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DAV Class 4 Hindi Chapter 2 Question Answer – उलटा-पुलटा
DAV Class 4 Hindi Ch 2 Question Answer – उलटा-पुलटा
कविता में से
प्रश्न 1.
गिरगिट और मकड़ी गिरने के बाद क्या करते हैं?
उत्तर :
गिरगिट और मकड़ी गिरने के बाद तुरंत सँभल जाते हैं और आगे की ओर बढ़ने लगते हैं।
प्रश्न 2.
कैसे व्यक्ति पछताते हैं?
उत्तर :
गिरने या पिछड़ने पर हिम्मत खो देने वाले व्यक्ति पछताते हैं।
प्रश्न 3.
कौन-से व्यक्ति सुख पाते हैं?
उत्तर :
गिरने या पिछड़ने पर हिम्मत नहीं खोने वाले व्यक्ति सुख पाते हैं।
प्रश्न 4.
गिरने पर हिम्मत क्यों नहीं हारनी चाहिए?
उत्तर :
गिरने पर हिम्मत खो देने वाले व्यक्ति को जीवन भर पछताना पड़ता है। इसलिए हमें गिरने पर हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
बंदर आँख मींचकर हँसता है। आप भी कभी-कभी आँख मींचकर हँसते हैं। क्यों?
उत्तर :
हम भी कभी-कभी आँख मींचकर हँसते हैं। आँख मींचकर हँसना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो अपने-आप हो जाती है।
प्रश्न 2.
चींटी, मकड़े, छिपकली आदि कैसे गिर जाते होंगे?
उत्तर :
चींटी, मकड़े और छिपकली ऊँचाई की ओर बढ़ते हैं। इसी दौरान शारीरिक संतुलन बिगड़ जाने के कारण वे गिर जाते होंगे।
प्रश्न 3.
बताइए, ये हमारे घरों में कहाँ मिलते हैंमकड़ी, चींटियाँ, छिपकली, तिलचट्टे।
उत्तर :
मकड़ी- दीवार के कोने में और छत के नीचे।
चीटियाँ- घर में वहाँ जहाँ कहीं बिल हो या
खाने की मीठी वस्तु हो।
छिपकली-दीवार पर
तिलचट्टे-रसोईघर/घर के कोने में।
प्रश्न 4.
आप कब-कब हिम्मत खोने लगते हैं? उस समय आपकी मदद कौन करता है और कैसे करता है?
उत्तर :
हम उस वक्त हिम्मत खोने लगते हैं, जब हमसे बिना कारण कोई गलती हो जाती है या जब परीक्षा में अच्छे अंक नहीं आते। वैसी स्थिति में मेरे माता-पिता मेरी मद्द करते हैं। वे मुझे प्यार से समझाते हैं, और हिम्मत देते है।
प्रश्न 5.
कवि ने इस कविता को ‘उलटा-पुलटा’ नाम क्यों दिया होगा? आप भी कोई शीर्षक बताइए।
उत्तर :
इस कविता में जितने कीड़े-मकोड़ों या जानवरों की चर्चा की गई है, वे सभी गिरने पर तुरंत उलट-पुलट जाते हैं। शायद इसीलिए कवि ने इस कविता का नाम ‘उलटा-पुलटा’ रखा होगा।
मेरी ओर से इस कविता का शीर्षक होगा-अनमोल सीख। जीवन में गिरना और सैभलना ही ज़िद्गी है। यही जीवन की अनमोल सीख है।
आपकी कल्पना
अगर आपके पूरे घर में छिपकली, चींटे और तिलचट्टे आ जाएँ तो क्या होगा?
