DAV Class 8 Hindi Chapter 4 Question Answer – दोपहरी

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DAV Class 8 Hindi Chapter 4 Question Answer – दोपहरी

DAV Class 8 Hindi Ch 4 Question Answer – दोपहरी

कविता में से

प्रश्न 1.
गरमी का वृक्षों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
गरमी के कारण वृक्षों के पत्ते झुलस गए। उनकी पत्तियाँ गिर गईं। पत्रविहीन वृक्ष एक विशाल कंकाल के जैसे दिखने लगे।

प्रश्न 2.
‘जूते फटे हुए, जिनमें से झाँक रही गाँवों की आत्मा’ – कविता की इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘जूते फटे हुए, जिनमें से झाँक रही गाँवों की आत्मा’- कविता की इस पंक्ति का भाव यह है कि दोपहरी में एक ग्रामीण गठरी में कुछ सामान उठाए जा रहा है। उसके फटे जूते से उसके पैर दिख रहे हैं। यह भारत के

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प्रश्न 3.
गाँवों की आत्मा जैसी है जो सुख-दुख से बेखबर हो प्रसन्न दिखाई पड़ रही है। गरमी में बड़े घर के कुत्तों को प्राप्त सुविधाओं और आम आदमी की मजबूरी की तुलना कीजिए।
उत्तर:
गरमी में बड़े घरों के कुत्ते कूलर, एअरकंडीशनर में बैठकर शीतलता की अनुभूति करते हैं। वे गरमी की मार से बचने के लिए बाथरूम के पानी भरे टब में आँखें बंद किए पड़े रहते हैं। इसके विपरीत आम आदमी को कदम-कदम पर गरमी के थपेड़े सहने पड़ते हैं, क्योंकि दो जून की रोटी जुटाने के लिए उसे बाहर निकलना ही होता है। वह सर्दी, गरमी, बरसात आदि की मार को अपनी नियति समझकर सह लेता है।

प्रश्न 4.
दोपहर बीत जाने के बाद संध्या के समय भी कोई बाहर क्यों नहीं निकलता ?
उत्तर:
दोपहर बीत जाने के बाद संध्या के समय भी कोई बाहर इसलिए नहीं निकलता था, क्योंकि शाम की गरम हवा थपेड़े जैसी लगती थी। शाम के समय भी गरमी कम नहीं होती थी ।

प्रश्न 5.
उचित उत्तर पर सही (✓) का निशान लगाइए-
(क) वृक्ष कैसे लग रहे थे ?
(a) कंकालों-से
(b) अवतार- से
(c) सर्प-से
(d) चाबुक से
उत्तर:
(a) कंकालों-से

(ख) घोड़ा आगे कैसे बढ़ता था ?
(a) अँगीठी के बल पर
(b) चाबुक के बल पर
(c) अंगारों के बल पर
(d) सर्प के बल पर
उत्तर:
(b) चाबुक के बल पर

(ग) संध्या की चहल-पहल ने क्या ओढ़ा हुआ था ?
(a) अँगीठी की चादर
(b) सूने रंग की चादर
(c) गहरे रंग की चादर
(d) गहरे-सूने रंग की चादर
उत्तर:
(d) गहरे-सूने रंग की चादर

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प्रश्न 6.
कविता के दिए गए अंश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

कभी एक ग्रामीण धरे कंधे पर लाठी
सुख-दुख की मोटी-सी गठरी
लिए पीठ पर भारी
जूते फटे हुए
जिनमें से झाँक रही गाँवों की आत्मा
जिंदा रहने के कठिन जतन में

पाँव बढ़ाए आगे जाता ।
घर की खपरैलों के नीचे
चिड़ियाँ भी दो-चार चोंच खोल
उड़ती-छिपती थीं
खुले हुए आँगन में फैली
कड़ी धूप से।

(क) ग्रामीण ने कंधे पर क्या उठाया हुआ था ?
(ख) ग्रामीण पाँव आगे क्यों बढ़ाता जा रहा था ?
(ग) चिड़ियाँ किस कारण से और कहाँ उड़ती – छिपती थीं?
उत्तर:
(क) ग्रामीण ने कंधे पर सुख-दुख की मोटी भारी-सी गठरी उठा रखी थी।
(ख) ग्रामीण पाँव इसलिए आगे बढ़ता जा रहा था क्योंकि उसे जिंदा रहने के लिए कठिन उपाय करना था।
(ग) चिड़ियाँ खुले हुए आँगन की कड़ी धूप से बचने के लिए घर की खपरैलों के नीचे उड़ती छिपती थी।

