DAV Class 8 Hindi Chapter 10 Question Answer – बातचीत की कला

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DAV Class 8 Hindi Chapter 10 Question Answer – बातचीत की कला

DAV Class 8 Hindi Ch 10 Question Answer – बातचीत की कला

पाठ में से

प्रश्न 1.
बातचीत करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
बातचीत करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  1. हम जिससे बातचीत कर रहे हैं, उसे पर्याप्त महत्व दें।
  2. हमें दूसरों की सुख-सुविधा, रुचि – अरुचि, विचार, सिद्धांत और भावना का ध्यान रखना चाहिए।
  3. हमें बिना सोचे-समझे जल्दबाज़ी में कुछ नहीं बोलना चाहिए। धोखाधड़ी।

प्रश्न 2.
सुदृढ़ चरित्र का अभाव व्यक्ति विशेष और सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव डालता है?
उत्तर:
सुदृढ़ चरित्र के अभाव में व्यक्ति मौजूदा समाज में व्याप्त हिंसा, द्वेष, घृणा, भ्रष्टाचार, कलह, दुराचार आदि असामाजिक प्रवृत्तियों का शिकार हो जाता है और समाज में सम्मानित स्थान नहीं प्राप्त कर पाता है।

DAV Class 8 Hindi Chapter 10 Question Answer - बातचीत की कला

प्रश्न 3.
बीरबल ने अपने किन गुणों से तोते की देख-रेख करने वाले की जान बचाई ?
उत्तर:
अकबर ने तोते के रखवाले से कह रखा था कि जो तोते के मरने की सूचना देगा, उसे मृत्युदंड दिया जाएगा। तोते के मरने पर रखवाला अपनी जान बचाने की प्रार्थना करने बीरबल के पास पहुँचा। बीरबल ने अपनी बातचीत की कला से अकबर को बताया कि आपका तोता न मुँह खोलता है, न खाता है, न बात करता है, न हिलता है, न उठता है। यह सब सुनकर बादशाह ने जान लिया कि तोता मर गया है। इस प्रकार बीरबल की वाक्पटुता ने रखवाले की जान बचाई।

प्रश्न 4.
बातचीत की कला में निपुणता प्राप्त करने के लिए क्या-क्या करना चाहिए?
उत्तर:
बातचीत की कला में निपुणता लाने के लिए हमें

  1. सतत अभ्यास एवं साधना करनी होगी।
  2. अपनी बातचीत पर दूसरों की तथा दूसरों की बातचीत पर अपनी प्रतिक्रिया का ध्यान रखना होगा ताकि आत्मचिंतन एवं आत्मशोधन में मदद मिले।
  3. अधिक सुनें तथा कम बोलें।
  4. दूसरे की बात बीच में न काटें तथा मधुर स्वर में बोलें।

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए गलत कथनों को सही करके दोबारा लिखिए-
(क) अवसर के प्रतिकूल आचरण करने से व्यक्ति की प्रशंसा होती है।
(ख) मधुर मुसकान से सद्भावना व मित्रता को क्षति पहुँचती है।
(ग) बिना सोचे-समझे बोलना बातचीत के सिद्धांत के अनुकूल है।
(घ) बातचीत की कला में प्रवीण व्यक्ति के लिए विद्या कायर के अस्त्र के समान है।
उत्तर:
(क) अवसर के प्रतिकूल आचरण करने से व्यक्ति की निंदा होती है। अवसर के अनुकूल आचरण करने से व्यक्ति की प्रशंसा होती है।
(ख) मधुर मुसकान से सद्भावना एवं मित्रता में वृद्धि होती है।
(ग) बिना सोचे-समझे बोलना बातचीत के सिद्धांत के प्रतिकूल है।
(घ) बातचीत की कला में अकुशल व्यक्ति के लिए विद्या कायर के अस्त्र के समान बातचीत के लिए

बातचीत के लिए

प्रश्न 1.
बातचीत की कला के अभाव में सुशिक्षित व्यक्ति भी उन्नति नहीं कर पाता। कैसे ?
उत्तर:
बातचीत की कला के अभाव में सुशिक्षित व्यक्ति अपनी सही बात को भी यथाअवसर नहीं कह पाता है। इससे व्यक्ति के गुण एवं प्रतिभा के दर्शन नहीं हो पाते हैं तथा वह अवसर का लाभ नहीं उठा पाता है। इस प्रकार सुशिक्षित व्यक्ति भी उन्नति नहीं कर पाता है।

प्रश्न 2.
अच्छी बातचीत से प्रत्येक समस्या का समाधान संभव है। कैसे?
उत्तर’:
बातचीत की कला में निपुणता तथा अच्छी बातचीत से समाज तथा परिवारों में पनप रही कटुता, असहिष्णुता, वैमनस्यता आदि नष्ट हो जाते हैं। इससे प्रत्येक समस्या का समाधान संभव हो जाता है।

