DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Question Answer – अँधेर नगरी

Detailed explanations in DAV Class 5 Hindi Solutions and DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Question Answer – अँधेर नगरी offer clarity on challenging language concepts.

DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Question Answer – अँधेर नगरी

DAV Class 5 Hindi Ch 15 Question Answer – अँधेर नगरी

पाठ में से (पृष्ठ संख्या – 87)

प्रश्न 1. अँधेर नगरी में सारी चीजें कितने में मिलती थीं?
उत्तर:
अँधेर नगरी में सारी चीजें टके सेर मिलती थीं।

प्रश्न 2.
गोवर्धनदास अँधेर नगरी में ही क्यों रहना चाहता था?
उत्तर:
दूसरी जगह दिन भर भीक्षा माँगने पर भी गोवर्धनदास पेट नहीं भरता था। इस नगर में सारी चीजें टके सेर मिलती थी। इसलिए गोवर्धनदास अंधेर नगरी में ही रहना चाहता था।

DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Question Answer - अँधेर नगरी

प्रश्न 3.
फरियादी राजा के पास क्या फरियाद लेकर आया?
उत्तर:
फरियादी राजा के पास यह फरियाद लेकर आया था कि कल्लू बनिए की दीवार गिरने के कारण मेरी बकरी दबकर मर गई।

प्रश्न 4.
सिपाही गोवर्धनदास को क्यों पकड़ लेते हैं?
उत्तर:
गोवर्धनदास मिठाई खा-खाकर खूब मोटा हो गया था। राजा का हुक्म था कि किसी तंदरुस्त आदमी को फाँसी दे दो। इसलिए सिपाही गोवर्धनदास को फाँसी देने के लिए पकड़ लेते हैं।

प्रश्न 5.
महंत ने गोवर्धनदास को कैसे बचाया?
उत्तर:
महंत ने गोवर्धनदास को अपनी सूझ-बूझ और चतुराई से बचाया।

प्रश्न 6.
एकांकी ‘अँधेर नगरी’ में सभी बकरी मरने का दोष एक-दूसरे पर थोपते रहते हैं। लिखिए, किसने किसे और क्यों दोषी बनाया-
उत्तर:
(क) फरियादी – कल्लू बनिया
उसकी दीवार के नीचे बकरी दब गई।

(ख) कल्लू बनिया – कारीगर
कारीगर ने ऐसी दीवार बनाई कि वह गिर पड़ी।

(ग) कारीगर – चूने वाला
भिश्ती ने चूने में पानी ज्यादा डाल दिया, जिसके कारण चूना कमज़ोर पड़ गया।

(घ) चूने वाला – भिश्ती
कसाई ने मशक इतनी बड़ी बना दी कि उसमें पानी ज्यादा आ गया।

बातचीत के लिए (पृष्ठ संख्या-87 )

प्रश्न 1.
महंत अँधेर नगरी में क्यों नहीं रहना चाहते थे? क्या आप उनसे सहमत हैं?
उत्तर:
अँधेर नगरी में सभी चीजें टके सेर मिलती थीं। इसलिए महंत वहाँ नहीं रहना चाहते थे। हाँ, हम भी उनसे सहमत हैं।

DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Question Answer - अँधेर नगरी

प्रश्न 2.
महंत ने अपने शिष्यों को अलग-अलग दिशाओं में क्यों भेजा होगा?
उत्तर:
महंत ने अपने शिष्यों को अलग-अलग दिशाओं में भिक्षा हेतु भेजा होगा ।

प्रश्न 3.
‘भाजी’ और ‘खाजा’ क्या है?
उत्तर:
‘भाजी’ सब्जी है और ‘खाजा’ एक प्रकार की मिठाई है।

अनुमान और कल्पना ( पृष्ठ संख्या – 88)

प्रश्न 1.
गोवर्धनदास ने सात पैसे में कौन-कौन-सी मिठाइयाँ खरीदी होंगी?
उत्तर:
गोवर्धनदास ने सात पैसे में लड्डू और खाजा खरीदी होंगी।

