DAV Class 6 Hindi Chapter 1 Question Answer – साथी हाथ बढ़ाना

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DAV Class 6 Hindi Chapter 1 Question Answer – साथी हाथ बढ़ाना

DAV Class 6 Hindi Ch 1 Question Answer – साथी हाथ बढ़ाना

कविता में से-

प्रश्न 1.
मेहनत करने वाले मनुष्यों के मिलकर कदम बढ़ाने से सागर और पर्वत क्या करते हैं ?
उत्तर:
मेहनत करने वाले मनुष्यों के मिलकर कदम बढ़ाने से सागर रास्ता छोड़ देता है और पर्वत शीश झुका लेता है। कहने का भाव यह है कि परिश्रमी व्यक्ति के सामने बड़ी से बड़ी चीजें भी झुक जाती हैं। उसका रास्ता नहीं रोकतीं।

प्रश्न 2.
मेहनती व्यक्तियों का रास्ता और मंज़िल कौन-सी होती है?
उत्तर:
मेहनती व्यक्तियों का रास्ता नेक और मंज़िल सच्चाई की होती है।

DAV Class 6 Hindi Chapter 1 Question Answer - साथी हाथ बढ़ाना

प्रश्न 3.
उचित उत्तर पर सही (✓) का चिह्न लगाइए-
(क) इंसान को अपने लेख की रेखा क्या है ?
(a) आराम
(b) मेहनत
(c) कोशिश
(d) रास्ता
उत्तर:
(b) मेहनत

(ख) एक से एक कतरा मिले तो क्या बन जाता है?
(a) दरिया
(b) रास्ता
(c) धरती
(d) आकाश
उत्तर:
(a) दरिया

प्रश्न 4.
कविता की पंक्तियाँ पूरी कीजिए-
(क) फ़ौलादी हैं _______ अपने फ़ौलादी हैं बाहें
हम चाहें तो _______ में पैदा कर दें राहें

(ख) _______गैरों की खातिर की, आज _______ खातिर करना
अपना _______भी एक है साथी, अपन _______ भी एक
उत्तर:
(क) फ़ौलादी हैं सीने अपने फ़ौलादी हैं बाहें
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें

(ख) कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना
अपना दुख भी एक है साथी, अपन सुख भी एक

बातचीत के लिए-

प्रश्न 1.
‘हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें’ – इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
इस पंक्ति के कहने का तात्पर्य है कि व्यक्ति अपनी मेहनत के बल पर दुर्गम राहों को सरल राहों में बदल सकता है अर्थात् मुश्किल कार्य को भी मेहनत द्वारा आसान बना देता है।

प्रश्न 2.
आप किन्हें अपना साथी मानते हैं और क्यों?
उत्तर:
हम सच्चे, ईमानदार और मेहनती व्यक्तियों को ही अपना साथी मानते हैं क्योंकि वही व्यक्ति मंज़िल तक पहुँचता है, जिसमें ये गुण होते हैं।

प्रश्न 3.
आप साथियों के साथ मिलकर कौन-कौन से काम कर सकते हैं?
उत्तर:
हम अपने साथियों के साथ मिलकर अपनी कक्षा की सफ़ाई कर सकते हैं, पेड़-पौधों को पानी दे सकते हैं और पढ़ने-लिखने में कमज़ोर बच्चों की सहायता कर सकते हैं।

DAV Class 6 Hindi Chapter 1 Question Answer - साथी हाथ बढ़ाना

प्रश्न 4.
‘साथी हाथ बढ़ाना’ पंक्ति का क्या भाव है? आपने कब-कब दूसरों की सहायता के लिए हाथ आगे बढ़ाया है? किसी एक घटना के बारे में बताइए।
उत्तर:
‘साथी हाथ बढ़ाना’ पंक्ति का भाव है- आपस में मिल-जुलकर एक-दूसरे की सहायता करते हुए काम करना। हम हमेशा दूसरों की सहायता के लिए तैयार रहते हैं। चाहे हम स्कूल में हों या घर में। एक बार हमने अपने मोहल्ले की सफाई के बारे में सोचा कि अगले रविवार को हम मोहल्ले की सफाई करेंगे। सबसे पहले तो हम चार मित्रों ने मीटिंग की कि कहाँ-कहाँ सफाई करनी है ? क्या कुछ सामान की आवश्यकता होगी? कौन, क्या लेकर आएगा?

