Regular practice using DAV Class 7 Hindi Solutions and DAV Class 7 Hindi Chapter 20 Question Answer – कर्मवीर are essential for improving writing and analytical skills.
DAV Class 7 Hindi Chapter 20 Question Answer – कर्मवीर
DAV Class 7 Hindi Ch 20 Question Answer – कर्मवीर
कविता में से
प्रश्न 1.
कठिनाई आने पर वीर और कायर व्यक्ति कैसा व्यवहार करते हैं?
उत्तर:
कठिनाई आने पर वीर उनका साहसपूर्वक मुकाबला करते हैं और उस पर विजय पाते हैं जबकि कायर कठिनाई को देखते ही घबरा जाते हैं और परेशान हो जाते हैं। इससे वे असफल हो जाते हैं।
प्रश्न 2.
वीर व्यक्ति की किन्हीं चार विशेषताओं के बारे में बताइए ।
उत्तर:
वीर व्यक्ति साहसी, निर्भय, स्वाभिमानी, परोपकारी, सहृदय तथा कर्तव्यपरायण होते हैं।
प्रश्न 3.
पर्वत के पाँव कब उखड़ जाते हैं?
उत्तर:
कर्मवीर जब भी ताल ठोंककर अर्थात दृढ़ निश्चय के साथ अपने कदम आगे बढ़ाते है तो पर्वत के पाँव उखड़ जाते हैं।
प्रश्न 4.
किन-किन उदाहरणों के द्वारा कवि ने मनुष्य के अंदर छिपे गुणों के बारे में बताया है?
उत्तर:
‘मेहँदी के अंदर लाली, दीपक की बाती के बीच रोशनी के माध्यम से कवि ने मुनष्य के अंदर छिपे गुणों के बारे में बताया है।
प्रश्न 5.
कविता के आधार पर नीचे कुछ कथन दिए गए हैं। सही कथनों के आगे सही (✓) का और गलत कथनों के आगे गलत (✗) का चिह्न लगाइए। गलत कथन को सही करके दोबारा कॉपी में लिखिए –
(क) विपत्ति से सभी घबराते हैं।
(ख) वीर सभी बाधाओं का हँसकर सामना करते हैं।
(ग) संकट के समय भी हमें काम करते रहना चाहिए।
(घ) कोशिश करने पर बड़ी से बड़ी मुसीबत समाप्त हो जाती है।
(ङ) वीर स्वयं में विपत्ति होते हैं।
उत्तर:
(क) विपत्ति से सभी घबराते हैं। (✗)
(ख) वीर सभी बाधाओं का हँसकर सामना करते हैं। (✓)
(ग) संकट के समय भी हमें काम करते रहना चाहिए। (✓)
(घ) कोशिश करने पर बड़ी से बड़ी मुसीबत समाप्त हो जाती है। (✓)
(ङ) वीर स्वयं में विपत्ति होते हैं। (✗)
कविता के आधार पर ऊपर दिए गए कथनों में से ‘क’ और ‘ङ’ कथन गलत हैं। इनका सही रूप इस प्रकार होगा-
(क) विपत्ति से कायर घबराते हैं।
(ङ) वीर स्वयं ही आगे आकर विपत्ति को जड़ से समाप्त करते हैं।
प्रश्न 6.
उचित विकल्प पर सही (✓) का चिह्न लगाइए –
उत्तर:
(क) ‘काँटों में राह बनाते हैं’ का अर्थ है –
काँटों को हटाकर रास्ता बनाना।
काँटों को दूर फेंक देना।
कठिनाइयों में भी अपने लक्ष्य की तरफ़ बढ़ते रहना।
काँटों का रास्ता बनाना।
उत्तर:
कठिनाइयों में भी अपने लक्ष्य की तरफ़ बढ़ते रहना।
(ख) ‘मानव जब ज़ोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है’ का अर्थ है-
ज़ोर लगाने पर पत्थर पानी की तरह हो जाता है।
ज़ोर लगाने पर पत्थर पानी में चला जाता है।
कोशिश करने पर पत्थर में से पानी निकलने लगता है।
कोशिश करने पर बड़ी से बड़ी मुश्किलें आसान हो जाती हैं।
उत्तर:
कोशिश करने पर बड़ी से बड़ी मुश्किलें आसान हो जाती हैं।
(ग) ‘गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर’ का अर्थ है –
मनुष्यों में बहुत तीखे गुण हैं।
मनुष्यों में एक भी गुण नहीं है।
मनुष्य उच्च कोटि के गुणों का स्वामी है।
बड़े गुण तीखे होते हैं।
उत्तर:
मनुष्य उच्च कोटि के गुणों का स्वामी है।
(घ) बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है का अर्थ है-
जो बत्ती नहीं जलाता है उसे रोशनी नहीं मिलती।
जो बत्ती जला देता है और बुझा देता है।
जो प्रयास करता है वही सफलता प्राप्त करता है।
जो बत्ती जलाता है वही रोशनी प्राप्त करता है।
उत्तर:
जो प्रयास करता है वही सफलता प्राप्त करता है।
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
कठिनाई की स्थिति में मनुष्य को क्या करना चाहिए?
