DAV Class 4 Hindi Chapter 3 Question Answer – अनोखा ढंग

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DAV Class 4 Hindi Chapter 3 Question Answer – अनोखा ढंग

DAV Class 4 Hindi Ch 3 Question Answer – अनोखा ढंग

कहानी में से – 

प्रश्न 1.
गाँधी जी पैदल यात्रा क्यों कर रहे थे?
उत्तर :
गाँधी जी शांति का प्रसार करने के लिए पैदल यात्रा कर रहे थे।

प्रश्न 2.
गाँधी जी खुरदरे पत्थर का उपयोग किसलिए करते थे?
उत्तर :
गाँधी जी खुरदरे पत्थर का उपयोग अपना पैर साफ़ करने के लिए करते थे।

प्रश्न 3.
गाँधी जी ने मनु को पत्थर खोजने के लिए कहाँ भेजा?
उत्तर :
गाँधी जी ने मनु को पत्थर खोजने के लिए जुलाहे के घर भेजा।

DAV Class 4 Hindi Chapter 3 Question Answer - अनोखा ढंग

प्रश्न 4.
मनु ने जुलाहे के घर तक पहुँचने का क्या तरीका अपनाया?
उत्तर :
मनु गाँधी जी के साथ जिस रास्ते से आई थी, उसी रास्ते पर पैरों के निशान देखती-खोजती जुलाहे के गाँव पहुँच गई।

प्रश्न 5.
कहानी के आधार पर सही उत्तर चुनिए-

DAV Class 4 Hindi Chapter 3 Question Answer - अनोखा ढंग 1

(क) गाँधी जी गाँव पहुँचकर सबसे पहले क्या करते थे?
स्नान करते थे।
भोजन करते थे।
लिखने-लिखाने का काम करते थे।
उत्तर :
लिखने-लिखाने का काम करते थे।

(ख) स्वयंसेवक कौन होता है?
जो स्वयं की सेवा करता है।
जो दूसरों की सेवा के लिए स्वय तैयार रहता है।
जो सेवकों की सेवा करता है।
उत्तर :
जो दूसरों की सेवा के लिए स्वयं तैयार रहता है।

DAV Class 4 Hindi Chapter 3 Question Answer - अनोखा ढंग

(ग) मनु गाँव कैसे पहुँच गई?
लोगों से पता पूछते हुए।
उसे गाँव का रास्ता याद् था।
पैरों के निशान देखते-खोजते।
उत्तर :
पैरों के निशान देखते-खोजते।

बातचीत के लिए – 

प्रश्न 1.
गाँधी जी को किन-किन नामों से पुकारा जाता है?
उत्तर :
बापू, राष्ट्रपिता, महात्मा, मोहनदास।

प्रश्न 2.
उपहार हमें क्यों अच्छे लगते हैं?
उत्तर :
उपहार हमें अच्छे लगते हैं, क्योंकि ये हमारे लिए किसी के प्यार और आशीर्वाद को व्यक्त करते हैं।

प्रश्न 3.
मनु वापस आकर क्यों रो पड़ी?
उत्तर :
पैदल चलने और भूख लगने के कारण मनु वापस आकर रो पड़ी।

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प्रश्न 4.
किसी अनजान जगह से वापस घर आने के लिए आप किन-किन बातों व रास्ते में आने वाली किन-किन चीज़ों को ध्यान में रखेंगे?
जैसे-कोई पोस्टर, बोर्ड, दुकान, अस्पताल, स्कूल आदि।
उत्तर :
पोस्टर, बोर्ड, दुकान, अस्पताल, स्कूल के अलावे घर का नं० तथा गली का न० और कितने मोड़ हैं; उन चीज़ों का ध्यान रखेंगे।

आपकी कल्पना –

प्रश्न 1.
इतनी दूर जाने के बाद भी मनु को पत्थर न मिलता तो क्या होता?
उत्तर :
इतनी दूर जाने के बाद भी मनु को पत्थर न मिलता तो बापू उस पर क्रोध करते और खुद मनु को भी दुख और अफसोस होता।