इसको बनाने के बाद हम मोहल्ले के दो-चार लोगों से मिले, उन्होंने भी हमारी पूरी सहायता करने का आश्वासन दिया और कहा कि जितना कुछ होगा, हम और लोगों को भी बुलाकर लेकर आएँगे। हम क्या देखते हैं कि रविवार को बहुत से लोग अपना-अपना सामान लेकर मीटिंग वाली जगह पर आ गए और हमने वहीं से सफाई करनी प्रारंभ कर दी। हम सबकी एक दिन की मेहनत और मिल-जुलकर काम करने की प्रवृत्ति ने हमारे मोहल्ले को चमका दिया। उस दिन के बाद कोई भी काम हमें अपने मोहल्ले के लिए करना होता है तो हम सब एक जगह पर बैठकर बातचीत करते हैं और उसे पूरा करते हैं। अब तो मिल-जुलकर काम करने में जितना मजा आता है उतना अकेले करने में नहीं।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
यदि कोई व्यक्ति अकेला ही सारे काम करेगा तो क्या होगा?
उत्तर:
यदि कोई आदमी अकेला ही सारे काम करेगा तो लोग उसके काम में कमियाँ निकालना शुरू कर देंगे। उसका साथ नहीं देंगे। सब उसके पास जाने से हिचकेंगे तथा हो सकता है, उसमें भी सारे काम करने के बाद अहंभाव जागृत हो जाए और वह अपने आप को ही सब कुछ समझ बैठे।

प्रश्न 2.
किन अवसरों पर लगता है कि सबका सुख-दुख एक हो गया है, बताइए।
उत्तर:
शादी-विवाह, तीज-त्योहार, दुर्घटना (मृत्यु) आदि अवसरों पर लगता है कि सबका सुख-दुख एक हो गया है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
‘मिल’ + ‘कर’ जोड़ने से ‘मिलकर’ शब्द बना है। अब आप भी तीन शब्दों में ‘कर’ जोड़कर नए शब्द बनाइए-
(क) _______ + कर = _______
(ख) _______ + कर = _______
(ग) _______ + कर = _______
उत्तर:
(क) चल + कर = चलकर
(ख) डर + कर = डरकर
(ग) जम + कर = जमकर
रट + कर = रटकर
खा + कर पढ़ + कर
पढ़ + कर = पढ़कर

DAV Class 6 Hindi Chapter 1 Question Answer - साथी हाथ बढ़ाना

प्रश्न 2.
‘हाथों के तोते उड़ना’ – हाथ से संबंधित मुहावरा है। अब आप ‘हाथ’ पर तीन मुहावरे ढूँढकर लिखिए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए-
(क) मुहावरा – _______
वाक्य – ________

(ख) मुहावरा – _______
वाक्य – _______

(ग) मुहावरा – _______
वाक्य – _______
उत्तर:
(क) मुहावरा – हाथ साफ़ करना (चोरी करना)
वाक्य – मेले की भीड़ में मेरी जेब पर किसी ने हाथ साफ़ कर दिया।

(ख) मुहावरा – हाथ फैलाना – माँगना
वाक्य – हमें किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना चाहिए।

(ग) मुहावरा – हाथ मलना – पछताना
वाक्य – रवि समय रहते परिश्रम करो अन्यथा बाद में हाथ मलते रह जाओगे।

जीवन मूल्य

• साथी हाथ बढ़ाना
• एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
• मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना
• एक से एक मिले तो इंसाँ बस में कर ले किस्मत

प्रश्न 1.
क्या कवि ने सबको मिलकर मेहनत करके किस्मत बदलने की बात कही है?
उत्तर:
हाँ, कवि ने सबको मिलकर मेहनत करके किस्मत बदलने की बात कही है।

प्रश्न 2.
क्या कवि का ऐसा संदेश देना उचित है? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, कवि का ऐसा संदेश देना बिलकुल उचित तथा तर्कसंगत है। चाहे खेतों में या कारखानों में काम करने की बात हो, चाहे मैदान में खेलने की बात हो, चाहे स्कूल के किसी समारोह या कार्यक्रम में भाग लेने की बात हो जब तक हम मिल-जुलकर कोई कार्य नहीं करेंगे तब तक समाज व देश का विकास नहीं हो सकता।

