Regular practice using DAV Class 7 Hindi Book Solutions and DAV Class 7 Hindi Chapter 8 Question Answer – एवरेस्ट की चुनौती are essential for improving writing and analytical skills.
DAV Class 7 Hindi Chapter 8 Question Answer – एवरेस्ट की चुनौती
DAV Class 7 Hindi Ch 8 Question Answer – एवरेस्ट की चुनौती
पाठ में से
प्रश्न 1.
संसार के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर को किस-किस नाम से पुकारा जाता है?
उत्तर:
एवरेस्ट को ‘चौमोलुंगमा’ और ‘सगरमाथा’ नाम से भी पुकारा जाता है।
प्रश्न 2.
लेखक को साँस लेने में कठिनाई क्यों होने लगी?
उत्तर:
लेखक को साँस लेने में कठिनाई होने लगी, क्योंकि उसका सिलेंडर कहीं से लीक था, जिसके कारण उसे पूरी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही थी।
प्रश्न 3.
‘हिलेरी की चिमनी’ लेखक के लिए चिंता का विषय क्यों थी?
उत्तर:
‘हिलेरी की चिमनी’ लेखक के लिए चिता का विषय इसलिए थी, क्योंकि यह चिमनी चट्टान और बर्फ़ के ढेर के बीच तेरह मीटर सीधी खड़ी थी। इस पर चढ़ने में कठिनाई होती थी, क्योंकि यहाँ पर हाथ-पैर रखने की जगह न थी। चिकनी होने के कारण यह चिता का कारण बनी थी।
प्रश्न 4.
लक्ष्य तक पहुँचते-पहुँचते लेखक को क्यों लगा कि चढ़ाई कभी ख़त्म नहीं होगी?
उत्तर:
लक्ष्य तक पहुँचते-पहुँचते लेखक को लगा कि चढ़ाई कभी ख़त्म नहीं होगी, क्योंकि लेखक दल द्वारा पहाड़ी का टुकड़ा पार होने का नाम ही नहीं ले रहा था और उनका संघर्ष और भी कठिन होता जा रहा था। इसके अलावा साँस लेने में बढ़ती परेशानी के साथ हर कदम थका देने वाला होता जा रहा था।
प्रश्न 5.
एवरेस्ट-शिखर पर चढ़कर उन्होंने क्या-क्या देखा?
उत्तर:
एवरेस्ट-शिखर पर पहुँचकर उन्होंने उत्तर में तिब्बत का पठार और दक्षिण की ओर भारत का मैदान देखा। कुछ दूर पर उन्हें चमकता ‘थ्यांगबोचे मठ’ दिखाई दिया जो सवेरे के धुंध में तैरता हुआ दिख रहा था।
प्रश्न 6.
उचित विकल्प पर सही (✓) का निशान लगाइए।
उत्तर:
(क) कैंप 4 के तंबू एक पाँत में लगाए गए थे, क्योंकि –
उत्तर:
(✓) स्थानाभाव था।
(ख) एवरेस्ट का शिखर ऐसे लग रहा था मानो-
उत्तर:
(✓) एक छोटी सफ़ेद घुमावदार मेहराब-सी हो।
(ग) एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचकर सभी प्रसन्न थे, क्योंकि-
उत्तर:
(✓) संसार के सर्वोच्च पर्वत-शिखर पर पहुँचकर उन्हें गर्व का अनुभव हो रहा था। अब उन्हें और चढ़ाई नहीं करनी थी।
बातचीत के लिए –
प्रश्न 1.
अनेक कठिनाइयों का सामना करने के बाद एवरेस्ट-शिखर पर पहुँचकर लेखक और उसके साथियों ने क्या किया?
उत्तर:
अनेक कठिनाइयों का सामना करने के बाद एवरेस्ट-शिखर पर पहुँचकर लेखक और उसके साथियों ने एक-दूसरे की पीठ थपथपाई। उन्होंने आसपांस देखकर भगवान को धन्यवाद दिया। रावत ने झुककर शिखर पर दुर्गा की मूर्ति रख धूप जलाई। लेखक ने गुरु नानक का एक फोटो और माला रखी। फ़ू दोरजी ने चाँदी का लॉकेट रखा, जिसमें दलाई लामा का फोटो लगा था।
प्रश्न 2.
