DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Bhasha Abhyas Solutions – अँधेर नगरी

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DAV Class 5 Hindi Bhasha Abhyas Solution Chapter 15 अँधेर नगरी

प्रश्न 1.
पढ़िए और समझिए-
• मुझे अपने शिष्य को अंतिम उपदेश देने दो।
• कारीगर को पकड़ लाओ।
• दीवार गिर पड़ी।
• गोबर्धनदास बैठा मिठाई खाने लगा।
ऊपर दिए गए वाक्यों के मोटे काले अंश ‘क्रिया शब्द’ हैं। लेकिन ये क्रिया शब्द ऐसे हैं जो एक साथ आकर वाक्यों के विशेष अर्थ दे रहे हैं। ये ‘संयुक्त क्रिया’ के उदाहरण हैं।

अब आप नीचे दिए गए वाक्यों में संयुक्त क्रियाओं पर घेरा लगाइए जैसे – रोहन आज दौड़ जीत सकता है।
उत्तर:
DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Bhasha Abhyas Sagar Solutions - अँधेर नगरी 1

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए वाक्यों को संयुक्त क्रिया से पूरा कीजिए-
(क) बच्चे ज़ोर से ______ ।
(ख) मौसीजी ने एक गुब्बारा ______ ।
(ग) मैं एक किलो दूध रोज़ ______ ।
उत्तर:
(क) चिल्ला रहे हैं।
(ग) पीता हूँ।
(ख) खरीदी है।

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प्रश्न 3.
पाठ ‘अँधेर नगरी’ में से कोई तीन वाक्य छाँटिए और उसमें से संज्ञा, सर्वनाम व क्रिया शब्द ढूँढ़कर लिखिए-
उत्तर:
(क) वाक्य क्यों रे कारीगर! इसकी बकरी कैसे मर गई?
संज्ञा – कारीगर / बकरी
सर्वनाम – इसकी
क्रिया – मर गई।

(ख) वाक्य क्यों रे कोतवाल, तूने सवारी धूम-धाम से क्यों निकाली?
संज्ञा – कोतवाल,
सर्वनाम – तूने,
क्रिया – निकाली।

(ग) वाक्य – महाराज, मैंने कोई कसूर नहीं किया।
संज्ञा – महाराज, सर्वनान- मैंने क्रिया किया।

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों पर सही जगह बिंदु (∸) या चंद्रबिंदु (ँ) लगाइए-
(क) अधकार
(ख) आनंदित
(ग) कलकित
(घ) बचाऊगा
(ङ) दोहराऊगा
(च) पढूगा
उत्तर:
(क) अंधकार
(ख) आनंदित
(ग) कलंकित
(घ) बचाऊँगा
(ङ) दोहराऊँगा
(च) पढूँगा

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प्रश्न 5.
नीचे दिए गए वाक्यों के मोटे काले अंश की जगह समान अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग करके वाक्यों को दोबारा लिखिए-
उदाहरण-
हम लोगों ने महाराज से अर्ज की।
हम लोगों ने महाराज से विनती की।
(क) हमें अपने बड़ों का आदर करना चाहिए।
उत्तर:
हमें अपने बड़ों का सम्मान करना चाहिए।

(ख) यह आफत कहाँ से आई?
उत्तर:
यह विपत्ति कहाँ से आई?

(ग) अब एक क्षण भी नहीं रहूँगा।
उत्तर:
अब एक पल भी नहीं रहूँगा।

(घ) मेरा कुछ कसूर नहीं।
उत्तर:
मेरा कोई दोष नहीं।

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए शब्दों में उपसर्ग या प्रत्यय लगाकर नए शब्द लिखिए-
DAV Class 5 Hindi Chapter 15 Bhasha Abhyas Sagar Solutions - अँधेर नगरी 2
उत्तर:
(क) फल + वाला = फलवाला
(ख) आ + देश = आदेश
(ग) स आनंद = सानन्द
(घ) अ + न्याय = अन्याय
(ङ) बे + कसूर = बेकसूर

प्रश्न 7.
नीचे दिए गए शब्दों से वाक्य बनाकर लिखिए-
(क) सुंदर
(ख) मिठाई
(ग) शुभ
उत्तर:
(क) गुलाब एक सुंदर फूल है।
(ख) हलवाई मिठाई बनाता है।
(ग) आज का दिन शुभ है।