कुछ करने के लिए

प्रश्न 1.
फ़िल्म ‘नया दौर’ व उसमें इस गीत के फ़िल्मांकन को देखिए।
उत्तर:
स्वयं करें।

प्रश्न 2.
कक्षा में इस गीत को मिलकर गाइए।
उत्तर:
स्वयं करें।

DAV Class 6 Hindi Ch 1 Solutions – साथी हाथ बढ़ाना

I. अति लघुउत्तरीय प्रश्न

(क) मेहनतवालों के आगे कदम बढ़ाने पर क्या होता है?
उत्तर:
मेहनतवालों के आगे कदम बढ़ाने पर सागर रास्ता छोड़ देता है और पर्वत शीश झुका लेता है।

(ख) फ़ौलादी सीने और फ़ौलादी बाँहें क्या करने में सक्षम हैं?
उत्तर:
फ़ौलादी सीने और फ़ौलादी बाँहें चट्टानों से राहें पैदा करने में सक्षम हैं।

(ग) कवि ने सबको मिलकर क्या करने की बात कही है?
उत्तर:
कवि ने सबको मिलकर मेहनत द्वारा अपनी किस्मत बदलने की बात कही है।

II. लघुउत्तरीय प्रश्न (30-35 शब्दों में)

(क) इस कविता से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
इस कविता से हमें संदेश मिलता है कि किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आपसी सहयोग और मेहनत की आवश्यकता होती है। मेहनत ही सफलता की कुंजी है। परिश्रम के बिना हमारी उन्नति संभव नहीं है।

व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

प्रश्न 1.
साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना
हम मेहनतवालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया,
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया,
फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें,
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें,
साथी हाथ बढ़ाना

शब्दार्थ:

  • साथी – मित्र/दोस्त।
  • बोझ – भार।
  • मेहनतवाला – परिश्रमी।
  • कदम- पद।
  • सागर – समुद्र।
  • सीस-सिर।
  • परबत – पहाड़, पर्वत।
  • सीना – छाती।
  • राह – रास्ता, पथ।

प्रसंग-प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ (पद्यांश) हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘ज्ञान- सागर’ में संकलित कविता ‘साथी हाथ बढ़ाना’ से ली गई हैं। इसके रचयिता साहिर लुधियानवी हैं। इन पंक्तियों में कवि ने मिल-जुलकर काम करनेवालों तथा मेहनती लोगों का गुणगान किया है।

व्याख्या: कवि मानव जाति को संबोधित करते हुए कहता है कि हे मानव, अपने साथी की तरफ मित्रता का हाथ बढ़ाते हुए उसकी सहायता करनी चाहिए। जब वह काम करते हुए थक जाए तो तुम्हें उसकी सहायता करनी चाहिए। तुम जानते हो, हम लोग जब भी परिश्रम करते हुए आगे बढ़े हैं, तो सागर ने भी हमारा रास्ता छोड़ दिया है। पवर्तों ने भी अपना सिर झुकाकर हार मान ली है। परिश्रम करते-करते हमारी छाती और बाँहें फौलाद जैसी मजबूत हो गई हैं। हम इन फौलादी बाँहों के बल पर चट्टानों से भी रास्ते निकालने में समर्थ हैं अर्थात अपनी मेहनत और बुलंद इरादों के सहारे बड़ी से बड़ी मुसीबत का भी सामना करते हुए उस पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। कवि मानव को एक-दूसरे का साथ देने के लिए कह रहा है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. प्रस्तुत पद्यांश के कवि हैं-
(क) साहिर लखनवी
(ख) साहिर लुधियानवी
(ग) ताहिर लुधियानवी
(घ) ताहिर लखनवी
उत्तर:
(ख) साहिर लुधियानवी

2. मेहनत करनेवालों के लिए रास्ता किसने छोड़ दिया?
(क) आकाश ने
(ख) पर्वत ने
(ग) समुद्र ने
(घ) नदी ने
उत्तर:
(ग) समुद्र ने

3. पर्वत ने किसके सामने सिर झुकाया है?
(क) मेहनतवालों के सामने
(ख) कायर लोगों के सामने
(ग) आलसी लोगों के सामने
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) मेहनतवालों के सामने

4. मेहनतवालों के फौलादी क्या हैं?
(क) सीने, टाँगें
(ख) टाँगें, बाँहें
(ग) मस्तक, सीने
(घ) सीने, बाँहें
उत्तर:
(घ) सीने, बाँहें