एवरेस्ट की चढ़ाई करने के लिए एक रस्से में बँधना क्यों ज़रूरी होता होगा?
उत्तर:
एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए एक रस्से में बँधना इसलिए ज़रूरी होता है ताकि एक पर्वतारोही जब ऊपर पहुँचे तो दूसरे को सहारा देकर ऊपर खींच ले। इसके अलावा यदि कोई भी फिसले तो उसी रस्सी के सहारे अन्य पर्वतारोही उसे ऊपर खींच ले।
प्रश्न 3.
एवरेस्ट पर चढ़ाई करना बहुत मुश्किल है। आपको कौन-कौन से काम मुश्किल लगते हैं और क्यों?
उत्तर:
काम | मुश्किल लगने का कारण |
(क) परीक्षा देना | पूरी तैयारी न होना |
(ख) प्रेस करना | कपड़े न सँभाल पाना |
(ग) सुबह जल्दी उठना | नींद आना तथा सोने की इच्छा होना |
(घ) कोई अन्य बस्ता उठाना | भारी होना |
प्रश्न 4.
कोई ऐसी घटना बताइए जब आप अपनी खुशी न छुपा पाए हों।
उत्तर:
पिछली कक्षा में मैंने प्रथम स्थान प्राप्त किया था। मुझे इस साल वार्षिकोत्सव में पुरस्कृत किया गया था, जिसके बारे में मुझे अध्यापक ने बता दिया था। मैं सोच रहा था कि यह बात माता-पिता को नहीं बताऊँगा। नियत समय पर जब पुरस्कार लेने हेतु मुझे बुलाया जाएगा तो वे अचानक बड़े खुश होंगे, परंतु यह खुशी मैं दो दिन भी न छिपा सका और उन्हें बता दिया।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
कल्पना कीजिए कि आप एवरेस्ट शिखर पर पहुँच गए हैं, तो आप वहाँ पर क्या करेंगे?
उत्तर:
यदि मैं एवरेस्ट शिखर पर पहुँच गया तो मैं भी वहाँ सबसे पहले तिरंगा फहराऊँगा। उसके बाद वहाँ बहुत से फोटो खीचूँगा ताकि आने के बाद वहाँ के नज़ारों को औरों को दिखा सकूँ।
प्रश्न 2.
यदि आपका चुनाव अंतरिक्ष यात्रा के लिए हो जाता है, तो आप कौन-से ग्रह पर जाना पसंद करेंगे और क्यों?
उत्तर:
यदि मेरा चुनाव अंतरिक्ष यात्रा के लिए हो जाता है तो मैं मंगल गृह पर जाना पसंद करूँगा, क्योंकि सुना है, वहाँ कुछ ऐसे अवशेष मिले हैं, जिनसे वहाँ जीवन संभव हो सके। उनके बारे में और अधिक जानकारी मिल सके, इसलिए मैं वहाँ जाना पसंद् करूँगा।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
दिए गए शब्दों को ध्यान से पढ़िए-
ऊँचाई, चढ़ाई, कुशलता, प्रसन्नता, कठिनाई, निराशा, गर्व, सहायता
पाठ में आए ये शब्द भाववाचक संज्ञा के उदाहरण हैं। ऐसे ही कोई तीन शब्द और लिखिए –
उत्तर:
(क) सफलता
(ख) फिसलन
(ग) सतर्कता
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए युग्म-शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
(क) करीब-करीब ………………………………
(ख) एक-दूसरे ………………………………
(ग) रोम-रोम ………………………………
(घ) इधर-उधर ………………………………
उत्तर:
(क) करीब-करीब – मैं पहली रात होस्टल में करीब-करीब जागता ही रहा।
(ख) एक-दूसरे – राम और श्याम पहले से ही एक-दूसरे को जानते थे।
(ग) रोम-रोम – वहाँ बर्फीली तेज़ हवाओं से मेरा रोम-रोम सिहर उठा।
(घ) इधर-उधर – परीक्षा देते समय हमें इधर-उधर नहीं देखना चाहिए।
प्रश्न 3.
