महिलाओं की समाज में भूमिका पर छोटे तथा बड़े निबंध (Essay on Role of Women Society in Hindi)
कामकाजी महिलाओं की समस्याएँ – राष्ट्रीय विकास में महिलाओं का योगदान – (Problems Of Working Women Or Contribution Of Women In National Development)
रूपरेखा-
- प्रस्तावना,
- वर्तमान भारत में महिलाओं की स्थिति,
- राष्ट्र के विकास में योगदान,
- कामकाजी महिलाओं की समस्याएँ,
- समस्याओं का समाधान,
- उपसंहार।।
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
प्रस्तावना-
नारी और पुरुष गृहस्थ जीवन के दो पहिये हैं। अब तक सारे संसार में नारी के प्रति दृष्टिकोण में उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं हुआ है। उसे शारीरिक रूप से अक्षम माना जाता रहा है। अत: किसी प्रकार के श्रमसाध्य कार्य (मजदूरी को छोड़कर) में उसे लगाने में संकोच किया जाता रहा है।
लेकिन महिलाओं की शिक्षा में वृद्धि तथा अवसरों के मिलने से इस दिशा में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुआ है। आज महिलाएँ भी पुरुष के समान ही हर क्षेत्र में आगे बढ़कर काम कर रही हैं, यह एक सुखद स्थिति है।
वर्तमान में महिलाओं की स्थिति-
आज महिलाओं द्वारा उच्च से उच्च शिक्षा ग्रहण कर पुरुष के बराबर अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया जा रहा है। चिकित्सा, इन्जीनियरिंग, कम्प्यूटर, प्रौद्योगिकी तथा उच्च प्रशासनिक एवं पुलिस सेवाओं में उनका पुरुषों के समान ही सम्मानजनक स्थान है।
पुलिस सेवा में किरण बेदी जैसी अनेक महिलाएँ अपनी कार्यकुशलता का लोहा मनवा चुकी हैं। आज केन्द्रीय राजधानी दिल्ली और राज्यों की राजधानियों के उच्चपदस्थ स्थानों पर महिलाओं ने अपनी योग्यता स्थापित की है।
योरोप और अमेरिका ही नहीं आज इजरायल, मिस्र और छोटे-छोटे अरब देशों एवं अफ्रीका जैसे -छोटे देशों की अनेक महिलाओं ने वायुयान संचालन एवं सेना, पुलिस और परिवहन के क्षेत्रों में भी कार्य करके पुरुषों की बराबरी का साहस दिखाया है।
भारतीय सेना ने तो देश की युवा महिलाओं पर प्रशंसनीय भरोसा जताया है। अब महिलाओं को भी सेना में लड़ाकू विमानों के संचालन जैसी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ सौंपी जा रही हैं।
राष्ट्र-विकास में योगदान-
संसार के विकसित देशों और विकासशील देशों में नारी का अपने राष्ट्र-निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान है। चीन और भारत जैसे विशाल आबादी वाले देशों को छोड़कर विश्व के अन्य देशों में बहुत तेजी से औद्योगिक विकास हुआ है।
कुशल और उच्च प्रशिक्षण युक्त पुरुषों के समान ही वहाँ की नारी शक्ति भी उनके विकास में सहयोगिनी हुई है। भारत और चीन में भी कुशल और उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाओं का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है।
अतः उनको राष्ट्र-निर्माण और विकास में नियोजित करना आवश्यक हो गया है। दोनों ही देशों में कामकाजी महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। राष्ट्र के निर्माण और विकास में उनका योगदान कम महत्त्व का नहीं है।
कामकाजी महिलाओं की समस्याएँ-
भारत में शिक्षण-प्रशिक्षण और कामकाज करके योग्यता ग्रहण करने में तो महिलाओं का तेजी से योगदान बढ़ा है परन्तु पुरुष समाज का नारी के प्रति दृष्टिकोण अभी तक नहीं बदला है। आज भी पुरुष नारी को हेय दृष्टि से देखता है।
वह उसे बच्चे बनाने वाली मशीन की तरह ही बनाये रखना चाहता है। अत: उनके विकास और स्वतन्त्रता की राह में हर तरह के काँटे बिछाने के प्रयास किये जा रहे हैं। परिणामस्वरूप महिलाएँ अपनी योग्यता के अनुसार खुलकर कार्य नहीं कर पाती हैं।
भारतीय समाज तो अभी तक प्राचीन सामन्ती मानसिकता से अधिक आगे नहीं बढ़ पाया है। अतः यहाँ कामकाजी महिलाएँ बड़ी कठिनाई से अपना जीवनयापन कर पा रही हैं।
हमारे देश में आज भी अकेली महिलाएं देर रात तक घर से बाहर नहीं रह पाती हैं। यदि भूलवश ऐसा हो भी जाए तो असभ्य दरिन्दों की दरिन्दगी का उन्हें शिकार होना पड़ता है। अतः भारत में अभी भी महिलाएँ सुरक्षित नहीं कही जा सकी। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा इस दिशा में कुछ प्रयोग किए जा रहे हैं। देखें क्या हो पाता है?
समस्याओं का समाधान-
सदियों से संघर्ष करते-करते महिलाओं ने बड़ी कठिनाई से इस स्थिति को प्राप्त किया है। जिसमें वह पुरुष की क्रीतदासी न होकर उसकी सहयोगिनी बन पाई है। वह पुरुष के समान ही राष्ट्र निर्माण एवं विकास में भाग ले रही है।
अत: असभ्य आचरण करने वाले थोड़े से दरिन्दों के भय से वह अपना लक्ष्य-त्याग नहीं कर सकती। सरकारी स्तर पर उनके लिए “कामकाजी महिला हॉस्टल” बनाये गये हैं, जहाँ वे सुरक्षित और सुखपूर्वक रहकर अपने राष्ट्र-निर्माण के महान योगदान में भागीदारी निभा रही हैं।
बड़े शहरों में इस प्रकार के सामूहिक फ्लैट्स बनाए गए हैं जिनमें अकेली महिलाएँ सुख-सुविधा सम्पन्न सुरक्षित जीवन-यापन कर रही हैं। कामकाज के स्थान पर भी उन्हें हर प्रकार की सुरक्षा उपलब्ध है। के प्रसार ने पुरुषों के दृष्टिकोण में भी अपेक्षित परिवर्तन किया है। अतः अब कामकाजी महिलाएँ निश्चिन्त होकर राष्ट्र के विकास में सहयोगिनी बनी हुई हैं।
उपसंहार-
इस प्रकार महिलाएँ जो राष्ट्र-निर्माण में पुरुष के बराबर की ही सहभागिनी रही हैं, आज निर्भय होकर अपने दायित्व का निर्वाह कर रही हैं। पुरुष समाज के समझदार लोगों को इस कार्य में उनका पूर्ण सहयोग देकर तथा प्रोत्साहित करके राष्ट्र-निर्माण के यज्ञ में देश की आधी आबादी की प्रतिभा का विकास करना चाहिए तथा आवश्यक रूप से कार्य संयोजन करना चाहिए।