प्रश्न 2.
महंत ने गोबर्धनदास को क्या उपदेश दिया होगा?
उत्तर:
महंत ने गोबर्धनदास को यह उपदेश दिया होगा कि अगर हम लोग फाँसी पर चढ़ने के लिए तैयार हो जाएंगे तो स्वर्ग के लालच में राजा ही फाँसी पर चढ़ जाएगा और हमलोगों की जान बच जाएगी।

प्रश्न 3.
एकांकी का शीर्षक ‘अँधेर नगरी’ क्यों रखा गया होगा?
उत्तर:
एकांकी का शीर्षक ‘अँधेर नगरी’ इसलिए रखा गया होगा कि वहाँ सब कुछ टके सेर अर्थात् एक ही भाव में मिलता था। वहाँ अच्छे-बुरे, सही-गलत की पहचान नहीं थी। स्वयं राजा ही। मूर्ख और विवेकहीन था।

DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Question Answer - अँधेर नगरी

प्रश्न 4.
आप इस एकांकी के लिए कोई दो शीर्षक बताइए। साथ ही यह भी बताइए कि आपने ये शीर्षक क्यों चुने?
उत्तर:

  1. शीर्षक: ‘अँधेर नगरी चौपट राजा’: यह शीर्षक इसलिए चुना गया है क्योंकि वहाँ के राजा के साथ-साथ प्रजा भी मूर्ख है। राजा और प्रजा दोनों को सही-गलत की पहचान नहीं है।
  2. मूर्ख राजा: यह शीर्षक इसलिए चुना गया है क्योंकि राजा मूर्ख है और उसकी अपनी कोई समझ नहीं है। सही गलत की पहचान किए बिना ही वह सजा सुना देता है।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या – 88 )

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए-
(क) ‘चुप रह, राजा का हुक्म भला कहीं टल सकता है।’
(ख) ‘अरे बच्चा गोवर्धनदास, तेरी यह क्या दशा है?”
(ग) ‘ यह क्या गोलमाल है?’
(घ) ‘वाह ! वाह ! बड़ा आनंद है। ‘
उत्तर:
छात्र / छात्राएँ स्वयं करें।

प्रश्न 2.
नीचे कुछ विशेषण दिए गए हैं। उन्हें उनके आगे दिए गए उचित विशेष्य से मिलाइए-
DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Question Answer - 1

उत्तर:

विशेषण विशेष्य
सुंदर नगर
टका सेर भाजी
चौपट राजा
अँधेर नगरी
शुभ घड़ी
बड़ी भेड़

प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक से उपयुक्त शब्द चुनकर कीजिए-
(क) नगर तो बड़ा सुंदर है पर ______भी सुंदर मिले तो बड़ा आनंद हो। (भोग, रुपए, कपड़े, भिक्षा)
(ख) सात पैसे भीख में मिले थे उसी से ______ मिठाई मोल ली है। (तीन सेर, साढ़े तीन किलो, साढ़े तीन सेर)
(ग) इस समय ऐसी शुभ घड़ी में जो मरेगा ______ जाएगा। (सीधा शहर, सीधा स्वर्ग, सीधा अपने घर, नरक )
उत्तर:
(क) नगर तो बड़ा सुंदर है पर भिक्षा भी सुंदर मिले तो बड़ा आनंद हो।
(ख) सात पैसे भीख में मिले थे उसी से साढ़े तीन सेर मिठाई मोल ली है।
(ग) इस समय ऐसी शुभ घड़ी में जो मरेगा सीधा स्वर्ग जाएगा।

जीवन मूल्य (पृष्ठ संख्या – 89 )

