अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – Unity In Diversity Essay In Hindi

अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Essay On Unity In Diversity In Hindi)

अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – Unity In Diversity: India’s Specialty

रूपरेखा–

  • प्रस्तावना,
  • राष्ट्रीय और भावात्मक एकता का अर्थ
  • राष्ट्रीय एकता और अखंडता की आवश्यकता,
  • देशवासियों का कर्तव्य,
  • उपसंहार।।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना–
हमारा भारत एक गुलदस्ता है जिसमें विभिन्न रंगों और सुगंध वाले पुष्प जुड़े हुए हैं। जब ये पुष्प अलग होते हैं तो उनके रंग, खुशबू और नाम अलग–अलग होते हैं किन्तु उनके मिलने से जो बनता है वह गुलदस्ता कहलाता है। गुलदस्ता बहुत सुन्दर होता है।

भारत में अनेक धर्मों, जातियों, विचारों, संस्कृतियों और मान्यताओं से सम्बन्धित विभिन्नताएँ हैं किन्तु उनके मेल से एक खूबसूरत देश का जन्म हुआ है, जिसे हम भारत कहते हैं। भारत की ये विविधताएँ एकता में बदल गई हैं, जिसने इस देश को विश्व का एक सुन्दर और सबल राष्ट्र बना दिया है।

राष्ट्रीय और भावात्मक एकता का अर्थ–राष्ट्र के प्रमाणक अंग तीन हैं– भूमि, निवासी और संस्कृति। एक राष्ट्र के दीर्घ–जीवन और सुरक्षा के लिए इन तीनों का सही सम्बन्ध बना रहना परमावश्यक होता है। यदि किसी राष्ट्र की भूमि से वहाँ के राष्ट्रवासी उदासीन हो जायेंगे तो राष्ट्र के विखण्डन का भय बना रहेगा।

1962 ई. में चीन का आक्रमण और भारत की हजारों किलोमीटर भूमि पर अधिकार इसका ज्वलंत उदाहरण है। राष्ट्र की भूमि माता के तुल्य है। ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ यह भावना राष्ट्र की अखण्डता के लिए परमावश्यक है।

राष्ट्रजनों को एक सूत्र में बाँधने वाली राष्ट्रीय संस्कृति होती है। केवल एक स्थान पर निवास करने वाला जनसमूह राष्ट्र का निर्माण नहीं कर सकता, जब तक कि वह परस्पर सांस्कृतिक सूत्र से न बँधा हो। धार्मिक सद्भाव, सहयोग, पर्व, उत्सव, कला और साहित्य संस्कृति के अंग हैं। इनका आदान–प्रदान राष्ट्रीय एकता को जन्म देता है। स्पष्ट है कि राष्ट्रीय एकता और अखण्डता एक राष्ट्र के जीवन और समृद्धि के लिए अनिवार्य शर्ते हैं।

राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की आवश्यकता–आज भारत के अस्तित्व और सुरक्षा को गम्भीर चुनौतियाँ भीतर और बाहर दोनों ओर से हैं। भीतर से प्रादेशिक संकीर्णता, धार्मिक असहिष्णुता, जातीय संकोच और स्वार्थपूर्ण राजनीति देश को विखण्डन की ओर ले जा रही है और बाहर से पड़ोसी देशों के षड्यन्त्र हमको तोड़ने पर कटिबद्ध हैं। देश में व्याप्त आतंकवादी गतिविधियाँ इसके स्पष्ट प्रमाण हैं। इतिहास गवाह है कि भारतभूमि पर विदेशी आँखें निरन्तर ललचाती रही हैं।

जब–जब हम एक रहे, विजयी रहे, आक्रमण की बाढ़ हमारी एकता की चट्टान से टकराकर चूर–चूर हो गई और जब हम बिखरे हमने मुँह की खाई, हम परतन्त्र हुए। हजारों वर्षों की अपमानजनक गुलामी हमें यही सिखाती है कि एक होकर रहो, संगठित होकर रहो और एक राष्ट्र बने रहो। विविध धर्मों, आचारों, भाषाओं और प्रदेशों वाले देश को तो एकता की अत्यन्त आवश्यकता होती है।

Unity In Diversity Essay In Hindi pdf

देशवासियों का कर्तव्य–
राष्ट्रीय एकता और अखण्डता का उत्तरदायित्व केवल सरकार या सेना पर नहीं होता। गरिकों का यह परम धर्म है कि राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य से परिचित रहें और उसका पालन करें। छात्र वर्ग राष्ट्रीय एकता में अनेक प्रकार से योगदान कर सकता है।

उसे अपनी राष्ट्रीय संस्कृति और इतिहास का आदर करना चाहिए और अपने जीवन में उसे झलकाना चाहिए। धर्माचार्यों को अपने प्रभाव का प्रयोग कर देश में राष्ट्रभक्ति की धारा बहानी चाहिए।

समाज के अन्य वर्गों का उत्तरदायित्व भी इतना ही महत्त्वपूर्ण है। वैज्ञानिक हों या व्यापारी, श्रमिक हों या श्रीमन्त, सबको राष्ट्र का हित ध्यान में रखकर चलना चाहिए। राष्ट्र जिएगा तो सब जिएंगे। यदि राष्ट्र टूटा तो सबको धराशायी और धूल–धूसरित होना पड़ेगा।

Essay On Unity In Diversity In Hindi

उपसंहार–
आज देश का राजनीतिक तथा सामाजिक वातावरण अनेक शंकाएँ उत्पन्न करता है। लगता है जैसे हमने अपना आचार, धर्म, संस्कृति, शिक्षा और शासन की परिकल्पना, सब कुछ जैसे राजनीति के हाथों गिरवी रख दिया है।

जीवन की ‘बोट’ (नाव) हम वोट (मत) को सौंप चुके हैं। याद रहे कि राष्ट्रीय एकता और अखण्डता भारतीयों के लिए जीवन–मरण का प्रश्न है। इस जलयान पर हम सभी सवार हैं। यह डूबता है तो हम सबको डूब जाना पड़ेगा। इस एकता के कण्ठहार को सँभालकर रखना आज राष्ट्रधर्म है।