प्रश्न 2.
बापू ने अगर किसी को मनु के साथ भेज दिया होता तो क्या वह इतनी परेशान होती? क्यों?
उत्तर :
बापू ने अगर किसी को मनु के साथ भेज दिया होता तो वह इतनी परेशान नहीं होती, क्योंकि उसे अकेले जाने में डर नहीं लगता और रास्ता भूलने का भी डर नहीं रहता। साथ ही पैरों के निशान के सहारे नहीं जाना पड़ता।

प्रश्न 3.
अगर मनु रास्ता भटक जाती तो?
उत्तर :
अगर मनु रास्ता भटक जाती तो वह उस गाँव तक पहुँच नहीं पाती। वापस बापू के पास भी नहीं लौट पाती। कहीं गुम हो जाती।

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आपकी बात – 

गाँधीजी को अपने खुरदरे पत्थर से बहुत लगाव था। आप अपनी किन्हीं चार चीज़ों के बारे में लिखिए जो आपके किसी प्रिय व्यक्ति ने आपको दी हों और आपने उन्हें सँभालकर रखा हो।
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उत्तर :
DAV Class 4 Hindi Chapter 3 Question Answer - अनोखा ढंग 6

भाषा की बात –

प्रश्न 1.
दिए गए शब्दों के अन्य नाम चुनकर लिखिए-DAV Class 4 Hindi Chapter 3 Question Answer - अनोखा ढंग 3
उत्तर :
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प्रश्न 2.
दिए गए जोड़े वाले शब्दों से वाक्य बनाइए-DAV Class 4 Hindi Chapter 3 Question Answer - अनोखा ढंग 4
उत्तर :
सुबह-सुबह- बापू सुबह-सुबह उठकर काम में लग जाते थे।
बजते-बजते- बापू पाँच बजते-बजते उठ जाते थे।
लिखने-लिखाने- बापू पहले लिखने-लिखाने का काम करते थे।

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जीवन मूल्य – 

प्रश्न 1.
ये गाँधी जी के तीन बंदर हैं। इनके चित्रों को देखकर बताइए कि ये हमें क्या संदेश दे रहे हैं।

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उत्तर :
गाँधी जी के ये तीनों बंद्र हमें यह संदेश दे रहे हैं कि हमें बुरी चीज़ें नहीं देखनी चाहिए, बुरी बातें नहीं सुननी चाहिए और बुरी बातें नहीं कहनी चाहिए।

प्रश्न 2.
बुरी बातों से हम कैसे बच सकते हैं?
उत्तर :
बुरी बातों से बचने के लिए-
(क) हमें कोई गलत काम नहीं करना चाहिए।
(ख) बुरी चीज़ें नहीं देखनी चाहिए।
(ग) बुरी बातें नहीं सुननी चाहिए।
(घ) बुरी बातें नहीं कहनी चाहिए।

कुछ करने के लिए – 

गाँधी जी से जुड़ी किन्हीं तीन चीज़ों के चित्र बनाकर उनके नाम लिखिए-
उत्तर :
छात्र/छात्राएँ स्वयं करें।

DAV Class 4 Hindi Ch 3 Solutions – अनोखा ढंग

I. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गाँधी जी किसके प्रसार के लिए यात्रा पर निकले थे?
(क) शांति
(ख) अशांति
(ग) शिक्षा
(घ) अशिक्षा
उत्तर :
(क) शांति

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प्रश्न 2.
गाँधी जी कैसे पत्थर का उपयोग करते थे?
(क) काला पत्थर
(ख) खुरद्रा पत्थर
(ग) चिकना पत्थर
(घ) कोई नहीं।
उत्तर :
(ख) खुरद्रा पत्थर

प्रश्न 3.
गाँधी जी किसके घर ठहरे थे?
(क) जुलाहे
(ख) मोची
(ग) पंडित
(घ) ज़मींदार
उत्तर :
(क) जुलाहे