बातचीत के लिए

प्रश्न 1.
घोड़ा दोपहरी में भी आगे बढ़ने के लिए क्यों मजबूर था?
उत्तर:
घोड़ा दोपहरी में भी आगे बढ़ने के लिए इसलिए मजबूर था क्योंकि कोचवान उसकी पीठ पर चाबुक मार रहा था । चाबुक की चोट के कारण गरमी से बेदम होने पर भी घोड़े को आगे बढ़ना पड़ रहा था ।

प्रश्न 2.
गरमी की छुट्टियों में दोपहर के समय आप क्या करते हैं? कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मैं गरमी की छुट्टियों में घर से बाहर जाने और खेलने-कूदने का काम सुबह और शाम को करता हूँ। उस समय गरमी कम होती है तथा लू नहीं चलती है। दोपहरी में मैं घर में ही अपनी पसंद की कहानियाँ, उपन्यास आदि पढ़ता हूँ तथा कंप्यूटर, वीडियोगेम आदि से खेलता हूँ। इसके अलावा डिस्कवरी चैनल पर जीव-जंतुओं से जुड़े कार्यक्रम देखता हूँ। मैं टी.वी. पर अपनी पसंद के कार्यक्रम और ‘टॉम एंड जेरी’ भी देखता हूँ।

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प्रश्न 3.
क्या मानव समाज की तरह पशु जगत के जीव भी अमीर-गरीब की श्रेणी में आते हैं? अपने उत्तर के लिए कारण भी दीजिए ।
उत्तर:
मानव समाज की तरह पशु जगत के जीव अमीर-गरीब की श्रेणी में नहीं आते हैं। इसका कारण यह है कि वे अपनी उदरपूर्ति के अलावा अन्य वस्तुओं का संग्रह नहीं करते हैं। यदि वे ऐसा कर सकते तो अधिक संग्रह करने वाले अमीर पशु और संग्रह न करने वाले गरीब पशु कहलाते।

प्रश्न 4.
कविता ‘दोपहरी’ के किस अंश ने आपको प्रभावित किया और क्यों?
उत्तर:
मुझे ‘दोपहरी’ कविता के अंश ‘घर की खपरैलों लेट गए थे’ ने प्रभावित किया। इस अंश में चिड़िया और कुत्ते की व्याकुलता का वर्णन है। गरमी की तेज़ धूप आँगन में फैल चुकी है। धूप और गरमी से व्याकुल चिड़ियाँ चोंच खोले छाया पाने के लिए इधर-उधर उड़ रही है। गरमी से राहत पाने के लिए अमीरों के कुत्ते बाथरूम में रखे पानी भरे टबों में लेट गए हैं। वे पानी का आनंद पाकर अपनी आँखें बंद कर सुखानुभूति कर रहे हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
कविता में आए निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिए-
DAV Class 8 Hindi Chapter 4 Question Answer - दोपहरी 1
उत्तर:

(क) नभ अंबर गगन
(ख) सर्प अहि विषधर
(ग) घर गेह निकेतन
(घ) नैन दृग लोचन

प्रश्न 2.
कविता के आधार पर दिए गए विशेष्य शब्दों के लिए विशेषण लिखिए-
DAV Class 8 Hindi Chapter 4 Question Answer - दोपहरी 2
उत्तर:

विशेषण विशेष्य
(क) काली सड़कें
(ख) दुबले घोड़े
(ग) गरम पीठ
(घ) एक ग्रामीण
(ङ) मोटी-सी गठरी
(च) फटे जूते

जीवन मूल्य

प्रश्न 1.
समाज में अमीर-गरीब के भेदभाव पर चर्चा कीजिए और बताइए कि निर्धन वर्ग के विकास के लिए क्या-क्या किया जा रहा है?
उत्तर:
किसी भी समाज में मुख्य रूप से दो वर्ग नज़र आते हैं- एक अमीर और दूसरा गरीब। अमीर वर्ग नाना प्रकार की सुख-सुविधाओं का आनंद उठाता हुआ जीवन बिताता है, वहीं गरीब वर्ग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं दोपहरी
की पूर्ति भी नहीं कर पाता है। उसकी दिनचर्या पेट भर रोटी जुटाने के इर्द गिर्द ही घूमती है। समाज भी अमीर-गरीब में भेद करता है तथा गरीबों को उपेक्षा की दृष्टि से देखता है। निर्धन वर्ग के विकास के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे-

