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DAV Class 6 Hindi Chapter 20 Question Answer – आया वसंत
DAV Class 6 Hindi Ch 20 Question Answer – आया वसंत
पाठ में से
प्रश्न 1.
वसंत आने पर जग में क्या-क्या परिवर्तन दिखाई देता है?
उत्तर:
वसंत आने पर जग में अनेक परिवर्तन दिखाई देते हैं। धरती खुशी एवं रोमांच से भर गई है। खेतों में सरसों के फूल आ गए हैं। आम की डालियाँ सुर्गंधित बौर (फूल) से लद गई हैं। बेलों पर नए फूल-पत्ते आ गए हैं। चारों तरफ सुर्गंधित हवा बह रही है। घर-आँगन में चारों तरफ हरियाली छाई हुई है। भौरे और कोयल अपनी-अपनी तान छेड़ रहे हैं। सभी जीव सुख का अनुभव कर रहे हैं।
प्रश्न 2.
घर-आँगन सुंदर क्यों लग रहा है?
उत्तर:
घर-आँगन सुंदर लग रहे हैं क्योंकि वसंत आने पर चारों तरफ हरियाली छाई हुई है। बेलें व पेड़-पौधे नए-नए पत्तों से लद् गए हैं। चारों तरफ मनोरम वातावरण है।
प्रश्न 3.
वसंत आने पर भँवरे और कोयल क्या करते हैं?
उत्तर:
वसंत आने पर भँवरे गुंजार करते हुए नए-नए फूलों पर मँडरा रहे हैं। कोयल बागों में कूक रही है। उसकी आवाज़ वातावरण में मिठास घोल रही है।
प्रश्न 4.
वसंत आने पर सभी जीव कैसा अनुभव कर रहे हैं?
उत्तर:
वसंत आने पर सभी जीव सुख और खुशी का अनुभव कर रहे हैं।
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
वसंत को ऋतुओं का राजा ( ॠतुराज) क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
भारत अनेक ऋतुओं का देश है। यहाँ समय-समय पर छह ऋतुओं का आगमन होता है। इनमें वसंत ऋतु सबकी प्रिय और सर्वश्रेष्ठ ऋतु है। जिसके आगमन पर सभी प्राणी प्रकृति सहित हर्ष और उल्लास से झूम उठते हैं। इस ऋतु में गर्मी. सर्दीं, वर्षा की अधिकता नहीं होती। चारों तरफ हरियाली छा जाती है। रंग-बिरंगे फूल खिले रहते हैं, जिन पर भँवरे और रंगीन तितलियाँ उड़ती हुई बहुत सुंदर लगती हैं। इसलिए वसंत को ऋतुराज कहा जाता है।
प्रश्न 2.
वसंत के बाद कौन-सी ऋतु आती है?
उत्तर:
वसंत के बाद ग्रीष्म ऋतु आती है।
प्रश्न 3.
कविता में कवि किस सुख का अंत न होने की बात कर रहा है?
उत्तर:
‘कविता में कवि चारों तरफ फैली हरियाली, रंग-विरंगे फूल, सुर्गाधित हवा और कोयल की कूक से मिलने वाले सुख का अंत न होने की बात कर रहा है।
प्रश्न 4.
आपको कौन-सी ऋतु पसंद है और क्यों?
उत्तर:
मुझे भी वसंत ऋतु सबसे प्रिय लगती है, क्योंकि यह ऋतु अत्यंत सुहावनी होती है। इसमें न ज्यादा सरदी होती है, न ज्यादा गरमी। इस ऋतु में सभी जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों में नव-जीवन का संचार होता है। वृक्ष व लताएँ नए-नए पत्तों और फूलों से लद जाते हैं। कोयल की मीठी कूक सुनाई देती है। खेतो में नई फसलें पकने लगती हैं। आकाश में पक्षी किलकारियाँ भरते इसका अभिनंदन करते दिखाई देते हैं।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
कविता में वसंत ऋतु का वर्णन किया गया है और प्रकृति में उसके प्रभाव को दर्शाया गया है। आप ग्रीष्म ऋतु का वर्णन करते हुए बताइए कि इस ऋतु में प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन आता है?