उत्तर:
कठिनाई की स्थिति में मनुष्य को धैर्य बनाए रखना चाहिए तथा बिना घबराए कठिनाई का मुकाबला साहसपूर्वक करना चाहिए ।
प्रश्न 2.
पत्थर पानी कब बन जाता है?
उत्तर:
जब वीर पुरुष अपनी शक्ति का प्रयोग करते हैं तो पत्थर भी पानी बन जाता है।
प्रश्न 3.
मनुष्य के अंदर कौन-कौन से गुण छिपे रहते हैं?
उत्तर:
मनुष्य के अंदर सहृदयता, साहस, स्वाभिमान, परोपकार, देश-भक्ति, त्याग, सहयोग, भाई-चारे की भावना, निडरता, कर्तव्यपरायणता आदि गुण छिपे रहते हैं।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
यदि विश्व में एक भी व्यक्ति कर्मवीर और साहसी नहीं होता तो विश्व की शक्ल कैसी होती ?
उत्तर:
यदि विश्व में एक भी व्यक्ति कर्मवीर और साहसी नहीं होता तो विश्व की जो तस्वीर ( शक्ल ) आज हमारे सामने है, वह कभी न होती। विश्व को ऐसा रूप मनुष्य ने अपनी मेहनत और साहस से प्रदान किया है। मनुष्य के कर्मवीर और साहसी होने का परिणाम ही है कि आज हम दूसरे ग्रहों से जानकारी एकत्रित कर रहे हैं। समुद्र के अंदर खोज कर रहे हैं, पहाड़ों पर रास्ते बना दिए हैं। विश्व ने जितनी प्रगति की है, वह मनुष्य के कर्मवीर और साहसी होने का प्रमाण है।
प्रश्न 2.
कविता के मूलभाव को ध्यान में रखते हुए बताइए कि इसका शीर्षक ‘कर्मवीर’ क्यों रखा गया होगा?
उत्तर:
इस कविता का शीर्षक ‘कर्मवीर’ इसलिए रखा गया होगा, क्योंकि कवि की कविता ऐसे कर्मवीर व्यक्तियों का गुणगान करती है, जो मुसीबतों से घबराते नहीं हैं, वे उनका सहासपूर्वक सामना करते हैं। वे अपने परिश्रम और मजबूत संकल्पों के द्वारा विषम परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल कर लेते हैं। उनका रास्ता पहाड़ भी नहीं रोक पाता। कर्मवीर व्यक्तियों के अंदर ही सफलता दिलाने वाली शक्तियाँ मौजूद रहती हैं।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
ध्यानपूर्वक पढ़िए –
सच है विपत्ति जब आती है
कायर को ही दहलाती है
इन पंक्तियों के अंत में ‘आती है’, ‘दहलाती है’, जैसे तुक मिलाने वाले शब्दों का प्रयोग किया गया है।
इसे ‘ तुकबंदी’ कहते हैं। कविता में से तुकबंदी के अन्य शब्दों को छाँटकर लिखिए-
………………………………………………….
………………………………………………….
उत्तर:
होते – खोते लगाते हैं – बनाते हैं, सहते हैं-रहते हैं, नसाते हैं – छाते है, जग में- – मग में, नर- उखड़, प्रखर – भीतर, लाली हो – उजियाली हो, जलाता है-पाता है आदि।
प्रश्न 2.