  1. उन्हें सस्ती दरों पर ऋण देकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
  2. उन्हें मुफ़्त या अत्यंत कम दर पर आवासीय सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं।
  3. उन्हें सस्ती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है।
  4. उन्हें स्वरोज़गार हेतु प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

प्रश्न 2.
मनुष्य को जीवन में सुख के साथ कठिन परिस्थितियों का समाना भी करना पड़ता है। ऐसी कठिन परिस्थितियों में मनुष्य को क्या करना चाहिए?
उत्तर:
मानव जीवन में सुख-दुख आते रहते हैं। सुख के दिन मनुष्य बड़ी सरलता से बिता लेता है, परंतु दुख की कठिन परिस्थितियाँ हमारी परीक्षा लेती हैं। ऐसी कठिन परिस्थितियों में मनुष्य को अपना साहस बनाए रखना चाहिए तथा अपनी शक्ति का भरपूर प्रयोग करके ऐसी परिस्थितियों का सामना करना चाहिए।

कुछ करने के लिए

प्रश्न 1.
ऋतुओं पर अनेक कविताएँ लिखी गई हैं। सरदी, वर्षा और बसंत पर एक- एक कविता कॉपी में लिखिए व कक्षा में लिखिए व कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
• सर्दी की दोपहरी
सुनाइए ।

बीत रहा था पूस महीना, आने वाला माघ था।
आसमान में छाए बादल, मौसम बहुत उदास था।

आज सुबह से दिखा न सूरज, कोहरे का था डेरा।
लगता था जैसे मुगलों ने वीर शिवा को था घेरा।।

धीरे-धीरे हुआ दोपहर, लगा क्षीण होने कोहरा।
सूर्यदेव ऐसे निकले ज्यों, शिवा ने तोड़ा मुगलों का पहरा।।

आसमान में चमका सूरज, दोपहरी बनी सुहानी।
पशु-पक्षी सब बाहर आकर खोज रहे हैं दाना-पानी।।

माँ कहती है चलो नहाओ, पर डर लगता है पानी से।
पानी छूने में ऐसा लगता, जैसे आया किसी हिमानी से।।

ठंड सताती है बूढ़ों को, पर कुछ डर जाती बचपन से।
स्वेटर जैकेट कम पड़ जाते, ठंड न जाती तन-मन से ।।

मध्याह्न में चमका सूरज, धूप हुई कुछ गहरी।
सुबह-शाम से प्यारी लगती, मुझको सर्दी की दोपहरी।। -प्रमोद कुमार

• वर्षा ऋतु पर कविता
कूकै लगी कोइ कदंबन पे बैठि फेरि ।
धो-धो पात हिलि – हिलि सरसै लगे।
बोलै लगे दादुर मयूर लगे नाचै फेरि,
देखि संयोगी जन हिय हरसै लगे ।।

हरी भई भूमि सीरी पवन चलन लागी।
लखि ‘हरिचंद ‘ फेरि प्रान तरसै लगे।
फेरि झूम-झूम बरषा की ऋतु आई फेरि
बादर निगोरे झुक-झुकि बरसै लगे ।। – भारतेंदु हरिश्चंद

• वसंत ऋतु पर कविता
पात नए आ गए
रहनी के टूसे पतरा गए
पकड़ी के पात नए आ गए

नया रंग रेशों से फूटा
वन भींज गया
दुहरी यह कूक, पवन झूठा

मन भीज गया
डाली – डाली स्वर छितरा गए
पात नए आ गए

कोर दीठियों की कडुआई
रंग छूट गया
वाट जोहते आँखें आईं

दिल टूट गया
राहों में राही पथरा गए
पात नए आ गए। – केदारनाथ सिंह

प्रश्न 2.
सरदी, गरमी और वर्षा ऋतु में दोपहर का समय कैसा होता है? कक्षा में चर्चा कीजिए ।
उत्तर:
सरदी में दोपहरी सुहावनी होती है तथा धूप अच्छी लगती है। गरमी में दोपहरी कष्टकारी होती है। गरम हवा के थपेड़े लगते हैं, इसलिए लोग बाहर निकलने से डरते हैं। वर्षा ऋतु में दोपहरी उमसभरी होती है, जिससे शरीर पसीने में नहाया रहता है। उपर्युक्त तथ्यों को आधार बनाकर कक्षा में चर्चा कीजिए