दिए गए शब्दों में से उपसर्ग और मूल शब्दों को अलग-अलग करके लिखिए-
उत्तर:
शब्द | उपसर्ग | मूल शब्द |
(क) प्रमुख | – प्र | + मुख |
(ख) निराशा | – निर् | + आशा |
(ग) सतर्क | – स | + तर्क |
(घ) उपयोग | – उप | + योग |
(ङ) अज्ञात | – अ | + ज्ञात |
जीवन मूल्य
संसार की इस छत पर खड़े होकर और अपने नीचे मीलों दूर तक देखते हुए मेरे मन में जो भावनाएँ उठीं, उनमें सबसे प्रमुख भावना विनय की थी।
प्रश्न 1.
एवरेस्ट की चोटी पर खड़े होकर लेखक को किस जीवन-मूल्य का ख्याल आया और क्यों?
उत्तर:
एवरेस्ट की चोटी पर खड़े होकर लेखक को ‘विनय’ जीवन-मूल्य का ख्याल आया क्योंकि जिस लक्ष्य को लेकर लेखक ने चढ़ाई शुरू की थी, ईश्वर की कृपा से वह अपने दल के साथ उस लक्ष्य पर पहुँच गया था।
प्रश्न 2.
लेखक की एवरेस्ट यात्रा पढ़कर हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
लेखक की एवरेस्ट यात्रा पढ़कर हमें जीवन में साहसी बनने, मुसीबत में हौंसला बनाए रखने और आपस में मिल-जुलकर काम करने की प्रेरणा मिलती है।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1.
संसार की पाँच ऊँची चोटियों के नाम खोजिए। अब इन्हें इनकी ऊँचाई के अनुसार घटते क्रम में दी गई तालिका में लिखिए-
उत्तर:
चोटी का नाम | कहाँ स्थित है | ऊँचाई |
एवरेस्ट सबसे ऊँची | नेपाल | 8,848 मी० |
के-2 गाडविन आस्टिन | भारत | 8,611 मी० |
कंचन जंगा | भारत | 8,600 मी० |
मकालू | नेपाल | 8,481 मी० |
धौलागिरी | नेपाल | 8,172 मी० |
प्रश्न 2.
एवरेस्ट शिखर पर चढ़ाई करने के लिए जिस-जिस सामान की आवश्यकता होती है, उसकी एक सूची बनाइए।
उत्तर:
एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए आवश्यक सामान-
- मोटी, मज़बूत रस्सी
- कुल्हाड़ी, फावड़ा
- ऑक्सीजन सिलेंडर
- काँटेदार जूते
- तंबू
- विशेष प्रकार के थैले
- गर्म कपड़े
- खाने-पीने का सामान
प्रश्न 3.
पता कीजिए कि कौन-कौन से भारतीय एवरेस्ट-शिखर पर पहुँच चुके हैं?
उत्तर:
इंटरनेट की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें।
DAV Class 7 Hindi Ch 8 Solutions – एवरेस्ट की चुनौती
I. बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
एवरेस्ट पर्वत-शिखर की ऊँचाई इनमें से कितनी है?
(क) 8,748 मीटर
(ख) 8,848 मीटर
(ग) 8,948 मीटर
(घ) 8,648 मीटर
उत्तर:
(ख) 8,848 मीटर
प्रश्न 2.
नेपाल में इसे ‘सगरमाथा’ कहते हैं। नेपाली भाषा में ‘सगर’ का अर्थ क्या है?
(क) ऊँचाई
(ख) चोटी
(ग) पहाड़
(घ) बर्फ़
उत्तर:
(घ) बर्फ़
प्रश्न 3.
