे डोंगे और गिलास ही लेकर भागे। नल पर इतनी भगदड़ मची कि जल्दी भरने के चक्कर में नल के नीचे बर्तनों की ठूस-ठास थी। पहले तो उन्होंने एक-दूसरे को धक्का दिया, फिर कुहनियाँ और अंत में बर्तनों से मारपीट करने लगे। इस धक्का-मुक्की से बच्चे कीचड़ में लथपथ हो गए। इनको नहलाने के लिए घर के नौकर कम पड़ गए।
पड़ोस के नौकरों ने चार आने प्रति बच्चे के हिसाब से उनको नहलवाया। बच्चों ने अब तक जान लिया था कि सफ़ाई का काम उनके बस का नहीं है। वे शाम को मुर्गियों को दड़बे में लाने के लिए बाँस, छड़ी उठा लिए । मुर्गियाँ बाड़े में आने के बजाए इधर-उधर कूदने लगीं। दो मुर्गियाँ खीर के प्यालों के ऊपर से निकल गईं। पता चला कि खीर दादी के दुपट्टे और उनके सिर पर लगी है। एक मुर्गा अम्मा के पानदान में कूद पड़ा और कत्थे – चूने में सने पैर से दूध – सी सफ़ेद चादर पर छापे छोड़ता निकल गया। एक मुर्गी दाल की पतीली में छपाक मारकर तेज़ी से मोरी में फिसली और सारी कीचड़ मौसी जी के मुँह पर पड़ी। सारी मुर्गियाँ बेनकेल के ऊँट की तरह भाग रही थीं।
इस बीच किसी को ख्याल आया कि चलो भेड़ों को दाना खिला दिया जाए। दिनभर की भूखी भेड़ें दाने का सूप देखते ही बेकाबू होकर तख्तों पर चढ़ गईं। वे सूप में रखे दाने के पीछे भागती जा रही थीं। वे पलंगों को फाँदतीं, बरतन लुढ़काती साथ-साथ बढ़ने लगीं । तख्त पर बानीं दीदी के दुपट्टे पर मेंगनों का छिड़काव करती वे दौड़ रही थीं। दाने के पीछे भागती भेड़ें हज्जन माँ के ऊपर से दौड़ गईं। उस समय वे सो रही थीं। इस बीच भेड़ें सूप के दाने को भूलकर तरकारी वाली की टोकरी पर टूट पड़ीं। वह मटर की फलियाँ तौलकर रसोइए को दे रही थी। उसने अपना बचाव करना चाहा पर सब बेकार । उसकी सारी तरकारी भेड़ों के पेट में पहुँच चुकी थी ।
बच्चों को रात का खाना न मिलने की धमकी दी जा चुकी थी इसलिए अब उन्होंने भैंस का दूध दुहने का विचार बनाया। वे धुली – बेधुली बाल्टियाँ लेकर जुट गए। भैंस के चार थनों पर आठ-आठ हाथ। भैंस बाल्टी को लात मारकर दूर जा खड़ी हुई। उन्होंने उसके पैर बाँधकर दूध दुहने का विचार बनाया। झूले की रस्सी उतारकर भैंस के पिछले दो पैर चाचा की चारपाई से बाँध दिए। अगले दो पैर बाँधना चाह रहे थे कि भैंस चौकन्नी होकर चारपाई सहित भागी । भैंस के भागने से चारपाई पानी के ड्रम में टकराई। पानी छलकने से चारपाई पर सो रहे चाचा को अब असली बात समझ आई। वे बच्चों को यूँ छोड़ देने वालों को बुरा-भला कहने लगे। अचानक बच्चों को भैंस का बच्चा खोलने का ध्यान आया। बच्चे को देखते ही भैंस रुक गई। भैंस का बच्चा तत्काल दूध पीने में जुट गया। इधर बच्चे भी अपने-अपने बर्तन लेकर लपके। कुछ दूध ज़मीन पर कुछ कपड़ों पर तथा दो-चार धारें बर्तन में गिरी। बाकी उसका बच्चा पी गया।
सारे घर में तूफ़ान – सा उठ खड़ा हुआ। सारे घर में मुर्गियाँ, भेड़ें, टूटे तसले, बाल्टियाँ, लोटे, कटोरे और बच्चे थे। बच्चे, मुर्गियों और भेड़ों को बाहर भेजा गया। तरकारीवाली का नुकसान पूरा किया गया। घर की ऐसी हालत देख अम्मा ने मायके जाने की धमकी दी। अब्बा ने पुनः किसी चीज़ को हाथ न लगाने का फरमान जारी कर दिया। बच्चों ने भी सोच लिया कि अब वे हिलकर पानी भी नहीं पिएँगे ।