DAV Class 8 Hindi Ch 4 Solutions – दोपहरी

I. अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गरमी की दोपहरी में छाया कैसी लग रही थी?
उत्तर:
गरमी की दोपहरी में छाया जली हुई लग रही थी ।

प्रश्न 2.
अकाल के अवतार जैसे कौन लग रहे थे ?
उत्तर:
ठूंठ जैसे खड़े पेड़-पौधे अकाल के अवतार लग रहे थे।

DAV Class 8 Hindi Chapter 4 Question Answer - दोपहरी

प्रश्न 3.
गाँवों की आत्मा कहाँ से झाँक रही थी ?
उत्तर:
गाँवों की आत्मा ग्रामीण पथिक के फटे जूते से झाँक रही थी।

प्रश्न 4.
ज़िंदा रहने का जतन किनके लिए कठिन बन गया है?
उत्तर:
ज़िंदा रहने का जतन गरीब और आम लोगों के लिए कठिन बन गया है।

प्रश्न 5.
चिड़ियाँ खुले आँगन में क्यों नहीं उड़ रही थीं?
उत्तर:
खुले आँगन में दोपहरी की तपती धूप फैली थी, जिससे चिड़ियाँ बेहाल हो रही थीं। उसी धूप एवं गरमी से बचने के लिए वहाँ नहीं उड़ रही थीं।

व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. गरमी की दोपहरी में
तपे हुए नभ के नीचे
काली सड़कें तारकोल की
अंगारे-सी जली पड़ी थीं
छाँह जली थी पेड़ों की भी
पत्ते झुलस गए थे
नंगे-नंगे दीर्घकाय कंकालों-से वृक्ष खड़े थे
हों अकाल के ज्यों अवतार।

शब्दार्थ – नभ – आकाश।
छाँह – छाया।
दीर्घकाय – विशाल आकार वाला।
अकाल – सूखा।
प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश ‘ज्ञान सागर’ में संकलित कविता ‘दोपहरी’ से लिया गया है।
इसकी रचयित्री ‘शकुंत माथुर’ हैं।
कवयित्री ने इस अंश में दोपहरी के प्रचंड रूप का वर्णन किया है, जिससे मनुष्य ही नहीं प्रकृति भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

व्याख्या – कवयित्री ने गरमी की दोपहरी का वर्णन करते हुए कहा है कि इस दोपहरी में तपते हुए आकाश के नीचे काली कोलतार की सड़कें इतनी गरम हैं, मानो अंगारे जल रहे हों। अर्थात सड़कें अंगारे के समान गरम हैं। इस भीषण गरमी में छाया भी जल रही थी। पेड़ों के पत्ते झुलस जाने से वे नंग-धड़ंग से ऐसे दिख रहे थे, जैसे बड़े विशालकाय कंकाल हों। वे अकाल के साक्षात अवतार प्रतीत हो रहे थे। अर्थात जैसे अकाल की मार सहते-सहते व्यक्ति के शरीर से मांस और कोमलता गायब हो जाती है और वह हड्डियों ढाँचा मात्र ही बचता है, वही स्थिति पेड़ों की हो रही है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. काव्यांश में किस समय का वर्णन किया गया है?
(क) प्रात:काल का
(ख) सायंकाल का
(ग) दोपहर का
(घ) रात्रि का
उत्तर:
(ग) दोपहर का

2. कोलतार की सड़कें कैसी हो गई थीं?
(क) काली-काली
(ख) सूरज – सी
(ग) चंद्रमा- सी
(घ) अंगारे जैसी
उत्तर:
(घ) अंगारे जैसी

DAV Class 8 Hindi Chapter 4 Question Answer - दोपहरी

3. वृक् षों के पत्ते कैसे हो गए थे?
(क) हरे-भरे
(ख) पीले-पीले
(ग) अधजले से
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) अधजले से

4. दोपहरी में वृक्ष कैसे लग रहे थे ?
(क) हरियाली के पुंज से
(ग) फले-फूले, छायादार
(ख) सुख देने वाले
(घ) विशाल कंकाल से
उत्तर:
(घ) विशाल कंकाल से