प्रश्न 3.
पाठ में बातचीत की कला में निपुणता हासिल करने के लिए कई तरीके सुझाए गए हैं। आप उनमें से किन तरीकों को अपनाना चाहेंगे?
उत्तर:
पाठ में बातचीत की कला में निपुणता हासिल करने के लिए कई तरीके सुझाए गए हैं। इस कला में निपुणता प्राप्त करने के लिए मैं सद्ग्रंथों का अध्ययन, विद्वानों का सत्संग तथा सभाओं में समय-समय पर उपस्थित रहूँगा, ताकि इनके अनुभव तथा बातचीत का लाभ उठाकर इस कला में निपुणता पा सकूँ।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
यदि बीरबल के स्थान पर आप होते तो आप तोते की देख-रेख करने वाले की जान कैसे बचाते?
उत्तर:
यदि मैं बीरबल के स्थान पर होता तो तोते की जान बचाने के लिए मैं खुद पिंजरा समेत तोते को अकबर के दरबार में ले जाता और कहता, “हुजूर देखिए आपके तोते को नींद आ गई है। यह आज जाग ही नहीं रहा है। अकबर उसकी दशा देखकर कहते, ” अरे यह तो मर गया । ” मैं तुरंत कहता, “हुजूर, यह तो आप कह रहे हैं।” अकबर कहते, “तुम तोते की, बात मुझसे नहीं बता सकते थे?” तब मैं अकबर से मृत्युदंड दिए जाने की बात कह देता ।

प्रश्न 2.
किसी ऐसी घटना के बारे में बताइए जब आपने अपनी मीठी वाणी के प्रयोग से किसी समस्या का समाधान निकाला हो ?
उत्तर:
एक बार खेल-खेल में दो बालकों में झगड़ा हो गया। उनमें से एक बालक जो बड़ा था, उसने दूसरे को दो-तीन थप्पड़ मार दिए। इससे दूसरा बालक रोता हुआ अपनी माँ को बुला लाया। उसने दूसरे लड़के को धमकाया तो उसकी माँ आकर लड़ने लगी। शोरगुल सुनकर मैं भी गया और दोनों औरतों को विनम्रता से समझाया कि दोस्तों के झगड़े में इस तरह नहीं झगड़ते । कल से दोनों फिर साथ-साथ खेलना- रहना शुरू कर देंगे। यह सुनकर वे बात समझ गई और उनका झगड़ना बंद हो गया।

DAV Class 8 Hindi Chapter 10 Question Answer - बातचीत की कला

प्रश्न 3.
यदि आपका कोई मित्र अभद्र भाषा का प्रयोग करता है तथा व्यवहार भी अशिष्ट है तो आप उसे किस प्रकार समझाएँगे?
उत्तर:
यदि मेरा कोई मित्र अभद्र भाषा का प्रयोग करता है और अशिष्ट व्यवहार भी करता है तो मैं भाषा की विनम्रत एवं मधुरता का महत्व बताते हुए इनके फायदों के विषय में भी बताऊँगा। मैं उसे अभ्रद भाषा की हानियों के विषय में भी बताऊँगा तथा इस पर आधारित कोई कहानी सुनाकर समझाऊँगा, जिससे वह अभ्रद भाषा एवं अशिष्ट व्यवहार का त्याग कर दे।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए शब्द-युग्मों को पूरा कीजिए-
DAV Class 8 Hindi Chapter 10 Question Answer - बातचीत की कला 1
उत्तर:
(क) शिक्षण-प्रशिक्षण
(ख) सुख-दुख
(ग) मान-सम्मान
(घ) सोचना-विचारना
(छ) माता-पिता
(ङ) देख-भाल
(ज) सिखाने-पढ़ाने
(च) रुचि – अरुचि

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखिए-
DAV Class 8 Hindi Chapter 10 Question Answer - बातचीत की कला 2
उत्तर:
(क) योग्यता – अयोग्यता
(ख) उन्नति – अवनति
(ग) सम्मान – अपमान
(घ) संतुलित – असंतुलित

जीवन मूल्य

‘पुष्प की गंध की तरह मुसकराहट सबको सुवासित कर देती है।

प्रश्न 1.
मुसकराहट किस प्रकार हमारे जीवन में सुगंध फैलाती है?
उत्तर:
बातचीत के बीच-बीच यदि अधरों पर मुसकान आती है तो सुनने वाला व्यक्ति हमारी ओर आकृष्ट होता है। इससे सद्भावना, प्रसन्नता और मैत्री बढ़ती है। इस तरह मुसकराहट हमारे जीवन में सुगंध फैलाती है।