प्रश्न 4.
बापू स्त्रियों को कैसा बनाना चाहते थे?
(क) कायर
(ख) डरपोक
(ग) निडर
(घ) झगड़ालू
उत्तर :
(ग) निडर

प्रश्न 5.
इस पाठ के लेखक कौन हैं।
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) प्रेमचंद
(ग) उमाशंकर जोशी
(घ) उपर्युक्त तीनों।
उत्तर :
(ग) उमाशंकर जोशी

प्रश्न 6.
इस पाठ का शीर्षक क्या है?
(क) अनोखा ढ़ंग
(ख) बापू
(ग) मनु
(घ) शांति
उत्तर :
(क) अनोखा ढ़ंग

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II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शांति प्रसार के दौरान गाँधी जी कैसे यात्रा करते थे?
उत्तर :
शांति प्रसार के दौरान गाँधी जी पैदल यात्रा करते थे।

प्रश्न 2.
गाँधी जी को वह पत्थर किसने दिया था?
उत्तर :
गाँधी जी को वह पत्थर मीरा बहन ने दिया था।

प्रश्न 3.
जुलाहे के घर में कौन रहती थी?
उत्तर :
जुलाहे के घर में एक बुढ़िया रहती थी।

प्रश्न 4.
मनु को कितने मील चलकर गाँव जाना पड़ा?
उत्तर :
मनु को पंद्रह मील चलकर गाँव जाना पड़ा।

प्रश्न 5.
वह पत्थर कितने साल से उनका साथी था?
उत्तर :
वह पत्थर पच्चीस साल से उनका साथी था।

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प्रश्न 6.
पत्थर कहाँ रह गया था?
उत्तर :
पत्थर जुलाहे के घर रह गया था।

प्रश्न 7.
मनु किसे अपने साथ ले जाना चाहती थी?
उत्तर :
मनु स्वयंसेवक को अपने साथ ले जाना चाहती थी।

प्रश्न 8.
नोआखली में किसके जंगल थे?
उत्तर :
नोआखली में नारियल और सुपारी के जंगल थे?

III. लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गाँधी जी ने मनु को अकेले ही पत्थर लाने के लिए क्यों भेजा?
उत्तर :
गाँधी जी मनु को सबक सिखाना चाहते थे कि आगे वह इस तरह की लापरवाही न करे।

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प्रश्न 2.
मनु क्यों रो पड़ी?
उत्तर :
मनु अकेली ही पत्थर लाने गई थी। वह डरी हुई थी। उसे पंद्रह मील चलना पड़ा था। वह काफी थक गई थी। साथ ही उसे भूख भी लगी थी, इसलिए वह रो पड़ी।

प्रश्न 3.
बापू ने प्यार से मनु से क्या कहा?
उत्तर :
बापू ने मनु से कहा, “यह पत्थर पच्चीस साल से मेरा साथी है। जेल में रहूँ या महल में, यह सदा मेरे साथ रहता है। ऐसे पत्थर और मिल सकते हैं, लेकिन मैं तुझे यह सिखाना चाहता था कि लापरवाही करना उचित नहीं है।”

IV. किसने किससे कहा

(क) “तुम खुद वहाँ जाओ और पत्थर ढूँढ़कर ले आओ।”
उत्तर :
गाँधी जी ने मनु से कहा।

(ख) “किसी स्वयंसेवक को साथ ले लूँ?”
उत्तर :
मनु ने गाँधी जी से कहा।

(ग) “इस पत्थर के बहाने आज तेरी खूब परीक्षा हुई।।”
उत्तर :
गाँधी जी ने मनु से कहा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

