कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Essay On Computer Education In Hindi)
कम्प्यूटर के चमत्कार – Computer Wonders
रूपरेखा-
- प्रस्तावना,
- कम्प्यूटर का इतिहास,
- कम्प्यूटर का प्रसार,
- भारत में कम्प्यूटर,
- कम्प्यूटर के चमत्कार,
- कम्प्यूटर शिक्षा की आवश्यकता,
- उपसंहार।
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – Kampyootar Shiksha Par Nibandh
प्रस्तावना-मानव-
समाज को सुसभ्य और प्रगतिशील बनाने में जिन वैज्ञानिक आविष्कारों ने क्रान्तिकारी योगदान किया है, उनमें कम्प्यूटर को निस्सन्देह आज शीर्ष स्थान प्राप्त हो गया है। जीवन के सभी क्षेत्रों में कम्प्यूटर ने जितनी शीघ्रता और व्यापकता से प्रवेश किया है, वह सचमुच आश्चर्य का विषय है। आज तो कम्प्यूटर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, चारों पुरुषार्थों की सिद्धि में मनुष्य का सहयोग कर रहा है।
कम्प्यूटर का इतिहास-
कम्प्यूटर के आविष्कार का प्रथम प्रयास यूनान तथा मिस्र देशों में हुआ था। वहाँ ईसा से 1000 वर्ष पूर्व एबैकस नामक यंत्र का आविष्कार किया गया था। यह गणना करने तथा गणित सम्बन्धी प्रश्न हल करने में काम आता था। सन् 1673 ई. में फ्रांस के ब्लेज पैस्कल नामक युवक ने कम्प्यूटर बनाया। आधुनिक कम्प्यूटर का आविष्कार सन् 1833 ई. में इंग्लैंड के चार्ल्स बैवेज नामक गणितज्ञ ने किया था।
भारत में कम्प्यूटर-
भारत में कम्प्यूटर का आयात सन् 1965 ई. में किया गया। ‘मेन फ्रेम’ नामक यह कम्प्यूटर बहुत बड़ा तथा महँगा था। निजी कम्प्यूटर (पी.सी.) सन् 1985 में आया। सन् 1986 में इसका मूल्य घटाकर आधा कर दिया गया। उसके बाद भारत में कम्प्यूटर के प्रयोग तथा शिक्षा में तीव्र गति से वृद्धि हुई है।
कम्प्यूटर का प्रसार-
आरम्भिक कम्प्यूटर इतने स्थूलकाय थे और उनका संचालन इतना श्रमसाध्य था कि कम्प्यूटर का कोई उज्ज्वल भविष्य नहीं दिखाई देता था। किन्तु ट्रांजिस्टरों एवं चिप्स के प्रयोग से जैसे-जैसे कम्प्यूटर लघुकाय होते गये, उनका प्रचार-प्रसार बड़ी तीव्रता से बढ़ता गया।
आज पी. सी. और लैपटॉप संस्करणों के रूप में कम्प्यूटर घर-घर में जगह बनाता जा रहा है। शिक्षा, व्यापार, अनुसंधान, युद्ध, उद्योग, कृषि, संचार, अंतरिक्ष विज्ञान, मौसमी भविष्यवाणी आदि सभी क्षेत्रों में कम्प्यूटर का प्रवेश हो चुका है।
अब तो कम्प्यूटर ज्योतिषी बनकर जन्मकुण्डली भी बना रहा है और वैवाहिक-एजेण्ट की भूमिका भी निभा रहा है। हमारे देश में कम्प्यूटर अभी नगरों तक ही सीमित है किन्तु शीघ्र ही यह देश के ग्रामीण क्षेत्रों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने लगेगा।
कम्प्यूटर के चमत्कार-