प्रश्न 2.
मुसकराहट भरे चेहरे को देखकर आप कैसा अनुभव करते हैं?
उत्तर:
मुसकराहट भरे चेहरे को देखकर उस व्यक्ति के हृदय की निर्मलता और प्रेम की अनुभूति होती है। इससे हमें बहुत अच्छा लगता है। यदि हम परेशान हैं तो ऐसी मुसकान हमें राहत देती है और हमारे लिए प्रेरणादायी लगती है। इससे हम भी प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।

कुछ करने के लिए

प्रश्न 1.
बातचीत और भाषण में क्या अंतर है? दोनों के एक-एक उदाहरण का संकलन कीजिए और अंतर बताइए |
उत्तर:
बातचीत और भाषण में प्रमुख अंतर यह है कि बातचीत दो लोगों के मध्य होती है। एक व्यक्ति जब बोलता है तो दूसरा सुनकर उसका जवाब देता है और फिर अपनी बात कहता है। कोई व्यक्ति जनसमूह को अपनी बात कहने, समझाने या बताने के लिए भाषण देता है। भाषण एकपक्षीय होता है। इसमें दूसरे लोगों को बोलने का अवसर नहीं दिया जाता है।

बातचीन का उदाहरण (कॉपी और कलम के बीच)
कॉपी – उफ्! ये क्या कर दिया तूने?
कलम – माफ करना बहन। पर मैंने जान-बूझकर ऐसा नहीं किया।
कॉपी – देखो, तुम्हारी गलती से मेरे कई पन्ने खराब हो गए।
कलम – देखो, मुझे चलाया ही इस तरह गया कि तुम्हारे कई पन्ने खराब हो गए।
कॉपी – कहीं चलाने से स्याही फैलती है? तुम्हारी स्याही ने सब खराब कर दिया। अब तक मेरे पन्ने कितने सुंदर लग रहे थे।
कलम – बहन, नाराज़ मत हो। कल जब इससे तुम्हारे पन्नों पर कुछ लिख दिया जाएगा तब तुम्हारी उपयोगिता और भी बढ़ जाएगी।
कॉपी – हाँ, पर आगे से ध्यान रखना।
कलम – ठीक है, मैं अब स्याही नहीं फैलने दूँगी।
कॉपी – पक्का वादा?
कलम – हाँ बहन हाँ! पक्का वादा।

भाषण का एक अंश

भाइयो एवं बहनो ।
आप तो जानते हैं कि प्रदूषण बढ़ने के कारण ग्लोबल वार्मिंग का खतरा उत्पन्न हो गया। इससे ओजोन परत में छेद हो गया है, जिससे सूर्य की पराबैगनी किरणें आने का खतरा उत्पन्न हो गया है। इससे एक ओर त्वचा का कैंसर जैसी अनेक घातक बीमारियाँ होने का खतरा उत्पन्न हो गया है तो दूसरी ओर पहाड़ों पर जमी बर्फ पिघलने का खतरा उत्पन्न हो गया है। यदि ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए समय रहते कदम न उठाया गया तो समुद्र का जल-स्तर बढ़ जाएगा और सब कुछ जलमग्न हो जाएगा। आइए हम सब पेड़-पौधे बचाने तथा नए पौधे लगाने का संकल्प लें और धरती को हरी-भरी बनाएँ ।
धन्यवाद!

DAV Class 8 Hindi Chapter 10 Question Answer - बातचीत की कला

प्रश्न 2.
वाक्पटुता पर आधारित किसी कथा (तेनालीरामन, बीरबल इत्यादि) का नाट्य रूपांतरण कर कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
वाक्पटुता पर आधारित तेनालीराम की कहानी

ढोंगी साधु
राजा कृष्णादेव राय साधु-संतों का बड़ा आदर करते थे। उन्हें भोजन और वस्त्र भी राजा की ओर से मिलते थे। यह देख बहुत से निठल्ले लोग भी साधु बनकर मौज उड़ाने लगे। खर्च बढ़ने लगा, तो राजा परेशान हो गए। उन्होंने दरबारियों से कहा। दरबारी बोले, “महाराज, अगर नकली साधु यहाँ से चले जाएँ तो खर्च घट जाएगा।

” मगर असली-नकली का पता कैसे चले ?” राजा बोले । नीचा दिखाने का उचित अवसर जान दरबारियों ने तेनालीराम का नाम सुझाया। राजा ने तेनालीराम को यह काम सौंप दिया। तेनालीराम ने राज्य के साधुओं की गिनती कराई। फिर ढिंढोरा पिटवाया, ” राज्य के प्रत्येक साधु के गले में राजा की तस्वीर लटकी रहनी चाहिए, जिसके गले में तस्वीर न होगी, उसे न भोजन मिलेगा, न वस्त्र दिए जाएँगे।” अगले दिन भोजन करने आए साधुओं के गले में राजा की तस्वीर लटकी हुई थी । तेनालीराम ने उनकी गिनती कराई। गिनती के हिसाब से बारह साधु कम थे।