उत्तर:
प्रचंड तमप देने वाली ग्रीष्म ऋतु वैशाख, ज्येष्ठ मास में आती है। इस ऋतु में सूर्य की गति उत्तरायण की ओर होती है जो गरम लू देता है, जिससे असहनीय गरमी पड़ती है। ग्रीष्म ऋतु में दिन लम्बे व राते छोटी होती हैं। पृथ्वी गरमी से तपी रहती है। नदियों, सरोवरों, जोहड़ों, झीलों आदि का जल स्तर कम हो जाता है।
शरीर अलसाया और काम न करने वाला हो जाता है। ग्रीष्म ऋतु से बचाव करने के लिए लोग ठंडी लस्सी, दही, आइसक्रीम और तरह-तरह के शीतल पेय पीते हैं। जहाँ एक तरफ यह ऋतु कष्टदायी है, वहीं दूसरी तरफ उपयोगी भी है। गरमी में फसलें पकती हैं। खीरे, ककड़ी, तरबूज, आम में मिठास आती है। ग्रीष्म ऋतु ही वर्षा ऋतु के आगमन की तैयारी करती है।
प्रश्न 2.
भौरा गीत गाकर अपनी खुशी प्रकट करता है तो कोयल तान छेड़कर। बताइए अलग-अलग जीव अपनी खुशी किस प्रकार प्रकट करते होंगे?
उत्तर:
जिस प्रकार भौरा गीत गाकर खुशी प्रकट करता है तो कोयल तान छेड़कर उसी प्रकार अलग-अलग जीवों के खुशी
प्रकट करने के अलग ढंग हैं-
मोर – नाचकर।
कुत्ता – पूछ हिलाकर
मेढ़क – टराकर
चिड़िया – कलख करते हुए
भाषा की बात
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
उत्तर:
(क) जग – सारा जग स्वार्थवश प्रभू को भूला हुआ है।
(ख) शोभा – इस उद्यान की शोभा निराली है।
(ग) सुगंध – फूल घर के अंदर-बाहर अपनी सुगंध फैलाते हैं।
(घ) हरियाली – चारों तरफ हरियाली फैली हुई थी।
प्रश्न 2.
शब्द कोश क्रम के अनुसार (क्रमसंख्या 1-10 तक) लिखिए –
उत्तर:
जीवन मूल्य
पतझड़ आने पर पेड़ों के सारे पत्ते झड़ जाते हैं। वसंत आने पर पेड़ों पर फिर से नए पत्ते आते हैं।
प्रश्न 1.
पतझड़ और वसंत जीवन की किस सच्याई की ओर संकेत करते हैं?
उत्तर:
पतझड़ और बसंत जीवन की क्रमशः दुख और सुख की सच्चाई की ओर संकेत करते हैं।
(पतझड़-दुख का प्रतीक है। वसंत-सुख का प्रतीक है)
प्रश्न 2.
ॠतुओं के चक्र को बनाए रखने के लिए हमें क्या करना होगा?
उत्तर:
ऋतुओं के चक्र को बनाए रखने के लिए हमें प्राकृतिक संसाधनों के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। हमें वातावरण का संतुलन बनाए रखना जरूरी है। अनेक प्राकृतिक आपदाओं में से कई आपदाएँ मानव की अपनी देन है। जब मनुष्य प्रकृति के साथ ज़्यादा छेड़खानी करता है तो वह अपना बदला बाढ़, ओला, तूफान, आँधी, सूखा आदि आपदाओं के माध्यम से लेती है।
मनुष्य ऋतु चक्र (पर्यावरण) के संतुलन को बनाए रखने के लिए चिंतित है. किंतु विकास को छोड़कर नहीं। कई बार अचानक बदलते मौसम ने बता दिया कि पर्यावरण की बर्बादी की कीमत पर मनुष्य द्वारा सुख-सुविधाएँ जुटाना बिलकुल गलत है। मनुष्य को अपने स्वार्थ को काबू करके प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए समुचित कदम उठाने चाहिए ताकि ऋतु चक्र में परिवर्तन न हो।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1.