5. ‘छाँह जलने’ का आशय है
(क) आकार में छोटी एवं शीतल न रह पाना
(ख) जलकर राख हो जाना
(ग) छाया भी आग बन गई है।
(घ) आकार में बड़ी एवं लंबी हो जाना
उत्तर:
(क) आकार में छोटी एवं शीतल न रह पाना

2. एक अकेला ताँगा था दूरी पर
कोचवान की काली – सी चाबुक के बल पर वो बढ़ता था
घूम-घूम जो बलखाती थी सर्प सरीखी
बेदर्दी से पड़ती थी दुबले घोड़े की गरम पीठ पर
भाग रहा वह तारकोल की जली
अँगीठी के ऊपर से।

शब्दार्थ – बलखाती – लहराती हुई।
सर्प – साँप।
सरीखी – तरह।
बेदर्दी – कठोर, निर्दयी।
प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश ‘ज्ञान सागर’ में संकलित कविता ‘दोपहरी’ से लिया गया है। इसकी रचयित्री ‘शकुंत माथुर’ हैं।
इन पंक्तियों में कवि ने दोपहरी की भीषण गरमी से परेशान ताँगा खींच रहे घोड़े की पीड़ा का वर्णन किया है।

व्याख्या – कवयित्री कहती है कि गरमी की दोपहरी अपना भीषण रूप दिखा रही थी। गरमी के मारे सब कुछ जलता हुआ प्रतीत हो रहा था। कोई भी घर से बाहर नहीं निकलना चाहता था। ऐसे मौसम में सड़क पर अकेला ताँगा कुछ दूरी पर दिख रहा था। वह ताँगा कोचवान की लहराती, काली चाबुक के बल पर आगे बढ़ रहा था। उसे खींचने वाला घोड़ा गरमी से परेशान होने के कारण ताँगा खींचना नहीं चाहता था। वह बेदम हो चुका था, पर कोचवान साँप – सी बलखाती नागिन जैसे चाबुक से उसकी गरम पीठ पर मारता था। वह वेदना सहकर भी अँगीठी के समान जलती कोलतार की सड़क पर भागने के लिए विवश था। उसके पास और कोई दूसरा उपाय भी तो नहीं था

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. सड़क पर कुछ दूरी पर अकेला ताँगा ही क्यों दिखाई दे रहा था ?
(क) सड़क खराब होने के कारण
(ख) यात्रियों के दूसरे रास्ते से जाने के कारण
(ग) पथ पर छाया न होने के कारण
(घ) दोपहर की भीषण गरमी के कारण
उत्तर:
(घ) दोपहर की भीषण गरमी के कारण

2. घोड़ा किसके बल पर आगे बढ़ रहा था ?
(क) कोचवान के स्नेह के बल पर
(ख) अपनी ताकत के बल पर
(ग) भोजन की लालच के बल पर
(घ) चाबुक की मार के बल पर
उत्तर:
(घ) चाबुक की मार के बल पर

DAV Class 8 Hindi Chapter 4 Question Answer - दोपहरी

3. इनमें से चाबुक की विशेषता किस विकल्प में नहीं है?
(क) चाबुक काली थी
(ख) ताँगे में रखी थी
(ग) साँप के जैसी बलखाती थी
(घ) अत्यधिक पीड़ादायी थी
उत्तर:
(ख) ताँगे में रखी थी

4. घोड़ा कैसा था ?
(क) सुंदर
(ख) बलिष्ठ
(ग) कमज़ोर
(घ) तेज़ भागने वाला
उत्तर:
(ग) कमज़ोर

5. तारकोल की जली अँगीठी का आशय है-
(क) अत्यधिक गरम सड़क
(ख) जलती हुई अँगीठी
(ग) कोयला भरी जलती अँगीठी
(घ) जलता हुआ कोयला
उत्तर:
(क) अत्यधिक गरम सड़क

3. कभी एक ग्रामीण धरे कंधे पर लाठी
सुख-दुख की मोटी-सी गठरी
लिए पीठ पर भारी
जूते फटे हुए
जिनमें से थी झाँक रही गाँवों की आत्मा
जिंदा रहने के कठिन जतन में
पाँव बढ़ाए आगे जाता।
घर की खपरैलों के नीचे
चिड़ियाँ भी दो-चार चोंच खोल
उड़ती छिपती थीं
खुले हुए आँगन में फैली
कड़ी धूप से।