तेनालीराम ने सिपाही भेजकर उन्हें बुलवाया। साधु आए तो तेनालीराम ने पूछा, “आप लोग भोजन करने क्यों नहीं आए ?” ‘हम भगवान के पुजारी हैं। राजा की तस्वीर गले में क्यों लटकाएँ? ऐसे राजा से अन्न का एक दाना लेना भी पाप है। ” साधु बोले। तेनालीराम उन साधुओं को राजा के पास ले गया। बोला, “महाराज, असली साधु ये ही हैं। राजा ने पूरी बात सुनी। नकली साधुओं को भगा दिया गया। तेनालीराम की प्रशंसा की। इसके बाद किसी निठल्ले ने ढोंगी साधु बनने की हिम्मत नहीं की। छात्र इस कहानी का नाट्य रूपांतरण स्वयं करें और कक्षा में प्रस्तुत करें।

प्रश्न 3.
‘ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय।।
मीठी वाणी के साथ-साथ बातचीत की कला में अन्य कई गुण सहायक हैं। अन्य गुणों को ध्यान में रखते हुए सूक्तियों का संकलन कीजिए।
उत्तर:
मीठी वाणी संबंधी संकलन
(i) बोली एक अमोल है जो कोई बोले जानि।
हिये तराजू तौलि कर, तब मुख बाहर आनि ।।

(ii) कोयल काको देत है कागा काको देय।
मीठे वचन सुनाय के जग अपनो कर लेय।।

(iii) मधुर वचन है औषधी, कटुक वचन है तीर।
श्रवण द्वार है संचरै, सलय सकल शरीर।।

DAV Class 8 Hindi Ch 10 Solutions – बातचीत की कला

I. बहुविकल्पीय प्रश्न

1. भावों को अभिव्यक्त करने की कला एवं उन्हें समझने की क्षमता
(क) पशु
(ख) मनुष्य
(ग) पक्षी
(घ) वनस्पति
उत्तर:
(ख) मनुष्य

2. बातचीत की कला में ……….. व्यक्ति जीवन का सर्वाधिक आनंद ले सकता है।
(क) निपुण
(ख) वाचाल
(ग) कृपण
(घ) प्रगल्भ
उत्तर:
(क) निपुण

3. उन्नति के शिखर पर कौन पहुँच जाते हैं ?
(क) बातचीत में असफल लोग
(ग) किताबें रटने वाले लोग
(ख) कम बोलने वाले लोग
(घ) बातचीत की कला में निपुण लोग
उत्तर:
(घ) बातचीत की कला में निपुण लोग

DAV Class 8 Hindi Chapter 10 Question Answer - बातचीत की कला

4. बातचीत की कला का प्रभाव इनमें से कहाँ पड़ता है?
(क) विक्रय केंद्रों पर
(ख) शिक्षण-प्रशिक्षण केंद्रों पर
(ग) रोजमर्रा के जीवन पर
(घ) उपर्युक्त सभी पर
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी पर

5. बातचीत करते समय हमें इनमें से किसका ध्यान रखना चाहिए?
(क) दूसरों की सुख-सुविधा
(ग) रुचि अरुचि
(ख) मान-सम्मान
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

6. बातचीत के सिद्धांत के विरुद्ध इनमें से क्या है ?
(क) संयम से बोलना
(ग) बिना सोचे जल्दी-जल्दी बोलना
(ख) प्रभावपूर्ण ढंग से बोलना
(घ) दूसरे के विचारों-सिद्धांतों का ध्यान रखना
उत्तर:
(ग) बिना सोचे जल्दी-जल्दी बोलना

7. बातचीत की कला में निपुण होने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
(क) किताबें रटना
(ग) ऊँची डिग्री लेना
(ख) जल्दी-जल्दी बोलना
(घ) सतत अभ्यास एवं साधना करना
उत्तर:
(घ) सतत अभ्यास एवं साधना करना

8. हम जितना सुनें उससे बोलें।
(क) कई गुना अधिक
(ख) कम
(ग) बराबर
(घ) ऊँचा
उत्तर:
(ख) कम

9. बातचीत में अधरों पर आई मुस्कान का क्या प्रभाव होता है?
(क) बातचीत का महत्व समाप्त हो जाता है
(ख) सुनने वाला चिढ़ जाता है
(ग) बोलने वाला ऊबता नहीं है
(घ) प्रसन्नता, सद्भावना और मैत्री बढ़ जाती है
उत्तर:
(घ) प्रसन्नता, सद्भावना और मैत्री बढ़ जाती है