प्रश्न 1.
स्वर्ग जाने के लालच में राजा स्वयं फाँसी पर चढ़ गया। क्या यह न्याय सही था?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 2.
आपकी समझ में बकरी के मरने का वास्तविक दोषी कौन था? कारण भी बताइए।
(दीवार, बनिया, गड़रिया भिश्ती, चूने वाला, कारीगर, कोई नहीं)
उत्तर:
उपरोक्त विकल्पों में से कोई भी उपयुक्त नहीं है। बकरी के मरने का वास्तविक दोष किसी पर मंढ़ना बिलकुल अनुचित है। उस राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को ही इसके लिए जिम्मेवार ठहराया जा सकता है जिसमें अच्छे-बुरे की कोई पहचान नहीं थी।

कुछ करने के लिए ( पृष्ठ संख्या – 89 )

प्रश्न 1.
‘एकांकी – अँधेर नगरी’ का मंचन कीजिए।
उत्तर:
छात्र / छात्राएँ स्वयं करें।

प्रश्न 2.
‘अँधेर नगरी’ के मंचन के लिए आवश्यक सामान की सूची बनाइए- सामान की सूची
उत्तर:
छात्र / छात्राएँ स्वयं करें।

DAV Class 5 Hindi Ch 15 Solutions – अँधेर नगरी

I. बहुविकल्पीय प्रश्न

1. महंतजी के कितने चेले हैं?
(क) दो
(ग) चार
(ख) तीन
(घ) पाँच
उत्तर:
(क) दो

2. दूर से नगर कैसा दिखाई दे रहा है?
(क) जर्जर
(ख) सुन्दर
(ग) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) सुन्दर

DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Question Answer - अँधेर नगरी

3. गोबर्धनदास को भिक्षा में कितने पैसे मिले थे ?
(क) दस पैसे
(ख) आठ पैसे
(ग) सात पैसे
(घ) पाँच पैसे।
उत्तर:
(ग) सात पैसे

4. किसकी बकरी दीवार के गिरने से दबकर मर गई?
(क) कल्लू बनिया
(ख) फरियादी
(ग) नौकर
(घ) गड़रिया
उत्तर:
(ख) फरियादी

5. किसे फाँसी की सजा सुनाई गई?
(क) कारीगर
(ख) भिश्ती
(ग) कोतवाल
(घ) गड़रिया
उत्तर:
(ग) कोतवाल

6. सिपाही गोबर्धनदास को क्यों पकड़ लेते हैं?
(क) घर जाने के लिए
(ख) फाँसी देने के लिए
(ग) मारने के लिए
(घ) इनाम देने के लिए।
उत्तर:
(ख) फाँसी देने के लिए

7. अंत में फाँसी पर कौन चढ़ गया?
(क) राजा
(ख) सिपाही
(ग) कोतवाल
(घ) महंतजी।
उत्तर:
(क) राजा

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अँधेर नगरी के राजा का नाम क्या था?
उत्तर:
अँधेर नगरी के राजा का नाम चौपट राजा था।

प्रश्न 2.
महंतजी अपने दो चेलों के साथ कहाँ बातें कर रहे थे?
उत्तर:
महंत जी अपने दो चेलों के साथ शहर से बाहर सड़क पर बातें कर रहे थे।

DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Question Answer - अँधेर नगरी

प्रश्न 3.
गोबर्धनदास ने भिक्षा में मिले पैसे से क्या खरीदा?
उत्तर:
गोबर्धनदास ने भिक्षा में मिले पैसे से साढ़े तीन सेर मिठाई खरीदी।

प्रश्न 4.
महंतजी उस नगर को छोड़कर क्यों चले गए?
उत्तर:
उस नगर में हर वस्तु का एक ही मूल्य था। इसलिए महंतजी उस नगर छोड़कर चले गए।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फरियादी ने राजा से क्या फरियाद की?
उत्तर:
फरियादी ने राजा से यह फरियाद की कि कल्लू बनिए की दीवार गिरने से मेरी बकरी दबकर मर गई।

प्रश्न 2.
अँधेर नगरी में सभी ने अपने नुकसान की जिम्मेवारी दूसरे के ऊपर ही क्यों थोपते गए?
उत्तर:
अँधेर नगरी में सभी जानते थे कि यहाँ के राजा चौपट हैं, जिसे अपनी समझ नहीं है। वह अपनी नासमझी के कारण सही-गलत के बीच भेद नहीं कर सकता। इसलिए वहाँ सब अपने नुकसान का कारण दूसरों पर थोंपते गए।

DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Question Answer - अँधेर नगरी

प्रश्न 3.
राजा ने स्वयं फाँसी पर चढ़ने के लिए क्यों कहा?
उत्तर:
महंतजी ने बताया था कि इस समय शुभ घड़ी है। जो इस शुभ घड़ी में मरेगा सीधा स्वर्ग जायेगा। अतः स्वर्ग जाने के लालच में राजा ने स्वयं फाँसी पर चढ़ने की बात कही।

प्रश्न 4.
अगर आप अँधेर नगरी के राजा होते तो किस प्रकार न्याय करते?
उत्तर:
अगर मैं अँधेर नगरी का राजा होता तो सर्वप्रथम दोष के कारण का पता करता कि असली दोषी कौन है। पूरी जाँच करने के पश्चात निर्णय लेता और दोषी को दंडित करता।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राजा के फाँसी पर चढ़ते ही उस नगर में क्या हुआ होगा?
उत्तर:
राजा के फाँसी पर चढ़ते ही उस नगर में उथल-पुथल मच गया होगा। राजा बनने की होड़ में लोग आपस में मर कट गए होंगे क्योंकि जब राजा ही विवेकहीन था तो प्रजा अवश्य ही विवेकहीन होगी। यह भी सत्य है कि किसी चतुर व्यक्ति ने सत्ता भी हथिया ली होगी।

प्रश्न 2.
राजा ने कोतवाल को फाँसी की सज़ा क्यों सुनाई?
उत्तर:
राजा को लगा कि कोतवाल की सवारी धूमधाम से निकलने के कारण गड़रिये ने घबराकर बड़ी भेड़ खरीदी और कसाई के हाथ बेच दिया। फलतः मसक बड़ी बन गई। मसक बड़ी होने के कारण उसमें ज्यादा पानी आ गया जिससे चूना कमजोर पड़ गया। अतः दीवार कमजोर हो गई और गिर गई और बकरी दबकर मर गई। इसलिए राजा ने कोतवाल को फाँसी की सजा सुना दी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. महंत : बच्चा नारायणदास, यह नगर तो दूर से बड़ा सुंदर दिखलाई पड़ता है। देख, कुछ भिक्षा मिले तो भगवान को भोग लगे। और क्या।
नारायणदासः गुरूजी महाराज, नगर तो बहुत ही सुंदर है, पर भिक्षा भी सुंदर मिले तो बड़ा आनंद हो!
महंत : बच्चा गोवर्धनदास, तू पश्चिम की ओर जा और नारायणदास पूरब की ओर जाएगा।

प्रश्न 1.
दूर से नगर कैसा दिखाई पड़ता है?
उत्तर:
दूर से नगर बहुत सुंदर दिखाई पड़ता है।

प्रश्न 2.
भिक्षा किसके लिए माँगी जा रही थी?
उत्तर:
भिक्षा भगवान को भोग लगाने के लिए माँगी जा रही थी।

प्रश्न 3.
गोवर्धनदास किस दिशा की ओर गया?
उत्तर:
गोवर्धनदास पश्चिम दिशा की ओर गया।

प्रश्न 4.
नारायणदास किस दिशा की ओर गया?
उत्तर:
नारायणदास पूरब दिशा की ओर गया।

प्रश्न 5.
‘नगर’ का विलोम शब्द क्या होता है?
उत्तर:
नगर का विलोम ‘गाँव’ होता है।

DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Question Answer - अँधेर नगरी

II. महंत तो बच्चा ऐसी नगरी में रहना उचित नहीं है। जहाँ टके सेर भाजी और टके सेर खाजा बिकता है। मैं तो इस नगर में अब एक क्षण भी नहीं रहूँगा।
गोवर्धनदास : गुरूजी, मैं तो इस नगर को छोड़कर नहीं जाऊँगा । और जगह दिनभर माँगो तो भी पेट नहीं भरता। मैं तो यहीं रहूँगा । महंत देख मेरी बात मान नहीं तो पीछे पछताएगा। मैं तो जाता हूँ, पर इतना कहे जाता हूँ कि कभी संकट पड़े तो याद करना।