एवरेस्ट को पहले कहा जाता था-
(क) शिखर- 15
(ख) शिखर-14
(ग) शिखर-17
(घ) शिखर- 16
उत्तर:
(क) शिखर- 15
प्रश्न 4.
सर जार्ज एवरेस्ट के नाम पर इसका नाम ‘एवरेस्ट’ पड़ा। वे किस सर्वे विभाग के प्रमुख थे?
(क) नेपाली
(ख) ब्रिटिश
(ग) अमेरिकी
(घ) भारतीय
उत्तर:
(घ) भारतीय
प्रश्न 5.
शेरपा तेनसिंह और एडमंड हिलेरी ने इसे कब छूने में सफलता पाई?
(क) 1950 में
(ख) 1952 में
(ग) 1953 में
(घ) 1951 में
उत्तर:
(ग) 1953 में
प्रश्न 6.
लेखक के साथ इस अभियान दल में इनमें से कौन नहीं था?
(क) वी०पी० सिंह
(ख) रावत
(ग) जोशी
(घ) बहुगुणा
उत्तर:
(ग) जोशी
प्रश्न 7.
फ़ू दोरजी इस अभियान में किसकी जगह शामिल हुए थे?
(क) लेखक की
(ख) वी०पी० सिंह की
(ग) बहुगुणा की
(घ) रावत की
उत्तर:
(ख) वी०पी० सिंह की
प्रश्न 8.
स्लेट की चट्टानों से एक बार फिसलने का अर्थ था मीटर नीचे तिब्बत में जा गिरना।
(क) तीन हज़ार
(ख) चार हज़ार
(ग) पाँच हज़ार
(घ) छह हज़ार
उत्तर:
(ग) पाँच हज़ार
प्रश्न 9.
ऑक्सीजन की नली में हुए छेद की समस्या को कैसे हल किया गया?
(क) टेप लगाकर
(ख) नई बदलकर
(ग) नली हटाकर (अलग कर)
(घ) दूसरे की नली निकालकर
उत्तर:
(क) टेप लगाकर
प्रश्न 10.
सँकरी गली को ‘इंडियाज़ डेन’ नाम किसने दिया?
(क) फ़ दोरजी ने
(ख) लेखक ने
(ग) रावत ने
(घ) वी०पी० सिंह ने
उत्तर:
(ख) लेखक ने
प्रश्न 10.
सँकरी गली को ‘इंडियाज़ डेन’ नाम किसने दिया?
(क) फ़ू दोरजी ने
(ख) लेखक ने
(ग) रावत ने
(घ) वी०पी० सिंह ने
उत्तर:
(घ) वी०पी० सिंह ने
प्रश्न 11.
‘हिलेरी की चिमनी’ की ऊँचाई इनमें से कितनी थी?
(क) 10 मीटर
(ख) 11 मीटर
(ग) 12 मीटर
(घ) 13 मीटर
उत्तर:
(घ) 13 मीटर
प्रश्न 12.
‘थ्यांगबोचे मठ’ लेखक को कैसे चमकता दिखाई दिया?
(क) चाँद् की तरह
(ख) तारे की तरह
(ग) दर्पण की तरह
(घ) बल्ब की तरह
उत्तर:
(ग) दर्पण की तरह
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(क) एवरेस्ट पर्वत-शिखर छूने का प्रयास कब शुरू हुआ?
उत्तर;
एवरेस्ट पर्वत-शिखर छूने का प्रयास 1921 में ब्रिटिश पर्वतारोहियों द्वारा किया गया।
(ख) सबसे पहले एवरेस्ट शिखर छूने में कौन सफल हुए?
उत्तर;
सबसे पहले शेरपा तेनसिंह और एडमंड हिलेरी ने एवरेस्ट शिखर छूने में सफलता पाई।
(ग) लेखक के साथ आधार शिविर से कौन-कौन इस अभियान के लिए चले?
उत्तर:
लेखक के साथ वी॰पी॰ सिंह, रावत और बहुगुणा इस अभियान के लिए आधार शिविर से चले।
(घ) ‘येलो बैंड’ क्षेत्र क्या है?