DAV Class 8 Hindi Chapter 10 Question Answer - बातचीत की कला

10. सुखद संवाद का शत्रु इनमें से कौन नहीं है?
(क) चिड़चिड़ापन
(ख) तुनुकमिजाजी
(ग) विनोद-प्रियता
(घ) क्षोभ
उत्तर:
(ग) विनोद-प्रियता

11. अकबर के अनुसार तोते के मरने की खबर देने वाले को
(क) मृत्युदंड
(ख) पुरस्कार
(ग) नौकरी
(घ) पदोन्नति
उत्तर:
(क) मृत्युदंड

12. शब्द – चातुर्य से दिए गए तात्कालिक उत्तर बातचीत में …………… ला देते हैं।
(क) कटुता, प्रगल्भता
(ग) सरसता, रोचकता एवं आकर्षण
(ग) सरसता, रोचकता एवं आकर्षण
(घ) उद्देश्यहीनता एवं विकलांगता
उत्तर:
(ग) सरसता, रोचकता एवं आकर्षण

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भावों को अभिव्यक्ति प्रदान करने का साधन किसे प्राप्त है?
उत्तर:
भावों को अभिव्यक्ति प्रदान करने का साधन केवल मनुष्य को प्राप्त है।

प्रश्न 2.
उन्नति करने के लिए किन-किन गुणों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
उन्नति करने के लिए बातचीत की कला और व्यवहार कुशलता की आवश्यकता होती है।

DAV Class 8 Hindi Chapter 10 Question Answer - बातचीत की कला

प्रश्न 3.
बातचीत की कला का प्रभाव कहाँ-कहाँ दृष्टिगोचर होता है?
उत्तर:
बातचीत की कला का प्रभाव घर-परिवार, रोजमर्रा के जीवन, स्कूल, कॉलेज, सामाजिक-सांस्कृतिक गोष्ठियों, विक्रय केंद्रों आदि पर दृष्टिगोचर होता है।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय एकता में पड़ी दरारें कब पट सकती हैं?
उत्तर:
राष्ट्रीय एकता में पड़ी दरारें कटुता, असहिष्णुता, वैमनस्यता आदि के समाप्त होने पर पट सकती हैं।

प्रश्न 5.
किस प्रकार की मुस्कराहट बातचीत की रोचकता को समाप्त कर देती है?
उत्तर:
कपट, स्वार्थ, गुरुता और हीनता की भावना युक्त कुटिल मुस्कराहट बातचीत की रोचकता को समाप्त कर देती है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30-35 शब्दों में )

प्रश्न 1.
सुदृढ़ चरित्र के निर्माण में किसका योगदान होता है? इससे व्यक्ति को क्या लाभ मिलता है?
उत्तर:
सुदृढ़ चरित्र के निर्माण में माता – पिता, गुरुजन, संगति एवं वातावरण का विशेष योगदान होता है। इसके बल पर व्यक्ति समाज में सम्मानित दृष्टि से देखा जाता है तथा इसके अभाव में व्यक्ति समाज में व्याप्त हिंसा, द्वेष, घृणा, भ्रष्टाचार, कलह, धोखाधड़ी, दुराचार आदि का शिकार हो अपना सम्मान खो बैठता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( 70-80 शब्दों में )

प्रश्न 1.
‘मुस्कराहट का कोष लुटाने वालों के दोनों हाथों में लड्डू होते हैं’, स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
बातचीत के बीच अधरों पर जब स्वाभाविक मुस्कराहट आती है तो बातचीत में शामिल व्यक्ति आकर्षित हुए बिना नहीं रह पाते हैं। इस मुस्कराहट से एक तरफ प्रसन्नता, सद्भावना और मैत्री में वृद्धि होती है तो दूसरी तरफ परेशान, उदास और निराश लोगों को उबरने एवं आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। जो व्यक्ति बातचीत के बीच-बीच में मुस्कराहट बिखेरते रहते हैं, उनका कुछ घटता नहीं है। वे गरीब नहीं बन जाते हैं, इसके विपरीत उन्हें बहुत कुछ मिलता है। इस प्रकार उनके दोनों हाथों में लड्डू होता है।

V. मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘बातचीत की कला’ पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
‘बातचीत की कला’ पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बातचीत की कला में निपुण होने के लिए सतत अभ्यास एवं साधना करना चाहिए। बातचीत के बीच-बीच में सरल एवं निश्छल मुस्कान बनाए रखना चाहिए। बातचीत में संयम, सावधानी और सजगता बनाए रखते हुए आवेश एवं प्रगल्भता से बचना चाहिए।

क्रियाकलाप

प्रश्न 1.
अकबर-बीरबल से संबंधित कोई कहानी पढ़िए और कक्षा में उचित हाव-भाव के साथ सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

