नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध – Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi

नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर छोटे तथा बड़े निबंध (Essay on Rights and Responsibilities of Citizens in Hindi)

वरिष्ठ नागरिकों की समस्याएँ – Problems of senior citizens

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना,
  • वरिष्ठ नागरिक का आशय,
  • वरिष्ठ होने की स्थिति,
  • समस्याएँ,
  • समाधान,
  • उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना-
आयु का बढ़ते रहना प्रकृति का अटल नियम है। सभी को एक दिन वृद्ध होना पड़ता है। हमारी संस्कृति वृद्धजनों के प्रति विनम्र और सेवाभावी होने की शिक्षा देती है। आज वृद्धजनों को वरिष्ठ नागरिक कहा जाता है।

वरिष्ठ नागरिक का आशय-
वरिष्ठ नागरिक का आशय क्या है? मनुष्य की वरिष्ठता के अनेक आधार हो सकते हैं किन्तु यहाँ वरिष्ठता का तात्पर्य आयु की परिपक्वता से है। सामान्यतः साठ वर्ष की आयु का व्यक्ति वरिष्ठ नागरिक माना जाता है।

यह आयु प्राप्त होते ही उसे सरकारी और निजी सेवाओं से मुक्त कर दिया जाता है। मान लिया जाता है कि वह काम करने लायक नहीं रहा। अभी सरकार ने 55 वर्ष की उम्र प्राप्त होने पर महिलाओं को वरिष्ठता के लाभ देने का निश्चय कर लिया है।

वरिष्ठ होने की स्थिति-जब कोई महिला या पुरुष वरिष्ठ होने की अवस्था में पहुँचता है तो समाज, सरकार तथा परिवार के लोग उसे काम करने के अयोग्य मान लेते हैं। सरकार या नियोजक उसे अपनी सेवा से रिटायर कर देते हैं।

घर में भी प्रायः पुत्र उसकी जिम्मेदारियाँ अपने कंधों पर उठा लेते हैं। लड़कों की शादी हो जाती है, घर में बहू आ जाती है तो सास को कार्य-मुक्त कर देती है। इस प्रकार यह अवस्था सत्ता या अधिकार परिवर्तन की द्योतक है।

वरिष्ठ नागरिकों की समस्याएँ-

(i) फालतू और अकेलेपन की समस्या-
वरिष्ठ नागरिक को फालतू समझा जाता है। माना जाता है कि वह किसी काम का नहीं रहा। नौकरी, व्यापार या अन्य जो काम वह करता था, उससे मुक्त होने के कारण वह खाली ही रहता है। काम के सिलसिले में अनेक लोग उसके पास आते थे, अब कोई नहीं आता। फलतः वह अकेलेपन की समस्या से जूझता रहता है। घर में पत्नी हो तो ठीक है। अगर कहीं उसने पहले ही भगवान से प्यार का नाता जोड़ लिया हो, तब तो यह अकेलापन उसे कहीं का नहीं रहने देता। पैसे तथा शारीरिक शक्ति के चुक जाने से कहीं घूमने-फिरने नहीं जा सकता।

(ii) अपमान की समस्या-
शरीर निर्बल है, जेब खाली है, काम कर नहीं सकते। ऐसी दशा में समाज तथा परिवार से सम्मान की अपेक्षा बढ़ जाती है परन्तु वह मिलता नहीं। सर्वत्र उपेक्षा उसे त्रस्त कर देती है। प्रेमचन्द के ‘गोदान’ का होरी जब अन्न की राशि से एक कटोरा भरकर भिखारी को देना चाहता है, तो उसका पुत्र उसको झटक देता है। इस अपमान से आहत होरी अशक्त शरीर से ही खेतों में काम करने चल पड़ता है। वह बताता है कि वह बेकार नहीं है। अतः अपनी कमाई को अपनी इच्छानुसार खर्च कर सकता है।

(iii) सुरक्षा की समस्या-
शारीरिक शक्ति चुकने तथा समाज और परिवार की उपेक्षा के कारण वरिष्ठ नागरिकों के सामने अपनी सुरक्षा की समस्या भी उठ खड़ी होती है। धन के लालच में बहुत बार उनके नौकर ही उनकी हत्या कर देते हैं।

समाधान-
वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं का समाधान सरकार तथा समाज दोनों को मिलकर करना चाहिए। परिवार में उनको सम्मान दिया जाना चाहिए तथा उनको बोझ नहीं समझा जाना चाहिए। आज के व्यस्त जीवन में उनके लिए ‘वृद्धाश्रम’ बनाये जाने चाहिए। पश्चिमी देशों में ऐसे आश्रम हैं।

जब भारत पाश्चात्य सभ्यता को अपना रहा है और उसके दोष भारतीय जीवन में प्रवेश कर रहे हैं तो पश्चिम की जीवन-शैली की अच्छाइयों को अपनाना अनुचित नहीं है। वयस्क नागरिक स्वयं को भी फालतू न मानें तथा किसी उपयोगी कार्य से स्वयं को जोड़ें।।

उपसंहार-
वरिष्ठता या आयु से वृद्धता कोई दोष या अपराध नहीं है। बहुत प्राचीनकाल से हमारे देश में सौ वर्ष जीवित रहने का आदर्श मान्य रहा है। भारतीयों ने सदा प्रार्थना की है-‘जीवेम शरदः शतम्। भारतीय संस्कृति में वृद्धों का सम्मान तथा सेवा करने की शिक्षा दी गई है-

अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।

एक्सीलेण्ट हिन्दी अनिवार्य कक्षा-12471 इसी आचरण में वरिष्ठ नागरिकों की समस्त समस्याओं का समाधान निहित है। यदि आज का भारतीय युवा इन सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति संवेदनशील बन सके।