कम्प्यूटर का सबसे बड़ा चमत्कार यह है कि उसके सहयोग से अन्य यंत्रों; प्रणालियों एवं युक्तियों की कार्यक्षमता को कहीं अधिक दक्ष, प्रभावी और तीव्र बनाया जा सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर ने छात्रों के लिए ज्ञान-विज्ञान और प्रशिक्षण के अपार क्षेत्र खोल दिए हैं।
विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान, डाटा संग्रह और प्रत्यक्ष प्रयोग में सहायक बनकर कम्प्यूटर ने अपनी अपरिहार्यता प्रमाणित कर दी है। कम्प्यूटर की सहायता से ही नासा के वैज्ञानिक धरती पर बैठे-बैठे मंगलग्रह पर जीवन की खोज कर रहे हैं।
कम्प्यूटर से ही प्रक्षेपास्त्रों का संचालन और नियंत्रण हो रहा है। असाध्य रोगों के लिए औषधियों की खोज में कम्प्यूटर सहायक है। प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान में कम्प्यूटर ही प्रमुख भूमिका अदा कर रहा है।
विशालकाय उद्योगों का संचालन, बैंकिग, संचार, परिवहन यहाँ तक कि सामान्य गृहिणी की सेवा के लिए भी कम्प्यूटर हाजिर है। कम्प्यूटर ने मनुष्य की कार्यकुशलता ही नहीं बढ़ाई है, अपितु उसकी बौद्धिक क्षमता का भी अपार विस्तार किया है।
कम्प्यूटर शिक्षा की आवश्यकता-
आज कम्प्यूटर को शिक्षा का अभिन्न अंग स्वीकार कर लिया गया है। राजस्थान में सीनियर सैकेण्डरी स्तर तक कम्प्यूटर शिक्षा अनिवार्य किया जाना इसके महत्त्व का स्पष्ट संकेत है। मेरी दृष्टि में हर छात्र के लिए आज कम्प्यूटर शिक्षा प्राप्त करना आवश्यक है।
छात्रों का भविष्य आज कम्प्यूटर से जुड़ गया है। चाहे वह लिपिक बनना चाहे या व्यापारी, वैज्ञानिक बनना चाहे या प्रबन्धन क्षेत्र में जाए, कलाकार बने या अध्यापक, कम्प्यूटर-शिक्षा उसकी अतिरिक्त योग्यता बन चुकी है।
आजीविका और रोजगार की दृष्टि से वर्तमान परिप्रेक्ष्य पर विचार करें तो आई. टी. क्षेत्र तथा सॉफ्टवेयर उद्योग में अवसरों की अपार सम्भावनाएँ लक्षित हो रही हैं। इनके लिए कम्प्यूटर-शिक्षा अनिवार्य है। इस प्रकार हर दृष्टि से कम्प्यूटर-शिक्षा की उपयोगिता प्रमाणित हो रही है।
उपसंहार-
आज मनुष्य कम्प्यूटर के रोमांचकारी और सुख-सुविधा प्रदायक स्वरूप पर मुग्ध है किन्तु मानव-जीवन में कम्प्यूटर का दिनोंदिन बढ़ता प्रभाव खतरे की घण्टी भी है। वैज्ञानिक कम्प्यूटर को अधिकाधिक सक्षम और संवदेनशील बनाने में जुटे हैं।
स्मार्ट कम्प्यूटर की कल्पना साकार करने में लगे हैं। भले ही कम्प्यूटर मन-मस्तिष्क का स्थानापन्न न बन पाए किन्तु वह धीरे-धीरे मनुष्य को उसकी प्राकृतिक क्षमताओं से वंचित तो कर ही देगा। इतिहास साक्षी है कि मनुष्य ने वैज्ञानिक क्षमताओं का प्रयोग निर्माण के साथ-साथ ध्वंस के लिए भी किया है।
अतः हमें रोबोट्स (यंत्र मानव) पर विमुग्ध होने के साथ ही कम्प्यूटरीकृत सैनिकों के निर्माण के भयावह परिणामों पर ध्यान देना होगा। कम्प्यूटर मानव-कल्याण का ही सूत्रधार बना रहे, यही हम सबकी कामना और प्रयास होना चाहिए।