शब्दार्थ – जतन – उपाय।
खपरैल – खपड़े से बना कच्चा घर।
प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश ‘ज्ञान सागर’ में संकलित कविता ‘दोपहरी’ से लिया गया है। इसकी रचयित्री ‘शकुंत माथुर’ हैं।
इन पंक्तियों में कवयित्री ने गर्मी की दोपहरी में परेशान ग्रामीण पथिक और चिड़ियों की व्यथा का वर्णन किया है।

व्याख्या: कवयित्री कहती है कि तपती दोपहरी में गरम सड़क पर एक ग्रामीण पथिक कंधे पर मोटी लाठी रखे जा रहा है। इसी लाठी के सहारे उसकी पीठ पर एक भारी गठरी टँगी हुई है, जिसे देखकर लगता है कि इस गठरी में यात्री के सुख-दुख समाए या बँधे हुए हैं। गठरी में दुख इसलिए बँधा है कि वह गरीब है और ऐसी भीषण गरमी में चलने के लिए विवश है। उस गठरी में सुख इसलिए बँधा है कि उसके चेहरे पर इस विपरीत परिस्थिति में भी अप्रसन्नता नहीं दिखाई पड़ रही है। ग्रामीण पथिक के जूते फटे हुए हैं, जिनमें से उसका पैर दिखाई दे रहा है। उसे देखकर ऐसा लगता है- मानो छल-कपट से दूर, निष्कपट रूप में गाँवों की आत्मा झाँक रही है जो सुख हो या दुख इसकी परवाह किए बिना आगे बढ़ते जाने की प्रेरणा देती है । इसी से प्रेरित होकर वह प्रसन्नतापूर्वक जीवनयापन के कठोर रास्ते पर बिना निराश हुए अपने कदम बढ़ाए जा रहा है।

गरमी की दोपहरी में चिड़ियाँ भी व्याकुल हो रही हैं, क्योंकि गरम धूप आँगन में फैल चुकी है। गरमी और धूप से बेहाल होकर चिड़ियाँ इनसे बचने के लिए चोंच खोले उड़ रही हैं। अर्थात वे इस धूप से बचने के लिए छाँह खोज रही हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. लाठी में टँगी गठरी कहाँ थी?
(क) घर में
(ख) सड़क पर
(ग) मज़दूर के कंधे पर
(घ) ग्रामीण की पीठ पर
उत्तर:
(घ) ग्रामीण की पीठ पर

2. यात्री के जूते कैसे थे?
(क) महँगे
(ग) फटे हुए
(ख) सुंदर
(घ) सिले हुए
उत्तर:
(ग) फटे हुए

3. यात्री के झाँकते पैरों की तुलना किससे की गई है ?
(क) गाँवों की आत्मा से
(ग) किसान की आत्मा से
(ख) शहर की आत्मा से
(घ) यात्री की आत्मा से
उत्तर:
(क) गाँवों की आत्मा से

DAV Class 8 Hindi Chapter 4 Question Answer - दोपहरी

4. चिड़ियाँ कहाँ उड़ा रही थी ?
(क) मैदान में
(ख) बाग़-बग़ीचों में
(ग) आँगन में
(घ) कच्चे मकान में
उत्तर:
(घ) कच्चे मकान में

5. चिड़ियाँ क्या खोजती फिर रही हैं?
(क) अनाज के दाने
(ख) अपने बच्चे
(ग) धूप से बचने की जगह
(घ) घोंसला बनाने की जगह
उत्तर:
(ग) धूप से बचने की जगह

4. बड़े घरों के श्वान पालतू
नैन मूँदकर लेट गए थे।
कोई बाहर नहीं निकलता
साँझ समय तक
थप्पड़ खाने, गरम हवा के
संध्या की भी चहल-पहल ओढ़े थी
गहरे सूने रंग की चादर
गरमी के मौसम में।

शब्दार्थ –
श्वान – कुत्ता।
नैन – आँख।

प्रसंग: प्रस्तुत काव्यांश ‘ज्ञान सागर’ में संकलित कविता ‘दोपहरी’ से लिया गया है। इसकी रचयित्री ‘शकुंत माथुर’ हैं। इस अंश में बड़े घरों के कुत्तों और आदमियों पर संध्या के समय की गरम धूप के प्रभाव का वर्णन किया गया है।

