Shabd Roop – शब्द रूप, Sanskrit Shabd Roop

Shabd Roop – शब्द रूप – सुबंत प्रकरण – संस्कृत व्याकरण

  • परीक्षा में शब्द रूप निम्न प्रकार से पूछे जाते हैं; जैसे-
  • ‘राम’ शब्द का तृतीया विभक्ति एकवचन में रूप लिखिए।
  • प्रश्न का उत्तर निम्न प्रकार से लिखना चाहिए-
  • ‘राम’ शब्द, तृतीया विभक्ति एकवचन में रूप-रामेण।
  • कक्षा 10 के पाठ्यक्रम में निम्नलिखित शब्दों के रूप निर्धारित हैं। इन्हें याद करें।
  • संस्कृत में तीन वचन होते हैं-एकवचन, द्विवचन और बहुवचन।
  • तीन लिंग होते हैं-पुंलिंग, स्त्रीलिंग और नपुंसकलिंग।
  • कारक सम्बन्ध प्रदर्शित करनेवाली सम्बोधनसहित आठ विभक्तियाँ होती हैं।
  • वचन, लिंग और विभक्ति के आधार पर संज्ञा-शब्दों के रूप परिवर्तित होते रहते हैं।
  • जिन शब्दों का अन्तिम स्वर ‘अ’ होता है, वे अकारान्त कहलाते हैं; जैसे-बालक, राम आदि; जिनका अन्तिम स्वर ‘ई’ होता है, वे इकारान्त कहलाते हैं; जैसे—मति, हरि आदि और जिनमें अन्तिम स्वर ‘उ’ होता है, वह उकारान्त कहलाते हैं; यथा—शिशु, भानु आदि।
  • नपुंसकलिंग के केवल अकारान्त एवं पुंलिंग तथा स्त्रीलिंग के सभी शब्दों के द्वितीया एकवचन के अन्त में ‘म्’ आता है।
  • नपुंसकलिंग में प्रथमा और द्वितीया विभक्ति में एक-से रूप होते हैं।
  • प्रायः प्रथमा और द्वितीया के द्विवचन; तृतीया, चतुर्थी और पंचमी के द्विवचन तथा षष्ठी और सप्तमी के द्विवचन एक-से होते हैं। सर्वनाम तथा संख्यावाचक विशेषण और अकारान्त पुंलिंग शब्दों को छोड़कर अन्य शब्दों के पंचमी और षष्ठी के एकवचन एक-से होते हैं।
  • सम्बोधन के द्विवचन और बहुवचन प्रायः प्रथमा के द्विवचन और बहुवचन की भाँति होते हैं। प्रायः सभी सर्वनाम शब्दों के रूप एक-से होते हैं।
  • चतुर्थी और पंचमी के बहुवचन में रूप एक-से होते हैं।
  • षष्ठी के बहुवचन के अन्त में ‘नाम्’ अथवा ‘णाम्’ आता है।
  • सप्तमी के बहुवचन के अन्त में ‘सु’ अथवा ‘षु’ का प्रयोग होता है।
  • अकारान्त पुंलिंग शब्दों के प्रथमा एकवचन में अकारान्त शब्दों के पंचमी, षष्ठी के एकवचन तथा द्वितीया बहुवचन के अन्त में विसर्ग लगता है।

रूप चलाने के नियम

संस्कृत के सभी शब्दों के रूप कण्ठस्थ नहीं किए जा सकते; अत: नए-नए शब्दों के विभिन्न रूप बनाते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए

  1. विभिन्न प्रकार के कुछ शब्दों अथवा धातुओं के रूप अच्छी तरह याद कर लेना चाहिए। फिर जब दूसरे शब्द अथवा धातु के रूप चलाने हों तो उनसे उसे मिलाकर, उनके अन्तर को समझकर, तब उसके समवर्गी शब्द की भाँति उसके रूप चलाने चाहिए।
  2. नए शब्द के रूप बनाते समय उसके लिंग और शब्दान्त के स्वर अथवा व्यंजन का विचार अवश्य करना चाहिए। फिर उसी लिंग के उसी स्वर अथवा व्यंजन को अन्त में रखनेवाले शब्दों की भाँति उसके रूप बना देने चाहिए। जैसे—यदि ‘राम’ शब्द के रूप याद हैं तो राम की भाँति ही जनक, छात्र, बालक, अश्व, वानर, हंस, चन्द्र, मेघ, अनल, ईश्वर, नृप, काक, देव आदि शब्दों के भी रूप बनेंगे।

संज्ञा शब्दों के रूप

फल (अकारान्त नपुंसकलिंग)
Shabd Roop - शब्द रूप, Sanskrit Shabd Roop 1

(नोट-नवीन पाठ्यक्रमानुसार केवल ‘फल’, ‘मति’, ‘मधु’ और ‘नदी’ के संज्ञा शब्द रूप ही निर्धारित हैं।)

मति (इकारान्त स्त्रीलिंग)
Shabd Roop - शब्द रूप, Sanskrit Shabd Roop 2

मधु (उकारान्त नपुंसकलिंग)
Shabd Roop - शब्द रूप, Sanskrit Shabd Roop 3

नदी (इकारान्त स्त्रीलिंग)
Shabd Roop - शब्द रूप, Sanskrit Shabd Roop 4

नोट-गौरी, पार्वती, जानकी, देवकी, सावित्री, गायत्री, पृथ्वी आदि ईकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के रूप नदी के समान होते हैं।

सर्वनाम
Shabd Roop - शब्द रूप, Sanskrit Shabd Roop 5

तद् (वह) स्त्रीलिंग
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तद् (वह) नपुंसक लिंग
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‘युष्मद् (तुम)
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नोट-

  1. सर्वनाम शब्दों में सम्बोधन नहीं होता है।
  2. युष्मद् शब्दों के रूप तीनों लिंगों में समान होते हैं।

निम्नलिखित में से किन्हीं दो शब्द रूपों के सम्बन्ध में बताइए कि वे किस शब्द के किस विभक्ति और वचन के रूप हैं-
Shabd Roop - शब्द रूप, Sanskrit Shabd Roop 9