उत्तर:
‘येलो बैंड’ क्षेत्र वह पर्वतीय स्थान है, जहाँ चट्टानों में पीली-पीली धारियाँ पड़ी थीं।
(ङ) लेखक और उसके साथी एवरेस्ट शिखर पर कितनी देर रहे?
उत्तर:
लेखक और उसके साथी एवरेस्ट शिखर पर लगभग आधे घंटे से अधिक समय तक रहे। फिर वे भारत माता को प्रणाम कर वापस लौट आए।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30 से 40 शब्दों में )
लेखक और उसके साथियों ने एवरेस्ट शिखर पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?
उत्तर:
लेखक और उसके साथियों ने एवरेस्ट शिखर पर पहुँचकर एक-दूसरे की पीठ थपथपाई। उन्होंने आसपास देखकर भगवान को धन्यवाद दिया। रावत ने शिखर पर दुर्गा की मूर्ति रख धूप जलाई। लेखक ने गुरु नानक की फोटो और माला रखी। फ़ू दोरजी ने चाँदी की लॉकेट रखा, जिस पर दलाई लामा का फोटो लगा था। इस प्रकार उन्होंने अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( 70 से 80 शब्दों में)
‘एवरेस्ट की चुनौती’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक और उसके साथियों को एवरेस्ट की इस यात्रा में किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
एवरेस्ट की इस यात्रा में लेखक और उसके साथियों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इस यात्रा का अधिकांश भाग कठोर चट्टानों और बर्फ़ से ढँका था, जिस पर यात्रा करना आसान न था। उन्हें हर समय फिसलने का खतरा बना रहता था। तेज़ और ठंडी हवाएँ कँपा देती थीं। हवा के वेग से भी फिसलकर गहरी खाइयों में गिरने का भय बना रहता था। खड़ी चढ़ाई (हिलेरी की चिमनी) पर न कुछ पकड़ने का साधन था और न पैर टिकाने की जगह। उन्हें अधिक ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी के कारण साँस लेना कठिन हो रहा था। लेखक के ऑक्सीजन सिलेंडर की नली में सूराख हो गया, जिसे उसने टेप से बंद किया। इन सबके बाद भी लेखक और उसके साथियों ने इस अभियान में विजय पाई।
V. मूल्यपरक प्रश्न
लेखक और उसके साथियों के सहयोग से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
लेखक और उसके साथियों के चरित्र से हमें साहसी बनने, मुसीबत में हौसला बनाए रखने तथा मिल-जुलकर काम करने की शिक्षा मिलती है। इसके अलावा मंज़िल की राह में आने वाली रुकावटों से न घबराने तथा लगन बनाए रखने की शिक्षा मिलती है।
क्रियाकलाप
पुस्तकालय से लेकर ‘साहसिक यात्राओं’ से संबंधित पुस्तक पढ़िए और किसी एक कहानी को संक्षेप में अपनी कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. एवरेस्ट संसार का सबसे ऊँचा पर्वत-शिखर है। यह समुद्र से 8,848 मीटर (लगभग नौ कि०मी०) ऊँचा है। इसके उत्तर में तिब्बत है तथा दक्षिण में नेपाल। तिब्बती इसे ‘चौमोलुंगमा’ अर्थात् ‘संसार की माता’ और नेपाली ‘सगरमाथा’ के नाम से पुकारते हैं। नेपाली भाषा में ‘सगर’ का अर्थ बर्फ़ होता है। 1849 में एक सर्वेक्षण दल को पहली बार यह पता चला कि यह संसार का सर्वोच्च पर्वत-शिखर है। उस समय इसे ‘शिखर- 15 ‘ नाम दिया गया। बाद में इसे एवरेस्ट कहा जाने लगा।
प्रश्न –
(क) संसार का सबसे ऊँचा पर्वत-शिखर कौन-सा है?
(ख) इसकी ऊँचाई कितनी है?