5. इनमें से कौन-सा शब्द ‘पर्वत’ का पर्यायवाची नहीं है?
(क) पहाड़
(ख) भूधर
(ग) अचला
(घ) गिरि
उत्तर:
(ग) अचला

DAV Class 6 Hindi Chapter 1 Question Answer - साथी हाथ बढ़ाना

प्रश्न 2.
मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना,
कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना,
अपना दुख भी एक है साथी अपना सुख भी एक,
अपनी मंज़िल सच की मंज़िल, अपना रस्ता नेक,
साथी हाथ बढ़ाना।

शब्दार्थ:

  • मेहनत – परिश्रम।
  • लेख – भाग्य, किस्मत।
  • गैर-अन्य, दूसरा।
  • मंजिल – ध्येय, लक्ष्य।
  • नेक – अच्छा, बढ़िया।

प्रसंग: प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ (पद्यांश) हमारी पाठ्य पुस्तक ‘ज्ञान – सागर’ में संकलित कविता ‘साथी हाथ बढ़ाना ‘ से ली गई हैं। इसके रचयिता साहिर लुधियानवी हैं। इन पंक्तियों में कवि ने मेहनती लोगों के भाग्य, सुख-दुख, मंजिल के बारे में बताया है।

व्याख्या: कवि कहता है कि हे मानव! लगता है मेहनत करना तो हमारे भाग्य में लिखा है। फिर हमें मेहनत करने से नहीं डरना चाहिए। कल तक हम दूसरों के लिए मेहनत कर रहे थे, पर आज हमें अपने लिए मेहनत करनी है। हमारे सुख और दुख में कोई अंतर नहीं है बल्कि वे भी दोनों हम सबों के लिए समान हैं। हमारी जो मंजिल है वह हमें अपने सच्चाई और ईमानदारी के नेक रास्ते पर चलते हुए प्राप्त होगी। इसलिए हमें सच्चाई और नेकी (भलाई) को साथ लेकर अपना जीवन लक्ष्य प्राप्त करना है। इसलिए हे मानव, एक-दूसरे को साथ लेकर आगे बढ़ना है और हर हालत में एक-दूसरे का साथ देना है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. प्रस्तुत पद्यांश किस कविता से संकलित है?
(क) साथी पाँव बढ़ाना
(ख) सीखो
(ग) परिश्रम
(घ) साथी हाथ बढ़ाना
उत्तर:
(घ) साथी हाथ बढ़ाना

2. कवि के भाग्य में क्या लिखा है?
(क) शरारत करना
(ख) मेहनत करना
(ग) बाहर घूमना
(घ) शिकायत करना
उत्तर:
(ख) मेहनत करना

3. कवि और उसके साथियों का एक जैसा क्या है?
(क) दुख-सुख
(ख) लाभ-हानि
(ग) हार-जीत
(घ) लेन-देन
उत्तर:
(क) दुख-सुख

4. कवि और उसके मित्रों की मंजिल का रास्ता कैसा है?
(क) नेक
(ख) पथरीला
(ग) टेढ़ा-मेढ़ा
(घ) सीधा-सादा
उत्तर:
(क) नेक

5. ‘लेख’ शब्द का अर्थ है-
(क) लिखना
(ग) भाग्य
(ख) सुंदर
(घ) लिखाई
उत्तर:
(ग) भाग्य

DAV Class 6 Hindi Chapter 1 Question Answer - साथी हाथ बढ़ाना

3. एक से एक मिले तो कतरा, बन जाता है दरिया,
एक से एक मिले तो ज़र्रा, बन जाता है सेहरा,
एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत,
एक से एक मिले तो इंसाँ बस में कर ले किस्मत,
साथी हाथ बढ़ाना।

शब्दार्थ:

  • दरिया – समुद्र।
  • ज़र्रा-छोटा, कण।
  • सेहरा – रेगिस्तान।
  • परबत – पहाड़।
  • किस्मत – भाग्य।

प्रसंग: प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ (पद्यांश) हमारी पाठ्य पुस्तक ‘ज्ञान- सागर’ में संकलित कविता ‘साथी हाथ बढ़ाना से ली गई हैं। इसके रचयिता साहिर लुधियानवी हैं। इन पंक्तियों में कवि ने बताया है कि छोटी-छोटी चीजों से मिलकर ही बड़ी चीजें बनती हैं।

