DAV Class 8 Hindi Chapter 5 Question Answer – आकाश को सात सीढ़ियाँ

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आकाश को सात सीढ़ियाँ Summary in Hindi

पाठ- परिचय:

अंतरिक्ष विज्ञान पर आधारित इस पाठ में वर्णन है कि रॉकेट पायलट बनने के लिए किन बाधाओं को पार करना पड़ता है। अख़बार में प्रकशित एक विज्ञापन के आलोक में लेखक को मुंबई से बुलावा आता है। निर्धारित स्थान पर पहुँचकर वे सात सीढ़ियाँ यानी सात बाधाओं से गुज़रते हैं। रोचक तरीके से वर्णित इस पाठ में सफलता प्राप्ति के लिए कष्ट सहन करने का संदेश दिया गया है।

पाठ का सार:

अंतरिक्ष में उड़ान भरने का आकांक्षी लेखक फ्लाइंग क्लब में प्रवेश कर विमान चालक बन चुका है। अख़बार में रॉकेट पायलट के लिए प्रकाशित विज्ञापन को देख आवेदन करने, तत्पश्चात बुलावा आने पर लेखक मुंबई पहुँचते हैं। निर्धारित स्थान ‘महाकाश गवेषणा केंद्र’ में पहुँचकर लेखक ने देखा कि वहाँ पूरे भारत से आए प्रार्थी एकत्रित हैं। लेखक की सामान्य कद-काठी को देखकर पहलवाननुमा कई प्रार्थी हँस पड़ते हैं। आत्मविश्वासी लेखक इससे विचलित नहीं होते और अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हैं। तभी वहाँ एक डॉक्टर ने आकर सात बड़े-बड़े संदूकों की ओर इंगित करते हुए कहा, “ये हैं स्वर्ग को जाने की सात सीढ़ियाँ । इन्हें पार करने वाला स्वर्ग जा सकता है, ऐसा हम मान लेंगे। उसके बाद उसे रॉकेट पायलट का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ”

लेखक परीक्षण की पहली सीढ़ी पार करने ‘घुप अँधेरी पेटी’ नामक संदूक की ओर बढ़ते हैं। इस संदूक के अंदर अंतरिक्ष की ही भाँति अँधेरे में रहने की परीक्षा ली गई । यहाँ तनिक अँगड़ाई लेने की भी जगह नहीं थी । चारों ओर लटके तारों के द्वारा वे लोग बाहर से लेखक के शरीर और मन की परीक्षा ले रहे थे। सुबह होने पर लेखक को वहाँ से निकालकर दूसरे संदूक में ले जाया गया । ‘शैतान – चकरी संदूक’ में प्रवेश करते ही यह घूमने लगा। ठीक वैसे ही जैसे रॉकेट पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। इसमें लगे स्विच को दबाते ही संदूक के अंदर की बत्ती बुझ जाती थी। बत्ती बुझते ही प्रार्थी को डरा मानकर वे लोग चकरी का घूमना बंद कर देते थे। दूसरी परीक्षा में सफल होने पर लेखक को तीसरे संदूक ‘लाख की कोठरी’ में भेजा गया।

लाख की कोठरी में घुसते ही संदूक को गरम कर दिया गया। पांडवों को ऐसे ही एक घर में रखकर कौरवों ने आग लगाई थी। इस संदूक में पसीने से लथपथ होने पर भी लेखक बैठे रहे। परीक्षा में सफल होकर बाहर निकलने पर लेखक को ज्ञात हुआ कि इस कक्ष का तापमान 103 डिग्री फ़ारेनहाइट था। इसके बाद लेखक चौथे संदूक ‘ध्वन्यागार’ में गए। कानों में रुई का फाया लगाकर लेखक भीषण शोर से बचे । अन्यथा कानों के पर्दे फटने का भय था । इस परीक्षा में सफल रहने पर लेखक पाँचवें ‘नाचने वाला संदूक’ में पहुँचे। संदूक नाचने-कूदने लगा। संदूक के साथ लेखक घूमते-नाचते रहे। नाचनेवाले संदूक से निकलते ही उन लोगों ने लेखक को छठे संदूक में भर दिया। ‘ भार – शून्य संदूक’ में घुसते ही देह का वज़न गायब हो गया। शरीर था, पर वज़न नहीं। इस परीक्षा को भी लेखक ने सफलतापूर्वक पूरा किया।

सातवीं सीढ़ी थी- ‘महाशून्य संदूक’। सर्वाधिक कष्ट यहीं हुआ। रॉकेट पायलट की पोशाक और मुखौटा लगाकर ऑक्सीजन की थैली के साथ लेखक इस संदूक में पहुँचे। ऊँचाई नापने वाला यंत्र सामने लगा था । पचहत्तर हज़ार फीट की ऊँचाई को सफलतापूर्वक पार करने के पश्चात लेखक रॉकेट पायलट चुन लिए गए। पहलवाननुमा प्रार्थी कहाँ गए, लेखक को नहीं पता। रॉकेट पायलट चुने जाने पर लेखक के गुरु जी को आश्चर्य नहीं हुआ। उन्होंने केवल इतना कहा – “देह और मन को साध लेने पर व्यक्ति और भी दुःसाध्य काम कर सकता है। ”

DAV Class 8 Hindi Chapter 5 Question Answer - आकाश को सात सीढ़ियाँ

शब्दार्थ:

प्रार्थी – उम्मीदवार।
एकत्रित – इकट्ठा होना।
प्रकोष्ठ – कक्ष।
रंचमात्र – थोड़ा भी।
पुलकित – खिल उठना/प्रसन्न होना।
नाद – ध्वनि।
मुँदना – पलकों का स्वयं बंद होना।
लघुचाप – हैरानी।
दुःसाध्य – जिसे साधना/प्राप्त करना कठिन हो।