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प्रश्न 8.
नीचे दिए गए वाक्यों में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए-
(क) गुरुजी कहाँ हैं
(ख) नगर में सिपाही गुरु और चेले खड़े थे
(ग) राजा ने कहा इसे फाँसी पर चढ़ा दो
उत्तर:
(क) गुरुजी कहाँ हैं?
(ख) नगर में सिपाही, गुरु और चेले खड़े थे।
(ग) राजा ने कहा, इसे फाँसी पर चढ़ा दो।

प्रश्न 9.
नीचे दिए गए शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द छाँटकर लिखिए-
हस्त, समीर, पवन, लड़ाई, रण, कर
(क) युद्ध = _____
(ख) वायु = _____
(ग) हाथ = _____
उत्तर:
(क) रण, लड़ाई
(ख) हवा, समीर
(ग) कर, हस्त

प्रश्न 10.
नीचे दिए गए संवादों के आधार पर कोई तीन प्रश्न बनाकर लिखिए-
1. महंतः बच्चा नारायणदास, यह नगर तो दूर से बड़ा सुंदर दिखलाई पड़ता है। देख, कुछ भिक्षा मिले तो भगवान को भोग लगे। और क्या?
2. रायणदासः गुरुजी महाराज, नगर तो बहुत ही सुंदर है, पर भिक्षा भी सुंदर मिले तो बड़ा आनंद हो।
3. महंत : बच्चा गोवर्धनदास, तू पश्चिम की ओर जा और नारायणदास पूर्व की ओर जाएगा।
प्रश्न 1 = ________
प्रश्न 2 = ________
प्रश्न 3 = ________
उत्तर:
1. यह नगर दूर से कैसा दिखाई पड़ता है?
2. भिक्षा किस लिए माँगी जा रही थी?
3. गोबर्धनदास को गुरूजी ने किस दिशा की ओर भेजा?

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प्रश्न 11.
नाटक ‘अँधेर नगरी’ को एक कहानी के रूप में लिखिए-
उत्तर:
सड़क पर महंत जी अपने दो शिष्यों से बात कर रहे हैं कि यह नगर दूर से सुन्दर दिखाई देता है। उस नगर में भगवान के भोग के लिए अपने दोनों शिष्यों को दो दिशाओं में भेजते हैं। भीख में मिले पैसों से जब सामान खरीदने जाते हैं तो पता चलता है कि यहाँ सभी सामान टके सेर मिलता है। महंत जी आश्चर्यचकित हो जाते हैं और उस नगर से शीघ्र चलने की सलाह देते हैं। लेकिन गोबर्धनदास सस्ती मिठाई के लोभ में उस नगर को छोड़ना नहीं चाहता है। महंत जी यह कहकर चले जाते हैं कि कभी भी संकट पड़े तो मुझे याद जरूर करना। राजा, मंत्री और नौकर अपने-अपने स्थान पर बैठे हैं, तभी एक फरियादी फरियाद लेकर आता है। वह बताता है कि कल्लू बनिए की दीवार गिरने से मेरी बकरी दब कर मर गई। बकरी की मौत की सजा दी जाए।

इसके लिए बारी-बारी से कारीगर, चूनेवाला, मिस्त्री, कसाई, गड़ेरिया और कोतवाल को बुलाया जाता है। सबकी बात सुनने के बाद राजा कोतवाल को फाँसी पर लटकाने का आदेश सुनाता है। लेकिन कोतवाल की गर्दन पतली होने के कारण उसे फाँसी नहीं दी गई। इसलिए एक तंदुरस्त व्यक्ति की खोज की गई और गोबर्धन दास को फाँसी के लिए चुना गया। तब गोबर्धनदास को महंत जी की बात याद आती है। गोबर्धनदास की पुकार पर महंतजी आते हैं। महंत जी कहते हैं कि आज का दिन शुभ है। जो भी व्यक्ति आज फाँसी पर चढ़ेगा उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी। इधर स्वर्ग जाने के लोभ में राजा, मंत्री, नौकर सभी फाँसी पर चढ़ने के लिए बेचैन हो जाते हैं। अंत में राजा सबको अलग कर स्वयं फाँसी पर चढ़ जाता है।