व्याख्या: गरमी की दोपहरी ने मनुष्य तथा पशु-पक्षियों को बेहाल कर रखा था। गरीब तथा आम आदमी जहाँ इस मार को झेलने को विवश थे, वहीं बड़े घरों के पालतू कुत्ते बाथरूम के पानी में लेटकर शीतल जल से हल्की ठंडक का आनंद उठा रहे थे। वे इस ठंडक में आँखें बंद किए हुए लेटे पड़े थे। बड़े घरों के आदमी भी इस गरमी में बाहर नहीं निकल रहे थे। कुछ तो शाम होने तक भी नहीं निकले हैं। गरमी के मौसम में शाम को भी कम चहल-पहल और आवागमन देखकर ऐसा लग रहा था कि मनुष्य और पशु-पक्षी तो गरम हवा के थपेड़ों से तो बचना चाहते ही हैं, संध्या की चहल-पहल ने भी गहरे सूने रंग की चादर ओढ़ ली है। अर्थात शाम के समय भी लोगों की चहल-पहल कम है क्योंकि गरम हवा का असर अब भी बना हुआ है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. बाथरूम में हल्की ठंडक का आनंद कौन उठा रहे थे?
(क) बड़े घरों के बच्चे
(ग) बड़े घरों के कुत्ते
(ख) बड़े घरों के मनुष्य
(घ) बड़े घरों के नौकर
उत्तर:
(ग) बड़े घरों के कुत्ते

2. कुत्ते बाथरूम में किस तरह आनंद उठा रहे थे ?
(क) आँखें बंद करके लेटकर
(ग) शीतल पानी पीकर
(ख) शीतल जल में नहाकर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) आँखें बंद करके लेटकर

DAV Class 8 Hindi Chapter 4 Question Answer - दोपहरी

3. बड़े घरों के लोग कब तक घर से नहीं निकले हैं?
(क) दोपहर तक
(ख) रात तक
(ग) सायंकाल तक
(घ) सवेरे तक
उत्तर:
(ग) सायंकाल तक

4. ‘संध्या की भी चहल-पहल ओढ़े थी गहरे सूने रंग की चादर’ का आशय है-
(क) चहल-पहल बढ़ जाना
(ख) चहल-पहल कम हो जाना
(ग) चहल-पहल पर कोई असर न होना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) चहल-पहल कम हो जाना

5. गरम हवा कब तक चलती रहती थी?
(क) प्रातःकाल तक
(ख) दोपहर तक
(ग) शाम तक
(घ) आधी रात तक
उत्तर:
(ग) शाम तक

दोपहरी Summary in Hindi

पाठ-परिचय:

‘दोपहरी’ नामक कविता में कवयित्री शकुंत माथुर ने गरमी की दोपहरी में जलती सड़कें, उन पर चलते यात्री, पशु आदि की विपरीत स्थिति का वर्णन किया है। कवयित्री ने बड़े घरों के लोगों एवं उनके कुत्तों के सुख का वर्णन किया है जो सामान्य मनुष्य को भी नहीं मिल पाता है।

पाठ का सार:

‘दोपहरी’ कविता में दोपहरी अपना प्रभाव प्रकृति और सामान्य लोगों पर किस प्रकार डालती है, इसका वास्तविक चित्रण है। कवयित्री दोपहरी का वर्णन करते हुए कहती है कि दोपहरी में कोलतार की सड़कें अंगार-सी जल रही थीं। उन पर पड़ने वाली पेड़ों की छाया भी गरम होकर जल रही थी। वृक्षों के पत्ते झुलसने के कारण बड़े-बड़े पेड़ कंकाल जैसे खड़े थे। कुछ दूर पर एक ताँगा था जो कोचवान की काली चाबुक खा-खाकर आगे बढ़ता था। उसकी साँप-सी चाबुक घोड़े की गरम पीठ पर पड़ती थी। एक ग्रामीण अपनी पीठ पर भारी गठरी और कंधे पर लाठी लिए जा रहा था। उसके फटे जूतों से गाँव की आत्मा झाँक रही थी। गरमी में वह बड़ी कठिनाई से कदम बढ़ाए जा रहा था। इसके विपरीत बड़े घरों के पालतू कुत्ते बाथरूम के शीतल जल में आँखें बंद किए लेटे थे। वे शाम तक बाहर नहीं निकलते थे। भीषण गरमी के इस मौसम में संध्या के समय भी चहल-पहल कम ही थी।