(ग) इसे तिब्बती तथा नेपाली में किन-किन नामों से जाना जाता है?
(घ) सर्वेक्षण दल को क्या पता चला?
(ङ) प्रारंभ में इसका क्या नाम था?
उत्तर:
(क) संसार का सबसे ऊँचा पर्वत-शिखर एवरेस्ट है।
(ख) समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 8,848 मी० (लगभग 9 किमी०) है।
(ग) इसे तिब्बती में ‘चौमोलुंगमा’ तथा नेपाली में ‘सगरमाथा’ कहा जाता है।
(घ) सर्वेक्षण दल को 1849 में पता चला कि यह संसार का सर्वोच्च पर्वत-शिखर है।
(ङ) इसका प्रारंभिक नाम ‘शिखर- 15 ‘ था।
2. मैं सारी रात करीब-करीब जागता ही रहा, क्योंक मैं जानता था कि सोते समय अगर मैंने करवट ली तो तंबू लुढ़क कर तीन हज़ार फुट नीचे जा गिरेगा। स्थानाभाव के कारण सभी तंबू एक पाँत में लगाए गए थे। सवेरे हम लोग ऑक्सीजन लगाए सवा दस बजे निकले। वहाँ सख्त काली चट्टानें थीं या पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़े थे। उन पर चलना बहुत मुश्किल और थकाने वाला था। ठंडी हवाएँ हमसे टकरा रही थीं।
प्रश्न –
(क) ‘मैं’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है?
(ख) सारी रात करीब-करीब जागने में क्यों कटी?
(ग) सभी तंबू एक कतार में क्यों थे?
(घ) वहाँ की चढ़ाई कैसी थी?
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) यहाँ ‘मैं’ शब्द का प्रयोग मेजर हरिपालसिंह अहलूवालिया के लिए किया गया है जो इस अभियान दल के सद्स्य थे।
(ख) रात में सोते समय करवट लेने पर तंबू के लुढ़ककर तीन हज़ार फुट नीचे गिरने का खतरा था, इसलिए सारी रात करीब-करीब जागने में कटी।
(ग) जगह की कमी के कारण सभी तंबू एक कतार में लगाए गए थे।
(घ) उस स्थान पर काली, सख चट्टानें तथा बड़े-बड़े पत्थर के टुकड़े थे। उन पर चलना कठिन होने से चढ़ाई कठिन हो गई थी।
(ङ) गद्यांश के पाठ का नाम है-‘एवरेस्ट की चुनौती’।
3. अब हम बर्फ़ के एक चबूतरे पर थे और वहाँ हम कुछ देर सुस्ताने के लिए रुके। यहाँ से आगे ढलान कुछ कम होते गए और पहले की ही तरह बाईं ओर चट्टान और दाईं ओर बर्फ़ थी। पहाड़ी अभी ख़त्म नहीं हुई थी। चिमनी पार करके हम यह सोचकर खुश हो रहे थे कि अब हम शिखर के बिलकुल पास आ गए हैं, लेकिन पहाड़ी का यह टुकड़ा ख़त्म होने में ही नहीं आ रहा था और हमारा संघर्ष अधिक कठिन होता जा रहा था। साँस लेना पहले से भी अधिक मुश्किल हो गया था।
प्रश्न –
(क) ‘हम’ शब्द का प्रयोग किनके लिए किया गया है?
(ख) वे चबूतरे पर क्यों रूके थे?
(ग) पहले वाले और इस रास्ते में क्या सामनता थी?
(घ) उन लोगों के खुश होने का कारण क्या था?
(ङ) यात्रा का संघर्ष कठिन क्यों होता जा रहा था?