नीचे उस ऋतु का नाम लिखिए जिसमें
उत्तर:
सबसे कम तापमान होता है। – शीत ऋतु
सबसे अधिक तापमान होता है। – ग्रीष्म ऋतु
प्रश्न 2.
वसंत ऋतु में आने वाले किन्हीं दो त्योहारों के नाम लिखिए
उत्तर:
(क) होली
(ख) वसंत पंचमी
प्रश्न 3.
‘वसंत’ पर कोई अन्य कविता ढूँढिए और उसे कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
स्वयं करें।
DAV Class 6 Hindi Ch 20 Solutions – आया वसंत
I. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वसंत के आने पर खेतों में किसकी खेती फूल उठी है?
उत्तर:
वसंत के आने पर खेतों में सरसों की खेती फूल उठी है।
प्रश्न 2.
वसंत आने पर चारों ओर क्या छाई है?
उत्तर:
वसंत आने पर चारों ओर हरियाली छाई है।
प्रश्न 3.
वसंत में कैसी वायु बहने लगती है?
उत्तर;
वसंत में शीतल, मंद एवं सुगंधित वायु बहने लगती है।
प्रश्न 4.
वसंत में कौन नया गान गाते हैं?
उत्तर:
वसंत में भंवरे नया गान गाते हैं।
प्रश्न 5.
वसंत ऋतु में किस प्रकार का मौसम होता है?
उुत्तर:
वसंत ऋतु में न अधिक सरदी होती है और न ही गरमी बल्कि बहुत सुहावना मौसम होता है।
II. लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 6.
वसंत ऋतु में प्रकृति में क्या-क्या बदलाव आते हैं?
उत्तर;
वसंत ऋतु में प्रकृति खिल उठती है। खेतों में सरसों पर पीले-पीले फूल आ जाते हैं। शीतल, मंद व सुरंधित हवा बहने लगती है। आम के वृक्षों पर सुनहरे बौर आ जाते हैं। भाँर गीत गुनगुनाने लगते हैं। कोयल मधुर गीत गाने लगती है। लताएँ फूल-पत्तों से भर जाती हैं। वसंत के आगमन पर प्रकृति के कण-कण में सौंदर्य भर जाता है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. आया वसंत, आया वसंत
छाई जग में शोभा अनंत।
सरसों खेतों में उठी फूल।
बौरें आमों में उठी झूल।
बेलों में फूले नए फूल,
पल में पतझड़ का हुआ अंत,
आया वसंत, आया वसंत।
शब्दार्थ –
जग – संसार, विश्व।
वसंत-ऋतु विशेष।
शोभा – सुंदरता।
अनंत – कभी न समाप्त होने वाली।
बौरे – आम का फूल बेल-लता।
फूल – पुष्प, कुसुम।
पल – क्षणभर।
पतझड़ – ऋतु का नाम।
अंत – समाप्त, खत्म।
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘ज्ञान-सागर’ में संकलित कविता ‘आया वसंत’ से ली गई हैं। इसके रचयिता सोहनलाल द्विवेदी जी हैं। कवि ने वसंत ऋतु की अपार प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन किया है।
व्याख्या – कवि कहता है कि वसंत ऋतु आ गई है। सारे संसार में चारों तरफ सुंदरता ही सुंदरता दिखाई दे रही है, ऐसा लगता है यह सुंदरता कभी समाप्त नहीं होगी। खेतों में दूर तक उगी हुई सरसों पर पीले-पीले फूल लग रहे हैं। आम के पेड़ों की टहनियों पर बौर आ गई हैं। लताएँ, नए-नए फूल-पत्तों से भर गई हैं। इतनी शोभा को देखकर लगता है कि क्षणभर में ही पतझड़ का अंत हुआ होगा। कवि कहता है कि वसंत ऋतु आ गई है।
प्रश्न 1.
प्रस्तुत पद्यांश के रचयिता हैं-
(क) मोहनलाल द्विवेदी
(ख) सोहनलाल द्विवेदी
(ग) माखनलाल चतुवंदी
(घ) महावीर प्रसाद द्विवेदी
उत्तर:
(ख) सोहनलाल द्विवेदी
प्रश्न 2.