प्रश्न 1.
महंतजी उस नगर में क्यों नहीं रहना चाहते थे?
उत्तर:
महंतजी उस नगर में इसलिए नहीं रहना चाहते थे कि वहाँ सभी सामान टके सेर बिकते थे।

प्रश्न 2.
गोवर्धनदास उस नगर से क्यों नहीं जाना चाहता था?
उत्तर:
दूसरी जगह दिन भर भीक्षा माँगने पर भी पेट नहीं भरने के कारण गोवर्धनदास उस नगर को छोड़कर नहीं जाना चाहता था।

प्रश्न 3.
गुरूजी ने गोवर्धनदास से जाते समय क्या कहा?
उत्तर:
गुरूजी ने जाते समय गोवर्धनदास से कहा कि कभी संकट पड़े तो याद करना।

प्रश्न 4.
‘मान’ का विलोम शब्द क्या होता है?
उत्तर:
‘मान’ का विलोम ‘अपमान’ होता है।

प्रश्न 5.
‘संकट’ का अर्थ क्या होता है?
उत्तर:
‘संकट’ का अर्थ ‘विपत्ति’ होता है।

DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Question Answer - अँधेर नगरी

III. सिपाही: बात यह है कि कल कोतवाल को फाँसी का हुक्म हुआ था। जब उसे फाँसी देने को ले गए तो फाँसी का फंदा बड़ा निकला, क्योंकि कोतवाल साहब बीमार हैं। हम लोगों ने महाराज से अर्ज़ की। इस पर हुक्म हुआ कि किसी तंदुरुस्त आदमी को फाँसी दे दो; क्योंकि बकरी मरने के अपराध में किसी-न-किसी को फाँसी होना ज़रूरी है, नहीं तो न्याय न होगा।

प्रश्न 1.
फाँसी का हुक्म किसे दिया गया था?
उत्तर:
फाँसी का हुक्म कोतवाल को दिया गया था।

प्रश्न 2.
कोतवाल साहब को फाँसी क्यों नहीं दी गई?
उत्तर:
कोतवाल साहब बीमार थे इसीलिए उन्हें फाँसी नहीं दी गई।

प्रश्न 3.
तंदुरुस्त आदमी को फाँसी देने का आदेश क्यों हुआ?
उत्तर:
फाँसी का फंदा बड़ा होने के कारण तंदुरुस्त आदमी को फाँसी देने का हुक्म हुआ।

प्रश्न 4.
क्या फाँसी देना जरूरी था?
उत्तर:
हाँ, फाँसी देना जरूरी था तभी राजा का न्याय पूरा होता।

प्रश्न 5.
‘न्याय’ का विलोम शब्द क्या होता है?
उत्तर:
‘न्याय’ का विलोम ‘अन्याय’ होता है।

शब्दार्थ :

  • चेला – शिष्य।
  • हलवाई – मिठाई बनाने वाला।
  • फरियादी – शिकायत करने वाला।
  • भिश्ती – मशक में पानी ढोने वाला व्यक्ति।
  • भिक्षा – भीख।
  • भाजी- साग-सब्जी।
  • टका – रुपया।
  • चौपट – मूर्ख।
  • खाजा – मैदे से बनी एक प्रकार की मिठाई।
  • संकट – मुसीबत, दुहाई दया की गुहार।
  • दोष – कसूर।
  • कारीगर – राजमिस्त्री।
  • गुलाम – नौकर।
  • मशक – पानी भरने के लिए चमड़े से बना थैला।
  • कसाई – पशुओं को काटने वाला।
  • गड़रिया भेड़ पालने वाला।
  • ख्याल – विचार।
  • कोतवाल – थानेदार।
  • नाहक – बिना वजह।
  • आफ़त – मुसीबत।
  • हुक्म – आदेश।
    हुज्जत – बेमतलब बहस।
  • चकित – हैरान।
  • घड़ी – समय।

