नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध – Essay on Rights and Responsibilities of Citizens in Hindi
संकेत बिंदु :
- भूमिका
- जनसंख्या वृद्धि प्रगति में बाधक
- आतंकवाद
- देश को खंडित करने की कुचालें
- असमानता
- निराकरण।
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
भारत एक विशाल राष्ट्र है। स्वतंत्रता से पूर्व यहाँ की सबसे बड़ी समस्या थी-परतंत्रता या गुलामी। हज़ारों-लाखों शहीदों और राष्ट्रभक्तों के बलिदान और प्रयास से हमें आजादी मिली। ऐसा नहीं है कि आजादी मिलते ही सारी समस्याएँ समाप्त हो गईं। आधुनिक भारत में अनेक समस्याएँ हैं जो उसकी प्रगति की राह में बाधा बनी हुई हैं।
वर्तमान भारत की सबसे मुख्य समस्या जनसंख्या की वृद्धि है। इसका असर हर शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र में देखा जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि बँटते-बँटते अब घर बनाने भर के लिए भी नहीं बची है।
शहरी क्षेत्र में यह जनसंख्या बहुत सी समस्याओं की जड़ बन चुकी है। भोजन, आवास, परिवहन, चिकित्सा सेवा, शिक्षा आदि क्षेत्रों में भयंकर भीड़ है। वस्तुतः ये सुविधाएँ हर साल कम पड़ती जा रही हैं। सरकार इनकी पूर्ति करने का जितना प्रयास करती है, बढ़ती जनसंख्या उस प्रयास को विफल कर देती है।
वर्तमान भारत को आतंकवाद की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कभी यह घरेलू होता है तो कभी विदेशी। यह अपने साथ जान-माल की भयंकर क्षति साथ लेकर आता है। बहुत से निर्दोष लोगों को अकारण अपनी जान गंवानी पड़ती है। सेना और पुलिस के जवान अकारण कुर्बान होते हैं। पंजाब, जम्मू-कश्मीर, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल आदि में आतंकी समय-समय पर यह घृणित काम कर जाते हैं।
आज भारत को खंडित करने की कुचाल चली जा रही है। पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान इस पर नज़र गड़ाए बैठे हैं। ये भारत की एकता और अखंडता को तार-तार करना चाहते हैं। इसके अलावा अपने देश के कुछ तथाकथित राष्ट्रसेवक (नेतागण) क्षेत्रीयता, धार्मिकता, सांप्रदायिकता, भाषागत और जातीय आधार पर लोगों को उकसाकर, क्षेत्रीय पार्टियाँ बनाकर राज्यों के और टुकड़ेकर देश की एकता, अखंडता पर प्रहार कर रहे हैं। केंद्र सरकार की तुष्टीकरण की नीति भी इस काम में सहायक हो रही है।
कभी ‘सोने की चिड़िया’ कहे जाने वाले देश की बहुसंख्यक जनता की आज भी अपनी ज़रूरतें पूरी नहीं हो रही हैं। इसका कारण गरीबी है। देश का सारा धन कुछ मुट्ठी भर लोगों के कब्जे में है जिस पर वे कुंडली मारे बैठे हैं। गरीब भूख से मर रहा है और ये रईस बदहज़मी से।
आम व्यक्ति कुपोषण का शिकार हो रहा है और ये मोटपे का। सरकार की योजनाएँ भी भ्रष्ट अधिकारियों के कारण उन तक नहीं पहुँच पा रही हैं। वे गरीबों की भलाई की जगह अपना ही भला करने में लगे हैं। नेतागण भी इस काम में पीछे नहीं हैं। वे जनता की गरीबी हटाने के बजाए अपनी अमीरी बढ़ाने में लगे हैं।
इन समस्याओं से देश को मुक्त करने के लिए सरकार को निष्ठा से प्रयास करना चाहिए।