कवि के अनुसार कौन-सी ऋतु का आगमन हुआ है?
(क) ग्रीष्म
(ख) पतझड़
(ग) सरद
(घ) वसंत
उत्तर:
(घ) वसंत
प्रश्न 3.
वसंत के आगमन से संसार में कैसी शोभा छाई है?
(क) अनंत
(ख) अंत
(ग) सीमित
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(क) अनंत
प्रश्न 4.
वसंत के आने पर किस ऋतु का अंत पलभर में हुआ है?
(क) सरद
(ख) वर्षा
(ग) पतझड़
(घ) ग्रीष्म
उत्तर:
(ग) पतझड़
प्रश्न 5.
‘वसंत’ के पर्यायवाची हैं–
(क) उपवन, वाटिका
(ख) विमल, पवित्र
(ग) कर, मरीचि
(घ) ऋतुराज, कुसुमाकर
उत्तर:
(घ) ऋतुराज, कुसुमाकर
2. लेकर सुगंध बह रही पवन,
हरियाली छाई है बन-बन,
सुंदर लगता है घर आँगन,
है आज, मधुर सब दिग्-दिगंत,
आया वसंत, आया वसंत।
शब्दार्थ –
सुगंध – खुशबू, महक।
बन-बन – जंगल-जंगल।
सुंदर – बढ़िया।
मधुर – अच्छी।
प्रसंग –
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘ज्ञान-सागर’ में संकलित कविता ‘आया वसंत’ से ली गई है। इसके रचयिता सोहनलाल द्विवेदी जी हैं। कवि ने वसंत के आगमन पर विखरी प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन किया है।
व्याख्या – कवि कहता है कि वसंत के आगमन पर प्रकृति का कण-कण खिल उठा है। वसंत की हवा एक विशेष प्रकार की सुगंध के साथ बह रही है, जो सबको अच्छी लग रही है। वसंत के आने से खेतों में, जंगलों में दूर-दूर तक हरियाली फैल गई है। घर-आँगन में भी सुंदरता फैल गई है। वसंत के आने से सारी दिशाएँ महक उठी हैं अर्थात चारों तरफ पेड़-पौधों पर हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है। कवि कहता है कि वसंत ऋतु आ गई है।
प्रश्न 1.
प्रस्तुत पद्यांश की कविता का नाम है-
(क) आया वसंत
(ख) गया वसंत
(ग) वसंत ऋतु
(घ) ग्रीष्म ऋतु
उत्तर:
(क) आया वसंत
प्रश्न 2.
वसंत के आगमन पर कैसी हवा बह रही है?
(क) शुष्क
(ख) सुगंधित
(ग) तेज़
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) सुगंधित
प्रश्न 3.
वन-वन में क्या छाई हुई है?
(क) खुशहाली
(ख) निराली
(ग) हरियाली
(घ) मतवाली
उत्तर:
(ग) हरियाली
प्रश्न 4.
‘सुंदर’ शब्द का विलोम है।
(क) अनुचित
(ख) शांति
(ग) कल्पित
(घ) कुरूप
उत्तर:
(क) अनुचित
प्रश्न 5.
बसंत का घर-आँगन पर क्या प्रभाव पड़ा है?
(क) घर-आँगन सुंदर लगते हैं।
(ख) घर-आँगन में कूड़ा-करकट फैल गया है।
(ग) कल्पित
(घ) सभी सही है।
उत्तर:
(घ) सभी सही है।
3. भोरे गाते हैं नया गान,
कोकिला छेड़ती कुछू तान,
है सब जीवों का सुखी प्राण,
इस सुख का हो अब नहीं अंत,
आया वसंत, आया वसंता
शब्दार्थ –
गान – गीत।
कोकिला – कोयल, पिक।
कुहू – कूकना।
तान – आवाज।
प्राण – श्वास वायु।
अंत – समाप्त होना।
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘ज्ञान-सागर’ में संकलित कविता ‘आया वसंत’ से अवतरित है। इसके रचयिता सोहनलाल द्विवेदी जी हैं। कवि ने वसंत आने पर पक्षियों की क्रीड़ाओं का अति स्वाभाविक चित्रण किया है।
व्याख्या – कवि कहता है कि वसंत के आगमन पर चारों तरफ फूल खिले हैं। जिनपर भँवरे मंडराते हुए नए-नए गीत गाते हैं हरियाली से परिपूर्ण वातावरण में कोयल की मीठी कूक सुनाई देती है।
सभी जीव प्राकृतिक शोभा का पूरा सुख उठा रहे हैं तथा वे चाहते हैं कि इस सुख का कभी भी अंत न हो अर्थात् सभी जीवधारी प्राकृतिक शोभा से मिलने वाले सुख को छोड़ना नहीं चाहते, बल्कि इसका पूरा आनंद लेना चाहते हैं। कवि कहता है कि वसंत का आगमन हो चुका है, चारों तरफ वसंत आने से अद्भुत परिवर्तन हुआ है।
प्रश्न 1.