I. नोआखली की घटना है। गाँधी जी शांति का प्रसार करने के लिए पैदल यात्रा कर रहे थे। वे सुबह-सुबह एक गाँव से निकलते और सात बजते-बजते दूसरे गाँव में पहुँच जाते। वहाँ पहुँचकर पहले तो लिखने-लिखाने का काम पूरा करते, उसके बाद स्नान करते। स्नान करते समय पैर साफ़ करने के लिए वह एक खुददरे पत्थर का उपयोग करते थे। वह पत्थर बरसों पहले मीरा बहन ने उन्हें दिया था। तब से बापू ने उसे बहुत सँभालकर रखा था।

प्रश्न 1.
गाँधी जी नोआखली क्यों गए थे?
उत्तर :
गाँधी जी नोआखली शांति का प्रसार करने गए थे।

DAV Class 4 Hindi Chapter 3 Question Answer - अनोखा ढंग

प्रश्न 2.
गाँधी जी कैसे यात्रा करते थे?
उत्तर :
गाँधी जी पैदल यात्रा करते थे। वे सुबह-सुबह एक गाँव से निकलते और सात बजते-बजते दूसरे गाँव पहुँच जाते।

प्रश्न 3.
गाँधी जी की दिनचर्या क्या थी?
उत्तर :
गाँधी जी सबसे पहले लिखने-लिखाने का काम करते। उसके बाद स्नान करते।

प्रश्न 4.
गाँधी जी अपने पैरों को कैसे साफ़ करते थे।
उत्तर :
गाँधी जी अपने पैरों को एक खुरदर्रे पत्थर से साफ़ करते थे।

प्रश्न 5.
वह पत्थर गाँधी जी को किसने द्यिया था?
उत्तर :
वह पत्थर गाँधी जी को मीरा बहन ने बरसों पहले दिया था।

II. मनु चुप रह गई। यह नहीं कह सकी कि अकेले जाते डर लगता है। बात यह है कि नोआखली में नारियल और सुपारी के जंगल थे। कोई भी रास्ता भूल सकता था। इसके अलावा मनु तब 15-16 साल ही की तो थी। अकेली कभी कहीं गई नहीं थी। लेकिन बापू के ‘क्यों का जबाव उससे देते नहीं बना।

प्रश्न 1.
मनु को अकेले डर क्यों लगता था?
उत्तर :
मनु अकेली कभी कहीं नहीं गई थी, इसलिए उसे अकेले डर लगता था।

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प्रश्न 2.
नोआखली में कैसे जंगल थे?
उत्तर :
नोआखली में नारियल और सुपारी के जंगल थे।

प्रश्न 3.
नारियल और सुपारी के जंगल कहाँ थे?
उत्तर :
नारियल और सुपारी के जंगल नोआखली में थे।

प्रश्न 4.
उस समय मनु कितने साल की थी?
उत्तर :
उस समय मनु 15-16 साल की थी।

प्रश्न 5.
‘बापू’ के ‘क्यों’ का जबाव मनु क्यों नहीं दे पाई?
उत्तर :
मनु की गलती के कारण बापू का पत्थर दूसरे गाँव में जुलाहे के घर छूट गया था। जब बापू ने उस पत्थर को ढूँढ़कर लाने को कहा, तब वह अकेले नहीं किसी स्वयंसेवक के साथ जाना चाहती थी। इसलिए वह बापू के ‘क्यों’ का जवाब नहीं दे पाई।

III. बापू ने प्यार से कहा, “इस पत्थर के बहाने आज तेरी खूब परीक्षा हुई। जानती है, यह पत्थर पच्चीस साल से मेरा साथी है। जेल में रहूँ या महल में, यह सदा मेरे साथ रहता है। ऐसे पत्थर और मिल सकते हैं, लेकिन लापरवाही उचित नहीं है। मैं तुझे यही दिखाना चाहता था।” मनु ने कहा, “बापू, अगर मैंने कभी भगवान का नाम सच्चे दिल से लिया है तो आज।” बापू ने कहा, “मैं स्त्रियों को निडर बनाना चाहता हूँ। केवल तुम नहीं आज मैं भी कसौटी पर कसा गया।” मनु ने कुछ कहा तो नहीं, लेकिन मन-ही-मन ज़रूर कबूल किया होगा कि सीख देने का बापू का ढंग बिलकुल अनोखा था।

