सड़क सुरक्षा पर निबंध – Road Safety Essay in Hindi

सड़क सुरक्षा पर छोटे तथा बड़े निबंध (Essay on Road Safety in Hindi)

रूपरेखा-

  1. प्रस्तावना,
  2. यातायात के प्रमुख साधन,
  3. सड़क के नियम एवं संकेत-
    • (क) नियम,
    • (ख) संकेत,
  4. उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना-
सुरक्षित जीवन के लिए सड़क के नियम एवं संकेतों का भलीभाँति पालन किया जाना आवश्यक है। सड़क के नियमों का सही प्रकार पालन करने से हम यातायात विषयक बढ़ती हुई दुर्घटनाओं से स्वयं को सुरक्षित रख सकते हैं।

सड़कों पर दौड़ते वाहनों की संख्या में वृद्धि तथा यातायात सम्बन्धी संकेतों के अभाव में अनहोनी दुर्घटनाएँ घट जाती हैं जिनसे मनुष्य की या तो दुर्घटनास्थल पर ही मृत्यु हो जाती है अथवा वह जीवनभर के लिए विकलांग बन जाता है। यह विकलांगता मनुष्य को जीवनभर उसको सड़क के नियमों की अज्ञानता की याद दिलाती रहती है। इससे वह नित्य मर-मरकर जीते हुए अपना जीवन काटता है।

Road Safety Essay in Hindi

यातायात के प्रमुख साधन-
मनुष्य के विकास के इतिहास में यातायात के साधनों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। पहिए के विकास से मानव जीवन के विकास की कहानी जड़ी है। मनुष्य ने ज्यों-ज्यों अपने बद्धि-बल का प्रयोग किया त्यों-त्यों उसने यातायात के साधन विकसित किये।

पहले मनुष्य ऊँट, घोड़े, खच्चर, ताँगे तथा बैलगाड़ियों से यात्राएँ किया करता था। उसकी यात्रा समय एवं व्यय साध्य होती थी। इसके बाद तेज गति वाले वाहनों का विकास हुआ। मालवाहक ट्रक, मोटर साइकिल, स्कूटर, बस तथा रेल, ट्राम गाड़ियों की खोज भी मानव बुद्धि के ही चमत्कार हैं।

पहले लोगों के पास साइकिल तक न थी, आज मोटर साइकिल तथा कारों की भरमार है। मानव जैसे आर्थिक रूप से सम्पन्न होता गया, वैसे-वैसे उसकी क्रयशक्ति बढ़ी और उसने विभिन्न प्रकार के वाहन खरीदना प्रारम्भ कर दिया। आज के समय में तो इनकी संख्या इतनी अधिक हो गयी है कि घर के प्रत्येक सदस्य को मोटर साइकिल अथवा कार की आवश्यकता पड़ने लगी है।

भले ही बच्चे भलीभाँति कार चलाना न जानते हों लेकिन वे मोटर साइकिल अथवा कार लेकर सड़कों पर निकल पड़ते हैं। परिणाम होता है भीषण दुर्घटना। तकनीकी विकास का भी इन दुर्घटनाओं के विकास में बड़ा योगदान है।

Essay on Road Safety in Hindi

सड़क के नियम एवं संकेत-

(क) नियम-यातायात के साधन जितने बढ़ रहे हैं, उतने ही यातायात के नियम बढ़ रहे हैं और उनमें जटिलता आ रही है। सड़क यातायात के कुछ प्रमुख नियम इस प्रकार हैं-

  • हम हमेशा सड़क के बायीं ओर चलें।
  • पैदल चलने के लिए फुटपाथ का प्रयोग करें।
  • सड़क पार करने हेतु ‘ओवर ब्रिज’ अथवा ‘जेब्रा लाइन’ को अपनाएँ।
  • वाहन चलाते समय स्पर्धा दौड़ को न अपनाएँ, दूसरे वाहनों से आगे निकलने का प्रयास कदापि न करें।
  • ध्वनि (हॉर्न) करके ही आगे निकलने का प्रयास करें जिससे दूसरा चालक आपको संकेत देकर रास्ता दे सके।
  • वाहन मोड़ते समय यथासम्भव उचित संकेत देने का प्रयास करें, अचानक वाहन मोड़ना दुर्घटना का कारण बन जाता है।
  • वाहन को चलाने में सावधानी अपनाएँ क्योंकि ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।
  • सड़क पर लगे निशान, चिह्नों तथा संकेतों का पालन करें।

(ख) संकेत-सड़क
पर चलने के सम्बन्ध में कुछ संकेत निर्धारित किये गये हैं जिनके पालन से हम दुर्घटना से बच सकते हैं। प्राय: शहरों में चौराहों पर लाल, पीली तथा हरी बत्तियाँ लगी रहती हैं। लाल बत्ती का अर्थ है-एकदम रुकिए और जब तक लाल बत्ती जलती रहे तब तक रुके रहें। पीली बत्ती जलने का अर्थ है-सब ओर चौकन्ने होकर देखिए तथा बढ़ने के लिए तैयार हो जाइए।

हरी बत्ती जलने का अर्थ है-चलिए, आगे बढ़िए। कभी-कभी यातायात बहुत कम हो जाने पर अथवा लाल या हरी बत्तियों में किसी गड़बड़ी के कारण मात्र पीली बत्ती ही लगातार जलती-बुझती रहती है। यह इस बात का संकेत है कि सावधानीपूर्वक देखकर चलिए। इसी प्रकार यदि आगे मोड़ होता है तो उसका संकेत भी कुछ दूर पहले ही सड़क के किनारे बोर्ड पर अंकित रहता है।

इसके अतिरिक्त स्कूल, अस्पताल, सड़क बन्द होने तथा आगे आने वाले मोड़ के संकेत भी इसी प्रकार के बोर्डों पर बने होते हैं। हमें इन संकेतों का ध्यान रखना चाहिए। पुल, फाटक आदि के संकेत भी सड़क के किनारे लगे रहते हैं जिनका पालन किया जाना परमावश्यक है।

उपसंहार-
यातायात के नियमों एवं संकेतों का पालन करना मानवता के हित में है। नियमों का पालना करना समाज, प्रदेश तथा राष्ट्र हितकारी होता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर यातायात पुलिस तथा प्रदेश का पुलिस प्रशासन ‘यातायात नियम सप्ताह आयोजित करते हैं।

नियमानुसार सड़कों पर वाहन न चलाना दुर्घटना का कारण बन जाता है अत: दुर्घटनाओं से बचने के लिए उचित गति से नियमानुसार वाहन चलाएँ। वाहन चलाना सीखकर ही लाइसेंस बनवाएँ। अभ्यास सबसे बड़ा गुरु है अत: वाहन चलाने का धैर्यपूर्वक अभ्यास करना चाहिए।

वाहन चलाते समय वाहन की गति को नियन्त्रित रखा जाना भी आवश्यक है, क्योंकि ऐसा करने से दुर्घटना की सम्भावना कम हो जाती है। वाहन को सजगतापूर्वक चलाना चाहिए क्योंकि दुर्घटना से देर भली।

सड़क के नियम पालन में लापरवाही नहीं करनी चाहिए। स्वयं उचित ढंग से चलना चाहिए तथा अन्य वाहन चालकों से भी सतर्क रहना चाहिए, हो सकता है कि दूसरा वाहन चालक दक्ष न हो।