प्रस्तुत पद्यांश के रचयिता है-
(क) सोहनलाल चतुर्वेदी
(ख) महावीर प्रसाद द्विवेदी
(ग) मोहनलाल द्विवेदी
(घ) सोहनलाल द्विवेदी
उत्तर:
(घ) सोहनलाल द्विवेदी
प्रश्न 2.
वसंत आने पर भँवरे क्या करते है?
(क) फूलों का रस चूसते हैं
(ख) नए-नए गीत गाते हैं
(ग) इधर-उधर उड़ रहे हैं
(घ) सभी सो रहे हैं
उत्तर:
(ख) नए-नए गीत गाते हैं
प्रश्न 3.
वसंत के आगमन पर कौन-सा पक्षी कूक रहा है?
(क) भँवरा
(ख) तोता
(ग) कोयल
(घ) मोर
उत्तर:
(ग) कोयल
प्रश्न 4.
सभी प्राणी किस चीज़ का अंत नहीं चाहते?
(क) सुख
(ख) दुख
(ग) फसल
(घ) खाने
उत्तर:
(क) सुख
प्रश्न 5.
‘कोकिला’ के पर्यायवाची हैं-
(क) गजानन, लंबोदर
(ख) पिक, वसंतदूत
(ग) सरिता, तटिनी
(घ) विहग, नभचर
उत्तर:
(ख) पिक, वसंतदूत
आया वसंत Summary in Hindi
पाठ – परिचय
भारत भूमि विविधताओं से भरी हुई है। यूँ तो हर ऋतु का अपना एक अलग महत्व है पर इनमें से वसंत ऋतु का तो कहना ही क्या! कवि ने इस कविता के माध्यम से वसंत ऋतु में होने वाले प्राकृतिक और अन्य परिवर्तनों का सजीव चित्रण किया है।
कविता का सार
‘आया वसंत’ कविता में कवि वसंत ऋतु के आगमन पर चारों तरफ बिखरी प्राकृतिक शोभा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि वसंत आया हुआ है, जिससे संसार में चारों तरफ अनंत सुंदरता छाई हुई है। खेतों में दूर तक फैली सरसों पर पीले-पीले फूल आ गए हैं। आम के पेड़ों की शाखाएँ बौर से लदकर झूल उठी हैं। लताओं पर नए-नए पत्ते निकल रहे हैं और सुंदर-सुंदर फूल खिल रहे है।
वसंत के आने से पतझड़ का अंत हो गया है। चारों तरफ बासंती हवा की सुगंध छाई हुई है। दूर-दूर तक वनों में चारों तरफ हरियाली छा गई है। वसंत आने पर घर-आँगन में भी सुंदरता का साम्राज्य फैल गया है। समस्त दिशाएँ वसंत का गुणगान कर रही हैं कि वसंत आया है। फूलों पर मँडराते भँवरे अपना नया गीत सुना रहे हैं।
कोयल की कूक ध्वनि भी कानों में मिश्री घोलती है। चारों तरफ जीवों में सुखमय मस्ती छाई हुई है। इस ऋतु में समस्त संसार सुख का अनुभव कर रहा है। वे नही चाहते कि इस सुख का कभी अंत हो। वसंत विशेष उल्लास और उमंगों का संचार करता हुआ आ गया है।