प्रश्न 1.
भाव- मणियों को शब्द-सूत्र में पिरोकर अभिव्यक्ति प्रदान करने और भावों को हृदयंगम करने की क्षमता का वरदान इस चराचर जगत में केवल मनुष्य को ही प्राप्त है। बातचीत की कला में निपुण व्यक्ति जीवन का सबसे अधिक आनंद ले सकता है। प्रभावशाली बातचीत के माध्यम से व्यक्ति अपनी छाप दूसरों पर छोड़ सकता है और दूसरों के विचारों को ग्रहण कर लाभान्वित हो सकता है।

प्रश्न (क) मनुष्य अन्य प्राणियों से किस प्रकार भिन्न है?
(ख) जीवन का आनंद कौन ले सकता है ?
(ग) व्यक्ति दूसरों को कैसे प्रभावित कर सकता है ?
(घ) भाव-मणियाँ किन्हें कहा गया है?
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए ।
उत्तर:
(क) मनुष्य अपनी भावनाएँ शब्दों के माध्यम से व्यक्त कर सकता है, पर अन्य प्राणी नहीं। यही गुण उसे अन्य प्राणियों से भिन्न बनाता है।
(ख) जीवन का आनंद वे लोग उठा सकते हैं जो बातचीत में निपुण होते हैं।
(ग) व्यक्ति प्रभावशाली बातचीत द्वारा दूसरों को प्रभावित कर सकता है।
(घ) भाव-मणियाँ मनुष्य की उन भावनाओं को कहा गया है, जिन्हें मनुष्य दूसरों के सामने प्रकट करता है।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम है – बातचीत की कला।

DAV Class 8 Hindi Chapter 10 Question Answer - बातचीत की कला

प्रश्न 2.
जिस कला में प्रवीण होने पर मनुष्य को सर्वाधिक लाभ प्राप्त हो सकता है, वही जीवन में सबसे अधिक उपेक्षित है। किताबें रटकर ऊँची-ऊँची डिग्रियाँ प्राप्त करके भी बातचीत की कला में निपुण न होने के कारण अनेक लोग जीवन में उन्नति नहीं कर पाते जबकि अनेक लोग बात करने की योग्यता और व्यवहार कुशलता के बल पर उन्नति के शिखर पर पहुँच जाते हैं।

प्रश्न (क) प्रथम पंक्ति में किस ‘कला’ का उल्लेख है ?
(ख) लोग जीवन में उन्नति क्यों नहीं कर पाते हैं?
(ग) कुछ लोग उन्नति के शिखर पर कैसे पहुँच जाते हैं ?
(घ) किताबें रटने का दुष्परिणाम क्या होता है ?
(ङ) बातचीत की कला के अलावा सफलता के लिए क्या ज़रूरी है ?
उत्तर:
(क) प्रथम पंक्ति में ‘बातचीत की कला’ का उल्लेख है।
(ख) बातचीत की कला में निपुणता न होने के कारण लोग जीवन में उन्नति नहीं कर पाते हैं।
(ग) बातचीत करने की योग्यता और कुशल व्यवहार के बल पर लोग जीवन में उन्नति के शिखर पर पहुँच जाते हैं।
(घ) किताबें रटने का दुष्परिणाम होता है – लोगों में बातचीत की कला का विकास न हो पाना।
(ङ) सफलता के लिए बातचीत की कला के अलावा व्यवहार कुशलता भी ज़रूरी है।

प्रश्न 3.
बातचीत में अधरों पर छाई निश्छल स्वाभाविक मधुर मुस्कान किसको आकृष्ट नहीं करती? बातचीत में मुस्कुराहट यदि एक ओर प्रसन्नता, सद्भावना और मैत्री बढ़ाती है तो दूसरी ओर परेशान, उद्विग्न और उदास लोगों के लिए राहत और भग्नाश जनों के लिए प्रेरणा-स्रोत सिद्ध होती है। पुष्प की गंध की तरह मुस्कुराहट सबको सुवासित कर देती है। सरल हृदय से ही स्वाभाविक मुस्कुराहट प्रस्फुटित होती है जो मनुष्य के हृदय की निर्मलता और प्रेम का प्रतीक होती है।

प्रश्न (क) बातचीत को आकर्षक बनाने का साधन क्या है?
(ख) बातचीत में मुस्कुराहट की क्या उपयोगिता है?
(ग) मुस्कुराहट श्रोता पर क्या प्रभाव डालती है ?
(घ) मुस्कुराहट की तुलना किससे की गई है ?
(ङ) स्वाभाविक मुस्कुराहट कहाँ से प्रकट होती है ?
उत्तर:
(क) बातचीत को आकर्षक बनाने का साधन स्वाभाविक मुस्कुराहट है।
(ख) बातचीत में अधरों पर आई मुस्कुराहट से प्रसन्नता मैत्री और सद्भाव में वृद्धि होती है।
(ग) मुस्कुराहट उदास और परेशान लोगों के लिए राहत और टूटे दिल वालों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाती है।
(घ) मुस्कुराहट की तुलना फूलों की सुगंध से की गई है।
(ङ) स्वाभाविक मुस्कुराहट सरल एवं निश्छल हृदय से प्रकट होती है।