प्रश्न 1.
बापू ने मनु को कैसे समझाया?
उत्तर :
बापू ने मनु को प्यार से समझाया।

प्रश्न 2.
वह पत्थर बापू के पास कितने साल से था?
उत्तर :
वह पत्थर बापू के पास पच्चीस साल से था।

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प्रश्न 3.
बापू स्त्रियों को कैसा बनाना चाहते थे?
उत्तर :
बापू स्त्रियों को निडर बनाना चाहते थे।

प्रश्न 4.
मनु ने मन-ही-मन क्या कबूल किया?
उत्तर :
मनु ने मन-ही-मन कबूल किया कि बापू का सीख देने का ढंग अनोखा था।

प्रश्न 5.
सीख देने का बापू का ढंग कैसा था?
उत्तर :
सीख देने का बापू का ढंग बिलकुल अनोखा था।

अनोखा ढंग Summary in Hindi

पाठ-परिचय :

‘अनोखा ढंग’ शीर्षक पाठ गाँधी जी की आद्तों पर केंद्रित है। इस पाठ में यह भी बताया गया है कि गाँधी जी के सीख देने का ढंग भी अनोखा था। उन्हें अपनी चीज़ों को सँभालकर रखने की आदत थी और वे चाहते थे कि हर व्यक्ति अपनी चीज़ों को सँभालकर सही जगह पर रखे।

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पाठ का सारांश :

बात उन दिनों की है, जब गाँधी जी नोआखली में शांति का प्रसार करने के लिए पैद्ल यात्रा कर रहे थे। गाँधी जी जहाँ भी जाते थे, अपनी ज़रूरत की चीज़ें लंकर जाते थे। स्नान करने के बाद वे पैर साफ़ करने के लिए एक खुरदर्रे पत्थर का उपयोग करते थें वह पत्थर वर्षों पहले मीरा बहन ने उन्हें दिया था।

गाँधी जी जब एक गाँव में पहुँचे तो स्नान करते समय उन्हें वह खुरदरा पत्थर नहीं मिला। मनु ने बताया कि शायद वह पत्थर कल जुलाहे के घर पर रह गया होगा। गाँधी जी ने कहा “तुम खुद जाकर पत्था लाओ।” मनु अकेले जाना नहीं चाहती थी, क्योंकि नोआखली में नारियल और सुपारी के जंगल थे। लंक्रिबापू के कहने पर मनु उसी रास्ते पर चल पड़ी, जिस रास्त से वे लोग आए थे। पैरों के निशान के मह : वह जुलाहे के घर पहुँच तो गई, किंतु जुलाहे के घर की बुढ़िया ने भी उस पत्थर को कूड़े के साथ म्ड दिया था। दोनों ने मिलकर पत्थर को खोजा। भाग्य की बात, पत्थर मिल गया। मनु उस पत्थर को क्रदिन के एक बजे पहुँची। पंद्रह मील चलने के बाद मनु काफी थक गई थी। भूख के मारे उसक इबेहाल था। वह सीधे बापू के पास पहुँची और उनकी गोद में उस पत्थर को डालकर रो पड़ी।

बापू ने उसे प्यार से उठाया और बताया कि यह पत्थर पच्चीस साल से मेरा साथी है। जेल में नह महल में, यह सदा मेरे साथ रहता है। ऐसे पत्थर और भी मिल सकते हैं, किंतु मैं तुझे यह बनाना चाहथा कि लापरवाही करना उचित नहीं है। मनु ने कहा, “बापू, आज मैंने सच्चे दिल से भगवान क नान लिया है।” बापू ने कहा, “मैं स्त्रियों को निडर बनाना चाहता हूँ। आज तुम ही नहीं, मैं भी कमीटी पर कसा गया हूँ।” मनु ने मन-ही-मन कबूल किया कि सीख देने का बापू का ढंग बिलकुल अनांख्ता था।