दिए गए उदाहरण की तरह कविता की पंक्तियों को हिंदी वाक्य रचना के अनुसार लिखिए –
उदाहरण –
सूरमा नहीं विचलित होते
सूरमा विचलित नहीं होते।
(क) मानव जब ज़ोर लगाता है।
……………………………………………
(ख) है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में?
…………………………………………….
(ग) खम ठोंक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़।
……………………………………………
उत्तर:
(क) मानव जब ज़ोर लगाता है।
जब मानव ज़ोर लगाता है।
(ख) है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
ऐसा जग में कौन विघ्न है, आदमी के मग में टिक सके?
या
आदमी के मग में टिक सके, ऐसा जग में कौन विघ्न है ?
(ग) खम ठोंक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़।
जब नर खम ठोंक ठेलता है, पर्वत के पाँव उखड़ जाते।
या
पर्वत के पाँव उखड़ जाते, जब नर खम ठोंक ठेलता है।
जीवन मूल्य
प्रश्न 1.
‘संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं’ – आपके जीवन में कभी कोई समस्या या संकट आया होगा। उसके बारे में बताते हुए समझाइए कि आपने उसका सामना कैसे किया ?
उत्तर:
मैं छठी कक्षा की वार्षिक परीक्षा में बैठा प्रश्न पत्र हल कर रहा था। आधा समय बीत गया था कि अचानक प्रधानाचार्य कक्षा में आए और मुझे खड़ा कर दिया। मेरी बेंच के नीचे पड़े कागज़ को उठाने के लिए कहा और कागज़ की लिखावट मेरी लिखावट से मिलती-जुलती थी। उन्होंने मुझे अपने कक्ष में बुलाया।
मैं मना करता रहा कि कागज़ मैं नहीं लाया था, पर वे मानने को तैयार नहीं थे। तभी उन्होंने मुझे प्रश्नों के उत्तर सुनाने को कहा जो मैंने उत्तर-पुस्तिका पर लिखा था। मैंने सारे उत्तर सही-सही सुना दिए। इस संकट की घड़ी में मैंने साहस से काम लिया। यदि मैं घबरा जाता तो सारा दोष मेरे ऊपर लग जाता।
प्रश्न 2.
मनुष्य के अंदर अनेक गुण छिपे होते हैं – आप अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए किस प्रकार इन गुणों का उपयोग करेंगे?
उत्तर:
हम अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए निम्न प्रकार से इन गुणों का उपयोग करेंगे –
- पर्यावरण के प्रति हम लोगों में जागरूकता फैलाएँगे।
- प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का कम से कम प्रयोग करेंगे।
- असहायों और गरीबों की मदद करेंगे।
- समाज में आपसी सहयोग, एकता, भाई-चारे की भावना को बढ़ावा देंगे।
- शिक्षा के महत्व के बारे में लोगों को बताएँगे।
- समाज में फैली कुरीतियों का विरोध करेंगे।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1.
वीरता का संदेश देने वाली अन्य कविताओं का संकलन कीजिए और कक्षा में कविता-पाठ का आयोजन कीजिए ।
उत्तर:
विद्यार्थी छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2.
स्वतंत्रता आंदोलन और कारगिल युद्ध में शहीद हुए दस-दस व्यक्तियों की सूची बनाइए । कक्षा में इनके वीरतापूर्ण कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद दस व्यक्ति –
- तात्याँ टोपे
- मंगल पांडे
- भगत सिंह
- राम प्रसाद बिस्मिल
- लाला लाजपतराय
- चंद्रशेखर आज़ाद
- रानी लक्ष्मीबाई
- झलकारी बाई
- बटुकेश्वर दत्त
- वीर कुँवर सिंह
कारगिल युद्ध में शहीद दस व्यक्तियों की सूची और इन सभी शहीदों के वीरतापूर्ण कार्यों का वर्णन विद्यार्थी स्वयं करें।
DAV Class 7 Hindi Ch 20 Solutions – कर्मवीर
I. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(क) वीरों की पहचान कब होती है?
उत्तर:
वीरों की पहचान संकट के समय होती है।
(ख) संकट के सामने कौन हार नहीं मानते हैं?
उत्तर:
संकट के समय वीर हार नहीं मानते हैं।
II. मूल्यपरक प्रश्न
‘कर्मवीर’ कविता से आपको क्या प्रेरणा लेनी चाहिए?