DAV Class 8 Hindi Chapter 10 Question Answer - बातचीत की कला

प्रश्न 4.
बातचीत में जितनी ही अधिक सावधानी, सजगता तथा संयम बरता जाता है उतनी ही यह कला सार्थक तथा अमोघ सिद्ध होती है। आवेश तथा अतिप्रगल्भता बातचीत की कला को विकलांग बना देती है। आवश्यकता से अधिक बोलने से न केवल बातचीत की कला को आघात पहुँचता है, बल्कि बोलने वाले का महिमा – हरण होता है। जो व्यक्ति बात नहीं कर सकता उस व्यक्ति की विद्या कायर के हाथ के अस्त्र के समान है।
प्रश्न (क) बातचीत की कला कब सार्थक बन जाती है?
(ख) आवेश और अतिप्रगल्भता हमारी बातचीत को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
(ग) वक्ता का महिमा-हरण कब होता है?
(घ) बातचीत की कला क्यों आवश्यक है?
(ङ) ‘अमोघ’ और ‘अतिप्रगल्भता’ शब्दों के अर्थ लिखिए।
उत्तर:
(क) बातचीत करते समय यदि अधिक सावधानी, सजगता और संयम बरता जाए तो यह कला और भी सार्थक बन जाती है।
(ख) आवेश और अतिप्रगल्भता से हमारी बातचीत की कला अपंग बनकर रह जाती है।
(ग) जो आवश्यकता से अधिक बोलते हैं, उनकी महिमा का हरण होता है।
(घ) बातचीत की कला से ही व्यक्ति दूसरों के सामने प्रभावपूर्ण ढंग से अपनी बातें व्यक्त कर सकता है, अन्यथा उसका सारा ज्ञान धरा-का-धरा रह जाता है। इसलिए बातचीत की कला आवश्यक है।
(ङ) अमोघ – अचूक अतिप्रगल्भता – बहुत अधिक अभिमान और चतुराई।

शब्दार्थ:

  • निराली – अनोखी।
  • मधु – शहद।
  • भाव-मणि – भावना रूपी मणि।
  • अभिव्यक्ति – कहना, बोलना।
  • हृदयंगम – मन में बैठा हुआ।
  • खेद – दुख।
  • प्रवीण – निपुण।
  • उपेक्षित – निरादरित।
  • शिखर – चोटी।
  • दृष्टिगोचर- दिखाई देना।
  • पनपना – पैदा होना।
  • कटुता – कडुवापन, दुर्भावना।
  • असहिष्णुता – सहनशीलता की कमी।
  • वैमनस्यता – शत्रुता।
  • पट जाना – भर जाना।
  • अभीष्ट – मनचाही।
  • परिणामवाहिनी – परिणाम देने वाली।
  • पारंगत – निपुण।
  • सतत् – लगातार।
  • आत्मचिंतन – मन में सोचना।
  • आत्मशोधन – स्वयं को सुधारना।
  • दूजों – दूसरों।
  • उत्थान – ऊपर उठाना।
  • सर्वसुखकारी – सभी को सुख देने वाला।
  • दुर्गुण – बुरे गुण।
  • अवसान – अंत करना।
  • अधरों – होंठों।
  • निश्छल – कपट रहित, छल रहित।
  • आकृष्ट – आकर्षित।
  • उद्विग्न – बेचैन।
  • अक्षय – कभी समाप्त न होने वाला।
  • कोष – खज़ाना।
  • फेंटिए – मिलाइए।
  • विनोद – प्रसन्नता।
  • स्नायविक थकान – नाड़ियों की थकान।
  • क्षोभ – क्रोध।
  • मलाल – दुख।
  • तुरुक-मिजाज़ी – जल्दी गुस्सा आना।
  • गरीबपरवर – गरीबों पर रहम करने वाला।
  • प्राण-दंड – मौत की सज़ा।
  • वाक्पटुता – बोलने की चतुराई।
  • निरुत्तर – उत्तररहित।
  • हाज़िरजवाबी – तुरंत जवाब देने की कला।
  • चार-चाँद लगाना – शोभा बढ़ाना।
  • अमोघ – अचूक।
  • अतिप्रगल्भता – अधिक अभिमान और चतुराई।
  • विकलांग – अपंग, पंगु।
  • आघात – चोट।
  • महिमा – महानता।
  • कायर – डरपोक।
  • सत्संग – अच्छे लोगों की संगति।

बातचीत की कला Summary in Hindi

पाठ- परिचय:

प्रस्तुत पाठ में जीवन में बातचीत की कला की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। जीवन में सफलता पाना हो या उन्नति के पथ पर निरंतर बढ़ते जाना हो या सद्भावना, प्रसन्नता और मैत्री बढ़ाना हो, बातचीत की कला की उपयोगिता में कोई संदेह नहीं है।

पाठ का सार:

यह अत्यंत उपयोगी पाठ है, इसमें यह बताया गया है कि जीवन में सफल होने के लिए कदम-कदम पर ‘बातचीत की कला’ उपयोगी है। मनुष्य ही संसार में ऐसा एकमात्र प्राणी है, जिसे ईश्वर ने यह कला दी है। वह प्रभावशाली बातचीत के माध्यम से अपना प्रभाव दूसरों पर छोड़ सकता है और दूसरों के विचारों से लाभान्वित हो सकता है, परंतु जिस कला में निपुण होने पर व्यक्ति सबसे अधिक लाभान्वित हो सकता है, उसी की उपेक्षा करता है। लोग मोटी-मोटी पुस्तकें पढ़कर भी इस कला में निपुण न होने के कारण उन्नति नहीं कर पाते हैं। कुछ लोग इस योग्यता और अपनी व्यवहार कुशलता के बल पर उन्नति के शिखर पर पहुँच जाते हैं। इसका प्रभाव घर-परिवार तथा रोजमर्रा के जीवन पर ही नहीं बल्कि स्कूल, कॉलेज तथा शिक्षण-प्रशिक्षण केंद्रों, कार्यक्रमों, गोष्ठियों में भी दिखाई देता है।

बातचीत करते समय हमें चाहिए कि हम अपने से अधिक महत्व उस व्यक्ति को दें, जिससे हम बातचीत कर रहे हैं। हम उसकी सुख-सुविधा, रुचि अरुचि, विचार, सिद्धांत, भावनाओं आदि का पूरा ध्यान रखें। जल्दबाजी में बिना कुछ सोचे-समझे बोलना बातचीत के सिद्धांत के विरुद्ध है। यदि समाज में बातचीत की कला में निपुण व्यक्तियों की वृद्धि हो जाए तो अनेक सामाजिक रोगों का अंत हो जाएगा और राष्ट्रीय एकता में वृद्धि होगी। इस कला में निपुणता पाने के लिए सतत अभ्यास एवं साधना की आवश्यकता होती है।

बातचीत में होंठों पर आई स्वाभाविक मधुर मुस्कान एक और प्रसन्नता, सद्भावना और मैत्री बढ़ाती है तो दूसरी ओर निराश और परेशान लोगों के लिए प्रेरणा-स्रांत सिद्ध होती है। फूल की महक की तरह मुस्कराहट भी सभी को सुवासित कर देती है। स्वार्थ, छल-कपट, ऊँच-नीच की भावना युक्त कुटिल मुस्कान बातचीत की रोचकता समाप्त कर देती है। मुस्कान लुटाने वालों के दोनों हाथों में लड्डू होता है, जिससे जाता कुछ नहीं मिलता बहुत कुछ है।
एक व्यक्ति तोतों को पकड़कर सिखाता- पढ़ाता था और किसी आदमी को भेंट देकर इनाम पाने का व्यवसाय करता था। उसने एक बार एक बहुत ही सुंदर तोते को इनसानी बोली सिखाई। यह तोता आदमी का भविष्य बता दिया करता था। उसने इस तोते को बादशाह अकबर को भेंट कर इनाम पा लिया। बादशाह ने इसकी देख-रेख के लिए एक आदमी को नियुक्त करते हुए कहा कि यदि तोता मर गया तो तुम्हें मार डाला जाएगा और तोते के मरने की खबर देने वाले को भी मार दिया जाएगा।

एक दिन अचानक तोता मर गया और रखवाला अपनी जान बचाने के लिए भागा भागा बीरबल के पास आया और सारी बात बताई। बीरबल ने उसे आश्वस्त किया और अकबर के पास आकर बोले, “आज आपका तोता न खाता है, न पीता है, न मुँह खोलता है, न बात करता है, न चलता है, न हिलता है, न उठता, न फुदकता है। ” बादशाह ने आकर जब तोते को देखा तो क्रोध से बोले, ” पहले नहीं कह सकते थे कि तोता मर गया है। ”

बीरबल ने उन्हें मृत्युदंड देने की बात याद दिलाई। इस प्रकार उन्होंने अपनी वाक्पटुता और बुद्धिबल से बादशाह को निरुत्तर बना दिया और किसी की जान भी बचाई। बातचीत की कला में निपुणता पाने के लिए सद्ग्रंथों का अध्ययन, विद्वानों का सत्संग एवं सभाओं में शामिल होना लाभप्रद रहता है।