व्याख्या: कवि कहता है – हे मानव! तू शायद नहीं जानता कि एक बूँद पानी मिलकर ही विशाल समुद्र बनता है। एक-एक मिट्टी का कण मिलकर ही बड़ा रेगिस्तान बनता है। एक-एक कण मिलकर ही विशाल पर्वत बन जाता है। अतः हमें भी एक-एक इंसान को अपने साथ जोड़कर अपनी मेहनत द्वारा अपने भाग्य को बस में कर लेना चाहिए। इसलिए किसी को अकेला छोड़ने की बजाय उसकी तरफ़ मित्रता का हाथ बढ़ाना चाहिए।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. प्रस्तुत पद्यांश के रचयिता हैं-
(क) साहिर लुधियानवी
(ख) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
(ग) महादेवी वर्मा
(घ) साहिर लखनवी
उत्तर:
(क) साहिर लुधियानवी

2. विशाल समुद्र का निर्माण कैसे होता है?
(क) एक-एक कण मिलकर
(ख) एक-एक बूँद मिलकर
(ग) एक – एक राई मिलकर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) एक-एक बूँद मिलकर

3. कवि के अनुसार आपस में मिलकर हम क्या कर सकते हैं?
(क) समस्याओं का हल
(ख) भाग्य को काबू में
(ग) नए साधनों का निर्माण
(घ) अच्छी तरह पढ़ाई
उत्तर:
(ख) भाग्य को काबू में

4. कवि किस चीज़ की सलाह दे रहा है?
(क) आपस में मिल-जुलकर काम करने की
(ख) अलग-अलग रहकर काम करने की
(ग) ‘क’, ‘ख’ दोनों सही
(घ) ‘क’, ‘ख’ दोनों गलत
उत्तर:
(क) आपस में मिल-जुलकर काम करने की

5. ‘इंसाँ’ शब्द के पर्यायवाची हैं-
(क) अश्व, तुरंग
(ख) कर, हस्ती
(ग) मानव, जन
(घ) बच्चा, बालक
उत्तर:
(ग) मानव, जन

साथी हाथ बढ़ाना Summary in Hindi

कविता – परिचय:

‘साथी हाथ बढ़ाना’ कविता में कवि ने मनुष्य को मिल-जुलकर रहने तथा साथ मिलकर परिश्रम करने का आग्रह किया है। कवि कहता है कि साथ मिलकर काम करने से बड़े से बड़े काम भी आसानी से हो जाते हैं तथा आपस में भाईचारा बना रहता है।

कविता का सार:

इस कविता में आपसी भाईचारे और परिश्रम के महत्व को स्वीकार किया गया है। यदि अकेला व्यक्ति काम करते हुए थक जाता है तो हमें उसका साथ देना है। उसकी हर हालत में सहायता करनी है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि जब हम परिश्रम करनेवालों ने साथ मिलकर कदम बढ़ाया तो रास्ते में आनेवाली सारी मुसीबतें समाप्त होती चली गईं। हमारे परिश्रम और हिम्मत के सामने तो सागर ने भी रास्ता छोड़ दिया और पर्वत ने सिर झुका लिया । हमने अपनी फौलादी भुजाओं से चट्टानों में से भी रास्ते बना दिए।

हमारे भाग्य में ही परिश्रम करना लिखा है तो फिर हम इसे करने से क्यों घबराएँ? पहले हम दूसरों के लिए मेहनत करते थे, आज हमें अपने लिए करनी चाहिए। हम सबके सुख-दुख समान हैं। हमें नेक रास्ते पर चलते हुए अपनी मंजिल पर पहुँचना है। इसके लिए एक-दूसरे का साथ देना जरूरी है। हम जानते हैं कि एक-एक बूँद से समुद्र बनता है। एक-एक रेत के कण के मिलने से विशाल रेगिस्तान का निर्माण हो सकता है। एक-एक राई जुड़कर पहाड़ का निर्माण कर सकती है और हम भी एक-एक इंसान मिलकर अपनी किस्मत बदल सकते हैं और उसे अपने बस में कर सकते हैं। अत: हमें उन्नति और विकास के पथ पर बढ़ने के लिए एक-दूसरे का साथ देना चाहिए।