अँधेर नगरी Summary in Hindi

पाठ – परिचय:
‘अँधेर नगरी’ शीर्षक पाठ एक नाटक है। इस नाटक के माध्यम से नाटककार भारतेंदु हरिश्चंद्र जी ने यह बताने का प्रयास किया है कि अयोग्य व्यक्ति के हाथ में सत्ता जाने से किस प्रकार लोगों को बिना कारण कष्ट उठाना पड़ता है।

पाठ का सारांश:
शहर से बाहर सड़क पर महंतजी अपने दो शिष्यों से बातें कर रहे हैं कि यह नगर दूर से बहुत सुन्दर दिखाई देता है। भगवान के भोग के लिए महंतजी अपने दोनों शिष्यों को दो दिशाओं में भिक्षा हेतु भेजते हैं। भिक्षा में मिले पैसों का जब सामान खरीदने जाते हैं तो पता चलता है कि यहाँ सभी सामान टके सेर मिलते हैं। महंतजी यह बात सुनकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं। जब गोवर्धनदास वाह ! वाह! करते हुए बोलता है- अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा; तब महंतजी अपने शिष्यों को वहाँ से शीघ्र भाग चलने की सलाह देते हैं। लेकिन गोवर्धनदास सस्ती मिठाई के लोभ में उस नगर को छोड़कर जाने को तैयार नहीं होता है। महंतजी यह कहते हुए चले जाते हैं कि कभी भी संकट पड़े तो मुझे ज़रूर याद करना।

पाठ के दूसरे दृश्य में राजा, मंत्री और नौकर अपने – अपने स्थान पर बैठे हैं तभी एक फरियादी फरियाद लेकर आता है। वह बताता है कि कल्लू बनिए की दीवार गिरने से मेरी बकरी की मौत हो गई है। बकरी की मौत की सजा किसे दी जाए, इसके लिए बारी-बारी से कारीगर, चूने वाला, भिश्ती, कसाई, गड़रिया और कोतवाल को बुलाया जाता है। सबकी बात सुनने के बाद राजा ने कोतवाल को फाँसी पर लटकाने का आदेश दिया। कोतवाल की गर्दन बीमार होने के कारण पतली हो गई थी जिसके कारण उसे फाँसी पर नहीं चढ़ाई जा सकती थी । तब एक मोटे आदमी की खोज होती है। गोवर्धनदास बैठ कर मिठाई खा रहा होता है तभी नौकर उसे पकड़ कर लाता है और बताता है कि तुझे फाँसी चढ़ाई जाएगी। तब गोवर्धनदास को महंतजी की बात याद आती है कि संकट आने पर मुझे याद जरूर करना।

गोवर्धनदास की पुकार पर महंतजी आते हैं। वे गोवर्धनदास के कान के समीप जाकर उसे कुछ समझाते हैं। फिर शिष्य के बदले स्वयं फाँसी पर चढ़ने की बात करते हैं। शिष्य कहता है कि हम फाँसी पर चढ़ेंगे और गुरू कहता है कि हम फाँसी पर चढ़ेंगे। इस नोंक-झोंक को देखकर सिपाही हैरान हो जाते हैं। तभी राजा, मंत्री और कोतवाल वहाँ आते हैं। गुरू-शिष्य की बात सुन कर राजा ने गुरू से पूछा कि आप फाँसी पर क्यों चढ़ना चाहते हैं। महंतजी ने बताया कि इस समय बहुत शुभ घड़ी है। जो मरेगा, सीधा स्वर्ग ही जाएगा। यह सुनकर वहाँ उपस्थित मंत्री, नौकर और सिपाहियों के बीच फाँसी चढ़ने की होड़ लग जाती है। अंत में राजा सबको अलग कर स्वयं स्वर्ग प्राप्ति के लोभ में फाँसी पर चढ़ जाता है।