उत्तर:
‘कर्मवीर’ कविता से कठिनाइयों से न डरने, उनसे न घबराने, विपत्ति के समय साहस बनाए रखने, साहसपूर्वक उनका सामना करने की प्रेरणा लेनी चाहिए । साहसपूर्वक सामना करने से ही कठिनाई पर विजय पाई जा सकती है। सफलता पाने के लिए पूरे तन-मन से प्रयास करने की प्रेरणा इस कविता से लेनी चाहिए।
क्रियाकलाप
अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की कविता ‘कर्मवीर’ पढ़ें तथा उससे मिलने वाली प्रेरणा की तुलना इस कविता से मिलने वाली प्रेरणा से करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. सच है, विपत्ति जब आती है.
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खांते।
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।
मुँह से न कभी उफ़ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता है सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं।
शूलों का मूल नसाते हैं,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं।
शब्दार्थ –
विपत्ति – संकट, मुसीबत।
दहलाती है – डराती है।
सूरमा – वीर।
विचलित होना – घबरा जाना।
विघ्न – बाधाएँ, रुकावटें।
गहते हैं – पकड़ते हैं।
उद्योग-निरत – काम में लगे रहना।
मूल – जड़।
नसाना – नष्ट करना।
प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश ‘ज्ञान – सागर’ पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘कर्मवीर’ कविता से लिया गया है। इसके रचयिता ‘रामधारी सिंह दिनकर’ हैं। इसमें कर्मवीर के गुणों का वर्णन किया गया है।
व्याख्या – कर्मवीरों का गुणगान करते हुए कवि कहता है कि यह पूरी तरह सत्य है कि जब भी मुसीबत आती है तो वह कायरों को ही डराती है। वीर पुरुष उससे तनिक भी विचलित नहीं होते हैं और अपना धैर्य बनाए रखते हैं। कर्मवीर विघ्न-बाधाओं की परवाह नहीं करते हैं और प्रतिकूल परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना लेते हैं।
वीर पुरुष मुसीबत में भी कभी उफ़ नहीं कहते हैं। वे संकट के सामने झुकते नहीं हैं। उनके सामने सुख – दुख जो भी आता है उसे सहते हैं और अपने कर्म में लगे रहते हैं। वे कठिनाइयों का सामना करने के साथ ही उसे जड़ समेत नष्ट करते हैं। वे खुद ही आगे बढ़कर मुसीबतों को पीछे ढकेल देते हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
विपत्ति किसको डराती है?
(क) कायर को
(ख) कर्मवीर के
(ग) युद्धवीर को
(घ) शूरवीर को
उत्तर:
(क) कायर को
प्रश्न 2.
सूरमा की विशेषता इनमें से कौन-सी नहीं है?
(क) विचलित नहीं होते
(ख) विघ्नों को गले नहीं लगाते
(ग) धीरज नहीं खोते
(घ) काँटों में राह बनाते हैं
उत्तर:
(ख) विघ्नों को गले नहीं लगाते
प्रश्न 3.
‘संकट का चरण न गहने’ का तात्पर्य है-
(क) संकट के पास न जाना
(ख) संकट को पास न आने देना
(ग) संकट के सामने नहीं झुकते
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) संकट के सामने नहीं झुकते
प्रश्न 4.
‘उद्योग-निरत’ रहने का आशय है?
(क) उद्योग लगाना
(ख) काम में लगे रहना
(ग) उद्योग खोजना
(घ) उद्योग को छोड़ देना
उत्तर:
(ख) काम में लगे रहना
प्रश्न 5.
उपर्युक्त काव्यांश के रचयिता इनमें से कौन हैं?