उत्तर :
छात्र/छात्राएँ अपनी कल्पना से बताएँ। भाषा की बात-
1. नीचे दिए गए शब्दों में सही जगह पर लगाइए-
चीटी आख बदर हसता
उत्तर :
चींटी आँख बंदर हँसता
2. समान तुक वाले शब्द लिखिए-
उत्तर :
3. कविता में जो-जो भी जीव-जंतु आए हैं उनमें से किसी एक पर कविता बनाइए
उत्तर :
बंदर
बंदर नहीं बनाते घर
घूमा करते इधर-उधर।
आकर करते खों-खों
रोटी हमें न देते क्यों।
छीन-झपट ले जाएँगे
बैठ पेड़ पर खाएँगे।
4. छिपकली छत से गिर जाती है। गिरने पर छिपकली ने क्या कहा होगा? उसकी माँ ने उसे क्या समझाया होगा? छिपकली और उसकी माँ के बीच का संवाद लिखिए-
उत्तर :
माँ-छिपकली सँभलकर चलो।
छिपकली-माँ, मैं बार-बार गिर जाती हूँ।
माँ-छिपकली, गिरने से घबराना नहीं चाहिए।
छिपकली-माँ, ऐसा क्यों?
माँ-छिपकली, अगर गिरने से हम घबरा जाएँगे, तो हमें सफलता नहीं मिलेगी। गिरकर तुरंत सँभल जाओ और आगे की ओर बढ़ो। छिपकली-ठीक है, माँ। माँ-धन्यवाद, छिपकली।
जीवन मूल्य
1. मान लीजिए कि आप पिकनिक पर जा रहे हैं और आप देखते हैं कि नेत्रहीन व्यक्ति को सड़क पार करने में मुश्किल आ रही है। ऐसी परिस्थिति में आप क्या करेंगे?
उत्तर :
यदि नेत्रहीन व्यक्ति को सड़क पार करने में मुश्किल आ रही है तो ऐसी परिस्थिति में मैं सड़क पार कराने में उसकी मद् करूँगा।
2. जीवन में आई कठिनाइयों से न घबराकर बंदर, गिरगिट, चींटे, छिपकली आदि सब आगे बढ़ते हैं, क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
क्या आप इस बात से सहमत हैं? क्यों/क्यों नहीं? बताइए।
उत्तर :
हम इस बात से सहमत हैं, क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। जिस प्रकार गिरगिट, चींटे, छिपकली और मकड़े की कोशिश उन्हें सफलता दिलाती है, उसी प्रकार लोगों की कोशिश भी उन्हें सफलता दिलाती है। जिससे उनकी कभी हार नहीं होती।
कुछ करने के लिए
रंग भरिए-
उत्तर :
छात्र/छात्राएँ स्वयं करें।
DAV Class 4 Hindi Ch 2 Solutions – उलटा-पुलटा
I. बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
इस कविता का शीर्षक क्या है?
(क) मौसम
(ख) उलटा-पलटा
(ग) गीत
(घ) बसंत
उत्तर :
(ख) उलटा-पलटा
प्रश्न 2.
इस कविता के कवि कौन है?
(क) भगवती प्रसाद् द्विवेदी
(ख) कबीर
(ग) श्री विजय गुप्त
(घ) तुलसीदास
उत्तर :
(क) भगवती प्रसाद् द्विवेदी
प्रश्न 3.
इस कविता में किसकी चर्चा की गई है?
(क) पशु
(ख) कीड़े-मकौड़े
(ग) पशु/कीड़े-मकौड़े
(घ) उपर्युक्त तीनों
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त तीनों
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
तीन रेंगने वाले जीवों के नाम लिखें।
उत्तर –
साँप, छिपकली, गिरगिट।
प्रश्न 2.
छिपकली निचली छत से कैसे गिरती है?
उत्तर :
छिपकली निचली छत से छपाक से गिरती है।
प्रश्न 3.
दो ऐसे जीवों के नाम बताए जो गिरते पलट जाते हैं।
उत्तर :
तिलचट्टा, चींटा।
प्रश्न 4.
कैसे व्यक्ति जीवन में सुख पाते हैं?
