विज्ञान के चमत्कार पर छोटे तथा बड़े निबंध (Essay on Wonder of Science in Hindi)
जीवन में विज्ञान का महत्त्व। – Importance Of Science In Life
रूपरेखा-
- प्रस्तावना,
- विज्ञान की उत्पत्ति,
- यातायात के साधन,
- मुद्रण,
- चिकित्सा,
- मनोरंजन के साधन,
- समाचार-प्रेषण,
- अन्य चमत्कार,
- उपसंहार।
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
“चमत्कार विज्ञान जगत के, जीवन के मंगल साधन,
किया नियति के गुप्त रहस्यों का मानव ने उद्घाटन।
जल-थल और अम्बर तक फैली, मनूज ज्ञान आलोक किरन,
मर्त्यलोक से चन्द्रलोक तक जा पहुँचे मनुजात-चरन ॥”
प्रस्तावना-
आज का युग विज्ञान का युग है। मनुष्य भौतिक सुख की ओर अग्रसर होता जा रहा है। परिणामस्वरूप भौतिक विज्ञान के इस युग में अभूतपूर्व उन्नति हुई है। दिन-प्रतिदिन नये-नये आविष्कार हो रहे हैं। मनुष्य अपने बुद्धिबल से प्रकृति पर विजय प्राप्त करता जा रहा है। आज के वैज्ञानिकों ने असम्भव को सम्भव और असाध्य को साध्य कर दिखाया है। कवि ने ठीक कहा है
“जल में थल में और व्योम में, आज हमारा हो अभियान।
देश विदेश की बातों का, कर लेते घर बैठे ज्ञान॥
आज असम्भव को सम्भव कर, देता है मानव का ज्ञान।
भू को स्वर्ग बना देने में, सफल आज मानव विज्ञान॥”
वास्तव में विज्ञान के जो चमत्कार इस युग में देखे गये, वे मानव जाति के इतिहास की अभूतपूर्व घटना है।
विज्ञान की उत्पत्ति-
सत्रहवीं शताब्दी में पश्चिम के देशों में एक क्रान्ति की लहर-सी दौड़ी। इस लहर में एक ऐसी ज्वाला थी कि जिससे देश के देश और राष्ट्र के राष्ट्र धकधका उठे और आध्यात्मिकता भस्मसात हो गयी। ‘भूखे भजन न होय गोपाला’ के अनुसार सबको रोटी और कपड़े की पड़ गयी।
नये-नये साधनों की खोज होने लगी। यन्त्रों और कलों का जन्म हुआ। यूरोप की औद्योगिक क्रान्ति से सारा विश्व प्रभावित हुआ और विज्ञान की चकाचौंध चारों ओर फैलने लगी।
उन्नीसवीं शताब्दी तक पहुँचते-पहुँचते विज्ञान उन्नति के शिखर पर पहुँच गया और आज हम अपने चारों ओर विज्ञान के चकाचौंध कर देने वाले चमत्कारों को देख कर चकित होते हैं। विज्ञान के इन चमत्कारों ने मानव को अत्यन्त सुखी और विलासी बना दिया है। उसे सब प्रकार की सुविधाएँ प्रदान कर दी हैं।
यातायात के साधन-
पुराने समय में दूर-दूर की यात्रा करना अत्यन्त कठिन काम था। बैलगाड़ियों से, ऊँटों से, घोड़ों से या और इसी तरह के ढिल-मिल वाहनों से यात्रा में बहुत कठिनाई होती थी। रास्ते में चोर-डाकुओं का भय सदा बना रहता था।
गिरोह बनाकर घुमक्कड़ों की तरह चलना पड़ता था और महीनों का समय लग जाता था। परन्तु आज पृथ्वी की छाती पर धक-धक् करती हुई रेलगाड़ियाँ मिनटों में कहीं से कहीं पहुँचा देती हैं। बस, कार तथा मोटर साइकिल कितनी ही ऐसी सवारी हैं कि जिनसे छोटी यात्रा बहुत सरल हो गयी है।
समुद्र के वक्षस्थल को चीरते हुए जलपोत सर्र से एक देश से दूसरे देश में पहुँच जाते हैं। अबाध गति से स्वच्छन्द आकाश में विचरण करते हुए वायुयान में बैठ कर तो हम हवा से बातें करते हैं और अब तो मानव चन्द्रमा पर पहुँच कर वहाँ अपना निवास स्थान बनाने में लगा है। विज्ञान के इन अद्भुत चमत्कारों ने महीनों की यात्रा दिनों में, और दिनों की घण्टों में और घण्टों की मिनटों में सम्भव कर दी है।
मुद्रण-मुद्रण