(क) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
(ख) रहीम
(ग) अयोध्या सिंह उपाध्याय
(घ) वृंद
उत्तर:
(क) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
2. है कौन विध्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
खम ठोंक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़।
मानव जब ज़ोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।
गुण बड़े एक से एक प्रखर,
है छिपे मानवों के भीतर,
मेंहदी में जैसे लाली हो,
वर्तिका-बीच उजियाली हो।
बत्ती जो नहीं जलाता है,
रोशनी नहीं वह पाता है।
शब्दार्थ
खम – साहस, हिम्मत।
प्रखर – तीक्ष्ण, तेज़।
वर्तिका – सलाई (दीया सलाई), बत्ती।
प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश ‘ज्ञान-सागर’ पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘कर्मवीर’ कविता से लिया गया है। इसके रचयिता ‘रामधारी सिंह दिनकर’ हैं। इसमें कर्मवीर के गुणों का वर्णन किया गया है।
व्याख्या – कवि कहता है कि संसार में ऐसी कौन-सी बाधा है जो कर्मवीरों की राह रोक सके। अर्थात् कोई भी मुसीबत उनकी राह नहीं रोक सकती है। कर्मवीर जब भी ताल ठोंककर अर्थात् दृढ़ निश्चय कर कदम बढ़ाते हैं तो पर्वत भी उखड़ जाते हैं अर्थात् बड़ी-से-बड़ी बाधाएँ भी उनको राह देती हैं। ऐसे वीर जब अपनी शक्ति का प्रयोग करते हैं तो पत्थर भी पानी बन जाता है अर्थात् बाधाएँ चूर-चूर हो जाती हैं।
कवि कहता है कि मनुष्य के भीतर एक से बढ़कर एक गुण छिपा है। ये गुण साधारणतया दिखते नहीं हैं। ये गुण व्यक्ति में उसी प्रकार छिपे हैं जैसे मेहँदी के अंदर लाली और दीपक की बाती के बीच रोशनी हो। जो व्यक्ति दियासलाई से दीप की बत्ती नहीं जलाएगा उसे रोशनी कैसे मिल सकती है। अर्थात् छिपी शक्तियों के प्रयोग के बिना सफलता नहीं मिलने वाली।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पर्वत के पाँव कब उखड़ जाते हैं?
(क) जब तूफ़ान आता है
(ख) जब भूकंप आता है
(ग) जब वीर साहसपूर्ण कदम उठाते हैं
(घ) जब वीर पुरुष पर्वत से निवेदन करते हैं
उत्तर:
(ग) जब वीर साहसपूर्ण कदम उठाते हैं
प्रश्न 2.
पत्थर के पानी बनने का आशय है-
(क) पत्थर से पानी निकलना
(ख) मुश्किलें आसान हो जाना
(ग) बर्फ़ पिघलना
(घ) मुशिकलें पत्थर जैसी बन जाना
उत्तर:
(ख) मुश्किलें आसान हो जाना
प्रश्न 3.
रोशनी किसे नहीं मिलती है?
(क) अँधेरे में रहने वाले को
(ख) दीप न जलाने वाले को
(ग) दीप में तेल न डालने वाले को
(घ) दीप न रहने वाले को
उत्तर:
(ख) दीप न जलाने वाले को
प्रश्न 4.
मनुष्य के भीतर उच्चकोटि के गुण हैं। यह भाव किस विकल्प में है?
(क) मेहँदी में जैसे लाली
(ख) गुण बड़े एक से एक प्रखर छिपे हैं मानव के भीतर
(ग) रोशनी नहीं वह पाता है
(घ) मेहँदी में जैसे लाली हो वर्तिका बीच उजियाली हो
उत्तर:
(ख) गुण बड़े एक से एक प्रखर छिपे हैं मानव के भीतर
प्रश्न 5.
उजियाली कहाँ छिपी होती है?
(क) चाँद में
(ख) सूरज में
(ग) बत्ती में
(घ) मेहँदी में
उत्तर:
(ग) बत्ती में
कर्मवीर Summary in Hindi
कविता – परिचय
‘कर्मवीर’ कविता में कवि ने कर्मवीर पुरुषों के गुणों का वर्णन किया है। वे विपत्तियों से घबराते नहीं हैं, उनका साहसपूर्वक सामना करते हैं। वे काँटों की परवाह नहीं करते हैं। वे अपने परिश्रम से कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ जाते हैं।
कविता का सार
‘कर्मवीर’ कविता कर्मवीर व्यक्तियों का गुणगान करती है। कवि ने कहा है कि मुसीबत केवल कायर को ही डराती है। वीर पुरुष मुसीबतों को अपनाकर, उन्हें जीतते हुए आगे बढ़ते हैं। वे संकट के सामने कभी नहीं झुकते हैं। वे मुसीबतों को जड़ समेत उखाड़ फेंकते हैं। पहाड़ भी कर्मवीरों का रास्ता नहीं रोक पाता है। वे हर कठिनाई को आसान बना लेते हैं। उनके अंदर सफलता दिलाने वाली शक्तियाँ मौजूद रहती हैं।