उत्तर :
जो गिरने और पिछड़ने पर भी अपनी हिम्मत नहीं खोते हैं, वैसे व्यक्ति जीवन में सुख पाते हैं।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
छिपकली, गिरगिट, चींटी, तिलचट्टे, मकड़े तथा बंदर के स्वभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
छिपकली, गिरगिट, तिलचट्टे और मकड़े जब गिरते हैं तो तुरंत सँभल जाते हैं और उसी क्षण उठकर अपने-आप आगे बढ़ जाते हैं। तिलचट्टे और चींटे जब एकाएक पलट जाते है, तो तुरंत अपने हाथ-पैरों से सीधं हो आगे चल देते हैं। उसी तरह बंद्र भी ऊपर की डाली से गिरकर नीचे आने पर दूसरी डाली को मजबूती से पकड़कर ख़ुश हो जाते हैं।
प्रश्न 2.
गिरने और पिछड़ने पर जो हिम्मत खो देते हैं, उनका क्या होता है?
उत्तर :
गिरने और पिछड़ने पर जो हिम्मत खो देते हैं. वे जीवन भर पछताते हैं तथा उन्हें जीवन में कभी भी सुख नहीं प्राप्त होता।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
I. चलते-चलते निचली छत से
गिरती जब छिपकली छपाक,
तुरंत सँभल जाती उस क्षण ही
उठ चल देती अपने-आप।
ऊपर की डाली से बंदर जब आ गिरता है नीचे,
झटपट पकड़ दूसरी डाली हँसता है आँखें मींचे।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘भाषा माधुरी’ में संकलित ‘उलटा-पुलटा’ शीर्षक कविता से ली गई हैं। इनके रचयिता भगवती प्रसाद द्विवेदी जी हैं। इन पंक्तियों में कुछ कीड़े-मकोड़े तथा जानवरों के स्वभाव के बारे में बताया गया है।
व्याख्या-इस पंक्तियों के माध्यम से कवि ने यह स्पष्ट किया है कि किस तरह एक छिपकली छत से गिरते ही उसी क्षण सँभल जाती है और अपने-आप चलने लगती है। ऊपर की डाली पर बैठा बंदर नीचे की डाली पर गिरते ही झटपट दूसरी डाली पकड़कर खुश हो जाता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रस्तुत कविता के कवि हैं-
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) भगवती प्रसाद् द्विवेदी
(ग) सफ़दर हाशमी
(घ) शशिपाल शर्मा
उत्तर :
(ख) भगवती प्रसाद् द्विवेदी
प्रश्न 2.
छिपकली छत से गिरते ही-
(क) सो जाती है।
(ख) घायल हो जाती है।
(ग) अपने-आप आगे बढ़ जाती है।
(घ) उठाना पड़ता है।
उत्तर :
(ग) अपने-आप आगे बढ़ जाती है।
प्रश्न 3.
ऊपर की डाली से जब बंदर नीचे गिरता है तो-
(क) दूसरी डाली पकड़ लेता है।
(ख) नीचे गिर जाता है।
(ग) कूद जाता है।
(घ) घायल हो जाता है।
उत्तर :
(क) दूसरी डाली पकड़ लेता है।
प्रश्न 4.
दूसरी डाली पकड़कर बंदर-
(क) दुखी हो जाता है।
(ख) खुश हो जाता है।
(ग) कूद्ने लगता है।
(घ) भागने लगता है।
उत्तर :
(ख) खुश हो जाता है।
प्रश्न 5.