उत्तर:
(क) ‘हम’ शब्द का प्रयोग मेजर हरिपालसिंह अहलूवालिया और उनके साथ एवरेस्ट विजय के लिए जा रहे सदस्यों के लिए किया गया है।
(ख) वे चबूतरे पर पहाड़ की चढ़ाई से उत्पन्न थकान उतारने के लिए रुके थे।
(ग) पहले वाले और इस रास्ते में यह समानता थी कि दोनों जगह बाईं ओर चट्टान और दाहिनी ओर बर्फ़ थी।
(घ) उन लोगों के खुश होने का कारण था-एवरेस्ट शिखर के पास आ जाना।
(ङ) यात्रा का संघर्ष इसलिए कठिन होता जा रहा था क्योंकि अधिक ऊँचाई के कारण साँस लेना कठिन होता जा रहा था।
4. हम चोटी तक पहुँच रहे थे। परस्पर बाँहें डालकर हम दो-एक मीटर और ऊपर चढ़कर शिखर के बिलकुल अंतिम भाग तक पहुँच गए। अब हमें और चढ़ना नहीं था। ऑक्सीजन के मुखपटों और बर्फ़ के टुकड़ों से चेहरे बिलकुल ढके होने पर भी हम एक-दूसरे से अपनी प्रसन्नता छिपा नहीं सके। हमने एक-दूसरे की पीठ ज्ञोर-ज़ोर से ठोंकी। पिछले दल द्वारा गाड़ा हुआ तिरंगा झंडा हालाँक फट गया था, लेकिन गर्व से अभी तक लहरा रहा था।
प्रश्न –
(क) यहाँ किस चोटी का उल्लेख हुआ है?
(ख) यहाँ तक कौन-कौन पहुँचे थे?
(ग) वे लोग एक-दूसरे को भली-प्रकार क्यों नहीं देख सकते थे?
(घ) उन्होंने एक-दूपरे को शाबाशी कैसे दी?
(ङ) पिछली बार गए दल का कौन-सा भारतीय प्रमाण वहाँ उपलब्ध था?
उत्तर:
(क) यहाँ संसार की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट का उल्लेख हुआ है।
(ख) मेजर अहलूवालिया, रावत और फ़ू दोरजी हाथों में हाथ डाले शिखर के अंतिम भाग तक पहुँचे थे।
(ग) चेहरे पर ऑक्सीजन का मुखपट और बर्फ़ के ढेरों टुकड़े होने के कारण वे एक-दूसरे को भली-प्रकार नहीं देख सकते थे।
(घ) उन्होंने एक-दूसरे की पीठ ठोंककर शाबाशी दी।
(ङ) पिछली बार गए दल द्वारा गाड़ा गया भारतीय ध्वज प्रमाण स्वरूप वहाँ लहरा रहा था।
एवरेस्ट की चुनौती Summary in Hindi
पाठ-परिचय
‘एवरेस्ट की चुनौती’ नामक पाठ में संसार के सबसे ऊँचे पर्वत-शिखर पर ध्वज फहराने में मेजर हरिपालसिंह और उनके साथियों को क्या-क्या कठिनाइयाँ उठानी पड़ीं और एवरेस्ट के शिखर पर पहुँचकर उन्हें जो सुखद अनुभूति हुई, उसका वर्णन किया गया है। यह पाठ हमें ऐसे साहसिक कार्य करने की प्रेरणा देता है।
पाठ का सार
एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊँचा शिखर है जो समुद्र तल से 8,848 मीटर ऊँचा है। इसे चौमोलुंगमा तथा सगरमाथा नामों से भी जाना जाता है। एवरेस्ट पर सर्वप्रथम 1921 में ब्रिटिश पर्वतारोहियों ने चढ़ने का प्रयास किया। इस दल को दक्षिण तिब्बत में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। यह दल लगभग तीन महीने की यात्रा के बाद वापस लौट गया। इसके अगले वर्ष ब्रिटिश दल ने चढ़ाई शुरू की किंतु 8,321 मी॰ ऊपर जाने के बाद उसे वापस आना पड़ा। 1953 में शेरपा तेनसिंह और न्यूज़ीलैंड के एडमंड हिलेरी ने शिखर छूने में सफलता पा ली।