विज्ञान की महती देन है। प्राचीन समय में पुस्तकें तो लिखी ही नहीं जाती थीं और यदि लिखी भी जाती थीं तो हाथ से लिखनी पड़ती थीं। एक पुस्तक को लिखने में वर्षों लग जाते थे अत: पुस्तकों का मूल्य इतना अधिक होता था कि जिन्हें साधारण जन खरीद नहीं पाते थे।
शिक्षा का काम अति कठिन था किन्तु मुद्रण-यन्त्र के आविष्कार ने मानव के ज्ञान को सुरक्षित और सुलभ कर दिया है। आज धड़ाधड़ मशीनों से पुस्तकें, समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएँ छपती हैं जिससे शिक्षा, व्यापार, राजनीति आदि सभी क्षेत्रों में विकास हुआ है।
आज मानवीय ज्ञान को एक पीढ़ी से अग्रिम पीढ़ियों तक सुरक्षित रखना सरल हो गया चिकित्सा-विज्ञान ने भयानक रोगों से मानव जाति का त्राण किया है। विज्ञान ने अनेक औषधियों का आविष्कार किया जो भयंकर रोगों पर रामबाण का काम करती हैं।
शल्यक्रिया के द्वारा हाथ-पैर आदि साधारण अंगों से लेकर मस्तिष्क और हृदय जैसे मार्मिक अंगों का संशोधन भी विज्ञान ने सम्भव कर दिया है। विज्ञान की इस अद्भुत उपयोगिता को देखकर कौन उसके महत्त्व को स्वीकार नहीं करेगा?
मनोरंजन के साधन-
विज्ञान ने चित्रपट, रेडियो, टेलीविजन, टेपरिकार्डर आदि विविध मनोरंजन के साधन सुलभ कराये हैं। दिनभर काम के बोझ से थका मनुष्य शाम को जिस तरह शरीर के लिए भोजन चाहता है उसी तरह मन के लिए मनोरंजन चाहता है। सिनेमा की रंगीनी, टी०वी० के कार्यक्रम और रेडियो की चहल-पहल उसकी मानसिक थकान को दूर कर देती है।
समाचार-प्रेषण-
एक समय था जब मनुष्य अपने दूर स्थित प्रियजनों के समाचार बड़ी कठिनता से जान पाता था। विज्ञान ने इस कठिनता को दूर कर दिया है। तार के द्वारा अब घण्टों में कहीं से कहीं समाचार जा सकते हैं।
टेलीफोन द्वारा घर बैठे ही एक शहर से दूसरे शहर तथा एक देश से दूसरे देश में बैठे मित्र से बात कर सकते हैं। बेतार का तार तथा टेलीविजन जैसे आविष्कारों ने अलादीन के चिराग को भी मात दे दी है।
अन्य चमत्कार-
इसके अतिरिक्त विज्ञान ने अनेक अद्भुत चमत्कार प्रस्तुत किये हैं। वस्तुओं की उत्पत्ति करने वाले एक से एक अच्छे कल-कारखाने बनते जा रहे हैं। विकास की गति बढ़ती जा रही है। खेती के नये-नये साधनों का आविष्कार हो रहा है।
बिजली ने तो संसार को स्वर्ग बना दिया है, दिन-रात का भेद समाप्त हो गया है। गर्मी और सर्दी अब नाममात्र को रह गयी है। हजारों आदमियों का काम अब बिजली की शक्ति से एक मशीन करती है। गोबर से बिजली तैयार करना भी एक नया आविष्कार है। विज्ञान मानव जाति के लिए वरदान सिद्ध हुआ है।
उपसंहार-
वर्णित चमत्कारों को देखकर कौन उसका महत्त्व स्वीकार न करेगा? किन्तु इसका दूसरा पक्ष भी है। विज्ञान ने मनुष्य को आलसी और निकम्मा बना दिया है। विज्ञान ने उन अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया है जो मानवता के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं।
विज्ञान ने मनुष्य को वह शैतान की शक्ति प्रदान कर दी है कि कुछ घंटों या मिनटों में ही किसी देश को भस्मसात किया जा सकता है। इस प्रकार विज्ञान मनुष्य के लिए अभिशाप बन सकता है।
पर इसमें सन्देह नहीं है कि यदि मानव हित को सामने रखकर विज्ञान का प्रयोग किया जाये तो यह मानवता के लिए रम हितकर और महान वरदान सिद्ध हो सकता है। अंग्रेजी के प्रसिद्ध नाटककार शेक्सपियर ने ठीक ही कहा है-
“संसार में कोई भी वस्तु न अच्छी है, न बुरी। मानव बुद्धि उसे अपने लिए हानिकारक या लाभदायक बना लेती है।”