इनमें से कौन-सा शब्द बंदर का पर्यायवाची है-
(क) गज
(ख) कपि
(ग) मृग
(घ) खग
उत्तर :
(ख) कपि
II. चींटी गिरती, मकड़े गिरते
गिरगिट गिरते और सँभलते,
गिरने पर वे साहस खोकर
कभी न अपनी आँखें मलते।
गिरने और पिछड़ने पर
जो हिम्मत खोते, पछताते हैं।
धूल झाड़ जो तुरंत सँभलते
वे जीवन में सुख पाते हैं।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘भाषा माधुरी’ में संकलित ‘उलटा-पुलटा’ शीर्षक कविता से ली गई हैं। इनके रचयिता भगवती प्रसाद द्विवेदी जी हैं। इन पंक्तियों में कवि ने कुछ कीड़ेमकड़ों के माध्यम से यह बताना चाहा है कि गिरने या पिछड़ने पर व्यक्ति को हार नहीं मानना चाहिए। जो तुरंत सँभलकर आगे बढ़ जाते हैं वे जीवन में सदा सुखी रहते हैं।
व्याख्या-चींटी, मकड़े और गिरगिट छत या दिवार से गिरते ही सँभल जाते हैं। वे अपना साहस कभी नहीं खोते। उसी प्रकार आदमी को भी गिरने या पिछड़ने पर अपनी हिम्मत नहीं खोनी चाहिए, पछताना नहीं चाहिए, बल्कि अपने-आप को सँभालकर आगे बढ़ जाना चाहिए। जो व्यक्ति सँभलकर आगे बढ़ जाते हैं, वे ही जीवन में सुख पाते हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
चींटी, मकड़े और गिरगिट छत या दीवार से गिरते ही-
(क) सँभल जाते हैं।
(ख) साहस खो देते हैं।
(ग) मर जाते हैं।
(घ) घायल हो जाते हैं।
उत्तर :
(क) सँभल जाते हैं।
प्रश्न 2.
गिरने या पिछड़ने पर-
(क) साहस खो देना चाहिए।
(ख) सँभल जाना चाहिए।
(ग) पछताना चाहिए।
(घ) रोना चाहिए।
उत्तर :
(ख) सँभल जाना चाहिए।
प्रश्न 3.
‘गिरना’ का विलोम शब्द है-
(क) रोना
(ख) उठना
(ग) जगना
(घ) सोना
उत्तर :
(ख) उठना
प्रश्न 4.
जीवन में वे सुख पाते हैं, जो-
(क) पछताते हैं।
(ख) घबड़ाते हैं।
(ग) सँभल जाते हैं।
(घ) हिम्मत खो देते हैं।
उत्तर :
(ग) सँभल जाते हैं।
प्रश्न 5.
‘हिम्मत’ का अर्थ है-
(क) ताकत
(ख) साहस
(ग) निडर
(घ) निर्भय
उत्तर :
(ख) साहस
शब्दार्थ:
- साहस – हिम्मत
- पिछड़ना – पीछे छुट जाना
- पछताना – अफ़सोस करना
- एकाएक – अचानक
- छपाक – गिरने की आवाज़
- उस क्षण – उस समय
- पलटना – उलट जाना।
उलटा-पुलटा Summary in Hindi
कविता-परिचय :
‘उलटा-पुलटा’ शीर्षक कविता में कुछ कीड़े-मकोड़े तथा जानवरों के स्वभाव के बारे में बताया गया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि गिरने या पिछड़ने पर जो हिम्मत खो देते हैं, वे जीवन भर पछताते हैं, लेकिन जो गिरते ही सँभल जाते हैं, वे जीवन में सुख पाते हैं।
कविता का सारांश :
‘उलटा-पुलटा’ शीर्षक कविता के कवि भगवती प्रसाद द्विवेदी जी हैं। उन्होंने इस कविता के माध्यम से कुछ जानवरों तथा कीड़े-मकोड़े के स्वभाव का वर्णन किया है कि किस तरह एक छिपकली छत से गिरते ही उसी क्षण सँभल जाती है और उसी क्षण उठकर अपने-आप चलने लगती है। ऊपर की डाली पर बैठा बंद्र नीचे की डाली पर गिरते ही झटपट दूसरी डाली को पकड़कर खुश हो जाता है। तिलचट्टे और चींटी का यह स्वभाव होता है कि वे अचानक से पलट जाते हैं और झट से सीधे होकर आगे बढ़ जाते हैं। तात्पर्य यह है कि जिस प्रकार चींटी, मकड़े, गिरगिट गिरते ही सँभल जाते हैं, अपनी हिम्मत नहीं खोते है, उसी प्रकार गिरने या पिछड़ने पर हिम्मत खोने वाले को जीवन भर पछताना पड़ता है और जो गिरने या पिछड़ने पर सँभल जाते हैं, वे जीवन भर सुख पाते हैं।