एवरेस्ट विजय अभियान पर 26 मई, 1965 को सवेरे बहुगुणा, रावत और वी०पी० सिंह के साथ मेजर अहलूवालिया ने आधार-शिविर से प्रस्थान किया। ये लोग 4 बजे कैंप पर पहुँचे। रात लगभग जागकर बितानी पड़ी क्योंकि जगह की कमी के कारण तंबू गिरने का भय था। अगले दिन ऑक्सीजन लगाए हम दस बजे फिर चल पड़े। चलते-चलते जब तंबू दूर से नज़र आए तो सभी ने राहत की साँस ली। यहाँ स्विस, ब्रिटिश और अमरीकी अभियानों के भी तंबू थे। इन पर कूड़ा जम चुका था। ऑक्सीजन खत्म देख मेजर ने रात में उपयोग के लिए सिलेंडर निकाला।
यहीं वी॰पी॰ सिंह की जगह फ़ू दोरजी शामिल हुए क्योंकि श्री सिंह बीमार हो गए थे। दूसरे दिन साढ़े सात बजे इन्हें आख्विरी शिविर के लिए निकलना था। मेजर के साथ रस्सी में फ़ू दोरजी बँधे थे। इनके पीछे रावत, बहुगुणा और सात शेरपा थे। 8.512 मीटर ऊँचाई पर अंतिम पड़ाव था। इसके आगे साढ़े चार सौ मीटर लंबी पहाड़ी पार करना था, जो सँकरी और तीखी थी। इसके दोनों ओर गहरे ढाल थे। मुख्य पहाड़ी के बाद हमारे सामने स्लेट की चट्टानों की एक विशाल दीवार थी, जिसे पार करना था। इससे फिसलते ही कोई व्यक्ति 5,000 मीटर नीचे तिब्बत में गिर सकता था।
काली चट्टानों की चढ़ाई खत्म होते ही येलो बैंड क्षेत्र में प्रवेश करना था। इन पर चढ़ना कुछ आसान था। इसके बाद दक्षिणी शिखर के तल से बिलकुल सीधी चढ़ाई करनी थी। ऑक्सीजन ले जाने वाली नली में छेद हो जाने से मेजर को परेशानी होने लगी। बर्फ़ काटकर एक स्थान पर बैठकर उसपर टेप चिपकाया गया। इसी बीच रावत के बीमार होने से आगे की चढ़ाई उन्हें एक रस्से में तीन लोगों के साथ करनी पड़ी। इससे रफ़्तार कम हो गई। यहाँ से सतर्कतापूर्वक चलकर वे एक सँकरी गली ‘इंडियाज़ डेन’ में पहुँचकर बड़े खुश हुए।
आगे मार्ग की सबसे बड़ी बाधा के रूप में ‘हिलेरी की चिमनी’ थी। रास्ता अत्यंत सँकरा था। ये लोग चट्टानी हिस्से पर चलकर हिलेरी की चिमनी के ठीक नीचे पहुँच गए। यह चट्टान और बर्फ़ के ढेर के बीच तेरह मीटर ऊँची खड़ी है। यहाँ हाथ या पैर जमाने की कोई जगह नहीं है। बर्फ़ के ढेर के कारण इसे दक्षिण से पार करना काफी कठिन एवं खतरनाक था। फ़ू दोरजी इस पर सबसे पहले चढ़ने में सफल हुआ, फिर रावत और मेजर भी ऊपर पहुँच गए।
यहाँ बर्फ़ के चबूतरे पर कुछ देर आराम करने का समय मिला। आगे की चढ़ाई में साँस लेना भी कठिन हो रहा था। मन और शरीर जवाब दे रहा था। शिखर यहाँ से 15 मीटर दूर ही रहा होगा, पर इसका अंत नहीं लग रहा था। चलते-चलते अंत सामने आ गया। आगे हमसे थोड़ा ही ऊपर सफ़ेद घुमावदार मेहराब-सा एवरेस्ट का शिखर था। यह खुशी का समय था जो हमारे चेहरों से झलक रही थी। पिछले दल द्वारा गाड़ा तिरंगा अब भी लहरा रहा था। अन्य दलों की निशानियाँ भी वहाँ थीं।